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11.3.24

फोड़े -फुंसी ,खरोंच, घाव के लिए ये घरेलु मलहम किसी औषधि से कम नहीं





  फोड़े आमतौर पर त्वचा पर एक कोमल, गुलाबी-लाल गांठ के रूप में शुरू होते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, वे बड़े और अधिक दर्दनाक होते जाते हैं और सफेद या पीले मवाद से भरे केंद्र का निर्माण करते हैं। प्रभावित क्षेत्र सूज जाता है, जिससे वह बड़ा और अधिक सूजा हुआ दिखता है। फोड़े बेहद दर्दनाक हो सकते हैं, खासकर अगर छुआ जाए या कपड़ों से दबाया जाए। फोड़े के आसपास की त्वचा अक्सर लाल हो जाती है और सूजन के कारण गर्म महसूस होती है। अधिक गंभीर मामलों में, व्यक्ति को हल्का बुखार हो सकता है।
जबकि फोड़े शरीर पर विभिन्न स्थानों पर निकल सकते हैं, वे चेहरे, गर्दन, बगल, नितंब और जांघों जैसे बालों के रोम वाले क्षेत्रों में सबसे आम हैं।
प्रदूषण और धूल-मिट्टी की वजह से चेहरे पर फोड़े-फुंसी होना सामान्य है. चेहरे या फिर शरीर के किसी भी हिस्से पर फोड़े-फुंसी की परेशानी होने पर काफी ज्यादा दर्द, जलन और खुजली की समस्या होने लगती हैं. स्किन पर फोड़ा या फुंसी होने पर स्किन पर गांठ की तरह दिखता है. फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए आप कई तरह के घरेलू उपचार अपना सकते हैं. आइए जानते हैं इन घरेलू उपचार के बारे में-

फुंसी हो तो क्या लगाना चाहिए?

नारियल का तेल और टी ट्री ऑयल

फोड़े-फुंसी से छुटकारा पाने के लिए नारियल का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फुंसी का इलाज करने में प्रभावी माना जाता है. अगर आप फोड़े और फुंसी से राहत पाना चाहते हैं तो नारियल के तेल में टी ट्री ऑयल मिक्स करके इसे प्रभावित हिस्से पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

एलोवेरा और हल्दी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए एलोवेरा जेल काफी प्रभावी हो सकता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो फोड़े-फुंसी में होने वाली सूजन को कम कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए एलोवेरा जेल में हल्दी मिक्स करके पीस लें. इससे फोड़े-फुंसी का इलाज किया जा सकता है.

तुलसी फुंसी का करें इलाज

फोड़े-फुंसी की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए तुलसी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है जो इससे आप फोड़े-फुंसी से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए तुलसी की पत्तियों को पील लें. अब इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाएं. इससे आपको काफी लाभ मिलेगा.

नीम से फुंसी से पाएं राहत

फोड़े-फुंसी का इलाज करने के लिए नीम काफी गुणकारी हो सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों को पीसकर इसका पेस्ट तैयार कर लें. अब इस पेस्ट को फुंसी पर लगा लें. करीब 20 मिनट बाद इसे धो लें. इससे आपको कुछ ही दिनों में राहत मिल सकता है.


फोड़े-फुन्सियों का आयुर्वेदिक उपचार:

फोड़े का प्राकृतिक और जोखिम-मुक्त तरीके से इलाज करने के लिए बहुत सारे हर्बल पेस्ट और दवाएं उपलब्ध हैं। फोड़े-फुन्सियों के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक उपाय हल्दी का लेप लगाना है। हल्दी में सूजन-रोधी गुण होते हैं। हल्दी से सूजे हुए फोड़े मुलायम हो जाते हैं और जल्दी ठीक भी हो जाते हैं।
अरोमाथेरेपी एक और प्रभावी उपचार है जो फोड़े को ठीक करने में मदद करता है। यह संक्रमण और फोड़े-फुंसियों से भी छुटकारा दिलाने में कारगर है। अरोमापेथी चाय के पेड़ या लैवेंडर या अन्य औषधीय पौधों के तेल से प्राप्त प्राकृतिक तेलों का उपयोग करती है। विशेष रूप से, चाय के पेड़ का तेल स्टैफिलोकोकस को प्रभावी ढंग से मारता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि औषधीय तेल फोड़े को सूखा देता है और इस प्रकार तेजी से ठीक होने में मदद करता है।

