29.8.21

सेहत के लिए रामबाण है लौंग:loung ke gun



भारतीय किचन में कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. यह मसालें खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं. इन्हीं में से हम बात कर रहे हैं लौंग की. लौंग खाने में जायका बढ़ाने और खुशबू लाने के साथ ही सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. लौंग  का इस्तेमाल कई तरह की डिशेज में किया जाता है. आयुर्वेद मे भी लौंग के कई फायदे बताए गए हैं. ऐसे में अगर आप रोजाना अपने दिन की शुरुआत 2 लौंग से करते हैं तो आपकी सेहत पर कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं.

लौंग के औषधीय गुण

लौंग के औषधीय गुण की वजह से ही सदियों से इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। इसके अलावा, इसमें एंटी-वायरल और एनाल्जेसिक गुण भी है, जो कई तरह से शरीर को फायदा पहुंचा सकते हैं। शायद इसी वजह से सदियों से आयुर्वेद में लौंग के फायदे का इस्तेमाल लोगों को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता रहा है।

ओरल हेल्थ


लौंग की कलियां ओरल माइक्रो ऑर्गेनिज्म (मुंह में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म जीवों) को 70 प्रतिशत कम कर सकती हैं। इसी वजह से कई टूथपेस्ट में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी, टी-ट्री ऑयल के साथ लौंग का इस्तेमाल करके घर पर ही बनाया गया माउथ वॉश ओरल हेल्थ को बेहतर रख सकता है |लौंग का तेल भी विभिन्न पीरियडोंटल पैथोजेन से बचाव कर सकता है। यह वो बैक्टीरिया होते हैं, जो मसूड़ों में इंफेक्शन का कारण बनते हैं । दांतों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए लौंग काफी फायदेमंद माना जाता है। लौंग में यूजेनॉल नामक तत्व दांतों के दर्द को कम करने का काम कर सकता है। यह प्लाक और कैरिज से भी दांतों को बचा सकता है

कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक है. अब बच्चे और युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं ऐसे में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए ल लौंग का सेवन करना फायदेमंद होता है. लौंग कोरोना के संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.

सुधारे डाइजेशन

लौंग गैस्ट्रिक रस के स्राव में सुधार लाकर पाचन की प्रक्रिया को सुधारता है. लौंग पेट की कई परेशानियों में फायदा करता है जैसे गैस, जलन, अपच और उल्‍टी.

सर्दी-खांसी

लौंग के गुण में खांसी और सर्दी से बचाव भी शामिल है। लौंग में एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव होता है, जो सर्दी और खांसी को कम कर सकता है। दरअसल, यह एक्सपेक्टोरेंट की तरह काम करता है, जो पूरे बलगम को मुंह से निकालकर ऊपरी श्वसन तंत्र को साफ कर सकता है|

डायबिटीज


लौंग का इस्तेमाल मधुमेह को कुछ हद तक नियंत्रित करना भी शामिल है। मधुमेह वो चिकित्सकीय स्थिति है, जिसके अंतर्गत रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है। लौंग ब्लड ग्लूकोज को कम करके डायबिटीज को कंट्रोल कर सकता है
एक अन्य शोध में कहा गया है कि लौंग में एंटीहाइपरग्लाइसेमिक, हाइपोलिपिडेमिक और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। यह डायबिटीज की समस्या को कम करने के साथ ही लिपिड में सुधार करने और लिवर को बचाने का काम कर सकता है । लोंग के साथ ही लौंग का तेल भी ग्लूकोज को कम करने, लिपिड प्रोफाइल को सुधारने और किडनी संबंधी समस्या से डायबिटीज के मरीजों को बचाने का काम कर सकता है|

इंफ्लेमेशन से लड़ने के लिए

लौंग इंफ्लेमेशन से लड़ने में भी मददगार हो सकता है। लौंग में यूजेनॉल  नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो शरीर में एंटीइंफ्लेमेटरी एंजेंट की तरह कार्य कर सकता है। यह कंपाउंड इंफ्लेमेशन के कारण होने वाली बीमारियों और स्किन संबंधी समस्याओं से बचाने का काम कर सकता है । इंफ्लेमेशन की वजह से होने वाले एक्ने को कम करने में भी लौंग लाभदायक हो सकता है

दांत दर्द में राहत

ज्‍यादातर टूथपेस्‍ट में लौंग एक प्रमुख इंग्रिडेंट होता है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि लौंग दांत दर्द में राहत देता है. लौंग में कुछ समय के लिए दर्द को दबाने की ताकत होती है. अगर आपके दांत में तेज दर्द हो तो रूई के फाये में थोड़ा सा लौंग का तेल लगाएं और फिर जिस दांत में दर्द हो रहा है वहां पर इसे लगाएं. आपको तुरंत राहत मिलेगी.


लौंग के तेल में एंटी-माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज़ होती हैं. इस वजह से ये कील-मुंहासों को भगाने में काफी असरदार है. साथ ही यह इन मुंहासों को आपके चेहरे पर फैलने से भी रोकता है. लौंग में शरीर की सफाई करने वाले तत्‍व भी पाए जाते हैं जो आपको मुंहासों की जलन से राहत दिलाने में भी मदद करते हैं. आप चाहें तो लौंग का फेस पैक बना सकते हैं या अपनी क्रीम में मिलाकर भी इसका इस्‍तेमाल कर सकते हैं.

हड्डियों के लिए लौंग

हड्डियों को मजबूत बनाने में भी लौंग सहायक हो सकता है। दरअसल, लौंग में मैंगनीज होता है, जो हड्डियों को मजबूत बना सकता है । एक रिसर्च में कहा गया है कि लौंग के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में मौजूद यूजेनॉल हाइपोगोनैडल ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी संबंधी रोग) के खिलाफ लड़कर हड्डी-संरक्षण का कार्य कर सकता है ।

कान का दर्द

लौंग के फायदे में कान के दर्द से राहत दिलाना भी शामिल है। कान के दर्द के लिए लौंग के तेल को उसमें मौजूद दर्द निवारक और एनेस्थेटिक नेचर की वजह से इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे थोड़े समय के लिए दर्द का एहसास कम व खत्म हो सकता है। लौंग के तेल को अन्य तेल के साथ मिलाकर कॉटन की मदद से एयर कैनाल के पास रखा जा सकता है। इससे दर्द कम होने के साथ ही कान के संक्रमण से भी राहत मिल सकती है

बढ़ाए इम्‍यूनिटी

लौंग आपकी इम्‍यूनिटी बढ़ाकर इंफेक्‍शन और सर्दी-जुकाम से आपकी रक्षा करता है. यह एंटी-ऑक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर है जो आपकी स्‍किन और मजबूत इम्‍यूनिटी सिस्‍टम के लिए बेहद जरूरी है.


