जीरा का लैटिन नाम-क्यूमिनम साइमिनम हैं। यह अपच और दर्द को खत्म करता है। जीरा एक स्वादिष्ट मसाला है और औषधियों में भी जीरे का बहुत उपयोग किया जाता है। जीरा भारत में बहुत होता है। यह 3 प्रकार का होता है- सफेद जीरा, शाह जीरा या काला जीरा और कलौंजी जीरा। इनके गुण एक जैसे ही होते हैं। तीनों ही जीरे रूखे और तीखे होते हैं। ये मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
सफेद जीरा दाल-सब्जी छोंकने और मसालों के काम में आता है तथा शाह जीरे का उपयोग विशेष रूप से दवा के रूप में किया जाता है। ओथमी जीरा और शंखजीरा ये 2 वस्तुएं जीरे से एकदम भिन्न है। ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा ईसबगोल कहते हैं।
जीरा एक ऐसा मसाला है जो खाना बनाने में यूज तो होता ही है साथ ही इससे बनी चाय भी वजन कम करने में इफेक्टिव है. मेडिकल डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह के अनुसार जीरे की चाय पीने से एसिडिटी कम होती है. जीरे की चाय में मौजूद मैग्नीशियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी हेल्थ के लिए इफेक्टिव हैं। मेडिकल डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह के अनुसार जीरे की चाय पीने से एसिडिटी कम होती है. वैसे तो सादी चाय से एसिडिटी होती है. लेकिन इसे बनाते समय अगर जीरा मिला दिया जाए तो एसिडिटी की संभावना कम हो सकती है. जीरे की चाय में मौजूद मैग्नीशियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट्स भी हेल्थ के लिए इफेक्टिव हैं. हम बता रहे हैं रोज जीरे वाली चाय पीने के 10 फायदे.
वजन कम :
जीरे वाली चाय पीने से बॉडी में फैट का अब्जोब्रशन कम होता है. जिससे वजन तेज़ी से कम होने लगता है.
हार्ट प्रॉब्लम :
इस चाय को पीने से कोलेस्ट्रोल कम होता है जिससे हार्ट प्रॉब्लम से बचाव होता है.
डाइजेशन :
जीरे की चाय में मौजूद थायमौल से डाइजेशन इम्प्रूव होता है और कब्ज़ की प्रॉब्लम से बचाव होता है.
कैंसर :
इस चाय में क्यूमिनएलडीहाइड होते है जो कैंसर से बचाने में मदद करते है.
एनर्जी :
इसे पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते है और एनर्जी बनी रहती है.
सर्दी-जुकाम :
इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते है जो सर्दी-जुकाम से बचाने में फायदेमंद है.
बीमारियों से बचाव :
इस चाय को पीने से बॉडी की इम्युनिटी बढती है और बीमारियों से बचाव होता है.
एनीमिया :
जीरे की चाय में आयरन की मात्रा अधिक होती है जो एनीमिया (खून की कमी) से बचाने में मदद करता है.
हार्ट प्रॉब्लम :
इस चाय को पीने से कोलेस्ट्रोल कम होता है जिससे हार्ट प्रॉब्लम से बचाव होता है.
डाइजेशन :
जीरे की चाय में मौजूद थायमौल से डाइजेशन इम्प्रूव होता है और कब्ज़ की प्रॉब्लम से बचाव होता है.
कैंसर :
इस चाय में क्यूमिनएलडीहाइड होते है जो कैंसर से बचाने में मदद करते है.
एनर्जी : इसे पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते है और एनर्जी बनी रहती है.
बीमारियों से बचाव :
इस चाय को पीने से बॉडी की इम्युनिटी बढती है और बीमारियों से बचाव होता है.
एनीमिया : जीरे की चाय में आयरन की मात्रा अधिक होती है जो एनीमिया (खून की कमी) से बचाने में मदद करता है.
ब्रेन पावर :
इसमें विटामिन B6 होते है जो ब्रेन पावर बढ़ाने में मदद करते है. इसे पीने से मेमोरी तेज होती है.
खांसी : जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दानों को चबाकर खाने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
रतौंधी :
जीरा, आंवला और कपास के पत्तों को मिलाकर ठण्डे पानी में पीसकर लेप बना लें। कुछ दिनों तक लगातार इस लेप को सिर पर लगाकर पट्टी बांधने से रतौंधी दूर होती है।
जीरे का चूर्ण बनाकर सेवन करने से रतौंधी (रात में दिखाई न देना) में लाभ होता है।
बिच्छू का जहर :
जीरे और नमक को पीसकर घी और शहद में मिलाकर थोड़ा-सा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगायें।
बुखार :
जीरे का 5 ग्राम चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार व जीर्ण बुखार उतर जाता है
दांतों का दर्द :
काले जीरे के उबले हुए पानी से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
3 ग्राम जीरे को भूनकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 3 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को मसूढ़ों पर मलने से सूजन और दांतों का दर्द खत्म होता है।
पेशाब का बार-बार आना :
जीरा, जायफल और काला नमक 2-2 ग्राम की मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस मिश्रण को अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ मिलता है।
मुंह की बदबू : मुंह में बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर खाएं। इस प्रयोग से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
मलेरिया का बुखार :
एक चम्मच जीरे को पीसकर, 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से
पहले, सुबह, दोपहर और शाम को दें।
1 चम्मच जीरा बिना सेंका हुआ पीस लें। इसका 3 गुना गुड़ इसमें मिलाकर 3 गोलियां बना लें। निश्चित समय पर ठण्ड लगकर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले 1-1 घण्टे के बीच गोली खाएं कुछ दिन रोज इसका प्रयोग करें। इससे मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
काला जीरा, एलुआ, सोंठ, कालीमिर्च, बकायन के पेड़ की निंबौली तथा करंजवे की मींगी को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से 1-1 गोली खाने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
पुराना बुखार :
कच्चा पिसा हुआ जीरा 1 ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर दिन में 3 बार लगातार सेवन करें। इससे पुराना से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।
पाचक चूरन :
जीरा, सोंठ, सेंधानमक, पीपल, कालीमिर्च प्रत्येक सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के साथ खाने से भोजन जल्दी पच जाता है।
खूनी बवासीर :
जीरा, सौंफ, धनिया को एक-एक चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो इसे छान लें, फिर इसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा फायदेमंद होता है।
चेहरा साफ करने के लिए :
जीरे को उबालकर उस पानी से मुंह धोएं इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ जाती है।
खुजली और पित्ती :
जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से शरीर को धोने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
पथरी, सूजन व मुत्रावरोध :
इन कष्टों में जीरा और चीनी समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोज 3 बार खाने से लाभ होता है।
स्तनों में गांठे :
दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में गांठ पड़ जाये तो जीरे को पानी में पीसकर स्तन पर लगायें। फायदा पहुंचेगा।
स्तनों का जमा हुआ दूध निकालना :
जीरा 50 ग्राम को गाय के घी में भून पीसकर इसमें खांड 50 ग्राम की मात्रा में मिला देते हैं। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इससे गर्भाशय भी शुद्ध हो जाता है और छाती में दूध भी बढ़ जाता है।
स्तनों में दूध की वृद्धि :
सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।
सफेद जीरा तथा सांठी के चावलों को दूध में पकाकर पीने से कुछ ही दिनों में स्तनों का दूध बढ़ जाता है।
125 ग्राम जीरा सेंककर उसमें 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
अजीर्ण :
3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
पेचिश :
सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
खट्टी डकारें :
5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।
इन कष्टों में जीरा और चीनी समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोज 3 बार खाने से लाभ होता है।
स्तनों में गांठे :
दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में गांठ पड़ जाये तो जीरे को पानी में पीसकर स्तन पर लगायें। फायदा पहुंचेगा।
स्तनों का जमा हुआ दूध निकालना :
जीरा 50 ग्राम को गाय के घी में भून पीसकर इसमें खांड 50 ग्राम की मात्रा में मिला देते हैं। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इससे गर्भाशय भी शुद्ध हो जाता है और छाती में दूध भी बढ़ जाता है।
स्तनों में दूध की वृद्धि :
सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।
सफेद जीरा तथा सांठी के चावलों को दूध में पकाकर पीने से कुछ ही दिनों में स्तनों का दूध बढ़ जाता है।
125 ग्राम जीरा सेंककर उसमें 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
अजीर्ण :
3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
पेचिश :
सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
खट्टी डकारें :
5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।