ममीरा या पीलाजड़ी का पत्ता पीसकर लगाएं

ममीरा को कुछ क्षेत्रों में पियारांगा पीलाजड़ी भी कहते हैं। इसके पत्तों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो कफ और वात रोगों को कम कर सकते हैं। बरसाती घाव होने पर आप इसके पत्तों को पीसकर घाव पर लेप की तरह लगा सकते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कि घाव की लालिमा और सूजन को कम करते हैं। इसके लिए ममीरा या पीलाजड़ी के पत्ते को धोकर उबाल कर इसका पानी निकाल कर रख लें। फिर इसे पानी से कुछ दिनों तक लगातार घाव धोएं। यह घाव को गायब कर देगा।

करी पत्ता पीसकर लगाएं

करी पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं। यह एंटी डायबिटिक होने के साथ बरसात में निकलने वाले फोड़े-फुंसियों को भी ठीक करता है। करी पत्ते में एंटी एलर्जिक, एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। साथ ही ये घाव की जलन को कम कर सकता है और इसे ठीक भी करता है। इसके लिए करी पत्ते को रोज सुबह चबा-चबाकर खाएं। इसके अलावा करी पत्ते में लौंग पीसकर और नारियल तेल मिलाएं। अब इस लेप को अपने घाव पर दिनभर में कई बार लगाएं। ये आसानी से घाव भरने में मददगार होगा।

कदम के पत्ते-छाल का पानी है कारगर

कदम के पत्तों या छाल बड़े ही काम की चीज है। इसे सूजन पर लगा सकते हैं। इसका इस्तेमाल मोच आने पर भी किया जा सकता है। लेकिन बरसाती घाव के लिए ये बहुत ही कारगर है। कदम के पत्तों या छाल के अर्क में एंटीबैक्टीरियल और हीलिंग गुण होते हैं। ये पहले तो घाव के बैक्टीरिया को मारकर इसे फैलने से रोकता है, इसके बाद घाव ठीक करता है। कदम के पत्तों या छाल को पीस कर उसका अर्क निकाल लें और इसे अपने घाव पर दिन में तीन बार लगाएं।

सेमल के फूल और कांटे सूजन घटाएं

सेमल के फूल और कांटों के कई फायदे हैं। अगर इन दोनों का अर्क निकाल कर रख लें तो ये बहुत काम आते हैं। इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर की सूजन दूर करते हैं और इसका एंटी बैक्टीरियल गुण घाव के बैक्टीरिया को मारता है और घाव को फैलने से रोकता है। साथ ही इसका अर्क घाव की खुजली और जलन को भी कम करने में मददगार है।
*एलोवेरा के गूदे का सेवन करना या इसे बाहरी रूप से लगाना भी प्रभावी है। अप्रत्याशित जटिलताओं के कारण आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को फोड़े के लिए इस आयुर्वेदिक उपचार की सलाह नहीं दी जाती है।
*इसके अलावा, एक पान के पत्ते को नरम होने तक हल्का गर्म कर लीजिए. फिर, इसे शुद्ध अरंडी के तेल से लेप करें और प्रभावित त्वचा क्षेत्र पर धीरे से लगाएं। इससे फोड़ा फूट जाता है और जल्दी ठीक होने में भी मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए इसे दिन में कम से कम तीन बार तब तक करें जब तक फोड़ा घुल न जाए।
आयुरहीलिंग के पास बैंगलोर में सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर हैं और कोई भी उनसे उपरोक्त हर्बल दवाएं प्राप्त कर सकता है।