सिर दर्द को रोकने में मददगार- 

लौंग सिर दर्द का सबसे अच्छा इलाज है. राहत पाने के लिए एक ग्लास दूध के साथ लौंग का पाउडर भी पी सकते हैं. लौंग का तेल कनपटी पर लगाने से भी आपको राहत मिलती है|

स्ट्रेस के लिए लौंग खाने के फायदे

लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो तनाव की वजह से होने वाले पैथोलॉजिकल परिवर्तनों की रोकथाम में मदद कर सकता है। शोध में कहा गया है कि लौंग में मौजूद एंटी-स्ट्रेस एक्टिविटी तनाव को कम तो कर सकती है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि लौंग किस तरह तनाव से बचा सकता है ।
लौंग का तेल संचार प्रणाली को उत्तेजित यानी स्ट्यूमिलेट करता है और मानसिक थकावट व थकान को कम कर सकता है। इसे अनिद्रा, स्मृति हानि, चिंता और अवसाद को कम करने में सहायक माना जाता है|

कैंसर के लिए लौंग के लाभ


मेडिकल शोध के अनुसार लौंग ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है। लौंग के एथिल एसीटेट अर्क में एंटी-ट्यूमर गतिविधि पाई गई है, जिस वजह से इसका इस्तेमाल कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए किया जा सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि ओलिक एसिड की मौजूदगी की वजह से लौंग एंटी-ट्यूमर प्रभाव को प्रदर्शित कर सकता है । रिसर्च में लौंग के एंटी-ट्यूमर प्रभाव की क्षमता को जांचने के लिए अधिक शोध की सलाह दी गई है।

साइनस

नाक में जलन से राहत दिलाने में लौंग बहुत फायदेमंद है. अगर लौंग को लंबे समय तक डाइट में शामिल किया जाए तो यह साइनस से काफी हद तक छुटकारा दिला सकता है. आप साबुत लौंग को सूंघकर भी इसका फायदा ले सकते हैं. गर्म पानी में रोजाना तीन-चार चम्‍मच लौंग का तेल मिलाकर पीने से इंफेक्‍शन नहीं होता है और सांस लेना भी आसान हो जाता है.

अस्थमा के लिए लौंग के उपाय

लौंग में यूजेनॉल कंपाउंड होता है, जिसे अस्थमा के लिए अच्छा माना जाता है। एक शोध के अनुसार, यह कंपाउंड एंटीअस्थमेटिक प्रभाव को प्रदर्शित करता है, जिस वजह से अस्थमा से होने वाली परेशानी को कम करने में लौंग सहायता कर सकता है। रिसर्च में कहा गया है कि लौंग में मौजूद ब्रोन्कोडायलेटर और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुणों की वजह से यह एंटी-अस्थमेटिक ड्रग जैसी क्षमता दिखा सकता है ।
लौंग के तेल की सुगंध नाक की नली को साफ करने में मदद करते हैं। साथ ही अस्थमा, खांसी, जुकाम, साइनस, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं को शांत कर सकते हैं। अस्थमा से राहत पाने के लिए लौंग व इसके तेल के साथ शहद और लहसुन के मिश्रण का सेवन किया जा सकता है

 मॉर्निंग सिकनेस

लौंग एंटीसेप्टिक है. यह अपच को ठीक करने के साथ ही आपको उल्‍टी और मिचली से भी राहत दिलाता है. यह प्रेग्‍नेंट महिलाओं के लिए तो बहुत ही गुणकारी है. प्रेग्‍नेंसी के शुरुआती महीनों में ज्‍यादातर महिलाओं को सुबह के वक्‍त उल्‍टी की श‍िकायत रहती है. ऐसे में उन्‍हें लौंग चूसने की सलाह दी जाती है.

वजन कम करने के लिए लवंग खाने के फायदे

वजन कम करने में लौंग भी मदद कर सकता है। पौष्टिक डाइट के साथ ही नियमित रूप से लौंग का सेवन वजन नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।लौंग मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देकर वैट मैनेजमेंट में मदद कर सकता है। घरेलू उपाय के साथ ही वजन कम करने के लिए योग व एक्सरसाइज करना भी जरूरी है।

टेस्टोस्टेरोन के स्तर के लिए लौंग

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि लौंग का प्रयोग अगर संयमित मात्रा किया जाए, तो यह टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में मदद कर सकता है। हालांकि, रिसर्च में कहा गया है कि इसकी अधिक मात्रा टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को कम भी कर सकती है
********************

28.8.21

खारक खजूर छुहारे खाने के फायदे और नुकसान:kharak ke fayde




आयुर्वेद के अनुसार खारक ( खजूर ) मधुर, पौष्टिक, बलवर्धक, श्रमहारक, पीतनाशक, वीर्य वर्धक और शीतल गुणों वाला होता है. खजूर यानि खारक में विटामिन, प्रोटीन, रेशे, कार्बोहाइड्रेट और शर्करा होने की वजह से इसे संपूर्ण आहार कहा जाता है. इसलिए उसे सभी उपवास में शरीर के संघर्षण की आपूर्ति के लिए सेवन किया जाता है. वही ताजे हरे खजूर का रायता बनाया जाता है. खजूर की चटनी भी बनाई जाती है. केक और पुडिंग में भी खजूर का उपयोग किया जाता है. खजूर में विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी में पाई जाती है.

 सर्दियों के मौसम में छुहारा खाना सेहत के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। यह अन्य सूखे मेवो से अधिक पसंद किया जाता है। आपको बता दे जिस तरह अंगूर को सुखाकर किशमिश व मुनक्का प्राप्त होता है, उसी तरह खजूर को सुखाकर छुहारा प्राप्त किया जाता है। इसमें बहुत से विटामिन और खनिज पाए जाते है, इसके अलावा घुलनशील फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन क्रिया को मजबूत करने में मदद करता है। छुहारा आंखो की रोशनी को बढ़ाने में व हड्डियों को मजबूत करने में फायदेमंद साबित होता है
*रेगुलर 3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा।
 * यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा।
*साइटिका के रोगियो को छुहारा खाना चाइए। यह बहुत फायदेमंद है। सायटिका के रोगियों में कमर से नीचे का हिस्सा या तो सुन्न हो जाता है या उस में सूजन आ जाती है और लगातार उसमें दर्द रहता है तो अगर सायटिका के रोगी अपनी डाइट में छुहारा ऐड करते हैं तो उनको इस तकलीफ से आराम मिल सकता है। लेकिन साइटिका का दर्द छुहारा खाने से बिल्कुल खत्म नहीं हो सकता। इसके लिए आपको रेगुलर एक्सरसाइज करनी होगी और अपने डाइट पर भी ध्यान देना होगा। जिसे आप आंतव्रण यानी अल्सर, एसिडिटी जैसी बीमारियों को ठीक करने में मददगार होता है.

