आमतौर पर यौन समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को होती है, लेकिन वीर्य जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जो पुरुषों में बहुत सामान्य है। अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर पुरुष जोश में जल्दी वीर्य गिरने की समस्या से परेशान रहते हैं। चूंकि जल्दी स्खलित हो जाने से पत्नी या पार्टनर को बेहतर शारीरिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए यह समस्या पुरुषों की मर्दानगी पर भी सवाल उठाती है।वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है आप अपने साथी के साथ संभोग करते समय एक मिनट से भी कम समय में या बहुत जल्दी स्खलित हो जाते हैं और अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाते और वह सेक्स का आनंद नहीं ले पाती है। जल्दी स्खलित होने की समस्या काफी शर्मनाक मानी जाती है और यह शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है।
होमियोपैथिक एक लक्षण चिकित्सा-पद्धति है । इस पद्धति में रोग के नाम के अनुसार नहीं, अपितु रोगों के लक्षण के आधार पर चिकित्सा की जाती है । शीघ्रपतन premature ejaculation के लक्षणों में निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियाँ लाभकारी होती हैं –
लाइकोपोडियम –
ये ध्वजभंग की मुख्य औषध है । जननेन्द्रिय की कमजोरी, जिन युवकों ने अधिक गुप्त-पाप (व्यभिचार) किये हो तथा उनकी जननेद्रिय क्लान्त हो गयी हो, अत्यधिक मैथुन तथा अप्राकृतिक मैथुन के कारण लिंगेन्द्रिय में उत्तेजना या कड़ापन न आना अथवा थोड़ी देर के लिए आना, शीघ्रपतन आदि लक्षणों में उपयोगी है । विशेषकर वृद्धों के लिए बहुत लाभकारी है ।
ग्रैफाइटिस
ग्रैफाइटिस
प्रचण्ड कामोत्तेजना, रात्रिकालीन स्वप्नदोष, लिंगोतेजना इतनी कड़ी होना कि लिंग-प्रवेश के तुरन्त बाद ही वीर्य-स्खलन premature ejaculation हो जाए अथवा संगमेच्छा का अभाव एवं लिंग में कड़ापन न आना । कमजोर लिंगोद्रेक के साथ स्वप्नदोष, गुप्त-दुराचार (हस्तमैथुन) आदि तथा अतिरिक्त काम-तृप्ति के कारण ध्वजभंग, लिंगमुण्ड पर कटे घाव तथा खाल उधड़ जाना, लिंग की शोथ (सूजन) तथा पुराने सुजाक के लसदार-चिपचिपे स्राव आदि लक्षणों में।
फास्फोरस 6, 30 –
फास्फोरस 6, 30 –
प्रचण्ड कामेच्छा, बार-बार, लिंगोद्रेक होना, दिन-रात लिंग में दर्द होना, बिना अश्लील स्वप्न देखे ही रात में स्वप्नदोष हो जाना, नमक के अत्यधिक व्यवहार के कारण इन्द्रिय दौर्बल्य, अत्यधिक उत्तेजना तथा गुप्त व्यभिचार के बाद ध्वजभंग,
सेलिनियम 30 –
लिंगेन्द्रिय की असीम दुर्बलता, प्रबल कामेच्छा होने पर भी लिंग में कड़ापन न आना अथवा लैंगिक-क्रिया का असन्तोषपूर्ण अथवा सम्पूर्ण न होना, बार-बार वीर्य-स्राव, बिना कामेच्छा के ही प्रात:काल लिंगोतेजना, परन्तु सहवास की चेष्टा करने पर लिंगेन्द्रिय का शिथिल हो जाना, जननेन्द्रिय में खुजली तथा सुरसुरी, नींद में चलते समय, पाखाने के समय अथवा अनजाने में लिंग से गोंद जैसा लसदार पदार्थ निकलना आदि लक्षणों में ।
सीपिया –
सीपिया –
पुरुषों का इन्जेक्शन के कारण रुके हुए पुराने प्रमेह का, मूत्र-नली से अत्यधिक पीला अथवा दूध जैसा स्राव अथवा अन्तिम बूंद दर्द रहित होना, मूत्रेन्द्रिय से रात के समय स्राव तथा प्रात:काल मूत्र-नली का मुख आपस में सट जाना, बहुत दिनों तक बीमारी बने रहना अथवा बारम्बार वीर्यस्राव के कारण कामेद्रिय का दुर्बल हो जाना । कामेच्छा का घट जाना अथवा कामेच्छा के प्रति अरुचि आदि लक्षणों में ।
