कई लोग दोपहर में कुछ देर कि झपकी लेना बहुत पसंद करते हैं और उनका मानना है कि इससे वे बिल्कुल फ्रेश हो जाते हैं और एनर्जी से भरा हुआ महसूस करते हैं। वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि पूरे 24 घंटों में सिर्फ एक ही बार रात में लम्बी नींद लेनी चाहिए और फिर दोबारा नहीं सोना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि सोने का कौन सा पैटर्न सही है।
गांव देहातों में आज भी दिन में दो बार लोग सोते हैं। पुरानेजमाने में भी लोग रात के अलावा दोपहर में जरूर सोते थे। लेकिन शहरों की भागदौड़ के बीच दो बार सोना मुमकिन नहीं है। पर जो भी हो, दिन में दो बार सोने को मनोवैज्ञानिक सेहत के लिए फायदेमंद मानने लगें हैं।
दुनियाभर में अलग-अलग देश में रहने वाले लोंगो का सोने का तरीका अलग है। कई देशों में लोग दिन में दो बार सोते हैं। कुछ देश हैं जहां रात में 6 घंटे और दिन में 2 घंटा सोना अच्छा माना जाता है। कई पुरानी सभ्यताओं में ये भी दर्ज है कि वे रात और दिन दोनों में चार-चार घंटे सोया करते थे।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार दिन में दो बार सोने से आपकी बौद्धिक और फोकस करने की क्षमता बढती है। अगर आप का दिन भर का शेड्यूल काफी तनाव भरा रहता है तो दोपहर में एक घंटे की नींद आपके तनाव को काफी कम कर देती है। इससे दिन के बाकी समय में आप और सजगता के साथ काम करते हैं।
वैज्ञानिकों की एक बड़ी जमात मानती है कि नींद का जो चक्र आज की पीढ़ी फॉलो करती है वो इलेक्ट्रिसिटी के खोज के कारण ऐसी है। जब बिजली की खोज नहीं हुई थी उस समय हमारे पूर्वज सूरज की रोशनी के हिसाब से सोने-जागने का समय तय करते थे। इसीलिए उस समय लोग शाम को जल्दी सोते थे और भोर में उठ जाते थे। लेकिन अब बिजली की खोज के बाद लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से सोते हैं। दोपहर में लंच के बाद नींद आना एक आम बात है और उस समय थोड़ी देर आराम करना भी चाहिए। उससे खाना भी ठीक तरीके से पच जाता है और कुछ ही देर में आप फिर से उर्जा से भर जाते हैं।
प्रेगनेंसी और डिलीवरी के कारण महिलाओं का स्लीपिंग रूटीन पूरी तरह बिगड़ जाता है इसी वजह से वे डिप्रेशन की शिकार हो जाती हैं। इसलिए जिस स्लीपिंग रूटीन को आप अभी फॉलो कर रहे हैं उसे ही फॉलो करें उसमें छेडछाड न करें। अगर संभव हो तो दिन में भी एक डेढ़ घंटे की नींद ले और रात में कम से कम 8 घंटे की भरपूर नींद ज़रूर लें।
कई अध्ययनों में इस बात को साफ तौर पर कहा गया है कि दो बार सोने से हमारी बॉडी क्लॉक सही तरीके से काम करती है। हालांकि वैज्ञानिको का ये भी कहना है कि अगर आप शुरुआत केवल रात में सोते रहें हैं तो अब अपना स्लीपिंग पैटर्न ना बदलें। बस रात में ही भरपूर 8 घंटे की नींद लें क्योंकि नींद का चक्र बिगड़ने से आपका पूरा रूटीन खराब हो जाता है। सेहत पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
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