तालमखाना का क्षुप 2 से 5 फीट तक ऊंचा होता है। किसी-किसी क्षुप में टहनियाँ नीचे जड़ के समीप से ही फुटकर फैलती है, किसी में ऊंची डाल पर ही फूट निकलती है। तालमखाना की जड़ और बीज दोनों औषधयोजना में लिये जाते है।
तालमखाना शीतल, वीर्यवर्धक, मधुर, अम्ल तथा तिक्त (कड़वा) रसयुक्त, पिच्छल (पिच्छल पदार्थ बलकारक, भारी, टूटे हुये को जोड़ने वाला और कफकारक होता है।) तथा वात, आमशोथ (आम के कारण सूजन), पथरी, प्यास, दृष्टिरोग और वातरक्त (Gout) का नाशक है।
तालमखाना का बीज भारी, ग्राही, गर्भस्थापक, कफवातकारक, मलस्तम्भकारक तथा रक्तविकार, जलन और पित्त के नाशक है। तालमखाना के पत्ते सूजन, शूल, विष (Toxin), अफरा, वात, पेट के रोग, पांडुरोग एवं मलमूत्रों की रुकावट को मिटाते है। इसी के समान बड़े तालमखाना के गुण है।
तालमखाना की जड़ चिकनी और मूत्रल है। यह सूजन, प्रमेह, यकृत (Liver) की विकृति, संधिवात और मूत्राशय के शूलों के लिये प्रयोग की जाती है। इसके बीजों का उपयोग वाजीकरण के रूप में किया जाता है। बीजों का लेप संधिवात में दुखती संधियों के लिये भी किया जाता है। सूजन के रोगियों पर तालमखाना का उपयोग लाभदायक सिद्ध हुआ है।
यूनानी मत से तालमखाना बलदायक, प्रसन्नताकारक, स्फूर्तिकारक, कामशक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक और वीर्य को गाढ़ा करनेवाला तथा स्तंभनकारक भी है। वात और रक्तदोषों के लिये लाभदायक है। वीर्यस्त्राव (शुक्रमेह) और जलोदर को नष्ट करता है।
तालमखाना शीतल, वीर्यवर्धक, मधुर, अम्ल तथा तिक्त (कड़वा) रसयुक्त, पिच्छल (पिच्छल पदार्थ बलकारक, भारी, टूटे हुये को जोड़ने वाला और कफकारक होता है।) तथा वात, आमशोथ (आम के कारण सूजन), पथरी, प्यास, दृष्टिरोग और वातरक्त (Gout) का नाशक है।
तालमखाना का बीज भारी, ग्राही, गर्भस्थापक, कफवातकारक, मलस्तम्भकारक तथा रक्तविकार, जलन और पित्त के नाशक है। तालमखाना के पत्ते सूजन, शूल, विष (Toxin), अफरा, वात, पेट के रोग, पांडुरोग एवं मलमूत्रों की रुकावट को मिटाते है। इसी के समान बड़े तालमखाना के गुण है।
तालमखाना की जड़ चिकनी और मूत्रल है। यह सूजन, प्रमेह, यकृत (Liver) की विकृति, संधिवात और मूत्राशय के शूलों के लिये प्रयोग की जाती है। इसके बीजों का उपयोग वाजीकरण के रूप में किया जाता है। बीजों का लेप संधिवात में दुखती संधियों के लिये भी किया जाता है। सूजन के रोगियों पर तालमखाना का उपयोग लाभदायक सिद्ध हुआ है।
यूनानी मत से तालमखाना बलदायक, प्रसन्नताकारक, स्फूर्तिकारक, कामशक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक और वीर्य को गाढ़ा करनेवाला तथा स्तंभनकारक भी है। वात और रक्तदोषों के लिये लाभदायक है। वीर्यस्त्राव (शुक्रमेह) और जलोदर को नष्ट करता है।
तालमखाना के फायदे एवं स्वास्थ्य उपयोग
इसकी जड़ें उत्कृष्ट शीतल, वेदनानाशक, बलकारक और मूत्रल होती है | इसके बीज स्निग्ध, कुछ मूत्रल और कामेन्द्रिय को उत्तेजना देने वाले होते है | इसके पंचांग की राख मूत्रल होती है | इसकी जड़ का काढ़ा सुजाक और बस्तीशोथ रोग में दिया जाता है | इसके देने से सुजाक की जलन कम होती है और पेशाब का प्रमाण बढ़कर रोग धुल जाता है | यकृत के विकारों में तालमखाना की जड़ का क्वाथ और पंचांग की राख दी जाती है |तालमखाना के घरेलु प्रयोगअगर आप अनिद्रा रोग से ग्रषित है तो तालमखाने की जड़ों को पानी में उबाल कर क्वाथ तैयार करके पीना चाहिए | निरंतर सेवन से उचटी हुई नींद की समस्या ठीक हो जाती है |
