26.4.20

मानसिक रोगों के लक्षण और चिकित्सा:mental diseases




 

आधुनिक दवाएं किस तरह से मानसिक रोगों का उपचार करती हैं इस बारे में लोगों में बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है। और इस बारे में भी कि मानसिक रोगों में दी जाने वाली दवाएं कितनी असरकारी हैं। ज़्यादातर लोग मानते हैं कि इस क्षेत्र में डॉक्टर कुछ नहीं कर सकते और मानसिक बीमारियों के लिए वे केवल ओझाओं साधुओं आदि पर ही विश्वास करते हैं।

 mental diseases

 ज़्यादातर लोगों को मानसिक रोगों के इलाज के लिए बिजली के झटकों और बंद करके रखे जाने के बारे में ही पता है। इस भाग में मानसिक रोगों के उपचार के बारे में बताया जा रहा है। निरोगण के मुख्य अवयव हैं दवाएं, बातचीत, आपातकालीन स्थिति में बिजली के झटके देना, अस्पताल में रखना और पुनर्वास। हर मामले में इनमें से सब की ज़रूरत नहीं होती। साधारण बीमारी दवाइयों और सुझावों से ही ठीक हो सकती है। गंभीर बीमारियॉं जैसे विखन्डित मनस्कता तक भी केवल दवाओं से दूर हो जाती हैं।
  अस्पताल में रखे जाने और बिजली के झटकों की ज़रूरत कभी कभी ही होती है। विखन्डित मनस्कता और उन्माद अवसादी विक्षिप्ति में लंबे समय तक मानसिक रोगों mental diseases
 के इलाज की ज़रूरत होती है।इन बीमारियों में हालांकि पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल है परन्तु इलाज से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है। मानसिक रोगों में इलाज लगातार चलने की ज़रूरत होती है।
इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण गलत तरीके का खान-पान है। शरीर में दूषित द्रव्य जमा हो जाने के कारण मस्तिष्क के स्नायु में विकृति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण मस्तिष्क के स्नायु अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और मानसिक रोग हो जाता है।
• शरीर के खून में अधिक अम्लता हो जाने के कारण भी यह रोग हो सकता हैं क्योंकि अम्लता के कारण मस्तिष्क (नाड़ियों में सूजन) में सूजन आ जाती है जिसके कारण मस्तिष्क शरीर के किसी भाग पर नियंत्रण नहीं रख पाता है और उसे मानसिक रोग  mental diseases हो जाता है।
• अधिक चिंता, सोच-विचार करने, मानसिक कारण, गृह कलेश, लड़ाई-झगड़े तथा तनाव के कारण भी मस्तिष्क की नाड़ियों में रोग उत्पन्न हो जाता है और व्यक्ति को पागलपन का रोग हो जाता है।
• अधिक मेहनत का कार्य करने, आराम न करने, थकावट, नींद पूरी न लेने, जननेन्द्रियों की थकावट, अनुचित ढ़ग से यौनक्रिया करना, आंखों पर अधिक जोर देना, शल्यक्रिया के द्वारा शरीर के किसी अंग को निकाल देने के कारण भी मानसिक रोग हो सकता है।
• यह रोग पेट में अधिक कब्ज बनने के कारण भी हो सकता है क्योंकि कब्ज के कारण आंतों में मल सड़ने लगता है जिसके कारण दिमाग में गर्मी चढ़ जाती है और मानसिक रोग हो जाता है।

होम्योपैथी-
  होम्योपैथी मानसिक बीमारियों mental diseases  के इलाज के लिए काफी उपयोगी होती है। इसलिए आपको जहॉं भी ज़रूरी हो होम्योपैथी का इस्तेमाल करना चाहिए। मानसिक रोगों के लिए होम्योपैथिक दवाओं के बारे ध्यान से पढें।
इन्हें शायद सहायता की ज़रूरत है
जिन लोगों को मनोचिकित्सा की ज़रूरत होती है, उनकी सूची नीचे दी गई है।
जो कि बेसिरपैर की बातें करता हो और अजीबोगरीब और असामान्य व्यवहार करता हो।
जो बहुत चुप हो गया हो और औरों से मिलना जुलना और बात करना छोड़ दे।
अगर कोई ऐसी बातें सुनने या ऐसी चीज़ें देखने का दावा करे जो औरों को न सुनाई / दिखाई दे रही हों।
अगर कोई बहुत ही शक्की हो और वह हमेशा यह शिकायत करता रहे कि दूसरे लोग उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
   अगर कोई ज़रूरत से ज़्यादा खुश रहने लगे, हमेशा चुटकुले सुनाता रहे या कहे कि वह बहुत अमीर है या औरों से बहुत बेहतर है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं हो।
अगर कोई बहुत दु:खी रहने लगे और बिना मतलब रोता रहे।
अगर कोई आत्महत्या की बातें करता रहे या उसने आत्महत्या की कोशिश की हो।
अगर कोई कहे कि उसमें भगवान या कोई आत्मा समा गई है। या अगर कोई कहता रहे कि उसके ऊपर जादू टोना किया जा रहा है या कोई बुरी छाया है।
अगर किसी को दौरे पड़ते हों और उसे बेहोशी आ जाती हो और वो बेहोशी में गिर जाता हो।
अगर कोई बहुत ही निष्क्रिय रहता हो, बचपन से ही धीमा हो और अपनी उम्र के हिसाब से विकसित न हुआ हो।


गुस्सा आना
कुछ लोगो को बहुत गुस्सा आता है। छोटी-छोटी बातों पर भी उन्हें इतना गुस्सा आता है कि गुस्से में सामान फेंकना, मार-पीट करना, चीखना ये सब करने लगते हैं। धीरे-धीरे उनका यह स्वाभाव बन जाता हैं। स्वाभाव ईर्ष्या करना
आज के समय में जहां हर जगह प्रतिस्पर्धा बहुत बढ़ रही है, वहीं लोगों में एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या की भावना भी बढती जा रही है। जब ये विचार मन में बार-बार आने लगते हैं तो मन और तन में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं। 

ईर्ष्या से बचने के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-

हांयसोमस (Hyos)
लेकेसिस (Lach)
एपिस-मेलिफिका (Apis-Melifica)चिड़चिड़ा हो जाता हैं।
कई बार यह विचार आता है कि लोग उसके बारे में क्या कहेंगे और इसी वजह से उसे बहुत क्रोध आता है। कभी-कभी जब कोई व्यक्ति इस गुस्से और अपमान को मन में दबा कर रखता हैं तो कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस विकार की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
केमोमिला (chamomila)
नक्स-वोमिका (Nux-Vomica)
स्टेफीसेंग्रिया (Staphy)
लायकोपोडियम (Lycopodium)