बच्चों की कमजोरी दूर करने के लिए-

अगर कोई बच्चा कमजोर है तो उसकी अच्छी सेहत के लिए प्रतिदिन एक खजूर 10 ग्राम चावल के पानी में पीस लें उसी में थोड़ा पानी मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं. बढ़ती उम्र के बच्चों को खारक घी में भिगोकर खिलाए. नियमित तौर पर खजूर खाने से वजन बढ़ने में एवं शरीर बलवान होने में मदद मिलती है. जोड़ों को स्नेहन दिलाता है तथा खारक हड्डियों को मजबूत बनाता है.

ढलती उम्र वालों के लिए-

ढलती उम्र के लोगों को खारक और गर्म दूध नियमित तौर पर सेवन करते रहने से शक्ति बढ़ती है तथा शरीर में नया खून का निर्माण होता रहता है. जिससे उन्हें कमजोरी की समस्या नहीं होती है.

महिलाओं का पैर और कमर दर्द-

ज्यादातर महिलाएं पैर और कमर दर्द की समस्या से परेशान रहती हैं. ऐसे में 5 खजूर आधा चम्मच मेथी के साथ दो गिलास पानी में उबालकर एक ग्लास बचने पर गुनगुना पीने से कुछ ही दिनों में राहत मिलती है.

त्वचा को स्वस्थ रखने में – 

त्वचा को स्वस्थ बनाये रखने के लिए छुहारा बहुत फायदेमंद होता है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व है जो त्वचा को पोषक तत्व प्रदान करते है जिससे त्वचा स्वस्थ और जवान दिखने लगती है। इसमें अच्छी मात्रा में जिंक होता है यह झुर्रिया की समस्या को कम करता है। इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट उपस्थित होता है। यह त्वचा के फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करता है।

मांसपेशियो को मजबूत बनाने में – 

छुहारा का सेवन रोजाना करने से मांसपेशिया मजबूत होती है। इसमें उच्च मात्रा में केल्शियम, पोटेशियम उपस्तिथ है। शारीरिक मांसपेशियो के साथ-साथ हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दूध के साथ छुहारा का सेवन करे और हड्डियों को मजबूत बनाये। 

रूखे बालो के लिए – 

नुकसान-

यह ब्लड शुगर लेवेल को बढ़ा देता है। तो अगर आपका शुगर लेवेल ज्यादा रहता है तो आप इसका सेवन न करे।
अगर आप वेट कम करना चाहते है तो भी इसका सेवन न करे क्योकि यह आपका वजन बढ़ा सकता है।
इसमे फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है तो अगर आप ज्यादा मात्रा मे इसका सेवन करते है तो आपको पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
कुछ लोगो को इससे एलर्जि भी होती है तो इस चीज का ध्यान मे रख कर ही इसका सेवन करे। अगर आपको इसके सेवन के बाद कोई दिक्कत होती है तो आप इसका सेवन बंद कर दें। क्योंकि यह एलर्जी रिएक्शन हो सकता है। और अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको एलर्जी रिएक्शन हुआ है तो आप डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
 इसकी ज्यादा मात्रा मे इस्तेमाल न करे आप 3 से 6 छुहारे एक टाइम इस्तेमाल कर सकते है।

**************
खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क

जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार

अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि


26.8.21

एक्जिमा के लक्षण कारण और घरेलू इलाज:eczema treatment



 

एक्जिमा एक तरह की त्वचा संबंधी समस्या है, जिसका असर आपकी त्वचा पर होता है। इसमें आपको खुजली, त्वचा पर लाल निशान और सूजन जैसी समस्या हो सकती हैं। यह रोग त्वचा में नमी के कम होने से हो सकता है। इसकी वजह से त्वचा में खुजली और जलन होने लगती है। अधिक खुजलाने पर त्वचा छिल भी सकती है, जो घाव के रूप में परिवर्तित होकर एक्जिमा को बढ़ावा दे सकती हैं


एक्जिमा के लक्षण


एक्जिमा का मुख्य लक्षण खुजली है. इसमें खुजली वाली जगह पर लाल या भूरे रंग के पैच बन जाते हैं. इसमें कभी-कभी जलन भी होने लगता है. बार-बार खुजली करने का मन करता है. खुजली करने के बाद कभी-कभी दाने की तरह उभार भी निकल आते हैं. कभी-कभी सूजन भी पड़ने लगने लगता जिसके बाद स्किन का रंग पीला पड़ने लगता है. आमतौर पर यह हाथ, अंडरआर्म, बैक और घुटनों में होता है. हालांकि यह खतरनाक बीमारी नहीं है लेकिन सही समय पर इलाज नहीं करने से स्किन में लंबे समय तक के लिए परेशानी हो सकती है.

एक्जिमा के प्रकार

एक्जिमा को उसके प्रभाव के अनुसार वर्गीकृत किया गया है।
एटोपिक डर्मेटाइटिस: इसकी शुरुआत सामान्य खुजली से होती है। यह बच्चों और दमे के मरीज को जल्दी प्रभावित करता है ।
इर्रिटेन्ट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस: यह बीमारी त्वचा के डिटर्जेंट और एसिड के संपर्क में आने से उत्पन्न होता है। यह भी एक तरह का एक्जिमा रोग है ।

स्टैसिस डर्मेटाइटिस: 

यह शरीर में रक्त का संचार ठीक तरह से न होने के कारण होता है। शरीर में खुजली और भूरे रंग का निशान होना स्टैसिस डर्मेटाइटिस का लक्षण है ।
एलर्जिक: यह समस्या रासायनिक चीजों के संपर्क में आने के कारण हो सकती है। इस बीमारी के कारण आपकी त्वचा में सूजन आ सकती है ।

