30.10.23

पीले कनेर के फुल और पत्तियों से बीमारियों का इलाज




  आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी बूटियां मौजूद है जो शरीर से कई समस्या को दूर करने में उपयोगी हैं। वहीं पीला कनेर भी आयुर्वेद में कई समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। आमतौर पर कनेर के फूल के कई कलर होते हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं पीले कनेर की। घाव भरना हो या त्वचा की समस्या को दूर करना हो, पीला कनेर आपकी सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

कब्ज की समस्या हो दूर

आज के समय में लोग कब्ज की परेशानी से बेहद परेशान हैं। इस परेशानी को दूर करने में पीला कनेर आपके काम आ सकता है। ऐसे में पीले कनेर के पत्तों और छाल का काढ़ा बनाएं और उसका सेवन करें। ऐसा करने से कब्ज की समस्या दूर होगी।

मलेरिया की समस्या


जिन लोगों को मलेरिया हो गया है वे पीले कनेर के उपयोग से अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा मिर्गी से परेशान लोग भी पीले कनेर से अपनी समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं। लेकिन हर शरीर की तासीर अलग होती है ऐसे में ये लोग इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

त्वचा संबंधी समस्या को करें दूर

त्वचा संबंधित कई समस्या को दूर करने में पीला कनेर बेहद उपयोगी है। बता दें कि जो लोग मस्से या दाग धब्बों से परेशान हैं वे पीले कनेर की छाल से बना पेस्ट अपनी त्वचा का पर लगा सकते हैं। बता दें कि यह पेस्ट दाद की समस्या से भी छुटकारा दिला सकता है।

बुखार की समस्या होगी दूर

 कुछ लोगों को रुक रुक कर बुखार आता है। वे इस समस्या को कम करने के लिए पीले कनेर का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे लोग पीले कनेर के पत्तों और छाल से बनाए काढ़े का सेवन करें। ऐसा करने से रुक रुक आने वाला बुखार हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
जोड़ों के दर्द में पीला कनेर से लाभ कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिला लें। इस लेप करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर

कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल 
में मिलाकर लगाएं। इससे पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर होता है।

लिंग की कमजोरी में

लिंग की कमजोरी में -10 ग्राम सफेद कनेर की जड़ को पीस लें। इसे 20 ग्राम घी में पकाएं। ठंडा करके लिंग (कामेन्द्रिय) पर मालिश करें। इससे लिंग के कम तनाव (कामेन्द्रिय की शिथिलता) की समस्या दूर होती है।कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कामेन्द्रिय पर उभरी नसों की समस्या दूर होती है। लिंग की कमजोरी दूर करने के लिए 2-3 बार नियमित मालिश करें।

मासिक धर्म की परेशानी से दिलाए छुटकारा

मासिक धर्म की परेशानी को दूर करने में भी पीले कनेर का उपयोग किया जा सकता है। बता दें कि मासिक धर्म के दौरान उठने वाले दर्द और बेचैनी से राहत दिलाने के लिए आप पीले कनेर के फूलों का इस्तेमाल काढ़े के रूप में कर सकते हैं।

दाद और चर्म रोग में 

दाद में पीला कनेर से लाभ सफेद कनेर की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छान लें। इसे लगाने से दाद और अन्य त्वचा विकारों में लाभ होता है।

कनेर के पत्तों से पकाए हुए तेल को लगाने से खुजली मिटती है।
पीले कनेर के पत्ते या फूलों को जैतून के तेल में मिलाकर मलहम बना लें। इसे लगाने से हर प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
पीला कनेर के उपयोग से कुष्ठ रोग का इलाज सफेद कनेर की जड़, कुटज-फल, करंज-फल, दारुहल्दी की छाल और चमेली की नयी पत्तियों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग का इलाज होता है।
कनेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने योग्य जल में मिला लें। नियमित रूप से कुछ दिन तक स्नान करने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है।
सफेद कनेर की छाल को पीसकर लेप करने से चर्म रोग (कुष्ठ रोग) में लाभ होता है।
पीले कनेर (पीत करवीर) की जड़ से पकाए हुए तेल को लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग, सफेद दाग दूर होता है।
पीला कनेर के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज कनेर के फूल तथा आँवले को कांजी में पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।
सफेद कनेर के पीले पत्तों को सुखाकर महीन पीस लें। सिर के जिस तरफ दर्द हो रहा हो उस तरफ से नाक में एक दो बार सूंघें। इस छींक आएगी और सिर दर्द ठीक हो जाएगा।

पीले कनेर के नुकसान

पीले कनेर का सेवन करने से पहले इसकी सही खुराक का पता होना जरूरी है। अगर इसकी अधिकता ज्यादा हो जाए तो व्यक्ति को उल्टी, डायरिया, सिर में दर्द, पेट में दर्द, जी मचलाने की समस्या, गंभीर दिल की समस्या, कमजोरी आदि समस्या हो सकती है। ऐसे में सही मात्रा का ज्ञान होना जरूरी है।
पीली कनेर का उपयोग फूल के अलावा छाल और जड़ के रूप में भी किया जाता है। ऐसे में आप फूल के अलावा छाल और जड़ों को पीसकर भी इसका उपयोग त्वचा, घाव आदि पर लगा सकते हैं। इसके लावा इसका उपयोग काढ़े के रूप में किया जाता है।

अलसी के बीज हैं औषधीय गुणों का खजाना ,जाने वो क्या हैं ?



पोषक तत्वो से भरपूर अलसी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। इन बीजों में प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, कार्ब्स, , कॉपर, मैग्नीज जैसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो सेहत के लिए काफी गुणकारी हैं। ये बीज वजन घटाने के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं।

अलसी के फायदे

Flaxseed के बहुत सारे फायदे Flaxseed ke Fayde हैं। अलसी का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों का इलाज करने वाली दवाओं में किया जाता है। शोध से यह बात सामने आई है की रोजाना एक चम्मच अलसी का सेवन करने से शरीर तंदुरुस्त और बीमारियां दूर रहती हैं। इस ब्लॉग में हम अलसी का इस्तेमाल, फायदे, नुकसान और इससे जुड़ी दूसरी चीजों के बारे में बात करेंगे।

अलसी दिल को तंदुरुस्त रखता है

दिल शरीर का सबसे खास हिस्सा है। दिल में परेशानी होने का मतलब पूरे शरीर में परेशानी होना है। इसलिए अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने दिल को स्वस्थ रखने की कोशिश करें। खराब जीवनशैली और अनहेल्दी खान पान से दिल से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए हेल्दी खाना, फल फ्रूट और सब्जी खाएं और बाहर के खाने, फास्ट फूड्स, कोल्ड ड्रिंक और मसालेदार चीजों से परहेज करें। Flaxseed Benefits in Hindi — अपने दिल को स्वस्थ और इससे संबंधित बीमारियों को दूर रखने के लिए आप अलसी का सेवन कर सकते हैं। इसमें बहुत ऐसे तत्वों का भंडार है जो दिल को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।

अलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है

शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होना बहुत जरूरी है क्योंकि यही इस बात का फैसला करता है की आप कितना स्वस्थ और बीमारियों से दूर रहेंगे। इम्यून सिस्टम खराब होने से शरीर में ढेरों बीमारियां और परेशानियां होती हैं। इसलिए इम्यून सिस्टम का मजबूत होना आवश्यक है। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए बहुत सरे उपाय मौजूद हैं लेकिन क्या आपको पता है की आप अपना इम्यून सिस्टम अलसी की मदद से मजबूत बना सकते हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन और दूसरे कई तरह के तत्व पाए जाते हैं जो इम्यून सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है और आप हमेशा बीमार पड़ते रहते हैं तो आप अलसी को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह आपको स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने में सहायक होता है।

अलसी ब्लड प्रेशर कम करता है

Alsi Khane Ke Fayde ब्लड प्रेशर को कम करना भी शामिल है। स्वस्थ रहने के लिए तनाव से मुक्त होना बहुत जरूरी है। तनाव की वजह से सैकड़ों बीमारियां पैदा होती हैं। हाई ब्लड प्रेशर भी उन्ही में से एक है। आप जैसे ही तनाव में होते हैं आपका ब्लड प्रेशर तेज हो जाता है जिसकी वजह से आपको दिल का दौरा, ब्रेन हेमरेज और दूसरी कितनी ही बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए यह जरूरी है की आप तनाव से दूर रहे। अलसी आपके तनाव को दूर करने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें फाइबर और दूसरे ऐसे गुण पाए जाते हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने का काम करते हैं। अगर आपको ब्लड प्रेशर की परेशानी है तो आप इस बीज को अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं।

अलसी डायबिटीज में फायदेमंद है

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो आपके जीवन में परेशानियां खड़ी कर सकती है। आप खासकर सबसे ज्यादा तब परेशान हो सकते हैं अगर आपको ढेर सारी चीजों को खाने पीने का शौक है। डायबिटीज पर समय रहते हुए ध्यान नहीं दिया गया तो यह दूसरी अन्य कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसलिए यह जरूरी है की आप इसके शुरूआती स्टेम में ही ध्यान देकर इसका सही इलाज कराएं। एक रिसर्च ने इस बात को साफ किया है की अलसी में म्यूसिलेज पाया जाता है जो पाचन को कंट्रोल करके ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है।

अलसी वजन कम करता है

लाइफस्टाइल सही नहीं होने, खान पान पर ध्यान न देने, तैलीय और मसालेदार खाने तथा फास्टफूड्स का सेवन करने की वजह से आज हर कोई मोटापे से परेशान है। मोटापे की वजह आपको दिल से संबंधित बीमारियां, डायबिटीज और दूसरी कई समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। अलसी में फाइबर और ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं जो भूख को कम करते है जिसके कारण आपका वजन कम होता है।
इतना ही नहीं, अलसी में लिग्निन नामक फेनोलिक कंपाउंड पाया जाता है जो फाइटोस्ट्रोजन और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में शरीर के वजन को कम करने का काम करता है। ऑक्सिडेटि स्ट्रेस के कारण शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है जिसकी वजह से इंसुलिन में बाधा आती है। इंसुलिन में बाधा आने से सेल्स को शुगर नहीं मिल पाता है जिसके कारण आपको भूख महसूस होती है और आप खाने की तरफ जाते हैं। अगर आप अपने मोटापे को कम करना चाहते हैं तो अलसी का सेवन कर सकते हैं।

अलसी के नुकसान

अलसी के फायदे Flaxseed Ke Fayde होने के साथ साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं। दुनिया में मौजूद जिन चीजों का भी आप सेवन करते हैं उनके कुछ फायदे तो कुछ नुकसान होते हैं। अलसी के साथ भी यही थियरी लागू होती है। अगर आप इसका सेवन कर रहे हैं या फिर करने वाले हैं तो आपको इससे जुड़ी कुछ सावधानियां और नुकसान के बारे में भी पता होना चाहिए। आइए हम आपको अलसी के सेवन से जुड़े कुछ नुकसान के बारे में बताते हैं। अलसी का जरूरत से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपकी आंतो को नुकसान हो सकता है। अगर आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते हैं तो फिर आपको खासकर अलसी के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि ज्यादा पानी न पीने की स्थिति में इसका सेवन आंतों में ब्लॉकेज की संभावना को बढ़ा देता है।
जिन लोगों को अलसी के सेवन से एलर्जी है उन्हें इससे बचना चाहिए। इसका सेवन करने पर उन्हें लो ब्लड प्रेशर, घबराहट, चक्कर आना और वोमिटिंग जैसी समस्या हो सकती है।
अलसी में फाइबर काफी मात्रा में पाया जाता है जो पेट में गैस या कब्ज की समस्या होने से बचाता है। लेकिन अलसी का ज्यादा सेवन करने से आपका पेट खराब हो सकता है और आपको लूज मोशन की शिकायत भी हो सकती है। इसलिए इसका सेवन जरूरत मुताबिक ही करें।
प्रेगनेंसी के दौरान अलसी का सेवन हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए इसके सेवन से बचें। अगर आप इसका सेवन कर रही हैं या फिर करना चाहती हैं तो ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर लें।

अलसी का इस्तेमाल कैसे करें

अलसी को हजम होने में थोड़ा समय लगता है। इसके अंदर सभी पोषक तत्व और काफी मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है। अलसी का सेवन करने के बाद आपको भूख कम लगती है लेकिन इसके अंदर काफी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जो आपके शरीर की जरूरत को पूरा कर देते हैं। ऐसा होने की वजह से आप खाना कम खाते हैं जिसकी वजह से आपका वजन बैलेंस रहता है और आप मोटापा से दूर रहते हैं।
एक शोध से यह बात सामने आई है की अगर आप रोजाना एक चम्मच अलसी खाते हैं तो आपका वजन कम होने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। अगर आप यह सोच रहे हैं की How to Eat Alsi तो हम आपको बता दें की अलसी का कई तरह से सेवन किया जा सकता है। नीचे हम आपको कुछ तरीकों के बारे में बता रहे हैं। सेहत से संबंधित Alsi Ka Fayda — Flaxseed ke Fayde उठाने के लिए आप इसका कई तरह से सेवन कर सकते हैं। आप अलसी को कच्चा खा सकते हैं।
आप अलसी को भून कर या सेक कर खा सकते हैं।
आप अलसी को पीसकर दही में मिलाकर खा सकते हैं।
आप अलसी को ज्यूस में मिलकर पी सकते हैं।
आप अलसी को पाउडर को स्मूदी में मिलाकर पी सकते हैं।
आप अलसी को मिल्कशेक में मिलाकर पी सकते हैं।
आप अलसी को चिकन या सलाद में मिलाकर खा सकते हैं।
आप अलसी बीज के तेल को सलाद में डालकर खा सकते हैं।
आप अलसी के पाउडर को गर्म अनाज में मिलकर खा सकते हैं।
आप अलसी को ठंडी दलिया पर डालकर कर खा सकते हैं।
आप अलसी को कुकीज या केक के साथ मिलाकर खा सकते हैं।
इन लोगों को अलसी के सेवन से परहेज करनी चाहिए

 अलसी से परहेज कब करें -

अलसी के Alsi k Fayde काफी हैं लेकिन यह कुछ लोगों को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने से उन्हें फायदा होने के बजाय काफी नुकसान हो सकता है। अगर आप अलसी का सेवन करने या इसे अपने डाइट में शामिल करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले इस बात का पता होना चाहिए की आप इसका सेवन कर सकते हैं या नहीं। 
Alsi Ke Beej Ke Fayde बहुत सारे फायदे हैं लेकिन अपने मन से इसका सेवन करने से आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह जरूरी है की आप इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर से मिलकर उनकी राय लें। नीचे हम आपको कुछ चीजों के बारे में बता रहे हैं जिसकी स्थिति में आपको इसके सेवन से परहेज करनी चाहिए। अगर आप प्रेगनेंट है या फिर ब्रेस्टफीडिंग कर रही हैं तो आपको अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।
अगर आप खून को पतला करने वाली दवा या दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो आपको अलसी का सेवन नहीं करना चाहिए।
अगर आप आंत से संबंधित किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो अलसी का सेवन न करें।
हार्मोनल असंतुलन या एंडोमेट्रिओसिस की स्थिति में अलसी के सेवन से बचना चाहिए।

अंत में-

अलसी खाने के बहुत से फायदे Alsi Khane Ke Fayde हैं लेकिन जैसा की हमने ऊपर इससे जुड़े कुछ नुकसान और चुनौतियों पर भी बात की है। हर चीज के सेवन के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान होते हैं लेकिन इससे आपको डरने की जरूरत नहीं है। अलसी से नुकसान तभी होता है जब आप इसका इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा मात्रा में या फिर अपने मन मुताबिक करते हैं। अगर आप इसके सभी फायदों का लाभ बिना किसी नुकसान के उठाना चाहते हैं तो इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर मिलें और उनकी राय लें।
सुबह खाली पेट अलसी खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। खाली पेट अलसी खाने से पहले आपको डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। खाली पेट अलसी खाने के फायदे इस तरह से हैं-
पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए खाली पेट अलसी खाना फायदेमंद होता है।

हो सकती है एलर्जी

कई लोगों को अलसी के बीज और तेल से एलर्जी हो सकती है। अगर आप इन बीजों को डाइट में शामिल करते हैं और आपको खुजली, सूजन, लालिमा आदि की समस्या दिखे, तो इन बीजों को खाने से बचना चाहिए।

लूज मोशन की समस्या

अगर आप अलसी के बीज ज्यादा खाते हैं, तो इससे आपको लूज मोशन की समस्या हो सकती है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में खाएंगे जाए, तो कब्‍ज से राहत म‍िल सकती है। पहले से पेट से जुड़ी समस्या से परेशान हैं, तो अलसी के बीजों को खाने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

गर्भावस्था के दौरान असुरक्षित

अलसी के बीजों में मौजूद एस्ट्रोजेन गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक है। इससे बच्चा और मां दोनों को खतरा हो सकता है। अगर आप मां बनने वाली हैं, एक्सपर्ट के सुझाव के बिना अलसी के बीज न खाएं।

आंतों में समस्या

अलसी के बीजों को पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ के साथ खाना चाहिए, लेकिन अगर आप इसे बिना किसी तरल पदार्थ के खाते हैं, तो आपको आंतों में ब्लॉकेज की समस्या हो सकती है, इसलिए जरूरत से ज्यादा अलसी के बीजों का सेवन न करें।

शरीर में बढ़ सकती है सूजन

अलसी के बीज में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो सूजन को कम करने में मदद करता है, लेकिन एस रिसर्च के अनुसार, अधिक मात्रा में अलसी के बीजों को खाते हैं, तो ये शरीर में सूजन को बढ़ा सकते हैं।

29.10.23

औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा



पारिजात सफेद फूलों वाला पेड़ है, जिसे हरसिंगार भी कहा जाता है। इसके पत्ते व फूलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है। आजकल लोग घर पर भी इस पेड़ को उगाने लगे हैं क्योंकि इसके पत्तों का इस्तेमाल कई घरेलू उपचारों में भी किया जाता है। आजकल मार्केट में भी हरसिंगार के बीज, ताजे पत्ते व इनसे बने कई प्रोडक्ट मिल जाते हैं।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
पारिजात दिव्य गुणों से युक्त पेड़ है। इसे संस्कृत में शेफालिका कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल जिसमें शिलीमुख अर्थात भंवरा आराम से सोता है। इसे हरिश्रृंगार या हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स है। पारिजात, आयुर्वेद का एक बहुत ही अच्छी तरह से जाना जाने वाला औषधीय पौधा है। यह भारतवर्ष का मूल निवासी है। यह उप-हिमालयी क्षेत्रों से दक्षिण के गोदावरी तक मिलता है। पारिजात के पुष्पों, पत्तों, आदि का औषधीय कार्यों के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में इस्तेमाल बहुत पुराने समय से उपयोग किया जाता रहा है।
पारिजात के पुष्पों को भगवान् श्री कृष्ण की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसकी बहुत ही अनुपम गंध होती है। पारिजात के पुष्प रात में खिलते है और सुबह स्वतः ही गिर जाते है।
कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष सागर मंथन से उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष को इन्द्र ने अपने उद्यान नंदन कानन में लगा दिया। देवराज इंद्र के निमंत्रण पर जब श्री कृष्ण स्वर्ग लोग में अपनी पत्नी देवी रुकमणी के साथ पहुंचे तो देवराज ने स्वागत में यह पुष्प उन्हें भेंट किये। इन पुष्पों को देवी रुकमणी ने अपने बालों में धारण कर लिया। जब श्री कृष्ण और रुकमणी, द्वारका वापस लौटे तो उन पुष्पों को देख श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा उस पुष्प के पेड़, पारिजात को लाने की जिद की। श्री कृष्ण ने इंद्र से आग्रह किया की वे उन्हें पारिजात दे दें। लेकिन इंद्र ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। तब श्री कृष्ण ने इन्द्र से घनघोर युद्ध कर इस वृक्ष को जीत कर धरती पर लाये और इसे द्वारका में प्रतिष्ठित किया।
पारिजात का पेड़ झाड़ी जैसा होता है। इसकी जड़ के पास से कई तने निकल आते हैं । इसके पत्ते हरे खुरदरे और रोएँ युक्त होते हैं। ऊपर से ये हरे और नीचे से हलके रंग के होते है। पारिजात के पुष्प पेड की टहनी पर गुच्छे में लगते है। पारिजात पुष्प की ६-७ पंखुड़ियाँ सफ़ेद रंग की होती और नारंगी रंग की डंठल से जुडी होती है। पुष्प खिलने के बाद हरे गोल रंग के चपटे फल लगते है।
पारिजात फूलों से पीला रंग भी निकाला जाता है। यह रंग कपड़ों को रंगने और पुलाव को पीला रंग देने के लिए होता है।
पारिजात के पत्ते Leavesपत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण sciatica, chronic fever, rheumatism, internal worm infections आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखार आदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह fever, high blood pressure and diabetes के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले  सांप के विष के असर को कम करने वाले टॉनिक tonic, विरेचक laxative, स्वेदजनक  और मूत्रवर्धक  गुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में को प्रयोग किया जाता है।

