23.11.23

शरीर सिर्फ हड्डियों का ढांचा है तो सर्दियों में कैसे वजन बढाएं?



 आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है.
सर्दियों को खाने-पीने के लिए एक अच्छा मौसम माना जाता है। इस मौसम में भूख ज्यादा लगती है, व्यक्ति सामान्य से अधिक खाना खा लेता है। इसलिए अकसर ऐसा समझा जाता है कि जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए सर्दियों का मौसम बेस्ट होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको फास्ट फूड, जंक फूड जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना होता है। सर्दियों में भी आपको सिर्फ हेल्दी फूड्स खाकर ही वजन बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर आप सर्दियों में वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मौसम का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिनकी तासीर गर्म हो। क्योंकि इससे सर्दियों में आपको गर्माहट मिलेगी, साथ ही आप ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। अकसर लोग सर्दियों में गुड़, सूप, ड्राई फ्रूट्स, दूध, रागी-बाजरा आटा आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे तो इन चीजों का सेवन किसी भी समय पर किया जा सकता है। लेकिन अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो विंटर फूड्स को सही समय पर खाना भी बहुत जरूरी होता है। तो चलिए, जानते हैं


वजन बढ़ाने के लिए विंटर डाइट प्लान-

खाली पेट

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो सुबह खाली पेट गुड़ का पानी पी सकते हैं। इसके लिए आप रात को एक गिलास पानी में गुड़ का टुकड़ा भिगोकर रख दें। सुबह उठते ही इस पानी को पी लें। इससे आपको आयरन, कैल्शियम मिलेगा। साथ ही दुबलेपन से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सुबह खाली पेट भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स, बनाना शेक, मिल्क शेक, आल्मंड शेक आदि का सेवन भी कर सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए ब्रेकफास्ट

ब्रेकफास्ट करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको भूलकर भी ब्रेकफास्ट को स्किप नहीं करना चाहिए। वजन बढ़ाने के लिए आप ब्रेकफास्ट में अंडा, चने, स्प्राउट्स, मिल्क ओट्स, मिल्क दलिया, आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सर्दियों में ब्रेकफास्ट में पीनट बटर सैंडविच, पैनकेक आदि खा सकते हैं। आपको ब्रेकफास्ट 8 से 9 बजे के बीच में कर लेना चाहिए।

वजन बढ़ाने के लिए मिड मॉर्निंग फूड्स

मिड मॉर्निंग में कुछ लाइट फूड्स का सेवन किया जा सकता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो मिड मॉर्निंग में एक कटोरी फलों का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौसमी फलों को ही शामिल करें। इसके अलावा आप प्रोटीन बार भी खा सकते हैं। मिड मॉर्निंग में आप पीनट बटर, कॉफी आदि का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।

वजन बढ़ाने के लिए लंच

अगर आप नॉनवेज खाते हैं, तो लंच में फिश या मटन शामिल कर सकते हैं। लंच में आप रोटी, चावल, दही, सब्जी, दाल और सलाद शामिल करें। लंच में आपको ब्रेकफास्ट से अधिक खाना चाहिए। लंच में बैलेंस डाइट लें। वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए फुल फैट वाली दूध फायदेमंद साबित हो सकती है।

वजन बढ़ाने के लिए स्नैक्स

सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए स्नैक्स में सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो स्नैक्स में चिकन, टमाटर, वेजिटेबल सूप पी सकते हैं। इसके अलावा स्नैक्स में आप स्प्राउट्स, पनीर आदि का भी सेवन कर सकते हैं। आप स्नैक्स में तिल-गुड़ लड्डू, अलसी के लडूड भी खा सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए डिनर

डिनर लाइट होना चाहिए और सोने से 2-3 घंटे पहले कर लेना चाहिए, यह नियम सभी के लिए लागू होता है। अगर आप वजन भी बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको डिनर लाइट ही करना चाहिए। साथ ही डिनर समय पर कर लेना चाहिए। आप अपने डिनर में नॉनवेज शामिल कर सकते हैं। साथ ही इसके अलावा आप 1-2 रोटी, सब्जी और सलाद भी अपने डिनर में शामिल करें।