फास्फोरिक एसिड –
फास्फोरिक एसिड –
युवको की अत्यधिक कामलिप्सा तथा गुप्त-पाप (हस्तमैथुन, व्यभिचार आदि) के कारण कमजोरी, ध्वजभंग के साथ अचैतन्यता जैसी अवस्था, मानसिक अवसन्नता, शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होने पर भी मानसिक क्षीणता, सम्पूर्ण शरीर में अत्यधिक क्लान्ति, इन्द्रिय-शैथिल्य, लिंगोद्रेक न होना, संगम से अनिच्छा, काम-वासना का नाश, आलिंगन काल में ही लिंगेन्द्रिय का शिथिल हो जाना तथा सम्पूर्ण क्रिया न कर पाना आदि लक्षणों में यह औषधि हितकर सिद्ध होती हैं ।
सल्फर –
सल्फर –
जननेन्द्रिय पर उदभेद, खुजली, जननेन्द्रिय के पास बहुत पसीना होना, जननेन्द्रिय की ठण्डक, पुरुषों में ध्वजभंग, कामेच्छा के समय जबरदस्त खाँसी उठना, लिंग में भरपूर कड़ापन न आना व योनि प्रवेश के पूर्व ही अथवा प्रवेश करते ही बहुत जल्दी वीर्य स्खलित premature ejaculation हो जाना, जननेन्द्रिय से बहुत दुर्गन्ध आना आदि लक्षणों में
जिंकम मेटालिकम – बहुत अधिक काम के कारण रोगी का क्लान्त तथा उत्तेजनाशील होना तथा इसी कारण शीघ्रपतन के कारण होने पर इस औषध का सेवन करें ।
बर्बेरिस –
जिंकम मेटालिकम – बहुत अधिक काम के कारण रोगी का क्लान्त तथा उत्तेजनाशील होना तथा इसी कारण शीघ्रपतन के कारण होने पर इस औषध का सेवन करें ।
बर्बेरिस –
गठिया प्रकृति वाली स्त्री के लिए यह औषध सर्वोत्तम है, जिसे सहवास-काल में वेदना होती है और पुरुष-संग की इच्छा नहीं होती ।कामोत्तेजना या तो देर से होती है अथवा होती ही नहीं, इससे उसे अवसन्नता भी आ जाती है । स्त्री की मूत्र-नली में जलन, योनि-पथ में जलन का दर्द आदि लक्षणों में।
कैलेडियम –
कैलेडियम –
स्त्रियों की जननेन्द्रिय में खुजली, जिसके साथ अस्वाभाविक उत्तेजना भी जाती रहती है । पुरुषों में, शिथिल लिंग के साथ भयानक कामेच्छा, प्रात:काल अर्द्ध-निद्रित अवस्था में लिंगोतेजना, जो जगते ही चली जाती हो, कामवासना के खूब जाग्रत होने पर भी शक्ति का न रहना, बिना इच्छा के स्वतः ही लिंगोतेजना, कड़ापन व नपुन्सकता तथा शीघ्रपतन premature ejaculation के लक्षणों में। कार्बोबेजिटेबिलस –
पुरुष तथा स्त्री दोनों की जननेन्द्रिय में कमजोरी तथा शिथिलता, पुरुष-लिंग का झूल पड़ना, स्त्री-योनि की शिथिलता, ठण्डी तथा पसीने से भरी स्त्री-जननेन्द्रिय, जिससे अपने आप तरल रस रिसता रहता हो । यह औषध स्त्रियों के लिए अधिक उपयोगी है ।
कार्बोनियम सल्फ्यूरेटम –
कार्बोनियम सल्फ्यूरेटम –
मूत्रनली से पुराने सूजाक जैसा स्राव, मूत्राशय के कष्ट, मूत्रनली में वेदना, सम्पूर्ण ध्वजभंग, लिंगमुण्ड का प्रदाह, अण्डकोष में दर्द, जननेन्द्रिय में खुजली, जननेन्द्रिय की शिथिलता, सहवास के समय अतिशीघ्र स्खलित हो जाना, रात में स्वप्नदोष, कामेन्द्रियों का सिकुड़ जाना, कामेच्छा का अभाव आदि लक्षणों में इस औषधि का सेवन करें ।
कोनियम मेकुलेटम 3 –
कोनियम मेकुलेटम 3 –
पुरुषों की रमणशक्ति का दुर्बल पड़ जाना, ध्वजभंग, प्रचण्ड कामेच्छा रहने पर भी लिंग का उत्तेजित न होना, रात्रि में बिना स्वप्न के ही वीर्यस्राव, अत्यधिक रमणइच्छा होने पर भी सम्पूर्ण अथवा आंशिक, ध्वजभंग, दर्द भरा वीर्यस्राव तथा भारी वेदनापूर्ण लिंगोद्रेक, लिंगोद्रेक होने पर छुरी से काटने जैसा दर्द, विधुर तथा स्त्री प्रसंग के अनभ्यस्त पुरुषों की दबी हुई कामेच्छा का दुष्परिणाम, शीघ्रपतन के लक्षण में दें ।