चर्मरोग:

यह भी एक तरह का एक्जिमा है। ज्यादा खुजली करने से आपकी त्वचा में संक्रमण हो सकता है। खुजली से संक्रमण पूरे शरीर में फैल कर बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकता है । वहीं, लगातार खुजली करने से त्वचा में दाद की समस्या हो जाती है। जिसे कई लोग एक्जिमा का ही रूप समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दाद एक्जिमा नहीं होता है।

डिशिड्रोटिक एक्जिमा:

इसका असर हाथ और पैरों पर दिखने को मिलता है। यह आपकी त्वचा में भी फैल सकता है।

सेबोरिक डर्मेटाइटिस: 

यह कान, छाती, पीठ और स्कैल्प को प्रभावित करता है। यह बालों से झड़ने वाली रूसी की वजह से होता है ।

नुम्मूलर एक्जिमा: 

इस तरह के एक्जिमा में गोल घाव हो जाते हैं, जिसमें खुजली होती है। यह अक्सर गले के पास होता है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है ।

जेरोटिक एक्जिमा:

ऐसा अमूमन ठंड के दिनों में होता है। इस तरह का एक्जिमा रूखी त्वचा के कारण होता है

एक्जिमा के कारण

हालांकि एक्जिमा का सटीक कारण अब तक पता नहीं है. माना जाता है कि यह वंशानुगत (अनुवांशिक) और मौसम में नमी आने के कारण होता है. बैक्टीरियल संक्रमण के कारण भी एक्जिमा होता है. यह मुख्यतः स्टेफिलोकोकस ऑरियस  नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. इसके अलावा किसी प्रकार की एलर्जी के कारण जैसे- डेंड्रफ मोल्ड, पराग कण, घरेलू जानवरों के संपर्क में आने, या धूल-मिट्टी के संपर्क में आने के कारण भी हो सकता है. ठंडे और गर्म तापमान में तुरन्त जाना या नमीयुक्त और आर्द्रतायुक्त वातावरण के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है. एक्जिमा तनाव के कारण भी हो सकता है.

एक्जिमा के घरेलू उपचार

एक्जिमा के उपचार के लिए नारियल तेल
सामग्री :
थोड़ा-सा नारियल का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
तेल को एक्जिमा प्रभावित जगह पर सीधे लगा सकते हैं।
बेहतर परिणाम के लिए पूरी रात लगे रहने दें।
कितने बार करें :
हर रात को सोने से पहले इसे लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
नारियल के तेल में प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। नारियल तेल की यह विशेषता आपको त्वचा संबंधी बीमारियों से छुटकारा दिला सकती है और उन्हीं बीमारियों में से एक एक्जिमा भी है। इसे त्वचा पर लगाने से बैक्टीरिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है

एलोवेरा से इलाज 

सामग्री :
एलोवेरा का पत्ता
कैसे करें इस्तेमाल :
एलोवेरा के पत्ते से जेल को निकाल लें।
जेल को एक्जिमा प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
कितने बार करें :
जल्दी प्रभाव के लिए प्रतिदिन लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
एलोवेरा की सहायता से आप घर में ही एक्जिमा का इलाज कर सकते हैं। इसका जेल आपको ठंडक के साथ-साथ खुजली की समस्या से भी राहत दिला सकता है। इस प्रकार एक्जिमा से छुटकारा पाया जा सकता है
शहद से एक्जिमा का इलाज
सामग्री :
2 चम्मच शहद
2 चम्मच दालचीनी
कैसे करें उपयोग :
शहद और दालचीनी को अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना लें।
फिर एक्जिमा प्रभावित जगह को पानी से धोकर सुखा लें।
इसके बाद पेस्ट को लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें।
जब पेस्ट सूख जाए, तो पानी से धो लें।
कैसे है लाभदायक :
स्वाद में मीठे शहद का उपयोग बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है। एक्जिमा के लिए शहद कारगर इलाज साबित हो सकता है। शहद में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो घाव को भरने में मदद करते हैं । वहीं, दालचीनी में भी एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एक्जिमा जैसी त्वचा संबंधी समस्या से राहत दिला सकते हैं

नीम का उपयोग

सामग्री :

नीम के तेल की 10-12 बूंदें
एक चौथाई जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल :
इन दोनों सामग्रियों को आपस में मिला लें।
फिर इसे प्रभावित जगह पर लगाएं।
कितने बार करें :
प्रतिदिन इसका उपयोग करें ।
कैसे है लाभदायक :
नीम में एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इन सभी गुणों के कारण ही नीम त्वचा से जुड़ी विभिन्न बीमारियों के लिए कारगर है। नीम से न सिर्फ त्वचा की बाहरी समस्या को ठीक हो सकती है, बल्कि इसके सेवन से अंदरूनी बीमारियों को भी ठीक किया जा सकता है। नीम शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को पूरी तरह खत्म कर सकती है

मुलेठी से एक्जिमा का उपचार

सामग्री :
मुलेठी की जड़ का चूर्ण
पानी (आवश्यकतानुसार)
कैसे करें इस्तेमाल :
मुलेठी के जड़ से बने चूर्ण को पानी में मिक्स करके पेस्ट बना लें।
फिर इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाएं।
कैसे है लाभदायक :
मुलेठी में एंटीसेप्टिक व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। एक्जिमा के इलाज के लिए इसे वर्षों से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है

एक्जिमा के उपचार के लिए हल्दी

सामग्री :
थोड़ा-सा हल्दी पाउडर
पानी
दूध
गुलाब जल
कैसे करें उपयोग :
हल्दी पाउडर को पानी में मिलकर पेस्ट बना लें।
पेस्ट में दूध या फिर गुलाब जल मिलकर एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगा लें।
कुछ समय तक इसे सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितनी बार करे :
आप इसे हफ्ते में 4 बार लगा सकते हैं।
कैसे है लाभदायक :
कई वर्षों से हल्दी को आयुर्वेदिक दवाई के रूप में रोग मुक्त व खूबसूरत त्वचा के लिए उपयोग किया जा रहा है। हल्दी में करक्यूमिन नामक खास तत्व पाया जाता है, जो एंटीसेप्टिक, एंटीइंफ्लेमेटरी व एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। हल्दी से घाव को भरने में मदद मिलती है। साथ ही त्वचा संबंधी एलर्जी का भी इलाज किया जा सकता है

अलसी का तेल

सामग्री:
1 चम्मच नींबू का रस
1 चम्मच अलसी का तेल
कैसे करें :
नींबू के रस और अलसी के तेल को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें।
फिर इसे एक्जिमा प्रभावित जगह पर लगाएं।
कुछ समय तक सूखने दें और फिर पानी से धो लें।
कितने बार करें :
जल्दी परिणाम के लिए दिन में कम से कम एक बार तो जरूर उपयोग करें।
कैसे है लाभदायक :
अलसी के तेल को आयुर्वेदिक दवाई की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक्जिमा के उपचार में कारगर है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में हो रही जलन कम होती है, रूखापन कम होता है और त्वचा हाइड्रेट रहती है। वैज्ञानिक अध्ययन में भी पाया गया है कि प्रतिदिन अलसी इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोगों को दूर किया जा सकता है

तुलसी का प्रयोग कर एक्जिमा से पाएं मुक्ति

तुलसी का एंटी- माइक्रोबियल गुण स्किन को इन्फेक्शन से बचाता है l यह स्किन की जलन कम करता है और फुंसी आदि को भी ठीक करता है l

उपयोग का तरीका

तुलसी के कुछ पत्ते तोड़ कर इसका रस निकाल लें l रस निकालने के लिए आप पतले सूती कपड़े या मलमल का इस्तेमाल कर सकते हैं l अब इस रस को एक्जिमा वाली जगह पर लगाएं और सूखने का इन्तजार करें l सूख जाने के बाद सादे पानी से धो लें l ऐसा आप रोजाना भी कर सकते हैं l तुलसी की चाय पीने से भी एक्जिमा से राहत मिल सकती है l

एक्जिमा में आहार – क्या खाएं और क्या न खाएं

गलत खान-पान की वजह से एक्जिमा की समस्या बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में आपको क्या खाना है और क्या नहीं, यहां हम इसी बारे में बता रहे हैं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। इसके लिए टूना, सार्डिन, अल्बाकोर और हेरिंग मछली सबसे अच्छी होती है।
शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बनाए रखने में सहायक होने वाले चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे – गेहूं, सोया, लौंग, दालचीनी व टमाटर आदि।
सब्जी और फल का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, जैसे कि ब्रोकली, पालक, गोभी, चेरी व सेब आदि।
कुछ चीजे ऐसी भी हैं, जो एक्जिमा को बढ़ाने का कारण बन सकती हैं
अंडे
दूध
नट्स
सोया
ग्लूटेन युक्त अनाज
जिन लोगों को डिसहाइड्रोटिक एक्जिमा - इसमें पैर और हाथ प्रभावित होते हैं) हो, उन्हें इन खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित रूप से करना चाहिए।
ब्लैक टी
चॉकलेट
मसूर
शैल फिश
बीन्स
एक्जिमा से बचाव

गुनगुने पानी से नहाना– 

गुनगुने पानी में नहाने से शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया खत्म हो सकता है। इससे एक्जिमा फैलाने वाले संक्रामक बढ़ाने से रुक सकता है और एक्जिमा रोग होने से बचा जा सकता है।

मॉइस्चराइज–
त्वचा को मॉइस्चराइज रखने से भी एक्जिमा के रोग से बचा जा सकता है। त्वचा में नमी (मॉइस्चराइज) होने के कारण खुजली की समस्या नहीं होती है, जिससे एक्जिमा होने का जोखिम नहीं होता है। इसके लिए आप मॉइस्चराइजिंग क्रीम का भी उपयोग कर सकते हैं।

नाखून–

अगर आप त्वचा को नाखून से खरोंचते हैं, तो इस आदत को दूर कर एक्जिमा के रोग से दूर रह सकते हैं। कई बार खरोंच से आपके नाखून में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा में चले जाते हैं, जिससे एक्जिमा हो सकता है।
*****************


25.8.21

घुटनों के दर्द में अपनाएं ये घरेलू उपाय:ghutano ka dard



घुटनों का दर्द


घुटने में दर्द होना आज आम बात हो गई है । भारत में हर तीसरा व्यक्ति इस बीमारी का शिकार है और बढ़ती उम्र के साथ यह बीमारी सामान्य हो गई है। आज ये हालात हैं कि जो भी व्यक्ति 40 साल की उम्र पूरी करता है, उसे घुटनों में दर्द होना महसूस हो रहा है ।

क्यों होता है घुटनों में दर्द


घुटनों का ये दर्द मुख्य रुप से कईं कारणों से हो सकता है लेकिन जब खून में यूरीक एसिड बढ़ जाता है, तब घुटनों में दर्द की यह समस्या उत्पन्न होती है। घुटनों पर अधिक दवाब से सूजन भी दर्द का कारण बन सकती है ।
घुटनों में दर्द की समस्या अब बड़े-बूढों तक ही सीमित नहीं है बल्कि नौजवानों में भी दिक्कतें सामने आ रही हैं ।
घुटने का दर्द बहुत आम समस्या है और काफी परेशान कर सकती है। घुटने के दर्द के अलावा अन्य कई लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे घुटने में सूजन, बाएं घुटने का दर्द, दाहिने घुटने का दर्द, घुटने की टोपी के आसपास दर्द; घुटने के जोड़ों में अकड़न और दर्द। यह दर्द विभिन्न प्रकार के कारण से हो सकता है जिनमें प्रमुख हैं : ऑस्टियोआर्थराइटिस या घुटने की गठिया, मेनिस्कस टीयर, रनर्स नी, बर्साइटिस नी, घुटने में लिगामेंट इंजरी और अन्य घुटने की चोट शामिल हैं।

हल्दी दूध

घुटनों या अन्य जोड़ों के दर्द में हल्दी दूध का सेवन भी काफी आराम देता है. एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर, रात को सोने से पहले पीने से दर्द से राहत मिलती है. हल्दी पाउडर की जगह अगर आप कच्ची हल्दी को पीसकर दूध में मिलाकर पीते हैं, तो और भी जल्दी आराम मिलता है.

एलोवेरा

घुटनों के दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द में ऐलोवेरा फायदा पहुंचाता है. दर्द होने पर एलोवेरा का गूदा (Pulp) निकाल कर उसमें हल्दी पाउडर मिलाकर, गर्म करके, दर्द वाली जगह पर बांधना चाहिए. इससे दर्द और सूजन में जल्दी आराम मिलता है.

