4.10.21

नींद शुरू होते वक्त सांस मे तकलीफ (sleep apnea) स्लीप एप्निया के कारण उपचार और परहेज




 क्‍या आपको रात में ठीक से नींद नहीं आती? या फिर एक बार नींद खुल जाने के बाद दोबारा सोना मुश्किल हो जाता हैं? तो हो सकता है कि आप ओएसए से ग्रस्‍त हो।
  पूरी रात सोने के बाद भी सुबह के समय थकान महसूस होना, दिनभर आलस बने रहना, मानसिक समस्याएं होना, डाइजेशन ठीक से ना होना, यादाश्त पर असर, कब्ज बने रहना इन सबकी एक वजह स्लीप एपनिया भी हो सकती है।स्लीप एपनिया एक ऐसी दिक्कत है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति की सांस उस समय कुछ देर के लिए रुक जाती है, जब वह सो रहा हो। इस दौरान उनके शरीर को पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। सांस टूटने से उनकी आंख खुल जाती है और उठते ही वह तेजी से हांफने लगता है। इस समस्या से ग्रस्त कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें जागने पर इस बात का अहसास भी नहीं होता कि सोते समय उन्हें सांस नहीं आ रही थी इसलिए वे तेजी से सांस ले रहे हैं और अजीब घबराहट महसूस कर रहे हैं।
  स्लीप एपनिया के पारंपरिक उपचार में रात में CPAP मास्क पहनना शामिल है। लेकिन कुछ लोग इस मास्क को लगाकर सोने में सहज नहीं होते। इन लोगों को अपनी रोजमर्रा की आदतों में बदलाव करना चाहिए। इनमें सबसे पहला नंबर आता है अपने वजन पर नियंत्रण रखना। हर रोज योग करना और हो सकते तो आधा घंटे की वॉक भी रोज करें। सोने की जगह और पॉश्चर बदल सकते हैं। एल्कोहॉल और स्मोकिंग से दूर रहें। अगर तब भी आराम महसूस ना हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें।

उपचार क्या है?

स्लीप एप्निया एक गंभीर नींद विकार है, जो तब होता है जब नींद के दौरान किसी भी व्यक्ति का सांस लेने और श्वसन कार्य बाधित होता है। जो लोग इस बीमारी से अवगत नहीं हैं और बिना इलाज स्लीप एप्निया के साथ रहते हैं, उनकी नींद के दौरान कई बार सांस लेने से रोकते हैं, जो कभी-कभी सैकड़ों बार चलता है।
जब ऐसा होता है तो मस्तिष्क और बाकी स्लीप एप्निया रोगी के शरीर को उनकी नींद के दौरान पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है।
स्लीप एप्निया को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

ओएसए (अवरोधक स्लीप एप्निया): 

यह स्लीप एप्निया रोगी के वायुमार्ग में अवरोध के कारण होता है, और यह दो प्रकारों में अधिक आम है। यह लक्षण तब होता है जब नींद के दौरान रोगी के गले के पीछे सॉफ्ट टिश्यू कोलैप्स है।
सेंट्रल स्लीप एप्निया: यह एक गंभीर प्रकार की स्लीप एप्निया है, जहां वायुमार्ग ओएसए की तरह अवरुद्ध नहीं होता है, लेकिन रोगी का मस्तिष्क सांस लेने के लिए श्वसन मांसपेशियों को संकेत देने में विफल रहता है। यह इस बीमारी से पीड़ित रोगी के श्वसन नियंत्रण केंद्र में अस्थिरता के कारण होता है।
स्लीप एप्निया किसी भी उम्र के किसी भी व्यक्ति, यहां तक ​​कि बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है। लेकिन जो लोग इस बीमारी के जोखिम में अधिक हैं वे हैं:
जो लोग अधिक वजन वाले हैं
पुरुष होने के कारण
40 साल से अधिक होने के कारण
बड़े आकर वाले गर्दन (महिलाओं में 16 इंच या उससे अधिक और पुरुषों के लिए 17 इंच या अधिक)
बड़ी जीभ, बड़े टन्सिल या उल्लेखनीय छोटी जबड़े की हड्डी
जीईआरडी या गैस्ट्रोसोफेजियल रिफ्लक्स रोग से पीड़ित लोग
एलर्जी, नाक या साइनस समस्याओं के विचलित सेप्टम के कारण नाक की बाधा

Obstructive sleep apnea क्‍या है?