डर लगना

कुछ लोगों को हमेशा डर लगता हैं। जैसे अंधेरे से, अकेले रहने से, ऊंचाई से, मरने से, भीड़ से, एग्जाम से, रोड पार करने से और अकेलेपन से। धीरे-धीरे ये डर कई तरह के शारीरिक और मानसिक रोग पैदा कर देता हैं। डर की होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
आर्जेंटिकम-नाइट्रीकम (Arg-Nit)
एकोनाईट (Aconite)
स्ट्रामोनियम (Stramonium)
एनाकार्डियम (Anacard)

रोना

अक्सर कुछ लोग खासकर महिलाएं जरा-जरा सी बात पर रो देती हैं। किसी ने कुछ कहा नहीं कि आंसू बहने लगते हैं। छोटी-छोटी बात पर रोना आता है, जो एक प्रकार का मनोविकार हैं। इसके लिए कुछ होम्योपैथिक मेडिसिन्स हैं-
नेट्रम-म्यूर(Nat-Mur)
पल्सेटिला(Puls)
सीपिया (Sepia)

आत्महत्या करने का विचार

कई बार बहुत से लोगों को छोटी-छोटी बात पर आत्महत्या करने का विचार मन में आने लगता है। जरा सी कोई परेशानी आई नहीं, कि वो मरने का सोचने लगते हैं। लेकिन होम्योपैथिक मेडिसिन देने से इस प्रकार के विचार धीरे-धीरे कम हो जाते हैं। ऐसी ही कुछ दवाइयां हैं-
औरम-मेट (Aur-Met)
आर्स-एल्बम (Ars-Alb)

शक करना

कुछ लोगों को हर बात में शक करने की आदत होती है। छोटी-छोटी बातो में वो शक करते हैं। हर किसी को शक भरी नजर से देखते हैं। ऐसे लोगों के लिए कुछ होम्योपैथी मेडिसिन्स हैं-
हांयसोमस (Hyos)
लेकेसिस (Lach)

झूठ बोलना

बहुत से लोगों की हर बात पर झूठ बोलने की आदत होती हैं जोकि आजकल ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। इसे दूर करने के लिए कुछ होम्योपैथी दवाइयां हैं-
आर्ज-नाईट्रीकम (Arg-Nit)
कौस्टिकम (Caust)

उचित मानसिक स्वास्थ्य-

अभी तक हमने मानसिक रोगों और समस्याओं के बारे में बात की है। परन्तु उचित मानसिक स्वास्थ्य भी कोई चीज़ है और हम सबको अपना मानसिक स्वास्थ्य वैसा बनाना चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य ठीक रख पाने में दूसरों की मदद करनी चाहिए।
 यह ज़्यादातर लोगों के लिए बचपन से ही शुरू हो जाता है, परन्तु कभी भी बहुत देर नहीं हुई होती।
रोज़ कसरत करना, सैर करना और खेलना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
टीम वाले खेल सबसे ज़्यादा अच्छे होते हैं क्योंकि इनसे दिमाग में गलत विचार नहीं आते।
योगा से मदद मिलती है। और योगा ज़रूर करना चाहिए 
  सार्थक काम करने और काम में संतुष्टी होने से भी मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
हमें अपने बारे में ध्यान से सोच कर अपनी स्वाभाव को समझना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए। किताबों और दोस्तों से सबसे ज़्यादा मदद मिलती है।

धर्म – 

सहानुभूति, वैराग्य, आदर और अच्छा इन्सान बनने के धर्म के बुनियादी सिद्धांत से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे जीवन के दु:खों और मुश्किलों से निपटने में मदद मिलती है। परन्तु उन लोगों से सावधान रहें जो कि धर्म के नाम पर लोगों के बीच फूट डालने की कोशिश करते हैं।
नाच गाने, होली, डांडिया आदि जैसी सामाजिक घटनाएं लोगों के दिमाग से गलत विचार निकलाने में मदद करती हैं। जब भी ऐसे मौके आएं तो लोगों के साथ मिलने जुलने की कोशिश करें।

देसी घरेलु उपचार व आयुर्वेदिक नुस्खे-

• अखरोट की बनावट मानव-मस्तिष्क जैसी  होती है । अतः प्रातःकाल एक अखरोट व मिश्री दूध में मिलाकर ‘ ॐ ऐं नमः’ या ‘ ॐ श्री सरस्वत्ये नमः ‘ जपते हुए पीने से मानसिक रोगों mental diseases  में लाभ होता है व यादशक्ति पुष्ट होती है ।
• मालकाँगनी का 2-2 बूँद तेल एक बताशे में डालकर सुबह-शाम खाने से मस्तिष्क के एवं मानसिक रोगों में लाभ होता है।
• स्वस्थ अवस्था में भी तुलसी के आठ-दस पत्ते, एक काली मिर्च तथा गुलाब की कुछ पंखुड़ियों को बारीक पीसकर पानी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। इसमें एक से तीन बादाम मिलाकर ठंडाई की तरह बना सकते हैं। इसके लिए पहले रात को बादाम भिगोकर सुबह छिलका उतारकर पीस लें। यह ठंडाई दिमाग को तरावट व स्फूर्ति प्रदान करती है।
• रोज सुबह आँवले का मुरब्बा खाने से भी स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। अथवा च्यवनप्राश खाने से इसके साथ कई अन्य लाभ भी होते हैं।
• गर्म दूध में एक से तीन पिसी हुई बादाम की गिरी और दो तीन केसर के रेशे डालकर पीने से मानसिक रोगों  mental diseases में लाभ होता है साथ ही स्मरणशक्ति तीव्र होती है।
• सिर पर देसी गाय के घी की मालिश करने से भी मानसिक रोगों में लाभ होता है।
• मूलबन्ध, उड्डीयान बंध, जालंधर बंध (कंठकूप पर दबाव डालकर ठोडी को छाती की तरफ करके बैठना) से भी बुद्धि विकसित होती है, मन स्थिर होता है।
  1. पायरिया के घरेलू इलाज
  2. चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  3. लाल मिर्च के औषधीय गुण
  4. लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  5. जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  6. एसिडिटी के घरेलू उपचार
  7. नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  8. सांस फूलने के उपचार
  9. कत्था के चिकित्सा लाभ
  10. गांठ गलाने के उपचार
  11. चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  12. मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  13. अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  14. इसबगोल के औषधीय उपयोग
  15. अश्वगंधा के फायदे
  16. लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  17. मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  18. सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  19. कान बहने की समस्या के उपचार
  20. पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  21. पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  22. लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  23. डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  24. काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  25. कालमेघ जड़ी बूटी लीवर रोगों की महोषधि
  26. हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  27. पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  28. चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  38. वजन कम करने के उपचार
  39. केले के स्वास्थ्य लाभ
  40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  41. हरड़ के गुण व फायदे
  42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  45. दालचीनी के फायदे
  46. बवासीर के खास नुखे
  47. भूलने की बीमारी के उपचार
  48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  49. सोरायसीस के उपचार
  50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार



24.4.20

अपराजिता पौधा के औषधीय उपयोग




अंग्रेजी नाम - क्लितोरिया , हिन्दी नाम - कोयाला , संस्कृत नाम - कोकिला , बंगाली नाम - अपराजिता , गुजराती नाम - गरणी, मलयालम नाम - शंखपुष्पम, मराठी नाम - गोकर्णी, तमिल नाम - कक्कानम, तेलुगु नाम - शंखपुष्पम, यूनानी नाम – मेज़ेरिओन
अपराजिता पौधे की पत्तियां उज्ज्वल हरी और उज्ज्वल नीले रंग की होती है. इसके फूल का रंग सफेद होता है.ये कभी-कभी शंख रूप में उगता है. ये भारत, मिस्र, अफगानिस्तान, फारस, मेसोपोटामिया, इराक आदि के सभी भागों में पाया जाता है.
आयुर्वेद के ग्रंथों में बताई गई एक बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी अपराजिता पौधा है. ये कई औषधीय उपयोगों के साथ एक बहुत ही सुंदर घास से बनी होती है. अपराजिता पौधा का शरीर की संचार तंत्रिका और मनोवैज्ञानिक सिस्टम पर एक बहुत सुखदायक प्रभाव पड़ता है.

अपराजिता पौधे के स्वास्थ्य लाभ

मेध्या जड़ी बूटिया याददाश्त और लर्निंग जैसी चीजों को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इतना ही नहीं ये मस्तिष्क के विकास की समस्याओं और इम्पैरेड कॉग्निटिव फंक्शन जैसी समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। अपारिजता का प्रयोग डिटॉक्सिफिकेशन और मस्तिष्क की आल राउंड क्लीनिंग में भी काफी मदद करती है 
 ऐसा माना जाता है कि अपराजिता शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों के लिए ये एक ही बहुत प्रभावी उपचार है। इसके साथ-साथ इसका प्रयोग नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए के लिए भी किया जाता है।
 अपराजिता पौधे की जड़ का लेप बनाकर अक्सर त्वचा पर प्रयोग किया जाता है, जिससे चेहरे की चमक बढ़ती है। यह आंखों पर एक बहुत ठंडा प्रभाव डालती है साथ ही आंखों की रोशनी में सुधार करने में मदद करता है।
अपराजिता पौधा स्माल पॉक्स जैसी बीमारी में भी फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा यह स्पर्म जनरेशन,बुखार, दस्त, गेस्ट्राइटिस, मतली, उल्टी, जैसी आम स्थितियों में कारगर माना जाता है। यह हृदय और श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
उदर, कफ विकार, ज्वर, मूत्रविकार, शोथ, नेत्ररोग, उन्माद, आमवात, कुष्ठ, विष विकार में अपराजिता का भी उपयोग होता है।
 आधासीसी जैसी समस्या से जूझ रहे लोगों को अपराजिता की जड़, फली, बीज को बराबर भाग में लेना चाहिए। सभी को पीस कर थोड़ा पानी मिलाएं और इसकी कुछ बूंदे नाक में डालें। ऐसा करने से इस रोग में फायदा होता है।
अपराजिता में मौजूद दर्द निवारक, जीवाणुरोधी गुण होते है, जो दांतों के दर्द में आराम के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए आप अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट और काली मिर्च का चूर्ण को मिलाकर मुंह में रख लें।
गले के रोग (गलगण्ड) में श्वेत अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट बनाकर उसमें घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
 अपराजिता जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार लेने से पेशाब में होने वाली जलन दूर होती है।
 अपराजिता पौधे के सभी भागों को औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं. अपराजिता पौधा सामान्य तौर पर आयुर्वेद के पंचकर्म उपचार में प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद का पंचकर्म उपचार शरीर में से टॉक्सिन्स को निकालकर शरीर के संतुलन में सहायता करता है.
शरीर के आंतरिक विषहरण के लिए ये बहुत प्रभावी उपचार हैं. नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए के लिए अपराजिता पौधे का उपयोग किया जाता है.
आयुर्वेद में अपराजिता जड़ी बूटी को मेध्या श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है. मेध्या जड़ी बूटिया याददाश्त और लर्निंग सुधारने में मदद करती हैं. ये मस्तिष्क के विकास की समस्याओं और इम्पैरेड कॉग्निटिव फंक्शन की समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए बहुत मददगार है.
 अपराजिता जड़ी बूटी डिटॉक्सिफिकेशन और मस्तिष्क की आल राउंड क्लीनिंग और उससे संबंधित स्ट्रक्टर्ज़ में मदद करती है.
 अपराजिता जड़ी बूटी वॉइस क़्वालिटी और गले की समस्याओं में सुधार के लिए फायदेमंद है.
अपराजिता पौधे की जड़ को अक्सर त्वचा पर लेप बनाकर प्रयोग किया जाता है और इससे चेहरे की चमक बढ़ती है. यह आंखों पर एक बहुत कूलिंग प्रभाव डालता है. यह आँखों रोशनी में सुधार करने में मदद करता है.
अपराजिता पौधा पुरुषों में स्पर्म जनरेशन की प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करता है. नपुंसकता मुद्दों के लिए ये बहुत अच्छा विकल्प है.
* अगर सांप के विष का असर चमड़ी के अन्दर तक हो गया हो तो अपराजिता की जड़ का पावडर 12 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिला कर खिला दीजिये। 
- सांप का ज़हर खून में घुस गया हो तो जड़ का पावडर 12 ग्राम दूध में मिला कर पिला दीजिये। 
- सांप का जहर मांस में फ़ैल गया हो तो कूठ का पावडर और अपराजिता का पावडर 12-12 ग्राम मिला कर पिला दीजिये।
 - अगर इस जहर की पहुँच हड्डियों तक हो गयी हो तो हल्दी का पावडर और अपराजिता का पावडर मिलाकर दे दीजिये। 
- दोनों एक एक तोला हों अगर चर्बी में विष फ़ैल गया है तो अपराजिता के साथ अश्वगंधा का पावडर मिला कर दीजिये और सांप के जहर ने आनुवंशिक पदार्थों तक को प्रभावित कर डाला हो तो - अपराजिता की जड़ का 12 ग्राम पावडर ईसरमूल कंद के 12 ग्राम पावडर के साथ दे दीजिये। इन सबका 2 बार प्रयोग करना काफी होगा। लेकिन सांप के विष की पहुँच कहाँ तक हो गयी है ये बात कोई बहुत जानकार व्यक्ति ही आपको बता पायेगा। - मेडिकल साइंस तो कहता है कि ज़हर की गति सांप की जाति पर निर्भर करती है लेकिन वे सांप जिन्हें जहरीला नहीं माना जाता जैसे पानी वाले सांप उनका जहर वीर्य तक पहुँचने में 5 दिन का समय ले लेता है और आने वाली संतान को प्रभावित करता है

* श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) :

 श्वेत कुष्ठ पर अपराजिता की जड़ 20 ग्राम, चक्रमर्द की जड़ 1 ग्राम, पानी के साथ पीसकर, लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से 2 महीने में ही श्वेत कुष्ठ में लाभ हो जाता है।

*चेहरे की झाँइयां :

मुंह की झांईयों पर अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।

*आधाशीशी यानी आधे सिर का दर्द (माइग्रेन) :

 अपराजिता के बीजों के 4-4 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी का दर्द भी मिट जाता है। Note : यहाँ जिन भी औषधियों के नाम आए है ये आपको पंसारी या कंठालिया की दुकान जो जड़ी-बूटी रखते है, उनके वहाँ मिलेगी। इस लेख के माध्यम से लिखा गया यह उपचार हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं । फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के बाद ही इनको प्रयोग करने की हम आपको सलाह देते हैं । ध्यान रखिये कि आपका चिकित्सक आपके शरीर और रोग के बारे में सबसे बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नही होता है ।

* सिर दर्द : 

अपराजिता की फली के 8-10 बूंदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है।

*त्चचा के रोग :

अपराजिता के पत्तों का फांट (घोल) सुबह और शाम पिलाने से त्वचा सम्बंधी सारे रोग ठीक हो जाते हैं।

*अंग्रेजी नाम - क्लितोरिया , हिन्दी नाम - कोयाला , संस्कृत नाम - कोकिला , बंगाली नाम - अपराजिता , गुजराती नाम - गरणी, मलयालम नाम - शंखपुष्पम, मराठी नाम - गोकर्णी, तमिल नाम - कक्कानम, तेलुगु नाम - शंखपुष्पम, यूनानी नाम – मेज़ेरिओन
अपराजिता पौधे की पत्तियां उज्ज्वल हरी और उज्ज्वल नीले रंग की होती है. इसके फूल का रंग सफेद होता है.ये कभी-कभी शंख रूप में उगता है. ये भारत, मिस्र, अफगानिस्तान, फारस, मेसोपोटामिया, इराक आदि के सभी भागों में पाया जाता है. : 

पीलिया, जलोदर और बालकों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भूने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग महीन चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन कराने से पीलिया ठीक हो जाती है।
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22.4.20

त्वचा के लिए चुकंदर के उपयोग



चुकंदर, जिसे बीट रूट के नाम से भी जाना जाता है, एक लोकप्रिय सब्जी है जिसमें आवश्यक विटामिन और खनिजों का भंडार पाया जाता है इसलिए इसका औषधीय और सौंदर्य गुणों के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। स्किन के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं क्योंकि प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी, फोलेट, विटामिन बी 6, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज, लोहा और फास्फोरस का भंडार है। आपकी विभिन्न त्वचा संबंधी समस्याओं (chukandar khane ke fayde for skin) से निपटने के लिए चुकंदर एकदम सही औषधी है। चुकंदर का जूस नियमित रूप से पीने से चेहरे पर निखार आता है और दाग-धब्बे भी दूर होते हैं।
अगर आप नहीं जानती कि चुकंदर से कैसे चेहरे को चमकदार और गोरा बनाया जा सकता है तो पढिये हमारे बताए गए ये टिप्‍स। ऐसा दावा किया जाता है कि चुकंदर और चुकंदर के रस से त्वचा को लाभ हो सकता है, इसमें मौजूद विटामिन सी स्किन के लिए फायदेमंद हो सकता है। त्वचा के लिए चुकंदर के लाभ में शामिल हैं:
एंटी एजिंग
मुँहासे का उपचार
त्वचा में निखार
एंटीऑक्सीडेंट
एंटी इंफ्लेमेटरी
क्या आप जानती हैं कि आपको हेल्दी रखने वाला चुकंदर यानी बीटरूट खूबसूरती निखारने में भी मदद करता है। आइये जानतें हैं चुकंदर के फायदे चेहरे के लिए और त्वचा के लिए चुकंदर के रस के लाभ क्या हैं।
एंटी-एजिंग के रूप में
क्योंकि चुकंदर विटामिन सी में उच्च होते हैं, इसलिए चुकंदर को त्वचा के लिए अच्छा माना जाता है, यहां तक ​​कि यह उम्र बढ़ने के संकेतों से भी बचा सकती है, जैसे कि झुर्रियां।
ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसार, सामयिक और आहार विटामिन सी दोनों त्वचा कोशिकाओं पर लाभकारी प्रभाव डालते हैं। विटामिन सी आपकी त्वचा की बाहरी परत में पाया जाता है, जिसे एपिडर्मिस कहा जाता है, और आपके एपिडर्मिस के नीचे की त्वचा की परत, जिसे डर्मिस कहा जाता है। डर्मिस में शामिल हैं:
तंत्रिका सिरा
केशिकाओं
बालो के रोम
पसीने की ग्रंथियों
इसकी वजह से एंटी-एजिंग स्किन केयर उत्पादों में विटामिन सी भी पाया जाता है:
एंटीऑक्सीडेंट गुण
कोलेजन संश्लेषण में भूमिका
शुष्क त्वचा की मरम्मत करने और उसे रोकने में मदद करता है
मुँहासे दूर करने में
विटामिन सी के एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, इसका उपयोग मुँहासे के उपचार में किया जा सकता है।
2018 के एक अध्ययन अनुसार, इसका उपयोग अक्सर अन्य उपचारों जैसे कि एंटीबायोटिक्स और जस्ता
चुकंदर का रस तैलीय त्वचा पर होने वाले मुहांसों और फुंसियों से लड़ने में अद्भुत काम करता है। चुकंदर का रस गाजर या ककड़ी के साथ पीने से एंटीऑक्सिडेंट से भरा होता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी फायदेमंद होता है। यदि आप मुँहासे से पीड़ित हैं, तो दो चम्मच ताजा चुकंदर के रस को सादे दही के साथ मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और धो लें। यह निशान छोड़े बिना, मुँहासे को सूख जाता है। के साथ किया जाता है। जो लोग मुहांसों के संभावित इलाज के रूप में बीट का सुझाव देते हैं, वे चुकंदर और चुकंदर के रस में पाए जाने वाले विटामिन सी के आधार पर अपने दावे को सही ठहरा सकते हैं।
चुकंदर का रस तैलीय त्वचा पर होने वाले मुहांसों और फुंसियों से लड़ने में अद्भुत काम करता है। चुकंदर का रस गाजर या ककड़ी के साथ पीने से एंटीऑक्सिडेंट से भरा होता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में काफी फायदेमंद होता है। यदि आप मुँहासे से पीड़ित हैं, तो दो चम्मच ताजा चुकंदर के रस को सादे दही के साथ मिलाएं और प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। इसे 15 मिनट के लिए छोड़ दें और धो लें। यह निशान छोड़े बिना, मुँहासे को सूख जाता है।
होंठ को गोरा और गुलाबी बनाएं चुकंदर का रस
अगर आप होठों पर उस परफेक्ट, नैचुरल रसीले रंग को प्राप्त करना चाहते हैं, तो चुकंदर की ओर रुख करें। हर रात सोने से पहले होंठों पर चुकंदर का रस लगाएं, और आप 10 दिनों के भीतर नरम, गुलाबी होंठों को देखना शुरू कर देंगे।
त्वचा की चमक बढ़ाता है
ताजा चुकंदर के रस का एक गिलास आपको भीतर से चमकने में मदद कर सकता है। यह विषाक्त पदार्थों को खत्म करके, रक्त को शुद्ध करता है और तुरंत त्वचा की चमक को बढ़ा देता है। चेहरे से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने के लिए और इसे सॉफ्ट दिखाने के लिए नियमित रूप से चुकंदर का रस लगाएं।
बालों के लिए
यदि आप बार-बार बालों के झड़ने से पीड़ित हैं, तो अपने दैनिक आहार में चुकंदर को शामिल करें। चुकंदर रोम छिद्रों को मजबूत करके स्वस्थ बालों के लिए सभी आवश्यक खनिज और विटामिन प्रदान करता है। चुकंदर के रस के साथ ग्राउंड कॉफी बीन्स को मिलाना एक अद्भुत कंडीशनर का काम करता है जो बालों को चिकना करता है और इसे प्राकृतिक रंग भी प्रदान करता है।
सूखी त्वचा को हाइड्रेट करे
चुकंदर आपकी त्वचा को हाइड्रेट करने और खुजली से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है। शहद, दूध के साथ चुकंदर का रस समान मात्रा में मिलाएं और इसे प्रभावित जगह पर लगाएं। इसे सूखने दें और गुनगुने पानी से साफ करें। यह आपकी त्वचा को अधिक समय तक हाइड्रेटेड रखता है।



और गाजर का रस त्वचा के लिए

गाजर और चुकंदर, आयरन, विटामिन और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत होने के नाते त्वचा की देखभाल के लिए सामूहिक रूप से सबसे फायदेमंद खाद्य पदार्थ हैं। गाजर और चुकंदर का रस विषाक्त पदार्थों को साफ करके त्वचा को लाभ पहुंचाता है। यह त्वचा की कोशिकाओं को मजबूत करने और उनके स्वस्थ विकास में मदद करता है। त्वचा के लिए गाजर और चुकंदर का रस भी मुंहासे और फुंसियों को ठीक करता है
गाजर और चुकंदर दोनों को सुपर खाद्य पदार्थ माना जाता है जो एक स्वस्थ खुबसूरत दिखने वाली त्वचा और बालों को बढ़ावा देते हैं।
त्वचा के लिए चुकंदर और गाजर के रस के लाभ बहुत अधिक हैं और जब नियमित रूप से सेवन किया जाता है, तो किसी की जादू की तरह काम कर सकता है। चुकंदर और गाजर के रस के लाभों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करता है
त्वचा के लिए गाजर और चुकंदर का रस उम्र से संबंधित मांसपेशियों के क्षरण को कम करने में मदद करता है और त्वचा की उम्र बढ़ने के सभी लक्षणों जैसे झुर्रियों, मुँहासे, महीन रेखाओं, डार्क स्पॉट आदि को काफी हद तक मिटा देता है। चूंकि गाजर और बीट दोनों विटामिन ए, कैरोटीनॉयड और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरे होते हैं, इसलिए वे चेहरे के ऊतकों को कसने में मदद करते हैं और त्वचा की लोच बनाए रखते हुए रक्त प्रवाह को ठीक से नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह एक टाइट और उम्र में छोटी लग रही त्वचा की ओर ले जाता है।
त्वचा के दागधब्बे व निशान कम करता है
सर्दियों के दौरान, हम सभी स्किन ड्राईनेस से पीड़ित होते हैं। इसलिए इस समय त्वचा के लिए गाजर और चुकंदर के रस का नियमित रूप से सेवन चेहरे की त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में मदद करता है।
मुंहासों को रोकता है
पोषक तत्वों और खनिजों की एक अद्भुत मात्रा के साथ, गाजर और चुकंदर दोनों त्वचा से अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे मुहासे नहीं होते हैं।
गाजर और चुकंदर का जूस स्वस्थ और स्वादिष्ट होता है, लेकिन यदि आप किसी भी स्वास्थ्य विकार, वजन के मुद्दों या मधुमेह से पीड़ित हैं, तो हम आपको अपने दैनिक आहार में गाजर और चुकंदर के रस को शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेने का सुझाव देते हैं।
चुकंदर का जूस कब पीना चाहिए
चुकंदर का रात को नहीं पीना चाहिए जूस पीने का सही समय दोपहर के भोजन से पहले या सुबह नाश्ते के समय पी सकते हैं।
निष्कर्ष
चुकंदर पोषक तत्वों का एक कम कैलोरी स्रोत है, जिसमें विटामिन सी भी शामिल है जो अक्सर त्वचा की देखभाल में उपयोग किया जाता है। चुकंदर से चेहरे को चमकदार और गोरा बनाया जा सकता है।
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20.4.20

ओमेगा-3 फैटी एसिड : उत्तम स्वास्थ्य की कुंजी :



शाकाहारी और मांसाहारी दोनों स्रोतों से हमें ओमेगा-3 फैटी एसिड मिलता है। यह अखरोट जैसे सूखे मेवों, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, कनोडिया या सोयाबीन, स्प्राउट्स, टोफू, गोभी, हरी बीन्स, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी, रसभरी जैसे फलों में काफी मात्रा में पाया जाता हैै। ट्यूना, सामन, हिलसा, सार्डिन जैसी मछलियां, शैवाल, झींगा जैसे सी-फूड ओमेगा-3 के ईपीए और डीएचए प्रकार के अच्छे स्रोत हैं। इसके अलावा गाय का दूध, मूंगफली, अंडे का सेवन भी फायदेमंद है।
इस्तेमाल का तरीका
एक स्वस्थ व्यक्ति को वजन के हिसाब से ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करना चाहिए। डाइटीशियन या डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि अधिक फैट लेने से यह मोटापे का कारण बनता है। फ्लैक्स जैसे बीज पीस कर पाउडर बनाएं और इसका एक-डेढ़ चम्मच सुबह खाली पेट पानी के साथ खाएं, लाभ होगा। इन पिसे बीजों को सलाद के ऊपर छिड़क कर या दही-रायते में मिला कर भी खा सकते हैं। ओमेगा-3 युक्त ऑयल में खाना बनाने से इसकी आपूर्ति स्वत: ही हो जाती है। जहां तक सी-फूड का सवाल है, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने इसे सप्ताह में 2-3 बार लेना बेहतर माना है।
एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की 4 ग्राम खुराक ले सकता है। चाइल्ड हेल्थ फाउंडेशन ने बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए रोजाना औसतन 2 ग्राम ओमेगा-3 का सेवन करने की सिफारिश की है। बीमार लोगों को डॉक्टर की सलाह पर ध्यान देना चाहिए।

कमी से होने वाले रोग
पर्याप्त मात्रा में सेवन के बावजूद कई बार पाचन तंत्र में गड़बड़ी से चयापचय या अवशोषण में कमी होने के कारण ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी कमी से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, उच्च कोलेस्टेरोल, डायबिटीज, सूजन, आंत्र रोग, अल्जाइमर जैसे रोग हो सकते हैं। अनुसंधानों से साबित हो चुका है कि आहार में ओमेगा-3 की कमी से स्तन और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

अधिक सेवन है नुकसानदेह
लगातार ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त आहार लेने से यूं तो स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन अतिरिक्त वसा शरीर की कोशिकाओं में जमा होने लगती है और वजन बढ़ाती है। ध्यान न देने पर भविष्य में यह उच्च रक्तचाप, हृदय घात, डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बन सकता है।

करें नियमित सेवन
*ओमेगा-3 के नियमित सेवन से रक्त में वसा या ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नियंत्रित होता है, जिससे हृदय रोगों का जोखिम 50 प्रतिशत तक कम रहता है।
* नियमित सेवन से आथ्र्राइटिस से शरीर में सूजन पैदा करने वाले तत्वों का प्रभाव कम होता है। जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द, आथ्र्राइटिस, जकड़न में आराम मिलता है।
* बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में फायदेमंद है ओमेगा 3। यह बच्चों की सीखने की क्षमता को बढ़ाता है और उनके मानसिक कौशल में सुधार करता है।
* स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की 4 ग्राम खुराक ले सकता है।
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17.4.20

फिटकरी के स्वास्थ्य लाभ और नुकसान




फिटकरी (Alum) एक अद्भुत घटक है जो कि पानी को साफ करने से लेकर
त्वचा को निखारने जैसे कई फायदों के लिए उपयोग किया जाता है। फिटकरी के बहुत से प्रकार होते हैं, यह जानना बहुत आवश्यक है कि कौन सी फिटकरी (Alum) का उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद है साथ ही इसकी सही खुराक और इसके किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसके उपयोग की सही विधि की जानकारी प्राप्त करना भी आवश्यक है। फिटकरी के फायदे इतने अधिक है की हर घर में इसे होना चाहिए।
आमतौर पर फिटकरी (alum) को सामान्य रूप से प्रयोग किया जाता है। जब हम फिटकरी शब्द कहते हैं तो हम में से अधिकांश लोग इसे शेविंग के बाद के लिए उपयोग की जाने वाली फिटकरी के बारे में सोचते हैं लेकिन फिटकरी के बहुत से उपयोग और लाभ हैं। फिटकरी दो तरह की होती है, लाल और सफेद। लेकिन अधिकतर घरों में सफेद फिटकरी का ही इस्तेमाल किया जाता है। पोटेशिम एलम को आमतौर पर घरेलू उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
ऐलम को भारतीय क्षेत्रीय बोली के अनुसार फिटकरी के नाम से पुकारा जाता है, जिसे पोटेशियम ऐलम या पोटेशियम एल्‍यूमिनियम सल्‍फेट जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में फिटकरी को फितकारी या सौराष्‍ट्री भी कहा जाता है। आयुर्वेद समेत यूनानी चिकत्‍सा पद्यतियों में फिटकरी का व्यापक उपयोग किया जाता है।
यूनानी दवाओं में फिटकरी का प्रयोग विभिन्न उपचारों के लिए किया जाता है क्योंकि इसके गुण बाँधने वाला (astringent), दर्द हटाने वाला (Analgesic), होमियोस्टैटिक, ज्वर हटाने वाला (Antipyretic), डिटर्जेंट, संक्षारक, उत्तेजक और चिड़चिड़ाहट को दूर करने में मदद करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि फिटकरी के हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदे बहुत अधिक और नुकसान बहुत ही कम हैं।

फिटकरी के फायदे

हमारे दैनिक जीवन में फिटकरी बहुत उपयोगी है। यह हमें सौंदर्य देखभाल से लेकर गंभीर या हल्की चोटों तक बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसलिए हर घर में फिटकरी जरूर होना चाहिए। 
अक्‍सर फिटकरी के माध्यम से पानी की अशुद्धियों को फिल्‍टर (filter impurities) करने और इसे साफ करने के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि इसका यही एक मात्र उपयोग नहीं है क्योंकि इसका उपयोग कई सौंदर्य और स्‍वास्‍थ्‍य कार्यों के लिए किया जाता है। यह मांसपेशीय ऐंठन को दूर करने और मुंहासों से निपटने जैसे कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्रदान करता है। आइए जाने फिटकरी किस तरह से हमें फायदे पहुंचाती है।


  आंखों के फोड़ों

की समस्या को दूर करने के लिए फिटकरी बहुत उपयोगी होती है। आंख के फोड़ों के इलाज के लिए थोड़े पानी के साथ चंदन और फिटकरी का पेस्‍ट बनाएं। इस पेस्‍ट (paste) का इस्तेमाल करने पर यह बहुत ही प्रभावी होता है। इसका उपयोग करने से फोड़ा उसी दिन फूट जाता है जिससे आंखों को आराम मिलता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर फिटकरी का उपयोग फिर से किया जा सकता है।

मुंह की गंदी बदबू (foul breath) के मुख्य कारणों में से एक निश्चित रूप से बैक्‍टीरिया की उपस्थिति होती है, जो अक्‍सर विषाक्त पदार्थ और एसिड बनाते हैं। एलम माउथवाश के साथ मुंह की सफाई करने से बैक्‍टीरिया के विकास को रोका जा सकता है। इस प्रकार आप फिटकरी का उपयोग करके मुंह से आने वाली बदबू को दूर कर सकते हैं।

फटी एड़ियों का उपचार फिटकरी पाउडर के द्वारा किया जा सकता है। बस इस उपाय के लिए एक छोटे बर्तन में फिटकरी को गर्म किया जाता है। जब हम इसे गर्म करते हैं तो यह पिघलने या तरल होने के साथ फोम भी बनाता है। जब यह पूरी तरह से वाष्पित (evaporates) हो जाता है तो इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें। फिर इसके टुकड़ों को बारीक पाउडर बना कर नारियल के तेल के साथ मिलाकर पैरों में लगाया जाता है। ध्‍यान रहे कि फिटकरी बारीक पाउडर के रूप में हो नहीं तो इसे पैरों में लगाना मुश्किल हो सकता है। यह उपाय आपकी फटी एड़ियों (cracked heels) को राहत प्रदान करने का सबसे अच्छा उपचार है।

कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि फिटकरी में रक्तस्राव को कम करने की क्षमता होती है। आप चोट लगने पर बहते हुए खून को रोकने के लिए फिटकरी का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन यहां याद रखें कि यदि आपकी चोट या कट बहुत गहरा है और फिटकरी के उपयोग से खून का बहना बंद नहीं हो रहा है तो आपको तुरंत ही किसी चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए। ऐसी स्थिति पर एल्‍यूम अवशेष (alum residue) पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।

फिटकरी के लाभदायक गुण पेचिश के इलाज में – 

शोधकर्ताओं का दावा है कि फिटकरी पाउडर पेचिस (dysentery) के इलाज में मदद करता है। जब तक आप बेहतर महसूस न करें तब तक केवल फिटकरी पाउडर से बनी हुई चाय का सेवन करें। हालांकि इसका ज्यादा उपभोग नहीं करना चाहिए।

योनि में कसाव लाने के लिए फिटकरी का उपयोग –

ऐलम के टुकड़ों में योनि दीवारों (Vagina walls) को कसने वाले गुण होते हैं। लेकिन यह बहुत समय तक उपयोग करने के लिए असु‍रक्षित है, क्‍योंकि यह योनि ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और साथ ही उन्‍हें सूखा भी कर सकते हैं।
  फिटकरी पाउडर के साथ अपनी योनि को कड़ा बनाने के लिए एक बड़े टब में पानी के साथ फिटकरी को मिलाएं। आप इस टब में बैठ जाएं और सुनिश्चित करें कि आपकी योनि इस पानी में पूरी तरह से डूबी है। आप तरल फिटकरी का उपयोग स्‍पंज के साथ भी कर सकते हैं। स्‍पंज की सहायता से आप अपनी योनि को साफ करें और फिटकरी (alum) वाले पानी से धो लें।

फिटकरी का पानी पीने के फायदे ऐंठन को दूर करे –

मांसपेशीय ऐंठन को कम करने के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में फिटकरी का उपयोग किया जाता है। इसके लिए फिटकरी और हल्दी को मिलाकर सेवन करना लाभकारी होता है। फिटकरी में खून को पतला करने वाले गुण होते हैं और साथ ही हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण आपस में मिलकर मांसपेशीय दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
बहुत से लोगों को पता नहीं है कि फिटकरी में एंटी एजिंग (anti-ageing) गुण होते हैं, इसलिए यह समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के लक्षणों को रोकने में मदद करता है और त्वचा को नरम, चमकदार और मनोहर (delightful) बनाता है।

फिटकरी का इस्तेमाल सिर के जूँ के इलाज में –

बालों की जूँ को खत्म करने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जा सकता है। जूँ के उपचार के लिए फिटकरी पाउडर में थोड़ी मात्रा में चाय के पौधे के तेल के साथ (tea tree oil) पानी मिलाया जाता है। इस मिश्रण को थोड़ी देर के लिए अपने सिर पर लगाएं। यह आपके सिर से जूँ को खत्म करने में आपकी मदद करेगा।

