शाकाहारी और मांसाहारी दोनों स्रोतों से हमें ओमेगा-3 फैटी एसिड मिलता है। यह अखरोट जैसे सूखे मेवों, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, कनोडिया या सोयाबीन, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता हैै। ट्यूना, सामन, हिलसा, सार्डिन जैसी मछलियां, शैवाल, झींगा जैसे सी-फूड ओमेगा-3 के ईपीए और डीएचए प्रकार के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा गाय का दूध, मूंगफली, अंडे का सेवन भी फायदेमंद है।
इस्तेमाल का तरीका
एक स्वस्थ व्यक्ति को वजन के हिसाब से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए। डाइटीशियन या डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि अधिक फैट लेने से यह मोटापे का कारण बनता है। फ्लैक्स जैसे बीज पीस कर पाउडर बनाएं और इसका एक-डेढ़ चम्मच सुबह खाली पेट पानी के साथ खाएं, लाभ होगा। इन पिसे बीजों को सलाद के ऊपर छिड़क कर या दही-रायते में मिला कर भी खा सकते हैं। ओमेगा-3 युक्त ऑयल में खाना बनाने से इसकी आपूर्ति स्वत: ही हो जाती है। जहां तक सी-फूड का सवाल है, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने इसे सप्ताह में 2-3 बार लेना बेहतर माना है।
एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की 4 ग्राम खुराक ले सकता है। चाइल्ड हेल्थ फाउंडेशन ने बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजाना औसतन 2 ग्राम ओमेगा-3 का सेवन करने की सिफारिश की है। बीमार लोगों को डॉक्टर की सलाह पर ध्यान देना चाहिए।
कमी से होने वाले रोग
पर्याप्त मात्रा में सेवन के बावजूद कई बार पाचन तंत्र में गड़बड़ी से चयापचय या अवशोषण में कमी होने के कारण ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी कमी से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, उच्च कोलेस्टेरोल, डायबिटीज, सूजन, आंत्र रोग, अल्जाइमर जैसे रोग हो सकते हैं। अनुसंधानों से साबित हो चुका है कि आहार में ओमेगा-3 की कमी से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक सेवन है नुकसानदेह
लगातार ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त आहार लेने से यूं तो स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अतिरिक्त वसा शरीर की कोशिकाओं में जमा होने लगती है और वजन बढ़ाती है। ध्यान न देने पर भविष्य में यह उच्च रक्तचाप, हृदय घात, डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बन सकता है।
करें नियमित सेवन
*ओमेगा-3 के नियमित सेवन से रक्त में वसा या ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नियंत्रित होता है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम रहता है।
* नियमित सेवन से आथ्र्राइटिस से शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वों का प्रभाव कम होता है। जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द, आथ्र्राइटिस, जकड़न में आराम मिलता है।
* बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में फायदेमंद है ओमेगा 3। यह बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ाता है और उनके मानसिक कौशल में सुधार करता है।
* स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की 4 ग्राम खुराक ले सकता है।
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