ऐग्नस कैक्टस Q –
ऐग्नस कैक्टस Q –
लिंग में कमजोरी, परन्तु कामेच्छा का अधिक होना, मल-त्याग के समय जोर लगाने से अथवा नींद में वीर्य स्खलन, एकदम मानसिक अवसन्नता, कमजोर तथा अनमनेपन का भाव आदि लक्षणों में इसके मूल अर्क को 5 से 10 बूंद तक की मात्रा में सेवन करें ।
नूफर लूटिया –
नूफर लूटिया –
कामूक वार्तालाप एवं सामान्य उत्तेजना से ही वीर्य स्खलित हो जाना तथा स्वप्नदोष के साथ कमजोरी आने के लक्षणों में ।
कैल्केरिया कार्ब 6 –
कैल्केरिया कार्ब 6 –
अत्यधिक मैथुनेच्छा परन्तु लिंग में कड़ापन आने से पूर्व ही वीर्य का शीघ्र स्खलित premature ejaculation हो जाना, सम्पूर्ण शरीर में दर्द तथा कमजोरी के लक्षणों में।
प्लैटिना 6 –
युवावस्था के आरम्भ में ही अत्यधिक शुक्रक्षय तथा हस्तमैथुन के दुष्परिणाम स्वरूप कामेच्छा न होने पर भी लिंग में कड़ापन होना तथा वीर्य का शीघ्र स्खलित हो जाना आदि लक्षणों में इस औषधि का सेवन करें ।प्लैटिना 6 –
नक्सवोमिका 3x, 30 –
थोड़े ही कारण से कामोत्तेजना । प्रातः नींद खुलने पर अस्वाभाविक लिंगोद्रेक, अश्लील स्वप्न देखने के बाद स्वप्नदोष, कमजोरी, बेचैनी, मेरुदण्ड में जलन आदि लक्षण प्रतीत होने पर दें ।
थूजा Q –
थूजा Q –
अत्यधिक शुक्र-क्षरण की यह उत्तम औषधि है । विशेषकर सूजाक के कारण उत्पन्न हुए उपसर्गों में लाभप्रद है । मात्रा 4 बूद ।
बैल्लिस पेरेनिस Q –
बैल्लिस पेरेनिस Q –
धातु-दौर्बल्य की यह उत्तम औषध है । हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न हुए इस रोग में यह औषध विशेष लाभ करती है । मात्रा-5 बूंद, दिन में दो बार नित्य सेवन करें ।
उक्त औषधियो के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ भी उपयोगी सिद्ध होती हैं –
बैराइटा-कार्ब, पिक्रिक-
उक्त औषधियो के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ भी उपयोगी सिद्ध होती हैं –
बैराइटा-कार्ब, पिक्रिक-
एसिड, स्टैफिसेग्रिया, डिजिटेलिस, आर्निका, कैनाबिस-सैट, एसिड फास्फोरिक, चायना, कैन्थरिस, पल्स, इग्नेशिया, आर्जेण्ट-मेट, सिलिका, व्यूफो, कैल्के-फॉस, लैकेसिस, नेटूम, साइना आदि ।
आरम मेटालिकम 3x, 200 –
आरम मेटालिकम 3x, 200 –
शरीर में भयंकर कामोत्तेजना का भाव, चंचलता, परन्तु फिर शीघ्र ही एक निश्चिलता की स्थिति लिंगेन्द्रिय की अत्यधिक शिथिलता, मैथुन करते ही लिंग का ढीला पड़ जाना, हस्तमैथुन के परिणाम आदि लक्षणों में । यह औषध स्त्रियों के लिए बहुत उपयोगी है ।
प्लाटिनम –
प्लाटिनम –
अत्यधिक उत्तेजना, जिसके कारण हस्तमैथुन आदि करने पड़ें, कामोत्तेजना के कारण उत्पन्न अपस्मार, असह्य कामोत्तेजना तथा जननेन्द्रिय में लगातार सुरसुरी, अत्यधिक कामोत्तेजना के कारण शीघ्रपतन के लक्षण में।
शीघ्रपतन के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है और इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। खासतौर पर यह सेक्स से जुड़ी समस्याओं के इलाज में बहुत अधिक फायदेमंद है। आयुर्वेद में शतावरी के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। शतावरी के नियमित सेवन से शीघ्रपतन के मरीजों को जल्दी आराम मिलता है।.
खुराक : रोजाना एक चम्मच शतावरी चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार शहद या दूध के साथ मिलाकर खाएं।
खुराक : रोजाना एक चम्मच शतावरी चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार शहद या दूध के साथ मिलाकर खाएं।
गोक्षुर :
आयुर्वेद में बताया गया है कि गोक्षुर एक ऐसी जड़ी बूटी है जो वात पित्त कफ तीनों को नियंत्रित रखने में मदद करती है।गोक्षुर का इस्तेमाल मुख्य रुप से यौन शक्ति बढ़ाने और शीघ्र स्खलन जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके सेवन से मांसपेशियों में ताकत आती है और टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है।
खुराक : रोजाना एक चम्मच गोक्षुर चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच गोक्षुर चूर्ण को घी और चीनी के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाएं।
खुराक : रोजाना एक चम्मच गोक्षुर चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच गोक्षुर चूर्ण को घी और चीनी के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाएं।
केसर :
केसर के मुख्य फायदों से तो सभी भलीभांति परिचित है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केसर में कामोत्तेजक गुण भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार केसर को दूध के साथ मिलाकर पीने से शीघ्रपतन की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा केसर के नियमित सेवन से सेक्स पॉवर और कामेच्छा बढ़ती है।
खुराक : रोजाना 5-7 केसर के रेशे (Styles)
सेवन का तरीका : 5-7 केसर के रेशे को दूध में उबालकर रात में सोने से पहले पिएं। यह शरीर की ताकत बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है। शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक दवा के रुप में इसका इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। इसके अलावा यह वीर्य बढ़ाने और नपुंसकता दूर करने के इलाज में भी इस्तेमाल की जाती है। कई डॉक्टरों का भी मानना है कि शीघ्रपतन के लिए यह एक अचूक औषधि है। आप मकरध्वज का सेवन भष्म या वटी के रुप में कर सकते हैं। इसकी मात्रा या खुराक की अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लें।
खुराक : इसकी खुराक मरीज की वर्त्तमान स्थिति पर निर्भर करती है इसलिए खुराक के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
खुराक : रोजाना 5-7 केसर के रेशे (Styles)
सेवन का तरीका : 5-7 केसर के रेशे को दूध में उबालकर रात में सोने से पहले पिएं। यह शरीर की ताकत बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है। शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक दवा के रुप में इसका इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। इसके अलावा यह वीर्य बढ़ाने और नपुंसकता दूर करने के इलाज में भी इस्तेमाल की जाती है। कई डॉक्टरों का भी मानना है कि शीघ्रपतन के लिए यह एक अचूक औषधि है। आप मकरध्वज का सेवन भष्म या वटी के रुप में कर सकते हैं। इसकी मात्रा या खुराक की अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लें।
खुराक : इसकी खुराक मरीज की वर्त्तमान स्थिति पर निर्भर करती है इसलिए खुराक के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
सेवन का तरीका :
डॉक्टर द्वारा बताए गये निर्देशानुसार ही इसका सेवन करें।
मुलेठी :
मुलेठी :
अधिकतर लोग मुलेठी का इस्तेमाल खांसी-जुकाम या गले की खराश दूर करने के लिए करते हैं लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि शीघ्रपतन के इलाज में भी आप मुलेठी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में मुलेठी को वात-पित्त नाशक और शुक्रवर्धक माना गया है। मुलेठी का इस्तेमाल शीघ्रपतन रोकने के घरेलू उपाय के रुप में किया जाता है।
खुराक : रोजाना एक चम्मच मुलेठी चूर्ण
सेवन का तरीका : शीघ्रपतन दूर करने के लिए रोजाना आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण को दूध या शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
अगर ऊपर बताए गए किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें।
खुराक : रोजाना एक चम्मच मुलेठी चूर्ण
सेवन का तरीका : शीघ्रपतन दूर करने के लिए रोजाना आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण को दूध या शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
अगर ऊपर बताए गए किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें।