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20.6.20

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

  

संधिवात रोग में शरीर के जोडों और अन्य भागों में सूजन आ जाती है और रोगी दर्द से परेशान रहता है। चलने फ़िरने में तकलीफ़ होती है।यह रोग शरीर के तंतुओं में विकार पैदा करता है,प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है,जोड शोथ युक्त हो जाते हैं,हिलने डुलने में कष्ट होता है।कलाई,घुटनों और ऊंगली ,अंगूठे में संधिवात का रोग ज्यादा देखने में आता है। कभी-कभी बुखार आ जाता है।भूख नहीं लगना भी इस रोग का लक्षण है। समय पर ईलाज नहीं करने पर आंखों,फ़ेफ़डों,हृदय व अन्य अंग दुष्प्रभावित होने लगते हैं।

संधिवात के कारण- 


१)आनुवांशिक कारण
२)खान-पान की असावधानियां
३) जोडों पर ज्यादा शारीरिक दवाब पडना
४) जोडों का कम या जरूरत से अधिक उपयोग करना
५) स्नायविक तंतुओं में विकार आ जाना और मेटाबोलिस्म में व्यवधान पड जाना।
६) सर्द वातावरण में शरीर रखने का कुप्रभाव
७)बुढापा और हार्मोन का असुंतुलन


संधिवात रोगी क्या करें और क्या न करें-

१) सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह है कि रोगी २४ घंटे में मौसम के अनुसार ४ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। शरीर के जोडों में यूरिक एसीड जमा हो जाता है और इसी से संधिवात रोग जन्म लेता है। ज्यादा पानी पीने से ज्यादा पेशाब होगा और यूरिक एसीड बाहर निकलता रहेगा।
२) फ़ल और हरी सब्जीयां अपने आहार में प्रचुरता से शामिल करें।इनमें भरपूर एन्टीओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो हमारे इम्युन सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं।रोजाना ७५० ग्राम फ़ल या सब्जियां या दोनों मिलाकर उपयोग करते रहें।इनका रस निकालकर पियेंगे तो भी वही लाभ प्राप्त होगा।
३)ताजा गाजर का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिश्रण कर १५ मिलि प्रतिदिन लें।
४) ककडी का रस पीना भी संधिवात में लाभकारी है।
५) संधिवात रोगी को चाहिये कि सर्दी के मौसम में धूप में बैठे।
6) चाय,काफ़ी,मांस से संधिवात रोग उग्र होता है इसलिये जल्दी ठीक होना हो तो इन चीजों का इस्तेमाल न करें।
7) शकर का उपयोग हानिकारक होता है।




८) तला हुआ भोजन,नमक,शकर तेज मिर्च-मसाले,शराब छोडेंगे तो जल्दी ठीक होने के आसार बनेगे
९) संधिवात रोगी के लिये यह जरूरी है कि हफ़्ते में दो दिन का उपवास करें।
१०) काड लिवर आईल ५ मिलि की मात्रा में सुबह शाम लेने से संधिवात में फ़ोरन लाभ मिलता है।
११) पर्याप्त मात्रा में केल्शियम और विटामिन डी की खुराकें लेते रहें। ये विटामिन भोजन के माध्यम से लेंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा।
१२) तीन नींबू का रस और ४० ग्राम एप्सम साल्ट आधा लिटर गरम पानी में मिश्रित कर बोतल में भर लें। दवा तैयार है। ५ मिलि दवा सुबह शाम पीयें। यह नुस्खा बेहद कारगर है।
१३) मैने साईटिका रोग में आलू का रस पीने का ईलाज बताया है। संधिवात में भी आलू का रस अशातीत लाभकारी है। २०० मिलि रस रोज पीना चाहिये।
१४) ज्यादा सीढियां चढना हानिकारक है।
१५)अपने काम और विश्राम के बीच संतुलन बनाये रखना जरूरी है।
१६) अदरक का रस पीना संधिवात के दर्द में शीघ्र राहत पहुंचाता है।
१७) अलसी के बीज मिक्सर में चलाकर पावडर बनालें। २० ग्राम सुबह और २० ग्राम शाम को पानीके साथ लें। इसमे ओमेगा फ़ेट्टी एसीड होता है जो इस रोग में अत्यंत हितकर माना गया है।इससे कब्ज का भी निवारण हो जाता है।