गर्मी के फोड़े के लिए सरल आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:

– ब्रेड के एक टुकड़े को उबलते पानी में डुबोएं और फिर कमरे के तापमान पर ठंडा करें. इसे फोड़े पर रखने से मवाद कम हो जाता है और अंततः ठीक हो जाता है।
– प्याज और लहसुन का अर्क भी फोड़े को ठीक करता है। इन्हें बाहरी रूप से लगाने से फोड़े को पकने और मवाद बाहर निकालने में मदद मिलती है।
– जीरे को पानी के साथ पीसकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. संक्रमण के आधार पर इसे दिन में दो या तीन बार फोड़े पर लगाने से यह प्राकृतिक रूप से पक जाता है और मवाद निकल जाता है।
– अरंडी की छाल फोड़े-फुंसियों को ठीक करने में भी कारगर है. अरंडी की छाल को पीसकर पानी के साथ गाढ़ा पेस्ट बनाएं और संक्रमण पर बाहरी रूप से लगाएं।
बैंगलोर में अपने सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद डॉक्टरों के साथ आयुरहीलिंग सर्वोत्तम आयुर्वेदिक दवाओं का घर भी है।

फोड़े से छुटकारा पाने के लिए सामान्य सुझाव:

- फोड़े को अपने आप न दबाएं, न निचोड़ें या न ही सुखाएं। इससे संक्रमण फैल सकता है या फोड़े का द्वितीयक संक्रमण हो सकता है।
- फोड़े से संक्रमित त्वचा पर दिन में कई बार गीला, गर्म कपड़ा रखें।
- ऊपर दी गई टिप का उपयोग करते समय थोड़ा दबाव डालें। लेकिन, सुनिश्चित करें कि आप फोड़े को छेद न दें।
- जब फोड़ा फूटकर साफ हो जाए तो उसे साफ और ताजी पट्टी से ढककर रखें। इससे संक्रमण को अन्य स्थानों पर फैलने से रोका जा सकता है।
- फोड़े की देखभाल के बाद हमेशा अपने हाथ ठीक से धोना सुनिश्चित करें। इससे इसे फैलने से रोका जा सकेगा.
- जब फोड़ा सूखने लगे तो उसे नियमित रूप से किसी जीवाणुरोधी साबुन से साफ करें। ऐसा तब तक करें जब तक सारा मवाद निकल न जाए और फिर रबिंग अल्कोहल से उस क्षेत्र को साफ कर लें। इसे फैलने से बचाने के लिए औषधीय मलहम भी लगा सकते हैं और पट्टी से ढक सकते हैं।
इसके अलावा, संक्रमित क्षेत्र को दिन में 2 से 3 बार धोना जारी रखें। घाव ठीक होने तक फोड़े पर गर्म सेक का प्रयोग करें।

फोड़े-फुन्सियों को होने से कैसे रोकें?

नीचे दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करके फोड़े-फुन्सियों को होने से रोका जा सकता है:
-फोड़े-फुन्सियों से संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बिस्तर और तौलिये को मिलाकर न धोएं। उनके कपड़े अलग और दूसरे कपड़े अलग रखें। इससे फोड़े-फुन्सियों को फैलने से रोका जा सकेगा।
-त्वचा के छोटे-मोटे घावों को हमेशा साफ करें और उनका तुरंत इलाज करें। यदि ऐसा न किया जाए तो ये घाव आपको बिना बताए और अधिक संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
-घर के सभी लोगों के लिए अच्छी और स्वस्थ स्वच्छता का अभ्यास सुनिश्चित करें।
-फोड़े-फुन्सियों को होने से रोकने के लिए सही और स्वस्थ भोजन खाना भी महत्वपूर्ण है।
- किसी भी संक्रमण या फोड़े को सुई जैसी किसी नुकीली चीज से न फोड़ें। इससे संक्रमण बदतर हो सकता है और खतरनाक संक्रमण भी हो सकता है।

परामर्श-


दामोदर चर्म रोग हर्बल औषधि
त्वचा के विभिन्न रोगों में रामबाण औषधि की तरह उपयोगी है. रक्त की गन्दगी दूर कर चमड़ी की बीमारियों -दाद खाज,खुजली,एक्जीमा ,सोरायसिस,फोड़े फुंसी को जड़ मूल से खत्म करने के लिए जानी मानी दवा के रूप में व्यवहार होती है.