ओएसए एक ऐसा disorders है, जिसमें नींद के दौरान सांस लेने में बार-बार रुकावट होती है। इसके कुछ कारणों में अधिक वजन, ऊपरी वायुमार्ग का छोटा होना, जीभ का बड़ा आकार और टॉन्सिल जैसी कई समस्‍याएं देखने को मिलती हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल का कहना हैं कि ओएसए नींद का एक सबसे सामान्य प्रकार है, जिसका एक संकेत है खर्राटे आना। ओएसए की वजह से ब्‍लड में ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है और नींद में बाधा पड़ने से हार्ट डिजीज का जोखिम पैदा हो जाता है। ओएसए से ग्रस्‍त आधे लोगों में high blood pressure भी होता है।
यह पुरुषों में अधिक आम है और बुढ़ापे के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है। यह आनुवांशिक भी हो सकता है। कुछ जातियों के लोग दूसरों की तुलना में इससे अधिक ग्रस्त पाए गए हैं। पुरुषों में 17 इंच से अधिक और महिलाओं में 15 इंच से अधिक चौड़ी गर्दन होने पर यह समस्या हो सकती है।

Obstructive के संकेत और लक्षण

दिन में नींद आना
जोर से खरार्टे लेना
नींद के दौरान सांस लेने में कठिनाई
अचानक नींद खुल जाना
गले में खराश
सुबह के समय सिरदर्द
फोकस करने में कठिनाई
मूड में परिवर्तन
हाई ब्‍लड प्रेशर
रात को पसीना आना
सेक्‍स इच्‍छा में कमी अदि प्रमुख हैं।

स्लीप एपनिया के कारण
मोटापा
बड़े आकार के टॉन्सिल
हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन से संबंधी परेशानी (एंडोक्राइन डिसऑडर)
हाइपोथायरायडिज्म ( (थायराइड हार्मोन का स्तर कम होना)
एक्रोमिगेली (ग्रोथ हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (हार्मोन विकार)
न्यूरोमस्कुलर रोग यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाली बीमारियां
किडनी संबंधी समस्या
आनुवंशिक सिंड्रोम, जैसे क्लेफ्ट लिप्स व डाउन सिंड्रोम आदि
समय से पहले जन्म
दिमागी संक्रमण
स्ट्रोक
रीढ़ की समस्या
दर्द निवारक दवाइयां

सोते समय सांस लेने में तकलीफ को यूं करें दूर

बदलें अपनी पोजिशन


सोते समय एक छोटा सा परिवर्तन आपकी नींद की स्थिति को बदलकर स्लीप एप्निया के लक्षणों को कम कर सकता है। मसलन, अगर आप सोते समय पीठ के बल सोते हैं तो इससे आपकी समस्या और भी अधिक बढ़ सकती है। वहीं एक साइड होकर सोने से आपको आराम मिल सकता है, हालांकि हर व्यक्ति के लिए स्लीप पोजिशन अलग हो सकती है। इसलिए आप भी अपनी समस्या से आराम पाने के लिए अपनी स्लीप पोजिशन को बदलकर देखें कि आपको किसमें सबसे अधिक आराम मिलता है।

ह्यूमिडिफायर का करें प्रयोग


अमूमन शुष्क हवा आपकी श्वसन प्रणाली को परेशान कर सकता है और इससे आपकी स्लीप एप्निया की समस्या बढ़ सकती है। वहीं ह्यूमिडिफायर एक ऐसा उपकरण है जो हवा में नमी जोड़ते हैं। ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से आपका वायुमार्ग खुल सकता है और ब्रीदिंग क्लीयर होती है।

मेंटेन करें हेल्दी वेट

स्लीप एप्निया से ग्रस्त व्यक्ति को एक हेल्दी वेट मेंटेंन करना चाहिए। मोटापा, विशेष रूप से शरीर के ऊपरी भाग में वायुमार्ग की बाधा का कारण बनता है। जिसके कारण सोते समय आपकी समस्या बढ़ सकती है। वहीं हेल्दी वेट मेंटेन करने से आपके वायुमार्ग को क्लीयर रहने में मदद मिलती है। जिससे स्लीप एप्निया के लक्षण कम होते हैं।

करें योगाभ्यास

नियमित व्यायाम आपके ऊर्जा स्तर को बढ़ा सकता है, आपके दिल को मजबूत कर सकता है, और स्लीप एपनिया में सुधार कर सकता है। योग विशेष रूप से आपकी श्वसन शक्ति में सुधार कर सकता है और ऑक्सीजन प्रवाह को प्रोत्साहित कर सकता है। स्लीप एपनिया आपके रक्त में ऑक्सीजन की कमी के साथ जुड़ा हुआ है। वहीं योगाभ्यास से आपके ऑक्सीजन के स्तर में सुधार होता है और आपको नींद संबंधी कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
रिस्क फैक्टर- पुरुष होना, ज्यादा वजनी होना, 40 वर्ष पार का होना, पुरुषों में 17 इंच या ज्यादा और महिलाओं में 16 इंच या ज्यादा गर्दन की आकार का होना, लंबी जुबान, जबड़े की छोटी हड्डी, परिवार में किसी का स्लीप एपनिया की हिस्ट्री या साइनस इसके प्रमुख रिस्क फैक्टर हैं।
अगर आप इसका इलाज करवा रहे हैं और इलाज बीच में ही छोड़ दिया है तो ये स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, हार्ट फेल्योर, डायबिटीज, डिप्रेशन, सिर दर्द के जोखिम को बढ़ा सकता है।
स्लीप एपनिया का इलाज ज्‍यादा वजन को देखते हुए किया जाता है। पीड़ित लोगों को डॉक्टर अक्सर लगातार व्यायाम का हेल्दी डाइट का साथ सुझाव देते हैं। जैसे ही वजन कम होता है, स्लीप एपनिया के लक्षण दूर होने लगते हैं या कम होते हैं। मोटापा वायुमार्ग में रुकावट और नाक की तंग नली का जोखिम बढ़ा सकता है।
ये बाधा सोते समय अचानक आपकी सांस को रोक सकती है। हेल्दी वजन को बनाए रखकर आप वायुमार्ग को साफ रख सकते हैं और स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम कर सकते हैं।
सोने के तरीके में मामूली बदलाव स्लीप एपनिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है और आपकी रात की नींद को सुधारता है। स्लीप एपनिया ज्यादा आम उन लोगों में है जो अपनी पीठ के बल सोते हैं। नींद के दौरान आपके सभी मसल आराम करते हैं।
योग- नियमित योग या व्यायाम आपके एनर्जी लेवल को बढ़ा सकता है, दिल को मजबूत कर सकता है और स्लीप एपनिया को सुधार सकता है। योग के कई अभ्यास सूजन को कम करने में मददगार और वायुमार्ग को खोलते हैं।
प्राणायाम यानि सांस की एक्‍सरसाइज से जुडे योगा मदद कर सकते हैं। स्लीप एपनिया की दिक्कतों को कम करने के लिए स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन भी छोड़ देना चाहिए।
1 रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन की समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें। इसके इलाज में डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं (breathing problem while sleeping) खाने के लिए दे सकता है।
2 वजन अधिक है, तो इसे एक दिन में तो कम किया नहीं जा सकता है। ऐसे में आप रात में पीठ के बल सोने की बजाय एक तरफ होकर सोएं। ऐसा करने से फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा। वजन कम करने के लिए एक्सरसाइज, वर्कआउट और वेट लॉस डाइट फॉलो करें।
3 क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज की समस्या (सीओपीडी) एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। यदि आपको सीओपीडी है, तो भी रात में सांस लेने में तकलीफ (breathing problem while sleeping) हो सकती है। इस लक्षण को कम करने के लिए नाक से सांस लें और होंठ को पीछे करके मुंह से छोड़ें।
4 स्लीप एप्निया में भी सोते समय सांस लेने में दिक्कत (breathing problem while sleeping) होती है। स्लीप एप्निया एक गंभीर नींद से संबंधित विकार है। इसमें नींद के दौरान सांस लेने और श्वसन कार्य बाधित होते हैं। तनाव के कारण भी सोते समय सांस लेने में मुश्किल आती है। सबसे पहले तनाव से छुटकारा पाएं।

होमियोपैथी में छिपा है स्लीप एप्निया का आसान और कारगर इलाज

अक्सर नींद के दौरान सांस लेने में कई अवरोध आते हैं। यह एक ऐसी स्थिति जो आपकी नींद में बाधा डालती है। इस समस्या को "स्लीप एप्निया" (sleep apnea) कहते हैं। होमियोपैथी से स्लीप एप्निया का उपचार बिना किसी दुष्प्रभाव के बहुत ही कम समय में किया जा सकता है।
होमियोपैथिक (homeopathy) दवाओं से दूर करें समस्या
अर्सेनिकम: यह सांस संबंधी विकारों को दूर करने में सहायक होती है।
सल्फर: यह सांस लेने में आ रही रुकावट और उससे उत्पन्न घुटन दूर करती है।
स्पोंगिया: यह सीने की जकड़न को दूर कर आराम पहुंचाती है।
ओपियम: यह सांस द्वारा उत्पन्न उलझन को दूर करने में सहायक है।
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