वजन बढ़ाने के लिए बेड टाइम ड्रिंक

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो रात को सोते समय हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने वाले लोग रात को दूध में खजूर, अंजीर, बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि मिलाकर भी पी सकते हैं। रात को दूध में होममेड प्रोटीन पाउडर मिलाकर पीने से भी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
खाने का सही विकल्प आपके वजन बढ़ाने पर बड़ा प्रभाव डाल सकते है. जी हां आज हम बात कर रहे हैं वजन को बढ़ाने के लिए खाने वाली चीजों के बारे में. जहां आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है. ऐसे में हमें मेवे, बीज और नट बटर कैलोरी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए जो प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं और मांसपेशियों के विकास में भी बढ़ावा देते हैं और शरीर को एनर्जी भी देते हैं. इसके अलावा पीनट बटर और केलों का सेवन भी वजन बढ़ाने में मदद करता है
लीन मीट, फिश और बींस जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें ये टिश्यू को रिपेयर करने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा चावल, सूखे मेवे और केला भी कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं जो हेल्दी तरीके से वजन को बढ़ाने में मदद करता है.

चावल

वजन बढ़ाने के लिए चावल सबसे स्वास्थ्यवर्धक और संतुष्टिदायक फूड ऑप्शन्स में से एक है. इसमें मौजूद खनिज और कार्बोहाइड्रेट वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. चावल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है और साथ ही इसमें अच्छी मात्रा में पौष्टिक कैलोरी भी होती है.

ड्राई फ्रू्ट्स

ड्राई फ्रू्ट्स पोषक तत्वों का सर्वोत्तम स्रोत हैं! काजू, मूंगफली, किशमिश और बादाम जैसे सूखे मेवें वजन बढ़ाने वाले शानदार खाद्य पदार्थ हैं. इसके साथ ही भूख लगने पर इनका सेवन आपे पेट को भरा रखने में भी मदद कर सकता है. इनका सेवन शरीर को पोषण और हेल्दी फैट प्रदान करता है.

पीनट बटर

कई लोगों को लगता है कि पीनट बटर खाने से उन्हें वजन बढ़ाने में मदद मिलती है. खैर, यह सच है, और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीनट बटर में स्वस्थ कैलोरी होती है. क्योंकि यह एक बहुत ही पौष्टिक नाश्ता है, एथलीट, जिम लवर और बॉडीबिल्डर इसका सेवन करते हैं. हालाँकि, इसका सबसे अच्छा पहलू यह है कि यह अलग-अलग तरह के फ्लेवर्स में आता है और प्रोटीन से भरपूर होता है.

केला

वजन बढ़ाने के लिए केले सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से हैं क्योंकि इनमें कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट और खनिज उच्च मात्रा में होते हैं. स्वस्थ और तेजी से वजन बढ़ाने के लिए आप प्रतिदिन लगभग 4-5 पके केले खा सकते हैं. शरीर को एनर्जी देने के अलावा इसका स्वाद भी अच्छा होता है. इसके अतिरिक्त ये पाचन में सहायता करते हैं और शरीर के चयापचय को भी बेहतर करते हैं.

अंडा

वजन बढ़ाने के लिए अंडा सबसे अच्छा ऑप्शन है. ये स्वादिष्ट, पौष्टिक, स्वास्थ्यप्रद हैं और वजन बढ़ाने के लिए भी अच्छे हैं. अंडा एक ऐसा भोजन है जिसे आप कई तरीकों से खा सकते हैं. इसमें महत्वपूर्ण विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
कमजोर शरीर के कारण अक्सर व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना उठाना पड़ता है. वहीं कमजोर शरीर जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाता है. ऐसे में यदि आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रात को सोने से पहले कुछ चीजों का सेवन करें. इन चीजों के सेवन से आसानी से वजन बढ़ सकता है. 