फिटकरी का उपयोग त्वचा को गोरा बनाने के लिए –

त्वचा को गोरा बनाने के लिए फिटकरी पाउडर का उपयोग करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक फेस पैक के रूप में इसका इस्तेमाल करना है। जबभी त्वचा को गोरा करने की बात आती है, तो मेरा मतलब है कि काले धब्बे और निशान को हल्का करना और आपकी त्वचा को टोन और चिकनी बनाना है।
त्वचा whitening का मतलब है कि हम जिस त्वचा के साथ पैदा हुए हैं उसका रंग बदलना असंभव और अनावश्यक है क्योंकि प्रत्येक त्वचा का रंग अपने आप में खूबसूरत होता है।
जब हम नियमित रूप से फिटकरी से बना फेस पेक चेहरे पर लगाते हैं, तो यह हमारी त्वचा के लिए कुछ अद्भुत चीजें करता है: यह मुँहासे जैसी त्वचा की समस्याओं का इलाज करता है क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं।
यह मुँहासे के निशान, काले धब्बे को भी हल्का करता है और ब्लैकहेड को भी बनने से रोकता है। यह हमारी त्वचा को कसने के साथ मामूली कट और स्क्रैप (scrapes) भी ठीक करता है। लेकिन जब हम त्वचा whitening के लिए एलम पाउडर का उपयोग करते हैं तो हमें कुछ चीजों को याद रखना होगा।
त्वचा पर फिटकरी का उपयोग करने के साइड इफेक्ट्स – Side Effects Of Using Alum On Skin
एलम पाउडर त्वचा पर सूख सकता है इसलिए फिटकरी फेस पैक का उपयोग करने के बाद हमेशा मॉइस्चराइज़र का उपयोग करना चाहिए। फिटकरी से भी हल्का घर्षण होता है, इसलिए चेहरे के पैक को हटाते समय हमेशा सादे पानी का उपयोग करके इसे धीरे-धीरे धो लें। यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
स्किन लाइटनिंग के लिए एलम का उपयोग कैसे करें?
डार्क स्पॉट्स के लिए फिटकरी और रोज़ वॉटर फेस पैक,
फिटकरी और ग्लिसरीन टोनर,

मुँहासे के निशान हटाने के लिए फिटकरी और मुल्तानी मिट्टी फेस पैक

अपनी पसंदीदा पसंद का चयन करें और इसे अच्छे परिणाम देखने के लिए नियमित रूप से साप्ताहिक या दो बार उपयोग करें

मुँहासे त्वचा की सबसे आम समस्या है और इनसे बचना असंभव है। पिंपल और इनसे होने वाली सूजन को कम करने के कई घरेलू इलाज उपलब्ध हैं। फिटकरी पाउडर के शीतलन गुणों के साथ-साथ चेहरे के मुंहासों को खत्म (eliminate pimples) करने के लिए चेहरे का मास्‍क भी तैयार किया जा सकता है।

आंतरिक और बाहरी कारकों (internal and external factors) की वजह से त्‍वचा लचीलापन खो सकती है जो रेखाओं और झुर्रियों का कारण होती है। यह आपके समय से पहले बुढ़ापे का संकेत दिखाते हैं। फिटकरी के जीवित एजेंट (surviving agents) आपकी झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं।

पारंपरिक रूप से बालों को हटाने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाता है। पुराने समय में महिलाएं अपने होंठों के ऊपर के बालों की तरह चेहरे के अवांछित बालों को हटाने (hair removal) के लिए फिटकरी का उपयोग करती थी। इसके लिए आपको करना चाहिए 
½ चम्मच फिटकरी पाउडर में 1 चम्मच गुलाब जल मिला कर मिश्रण तैयार करें। आवश्यकता पड़ने पर फिटकरी पाउडर और गुलाब जल को निश्चित अनुपात में समायोजित करें। गुलाब जल और फिटकरी का अनुपात लगभग 1:2 होना चाहिए। इस मिश्रण का उपयोग आप उस जगह पर कर सकते है जहां से आप बालों को हटाना चाहते हैं। इस मिश्रण को लगाने के बाद 20 मिनिट के लिए छोड़ दें। यदि आपको लगता है कि मिश्रण जल्दी सूख गया है तो इसकी नमी बनाए रखने के लिए आप इसमें गुलाब जल का छिड़काव कर सकते हैं। आप इस उपचार को अपने हाथ और पैरों के बालों को हटाने के लिए भी कर सकते हैं। उपयोग किये जाने वाले स्‍थान को मॉइस्‍चराइज रखने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मिश्रण को आंखों के आसपास उपयोग न करें।

पानी को शुद्ध

(water therapy) करने के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाता है। गंदे पानी को साफ करने के लिए प्रति लीटर पानी में लगभग 1 ग्राम फिटकरी पाउडर मिलाएं। यह पानी में उपस्थित गंदे कणों को अलग कर आपको साफ पानी प्राप्त करने में मदद करता है। इसलिए जब भी कभी आप कैंपिंग यात्रा पर जाए तो अपने साथ फिटकरी साथ में जरूर रखें।
सदियों से दाढ़ी बनाते समय फिटकरी का उपयोग किया जा रहा है। एक बार जब आप इसका उपयोग करना शुरू कर देते हैं तो निश्चित रूप से शेव के बाद किये जाने वाले सभी महंगे खर्चो से छुटकारा मिल सकता है। पहली बार संभवतः: यह आपको पसंद नहीं (possibly not like) आएगा, हालांकि यदि आप इसका लगातार उपयोग करते हैं तो यह आपकी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। शेविंग के तुरंत बाद गीले चेहरे पर फिटकरी को लगाएं। आप या तो इसे धो सकते हैं या इसे कुछ देर के लिए त्वचा पर लगें रहने दे सकते हैं। पोटाश एलम का उपयोग रक्त का थक्का ज़माने के लिये किया जाता है। दाढ़ी बनाने के बाद इसे चेहरे पर रगड़ा जाता है। जिससे ब्लेड के लगने या कट जाने के कारण निकलने बाले ब्लड को रोका जा सके।

फिटकरी के नुकसान –

फिटकरी का उपयोग करने से कुछ दुष्‍प्रभाव हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं :
पोटेशियम ऐलम (potassium alum) त्वचा को कमजोर कर सकता है।

फिटकरी खाने के नुकसान: 

फिटकरी का ज्यादा सेवन करने से पुरुषों में वीर्य और फ्रक्‍टोज (semen and fructose) का स्तर प्रभावित हो सकता है।
लंबे समय तक फिटकरी का अधिक मात्रा में सेवन कैंसर और अल्‍जाइमर (cancer and Alzheimer’s) आदि का कारण हो सकता है।
ऐलम का अधिक उपयोग आपके लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे कि पेचिश, त्वचा का सूखापन (Dry skin)आदि।
यदि आपकी त्वचा नाजुक (delicate skin) है तो यह त्वचा में चकते, लाली जैसी परेशानी को बढ़ा सकता है।
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