8.3.24

पुरुषों के लिए किसी औषधि से कम नहीं हैं मखाना , Benefits of Makhana




मखाना और दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से शरीर की कई समस्याएं दूर होती हैं। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है उनके लिए मखाना और दूध काफी गुणकारी माना जाता है। यह दिल से जुड़ी बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसके अलावा दूध और मखाना खाने के और भी कई फायदे हैं।
सभी की कोशिश होती है कि उनका शरीर चुस्त और दुरुस्त रह सके. जब सेहत अच्छी नहीं रहती तो जीवन का कोई भी सुख असल में सुख जैसा प्रतीत नहीं होता है. इस चलते लोग अपने खानपान में खासकर उन चीजों को शामिल करते हैं जो सेहत को फायदे देती हैं. इसी तरह की एक खाने की चीज है मखाना. बहुत से लोग मखाने को खीर में डालकर खाते हैं, कई इसे नमकीन में डालकर खाते हैं तो कई इसे स्नैक्स की तरह खाना पसंद करते हैं. मखाने (Makhana) को इनके पोषक तत्वों को देखते हुए सुपरफूड भी कहा जाता है. इनमें प्रोटीन और फाइबर होता है और यह लो फैट स्नैक्स होते हैं. मखाने में कैल्शियम और मैग्नीशियम की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है.
मखाने में आयरन प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट फैट मिनरल फास्फोरस सोडियम मैग्नीशियम आदि आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो रोजाना मखाने के सेवन से मोटापा मधुमेह हाई ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों में फायदा मिलता है। पुरुषों के लिए यह किसी दवा से कम नहीं है। इसके सेवन से यौन स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

डायबिटीज के मरीज

मखाने डायबिटीज में खाने के लिए अच्छे स्नैक्स हैं. इनमें गुड फैट्स पाए जाते हैं और इनमें सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा कम होती है. इस चलते डायबिटीज (Diabetes) में मखाने खाए जा सकते हैं. डायबिटीज में मखाने खाने पर हार्ट हेल्थ भी अच्छी रहती है.

वजन कम करता है मखाना

वजन घटाने की कोशिश कर रहे लोग भी खानपान में मखानों को शामिल कर सकते हैं. इनमें फाइबर की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है और कॉलेस्ट्रोल कम करने वाले गुण भी. इनमें प्रोटीन की भी अच्छी मात्रा होती है. इस चलते वजन घटाने (Weight Loss) के लिए सुबह या शाम कभी भी मखाने खाए जा सकते हैं.
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए फायदेमंद

मखाने में सोडियम और सैचुरेटेड फैट कम और फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है। फाइबर युक्त चीजों के सेवन से बार-बार खाने की समस्या से निजात निजात मिलता है। साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। अगर आप बढ़ते कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डाइट में मखाने को जरूर शामिल करें।

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में

हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मखाना वाला दूध आपकी मदद कर सकता है। हड्डियों को स्वस्थ रखने में मखाने वाले दूध में कैल्शियम की मात्रा होती है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इससे आपके दांतों को मजबूती मिलती है। जिन लोगों को गठिया की समस्या है, वो अपनी डाइट में मखाना और दूध शामिल कर सकते हैं

कब्ज दूर करता है मखाना

फाइबर की अत्यधिक मात्रा होने के चलते मखाने खाने पर कब्ज की दिक्कत से राहत मिलती है. मखाने मल का भार बढ़ाने में सहायक होते हैं जिससे पेट अच्छी तरह साफ हो जाता है. इसलिए कब्ज से राहत पाने में मखाने मददगार साबित हो सकते हैं.

