उदरामृत योग एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका प्रयोग उदर विकार, यकृत विकार, प्लीहा विकार और गर्भाशय विकार आदि के उपचार के लिए किया जाता है। यह यकृत से पित्त का स्राव करता है और पाचन क्रिया सुधारता है। यह पुराणी कब्ज में भी लाभदायक है। यह आंत्र की क्रिया को ठीक कर मल आगे सरकाने में मदद करता है। यह उदर शूल (पेट दर्द), गैस, मंदाग्नि, आदि के इलाज के लिए भी सहायक होता है।घटक द्रव्य एवं
उदरामृत योग में निम्नलिखित घटक द्रव्य (Ingredients) है:-
उदरामृत योग में निम्नलिखित घटक द्रव्य (Ingredients) है:-
चित्रकमूल 12 ग्राम
पीपलामूल 12 ग्राम
भुनी हींग 12 ग्राम
सोंठ 12 ग्राम
मिर्च 12 ग्राम
पिप्पली 12 ग्राम
भुना जीरा 12 ग्राम
अजवायन 12 ग्राम
लौह भस्म 12 ग्राम
गुड़ 180 ग्राम
घीकुंवार का रस 240 ग्राम
मूली का रस 240 ग्राम
नीम्बू का रस 240 ग्राम
अदरक का रस 60 ग्राम
सोहागे का फूला 24 ग्राम
नौसादर 24 ग्राम
पंचलवण 24 ग्राम
उदरामृत योग निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
मात्रा: इस औषधि को 6 ग्राम से लेकर 12 ग्राम तक 24 ग्राम जल में मिलाकर भोजन के बाद दिन मंे 2 बार दें।
उदरामृत योग की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे 1 से 6 ग्राम
वयस्क 6 से 12 ग्राम
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) खाना खाने के बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?)
गुनगुने पानी में मिलाकर लें
उदर के लिवर,तिल्ली,आंत्र संबन्धित विविध रोगों मे आशुफलदायी जड़ी बूटियों से निर्मित औषधी के लिए वैध्य श्री दामोदर 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|यह औषधि पित्ताशय की पथरी ,लिवर की सूजन ,पीलिया,तिल्ली बढ़ना ,कब्ज ,पेट मे गैस ,मोटापा,सायटिका आदि रोगों मे अत्युत्तम परिणामकारी है|जिन रोगियों को बड़े अस्पतालों ने लाइलाज कहकर घर ले जाकर सेवा करने की सलाह दी वे भी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं।
गुर्दे की पथरी की अचूक हर्बल औषधि
हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से मूत्र रुकावट की हर्बल औषधि
घुटनों के दर्द की हर्बल औषधि
पीपलामूल 12 ग्राम
भुनी हींग 12 ग्राम
सोंठ 12 ग्राम
मिर्च 12 ग्राम
पिप्पली 12 ग्राम
भुना जीरा 12 ग्राम
अजवायन 12 ग्राम
लौह भस्म 12 ग्राम
गुड़ 180 ग्राम
घीकुंवार का रस 240 ग्राम
मूली का रस 240 ग्राम
नीम्बू का रस 240 ग्राम
अदरक का रस 60 ग्राम
सोहागे का फूला 24 ग्राम
नौसादर 24 ग्राम
पंचलवण 24 ग्राम
निर्माण विधि
उदरामृत योग के निर्माण के लिए सर्वप्रथम घीकुंवार का रस, मूली का रस, नीम्बू का रस लें, फिर इसमें अदरक का रस और सोहागे का फूला, नौसादर, पंचलवण मिलाएं, और इसके अतिरिक्त चित्रकमूल, पीपलामूल, भुनी हींग, सोंठ, मिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवायन, लौहभस्म मिलाएँ। इन सबको मिलाने के बाद इसमें गुड़ मिलाकर मर्तबान में भर दें और 15 दिन तक धुप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
उदरामृत योग के निर्माण के लिए सर्वप्रथम घीकुंवार का रस, मूली का रस, नीम्बू का रस लें, फिर इसमें अदरक का रस और सोहागे का फूला, नौसादर, पंचलवण मिलाएं, और इसके अतिरिक्त चित्रकमूल, पीपलामूल, भुनी हींग, सोंठ, मिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवायन, लौहभस्म मिलाएँ। इन सबको मिलाने के बाद इसमें गुड़ मिलाकर मर्तबान में भर दें और 15 दिन तक धुप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें।
औषधीय कर्म (Medicinal Actions)
कब्जहर
यकृत पितसारक
यकृत वृद्धिहर
प्लीहावृद्धिहर
कामलाहर
गर्भाशय दोषहर
उदर शूलहर
क्षुधावर्धक – भूख बढ़ाने वाला
पाचक – पाचन शक्ति बढाने वाली
अनुलोमन
रेचक
चिकित्सकीय संकेत (Indication
यकृत पितसारक
यकृत वृद्धिहर
प्लीहावृद्धिहर
कामलाहर
गर्भाशय दोषहर
उदर शूलहर
क्षुधावर्धक – भूख बढ़ाने वाला
पाचक – पाचन शक्ति बढाने वाली
अनुलोमन
रेचक
चिकित्सकीय संकेत (Indication
उदरामृत योग निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
उदर शूल (पेट दर्द)
गर्भाशय दोष
पाण्डु रोग
कामला रोग
प्लीहा वृद्धि
यकृत वृद्धि (जिगर की वृद्धि)
गर्भाशय दोष
पाण्डु रोग
कामला रोग
प्लीहा वृद्धि
यकृत वृद्धि (जिगर की वृद्धि)
मन्दाग्नि
अपचन
कब्ज
अपचन
कब्ज
मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)
मात्रा: इस औषधि को 6 ग्राम से लेकर 12 ग्राम तक 24 ग्राम जल में मिलाकर भोजन के बाद दिन मंे 2 बार दें।
उदरामृत योग की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:
औषधीय मात्रा (Dosage)
बच्चे 1 से 6 ग्राम
वयस्क 6 से 12 ग्राम
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) खाना खाने के बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?)
गुनगुने पानी में मिलाकर लें
विशिष्ट परामर्श-
उदर के लिवर,तिल्ली,आंत्र संबन्धित विविध रोगों मे आशुफलदायी जड़ी बूटियों से निर्मित औषधी के लिए वैध्य श्री दामोदर 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|यह औषधि पित्ताशय की पथरी ,लिवर की सूजन ,पीलिया,तिल्ली बढ़ना ,कब्ज ,पेट मे गैस ,मोटापा,सायटिका आदि रोगों मे अत्युत्तम परिणामकारी है|जिन रोगियों को बड़े अस्पतालों ने लाइलाज कहकर घर ले जाकर सेवा करने की सलाह दी वे भी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं।
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