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29.10.23

औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा



पारिजात सफेद फूलों वाला पेड़ है, जिसे हरसिंगार भी कहा जाता है। इसके पत्ते व फूलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है। आजकल लोग घर पर भी इस पेड़ को उगाने लगे हैं क्योंकि इसके पत्तों का इस्तेमाल कई घरेलू उपचारों में भी किया जाता है। आजकल मार्केट में भी हरसिंगार के बीज, ताजे पत्ते व इनसे बने कई प्रोडक्ट मिल जाते हैं।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
पारिजात दिव्य गुणों से युक्त पेड़ है। इसे संस्कृत में शेफालिका कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल जिसमें शिलीमुख अर्थात भंवरा आराम से सोता है। इसे हरिश्रृंगार या हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स है। पारिजात, आयुर्वेद का एक बहुत ही अच्छी तरह से जाना जाने वाला औषधीय पौधा है। यह भारतवर्ष का मूल निवासी है। यह उप-हिमालयी क्षेत्रों से दक्षिण के गोदावरी तक मिलता है। पारिजात के पुष्पों, पत्तों, आदि का औषधीय कार्यों के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में इस्तेमाल बहुत पुराने समय से उपयोग किया जाता रहा है।
पारिजात के पुष्पों को भगवान् श्री कृष्ण की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसकी बहुत ही अनुपम गंध होती है। पारिजात के पुष्प रात में खिलते है और सुबह स्वतः ही गिर जाते है।
कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष सागर मंथन से उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष को इन्द्र ने अपने उद्यान नंदन कानन में लगा दिया। देवराज इंद्र के निमंत्रण पर जब श्री कृष्ण स्वर्ग लोग में अपनी पत्नी देवी रुकमणी के साथ पहुंचे तो देवराज ने स्वागत में यह पुष्प उन्हें भेंट किये। इन पुष्पों को देवी रुकमणी ने अपने बालों में धारण कर लिया। जब श्री कृष्ण और रुकमणी, द्वारका वापस लौटे तो उन पुष्पों को देख श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा उस पुष्प के पेड़, पारिजात को लाने की जिद की। श्री कृष्ण ने इंद्र से आग्रह किया की वे उन्हें पारिजात दे दें। लेकिन इंद्र ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। तब श्री कृष्ण ने इन्द्र से घनघोर युद्ध कर इस वृक्ष को जीत कर धरती पर लाये और इसे द्वारका में प्रतिष्ठित किया।
पारिजात का पेड़ झाड़ी जैसा होता है। इसकी जड़ के पास से कई तने निकल आते हैं । इसके पत्ते हरे खुरदरे और रोएँ युक्त होते हैं। ऊपर से ये हरे और नीचे से हलके रंग के होते है। पारिजात के पुष्प पेड की टहनी पर गुच्छे में लगते है। पारिजात पुष्प की ६-७ पंखुड़ियाँ सफ़ेद रंग की होती और नारंगी रंग की डंठल से जुडी होती है। पुष्प खिलने के बाद हरे गोल रंग के चपटे फल लगते है।
पारिजात फूलों से पीला रंग भी निकाला जाता है। यह रंग कपड़ों को रंगने और पुलाव को पीला रंग देने के लिए होता है।
पारिजात के पत्ते Leavesपत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण sciatica, chronic fever, rheumatism, internal worm infections आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखार आदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह fever, high blood pressure and diabetes के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले  सांप के विष के असर को कम करने वाले टॉनिक tonic, विरेचक laxative, स्वेदजनक  और मूत्रवर्धक  गुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में को प्रयोग किया जाता है।

पारिजात के फूल  

पारिजात के पुष्पों को पित्त दोष कम करने, कफ, वात कम करने, टॉनिक, बवासीर और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
पुष्पों के पीले हिस्से का प्रयोग सिल्क और सूती कपड़ों को रंगने में भी होता है।