पारिजात के फूल  

पारिजात के पुष्पों को पित्त दोष कम करने, कफ, वात कम करने, टॉनिक, बवासीर और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
पुष्पों के पीले हिस्से का प्रयोग सिल्क और सूती कपड़ों को रंगने में भी होता है।

पारिजात का तना 

परंपरागत रूप से स्टेम छाल के पाउडर का प्रयोग गठिया, जोड़ों के दर्द rheumatic joint pain, मलेरिया, और कफ को ढीला करने के लिए होता है। ओड़िसा मलेरिया के उपचार के लिए, छाल के पाउडर, अदरक, और पिप्पली का काढ़ा बनाकर दो दिन तक लिया जाता है।
पारिजात के बीज Seedsबीजों को कृमि नाशक anthelmintics और खालित्य/गंज alopecia में इस्तेमाल किया जाता है।
यह पित्त को कम करता है और कफ को ढीला कर बाहर निकालने expectorant में मदद करता है। यह पित्त की अधिकता से होने वाले बुखार में भी उपयोगी है।
बीजों का पाउडर का प्रयोग सिर में रुसी, पपड़ी, सूखी त्वचा का इलाज करने लिए प्रयोग लिया जाता है। इसके अतिरित इसे बवासीर और त्वचा रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।

साइटिका, ग्रिध्सी Sciatica

1. पारिजात, ३-६ पत्तों को कूट कर पानी में उबाल, सुबह और शाम रोज़ पीने से लाभ होता है।
2. पारिजात के सूखे पत्तों का पाउडर, 1 चम्मच पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।

आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द Arthritis, joint pain

पारिजात के पत्ते, पुष्प, छाल, टहनी को ५ ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढा बनाकर रोज़ पियें।

जोड़ों की सूजन

पारिजात के फूलों का पेस्ट लगायें।

हड्डी टूटना Fracture

पत्ते और छाल का पेस्ट लगाकर एक कपड़े से कसकर लपेट दें।

शरीर में दर्द, सूजन


३-६ पत्तों को कूट कर दो गिलास पानी में उबाल कर दिन में दो बार पिए।

पुराना बुखार

बुखार के लिए, पारिजात की पत्तियों का रस ४-६ ग्राम, शहद में मिलाकर, गर्म पानी के साथ, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लेने से पीने से लाभ होता है।

पारिजात है त्वचा रोगों का इलाज करने में मददगार

त्वचा रोगों का इलाज करने में भी पारिजात काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कई प्रकार के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाली सूजन, लालिमा, जलन व अन्य क्षति को रोकने में मदद करते हैं।
हालांकि, पारिजात से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ प्रमुख रूप से कुछ अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग असर हो सकता है।

मलेरिया Malaria, विषम ज्वर

मलेरिया में, पारिजात की पांच ताजा पत्तियों का पेस्ट, मौखिक रूप से दिन में तीन बार, 7-10 दिनों तक दिया जाता है।

बुखार Fever

पारिजात की २-३ पत्तियां, ३ ग्राम छाल, और तुलसी के कुछ पत्तों को ले कर पानी में उबाल कर सुबह-शाम पिए।
पेट में कीड़े, आंत के कीड़े पत्तों का रस ४-६ ग्राम की मात्रा में, १ चम्मच शहद और चुटकी भर नमक के साथ लें।
दो चम्मच पारिजात पुष्पों के रस को एक चुटकी नमक के साथ दो दिनों लें।
पारिजात के पत्तों का रस २ चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट लें।

बालों में रुसी

बालों में पारिजात के बीजों को पीस कर लगायें।

कफ, छाती में कफ के कारण जकड़न

पत्तों का रस शहद के साथ लें।
सर्दी खांसी Cough/coldतीन पत्तियों और काली मिर्च का पेस्ट मौखिक रूप से पानी के साथ लें।
चाय बनाते समय पारिजात के १-२ पत्ते डाल कर पीने से लाभ होता है।

मधुमेह Diabetes

40 दिन लगातार, मौखिक रूप से पत्तियों का काढा लें।

घाव Wound

बाहरी रूप से पत्ती पीस कर लगाएँ।

पारिजात की औषधीय मात्रा

पारिजात की छाल की औषधीय मात्रा ३ रत्ती (1 ratti=125 mg) है।

पारिजात के पत्तों की औषधीय मात्रा 3-6 ताज़ा पत्ते है।


पारिजात के नुकसान

पारिजात कोई सामान्य जड़ी-बूटी नहीं है और इसका सेवन करने से कुछ लोगों को शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। पारिजात का सेवन करने से कुछ लोगों को निम्न समस्याएं हो सकती हैं -पेट में दर्द या पेट फूलना
सीने में जलन और खट्टी डकार
मतली और उल्टी
सिरदर्द या सिर घूमना
दस्त

पारिजात का उपयोग कैसे करें

पारिजात का उपयोग निम्न तरीके से किया जा सकता है -पत्तों या फूलों को पानी मे उबालकर उसे पीएं
पत्तों को चाय में डालकर सेवन करें
रस को पानी में मिलाकर
काढ़ा बनाकर


हृदय को मजबूत रखने के कारगर उपाय (heart ko strong kaise banaye)




समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक मजबूत हृदय प्रणाली आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि आपका हृदय आपके शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन को कुशलतापूर्वक पंप करता है, जिससे आप आसानी से दैनिक गतिविधियां और व्यायाम कर सकते हैं। एक मजबूत हृदय प्रणाली का निर्माण करना जटिल नहीं है; इसे हासिल करने में आपकी मदद के लिए आज हम कुछ आसान टिप्स आपको सुझाने जा रहे हैं.
आपके दिल की देखभाल के लिए स्वस्थ हृदय युक्तियाँ
आप कुछ नियमो का पालन करे और अपने जाने हृदय को स्वस्थ रखने के घरेलू उपाय। यहां एक स्वस्थ दिल को प्राप्त करने के लिए 15 सरल और महत्वपूर्ण कदम हैं, यह जानने के लिए एक नज़र डालें कि दिल की देखभाल के टिप्स क्या हैं:

धूम्रपान छोड़ो

चाहे आप कितना भी शांत सोचते हैं कि आप धूम्रपान करते समय देखते हैं, अधिनियम आपको एक स्वस्थ शरीर को बनाए रखने में मदद नहीं करता है, बड़े पैमाने पर। धूम्रपान और तंबाकू की खपत कोरोनरी हृदय रोग के सबसे बड़े कारणों में से एक है। तंबाकू रक्त वाहिकाओं और दिल को बड़ा नुकसान पहुंचाता है। धूम्रपान पर देना शीर्ष स्वस्थ हृदय युक्तियों में से एक है। निकोटीन पैच या च्यूइंग गम का उपयोग करके जल्द से जल्द धूम्रपान छोड़ना उचित है।
यहाँ तंबाकू का सेवन छोड़ने के लिए कुछ प्रेरणा है: "धूम्रपान करने वाले में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम धूम्रपान करने वाले में लगभग आधा है"। तो दिल के दौरे को रोकने के लिए, बस इसे छोड़ दें।
काम करना शुरू करें
नियमित अभ्यास के कई लाभ हैं। उनमें से एक दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर रहा है। यदि आप दैनिक आधार पर काम करते हैं, तो न केवल आप अच्छे आकार में बने रहेंगे, बल्कि आपके अंग भी लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे।
आत्म-छवि को बढ़ाने के अलावा, नियमित अभ्यास दिल की देखभाल के लिए बहुत कुछ करते हैं:यह आपके हृदय प्रणाली को मजबूत करता है
यह आपके शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है
व्यायाम से धीरज बढ़ाता है
यह संतुलन और लचीलापन में सुधार करता है
यह ऊर्जा स्तर बढ़ाता है
एक फिट दिल के लिए, यह सलाह दी जाती है कि एक एरोबिक सत्र कम से कम 30 मिनट की मध्यम गतिविधि, सप्ताह में कम से कम चार बार स्थायी हो। लेकिन आपको चोटों से बचने के लिए धीरे -धीरे अपनी गतिविधि का स्तर बढ़ाना चाहिए। यदि आप रोजमर्रा के आधार पर काम करने के आदतन नहीं हैं, तो आप कुछ योग करके शुरू कर सकते हैं। योग आपके शरीर को आराम करने के लिए साबित हुआ है और इस प्रकार तनाव के स्तर को कम करने के लिए, इसके अलावा हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए।
अन्य सामान्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियाँ जिन्हें आप चुन सकते हैं:चलना
भार उठाना
रनिंग
लंबी पैदल यात्रा
प्रो-टिप: अपने लिए एक कसरत योजना तैयार करें। हर दिन एक ही समय में व्यायाम करने की योजना आपको समग्र स्वास्थ्य के लिए एक दिनचर्या में आने में मदद करेगी। अपने वर्कआउट सेशन को उन गतिविधियों का आनंद लें, जिनका आप आनंद लेते हैं या दिनचर्या के साथ रहने के लिए एक व्यायाम दोस्त ढूंढते हैं।

