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31.12.20

कुमारी आसव के फायदे और उपयोग:Kumari asav ke fayde




आयुर्वेद की यह औषधि आसव निर्माण विधि से तैयार की जाती है | इसका मुख्य घटक द्रव्य घृतकुमारी (ग्वारपाठा) है | घृतकुमारी मुख्य द्रव होने के कारण इसे कुमारी आसव नाम से भी जाना जाता है |

अधिकतर लोग पूछते है कि कुमारी आसव किस काम में आती है तो यह पेट के सभी विकारों, महिलाओं की मासिक समस्या, प्रमेह, पेट के कीड़े एवं रक्तपित रोग में अत्यंत काम आती है |
यह उत्तम पाचन गुणों से युक्त होती है | यकृत के रोग एवं तिल्ली की समस्या में यह बेजोड़ आयुर्वेदिक दवा साबित होती है | इसका निर्माण लगभग 47 औषध द्रवों के सहयोग से आयुर्वेद की आसव कल्पना के तहत निर्माण किया जाता है | बाजार में यह पतंजलि कुमार्यासव, बैद्यनाथ कुमारी आसव, डाबर कुमार्यासव आदि नामो से मिल जाती है | अस्थमा, मूत्र विकार, महिलाओं के प्रजनन विकार एवं पत्थरी की समस्या में भी इसका सेवन लाभदायक होता है |
कुमार्यासव के घटक द्रव्य
कुमारी आसव  को बनाने के लिए निम्न द्रव्यों की आवश्यकता होती है | यहाँ हमने इन सभी द्रवों की सूचि उपलब्ध करवाई है –
कुमार्यासव के घटक द्रव्य
घटक द्रव्य के नाममात्राघृतकुमारी स्वरस 12.288 लीटर
गुड 4.800 किलो
मधु 2.400 किलो
लौह भस्म 2.400 किलो
शुण्ठी 24 ग्राम
पिप्पली 24 ग्राम
मरिच (कालीमिर्च) 24 ग्राम
लवंग (लौंग) 24 ग्राम
दालचीनी 24 ग्राम
इलायची 24 ग्राम
तेजपात 24 ग्राम
नागकेशर 24 ग्राम
चित्रकमूल 24 ग्राम
पिप्पलीमूल 24 ग्राम
विडंग 24 ग्राम
गजपिप्पली 24 ग्राम
चव्य 24 ग्राम
हपुषा 24 ग्राम
धनियाँ 24 ग्राम
सुपारी 24 ग्राम
कुटकी 24 ग्राम
नागरमोथा 24 ग्राम
आमलकी 24 ग्राम
हरीतकी 24 ग्राम
विभिताकी 24 ग्राम
रास्ना 24 ग्राम
देवदारु 24 ग्राम
हरिद्रा 24 ग्राम
दारु हरिद्रा 24 ग्राम
मुर्वा 24 ग्राम
गुडूची 24 ग्राम
मुलेठी 24 ग्राम
दंतीमूल 24 ग्राम
पुष्कर्मुल 24 ग्राम
बलामूल 24 ग्राम
अतिबला 24 ग्राम
कौंच बीज 24 ग्राम
गोक्षुर 24 ग्राम
शतपुष्पा 24 ग्राम
हिंगूपत्री 24 ग्राम
अकरकरा 24 ग्राम
उटीगण बीज 24 ग्राम
श्वेत पुनर्नवा 24 ग्राम
लालपुनर्नवा 24 ग्राम
लोध्र त्वक 24 ग्राम
स्वर्णमाक्षिक भस्म 24 ग्राम
धातकीपुष्प 384 ग्राम
कुमार्यासव बनाने की विधि
कुमारी आसव को बनाने के लिए सबसे पहले घृतकुमारी स्वरस के साथ गुड एवं मधु (शहद) को मिलाकर संधान पात्र में डाल दिया जाता है | संधान पात्र में इन सभी को अच्छे से मिश्रित करने के बाद इसमें लौह भस्म और स्वर्णमाक्षिक भस्म को मिलाकर अच्छे से मिश्रित कर लिया जाता है |
अब बाकी बचे सभी औषध द्रव्यों को कूटपीसकर यवकूट कर लिया जाता है | इस बाकी बचे औषधियों के यवकूट चूर्ण को संधान पात्र में डालकर फिर से अच्छे से मिश्रित किया जाता है |
अब अंत में धातकीपुष्प को डालकर इस संधान पात्र के मुख को अच्छी तरह बंद करके निर्वात स्थान पर महीने भर के लिए रख दिया जाता है |
महीने भर पश्चात संधान परिक्षण विधि से इसका परिक्षण किया जाता है | उचित संधान हो जाने के पश्चात इसे छान कर कांच की शीशियो में भरकर लेबल लगा दिया जाता है |
इस प्रकार से कुमार्यासव का निर्माण होता है | आयुर्वेद की सभी आसव कल्पनाओं की औषधियों में प्राकृत एल्कोहोल होती है अत: इनका इस्तेमाल बराबर पानी मिलाकर करना चाहिए |
कुमार्यासव / कुमारी आसव के फायदे 
कुमारी आसव निम्न रोगों में लाभदायक होती है –
पाचन सम्बन्धी सभी विकारों में इसका प्रयोग किया जा सकता है ; क्योंकि यह उत्तम पाचक गुणों से युक्त होती है |
पेट का फूलना, पेट के कीड़े और पेट दर्द में इसका प्रयोग लाभ देता है |
महिलाओं के प्रजनन सम्बन्धी विकारों में इसका उपयोग किया जाता है |
महिलाओं के कष्टार्तव (मासिक धर्म में रूकावट) के रोग में यह फायदेमंद औषधि साबित होती है |
जिन महिलाओं का मासिक धर्म बिलकुल अल्प या बंद हो गया हो उनको भी इसके उपयोग से लाभ मिलता है |
घृतकुमारी मुख्य द्रव्य होने के कारण यह उत्तम बल वर्द्धक एवं रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला रसायन है |
शरीर के अंदरूनी घावों को ठीक करने का कार्य करता है |
कमजोर जठराग्नि को मजबूत करके अरुचि एवं अजीर्ण जैसी समस्या में लाभ देता है |
श्वास एवं क्षय रोग में भी लाभदायक आयुर्वेदिक सिरप है |
अपस्मार जैसे रोग को दूर करने में फायदेमंद है |
मूत्र विकारों का शमन करती है |
अश्मरी (पत्थरी) में उपयोगी दवा है |
उचित सेवन से वीर्य विकारों का भी शमन करती है |
यकृत के रोग एवं तिल्ली की  वृद्धि में भी फायदेमंद औषधि है |
रक्तपित की समस्या में फायदेमंद है |
कुमार्यासव सेवन की विधि
इसका सेवन 20 से 30 ml चिकित्सक के परामर्शनुसार सुबह एवं सायं को करना चाहिए | हमेशां बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के पश्चात इसका सेवन किया जाता है |
अगर उचित मात्रा में सेवन किया जाए तो इस आयुर्वेदिक औषधि के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है | रोगानुसार सेवन के लिए चिकित्सक से परामर्श आवश्यक है |

विशिष्ट परामर्श-




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