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29.10.23

औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा



हमारे आस-पास प्राकृतिक औषधियों का खजाना है, जो कई बीमारियों को ठीक करने की ताकत रखते हैं. ऐसा ही एक पूजनीय और लाभकारी पौधा है पारिजात, जिसे आमतौर पर हरसिंगार के नाम से जाना जाता है. इसके मनमोहक फूलों की खुशबू के साथ-साथ इसकी पत्तियां अपने औषधीय गुणों के लिए खास तौर पर जानी जाती हैं. सदियों से, इन पत्तियों का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा में विभिन्न बीमारियों, खासकर गठिया और जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता रहा है. 

पारिजात के फायदे

जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत

पारिजात के पत्तों में पाए जाने वाले पावरफुल एंटी इंफ्लेमेटरी और दर्दनिवारक तत्व गठिया, रुमेटी गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिक दर्द से जुड़ी सूजन, जकड़न और तेज दर्द से तुरंत राहत प्रदान करते हैं.
साइटिका के दर्द में आराम




साइटिका का दर्द, जो अक्सर असहनीय होता है और पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक जाता है, पारिजात के पत्तों के सेवन से भी राहत मिलती है.
पारिजात का फूल गठिया दर्द, साइटिका, पुरानी पीठ दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटियों में से एक है। आप पारिजात की चाय बनाकर पी सकते हैं। यह चाय स्वाद में भी बेहतर है और कई लाभ देती है। आप अपने दर्द के अनुसार दिन भर में 1-2 गिलास चाय पी सकते हैं।

कैसे बनाएं पारिजात के पत्तों की चाय

इन समस्याओं को खत्म करने के लिए आप पारिजात के पत्तों की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसके लिए 3-4 पत्तियां लेकर उन्हें 1 गिलास पानी में आधा होने तक उबालें। इसके बाद छानकर पे लें।

वात से जुड़े विकार भी होंगे खत्म

यह वात विकार जैसे गठिया, साइटिका, पीठ दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द के लिए सबसे बढ़िया उपाय है।

डेस्क जॉब वाले जरूर पिएं ये चाय

डेस्क जॉब वाले लोगों, कंप्यूटर पर काम करने वालों को अक्सर बैठने की स्थिति के कारण रुक-रुक कर पीठ दर्द होता है, वे भी पीठ दर्द को कम करने के लिए पारिजात चाय का सेवन कर सकते हैं।

पारिजात का काढ़ा कैसे बनाया जाता है? 

काढ़ा बनाने के लिए आपको पारिजात की 5–7 ताजी हरी पत्तियां और 2 कप पानी की जरूरत होगी।
सबसे पहले पारिजात की पत्तियों को साफ पानी से धो लें।
अब एक पैन में 2 कप पानी लें और उसमें ये पत्तियां डाल दें।
इस पानी को धीमी आंच पर पकने दें जब तक यह एक कप न रह जाए।
अब इसे छान लें और गुनगुना रहने पर सेवन करें।
चाहें तो हल्का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा शहद मिला सकते हैं।

हरसिंगार की चाय (Herbal Tea)

साइटिका के दर्द की वजह से जब खड़ा होना भी मुश्किल होने लगे, तो इस स्थिति में आप हरसिंगार की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसकी चाय बनाने के लिए हरसिंगार की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। हरसिंगार की चाय बनाने के लिए आप जो सामान्य चाय बनाते हैं, उसमें हरसिंगार की पत्तियां डालें। उबाल आने के बाद इसे छलनी की मदद से छान लें। अब चाय की चुस्कियों का मजा लें। इससे आपके मसल्स रिलैक्स होंगे और आपको काफी अच्छा महसूस होगा। ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से इस चाय का सेवन करने से शरीर पर जलनरोधी प्रभाव पड़ सकता है।

पारिजात के पत्ते पत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण  आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखारआदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह  के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले  सांप के विष के असर को कम करने वाले  टॉनिक विरेचक , स्वेदजनक  और मूत्रवर्धकगुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में, को प्रयोग किया जाता है।

क्या पारिजात और हरसिंगार एक ही हैं?

पारिजात और हरसिंगार एक ही पौधे के दो नाम हैं। यह एक सुगंधित फूलों वाला पौधा है, जिसे धार्मिक और औषधीय दृष्टि से बहुत महत्व दिया जाता है। इसके सफेद फूलों में केसरिया रंग की डंडी होती है और ये सुबह के समय जमीन पर झड़ते हैं। पारिजात या हरसिंगार के पत्तों, फूलों और छाल का उपयोग आयुर्वेद में बुखार, दर्द, गठिया और कई अन्य रोगों के उपचार में किया जाता है।

13.9.23

हार सिंगार (पारिजात) है दिव्य औषधीय पौधा :अनेक रोगों में चमत्कारिक लाभ

 हार सिंगार है दिव्य औषधीय पौधा :अनेक रोगों में चमत्कारिक लाभ 



 हरसिंगार का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके फल, पत्ते, बीज, फूल और यहां तक कि इसकी छाल तक का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। 
हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। 





हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनगुना  ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।

                              जोड़ों में दर्द में हरसिंगार 



हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।

                         कई बीमारियाँ भगाने वाला पौधा हारसिंगार 



खांसी - 
खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।

                                साइटिका मे पारिजात 


दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।

बवासीर - 



हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
                                       परिजात के फायदे 



त्वचा के लिए - 
हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
दर्द - 
हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।

प्रतिरोधक क्षमता -

हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।

गठिया रोग के उपचार के लिए



आयुर्वेद के जाने माने वैध्य  डॉ . दयाराम  आलोक  ने अनुसंधान किया है कि परिजात के पत्ते गठिया के रोगियों के लिए बहुत ही असरदार होता है। गठिया रोग यानी जिनको जोड़ो में दर्द रहता है या शरीर के किसी भाग में सूजन है तो उनके लिए परिजात के पत्ते बहुत ही लाभकारी होते हैं। गठिया रोग में परिजात के पत्ते का सेवन कुछ इस प्रकार करते हैं परिजात के 5-7 पत्तियां तोड़कर पीस लें और उसे एक गिलास पानी में डालकर  इतना उबालें उबालें  कि पानी की मात्रा आधा  हो जाए  इसका इसको  ठंडा होने दें ठंडा होने के बाद इसे सुबह में खाली पेट पी लें इसे पीने के बाद कम से कम एक घंटा तक खाना ना खाएं।
                                 


बूढ़े लोगों में अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या आम बात है लेकिन आजकल यह वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है। अर्थराइटिस के बेतहाशा दर्द और सूजन से निजात दिलाने में हरसिंगार की पत्तियां बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होती हैं। अगर आप अर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो हरसिंगार के पत्ते के पावडर को एक कप पानी में उबालकर और इसे ठंडा करके पीने से अर्थराइटिस के दर्द में राहत मिलता है। हरसिंगार का उपयोग प्रतिदिन करने से यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है।

                            जोड़ों का दर्द और गठिया में पारिजात 


हरसिंगार, जिसे पारिजात भी कहा जाता है, गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके पत्तों का काढ़ा या लेप बनाकर जोड़ों पर लगाने से आराम मिलता है। हरसिंगार की चाय भी गठिया के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है

                              सूजन को करे कम


शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन (inflammation) की समस्या होने पर अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही इसका सेवन साइटिक के दर्द में भी आराम पहुंचता है।

तनाव



 हरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं। इसके लिए आपको रसिंगार की चाय का सेवन करना होगा, जो आपको रिलैक्स रखने में मदद कर सकती है। वहीं, इसकी मदद से आप अपना मूड भी ठीक कर सकते हैं

       सामान्य बुखार ,डेंगू ,मलेरिया  में फायदेमंद हारसिंगार


डेंगू और चिकनगुनिया से जूझने वालों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के सेवन से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। इसमें एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों के कारण होने वाले बुखार से बचाते हैं। साथ ही जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, हरसिंगार डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है

डायबिटीज ( Diabetes )

हरसिंगार का पेड़ डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। डायबिटीज से ग्रसित लोग परिजात के पत्ते का 15-25 मिली काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें ।

              हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा कैसे बनाएं

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले हम हरसिंगार का पत्ता 7-8 लेंगे फिर उसको पिसेगे पिसने बाद 1गिलास पानी ले फिर उस पेस्ट को अच्छा से घोल लें ओर उसे धीमी आंच पर पकाने वास्ते छोड़ दें जब पानी उबालकर आधा हो जाय तो उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें फिर उसे सूबह उठकर खाली पेट उस काढ़ा को पिले फिर उसका उपयोग 1
हपते करने जोड़ो का दर्द से राहत मिलती हैं।

                     हरसिंगार के पत्ते का चाय कैसे बनाएं

  हरसिंगार की चाय बनाने के लिए दो कप पानी हरसिंगार के दो पत्ते तीन फूल के साथ तुलसी के साथ कुछ पत्ते तुलसी के साथ कुछ पत्तियां लीजिए इसको अच्छी तरह धीमी आंच पर उबालें आधी चाय उबलने के बाद गुड़ का छोटा सा टुकड़ा डालें और इससे 2 मिनट इसे धीमी आंच पर पकाएं 2 मिनट और यह चाय बनकर तैयार है यह चाय पीने से बुखार में राहत मिलती है यह चाय का सेवन प्रत्येक 2 दिन बाद करनी चाहिए।

हरसिंगार के पत्ते के फायदे

हरसिंगार का उपयोग अस्थमा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। अध्ययनों के अनुसार हरसिंगार के पत्ते में एंटी अस्थमैटिक और एंटी अलर्जिक गुण पाए जाते हैं जो कि अस्थमा रोग के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।

आप इसका उपयोग करने के लिए हरसिंगार के फूलों तथा हरसिंगार के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं, इन्हें सुखा कर पाउडर बना लें और इसका इस्तेमाल करें।
हरसिंगार के पत्ते के फायदे शरीर की पाचन क्रियाओं में भी होते हैं , हरसिंगार के पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में बहुत ही मदद करता है, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक (Anti Spasmodic) गुण भी पाए जाते हैं जो कि शरीर की पाचन तंत्र को स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं ।
  हरसिंगार में एंटीएंफ्लेमेट्री के गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो कि गठिया मरीजों के लिए उपयोगी होता है ।हरसिंगार का अर्क गठिया को बढ़ने से रोक सकता है, हरसिंगार में एंटी आर्थराइटिस गुण भी मौजूद होते हैं ।

विशिष्ट परामर्श-  



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