 स्वस्थ आहार

यह तय करना कि क्या खाना है सबसे कठिन विकल्पों में से एक है। लेकिन यह एक बुद्धिमान विकल्प भी होना चाहिए क्योंकि एक अच्छा आहार हृदय रोग के लिए शीर्ष नियंत्रणीय कारकों में से एक है। यह इसलिए है क्योंकि पूरे हृदय प्रणाली को भोजन से ऊर्जा के सेवन से लाभ होता है।
एक बार जब आप जानते हैं कि कौन सा खाना है और कौन से लोग बचना चाहते हैं, तो आपके खाने की आदतों को बदलना एक बड़ा काम नहीं होगा। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो एक स्वस्थ दिल के लिए एक संतुलित आहार हैमापें कि आप कितना खाते हैं: भोजन का सही हिस्सा खाना उतना ही महत्वपूर्ण है जैसा कि सही भोजन खा रहा है। ओवरएटिंग से अधिक कैलोरी का सेवन हो सकता है जो आपके दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। भोजन करते समय आपको अपने सर्विंग्स पर नज़र रखना चाहिए। कम कैलोरी, पोषक तत्वों के समृद्ध-खाद्य पदार्थों और उच्च-कैलोरी के छोटे हिस्से, उच्च-सोडियम खाद्य पदार्थ के बड़े हिस्से आदर्श हैं।
प्रो-टिप: अपने भागों को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए छोटे कटोरे या प्लेटों का उपयोग करना शुरू करें और अंततः भोजन की सही मात्रा में खाने के आदतन प्राप्त करें।फल और सब्जियों के लिए हाँ कहें: फल और सब्जियां आहार फाइबर में समृद्ध हैं। इनमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो हृदय रोग को रोकने में मदद करते हैं। वे विटामिन और खनिजों के अच्छे स्रोत भी हैं। एक पूर्ण पौधे के आहार से हृदय रोग का खतरा कम हो गया है।

प्रो-टिप: आपको पूर्ण रूप में फल खाना चाहिए और सभी फाइबर का उपभोग करने के लिए उन्हें रस बनाने से बचना चाहिए।साबुत अनाज चुनें: परिष्कृत अनाज उत्पादों को साबुत अनाज के साथ प्रतिस्थापित किया जा सकता है। साबुत अनाज में उच्च फाइबर होते हैं और रक्तचाप को विनियमित करने में भूमिका निभाते हैं। पूरे गेहूं का आटा, पूरे अनाज की रोटी, उच्च-फाइबर अनाज, और दलिया कुछ पूरे-अनाज उत्पाद हैं जो चुनने के लिए हैं।
स्वस्थ वसा चुनें: सभी वसा अस्वस्थ नहीं हैं। आप उस अधिकार को पढ़ते हैं। आम जनता के बीच गर्भाधान सभी वसा को उच्च कोलेस्ट्रॉल से संबंधित करना है। उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल से दिल का दौरा पड़ सकता है। वसा के प्रकारों को जानना महत्वपूर्ण है- संतृप्त और ट्रांस वसा, उनकी खपत को सीमित करने और नियंत्रित करने के लिए।
वसा लेने के लिए: नट, बीज, वनस्पति तेल और जैतून का तेल। वसा से बचने के लिए: ग्रेवी, क्रीम और मक्खन।चीनी का सेवन सीमित करना: चीनी की खपत सीधे कैलोरी के सेवन से संबंधित है। उच्च कैलोरी स्तर का अर्थ है हृदय रोग के विकास का अधिक जोखिम। चीनी को 75 प्रतिशत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में जोड़ा जाता है। आपको चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अपने सेवन की निगरानी करनी चाहिए।
प्री-प्लान योर मील: अपने दिन के साथ चलते समय अपने संतुलित भोजन पर सक्रिय रूप से निर्णय लेना एक कठिन काम हो सकता है। दिन से पहले अपने मेनू की योजना बनाना फायदेमंद है ताकि आपको पोषक तत्वों के अपने सेवन के बारे में चिंता करने की ज़रूरत न हो।
आपको हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए अपने आहार में 'सुपरफूड्स' जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि शीर्ष अस्पताल स्वस्थ हृदय युक्तियों के बारे में विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करे, तो आप संपर्क कर सकते हैं j अलप्पा अस्पताल कोलार । भोजन और पेय पदार्थों को बेहतर दिल की देखभाल (दिल की देखभाल के टिप्स) के लिए लेने के लिए:अंडे
अखरोट
शकरकंद
संतरे
बीन्स
गाजर
सेब
कॉफी
ग्रीन टी
जामुन
रेड वाइन
टमाटर
मछली
कम वसा वाले डेयरी उत्पाद
केले
ग्रीक दही
किशमिश
ब्रोकोलीखाद्य पदार्थ एक स्वस्थ दिल से बचने के लिए:नारियल
मलाईदार सॉस के साथ सब्जियां
तली हुई सब्जियां
जोड़ा चीनी के साथ जमे हुए फल
रेड मीट
फास्ट फूड
चिप्स
सोडा
इससे आपका हार्ट को मजबूत कैसे करे स्वस्थ भोजन के अलावा, एक सरल- अपने दिल के लिए भोजन की योजना के लिए । इस योजना में भोजन और स्नैक्स में हृदय के अनुकूल खाद्य पदार्थ शामिल हैं: पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां, फल, साबुत अनाज, नट, दुबला प्रोटीन, और हृदय-स्वस्थ वसा, चीजों को कम कैलोरी के साथ स्वादिष्ट रखने के लिए और बहुत अधिक सोडियम को जोड़ने के बिना।