पत्थरी एवं मूत्रविकारों में तालमखाना के साथ गोखरू और एरंड की जड़ को दूध में घिसकर पिने से मुत्रघात, रुक रुक कर पेशाब का आना एवं पत्थरी की समस्या जाती रहती है |
तालमखाने के पुरे पौधे को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना ले | इस राख को कपड़े से छान कर सुखी बोतल में रखलें | जलोदर जैसे रोगों में जब इसकी ताज़ी जड़ें न मिलसके तब इसकी भस्म का सेवन करना चहिये | इसका सेवन करने के लिए एक चम्मच की मात्रा के गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह हिला कर 20 – 20 मिली की मात्रा में दो – दो घंटे के अन्तराल से सेवन करना चाहिए | इस नुस्खे से जलोदर में बहुत फायदा मिलता है |
तालमखाने की जड़ शीतल, कटु और पौष्टिक एवं स्निग्ध होती है | इसकी जड़ को एक ओंश की मात्रा में 50 तोले पानी के साथ 10 मिनट ओंटाकर निचे उतार कर छान लेना चाहिए | यह क्वाथ जलोदर, मूत्रमार्ग और जननेंद्रिय के रोगों में काफी लाभकारी होता है |
कुष्ठ रोग में इसके पौधे के पतों का रस निकाल कर पीने से और पतों का शाग खाते रहने से लाभ मिलता है
इसके पौधे से प्राप्त गोंद को 1 ग्राम की मात्रा में कब्ज के रोगी को देने चमत्कारिक लाभ होता है |
अगर शरीर में कंही सुजन हो तो इसकी जड़ को जलाकर बनाई गई राख को पानी के साथ सेवन करने से शरीर की सुजन में आराम मिलता है |
आयुर्वेद के वाजीकरण योगों में तालमखाने का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है | यह कामोद्दीपक गुणों से युक्त होती है | इसके सेवन से जननेंद्रिय के विकारों में भी लाभ मिलता है | यह वीर्य को बढ़ाने एवं इसके विकारों को हरने वाला होता है |
तालमखाना के कुछ स्वतंत्र प्रयोग:
౦ वाजीकरण के लिये: कौंच के बीज और तालमखाना का चूर्ण मिसरी मिलाकर धारोष्ण दूध के साथ सेवन करने से स्त्रीसंभोग-शक्ति बढ़ती है।
౦ वातरक्त (Gout) में: तालमखाना की जड़ का क्वाथ पीना चाहिये एवं पत्तों का शाक खाना चाहिये। इस प्रकार लंबा प्रयोग करने से वातरक्त नष्ट हो जाता है।
౦ संधि के मांसपेशी हट गई हो तो: तालमखाने के पंचांग का लेप करना लाभदायक है।
౦ तालमखाना का क्षार: कफ को निकालनेवाला और दस्तों के द्वारा दोषों को निकालनेवाला तथा जलोदर नाशक है।
౦ वाजीकरण के लिये: कौंच के बीज और तालमखाना का चूर्ण मिसरी मिलाकर धारोष्ण दूध के साथ सेवन करने से स्त्रीसंभोग-शक्ति बढ़ती है।
౦ वातरक्त (Gout) में: तालमखाना की जड़ का क्वाथ पीना चाहिये एवं पत्तों का शाक खाना चाहिये। इस प्रकार लंबा प्रयोग करने से वातरक्त नष्ट हो जाता है।
౦ संधि के मांसपेशी हट गई हो तो: तालमखाने के पंचांग का लेप करना लाभदायक है।
౦ तालमखाना का क्षार: कफ को निकालनेवाला और दस्तों के द्वारा दोषों को निकालनेवाला तथा जलोदर नाशक है।
और भी फायदे हैं तालमखाना के
गठियाप्रयोग से पता चला है कि तालमखाना की जड़ और पत्तियां बहुत लाभदायक होती हैं इनका काढ़ा बनाकर सेवन करने से यकृत से जुड़ी विकारों में लाभ मिलता है और साथ ही ज्ञानेंद्रियों और पेशाब से संबंधित बीमारियों में भी लाभ होता है जलोदर, गठिया तथा मूत्र से जुड़े परेशानियों में भी आराम मिलता है|