दूध

व्यक्ति रात को सोने से पहले दूध का सेवन कर सकता है. बता दें कि दूध वजन को बढ़ाने में उपयोगी है. हालांकि दूध का सेवन सोने से 1 घंटे पहले करें. दूध के सेवन के साथ यदि मखाना, अंजीर, खजूर आदि का सेवन किया जाए तो जल्दी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

किशमिश 

 किशमिश के सेवन से भी वजन को बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में आप नियमित रूप से किशमिश का सेवन करें. आप चाहें तो दूध में भिगोकर किशमिश का सेवन कर सकते हैं.

बीन्स 

बीन्स के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे में यदि आप सोने से दो-तीन घंटे पहले बीन्स का सेवन करते हैं तो इससे वजन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

दलिया

 वजन बढ़ाने के लिए दलिया का सेवन करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. ऐसे में आप दलिये का सेवन रात को सोने से पहले कर सकते हैं. आपको बता दें कि दलिये का सेवा नाश्ते के वक्त करना भी सेहत के लिए अच्छा हो सकता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है साथ ही वजन को बढ़ाने में भी उपयोगी है. इससे हेल्दी वेट गेन हो सकता है.

ज्यादा कैलोरी-

स्टाइलसेटलाइफ वेबसाइट पर 10 दिनों में वजन बढ़ाने के टिप्स बताए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि आप 10 दिनों में वजन बढ़ाना चाहते हैं तो जितनी कैलोरी आप रोजाना पहले लेते थे, उससे 1000 कैलोरी अब ज्यादा लेनी होगी. इसके लिए डाइट में अतिरिक्त चीजों को शामिल करना होगा.

5-6 बार भोजन-

 एक्स्ट्रा डाइट के लिए रोजाना 5 से 6 बार भोजन करना जरूरी है. इसके लिए डाइट चार्ट यह है कि 3 हैवी मील और 2 ब्रेकफास्ट लें. सुबह नाश्ता हैवी लें. इसके बाद दोपहर मील और रात में डिनर हैवी लें. रात में 8 बजे तक डिनर कर लें. इसके अलावा शाम में और दोपहर के बाद हल्का ब्रेकफास्ट जरूर करें. वैसे जब भूख लगे, उसी समय खाने का नियम बना लें.

सुबह खाली पेट जूस-

सुबह में खाली पेट गाजर का जूस पीएं. इससे पहले आप स्प्रॉउट लेंगे तो यह ज्यादा अच्छा रहेगा. स्प्रॉउट में मूंग, चना और कुछ साबुत अनाज ले सकते हैं. स्प्रॉउट प्रोटीन से भरा होता है. इससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलेगी.

पोष्टिक भोजन करें-

भोजन का मतलब यह नहीं है कि जंक फूड या फास्ट फूड खा लें. भोजन हेल्दी होना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का होना जरूरी है. इसके लिए आप डाइट चार्ट को फॉलो करें.

खाने से पहले पानी नहीं -

पानी पर्याप्त मात्रा में पीना जरूरी है लेकिन खाने से पहले पानी या अन्य तरल पदार्थ लेंगे तो सही से भोजन नहीं कर पाएंगे. इससे पेट भरा हुआ महसूस होगा और आप सही से खाना नहीं खा पाएंगे.

 एक्सरसाइज-

वजन बढ़ाने के मतलब यह नहीं कि आप खाना सिर्फ खाएं और एक्सरसाइज न करें. यदि आप चाहते हैं कि आप हेल्दी रहें तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज नहीं करेंगे तो मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा और मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा तो आप जो खा रहे हैं उसका अवशोषण नहीं होगा. यानी वह एनर्जी में नहीं बदलेगा.

