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29.9.21

काला धतूरा के चमत्कारिक गुण उपयोग फ़ायदे:black datura plant



 

आयुर्वेदिक मत से धतूरा नशीला बुखार को दूर करने वाला कुष्ठ को नष्ट करने वाला, कसैला, मीठा, कड़वा, जुएं और लीख को मारने वाला, गरम, भारी तथा वर्ण, कफ, चर्म रोग, किर्मी और विष को नष्ट करने वाला है। यह कांति, जठराग्नि और वात को बढ़ाता है।
  धतूरे का पौधा सारे भारत में सर्वत्र सुगमता से बहुतायत में उपलब्ध होता है। आमतौर पर खेतों के किनारे, जंगलों में, गांवों, शहरों में यहां-वहां उगा हुआ दिख जाता है। भगवान शिव की पूजा के लिए लोग इसके फूल और फलों का उपयोग करते हैं। धतूरा सफेद, काला, नीला, पीला तथा लाल पुष्प वाला पांच जातियों का मिलता है, जिसमें काला धतूरा श्रेष्ठ माना जाता है।
 धतूरा को अन्य भाषाओं में मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्ण धतूरा, खरदूषण, शिवशेखर, सविष, कनक, धुतूरा, सादा धुतूरा, धोत्रा, काला धतूरी, जन्जेलमापिल, ततूर, दतुरम, (stramonium) आदि नामो से जाना जाता है। ये एक क्षुप जाति की वनस्पति है। इसके पत्ते बड़े डंठल युक्त, नोकदार, अण्डाकृत होते है। इसके फूल घंटे के आकार के होते है, फूल का रंग बीच में सफ़ेद होता है। इनमे पांच पंखुडिया होती है।इसके फल गोल, कांटेदार और भीतर बहुत बीजो वाला होता है। इसके वनस्पति के सूखे पत्ते और बीज औषधि प्रयोग के काम आते है। इसके बीज कालेपन लिए भूरे रंग के, चपटे, खुरदरे और कड़वे होते है। इनमे कोई सुगंध नहीं होती, मगर कूटने पर एक प्रकार की उग्र गंध आती है। 
  काला धतूरा के पत्ते नोक दार ,डंठल युक्त और बड़े आकार के होते हैं। काला धतूरा के फूल घंटी के आकार के होते हैं इनका रंग सफेद होता है। काला धतूरा का फल गोल और ऊपर से कांटेदार होता है । काला धतूरा का बीज काले रंग के और बहुत अधिक मात्रा में फल में मिलते हैं।
काला धतूरा के बीज गंध रहित होते हैं।
काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम धतूरा स्ट्रामोनियम DHATURA STRAMONIUM है ।
धतूरे के अंदर कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल करके हम स्वस्थ बने रह सकते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में भी इसके पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
धतूरा मस्तिक में सुस्ती पैदा करने वाला, पित्त की तेजी से होने वाले सिर दर्द को दूर करने वाला है। यह सूजन को पकाकर बिखेर देता है। खराब दोषो को सुखा देता है। स्तंभन पैदा करता है। पाचक है, उल्टी लगाता है, कफ की बुखार, कोढ़, फोड़े फुंसी और पेट के कीड़ों को नष्ट करता है। इसके रस को पिलाने से कुत्ते का विश्व शांत होता है। दूसरे जहरीले जानवरों के बीष पर भी यह लाभ पहुंचाता है। मासिक धर्म में भी यह लाभदायक है।
उदरशूल, पिताश्यमरी शुल और मूत्र पिंड के शुल में भी यह धतूरा दिया जाता है मगर इन कामों में अफीम और खुरासानी अजवायन धतूरे की अपेक्षा विशेष उत्तम होते हैं।यह आपकी चोट के दर्द को चुटकियों में दूर कर सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे हैं, जिनके बारे में नीचे पूरी जानकारी दी जा रही है। इस बात का विशेष ध्यान दें कि धतूरे को खाने के लिए बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना है। यह जानलेवा भी हो सकता है।


