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14.2.20

डेंगू ज्वर :कारण और निवारण के उपाय




प्रत्येक वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य डेंगू बुखार का प्रकोप फैलता है। सामान्यत: डेंगू वायरस शरीर में पहुंचने के 3-5 दिन बाद अपना असर दिखाता है, लेकिन कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है। यह एक वायरस से फैलने वाला रोग है जो एक संक्रमित मच्छर एडिस एजीप्टि के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह डेंगू बुखार के तौर पर जाना जाता है।










यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू हिमोरेजिक बुखार (डीएचएफ)/डेंगू आघात संलक्षण (डीएसएस) डेंगू बुखार फ्लेवी वायरस नामक जीनस के वायरस से होता है। इस वायरस के 4 सिरोटाइप होते हैं (डीईएन 1, डीईएन 2, डीईएन 3 और डीईएन 4) और ये चारों प्रकार भारत में पाए जाते हैं। किसी भी सिरोटाइप से पहला संक्रमण स्वयं सीमाकारक रोग (क्लासिकल डेंगू) उत्पन्न करता है जो लगभग 1 सप्ताह तक रोग का प्रभाव बनाए रखता है। संक्रमण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट सिरोटाइप की तुलना में इसकी प्रतिरक्षा लम्बे समय तक चलती है। जबकि इसके बाद होने वाले संक्रमण में भिन्न प्रकार के सिरोटाइप क्लासिकल डेंगू उत्पन्न कर सकते हैं अथवा कई बार कुछ व्यक्तियों में रोग का गंभीर रूप बन जाता है ।


तरह-तरह के डेंगू और उनके लक्षण-

डेंगू बुखार मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार, जिसे क्लासिकल डेंगू भी कहते हैं, सामान्यत: 5-7 दिन तक रहता है। इसमें ठंड लगने के बाद तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ता है, बहुत अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-हल्का दर्द होना, शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और सीने पर लाल/गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण नजर आते हैं।





अगर ऊपर बताये गये साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ पीडित में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर नीले/काले रंग के कत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण प्रकट हों, तो उसे डेंगू हैमरेजिक बुखार हो सकता है। इसकी पड़ताल से रक्त की जांच आवश्यक होती है।
इसके विपरीत डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी हो, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है। डेंगू की यह अवस्था बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक होता है.

डेंगूं का इलाज-

साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है।
किसी भी अन्य मर्ज की भांति ही डेंगू के रोगी को भी अच्छे डॉक्टर के दिखाना जरूरी होता है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि डेंगू कोई असाध्य रोग नहीं है। इसलिए यदि सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो डेंगू बुखार का पूरा इलाज सम्भव है।



बचाव के घरेलू इलाज-

**विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी पर्याप्त मात्रा में लें, इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
**खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्तु यदि पीडित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें।
**तुलसी के पत्ते पानी में उबालें फिर मामूली गरम हालत में उसमे शहद मिलाकर पियें| इससे इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है।
**नाक के अंदर की ओर सरसों का तेल लगाएं। तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के भीतर जाने से रोकती है।

यदि किसी को डेंगू रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं के जवारे का रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय का रस
** अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

**पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l** गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है |
ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में 1 मिलीलीटर ख़ून में 30-40 हजार प्लेटलेट होते हैं. इतने प्लेटलेट रोज़ाने मरते हैं, और बनते भी रहते हैं.
डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है जिसके कारण प्लेटलेट
बनने की गति धीमी हो जाती है.
ऐसे में डॉक्टर मरीज़ के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं और ब्लड प्रेशर देखते हैं.
उनकी कोशिश होती है कि शरीर में इम्यूनिटी बढ़े और मरीज़ का शरीर जल्द ठीक हो जाए.








डेंगू को रोकने के उपाय- 

**चूंकि डेंगू एडीज मच्छरों से उत्पन्न होता है, इसलिए सर्वप्रथम यह प्रयास करें कि इन मच्छरों की पैदावार पर लगाम लगई जाए। इसके लिए अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। यदि आसपास कोई गड्ढा हो, तो उसे मिट्टी से भर दें और नालियों की सफाई करवा दें। जिससे उनमें पानी न रूके और मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। यदि आसपास भरे पानी को हटावा सम्भव न हो, तो उसमें उसमें केरोसिन/मिट्टी का तेल अथवा पेट्रोल डाल दें।
**डेंगू के मच्छर साफ पानी में उत्पन्न होते हैं, इसलिए कूलर और पक्षियों को पानी देने के बर्तनों का पानी प्रत्येक दिन बदलें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। यदि घर में छत वगैरहपर पुराने डिब्बे, बर्तन, टायर आदि रखे हों, तो उन्हें हटा दें या फिर देखलें कि उनमें पानी न भरा हुआ हो।
**ऐसे कपड़ों का उपयोग करें, जिनसे शरीर का अधिकाधिक भाग ढ़का रहे। घरों की खिड़कियों, रोशनदानों आदि में मच्छर जाली का उपयोग करें। यथासम्भव मच्छर रोधी क्वाएल/क्रीम का उपयोग करें। और सबसे बेहतर तो यही है कि रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
**यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी में ही लिटाएं, जिससे मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैला सकें।