तुलसी का रस

दर्द चाहें घुटने में हो या फिर शरीर के किसी अन्य जोड़ में, तुलसी के रस का सेवन बहुत फायदा पहुंचाता है. इसके लिए एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस निकालिये और उसको एक गिलास गुनगने पानी में मिलाकर पीजिये. ऐसा प्रतिदिन करने से दर्द में आराम मिलेगा.

शहद और घी के साथ त्रिफला

शहद के साथ त्रिफला पाउडर का सेवन करने से घुटने के दर्द से आराम मिलता है.आधा चम्मच त्रिफला पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाएं. साथ ही इसमें आधा चम्मच देशी घी भी मिलाएं. हर रोज़ सुबह इसका सेवन करने से दर्द में आराम मिलता है.

अदरक

अदरक का प्रयोग भी घुटनों के दर्द से आराम दिलाता है. इसका इस्तेमाल सर्दी के दिनों में ज़रूर करना चाहिए. चाय, सब्ज़ी, चटनी और अचार के माध्यम से अदरक का सेवन प्रतिदिन ज़रूर करते रहें. ये केवल घुटनों के दर्द के लिए ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि अन्य जोड़ों के दर्द और सूजन के साथ खांसी-ज़ुकाम और सांस रोग में भी राहत देती है.

घुटनों के दर्द का रामबाण नुस्खा 


इस ड्रिंक का कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। इसे पीने से न सिर्फ घुटनों का दर्द ठीक होता है बल्‍कि शरीर को ताकत भी मिलती है। सलाह दी जाती है कि इस ड्रिंक को रात में सोने से पहले पीना चाहिए। 20 दिनों तक इस पेय का सेवन करने से घुटनों के दर्द में काफी ज्‍यादा आराम मिलता है। वे लोग जिनके घुटनों में काफी ज्‍यादा तकलीफ रहती है वो इसे कम से कम 2 महीनों तक रोज पीएं अब चलिए जानते हैं 

इसे बनाने की विधि-

1 या आधा छोटा चम्‍मच काली मिर्च
1 छोटा चम्‍मच जीरा
1 छोटा चम्‍मच - मेथी दाना
इसे बनाने के लिए सबसे पहले हम मेथी को मिक्‍सर जार में डालकर ग्राईण्ड करेंगे।
उसके बाद इसे छन्नी की मदद से एक बार छान लेंगे। और फिर इसे एक अलग कटोरे में रख लेंगे।
अब काली मिर्च के दानों को मिक्‍सी में पीसकर उसके पावडर को छान लेंगे।
अब आखिर में हम जीरे को भी ग्राइंड कर लेंगे और पाउडर को छान कर कटोरे में रख लेंगे।
अब इन सभी पावडर को एक साथ मिक्‍स करें और एक एयर टाइट कंटेनर में डाल दें।
अब एक गिलास पानी में आधा चम्‍मच तैयार पावडर डालें।
इसे अच्‍छी तहर से मिक्‍स करें और लीजिये आपका डिंक पीने के लिए तैयार है।
यह ड्रिंक आपको थोड़ा सा तीखा लग सकता है इसलिये अगर आप चाहें तो इसमें थोड़ा सा गुड मिक्‍स कर सकते हैं।
*मेथी का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। यदि आप मधुमेह के रोगी हैं तो एक चम्मच मेथी का सेवन करने से शुगर लेवल कंट्रोल रहेगा। इसे नियमित लेने से घुटनों का दर्द दूर होता है।
*अधिक वजन वाले लोगों को घुटनों में दर्द की समस्‍या काफी आम रहती है। इसलिए ये जीरा का पानी या केवल जीरा चबाने से भी वजन कम करने में मदद मिलती है। जीरा आयरन से भरपूर होता है। इसके अलावा यह आपके ब्‍लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। बताए गए इस ड्र्रिंक को पीने से आप सारा दिन हाइड्रेट भी रहेंगे।
*काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपरिन एंटीऑक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुणों के कारण घुटनों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
*कई प्रकार के दर्द को ठीक करने के लिए हल्दी का उपयोग हमारे घरों में लंबे समय से ही होता रहा है। वहीं, सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर इस्तेमाल करने से घुटनों के दर्द को ठीक करने में सक्रिय रूप से मदद मिलती है। ऐसा इसलिए भी मुमकिन हो सकता है
*कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर बनाए पैड से सिंकाई करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।
* भोजन में दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। गर्म तासीर वाले इन पदाथार्ें के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है।
* मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिला कर तवे या कढ़ाई में भून कर पीस लें। रोजाना एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम भोजन करने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
* रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी के पिसे दानों में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और किसी प्रकार का दर्द नहीं होगा।
* सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं।
* हल्दी चूर्ण, गुड़, मेथी दाना पाउडर और पानी सामान मात्रा में मिलाएं। थोड़ा गर्म करके इनका लेप रात को घुटनों पर लगाएं और पट्टी बांधकर लेटें।
* अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
* बराबर मात्रा में नीम और अरंडी के तेल को हल्का गर्म करके सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें।
* मालिश के लिए आप इन चीजों से भी तेल बना सकते हैं। 50 ग्राम लहसुन, 25 ग्राम अजवायन और10 ग्राम लौंग 200 ग्राम सरसों के तेल में पका कर जला दें। ठंडा होने पर कांच की बोतल में छान कर रख लें। इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करें।
* गेहूं के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। इसे 90 दिन तक लेने से कैल्शियम की कमी दूर होगी।
********************



सफ़ेद आक मदार का पौधा कई रोगों मे फायदेमंद :safed ankade ke fayde



 

  श्वेतार्क (Calotropis Gigantea) एक औषधीय पादप है इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। यह पौधा जहरीला होता है आंकड़े के पौधे से सफेद दूध भी निकलता है गर्मियों के दिनों में प्रायः अनेक स्थानों पर श्वेतार्क के बीज उड़ते हुए दिखाई देते हैं। साधारण सी भाषा में इनकों 'बुढ़िया के बाल ' कह देते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।अर्क इसकी तीन जातियाँ रक्तार्क,श्वेतार्क,राजार्क पाई जाती है इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उलटी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।औषधीय उपयोग में केवल सफ़ेद आक का ही उपयोग करना चाहिए. नीली प्रजातियाँ अधिक विषैली होती हैं और उनका उपयोग खाने में नहीं किया जाता, केवल बाह्य उपयोग ही किया जाता है आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।

*आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा सर दर्द जाता रहता है बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है।
*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
*बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं।
*आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये। और नमक छोड़ देना चाहिये। आक की जड और पीपल की छाल का भस्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है। आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।

आंख में पीड़ा

अगर आपकी एक आंख में पीड़ा हो रही हो तो जिस आंख में पीड़ा हो रही हो उसके दूसरे पैर के अंगूठे पर श्वेत यानि सफेद आक को दूध से पूरी तरह गीला करके कुछ देर रखने से काफी राहत मिलती है

आंखों के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

आक की सूखी छाल को कूटकर इसमें 20 ग्राम गुलाब जल मिलाएं और इसे 5 मिनट के लिए रख दें. फिर इसे आंखों में 3 से 4 बूंद डालें. इससे आंखों का लाल होना, भारीपन, आंखों में दर्द या खुजली जैसी समस्या दूर हो जाती है.

