*गेहूं के जवारे में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स आदि वे सभी पौष्टिक तत्व है जो शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाये रखने के लिए जरूरी है |
*लंबे और गहन अनुसंधान के बाद पाया गया है कि शारीरिक कमजोरी, रक्ताल्पता, दमा, खांसी, पीलिया, मधुमेह, वात-व्याधि, बवासीर जैसे रोगों में गेहूं के छोटे-छोटे हरे पौधों के रस का सेवन खासा कारगर साबित हुआ है |यहां तक कि इसकी मानवीय कोशिकाओं को फिर से पैदा करने की विशिष्ट क्षमता और उच्चकोटि के एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण कैंसर जैसे घातक रोग की प्रारंभिक अवस्था में इसका अच्छा प्रभाव देखा गया है |
*गेहूं हमारे आहार का मुख्य घटक है | इसमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है | इस संदर्भ में तमाम महत्वपूर्ण खोजें हुई हैं. अमेरिका के सुप्रसिद्ध चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ. ए. विग्मोर ने गेहूं के पोषक और औषधीय गुणों पर लंबे शोध और गहन अनुसंधान के बाद पाया है कि शारीरिक कमजोरी, रक्ताल्पता, दमा, खांसी, पीलिया, मधुमेह, वात-व्याधि, बवासीर जैसे रोगों में गेहूं के छोटे-छोटे हरे पौधे के रस का सेवन खासा कारगर साबित हुआ है |
एन्टी आक्सी डेंट से भरपूर --
यहां तक कि इसकी मानव कोशिकाओं को फिर से पैदा करने की विशिष्ट क्षमता और
उच्चकोटि के एन्टीऑक्सीडेंट होने के कारण कैंसर जैसे घातक रोग की प्रारंभिक
अवस्था में इसका अच्छा असर देखा गया है | यही नहीं, फोड़े-फुंसियों और घावों पर गेहूं के छोटे हरे पौधे की पुल्टिस 'एंटीसेप्टिक'और 'एंटीइन्फ्लेमेटरी' औषधि की तरह काम करती है. डॉ. विग्मोर के अनुसार, किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरी दूर करने में गेहूं के जवारे का रस किसी भी उत्तम टॉनिक से बेहतर साबित हुआ है |
प्राकृतिक बलवर्धक टॉनिक -
यह ऐसा प्राकृतिक बलवर्धक टॉनिक है जिसे किसी भी आयुवर्ग के स्त्री-पुरुष और
बच्चे जब तक चाहे प्रयोग कर सकते हैं, इसी गुणवत्ता के कारण इसे 'ग्रीन
ब्लड' की संज्ञा दी गयी है |
पोषक तत्वों की अधिकता के कारण गेहूं को खाद्यान्नों में सर्वोपरि माना गया
है. इसमें प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स आदि वे सभी पौष्टिक
तत्व विद्यमान रहता है जो शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त बनाये रखने के लिए
जरूरी है |
रोग प्रतिरोधक क्षमता -
शोध वैज्ञानिकों के अनुसार, गेहूं के ताजे जवारों (गेहूं केहरे नवांकुरों) के साथ थोड़ी सी हरी दूब और चार-पांच काली मिर्च को पीसकर उसका रस निकालकर पिया जाए तो इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है |यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि दूब घास सदैव स्वच्छ स्थानों जैसे खेत, बाग-बगीचों से ही लेना चाहिए |
वैज्ञानिकों ने गेहूं के जवारे उगाने का सरल तरीका भी बताया है.
इसके लिए मिट्टी के छोटे-छोटे सात गमले लिये जाएं और उन्हें साफ जगह से
मिट्टी से भर ली जाए. मिट्टी भुरभुरी और रासायनिक खाद रहित होनी चाहिए |
अब इन गमलों में क्रम से प्रतिदिन एक-एक गमले में रात में भिगोया हुआ एक-एक
मुट्ठी गेहूं बो दें. दिन में दो बार हल्की सिंचाई कर दे. 6-7 दिन में जब
जवारे थोड़े बड़े हो जाएं तो पहले गमले से आधे गमले के कोमल जवारों को जड़
सहित उखाड़ लें |
ध्यान रखें, जवारे 7-8 इंच के हों तभी उन्हें उखाड़ें. इससे ज्यादा बड़े होने पर
उनके सेवन से अपेक्षित लाभ नहीं मिलता. जवारे का रस सुबह खाली पेट लेना हीउपयोगी होता है
ख्याल रखें कि जवारे को छाया में ही उगाएं. गमले रोज मात्र आधे घंटे के लिए
हल्की धूप में रखें. जवारों का रस निकालने के लिए 6-7 इंच के पौधे उखाड़कर
उनका जड़वाला हिस्सा काटकर अलग कर दें |
अच्छी तरह धोकर साफ करके सिल पर पीस लें. फिर मुट्ठी से दबाकर रस निकाल लें. ग्रीन ब्लड तैयार है |
इस रस के सेवन से हीमोग्लोबिन बहुत तेजी से बढ़ता है और नियमित सेवन से शरीर पुष्ट और निरोग हो जाता है.
दूर्वा घास' के बारे में आरोग्य शास्त्रों में लिखा है कि इसमें अमृत भरा है,इसके नियमित सेवन से लंबे समय तक निरोग रहा जा सकता है | आयुर्वेद के अनुसार, गेहूं के जवारे के रस के साथ 'मेथीदाने' के रस के सेवन से बुढ़ापा दूर भगाया जा सकता है |
एक चम्मच मेथी दाना रात मे भिगो दें सुबह छानकर इस रस को जवारे के रस के साथ मिलाकर सेवन करें| |
उपरोक्त के साथ आधा नींबू का रस, आधा छोटा चम्मच सोंठ और दो चम्मच शहद मिला देने से इस पेय की गुणवत्ता कई गुना बढ़ जाती है | इस पेय में विटामिन ई, सी और कोलीन के साथ कई महत्वपूर्ण इंजाइम्स और पोषक