कान के किसी भी रोग में करें उपयोग

कान में दर्द और सूजन की स्थिति में आप धतूरे का प्रयोग कर सकते हैं। धतूरे में एंटी-इन्फेल्मेट्री और एंटी-सेप्टिक गुण पाया जाता है। इस कारण से यह कान की इस समस्या को खत्म करता है
धतूरे के अंदर कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल करके हम स्वस्थ बने रह सकते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में भी इसके पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
   यह आपकी चोट के दर्द को चुटकियों में दूर कर सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे हैं, जिनके बारे में नीचे पूरी जानकारी दी जा रही है। इस बात का विशेष ध्यान दें कि धतूरे को खाने के लिए बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना है। यह जानलेवा भी हो सकता है।

​रखें इस बात का ध्यान

फायदे जानने से पहले यह बात जान लें कि इसे केवल त्वचा पर इस्तेमाल करना है। इसे खाना नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ जहरीले तत्व भी पाए जाते हैं। ओरल रूप में किया गया इनका सेवन जानलेवा भी हो सकता है। खासकर इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

धातू का बहना मे धतूरे के फायदे 

धतूरे के बीज और काली मिर्ची को पानी में पीसकर काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें इसमें से एक गोली सुबह-शाम सौंफ अर्क के साथ लेने से 21 रोज में पुरानी से पुरानी अनैच्छिक वीर्य स्राव की बीमारी दूर हो जाती है मगर खटाई और बादी की चीजों से परहेज करना चाहिए।

​गंजेपन की समस्या को करता है खत्म

गंजेपन से परेशान लोग इसके रस को प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं। इसके रस में ऐसे विशेष गुण होते हैं, जो सीबम को स्वस्थ करते हैं और गंजेपन की समस्या को रोक देते हैं।
​हड्डियों के जोड़ बनाता है मजबूतहड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी धतूरे का उपयोग किया जाता है। धतूरे में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका रस निकालकर हड्डियों के जोड़ पर मालिश करने से यह स्किन पोर से सोख लिया जाता है। जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है।

गठिया (आर्थराइटिस) रोग को जड़ से खत्म करे धतूरा

इसके पत्तो को पीसकर सूती कपडे में पुल्टिस बांधकर या पेस्ट बनाकर दर्द वाली जगह पर लेप करने से गठिया और हड्डी के दर्द में बहुत लाभ मिलता है।

दांत के दर्द में धतूरा के औषधीय प्रयोग

शिवशेखर के बीजो को पीसकर गोली बना ले। इसे दांत में हुए सूराख या दांत के दर्द वाले स्थान पर रखने से लाभ मिलता है।

चुटकियों में दूर होंगे कई दर्द

अगर आपको किसी प्रकार का दर्द है तो आप इसके जरिए उसे चुटकियों में दूर कर सकते हैं। धतूरे को पीसकर इसका पेस्ट बना लें और इसमें दो चार बूंद शहद की मिला लें। अब इसे दर्द वाले स्थान पर लगा लें। एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण इसका पेस्ट आपके दर्द को ठीक कर देगा।

चोट की सूजन को करता है दूर

धतूरे के फल में एंटीइन्फ्लेट्री गुण पाया जाता है, जिसके कारण से यह चोट की या सामान्य रूप से हुई सूजन को कम कर देता है। चोट की सूजन को दूर करने के लिए इसके फलों को खूब अच्छी तरह कूट लें। पेस्ट बनाकर इसे सूजन वाली जगह पर लगाकर राहत पाई जा सकती है। प्राइवेट पार्ट में क्रिकेट आदि खेलने के दौरान होने वाली सूजन को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है

सेक्स पॉवर बढ़ाने में धतूरा उपयोगी –

धुतूरा के बीज, अकलकरा और लौंग इन तीनो चीजों की पीसकर गोलिया बना ले। इन गोलियों के खिलाने से कामशक्ति बढ़ती है।

वायरल बुखार में अपनाएं धतूरा के घरेलू उपाय –

काले धतूरे के बीज को पीसकर इसका चूर्ण बना ले। इसे आधी रत्ती के मात्रा में बुखार आने से पहले देते पर बुखार छूट जाता है और शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है।

