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1.11.23

कान में हवा बहने ,गर्जना,सिटी बजने जैसी आवाज (Tinitus) होने लगे तो क्या करें ?



Tinnitus एक प्रकार की बीमारी होती है जिसमें मरीज़ को कई प्रकार की ध्वनि का एहसास होता रहता है, जैसे घंटी बजना, भिनभिनाहट या फुफकारने की ध्वनि, आदि । ऐसी ध्वनि एक या दोनों कान में सुनाई दे सकती है, हालाँकि मरीज़ को कई बार भ्रम होता है की यह ध्वनि उसके सिर से आ रही है ।
 कान से आने वाली आवाज को दूर करने में कुछ घरेलू उपाय बेहद काम आ सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के कानों से बार-बार आवाज आ रही है या उसे सीटी जैसा महसूस हो रहा है तो वह धनिया की चाय से इस समस्याओं को दूर कर सकता है। बता दें कि धनिया की चाय से कान से आवाज को कंट्रोल किया जा सकता है। ध्यान दें कि चाय में आपको साबूत धनिया का इस्तेमाल करना हाेता है। जब भी किसी व्यक्ति को बार-बार सीटी जैसी आवाज आए तो वह अपने बैकग्राउंड में म्यूजिक को चला सकता है। इससे उसका ध्यान कानों से आने वाली आवाज से हट जाएगा और बैकग्राउंड पर चल रहे म्यूजिक पर चला जाएगा। ऐसा करने से भी कानों से आने वाली आवाज बंद हो सकती है। हालांकि व्यक्ति को ज्यादा तेज म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं करना है।
नियमित रूप से एक्ससाइज करने से न केवल दिमाग की कार्य क्षमता मजबूत होती है बल्कि आपकी रक्त वाहिकाएं भी तंदुरुस्त बनती है। तुलसी का उपयोग कान से आने वाली आवाज को दूर करने में उपयोगी है। ऐसे में व्यक्ति तुलसी की चाय के सेवन से कान की समस्या को दूर कर सकता है।
इसके अलावा तुलसी और शहद के सेवन से भी कान की समस्या दूर होती है। चाहें तो नियमित रूप से तुलसी की कुछ पत्तियों को अच्छे से धोकर सुबह के समय चबा सकता है। अदरक के अंदर कई एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं, जो न केवल शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में उपयोगी हैं, बल्कि कान की कई समस्याओं को दूर करने में भी सहायक हैं। ऐसे में व्यक्ति अदरक की चाय का सेवन करने से कान से आने वाली आवाज को दूर कर सकता है। इसके अलावा व्यक्ति शहद और अदरक के रस का सेवन करने से भी सीटी की समस्या से निजात पा सकता है। सेव के सिरके के इस्तेमाल से भी कान में शोर टिनिटस की समस्या को दूर किया जा सकता है। बता दें कि सेव के सिरके के अंदर भरपूर मात्रा में दर्द निवारक और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो न केवल कान की समस्या को दूर करने में उपयोगी है, बल्कि कान से आने वाली आवाज से भी राहत पहुंचा सकते हैं।
Tinnitus की ध्वनि अलग-अलग प्रकार की होती है, जिसमें उसका स्वर ऊँचा या नीचा या बदलता हुआ हो सकता है, कभी यह ध्वनि लगातार हो सकती है या कभी रुक-रुक कर और इस ध्वनि की तीव्रता कभी तेज़, कभी धीमी या बदलती हुई हो सकती है ।
सामान्यतया जनता में Tinnitus की मौजूदगी बहुत आम होती है । यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है परन्तु उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है । यह दोनों लिंग के लोगों में हो सकता है, परन्तु पुरुषों में सामन्यतया ज्यादा देखा गया है । Tinnitus के साथ श्रवण शक्ति भी जा सकती है, हालाँकि ऐसा हमेशा होना जरुरी नहीं होता ।
*सैलिसिलिकम एसिडम यह दवा टिनिटस के कारण बहुत तेज गर्जना या बजने वाली आवाज़ सुनाई देने पर दी जाती है, जो बहरेपन या चक्कर के साथ हो सकता है। ऐसे रोगियों में समस्या फ्लू से शुरू हो सकती है, या मेनियार्स रोग वाले व्यक्ति में हो सकती है। अगर टिनिटस बहुत अधिक एस्पिरिन के कारण होता है तो सैलिसिलिकम एसिडम भी मददगार हो सकता है

