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20.12.22

बवासीर का आसान घरेलू ,आयुर्वेदिक,होम्योपैथिक उपचार:Bawasir ke ghareu upchar/



• बवासीर के आकार भिन्न हो सकते हैं और गुदा के अंदर या बाहर पाए जाते हैं। पाइल्स गंभीर कब्ज, क्रोनिक डायरिया, भारी वजन उठाने, गर्भावस्था या तनाव के कारण उत्पन्न होते हैं| डॉक्टर आम तौर पर देख कर(परीक्षा करके) पता लगा सकते हैं| ग्रेड 3 या 4 बवासीर के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है
• बढ़ती उम्र के कारण, अधिक देर तक बैठेने के वजह से बवासीर तीव्र हो सकता है और शौचालय दौरान तनाव के कारण बाहरी बवासीर हो सकते हैं।
• अगर कब्ज ना होतो, पहले और दूसरे डिग्री बवासीर आमतौर पर अपने आप ढल जाते हैं, लेकिन आपका डॉक्टर लक्षणों को दूर करने के लिए हार्मोराइड क्रीम का एक छोटा कोर्स लिख सकते है। तीसरे डिग्री के ढेर भी खुद से दूर हो सकते हैं, लेकिन यदि वे जारी रहें, तो उन्हें उपचार की आवश्यकता हो सकती है|
पाइल्स बवासीर में दर्द और खुजली को कम करने के लिए उपयोगी उपाय Ayurvedic remedies for piles
• गर्म स्नान, 15 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगोएँ
• राहत के लिए लगाए विच-हजेल या अन्य होम्योपैथिक क्रीम (जैसे टोपी एस्कुलुस) या ओवर-द-काउंटर वाइप या क्रीम जो कोई साइड इफेक्ट के साथ दर्द और खुजली दूर कर सकते हैं।

दर्द निवारक गोलियाँ लो (पेन किलर्स)
• प्रभावित भागों को खरोंचना नही
• कपास का इस्तेमाल करें
• तरल पदार्थ का खूब सेवन करें
• अधिक फाइबर खाएं
• उन खाद्य पदार्थों से बचें जो बवासीर को बदतर बनाते है
• बहुत आसान फिटिंग जांघिया पहने
• रसायनों से गुदा क्षेत्र को सुरक्षित रखें

बवासीर का इलाज होम्योपैथी से

एसिड नाइट्रिकम :

आँतों में घोंपने का अहसास, काँटा चुभने जैसा दर्द, मलत्याग के दौरान संकुचन की अनुभूति के साथ में मलत्याग के बाद बनी रहने वाली पीड़ा ।

ऐस्क्युलस हिप. :

गुदा से बाहर की ओर लटकते हुए बबासीरी मस्सों (गहरे लाल रंग के झूलते अर्श) की श्लैष्मिक झिल्ली का सूखापन तथा जलन । त्रिकास्थि (Sacral) भाग में हल्का-हल्का दर्द, शिरा सम्बन्धी स्थिरता ।

कॉलिन्सोनिया कैन :

गोणिका (Pelvis) में शिरा सम्बन्धी संकुलन, कब्ज़ियत, पेट फूलना, खूनी बवासीर

ग्रेफाइट्स :

कब्ज़ियत, चिपचिपा पिंड जैसा मल, पेट फूलना, मलद्वार सम्बन्धी एक्ज़िमा,खुजली

हेमामेलिस :

शिराओं का फूलना, बवासीर में से रक्तस्राव (Bleeding) ।

कालियम कार्ब :

पीठ दर्द, पेट-फूलना, । कठोर मल, मलद्वार के मस्सों में जलन ।

लाइकोपोडियम :

अफारा, पेट फूलना, सूखे मल के साथ, अपूर्ण मलत्याग । रक्त जनित बवासीर साथ में गुदाभ्रंश तथा मलद्वार में ऐंठन । सामान्य रोगभ्रम (Hypochondria) तथा मंदाग्नि (dyspepsia), कब्ज़, पेट में रक्त का अधिक प्रवाह
पीयोनिया :
गीली बवासीर, पीड़ा-प्रद मलद्वार की फटन । बवासीर में खुजली और पीड़ा, साथ में रक्त स्राव की प्रवत्ति । गुदाद्वार की फटन (Rhagades or fissures) । मल त्याग के बाद बना रहने वाला दर्द ।

सल्फर :

बहुप्रयुक्त एवं प्रभावशाली औषधि, मलद्वार में लाली, खुजली, एक्ज़िमा, अस्वस्थ त्वचा

खुराक की मात्रा :

सामान्यतः प्रतिदिन 3 बार थोड़े पानी में 10-15 बूँदें ।तीक्ष्ण पीड़ा होने पर, उपचार के प्रारंभ में, दिन में 4-6 बार 10-15 बूँदें । रोग के पूरी तरह समाप्त हो जाने पर , कुछ लंबे समय तक प्रतिदिन एक या दो बार 10-15 बूँदें देते हुए उपचार जारी रखें ।
*कब्ज़ होने पर, साथ ही साथ मलत्याग को नियमित करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है । अतएव, नाश्ते और रात के खाने में रेचक आहार (fibrous food) लेने चाहिए, जैसे : पके फल, अलसी, हरी मटर, rye ब्रेड, खमीर, दही आदि । मैदे की रोटी, चॉकलेट, स्टार्च जैसे कब्ज़ करने वाले भोज्य पदार्थ न लें ।

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