धतूरा के पत्तों की पोटली (घाव )

जिस घाव पर गहरा पीप या पपड़ी जम गया हो उसको गुनगुने पानी की धार से धोकर दिन में 3-4 बार धतूरा के पत्तों की पोटली बांधनी चाहिए।
धतूरे के पत्तों के रस को आग पर गाढ़ा करके, कान के पीछे की सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।
• कान में यदि मवाद बहता हो तो 8 भाग सरसों का तेल, 1 भाग गंधक, 32 भाग धतूरा के पत्तों का रस मिलाकर गर्म कर लें, फिर इस तेल की एक बूंद कान में सुबह-शाम डालने से कान के दर्द में आराम आता है।
• धतूरे के पत्तों को गर्म करके 2-3 बूंदों को कान में टपकाने से कान दर्द से छुटकारा मिलता है।
• 400 ग्राम धतूरा का रस, धतूरा के रस में चटनी की तरह पिसी हुई हल्दी 25 ग्राम और तिल का तेल 100 ग्राम लेकर हल्की आग पर पका लेते हैं। तेल शेष रहने पर छान लेते हैं। यह कान के और नाड़ी के घाव के लिए लाभकारी होता है।
• जिस कान में दर्द हो उसके अन्दर धतूरे के ताजे पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस की 2 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

बादी के दर्द में धतूरा के औषधीय प्रयोग


काले धतूरे का पंचांग का रस निकालकर उसको तिल्ली के तेल में पचा देना चाहिए, इस तेल को मालिश करके ऊपर धतूरे के पत्ते से बाँध देने से बादी का दर्द मिट जाता है।

हाथ – पैरों में पसीने की अधिकता में धतूरा के बीजों की राख

• धतूरे के बीजों की राख बनाते हैं। फिर इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में 8-10 दिन रोजाना एक बार सेवन करने से हाथ-पैरों में अधिक पसीना आने का रोग दूर हो जाता है।
• लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग धतूरे के बीजों को खाने से हाथ-पैरों में पसीना आने वाले रोगी को लाभ मिलता है।
*धतूरा के बीज का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर 1 ग्राम तक दही के साथ बुखार आने से पहले खिला दें तो बुखार दुबारा नहीं चढ़ता है। इस प्रयोग से पहले बीजों को लगभग 12 घंटे तक गाय के मूत्र में भिगोकर रख दें।

धतूरा का पीला पत्ता कान से कम सुनाई देना –

धतूरा का पीला पत्ता (बिना छेद वाला) को गर्म करके उसका रस निकाल लें। इस रस को लगातार 15 दिन तक कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।

पारम्परिक उपयोग:

काला धतूरा के बीज, पत्तियों और जड़ों का उपयोग पागलपन, बुखार, दस्त, मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं, त्वचा रोगों में किया जाता है।
इसके पत्तों और बीज के रस को तेल में मिलाकर गठिया के सूजन, फोड़े और गांठों में दर्द को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।
कफ को ठीक करने के लिए इसके पौधे की पत्तियों से धूम्रपान किया जाता है।
इसकी जड़ों का उपयोग दांत दर्द और दांतों को साफ करने में किया जाता है।
काला धतूरा को दूध में उबाल कर मक्खन के साथ पागलपन के इलाज में दिया जाता है।
असम में, इसकी चार-पाँच पत्तियों को सरसों के तेल के साथ गर्म करने के बाद महिलाओं के स्तन को कसने के लिए लगातार 10 दिनों तक स्तन के ऊपर बाँधा जाता है।
पश्चिम बंगाल के लोग इसके बीजों के रस को सरसों के तेल तथा अन्य सामग्री में मिलाकर कुष्ठ रोग में लगाते हैं।
आंध्र प्रदेश में थोड़े से चूने के साथ इसकी पत्तियों का पेस्ट खुजली के इलाज में इस्तेमाल होता है।
बुखार में 4 दिनों तक दिन में दो बार काली मिर्च और लहसुन के साथ पत्तियों को पीसकर बनाई गई गोली दिया जाता है।
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