पारिजात का तना 

परंपरागत रूप से स्टेम छाल के पाउडर का प्रयोग गठिया, जोड़ों के दर्द rheumatic joint pain, मलेरिया, और कफ को ढीला करने के लिए होता है। ओड़िसा मलेरिया के उपचार के लिए, छाल के पाउडर, अदरक, और पिप्पली का काढ़ा बनाकर दो दिन तक लिया जाता है।
पारिजात के बीज Seedsबीजों को कृमि नाशक anthelmintics और खालित्य/गंज alopecia में इस्तेमाल किया जाता है।
यह पित्त को कम करता है और कफ को ढीला कर बाहर निकालने expectorant में मदद करता है। यह पित्त की अधिकता से होने वाले बुखार में भी उपयोगी है।
बीजों का पाउडर का प्रयोग सिर में रुसी, पपड़ी, सूखी त्वचा का इलाज करने लिए प्रयोग लिया जाता है। इसके अतिरित इसे बवासीर और त्वचा रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।

साइटिका, ग्रिध्सी Sciatica

1. पारिजात, ३-६ पत्तों को कूट कर पानी में उबाल, सुबह और शाम रोज़ पीने से लाभ होता है।
2. पारिजात के सूखे पत्तों का पाउडर, 1 चम्मच पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।

आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द Arthritis, joint pain

पारिजात के पत्ते, पुष्प, छाल, टहनी को ५ ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढा बनाकर रोज़ पियें।

जोड़ों की सूजन

पारिजात के फूलों का पेस्ट लगायें।

हड्डी टूटना Fracture

पत्ते और छाल का पेस्ट लगाकर एक कपड़े से कसकर लपेट दें।

शरीर में दर्द, सूजन


३-६ पत्तों को कूट कर दो गिलास पानी में उबाल कर दिन में दो बार पिए।

पुराना बुखार

बुखार के लिए, पारिजात की पत्तियों का रस ४-६ ग्राम, शहद में मिलाकर, गर्म पानी के साथ, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लेने से पीने से लाभ होता है।

पारिजात है त्वचा रोगों का इलाज करने में मददगार

त्वचा रोगों का इलाज करने में भी पारिजात काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कई प्रकार के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाली सूजन, लालिमा, जलन व अन्य क्षति को रोकने में मदद करते हैं।
हालांकि, पारिजात से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ प्रमुख रूप से कुछ अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग असर हो सकता है।

मलेरिया Malaria, विषम ज्वर

मलेरिया में, पारिजात की पांच ताजा पत्तियों का पेस्ट, मौखिक रूप से दिन में तीन बार, 7-10 दिनों तक दिया जाता है।

बुखार Fever

पारिजात की २-३ पत्तियां, ३ ग्राम छाल, और तुलसी के कुछ पत्तों को ले कर पानी में उबाल कर सुबह-शाम पिए।
पेट में कीड़े, आंत के कीड़े पत्तों का रस ४-६ ग्राम की मात्रा में, १ चम्मच शहद और चुटकी भर नमक के साथ लें।
दो चम्मच पारिजात पुष्पों के रस को एक चुटकी नमक के साथ दो दिनों लें।
पारिजात के पत्तों का रस २ चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट लें।

बालों में रुसी

बालों में पारिजात के बीजों को पीस कर लगायें।

कफ, छाती में कफ के कारण जकड़न

पत्तों का रस शहद के साथ लें।
सर्दी खांसी Cough/coldतीन पत्तियों और काली मिर्च का पेस्ट मौखिक रूप से पानी के साथ लें।
चाय बनाते समय पारिजात के १-२ पत्ते डाल कर पीने से लाभ होता है।

मधुमेह Diabetes

40 दिन लगातार, मौखिक रूप से पत्तियों का काढा लें।

घाव Wound

बाहरी रूप से पत्ती पीस कर लगाएँ।

पारिजात की औषधीय मात्रा

पारिजात की छाल की औषधीय मात्रा ३ रत्ती (1 ratti=125 mg) है।

पारिजात के पत्तों की औषधीय मात्रा 3-6 ताज़ा पत्ते है।


पारिजात के नुकसान

पारिजात कोई सामान्य जड़ी-बूटी नहीं है और इसका सेवन करने से कुछ लोगों को शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। पारिजात का सेवन करने से कुछ लोगों को निम्न समस्याएं हो सकती हैं -पेट में दर्द या पेट फूलना
सीने में जलन और खट्टी डकार
मतली और उल्टी
सिरदर्द या सिर घूमना
दस्त

पारिजात का उपयोग कैसे करें

पारिजात का उपयोग निम्न तरीके से किया जा सकता है -पत्तों या फूलों को पानी मे उबालकर उसे पीएं
पत्तों को चाय में डालकर सेवन करें
रस को पानी में मिलाकर
काढ़ा बनाकर


13.9.23

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

 





हरसिंगार का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके फल, पत्ते, बीज, फूल और यहां तक कि इसकी छाल तक का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। हरसिंगार को नाइट जैस्मीन और पारिजात के नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों का इस्तेमाल अक्सर भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है। इसका सामान्य नाम निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस लिनन (Nyctanthes Arbortristis linn) है। इस फूल की खुशबू काफी तेज और मनमुग्ध करने वाली होती है। हरसिंगार के फूलों की खुशबू रात भर आती है और सुबह होते-होते धीमी हो जाती है
क्या आपने कभी हरसिंगार की पत्तियों से बनी चाय पी है? या फि‍र इसके फूल, बीज या छाल का प्रयोग स्वास्थ्य एवं सौंदर्य उपचार के लिए क्या है? आप नहीं जानते तो, जरूर जान लीजिए इसके चमत्कारी औषधीय गुणों के बारे में। इसे जानने के बाद आप हैरान हो जाएंगे...
हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। जानिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसके लाभ और चाय बनाने का तरीका -
वि‍धि -1.:हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनगुना  ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।
वि‍धि 2 :रसिंगार के दो पत्ते और चार फूलों को पांच से 6 कप पानी में उबालकर, 5 कप चाय आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें दूध का इस्तेमाल नहीं होता। यह स्फूर्तिदायक होती है।
चाय के अलावा भी हरसिंगार के वृक्ष के कई औषधीय लाभ हैं। जानिए कौन-कौन सी बीमारियों में कैसे करें इसका इस्तेमाल -
जोड़ों में दर्द - हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।
खांसी - खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।
बुखार - किसी भी प्रकार के बुखार में हरसिंगार की पत्तियों की चाय पीना बेहद लाभप्रद होता है। डेंगू से लेकर मलेरिया या फिर चिकनगुनिया तक, हर तरह के बूखार को खत्म करने की क्षमता इसमें होती है।
साइटिका - दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।
बवासीर - हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
त्वचा के लिए - हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
हृदय रोग - हृदय रोगों के लिए हरसिंगार का प्रयोग बेहद लाभकारी है। इस के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करना हृदय रोग से बचाने में कारगर है।
दर्द - हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।
अस्थमा - सांस संबंधी रोगों में हरसिंगार की छाल का चूर्ण बनाकर पान के पत्ते में डालकर खाने से लाभ होता है। इसका प्रयोग सुबह और शाम को किया जा सकता है।
प्रतिरोधक क्षमता - हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।

हरसिंगार पाउडर के फायदे

गठिया रोग के उपचार के लिए

परिजात के पत्ते गठिया के रोगियों के लिए बहुत ही असरदार होता है। गठिया रोग यानी जिनको जोड़ो में दर्द रहता है या शरीर के किसी भाग में सूजन है तो उनके लिए परिजात के पत्ते बहुत ही लाभकारी होते हैं। गठिया रोग में परिजात के पत्ते का सेवन कुछ इस प्रकार करते हैं परिजात के 5-7 पत्तियां तोड़कर पीस लें और उसे एक गिलास पानी में डालकर उबालें चकवाल तेरे जब तक की पानी की मात्रा आधा ना हो जाए आने की एक गिलास पानी डालने हैं तो आधा गिलास पानी हो जाना चाहिए। इसका ठेको ठंडा होने दें ठंडा होने के बाद इसे सुबह में खाली पेट पी लें इसे पीने के बाद कम से कम एक घंटा तक खाना ना खाएं।
बूढ़े लोगों में अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या आम बात है लेकिन आजकल यह वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है। अर्थराइटिस के बेतहाशा दर्द और सूजन से निजात दिलाने में हरसिंगार की पत्तियां बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होती हैं। अगर आप अर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो हरसिंगार के पत्ते के पावडर को एक कप पानी में उबालकर और इसे ठंडा करके पीने से अर्थराइटिस के दर्द में राहत मिलता है। हरसिंगार का उपयोग प्रतिदिन करने से यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है।
अगर आप गठिया रोग से बहुत ज्यादा दिन या आपको दर्द बहुत ज्यादा हो तो इसे आप दिन में दो या तीन बार भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हरसिंगार के पत्ते गठिया रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसका इस तरह से सेवन करने से 10 से 15 दिन में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है पुराना से पुराना गठिया रोग कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है।

एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक

औषधीय अध्ययनों के मुताबिक हरसिंगार के पत्ते एंटी-अस्थमाटिक और एंटी-एलर्जीक गुणों से समृद्ध होते हैं। इसके पीछे का कारण इसमें मौजूद β-साइटोस्टेरॉल (β-sitosterol) नामक केमिकल कंपाउंड को माना जाता है। इसके अलावा, इसकी पत्तियों का अर्क नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ाकर नाक की नली को आराम पहुंचाने में मदद कर सकता है । दरअसल, अस्थमा में नाक की नली सूज जाती है और उसके आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैंदेखा जाए तो प्राचीन काल से ही हरसिंगार का इस्तेमाल अस्थमा को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। आप अस्थमा का इलाज करने के लिए इसके फूलों और पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं । फूलों को सूखाकर पाउडर बनाने के बाद इसे उपयोग में लाया जा सकता है।

गंजेपन की समस्या ( Baldness Problem )

आज के इस दौर में अधिकांश लोग महिला हो या पुरुष गंजेपन की समस्या से परेशान है। हरसिंगार के पौधे के पास गंजेपन की समस्या का भी हल है इसका उपयोग हम लोग गंजेपन की समस्या को दूर करने के लिए भी कर सकते है। इसके लिए हम लोगों को हरसिंगार के बीजों का पेस्ट बनाकर अपने सिर पर लगाना होगा जिससे हमलोग को गंजेपन की परेशानी से छुटकारा मिलेगी।

सूजन को करे कम

शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन (inflammation) की समस्या होने पर अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही इसका सेवन साइटिक के दर्द में भी आराम पहुंचता है।

बुखार ( Fever )

हरसिंगार का उपयोग बुखार से छुटकारा दिलाने के लिए होता है। बुखार में हरसिंगार के जड़ और पत्तों का उपयोग किया जाता है। हरसिंगार के पत्ते का रस या हरसिंगार के जड़ के काढ़ा बनाकर पीने से बुखार से काफी राहत मिलती है।
हरसिंगार के पत्तों का प्रयोग मलेरिया बुखार में भी किया जाता है मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को हरसिंगार के 4-5 पत्तों के पेस्ट बनाकर इसका सेवन करने से मलेरिया का संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाता है

तनाव

हरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं। इसके लिए आपको रसिंगार की चाय का सेवन करना होगा, जो आपको रिलैक्स रखने में मदद कर सकती है। वहीं, इसकी मदद से आप अपना मूड भी ठीक कर सकते हैं

डेंगू और चिकनगुनिया

डेंगू और चिकनगुनिया से जूझने वालों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के सेवन से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। इसमें एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों के कारण होने वाले बुखार से बचाते हैं। साथ ही जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, हरसिंगार डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है

घाव भरने में उपयोगी

कई बार हमारे शरीर के घाव और खरोंच सही समय से नहीं भर पाते हैं, जो कई अंदरूनी समस्याओं और बीमारियों के कारण हो सकते हैं। ऐसे में अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जो घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।

डायबिटीज ( Diabetes )

हरसिंगार का पेड़ डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। डायबिटीज से ग्रसित लोग परिजात के पत्ते का 15-25 मिली काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें ।

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा कैसे बनाएं

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले हम हरसिंगार का पत्ता 7-8 लेंगे फिर उसको पिसेगे पिसने बाद 1गिलास पानी ले फिर उस पेस्ट को अच्छा से घोल लें ओर उसे धीमी आंच पर पकाने वास्ते छोड़ दें जब पानी उबालकर आधा हो जाय तो उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें फिर उसे सूबह उठकर खाली पेट उस काढ़ा को पिले फिर उसका उपयोग 1
हपते करने जोड़ो का दर्द से राहत मिलती हैं।

रिंगवर्म या दाद

यदि आप रिंगवर्म या दाद की समस्या से परेशान हैं तो हरसिंगार की पत्तियां इस समस्या को दूर करने में बहुत लाभकारी होती हैं। हरसिंगार की पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें और प्रभावित स्थान पर लगाने से दाद की समस्या दूर हो जाती है।

हरसिंगार के पत्ते का चाय कैसे बनाएं

हरसिंगार की चाय बनाने के लिए दो कप पानी हरसिंगार के दो पत्ते तीन फूल के साथ तुलसी के साथ कुछ पत्ते तुलसी के साथ कुछ पत्तियां लीजिए इसको अच्छी तरह धीमी आंच पर उबालें आधी चाय उबलने के बाद गुड़ का छोटा सा टुकड़ा डालें और इससे 2 मिनट इसे धीमी आंच पर पकाएं 2 मिनट और यह चाय बनकर तैयार है यह चाय पीने से बुखार में राहत मिलती है यह चाय का सेवन प्रत्येक 2 दिन बाद करनी चाहिए।

हरसिंगार के पत्ते के फायदे

हरसिंगार का उपयोग अस्थमा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। अध्ययनों के अनुसार हरसिंगार के पत्ते में एंटी अस्थमैटिक और एंटी अलर्जिक गुण पाए जाते हैं जो कि अस्थमा रोग के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।

आप इसका उपयोग करने के लिए हरसिंगार के फूलों तथा हरसिंगार के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं, इन्हें सुखा कर पाउडर बना लें और इसका इस्तेमाल करें।
हरसिंगार के पत्ते के फायदे शरीर की पाचन क्रियाओं में भी होते हैं , हरसिंगार के पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में बहुत ही मदद करता है, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक (Anti Spasmodic) गुण भी पाए जाते हैं जो कि शरीर की पाचन तंत्र को स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं ।
हरसिंगार में एंटीएंफ्लेमेट्री के गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो कि गठिया मरीजों के लिए उपयोगी होता है ।हरसिंगार का अर्क गठिया को बढ़ने से रोक सकता है, हरसिंगार में एंटी आर्थराइटिस गुण भी मौजूद होते हैं ।
हरसिंगार का पौधा जो की एंटीडिप्रीसेंट गुणों से भरा होता है इसके सेवन से आप खुद को अवसाद और तनाव से बचा सकते हैं । अगर आप थके हुए हैं तथा आपका मूड सही नहीं है मन विचलित है तो आप हरसिंगार के चाय का सेवन करें, आपको तुरंत रिलेक्स रखने में हरसिंगार बहुत ही फायदेमंद है।
डायबिटीज, उच्च रक्तचाप कोलेस्ट्रॉल और मोटापा के होने से हृदय का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है, जिसके कारण आप हृदय रोग से संबंधी कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं, हरसिंगार या परिजात के जड़ के छाल के इस्तेमाल से हृदय रोग से संबंधित बीमारियों से बचाया जा सकता है , चुकी यह डायबिटीज के खतरे को भी कम करने के साथ साथ यह उच्च रक्तचाप को भी कंट्रोल करता है।
हरसिंगार के पौधे लेक्सोटिव गुणों से भरपूर होता है जो की शरीर की पाचन क्रियाओं में मदद करता है और गैस की समस्याओं को खत्म करने का काम करता है।
अक्सर ये देखा जाता है की डेंगू और चिकनगुनिया से पीड़ित वायक्ति को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के पत्ते के उपयोग से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। हरसिंगार में एंटीवायरल, एंटीएंफ्लोमेंट्री तथा एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, ये गुण आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छर से होने वाले बुखार से बचाने में सक्षम होते हैं । साथ ही यह आपके जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकने में कारगर होते हैं, इसके अलावा हरसिंगार के पत्ते डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद करता है।