मस्से त्वचा पर होने वाली टिश्यू की वृद्धि है जो ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के कारण होती है। आमतौर पर यह फटी हुई त्वचा पर होता है क्योंकि वायरस त्वचा की ऊपरी परत के माध्यम से आसानी से प्रवेश कर जाता है। संक्रमण के बाद त्वचा की ऊपरी परत पर मस्से तेजी से अपना विकास करते हैं।
मस्से हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं पहुंचाते हैं। यह कुछ महीनों या वर्षों के बाद अपने आप कम हो जाते हैं। मस्से दिखने में छोटे होते हैं और आकार व संरचना में एक पिनहेड से लेकर मटर के दाने तक भिन्न हो सकते हैं। यह रफ, हार्ड बम्प्स, मांसल वृद्धि या छोटा बम्प कुल तीन तरह के होते हैं।एक अध्ययन के अनुसार विटामिन की कमी के कारण मस्से होते हैं। इस बात की पुष्टि विभिन्न प्रकार के विटामिन के सीरम लेवल के अध्ययन में हुई है। इस अध्ययन में कई लोगों के विटामिन में मौजूद सीरम के लेवल की जांच की गई थी।
मस्से HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के कारण होते हैं। इसके 150 स्ट्रेन मौजूद हैं जिनमें से महज 10 स्ट्रेन के कारण ही मस्से होते हैं। यह वायरस त्वचा में छोटे से कट के माध्यम से प्रवेश करता है। इससे त्वचा की बाहरी परत मोटी और सख्त हो जाती है, जो आगे चलकर मस्से का रूप ले लेती है।
एचपीवी के सम्पर्क में आने से या इससे संक्रमित किसी सरफेस को छूने से यह संक्रमण हो सकता है, जो आगे चलकर मस्से का रूप ले लेता है।
एचपीवी वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से मस्से हो सकते हैं।
दूसराें का तौलिया या अन्य निजी वस्तुओं के इस्तेमाल से मस्से हो सकते हैं।
किसी भी प्रकार के घाव वाले स्थान की त्वचा के संक्रमित होने से मस्से होने की आशंका बढ़ जाती है।
मस्से को छूने के बाद अपने शरीर के दूसरे हिस्से पर टच करने से यह नए सिरे से संक्रमित कर सकता है।
इस प्रकार के मस्से आमतौर पर व्यक्ति की हांथ या पैर की उंगलियों पर होते हैं। यह शरीर के किसी अन्य स्थान पर भी हो सकते हैं। आम तौर पर मस्से अपने आसपास की त्वचा की तुलना में भूरे रंग के होते हैं।
चेहरे के तिल मस्से हटाने के रामबाण नुस्खे
आज सभी लोग सुंदर दिखना चाहते है एक कहावत है की अगर आपके चेहरे पर एक या दो तिल हों तो आपके सुंदरता में चार चाँद लग जाता। लेकिन यही तिल और मस्से अगर आपके फेस पर ज्यादा हो जाय तो ही बहुत बुरा लगने लगता है। इस समस्या से काफी लड़के-लड़कियां परेशान हैं।अधिकतर लोग तिलों तथा मस्सों को हटाने के लिए लेजर थेरेपी का ही इलाज मानते है,
इसलिए इन्हे नजर अंदाज कर देते हैं तो ये ज्यादा होते है तो और भी ज्यादा होते चले जाते है वैसे तिल दो प्रकार के होते हैं एक वो जो जन्मजात होते हैं और दूसरे जो धीरे-धीरे खुद ही पनपने लगते हैं तो इनको हटाया भी जा सकता है वो भी बिना किसी थेरेपी के बस कुच्ग देसी इलाज से आप घर पर भी इनको हटा सकते है इसके लिए में आज आपको कुछ घरेलू उपाए बताउगा वो भी सस्ता सा तो इसके लिए में आपको दो तरीके बताउगा और उनके लिए क्या क्या चैये वो भी बताउगा तो देखिये क्या क्या चाहिए और कैसे करना है |
धनिए के पत्ते से तिल और मुंहासे हटाए
क्या क्या सामग्री चाहिएधनिया
गुलाब जल
करने की विधि
सबसे पहले आप धनिए के जड़ वाले हिस्से को अलग कर दें और पते अलग करें फिर इसको पत्ते-पत्ते को किसी हम लोग होम जस्ते या मिक्सी के अंदर पत्ते का पेस्ट तैयार कर लें और इसे किसी बर्तन में निकाल लें फिर उस पेस्ट को रुई की सहायता से अपने तिल मुहासे पर लगाएं और धीरे-धीरे लगाएं उसको करीब आधे घंटे तक लगा ही रहने दें बाद में रुई की सहायता से गुलाब जल से धीरे-धीरे साफ करें और यह करीब 1 महीने तक करें जिससे आपके मुहासे तो झड़ने लग जाएंगे और तिलों का रंग बदलने लग जाएगा और कुछ दिनों में वह साफ हो जाएंगे यह एक आसान और सस्ता घरेलू तरीका है जिससे आप अपने तिल और मुंहासे हटा सकते हैं|
आलू की सहायता से तिल और मुंहासे हटाए
क्या क्या सामग्री चाहिएआलू
गुलाब जल
रुई
करने की विधि
सबसे पहले साफ दो आलू लीजिए जो बिल्कुल साफ और बढ़िया हो फिर उनको किसी होम जस्ते या किसी कद्दूकस या मिक्सी की सहायता से उनका अच्छा सा पेस्ट तैयार कर लीजिए और इस पेस्ट को कुछ देर रखिए फिर आप रुई की सहायता से इस पेस्ट को अपने तिल मुंहासे पर लगाइए और करीब 5 से 7 मिनट उसकी मालिश कीजिए और उसको आधे घंटे तक ऐसा ही रहने दें आधे घंटे बाद साफ रुई से गुलाबजल के साथ धीरे-धीरे उसको साफ कीजिए और यह विधि दिन में दो बार कीजिए यह लगातार एक महीने पर करने पर आपके तिल और मुहासे साफ होने लगेंगे इससे मुंहासे तो झरने लगेंगे और तीन का रंग बदलने लगेगा और यदि एक महीने में भी थोड़ी बहुत कमी रह जाए तो आप एक्स्ट्रा कुछ दिन कीजिए पर यह विधि बिल्कुल आपके तिल और मुंहासे साफ कर देंगे यह एक बहुत ही आसान और सस्ता घरेलू नुसका है जिसे आप उपयोग करके अपने तिल और मुंहासे साफ कर सकते हैं|
मस्से ना काटें, ना फोड़ें
कुछ लोग मस्सों को हटाने के लिए उसे कटवा देते हैं या घर पर ही खुद से काट व फोड़ लेते हैं। लेकिन ऐसा कभी नहीं करना चाहिए। मस्से को काटने और फोड़ने के कारण मस्से के वायरस का शरीर के अन्य हिस्सों में भी जाने का खतरा होता है। जिससे और मस्से हो जाते हैं। कई बार तो मस्से का वायरस एक आदमी से दूसरे आदमी की त्वचा पर भी चला जाता है।
शरीर पर मस्से होना एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है। यह प्रायः सरसों अथवा मूँग के आकार से लेकर बेर तक के आकार का होता है।
मस्से विषाणु संक्रमण से पैदा होते हैं। प्रायः ‘मानव पेपिल्लोमैविरस’ नामक विषाणु की प्रजाति इसका कारण होती है। त्वचा पर पेपीलोमा वायरस के कारण छोटे, खुरदुरे कठोर पिंड बन जाते हैं जिसे मस्सा कहते हैं।
मस्से काले और भूरे रंग के होते हैं। मस्से 8 से 12 प्रकार के होते हैं। जिनमें से कुछ मस्से अपने-आप खत्म हो जाते हैं, लेकिन कुछ मस्से इलाज के बाद जाते हैं।
मस्से को काटने और फोड़ने के कारण मस्से का वायरस शरीर के अन्य हिस्सों में भी चला जाता है जिसके कारण मस्से हो जाते हैं। मस्से संक्रमण (छुआछूत) से हो सकते हैं और शरीर में वहाँ प्रवेश करते हैं जहाँ त्वचा कटी-फटी हो।
प्याज से मस्से हटायें
प्याज हर तरह से हमारे लिए फायदेमंद है। खाने से लेकर इसके रस को लगाने तक के फायदे हैं। मस्सों के लिए तो ये रामबाण है। मस्सों को हटाने के लिए लगातर बीस से तीस दिनों तक प्याज के रस को मस्सों में लगाएं। जब समय मिले तब प्याज को काटकर मस्सों पर रगड़ें। दिन में दो-तीन बार ऐसा करें। प्याज के रस से मस्सों का वायरस मर जाता है और मस्से जड़ से खत्म हो जाते हैं।
मस्सा को ठीक करने के घरेलू उपाय
सिरका का इस्तेमाल: सिरका के इस्तेमाल से मस्से के वायरस को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। यह एसिड होने के कारण इसके संपर्क में आने वाले वायरस को मार देता है। इससे संक्रमित त्वचा जल जाती है और धीरे-धीरे मस्से गिरने लगते हैं। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
नींबू का रस: साइट्रिक एसिड से भरपूर होने के कारण नींबू का रस मस्से के इलाज में कारगर होता है। HPV वायरस इस एसिड के संपर्क में आते ही नष्ट हो जाता है। इसके इलाज के बाद मस्से वाली जगह पर सीधे नींबू का रस नहीं लगा सकते हैं। इसे लगाने के लिए इसमें पानी मिलाया जाता है। पानी के साथ नींबू के रस को मस्से पर लगाने से वह ठीक हो जाते हैं।
एप्पल साइडर विनेगर: एप्पल साइडर विनेगर, एसिड की तरह मस्से पर कार्य करता है। यह एक एसिड का हल्का रूप है जो संक्रमित त्वचा के साथ मस्से को जला देता है। एसिड इसके संपर्क में आने वाले वायरस को मारने का काम करता है। इसे पानी के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है।
एलोवेरा: एलोवेरा जेल में मैलिक एसिड होता है, जो मस्से के इलाज में प्रभावशाली है। इसका एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल और एंटी बायोटिक गुण मस्से की स्किन को सुखाने में मदद करता है। इसे लहसुन के साथ मिलाकर लगाने से मस्से जल्द ठीक हो जाते हैं।
बेकिंग सोडा: बेकिंग सोडा का एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटीसेप्टिक गुण मस्से के इनफ्लेमेशन और दर्द को कम करने में मदद करता। इसमें एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर लगाने से मस्से को जलाने में मदद मिलती है।
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने से रोकने के तरीके:नियमित रूप से हाथ साफ करना या धोना।
दूसरे लोगों के मस्से को छूने से बचना।
मस्से को साफ, सूखा और कीटाणुओं रहित रखना।
शरीर के अन्य भागों में फैलने से रोकने के तरीके:मस्से को सूखा रखें।
शेविंग के समय मस्से पर रेजर का यूज न करें।
मस्से को ढक कर रखें।
मस्से को नोंचने या खंरोंचने से बचें।
प्रभावित त्वचा पर नेल फाइलर या पिकर जैसे उपकरण का उपयोग न करें।
सतह से व्यक्ति तक मस्से को फैलने से रोकने के तरीके:संक्रमित व्यक्ति के तौलिए और व्यक्तिगत वस्तुओं को शेयर न करें।
सार्वजनिक स्थानों जैसे जिम, पूल, लॉकर रूम में जूते पहनकर जाएं।
यदि किसी और के मस्से के साथ संपर्क हुआ है, तो उस जगह को तुरंत साफ करें।
मस्सा से बचाव-
अपनी डाइट में कुछ बदलाव करके मस्सा को होने से या बढ़ने से रोक सकते हैं:
क्या खाना चाहिए:
सब्जियां जैसे, पालक, केला, ब्रोकली आदि सब्जियां विटामिन से भरपूर होती हैं जो वायरस से मुकाबले के लिए आपके इम्यून सिस्टम को शक्ति देती हैं। इम्यून सिस्टम को शक्ति देने के लिए और मस्सों को घटाने के लिए जामुन, टमाटर, चेरी और कद्दू आदि फलों का सेवन भी कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोटीन युक्त आहार जैसे; मांस, मछली, मेवे और साबुत अनाज आदि मस्सों में लाभकारी होते हैं।
क्या नहीं खाना चाहिए:
मस्सा होने पर रिफाइंड और प्रोसेस्ड आहार जैसे व्हाइट ब्रेड और पास्ता का सेवन करने से बचना चाहिए। ट्रांस फैट युक्त आहार जैसे; केक, कूकीज और डोनट को आहार में शामिल न करें। फास्ट फूड जैसे अनियन रिंग्स और फ्रैंच फ्राइज को खाने से बचें। इसके अलावा शक्कर की अधिक मात्रा वाले आहार न लें।