13.11.23

ग्रीन काफी के फायदे और नुकसान




  चाय और कॉफी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां पहले लोग इन्हें सिर्फ स्वाद के लिए पीते थे, वहीं आज स्वास्थ्य के लिहाज से इनका सेवन किया जा रहा है। आज हर्बल और ग्रीन-टी के रूप में कई विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी का नाम भी इसी क्रम में जुड़ गया है। बात हो वजन घटने की या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की, तो ग्रीन कॉफी एक बेहतर विकल्प हो सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आप पढ़ेंगे ग्रीन कॉफी के फायदे किस प्रकार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साथ ही इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के उपयोग और ग्रीन कॉफी के नुकसान के विषय में भी जानेंगे। पाठक इस बात पर जरूर गौर करें कि ग्रीन कॉफी लेख में शामिल किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है।
बाकी सभी खाने की चीजों की तरह, ग्रीन कॉफी भी पिछले कुछ साल से वजन कम करने में फायदे के तौर पर सामने आई है। यह सच है कि ग्रीन कॉफी को वजन कम करने के लिए जानी जाती है और इसका सेवन करने से कुछ किलो जरुर कम हो जाते हैं। लेकिन ग्रीन कॉफी के फायदे सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं हैं। ग्रीन कॉफी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो अपने साथ कई सारे फायदे लेकर आता है। इस बात की तह तक जाने के लिए हम आपके लिए ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान के साथ- साथ ग्रीन कॉफी को बनाने की विधि की जानकारी लेकर आए हैं।
 ग्रीन कॉफी भी एक ऐसा उत्‍पाद है जो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्‍व और विशेष रूप से एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी होते हैं। कुछ लोग वजन घटाने और विशेष स्‍वास्‍थ्‍य उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए इसका नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं। इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान की जानकारी प्राप्‍त करेगें।
  चाय से ज्यादा लोग कॉफी को प्राथमिकता देते है। कोई इसे सुबह पीना पसंद करता है तो कोई अपनी थकान मिटाने के लिए पीता है तो कोई इसे मीठा खाने के बाद पीना पसंद करते है। इस कॉफी को पीने के फायदे है लेकिन वो सीमित है। हाल ही में ग्रीन कॉफी के बारे में पता चला है ये वजन कम करने में काफी मदद करता है। इस कॉफी में ज्यादा कुछ खास फर्क नहीं है, बस इस कॉफी की बीन्स कच्चे रुप में होती है। आमतौर पर कॉफी बीन्स को निकाल कर भूना जाता है ताकि उनका स्वाद अच्छा हो और महक अच्छी हो जाए। कई शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि इस कॉफी की बीन्स का स्वास्थ से महत्वपूर्ण संबंध है।
समय-समय पर पेय पदार्थों के स्वरूप और उनके सेवन के तरीकों में बदलाव कर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की कवायद दुनिया भर में होती रहती है। ग्रीन कॉफी ऐसा ही एक प्रयोग है। फिलहाल इसके लाभ और नुकसान को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं।
हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।

* क्या है ग्रीन कॉफी?

ग्रीन टी के चलन के साथ ही ग्रीन कॉफी को लेकर भी बहुत चर्चाएं की जाने लगीं। यह असल में कच्चे, बिना सिके हुए कॉफी के बीज होते हैं। इन्हें इसी स्वरूप में पीसकर काम में लाया जाता है। चूंकि ये प्राकृतिक और कच्चे रूप में काम में लिए जाते हैं, इसलिए इसे ग्रीन कॉफी कहा जाता है।

*शोधों में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ग्रीन काफी कुछ ग्रीन टी के समान है। लेकिन ग्रीन कॉफी इसलिए भी अधिक फायदेमंद है क्योंकि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप में जो तत्व मौजूद होते हैं उनसे पाचन क्षमता ठीक रहती है और ठीक इसके विपरीत इन्हीं तत्वों से वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है।
*रिसर्च के दौरान यह भी बात सामने आई है कि यदि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप को भूना जाएगा तो इससे असरकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि जो लोग सामान्य कॉफी पीने के शौकीन हैं उनका वजन कम नहीं होता क्योंकि इसे असरकारक तत्व भूनने के दौरान खत्म हो चुके होते हैं।
*दुनिया भर में कॉफी के इन बीजों का प्रयोग वजन घटाने के लिए विकल्प के तौर पर किया जा रहा है। लोग तेजी से इस ट्रैंड को अपना रहे हैं। असल में जानकारों का कहना है कि रोस्ट होने, यानी सिकने की प्रक्रिया में कॉफी के बीजों में मौजूद कुछ हेल्दी, प्राकृतिक रसायन नष्ट हो जाते हैं। पिछले कुछ समय में हुए कुछ शोध इस परिणाम को दर्शाने में सफल रहे हैं कि ग्रीन कॉफी का प्रयोग वजन घटाने में मदद कर सकता है।

 रक्तचाप में ग्रीन कॉफी पीने के फायदे – 

कई समस्याओं को दूर करने के साथ ही ग्रीन कॉफी रक्तचाप की समस्या को कम करने में भी फायदेमंद हो सकती है। एनसी

बीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले उच्च पॉलीफोनिक पदार्थो में क्लोरोजेनिक एसिड का महत्वपूर्ण स्थान है। यह माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर क्लोरोजेनिक एसिड रक्तचाप की समस्या को कुछ हद तक कम करने में कारगर हो सकता है।

हड्डियों की मजबूती के लिए ग्रीन कॉफी 

 सेहत के साथ ही ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, 100 ग्राम ग्रीन कॉफी में 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। वहीं, हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए कैल्शियम जरूरी पोषक तत्व है। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि कैल्शियम की कमी के कारण होने वाली हड्डियों के नुकसान को रोकने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, सीधे तौर पर ग्रीन टी हड्डियों के लिए किस प्रकार फायदेमंद हो सकती है, यह शोध का विषय है।

एकाग्रता और मूड में सुधार –

याददाश्त और मानसिक सुधार में भी ग्रीन काॅफी फायदेमंद हो सकती है। एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन्स में कुछ मात्रा कैफीन की होती है। शोध में पाया गया कि कैफीन, सामान्य तौर पर मूड, ध्यान, स्मृति और सतर्कता को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया कि अल्जाइमर के रोगियों पर ग्रीन कॉफी बीन्स का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। शोध के अनुसार, इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो अल्जाइमर की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं।

. एंटीऑक्सीडेंट –

ग्रीन कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखने में मददगार हो सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को जन्म देने वाले रोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसंस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा विकार) और अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

. भूख पर नियंत्रण –

लगातार भूख लगने की समस्या को ग्रीन कॉफी के जरिए ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण भूख को कम करता है, यह अभी शोध का विषय है.

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 

ग्रीन काफी मे ओआरएसी ज्यादा मात्रा में होता है-

*ओआरएसी यानि ऑक्सीजन रेडिकल एबजॉरबेंस केपेसिटी ये एक तरीका होता है जिससे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा की जांच की जाती है। जब ग्रीन कॉफी की बीन्स की जांच की गई तो पाया गया कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में है। हाल ही के अध्यन में पता चला है कि ये कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी रोकने में कारगर है। दरअसल ये कैंसर के सेल को बनने से रोकती है।

*स्ट्रोक से बचाने में -

कॉफी के सेवन का लाभ ना केवल स्ट्रोक से बचाने में देखा गया है। बल्कि कई अध्ययन तो यह तक बताते हैं कि कॉफी के सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या कम होती है और डायबिटीज एंव हृदय रोग से भी बचा जा सकता है। इस स्थिति में अगर आपके परिवार में डायबिटीज के या उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए। वरना यह रोग आपको भी कभी भी हो सकता है।