दाढ़ में दर्द को तुरंत करे दूर

आक के दूध में रूई भिगोकर घी में अच्छी तरह से मसल लें और फिर इसे दाढ़ पर रख लें. इससे दांत या दाढ़ का दर्द तत्काल दूर हो सकता है. इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है. वहीं, हिलते हुए दांत को अर्क का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है. ऐसा करने से दांत निकालते समय दर्द कम होता है.

दूर होती है चेहरे की झुर्रियां व दाग


हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें. इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है. ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें. जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए.

सिर व कान दर्द में उपयोगी

आक के फूल का उपयोग सिर व कान दर्द में उपयोग होता है. इसके दूध को सिर पर लगाने से माइग्रेन में फायदा मिलता है. आक के पत्तों का रस कान में डालने से कान से संबंधित रोग जैसे कान में मवाद आना, सांय-सांय की आवाज आना, दूर होते हैं.

सांस की समस्या ठीक करने में कारगर

जिन लोगों को अक्सर सांस या खांसी से संबंधित समस्या रहती है, उनके लिए आक का पौधा रामबाण औषधि की तरह है. 50 ग्राम आक के फूल की लौंग को लेकर उसमें एक चुटकी मिर्च को अच्छी तरह पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें. इन बारीक गोलियों को रोज सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करें. इससे सांस से संबंधित बीमारी दूर हो जाती है. इसके अलावा आक के पत्तों पर मौजूद सफेद परत को इकट्टा करके बाजरे जैसी गोलियां बनाकर रोज सुबह-शाम पान के साथ सेवन करने से लंबे समय से बनी खांसी की समस्या को दूर किया जा सकता है|

आक की रोटी

सामग्री:
मदार की जड़ : 2 किलो
पानी : 4 लीटर
गेहूं : 2 किलो

विधि:
सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें। जब गेहूं सारा पानी सोख ले तो इसे धूप में सुखा लें। अब इस गेहूं को पीसकर आटा बना लें। इस आटे से रोटियां बनाएं और घी और गुड़ के साथ परोसें। ये रोटियां न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि गठिया जैसी बीमारियों को दूर भगाने में भी सक्षम है।

21.8.21

साइटिका को जड़ से खत्म करने की हर्बल औषधि:Sciatica herbal medicine



 

अक्सर कई लोगोंं को कमर के निचले हिस्से में अचनाक दर्द होने लगता है। वो इस दर्द को यह सोचकर अनदेखा कर देते हैं कि ऐसा अधिक काम करने या फिर थकान के कारण हुआ होगा और यही सबसे बड़ी भूल साबित होती है। दरअसल, आम-सा लगने वाला यह दर्द साइटिका का हो सकता है। साइटिका में धीरे-धीरे कमर के नीचे का पूरा भाग बेकार हो जाता है, लेकिन इस बात से बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं, समय रहते कुछ उपाय और उपचार अपना कर इससे बचा जा सकता है।

साइटिका नर्व नितंबों के नीचे से शुरू होकर पैरों के पिछले हिस्से से होते हुए एड़ियों पर खत्म होती है। इस नर्व यानी कि नाड़ी में जब सूजन या फिर दर्द होता है तो इसे ही साइटिका का दर्द कहा जाता है। यह अक्सर तेज दर्द के साथ शुरू होता है। यूं तो साइटिका के दर्द के लिए एलोपैथी में कई तरह के उपचार मौजूद हैं जो दर्द से तुरंत निजात दिलाने में तो कारगर हैं लेकिन इसके दीर्घकालिक उपचार में नाकाम हैं। साथ ही साथ इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स बाद में नजर आते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए उपचार मौजूद हैं।
इसे आयुर्वेद में गृघ्रसी कहा जाता है। दरअसल यह एक तंत्रिका नाड़ी है। जो सर्दी लगने पेट की कब्जी गर्भावस्था  या रीड की हड्डी में किसी तरह की समस्या होने पर पैर की सुन्नता Numbness कमर से लेकर पैर के अंगूठे  तक खिंचाव के साथ दर्द सूजन जाती है। कई बार यह दर्द असहनीय Unbearable हो जाता है। पैर के घुटनों के पीछे भी दर्द रहता है। पैर सुन्नता हो सकती है।

दर्द के कारण

हड्डियों के बीच स्निग्धता  की कमी के कारण।
सामान्यतया 50 की उम्र के बाद हो सकता है।
वजन उठाने का काम करने वाले तथा अधिक समय तक कमर से झुकने वाले कार्य करने वाले व्यक्तियों को होता है।
लगातार कंप्यूटर में बैठकर कार्य  करने वाले व्यक्तियों को की समस्या हो सकती है।
सायटिक तंत्रिका पर किसी प्रकार की चोट पहुंचने पर sciatica का दर्द हो सकता है।
अगर आप एक वेटलिफ्टर है तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।
वर्कआउट करते समय अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाने पर भी इस तरह की समस्या हो सकती है।
sciatica रोग पर किसी भी प्रकार का दबाव होने पर साइटिका का दर्द  शुरू हो जाता है। यह दबाव रीड की हड्डी की कशेरुकाओं से भी हो सकता है।

साइटिका के लक्षण


साइटिका के लक्षण व्यक्ति विशेष आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं
कमर, कूल्हों, और पैरों में हल्के दर्द का बने रहना।
कमर की तुलना में पैरों में अधिक दर्द महसूस होना।
किसी एक पैर में तीव्र दर्द का महसूस होना।
पैरों के साथ पैरों की उंगलियों में दर्द होना।
कमर और परों में झुनझुनी महसूस होना।
पैरों का बेजान महसूस होना।
साइटिका के लिए घरेलू उपाय 