तालमखाना के फायदे हैं कुष्ठ रोग में
कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को तालमखाना के जड़ और पत्तों का जूस निकाल कर पीने से मरीज को बहुत फायदा होता हैआप चाहे तो प्रतिदिन इसके पत्तों का साग बना कर खा सकते हैं इससे भी लाभ हो जाता है|
प्रसवकष्ट-
बगसेन का कहना है कि इसकी जड़ और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर मुंह में चबाने से जो रस निकलता है| उससे प्रसव की पीड़ा से परेशान महिला के कान में डालने से जल्द ही प्रसव हो जाता है|
नींद ना लगना
बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें नींद बहुत कम आती है या सोने के लिए नींद की गोली का इस्तेमाल करते हैं| आप चाहे तो उसकी जगह तालमखाना के जोड़ों को उबाल दीजिए और रोज उसके रस का सेवन करें, आप पाएंगे कि लंबे समय से चटकी हुई नींद वापस आ जाएगी और आपको नींद आने लगेगी|
नपुंसकता-
50 ग्राम कौंच का बीज और 50 ग्राम तालमखाना का मिश्रण तैयार कर लें और इसमें 100 ग्राम मिश्री को भी डाल दें, अब उसे प्रतिदिन गर्म दूध में आधा चम्मच मिश्रण डालकर उनका सेवन कीजिए| यह आपके वीर्य को गाढ़ा बना देगा और नपुंसकता भी दूर हो जाएगी|
खांसी में लाभदायक
कई लोगों को ऐसा होता है कि जब भी थोड़े बहुत मौसम का बदलाव होता है, तो सर्दी और खांसी होती ही रहती है और खांसी जल्दी जाने का नाम ही नहीं लेता, तो हम आपको घरेलू नुस्खे का प्रयोग करने की सलाह देंगे| तालमखाना के कुछ पत्तों का पाउडर बना लें, और एक चम्मच के साथ थोड़ा शहद को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और उसे खाएं जल्द ही खांसी में आराम मिल जाता है|
ब्लड से संबंधित परेशानी
यदि ब्लड से संबंधित कोई दिक्कत है, तो तालमखाना के पत्तों को उबालने के बाद बचा हुआ पानी रोगी को पिलाएं, इससे रक्त से जुड़ी समस्या दूर हो जाएगी|
पीलिया
लंबे समय से पीलिया से ग्रसित व्यक्ति को तालमखाना का काढ़ा बनाकर देना चाहिए| इसके लिए डेढ़ गिलास पानी में एक मुट्ठी तालमखाना के पत्तों को डालकर उबालें, उसे तब तक उबालें जब तक पानी जलकर एक कप ना हो जाए और उसे रोज सुबह खाली पेट पीने को दें| इससे पीलिया, एनीमिया, जलोदर तथा मूत्र से जुड़ी दिक्कत ठीक हो जाती है|
तालमखाना के फायदे हैं मधुमेह में
दुनिया की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि इस रफ्तार में हम अपने खानपान पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते, जिसके चलते किसी न किसी को मधुमेह का शिकार होना ही पड़ता है| इसके लिए आप तालमखाना के बीज का काढ़ा तैयार कर लें, और उसमें थोड़ा मिश्री डालकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है|
तालमखाना से पथरी का इलाज
तालमखाना, गोखरू और अरंडी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ पीने से पेशाब में दिक्कत और पथरी की समस्या से निजात मिल जाता है
यौन शक्ति
इसके बीज, कौंच का बीज, पिस्ता, बादाम, केसर, गिलोय, शतावरी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें, और गाय के घी के साथ आधा चम्मच चूर्ण के साथ खाएं और बाद में एक गिलास दूध पीने से बल वीर्य शक्ति, शीघ्रपतन, शारीरिक कमजोरी और नपुंसकता दूर हो जाती है|
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