*ऊर्जा बढ़ाती है- 

ये भी पाया गया कि ग्रीन कॉफी मेटाबॉलिजम रेट को बढ़ाती है जो कि आपकी दिनचर्या को पूरा करने में ऊर्जा देता है।

*वजन कम करता है- 

कॉफी पीने के फायदे वजन घटाने में भी देखे जाते हैं। आपको बता दें कि कॉफी के सेवन से हमारा मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इसके जरिए शरीर खाए गए भोजन के जरिए अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा कॉफी के जरिए शरीर में गर्मी पैदा होती है जो फैट को जलाने का काम करती है। कॉफी के इन्हीं गुणों की वजह से वजन घटाने में कारगर माना जाता है।

डिप्रेशन की समस्या 

आज के समय में ज्यादातर लोग डिप्रेशन की समस्या से परेशान हैं। इन सभी लोगों के लिए कॉफी बहेत गुणकारी हो सकती है। आपको बता दें कि हाल ही में कुछ अध्ययन हुए हैं। यह अध्ययन बताते हैं कि कॉफी के सेवन से अल्फा एमिलेज नामक एंजाइम को बढ़ावा देता है। ज्ञात हो कि यह गुण ही तनाव, डिप्रेशन से राहत दिलाने का काम करता है। ऐसे में अगर आपको डिप्रेशन या तनाव रहता है तो कॉफी का सेवन कर सकते हैं। साथ ही अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो इससे आप डिप्रेशन से भी बचे रहते हैं।

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 


यूं सामान्य तौर पर किसी भी चीज का सेवन हद से ज्यादा करना तकलीफदेह हो सकता है। ग्रीन कॉफी के मामले में भी यह बात लागू होती है। इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
*पेट की खराबी
 
* सिरदर्द
*एंग्जायटी आदि।
वहीं इसमें मौजूद कैफीन की मात्रा के कारण ग्रीन कॉफी का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषकर कुछ खास शारीरिक स्थितियों वाले लोगों के लिए, जिनमें शामिल हैं:
* ऑस्टियोपोरोसिस
* ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि से ग्रसित लोग।
* ग्लूकोमा
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
*ग्रीन कॉफी या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने के लिए भी कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इससे तकलीफ हो सकती है। इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
*इसके साथ ही कुछ विशेष औषधियों का सेवन करने वालों के लिए भी ग्रीन कॉफी के सेवन को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ग्रीन कॉफी में मौजूद कुछ तत्व इन औषध्ाियों के रसायनों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसी औषधियाँ हृदय रोगों के लिए, कमजोर हड्डियों के लिए, लंग डिसीज, मेनोपॉज, डिप्रेशन, स्कित्जोफ्रेनिया जैसी तकलीफों के लिए ली जाने वाली औषधियाँ शामिल हैं।
शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।
*ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।

यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी काफी  का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।

दिमाग को तेज करता है- 

इस ग्रीन कॉफी को पीने से आपका मूड तो अच्छा हो ही जाता है लेकिन ये आपके दिमाग को भी तेज करता है। ये आपके दिमाग की गतिविधियों, प्रतिक्रिया, याददाश्त, सतर्कता को तेज करता है।

एंटी एजिंग- 

आजकल ऐसा कौन है जो जवां दिखना नहीं चाहता है, हर कोई अपनी बढ़ती उम्र को रोकना चाहता है। ग्रीन कॉफी इस मामले में काफी मददगार है, जी हां ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।

कैफीन की मात्रा कम होती है- 

जैसा की आपको हमने पहले बताया है कि इस कॉफी के बीन्स को भूना नहीं जाता है, इसका कच्चे रुप में ही सेवन किया जाता है। इसलिए इसमें सामान्य कॉफी की तुलना में कैफीन की मात्रा कम होती है। हालांकि कैफीन वजन कम करने में मदद करता है और आपके एकाग्रता में सुधार लाता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करना आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।


1.11.23

कान में हवा बहने ,गर्जना,सिटी बजने जैसी आवाज (Tinitus) होने लगे तो क्या करें ?