विशिष्ट परामर्श-  

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 



23.11.16

पीठ दर्द, टांगो के दर्द और रीढ की हड्डी के दर्द को कहें अलविदा :say goodbye to Back pain, pain in the limbs and spine pain,




   अगर आपकी कमर अक्सर दर्द करती रहती हैं और आप अनेक प्रकार की दवाये खा खा कर अपने शरीर को चला रहे हैं तो ये साधारण सा उपाय करने से आपकी कमर दर्द हो सकता हैं छू मंतर।
   ये समस्या बहुत अधिक  शरीरिक काम या देर तक बैठने से होता है |लेकिन खुश किस्मती से चिंता करने की कोई बात नही है क्योंकि इस लेख में हम आपको 100% प्राक्रतिक और असरदार तरीका बताएँगे जिस के इस्तेमाल से आप इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं|इसके इस्तेमाल के कुछ के दिन बाद आपको सकारात्मक नतीजे नजर आने शुरू हो जायेंगे और 2 महीने से कम समय में आप पूरी तरह से ठीक हो जायेंगे
तो इस प्राक्रतिक नुस्खे को अजमाने में जरा भी संकोच न करें और इस असहनीय दर्द से छुटकारा पायें| ये एक बहुत हे आसान औषधि है इसे रात को सोने से पहले खाए |

सामग्री : 
5 सूखे अलुबुखरे
1 सुखी खुबानी
1 सुखी अंजीर
सुखी अंजीर :
इस में फाइबर होता है जो हमारे पाचन तन्त्र को मज़बूत करता है और दिल को सेहतमंद रखने में मदद करता है |फाइबर से कब्ज़ भी ठीक होती है| ये फल कई खनिज पदार्थो से भरपूर होता है जैसे के magnesium, iron, calcium, और potassium. ये खनिज हडिओं की मजबूती के लिए ज़रूरी होते हैं साथ ही प्रतिरोधक क्षमता और चमडी के लिए भी फायदेमंद होता है|अंजीर शरीर से हानिकारक एस्ट्रोजीन को कुदरती तौर  से निकालने  में मदद करता है| शरीर में एस्ट्रोजिन की अधिक  मात्रा कई समस्याओं को उत्पन करती है जैसे केसर दर्द, गर्भाशय और ब्रेस्ट केन्सर  भी हो सकता है|
सुखी खुबानी: 
 फायबर का बहुत ही अच्छा स्रोत है| खुबानी में पाए जाने वाले एंटी ओक्सीडेंट्स  हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता , सेल की वृद्धि और आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं| Non-heme iron शरीर में लोह तत्व की कमी को पूरा करता है , जो के संसार में सबसे आम पाई जाने वाली समस्या है |
   सुखा आलूबुखारा : 

सूखे आलूबुखारा में पाए जाने वाले जैविक सक्रिय पदार्थ रेडियोथेरेपी या अन्य विकिरण आवरण से होने वाले अस्थि क्षति को रोकने में प्रभावी होते हैं सूखा आलूबुखारा विकिरण से हडिडयों की रक्षा करता है | फाइबर से भरपूर होने के कारण ये कब्ज से छुटकारा दिलाता है और पाचन शक्ति बढ़ता है |

विशिष्ट परामर्श-  

संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 




29.5.15

गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment


 

  
जिसकी अग्नि मंद है और नियमित व्यायाम नहीं करने वाला अगर विरुद्ध आहार करता है या अति स्निग्ध अन्न का सेवन कर तुरंत व्यायाम करता है उसे आम वात उत्पन्न होता है। अंग्रेजी में इसे (Rheumatism)रह्युमेटोईड अर्थराइटिस कहा जाता है।
इसे साधारण बोलचाल की भाषा में गठिया भी कहते है।भूख कम होने पर भी जीभ के वश हो कर खाया गया अन्न पचता नहीं और आँव स्वरूप हो जाता है जिसे आयुर्वेद में “आम” कहा गया है।यह आम प्रकुपित हुए वात दोष के द्वारा सम्पूर्ण शरीर में घुमने लगता है।
जब चलने-फिरने में तकलीफ होने लगे तो मन में तुरंत एक बीमारी का नाम आता है और वह है गठिया। यूं तो यह बीमारी आम-सी हो गई है, लेकिन इसका दर्द कई बार जीना मुहाल कर देता है। इससे बचाव के लिए क्या करें, क्या न करें-
शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। अपने सारे काम हम शरीर से ही तो करते हैं, लेकिन कई बार कुछ बीमारियों के कारण हम परेशान भी हो जाते हैं। उन्हीं में से एक बीमारी है गठिया। इसमें शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है। ऐसे में पीडित दर्द के कारण ज्यादा चल नहीं सकता, दौड़ नहीं सकता, यहां तक कि हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। पैरों के अंगूठे में इसका असर सबसे पहले देखने को मिलता है। अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते, जब तक कि उनका इलाज न करवाया जाए। कई बार तो उंगलियों के जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते है, जिससे उंगलियों के जोड़ों में बहुत दर्द होता है। इस रोग की सबसे बड़ी पहचान ये है कि रात को जोड़ों का दर्द बढ़ता है और सुबह थकान महसूस होती है। इसका उपचार अगर जल्दी न कराया गया तो यह बीमारी भयंकर रूप ले सकती है। इसलिए हम आपको बता रहे हैं कि इसमें किन चीजों से परेहज करें और किन चीजों को डाइट में शामिल करें।

अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक के सेवन से बचें: वैसे तो गठिया से पीडित व्यक्तियों को ढेर सारा पानी पीने और तरल पदार्थों का सेवन करने को कहा जाता है, लेकिन अगर वे अल्कोहल और सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करते हैं तो उनकी समस्या और भी बढ़ सकती है। अल्कोहल खासकर बीयर शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को तो बढ़ाता ही है और तो और शरीर से गैर जरूरी तत्व निकालने में शरीर को रोकता है। अगर आप बीयर पीने के आदी हैं तो डॉंक्टर की सलाह लेकर एक या दो ड्रिंक ले सकते हैं। उसी तरह सॉफ्ट ड्रिंक खासकर मीठे पेय या सोडा से बचें, क्योंकि इसमें फ्रेक्टोस नामक तत्व होता है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने में मदद करता है।

एक शोध से यह बात सामने आई है कि जो लोग ज्यादा मात्रा में फ्रेक्टोस वाली चीजों का सेवन करते हैं, उनमें गठिया होने का खतरा दोगुना हो जाता है।

मछली और मीट से परहेज करें:

खाने-पीने के शौकीन लोगों को अपने पसंदीदा खाने को छोड़ना पड़े तो उन्हें बहुत मुश्किल होती है। उन्हें भी और उनके परिवार वालों को भी। लेकिन बात जब अपनों की सेहत से जुड़ी हो तो थोड़ा ख्याल तो रखना ही पड़ता है। जब आपको गठिया हो तो उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए, जिनमें अधिक मात्रा में प्यूरिन पाया जाता हो, क्योंकि ज्यादा प्यूरिन हमारे शरीर में ज्यादा यूरिक एसिड पैदा करता है। रेड मीट, हिलसा मछली, टूना, और एन्कोवी जैसी मछलियों में काफी मात्रा में प्यूरिन पाया जाता है, इसलिए इन्हें अपने खाने की मेन्यू से हटा दें।
परहेज - जितनी भी खाने-पीने की चीजें हमें कुदरत ने दी हैं, वे किसी बीमारी में फायदा करती हैं तो किसी में नुकसान भी करती हैं, इसलिए हमें उनका चुनाव अपने शरीर के हिसाब से करना होगा। उदाहरण के तौर पर लें तो शतावरी, पत्तागोभी, पालक, मशरूम, टमाटर, सोयाबीन तेल जैसी चीजें हमारे स्वस्थ खानपान का हिस्सा हैं, लेकिन गठिया से पीडित व्यक्तियों को इनसे परहेज करना चाहिए। जैसे कि 99 ग्राम पालक में 100 मिलीग्राम प्यूरिन पाया जाता है।

पथ्य -

गाजर, शकरकंद और अदरक का सूप पिएं:

गठिया परेशान कर रही है तो जड़ों वाले फल और सब्जियां जैसे गाजर, आलू, शकरकंद या दूसरे फल खाएं। आप अदरक का सूप भी पी सकते हैं। इनमें प्यूरिन की मात्रा काफी कम होती है।
योग के कतिपय रूप गठिया रोग में अत्यंत लाभकारी हो सकते हैं जो निम्न चित्र में दिखाए गये हैं-



















संधिवात में निम्न योगा लाभकारी सिद्ध हुए हैं-






वीर भद्रासन










भुजंगासन











पवन मुक्तासन








बालासन


विशिष्ट परामर्श-  


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