मानसिक तनाव को दूर करने में

सेहत विशेषज्ञों की मानें तो मानसिक तनाव को दूर करने में भी मखाना फायदेमंद साबित होता है। अगर आप मानसिक तनाव से परेशान हैं, तो निजात पाने के लिए रोजाना रात में सोने से पहले एक गिलास दूध के साथ एक मुठ्ठी मखाने का सेवन करें।

शरीर में हों अगर टॉक्सिन

शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाने पर सेहत और स्किन पर भी इसका असर होता है. बीमार तो महसूस होता ही है साथ ही पेट भारी-भारी लगने लगता है और ज्यादातर फूला रहता है. ऐसे में शरीर से टॉक्सिन निकालने के लिए मखाने खाए जा सकते हैं क्योंकि मखाने डिटॉक्सिफाइंग गुणों से भरपूर होते हैं.
अत्यधिक मखाने खाने से शरीर को झेलने पड़ सकते हैं कुछ नुकसान

अगर आपका पेट है कमजोर-Weak stomach

अगर आपका पेट कमजोर हैं तो आपको मखाना खाने से बचना चाहिए। दरअसल, ये मखाना पेट के लिए भारी है और इसे पचाना आसान नहीं होता है। इसके फाइबर को पचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी की जरुरत होती है और जब आप इसे खाते हैं तो ये पेट का पानी सोखने लगता है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कब्ज की समस्या का कारण बन सकता है। इसके अलावा पेट दर्द और ब्लोटिंग आदि भी हो सकती है। इसलिए, कमजोर पाचन तंत्र वाले मखाना खाने से बचें।

डायरिया में इसके सेवन से बचें

फाइबर रिच मखानों का सेवन अधिक मात्रा में करने से जहां एक तरफ भूख शांत हो जाती है। वहीं शरीर को पोषण भी मिलता है। अगर आप डायरिया या पाचन संबधी किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो उस स्थिति में मखानों का सेवन करने से बचें। पौष्टिक तत्वों से भरपूर मखानों को अगर आप अत्यधिक मात्रा में खाते हैं, तो वे ब्लोटिंग का कारण बन सकता है

किडनी स्टोन की दिक्कत में-Kidney stone

किडनी स्टोन की दिक्कत में मखाना खाना, कई समस्याओं का कारण बन सकता है। दरअसल, किडनी स्टोन की दिक्कत शरीर में कैल्शियम की अधिकता होने की वजह से होती है और और ऐसे में कैल्शियम से भरपूर मखाने का सेवन, इस समस्या को और तेजी से बढ़ा सकता है। इसलिए अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है तो मखाना खाने से बचें।

एलर्जी होने की संभावना


एंटीबैक्टीरियल गुणों से परिपूर्ण मखानों को आप रोसटिड या कैरेमल फॉर्म में खा सकते हैं। इसके अलावा लोग इसकी खीर भी खाते हैं। अगर आप नियमित तौर पर मखानों को अलग अलग तरह से खा रहे हैं, तो इसका आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी दिखने लगता है। इससे स्किन पर रैशेज और खांसी जुकाम भी होने लगता है। अलग अलग लोगों को शरीर के मुताबिक कई प्रकार की एलर्जी का सामना करना पड़ सकता है। अगर आपको मखाने खाने के दौरान डिसकंफर्ट महसूस होने लगता है, तो ऐसे में उसे तुरंत खाना बंद कर दें।

हाइपरटेंशन

न्यूट्रिएंट्स से भरपूर मखानों को खाने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी सामना करना पड़ सकता है। लो कैलोरी और सोडियम से रहित इस सुपरफूड को बनाने के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले नमक से शरीर में ब्लड प्रेशर रेज़ होने लगता है। इसके चलते हाइपर टेंशन समेत हार्ट संबधी समस्याओं का भी खतरा बना रहता है।