Tinnitus एक प्रकार की बीमारी होती है जिसमें मरीज़ को कई प्रकार की ध्वनि का एहसास होता रहता है, जैसे घंटी बजना, भिनभिनाहट या फुफकारने की ध्वनि, आदि । ऐसी ध्वनि एक या दोनों कान में सुनाई दे सकती है, हालाँकि मरीज़ को कई बार भ्रम होता है की यह ध्वनि उसके सिर से आ रही है ।
 कान से आने वाली आवाज को दूर करने में कुछ घरेलू उपाय बेहद काम आ सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के कानों से बार-बार आवाज आ रही है या उसे सीटी जैसा महसूस हो रहा है तो वह धनिया की चाय से इस समस्याओं को दूर कर सकता है। बता दें कि धनिया की चाय से कान से आवाज को कंट्रोल किया जा सकता है। ध्यान दें कि चाय में आपको साबूत धनिया का इस्तेमाल करना हाेता है। जब भी किसी व्यक्ति को बार-बार सीटी जैसी आवाज आए तो वह अपने बैकग्राउंड में म्यूजिक को चला सकता है। इससे उसका ध्यान कानों से आने वाली आवाज से हट जाएगा और बैकग्राउंड पर चल रहे म्यूजिक पर चला जाएगा। ऐसा करने से भी कानों से आने वाली आवाज बंद हो सकती है। हालांकि व्यक्ति को ज्यादा तेज म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं करना है।
नियमित रूप से एक्ससाइज करने से न केवल दिमाग की कार्य क्षमता मजबूत होती है बल्कि आपकी रक्त वाहिकाएं भी तंदुरुस्त बनती है। तुलसी का उपयोग कान से आने वाली आवाज को दूर करने में उपयोगी है। ऐसे में व्यक्ति तुलसी की चाय के सेवन से कान की समस्या को दूर कर सकता है।
इसके अलावा तुलसी और शहद के सेवन से भी कान की समस्या दूर होती है। चाहें तो नियमित रूप से तुलसी की कुछ पत्तियों को अच्छे से धोकर सुबह के समय चबा सकता है। अदरक के अंदर कई एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं, जो न केवल शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में उपयोगी हैं, बल्कि कान की कई समस्याओं को दूर करने में भी सहायक हैं। ऐसे में व्यक्ति अदरक की चाय का सेवन करने से कान से आने वाली आवाज को दूर कर सकता है। इसके अलावा व्यक्ति शहद और अदरक के रस का सेवन करने से भी सीटी की समस्या से निजात पा सकता है। सेव के सिरके के इस्तेमाल से भी कान में शोर टिनिटस की समस्या को दूर किया जा सकता है। बता दें कि सेव के सिरके के अंदर भरपूर मात्रा में दर्द निवारक और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो न केवल कान की समस्या को दूर करने में उपयोगी है, बल्कि कान से आने वाली आवाज से भी राहत पहुंचा सकते हैं।
Tinnitus की ध्वनि अलग-अलग प्रकार की होती है, जिसमें उसका स्वर ऊँचा या नीचा या बदलता हुआ हो सकता है, कभी यह ध्वनि लगातार हो सकती है या कभी रुक-रुक कर और इस ध्वनि की तीव्रता कभी तेज़, कभी धीमी या बदलती हुई हो सकती है ।
सामान्यतया जनता में Tinnitus की मौजूदगी बहुत आम होती है । यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है परन्तु उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है । यह दोनों लिंग के लोगों में हो सकता है, परन्तु पुरुषों में सामन्यतया ज्यादा देखा गया है । Tinnitus के साथ श्रवण शक्ति भी जा सकती है, हालाँकि ऐसा हमेशा होना जरुरी नहीं होता ।
*सैलिसिलिकम एसिडम यह दवा टिनिटस के कारण बहुत तेज गर्जना या बजने वाली आवाज़ सुनाई देने पर दी जाती है, जो बहरेपन या चक्कर के साथ हो सकता है। ऐसे रोगियों में समस्या फ्लू से शुरू हो सकती है, या मेनियार्स रोग वाले व्यक्ति में हो सकती है। अगर टिनिटस बहुत अधिक एस्पिरिन के कारण होता है तो सैलिसिलिकम एसिडम भी मददगार हो सकता है

