श्वेतार्क (Calotropis Gigantea) एक औषधीय पादप है इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। यह पौधा जहरीला होता है आंकड़े के पौधे से सफेद दूध भी निकलता है गर्मियों के दिनों में प्रायः अनेक स्थानों पर श्वेतार्क के बीज उड़ते हुए दिखाई देते हैं। साधारण सी भाषा में इनकों 'बुढ़िया के बाल ' कह देते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।अर्क इसकी तीन जातियाँ रक्तार्क,श्वेतार्क,राजार्क पाई जाती है इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उलटी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।औषधीय उपयोग में केवल सफ़ेद आक का ही उपयोग करना चाहिए. नीली प्रजातियाँ अधिक विषैली होती हैं और उनका उपयोग खाने में नहीं किया जाता, केवल बाह्य उपयोग ही किया जाता है आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।
*आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा सर दर्द जाता रहता है बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है।
*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
*बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं।
*आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये। और नमक छोड़ देना चाहिये। आक की जड और पीपल की छाल का भस्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है। आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।
आंख में पीड़ा
अगर आपकी एक आंख में पीड़ा हो रही हो तो जिस आंख में पीड़ा हो रही हो उसके दूसरे पैर के अंगूठे पर श्वेत यानि सफेद आक को दूध से पूरी तरह गीला करके कुछ देर रखने से काफी राहत मिलती है
आंखों के लिए ऐसे करें इस्तेमाल
आक की सूखी छाल को कूटकर इसमें 20 ग्राम गुलाब जल मिलाएं और इसे 5 मिनट के लिए रख दें. फिर इसे आंखों में 3 से 4 बूंद डालें. इससे आंखों का लाल होना, भारीपन, आंखों में दर्द या खुजली जैसी समस्या दूर हो जाती है.
दाढ़ में दर्द को तुरंत करे दूर
आक के दूध में रूई भिगोकर घी में अच्छी तरह से मसल लें और फिर इसे दाढ़ पर रख लें. इससे दांत या दाढ़ का दर्द तत्काल दूर हो सकता है. इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है. वहीं, हिलते हुए दांत को अर्क का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है. ऐसा करने से दांत निकालते समय दर्द कम होता है.
दूर होती है चेहरे की झुर्रियां व दाग
हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें. इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है. ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें. जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए.
सिर व कान दर्द में उपयोगी
आक के फूल का उपयोग सिर व कान दर्द में उपयोग होता है. इसके दूध को सिर पर लगाने से माइग्रेन में फायदा मिलता है. आक के पत्तों का रस कान में डालने से कान से संबंधित रोग जैसे कान में मवाद आना, सांय-सांय की आवाज आना, दूर होते हैं.
सांस की समस्या ठीक करने में कारगर
जिन लोगों को अक्सर सांस या खांसी से संबंधित समस्या रहती है, उनके लिए आक का पौधा रामबाण औषधि की तरह है. 50 ग्राम आक के फूल की लौंग को लेकर उसमें एक चुटकी मिर्च को अच्छी तरह पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें. इन बारीक गोलियों को रोज सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करें. इससे सांस से संबंधित बीमारी दूर हो जाती है. इसके अलावा आक के पत्तों पर मौजूद सफेद परत को इकट्टा करके बाजरे जैसी गोलियां बनाकर रोज सुबह-शाम पान के साथ सेवन करने से लंबे समय से बनी खांसी की समस्या को दूर किया जा सकता है|
आक की रोटी
सामग्री:
मदार की जड़ : 2 किलो
पानी : 4 लीटर
गेहूं : 2 किलो
विधि:
सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें। जब गेहूं सारा पानी सोख ले तो इसे धूप में सुखा लें। अब इस गेहूं को पीसकर आटा बना लें। इस आटे से रोटियां बनाएं और घी और गुड़ के साथ परोसें। ये रोटियां न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि गठिया जैसी बीमारियों को दूर भगाने में भी सक्षम है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें