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19.4.23

बवासीर कैसे ठीक करें? Bawasir kaise theek karen




Bawasir ka ilaaj: बवासीर बीमारी के बारे में आप सब परिचित होंगे. यह एक बहुत ही कष्ट-पीड़ा वाला गंभीर बीमारी है. जिसको बवासीर की बीमारी हो जाती है वो बहुत ही परेशान हो जाता है. उठने बैठने और टहलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आज इस पोस्ट में बवासीर के लक्षण और बवासीर का इलाज ( Bawasir ka ilaaj ) के बारे में जानेंगे. इसके साथ ही बवासीर के कारण और इससे बचाव भी जानेंगे.
बवासीर क्या है
बवासीर एक बीमारी है जो लोगों के मल द्वार के रास्ते में मांसपेशियों के बढ़ने के कारण होता है. ये बढ़े हुए मांसपेशियां मल द्वार के रक्त वाहिकाओं और उत्तकों से जुड़े रहते हैं जिसके कारण इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति को मल द्वार से खून भी निकलता है और दर्द भी होता है. बहुत से लोगों को बवासीर होता है, लेकिन लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते हैं. बवासीर गुदा क्षेत्र यानी मल द्वार में ऊतक में सूजन है. इनके कई आकार हो सकते हैं, और ये गुदा के आंतरिक या बाहरी हो सकते हैं. आंतरिक बवासीर आम तौर पर गुदा के ऊपर 2 और 4 सेंटीमीटर (सेमी) के बीच स्थित होते हैं, और वे अधिक सामान्य प्रकार के होते हैं. जबकि बाहरी बवासीर गुदा के बाहरी किनारे पर होती है.

बवासीर के लक्षण

Symptoms of Piles: आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में, बवासीर के लक्षण गंभीर नहीं होते हैं. बवासीर से पीड़ित व्यक्ति निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव कर सकता है…गुदा के आसपास एक कठोर दर्दनाक गांठ महसूस की जा सकती है. इसमें जमा हुआ रक्त हो सकता है. बवासीर जिसमें रक्त होता है, उसे थ्रोम्बोस्ड बाहरी बवासीर कहा जाता है.
मॉल त्यागने के बाद, बवासीर वाले व्यक्ति को अनुभव हो सकता है कि आंत्र अभी भी भरा हुआ है.
मल त्याग के बाद चमकदार लाल रक्त दिखाई देता है.
गुदा के आसपास का क्षेत्र खुजली, लाल और गिला होता है.
मल त्यागने के दौरान दर्द महसूस होता है.

बवासीर होने के कारण

Cause of Piles: बवासीर बीमारी होने के कई कारण है. दिन भर कठोर कुर्सी या बिस्तर पर बैठने या ज्यादा प्रेशर के साथ मॉल त्याग से बवासीर होता है. बवासीर के कारण ( Bawasir ke karan ) ये भी है कि जब निचले मलाशय में बढ़ते दबाव बढ़ता है तो पाइल्स होता है. गुदा के आसपास और मलाशय में रक्त वाहिकाएं दबाव में खिंचाव करेंगी और बवासीर का कारण बन सकती हैं. इसकी वजह यह हो सकती है…पुराना कब्ज
पुरानी डायरिया
भारी वजन उठाना
लम्बी देर तक कठोर वस्तुओं या बिस्तर पर बैठना
गर्भावस्था
मल त्याग करते समय तनाव
उम्र के साथ बवासीर बढ़ जाती है.

बवासीर का इलाज

आपको बता दें कि ज्यादातर मामलों में बवासीर का इलाज ( Bawasir Ka ilaaj ) की आवश्यकता नहीं होती. ये अपने आप ठीक हो सकती है. लेकिन बवासीर का घरेलु उपचार ( Bawasir ka gharelu upay ) अपना कर इसे कम किया जा सकता है. हालांकि, बवासीर के उपचार ( Bawasir ke Upchar ) से दर्द-पीड़ा और खुजली को कम करने में मदद कर सकते हैं. बवासीर को ख़त्म करने में निम्नलिखित उपचार अपना सकते हैं…

जीवन शैली में परिवर्तन:



उच्च फाइबर आहार खाने से स्थिति को रोकने और इलाज करने में मदद मिल सकती है. एक डॉक्टर शुरू में बवासीर के इलाज ( Bawasir ke ilaaj ) जीवन शैली में बदलाव की करने की हिदायत देती है.
आहार: मल त्याग के दौरान तनाव के कारण पाइल्स हो सकता है. अत्यधिक तनाव कब्ज का परिणाम है. आहार में बदलाव मल को नियमित और नरम रखने में मदद कर सकता है. इसमें अधिक फाइबर खाना शामिल है, जैसे कि फल और सब्जियां, या मुख्य रूप से चोकर आधारित नाश्ता अनाज. ज्यादा से ज्यादा पानी पीना और कैफीन से बचना बवासीर के इलाज में सहायक है.