कान बजने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

टिनिटस के लिए दवाएं

कुछ लोगों के लिए, चिंता-विरोधी दवाओं की कम खुराक जैसे वैलियम या एलाविल जैसे एंटीडिप्रेसेंट के साथ उपचार टिनिटस को कम करने में मदद करता है। अल्प्राजोलम नामक चिंता-विरोधी दवा के साथ मध्य कान में डाले गए स्टेरॉयड का उपयोग कुछ लोगों के लिए प्रभावी दिखाया गया है।

TINNITUS के कुछ मुख्य कारण हैं

-तेज़ ध्वनि सुनना
बढती उम्र की वजह से श्रवण शक्ति का हास अर्थात Presbyacusis
कान मने मेल का जमना
चोट- सिर में गहरी चोट, गर्दन की चोट
कान का संक्रमण – Otitis media, secretory otitis, labyrynthis.
दवाईयाँ – Tinnitus कुछ दवाईयों की वजह से भी हो सकता है – जैसे एसपिरिन, मलेरिया रोधी दवाईयाँ जैसे – quinine, chloro quinine, mycin group की एंटी बायोटिक दवाईयाँ जैसे Gentamycin, Streptomycin, कीमोथेरेपी की दवाईयाँ, कुछ diuretics.
Hypertension, anaemia, thyroid disorders, diabetes आदि चिकित्सकीय स्थितियाँ
Meniere’s disease.
Cerebellopontine angle के ट्यूमर जैसे acoustic neuroma.
अत्यधिक कैफीन का सेवन
शराब का सेवन
माइग्रेन
Tinnitus की शिकायत करने वाले मरीजों क०ओ audiological एवं गहन चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए ताकि अन्तर्निहित कारणों का पता लगाया जा सके ।

TINNITUS का सामना करने की युक्तियाँ

आस-पास का शोर बढ़ा देना : धीमे स्वर में संगीत सुनने से मरीज़ का ध्यान tinnitus से भटकाया जा सकता है ।
ख़ामोशी से बचाव : Tinnitus की ध्वनि अक्सर भोर अथवा रात के सन्नाटे में ज्यादा परेशान करती है ।
मरीज़ के अत्यधिक नीरव अथवा चुप्पी वाले हालात से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसे में tinnitus की ध्वनि अधिक तेज़ सुनाई देती है तथा परेशान करती है ।

धूम्रपान से बचें :

 धूम्रपान करने से श्रवण तंत्रिका को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों का संकुचन हो जाता है, जिससे संवेदनशील श्रवण कोशिकाओं का रक्त प्रवाह रुक जाता है और उससे tinnitus ज्यादा बढ़ जाता है ।
शराब का पूर्णतः प्रतिबन्ध

तेज़ ध्वनि से बचाव : 

अगर आप ऐसे वातावरण में कार्य करते हैं जहाँ आस-पास अत्यधिक तीव्रता की आवाजें होती हों तो आप को अपनी नाजुक श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान से बचाने के लिए कान के संरक्षण उपकरण जरुर पहनने चाहिए ।

TINNITUS से जुडी भ्रांतियां

यह लाइलाज बिमारी है ।
इससे श्रवण शक्ति का ह्वास होता है ।
श्रवण सहायक तंत्र से कोई मदद नहीं मिलती है ।
एक किसी मष्तिष्क रोग का संकेतक है ।
यह जानलेवा होती है ।
अगर उचित मूल्यांकन एवं जाँच की जाये तथा सही समय पर निदान किया जाये, तो tinnitus को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है ।