कान बजने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

टिनिटस के लिए दवाएं

कुछ लोगों के लिए, चिंता-विरोधी दवाओं की कम खुराक जैसे वैलियम या एलाविल जैसे एंटीडिप्रेसेंट के साथ उपचार टिनिटस को कम करने में मदद करता है। अल्प्राजोलम नामक चिंता-विरोधी दवा के साथ मध्य कान में डाले गए स्टेरॉयड का उपयोग कुछ लोगों के लिए प्रभावी दिखाया गया है।

TINNITUS के कुछ मुख्य कारण हैं

-तेज़ ध्वनि सुनना
बढती उम्र की वजह से श्रवण शक्ति का हास अर्थात Presbyacusis
कान मने मेल का जमना
चोट- सिर में गहरी चोट, गर्दन की चोट
कान का संक्रमण – Otitis media, secretory otitis, labyrynthis.
दवाईयाँ – Tinnitus कुछ दवाईयों की वजह से भी हो सकता है – जैसे एसपिरिन, मलेरिया रोधी दवाईयाँ जैसे – quinine, chloro quinine, mycin group की एंटी बायोटिक दवाईयाँ जैसे Gentamycin, Streptomycin, कीमोथेरेपी की दवाईयाँ, कुछ diuretics.
Hypertension, anaemia, thyroid disorders, diabetes आदि चिकित्सकीय स्थितियाँ
Meniere’s disease.
Cerebellopontine angle के ट्यूमर जैसे acoustic neuroma.
अत्यधिक कैफीन का सेवन
शराब का सेवन
माइग्रेन
Tinnitus की शिकायत करने वाले मरीजों क०ओ audiological एवं गहन चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए ताकि अन्तर्निहित कारणों का पता लगाया जा सके ।

TINNITUS का सामना करने की युक्तियाँ

आस-पास का शोर बढ़ा देना : धीमे स्वर में संगीत सुनने से मरीज़ का ध्यान tinnitus से भटकाया जा सकता है ।
ख़ामोशी से बचाव : Tinnitus की ध्वनि अक्सर भोर अथवा रात के सन्नाटे में ज्यादा परेशान करती है ।
मरीज़ के अत्यधिक नीरव अथवा चुप्पी वाले हालात से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसे में tinnitus की ध्वनि अधिक तेज़ सुनाई देती है तथा परेशान करती है ।

धूम्रपान से बचें :

 धूम्रपान करने से श्रवण तंत्रिका को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों का संकुचन हो जाता है, जिससे संवेदनशील श्रवण कोशिकाओं का रक्त प्रवाह रुक जाता है और उससे tinnitus ज्यादा बढ़ जाता है ।
शराब का पूर्णतः प्रतिबन्ध

तेज़ ध्वनि से बचाव : 

अगर आप ऐसे वातावरण में कार्य करते हैं जहाँ आस-पास अत्यधिक तीव्रता की आवाजें होती हों तो आप को अपनी नाजुक श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान से बचाने के लिए कान के संरक्षण उपकरण जरुर पहनने चाहिए ।

TINNITUS से जुडी भ्रांतियां

यह लाइलाज बिमारी है ।
इससे श्रवण शक्ति का ह्वास होता है ।
श्रवण सहायक तंत्र से कोई मदद नहीं मिलती है ।
एक किसी मष्तिष्क रोग का संकेतक है ।
यह जानलेवा होती है ।
अगर उचित मूल्यांकन एवं जाँच की जाये तथा सही समय पर निदान किया जाये, तो tinnitus को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है ।