 लहसुन का दूध

सामग्री :
8 से 10 लहसुन की कलियां
300 एमएल दूध
एक कप पानी
शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले लहसुन की कलियों को कुचल लें।
अब एक बर्तन में कुचले हुए लहसुन के साथ दूध और पानी को डालकर गर्म होने के लिए गैस पर रख दें।
फिर इसमें उबाल आने तक इसे पकाएं।
उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें और तैयार मिक्सचर को गुनगुना होने दें।
जब मिक्सचर हल्का गुनगुना हो जाए, तो उसमें स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाएं।
फिर मिक्सचर को गिलास में निकाल कर पिएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं
लहसुन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। यह गुण साइटिका नर्व की सूजन को कम कर साइटिका के दर्द से राहत दिलाता है । इस कारण हम कह सकते हैं कि साइटिका का घरेलू इलाज करने के लिए लहसुन का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

हॉट ऑर कोल्ड कम्प्रेस

सामग्री :
एक वाश क्लॉथ
एक कटोरा गर्म या बर्फ डालकर ठंडा किया गया पानी
कैसे इस्तेमाल करें :
गर्म या ठंडे पानी में वाशक्लॉथ को डुबोएं (यह इस पर निर्भर करता है कि आप ठंडे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं या गर्म)।
अब वाशक्लॉथ को हल्का निचोड़ कर प्रभावित स्थान पर कुछ देर के लिए रखें।
इस प्रक्रिया को करीब पांच से छह मिनट के अंतर पर कई बार दोहराएं।
इस प्रक्रिया को आप दिन में करीब तीन से चार बार दोहरा सकते हैं।

हरसिंगार –

हरसिंगार के फूल, पत्ते और छाल भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। साइटिका के लिए हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। हरसिंगार के पत्तों को साफ कर एक लीटर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा कर छान लें और एक दो रत्ती केसर मिला लें। अब इसे रोजाना सुबह शाम एक कप पिएं

अदरक

सामग्री :
अदरक का एक बड़ा टुकड़ा
आधा नींबू
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
अब इसे मिक्सर में डालकर अच्छी तरह से पीस लें।
अच्छी तरह से पिस जाने के बाद अदरक के पेस्ट को निकाल लें।
इस पेस्ट को किसी साफ सूती कपड़े में रखकर इसका रस अलग कर लें।
अब इस रस में नींबू और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

हल्दी

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच तिल का तेल
कैसे इस्तेमाल करें :
तिल के तेल में हल्दी पाउडर मिलकर पेस्ट बना लें।
अब प्रभावित स्थान पर इस पेस्ट को लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

विटामिन्स

कैसे है उपयोगी :

इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि विटामिन सी और ई का संयुक्त इस्तेमाल साइटिका की समस्या में लाभदायक साबित होता है। इससे सूजन और दर्द में तो राहत मिलती ही है, साथ ही ये साइटिक नर्व की क्षति को भी ठीक करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में विटामिन-सी और ई के संयुक्त इस्तेमाल से एंटी-नोकिसेप्टिव का प्रभाव भी पाया गया है इसके लिए विटामिन सी (जैसे – आम, पपीता, अनानास, तरबूज)और विटामिन ई (जैसे – वेजिटेबल ऑयल, नट्स व हरी पत्तेदार सब्जियां) युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं । वहीं, डॉक्टर की सलाह पर साइटिका का उपचार करने के लिए इनके सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

नींबू का रस

सामग्री :
आधा नींबू
एक गिलास पानी
एक चुटकी काला नमक स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास पानी में एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं

मेथी दाना


सामग्री :
एक चम्मच मेथी दाने का पाउडर
एक चम्मच दूध

कैसे इस्तेमाल करें :
मेथी दाने के पाउडर को दूध में मिलाएं।
प्रभावित स्थान पर तैयार पेस्ट को लगाएं।
वहीं लेप के सूख जाने पर इसे गर्म पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

एलोवेरा

सामग्री :
एक एलोवेरा का पत्ता
एक कप पानी
चार से पांच बूंद नींबू का रस
शहद स्वादानुसार
कैसे इस्तेमाल करें :
एलोवेरा के पत्ते को काटकर बीच का गूदा निकाल लें।
इस गूदे को एक कप पानी से साथ मिक्सर में डालें और जूस बना लें।
अब तैयार जूस को गिलास में निकालें और नींबू व शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

सेब का सिरका

सामग्री :
एक गिलास गुनगुना पानी
दो चम्मच सेब का सिरका
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास गुनगुने पानी में सेब का सिरका और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करें।

साइटिका का आयुर्वेदिक उपचार-

सिंहनाद गुग्गुल
विषतिन्दूक वटी
त्रयोदशांग गुगलु
मकरध्वज रस
एकांगवीर रस
वृहत् वात चिंतामणि रस,
वातगजंकुश रस,
गोदंती भस्म,
शिलाजीत्वादी लौह,
अश्वगंधा चूर्ण,
अजमोदादि चूर्ण,
महारास्नादि क्वाथ ,
दशमूल क्वाथ,
अश्वगंधारिष्ट,
आदि आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही कई सारी पेटेंट औषधियों का प्रयोग भी लाभकर होता है।

अन्य चिकित्सा पैथी में में उपचार

एलोपैथी में sciatica दर्द का उपचार पेन किलर  दवाइयों तथा स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है। sciatica का दर्द कम ना होने पर शल्य चिकित्सा  द्वारा इसका ऑपरेशन भी किया जाता है।
फिजियो थेरेपी में sciatica का इलाज विशेष प्रकार की एक्सरसाइज  करवा कर किया जाता है। विशेष प्रकार की एक्सरसाइज की मदद से sciatica नर्व पर आए दबाव को कम कर कर उपचार किया जाता है।

एक्सरसाइज भी है जरूरी – 

साइटिका पर किए गए शोध बताते हैं कि इसका सबसे बेहतर उपचार व्यायाम होता है। नियमित व्यायाम करने से कमर की मांसपेशियों में मजबूती आती है साथ ही साथ दर्दनिवारक हार्मोंन्स का स्राव भी बढ़ता है। इसके अलावा अगर आपको दिनभर कुर्सी पर बैठना होता है तो हमेशा सीधे बैठने की कोशिश करें, या फिर कुर्सी में कमर के हिस्से पर तकिया लगा लें।

क्या करें

गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, आैर इमली का प्रयोग करें।

क्या न करें


तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|