शरीर का वजन:

अगर आपका वजन बढ़ गया है तो वजन कम करने से बवासीर की घटनाओं और गंभीरता को कम करने में मदद मिल सकती है. बवासीर को रोकने के लिए, डॉक्टर मल को पास करने के लिए व्यायाम करने और तनाव से बचने की सलाह भी देते हैं। बवासीर के लिए व्यायाम मुख्य उपचारों में से एक है।
जुलाब: यदि बवासीर से पीड़ित व्यक्ति कब्ज से पीड़ित हो तो डॉक्टर जुलाब लिख सकता है. ये व्यक्ति को अधिक आसानी से मल पास करने में मदद कर सकते हैं और निचले कोलन पर दबाव कम कर सकते हैं.

बवासीर के प्रकार

Types of Pilesग्रेड I: इस तरह की बवासीर छोटे सूजन होते हैं, आमतौर पर गुदा के अस्तर के अंदर होते हैं जो दिखाई नहीं देते हैं.
ग्रेड II: यह ग्रेड I बवासीर से बड़े होते हैं, लेकिन गुदा के अंदर भी रहते हैं. मल के गुजरने के दौरान उन्हें धक्का लग सकता है, लेकिन वे बिना रुके वापस लौट आएंगे.
ग्रेड III: इन्हें प्रोलैप्सड बवासीर के रूप में भी जाना जाता है, और गुदा के बाहर दिखाई देता है. व्यक्ति उन्हें मलाशय से लटका हुआ महसूस कर सकता है, लेकिन उन्हें आसानी से डाला जा सकता है.
ग्रेड IV: बवासीर की यह सबसे गंभीर अवस्था होती है. इन्हें वापस नहीं धकेला जा सकता है और उपचार की आवश्यकता होती है. ये बड़े होते हैं और गुदा के बाहर रहते हैं.

बवासीर के उपचार

खुनी बवासीर होने पर दही या लस्सी के साथ कच्चा प्याज खाने से फायदा मिलता है।
कैसी भी बवासीर हो कच्ची मूली खाने या उसका रस पीना चाहिए। एक बार में मूली का रस 25 से 50 ग्राम तक ही ले।
आम और जामुन की गुठली के अंदर वाले हिस्से को सुख कर पीस लें और इसका चूर्ण बना ले। रोजाना 1 चम्मच चूर्ण पानी या लस्सी के साथ लेने से खुनी बवासीर में आराम मिलता है।
शरीर में कब्ज़ रहती हो और पेट ठीक से साफ़ न होता हो तो इसबगोल की भूसी का प्रयोग करे।
50 से 60 ग्राम बड़ी इलायची तवे पर भून ले और ठंडी होने के बाद इसे पीस कर चूर्ण बना ले। रोजाना सुबह खाली पेट इस चूर्ण को पानी के साथ लेने से पाइल्स ठीक होती है।
100 ग्राम किशमिश रात को सोने से पहले पानी में भिगो कर रखे और सुबह उस पानी में किशमिश को मसल कर इस पानी का सेवन करें। कुछ दिन निरंतर इस उपाय को करने से बवासीर ठीक होने लगती है।
10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ खाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद होता है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी 1 चम्मच शहद में मिला कर खाने से भी पाइल्स में राहत मिलती है।
अगर आप को बवासीर बार बार होती है तो दोपहर के खाने के बाद लस्सी (छाछ) का सेवन करे। लस्सी में थोड़ा सा सेंधा नमक और अजवाइन मिला कर पिये।

बवासीर की अचूक दवा- हल्दी

हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल रसोई घर में मसालों के रूप में किया जाता है. हल्दी में कईं तरह के एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं जो जख्मों को ठीक करते हैं. ऐसे में यदि आप बवासीर से पीड़ित हैं तो हल्दी आपके लिए रामबाण साबित हो सकती है. इसके लिए आप एक चम्मच देसी घी में आधा चम्मच हल्दी मिला लें और मस्सों पर मलहम की तरह लगा लें. आप इसमें घी की जगह एलोवेरा जेल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. हल्दी से बवासीर के मस्से की दवा के रूप मैं भी इस्तेमाल की जाती है

बवासीर की अचूक दवा- केला

केले में कईं तरह के पौषक तत्व मौजूद होते हैं जो कब्ज़ और बवासीर के लिए उपयोगी साबित होते हैं. इसके लिए आप एक पका हुआ केला लें और उसको बीच से काट लें. अब इस पर थोड़ी मात्रा में कत्था छिडकें अर रात भर इसे खुले आसमान के नीचे पड़ा रहने दें. अगली सुबह इस केले को खाने के 5 से 7 दिन तक आपको बवासीर से राहत मिलेगी.

बवासीर के मस्सों का रामबाण इलाज

80 ग्राम अरंडी के तेल को गरम कर ले फिर इसमें 10 ग्राम कपूर मिला कर रखे। मस्सों को साफ़ पानी से धो कर इसे किसी कपड़े से पोंछ ले और अरंडी के इस तेल से मस्सों पर हलके हाथों से मालिश करे। इस देसी नुस्खे को दिन में 2 बार करने से मस्सों की सूजन, दर्द, खारिश और जलन में आराम मिलता है।
थोड़ी सी हल्दी को सेहुंड के दूध में मिलाकर इसकी 1 बूंद मस्से पर लगाने से मस्सा ठीक हो जाता है। .
सहजन के पत्ते और आक के पत्तों का लेप लगाने से भी मस्सों से जल्दी छुटकारा मिलता है।
कड़वी तोरई के रस में हल्दी और नीम का तेल मिला कर एक लेप बना ले और मस्सों पर लगाये। इस उपाय के निरंतर प्रयोग से हर तरह के मस्से ख़तम हो जाते है।
खूनी और बादी बवासीर का आयुर्वेदिक उपायअंजीर का सेवन पाइल्स के इलाज में बेहद लाभकारी है। रात को सोने से पहले 2 सूखे अंजीर पानी में भिगो कर रखे और सुबह खाएं और 2 अंजीर सुबह भिगो कर रख दे जिसे आप शाम को खाये। अंजीर खाने के आधे से पौना घंटा पहले और बाद में कुछ खाये पिये नहीं। 10 से 12 दिन लगातार इस नुस्खे को करने से खुनी और बादी हर तरीके की बवासीर से राहत मिलती है।

बवासीर की अचूक दवा- लहसुन

लहसुन पेट के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. यह भोजन पचाने में सहायक है और पेट के रोगों से राहत दिलाता है. इसके इलावा यदि आपको पाइल्स की समस्या है तो आप रात में सोने से पहले लहसुन की एक कली को चील कर गुदा के रास्ते से अंदर डाले. हालाँकि यह उपाय शुरू में आपको थोडा दर्द दे सकता है लेकिन इससे आपको जल्दी ही राहत मिलेगी.

बवासीर की अचूक दवा- छाछ

मस्सों वाली बवासीर की अचूक दवा के रूप में छाछ के सेवन का विशेष महत्व है. दरअसल, छाछ की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसके सेवन से बवासीर के मस्से जल्दी ठीक होने लगते हैं. इसके सेवन के लिए आप दो लीटर छाछ में 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा व नमक मिला कर रख दें और जब भी प्यास लगे तो पानी की जगह इसे पी लें. लगातार एक हफ्ते तक इसके सेवन से आपके मस्से ठीक हो जाएंगे और बवासीर से आपको हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा.

बवासीर की अचूक दवा- त्रिफला चूर्ण

आयुर्वेद ग्रंथ में त्रिफला चूर्ण को रामबाण औषधि माना गया है. त्रिफला चूर्ण कईं रोगों में असरदायक माना गया है. वहीँ बवासीर की अचूक दवा के रूप में त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है. इसके लिए आप रात में सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन करें. इससे आपको बहुत जल्द बवासीर के दर्द व मस्सों से राहत मिलेगी. त्रिफला चूर्ण बवासीर के मस्से की दवा के रूप मैं इस्तेमाल किया जाता है.

बवासीर में क्या खाये

करेले का रस, लस्सी, पानी।
दलिया, दही चावल, मूंग दाल की खिचड़ी, देशी घी।
खाना खाने के बाद अमरूद खाना भी फायदेमंद है।
फलों में केला, कच्चा नारियल, आंवला, अंजीर, अनार, पपीता खाये।
सब्जियों में पालक, गाजर, चुकंदर, टमाटर, तोरई, जिमीकंद, मूली खाये।

बवासीर में परहेज क्या करे


बवासीर का उपचार में जितना जरूरी ये जानना है की क्या खाये उससे जादा जरुरी इस बात की जानकारी होना है कि क्या नहीं खाये।तेज मिर्च मसालेदार चटपटे खाने से परहेज करें।
मांस मछली, उड़द की दाल, बासी खाना, खटाई न खाएं।
डिब्बा बंद भोजन, आलू, बैंगन।
शराब, तम्बाकू।
जादा चाय और कॉफ़ी के सेवन से भी बचे।

बवासीर से बचने के उपाय

दोस्तों बहुत से लोग इस बीमारी से प्रभावित है पर हम कुछ बातों का ध्यान रख कर इससे बच सकते है।खाने पीने की बुरी आदतों से परहेज करे जैसे धूम्रपान और शराब।
खाने में मसालेदार और तेज मिर्च वाली चीजें न खाये।
पेट से जुड़ी बीमारियों से बचे।
कब्ज़ की समस्या बवासीर का प्रमुख कारण है इसलिए शरीर में कब्ज़ न होने दे।
गर्मियों के मौसम में दोपहर को पानी की टंकी का पानी गर्म हो जाता है, उसे पानी से गुदा को धोने से बचें।
चिकित्सा परामर्श-


बवासीर में मलाशय और गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से असुविधा होता है और खून भी बहता है।तकलीफ  खास तौर पर बैठते समय या मल त्याग के दौरान होती है|दूसरे लक्षणों में खुजली और खून बहना शामिल है।बवासीर रोग को जड़ से नष्ट करने मे हर्बल चिकित्सा सर्वोत्तम प्रभावकारी सिद्ध हुई है "दामोदर चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र"  9826795656 निर्मित " दामोदर अर्श कल्याण" औषधि खूनी और बादी  दोनों तरह की बवासीर  मे आशातीत लाभकारी सिद्ध हुई है।