30.4.18

चन्दन के गुण,औषधीय लाभ

                                                                         
                                      
      चंदन मध्यम आकार का सदाबहार पौधा होता है जिसकी शाखायें बहुत नीचे तक लटक जाती हैं । इसकी छाल काले वर्ण की होती है और परिपक्व लकड़ी में इसकी वह विशिष्ट सुगंध छिपी होती है जिसके लिये चंदन को जाना जाता है । चंदन को भारत का मूल पौधा माना जाता है और मुख्यतः कर्नाटक और तमिलनाडू में पाया जाता है । बहुत से धर्मों में चंदन की लकड़ी का प्रयोग जलाने और अन्य धार्मिक कार्यों के लिये किया जाता है इन सबके अलावा चंदन का प्रयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है ।
सूखा कफ निकाले -
जिन लोगों को खाँसी पुरानी होकर कफ/बलगम सीने में चिपक जाता है और बहुत खाँसने पर भी बहुत मुश्किल से निकलता है उन लोगों के लिये चंदन का तेल एक बहुत अच्छी दवा साबित हो सकता है । इस अवस्था में 1 मि०ली० चंदन का तेल पीकर थोड़ा तेज गरम पानी पीना चाहिये । पानी की गर्मी से जमा हुआ कफ पिघल जाता है और चंदन तेल से चिकना होकर वह आसानी से खाँसनें पर निकल जाता है । यह प्रयोग रोज दो बार किया जा सकता है ।
 

त्वचा के रोग -

बहुत से त्वचा रोगों में चंदन का प्रयोग निर्दिष्ट किया गया है । पराबैंगनी किरणों से त्वचा झुलस गयी हो या फिर काली पड़ गयी हो ऐसे में चंदन का पानी के साथ मिलाकर तैयार किया गया लेप लगाना चाहिये । चंदन के तेल का प्रयोग स्कैबीज नामक रोग में किया जाता है । मुँहासे होनें पर चंदन के तेल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से मुँहासे ठीक होते हैं।
 बुखार में लाभ-
बुखार में जब दोषों की गर्मी के कारण और दवाओं की गर्मी के कारण शरीर बेचैन सा रहता है तब सिर में दर्द और आँखों से पानी आने की समस्या होने लगती है । इस अवस्था में मस्तक और चेहरे पर एवं जरूरत होने पर सम्पूर्ण शरीर पर भी चंदन का लेप किया जा सकता है । यह तन-मन को शीतलता प्रदान करता है ।
 गैस की समस्या में राहत -
चंदन का तेल वायु का शमन करने में बहुत ही प्रभावी होता है । पेट में लागातार गैस बनने के कारण रहने वाली मरोड़ में यह बहुत लाभकारी हो सकता है । जिस किसी को गैस ज्यादा बनती हो उनको चौथाई कप गुनगुने पानी में 5-10 बूँद चंदन का तेल डालकर दिन में दो बार पीना चाहिये ।
पाचन विकार-
पाचन विकार होनें पर भी चंदन का प्रयोग बहुत ही लाभकारी पाया जाता है । पाचन विकार होने पर आधा कप पानी में आधा चम्मच चंदन पाउडर, एक चम्मच शहद और एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से बहुत ही अच्छी दवा तैयार होती है । हर बार ताजी बनाकर यह दवा दिन में 3 बार तक पी जा सकती है ।

















6.4.18

कपूर एक सुरक्षित कीटाणुनाशक :चीटी,खटमल,मच्छर दूर भगाये


                                                     

    कीटाणु मारे : कपूर कीटाणुओं को नष्ट करता है। ये हवा को शुद्ध बनाने का काम करता है। इसलिए अगर आप अपने घर को कीटाण मुक्त रखना चाहते हैं तो इसका एक अच्छा तरीका ये है कि रोज़ घर में थोड़ा कपूर जलाएं। नैचुरली कीटाणुओं का सफाया हो जाएगा।


बदबू दूर करे :
आर्टिफिशियल रूम फ्रेशनर में फथालेट्स नाम का एक केमिकल होता है जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है। इस तरह के आर्टिफिशिय रूम एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप बदबू दूर करने और ताज़गी लाने के लिए कपूर का इस्तेमाल करें। कमरे के बीचों बीच किसी दीये में रखकर कपूर जलाएं जिससे उसकी खुशबू कमरे में हर तरफ फैल जाए।
कीटाणुनाशक जैसा काम करे :
कपूर नैचुरल कीटाणुनाशक है। इसलिए जब अगली बार आप घर में चींटी, कीड़े और मच्छर देखें तो इसी का इस्तेमाल करें।
चींटी – थोड़े पानी में कपूर घोल लें और फिर चींटी वाली जगह पर इसे छिड़कें। तुरंत चीटियों का सफाया हो जाएगा।
खटमल – खटमल होने पर अपनी बेडशीट धोएं और गद्दों को धूप लगाएं। फिर कपूर का बड़ा टुकड़ा लें, उसे मलमल के कपड़े में रखें और गद्दे के नीचे रख दें। इससे खटमल दूर होंगे।
मच्छर – कमरे का दरवाज़ा और खिड़कियां बंद कर लें और कपूर जलाएं। कमरे को इसी तरह 20-25 मिनट छोड़ दें। कपूर किसी और मच्छर भगाने वाले प्रॉडक्ट से ज्यादा बेहतर काम करता है। इसका असर लंबे वक्त तक रहता है।