अपने पीने की होड़ को नियंत्रित करें

यदि आप शराब के नियमित उपभोक्ता हैं, तो आपके लिए शराब के सेवन को सीमित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का समय है। यह ध्यान दिया गया है कि नियमित रूप से शराब की खपत से किसी व्यक्ति पर घातक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर हृदय पर।

शराब के बजाय

आपको हर दिन बहुत सारा पानी पीना चाहिए। आपको शराब की मात्रा को कम करके शुरू करना चाहिए, धीरे -धीरे और धीरे -धीरे एक पूरे दिन को पीने के बिना जब तक आप पूरी तरह से नहीं छोड़ते।

 एक तनाव-मुक्त जीवन का नेतृत्व करें

रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करना आज की उम्र में एक दौड़ से कम नहीं है। यह स्पष्ट है कि हर कोई हर दिन विभिन्न प्रकार और तनाव के विस्तार से निपटता है। न केवल आपका मानसिक स्वास्थ्य बल्कि आपका दिल का स्वास्थ्य भी इस सुसंगत और अत्यधिक तनाव से प्रभावित है।

आपके लिए यह सीखना सलाह दी जाती है कि तनाव को पूरी तरह से तनाव-मुक्त करने के लिए तनाव का प्रबंधन कैसे करें, धीरे-धीरे। धैर्य और ईमानदारी की मात्रा के बाद तनाव प्रबंधन आसान हो सकता है। ध्यान, उपचार संगीत, और श्वास व्यायाम प्राइम स्ट्रेस हीलर हैं और हर दिन प्रदर्शन किया जा सकता है।

अपने दांतों को दैनिक ब्रश करें

आप दिल के स्वास्थ्य से संबंधित एक लेख में दंत स्वच्छता के बारे में कैसे पढ़ रहे हैं? अस्पष्ट? खैर, मत बनो। क्योंकि आपका दंत स्वास्थ्य आपके समग्र हृदय स्वास्थ्य को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

हृदय शरीर के कई कार्यों से बंधा हुआ है और कई प्रतीत होता है कि असंबंधित कार्यों से प्रभावित हो सकता है। बैक्टीरिया के बीच एक कड़ी है जो मसूड़ों की बीमारी और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम का कारण बनती है। इसलिए हर दिन अपने दांतों को ब्रश करना और फ्लॉस करना आपके मुंह और अपने दिल की देखभाल करना महत्वपूर्ण है।जिससे हृदय मजबूत करने के उपाय पता चलते है।

मॉनिटरिंग डायबिटीज

यदि आपके पास मधुमेह है, तो आपके लिए अपने समग्र स्वास्थ्य की निगरानी करना अनिवार्य हो जाता है। यह न केवल अपने मधुमेह की निगरानी करना है, बल्कि हृदय रोग जैसी अन्य बीमारियों से बचने के लिए भी है। एक मधुमेह रोगी में उच्च-कैलोरी स्तर उसे/उसे हृदय की बीमारी से अधिक प्रवण बनाता है। इसलिए मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए नियमित चेक-अप आयोजित किया जाना चाहिए।

अपने मधुमेह चेकअप की नियमित स्क्रीनिंग लेने से आपको अपने दिल के स्वास्थ्य के बारे में सूचित करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर आपको पहले से तैयार होने दें। आप अपनी योजना के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं और अपनी स्क्रीनिंग का एक लॉग बनाए रख सकते हैं।

 रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल

उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल दोनों हानिकारक हैं जहां तक ​​हृदय स्वास्थ्य का संबंध है। रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग को ट्रैक और निगरानी करना महत्वपूर्ण है। वे अब तक रोजमर्रा के कामकाज में कोई समस्या पैदा नहीं कर रहे हैं, लेकिन लंबे समय तक हानिकारक हैं। उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर से दिल का दौरा पड़ सकता है।

अपने वजन का प्रबंधन

हम पहले से ही हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधि और एक स्वस्थ आहार की आवश्यकता पर चर्चा कर चुके हैं। अब, हम आपको उस जीवन शैली को अपनाने के लिए और कारण देते हैं: मोटापा या स्वस्थ वजन की आवश्यकता।

अधिक वजन होना हृदय रोग के लिए एक और जोखिम कारक माना जाता है। इसलिए, आपके लिए हर दिन कसरत करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है और एक संतुलित आहार खाता है। मोटापा अधिक हृदय की समस्याओं का कारण बनता है और उनसे बचने के लिए इलाज किया जाना चाहिए।

एक अच्छी रात की नींद लेना

सोते समय सभी उम्र के लोगों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। न केवल इसलिए कि यह नियमितता को बढ़ाता है, बल्कि इसलिए भी कि यह आपको 7-8 घंटे की नींद को कवर करने देता है।

नींद तब होती है जब शरीर की मरम्मत होती है। आपके दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने के लिए गुणवत्ता और अविभाजित नींद आवश्यक है।

 आगे बढ़ें और कुछ चॉकलेट

खाएं

यह सही है। हम आपको चॉकलेट खाने के लिए कह रहे हैं, लेकिन चूंकि हमने आपको कैलोरी बनाए रखने के लिए भी कहा है, इसलिए सही चॉकलेट चुनना महत्वपूर्ण है।

डार्क चॉकलेट को ओवरविटेड मिल्क चॉकलेट के रूप में चुना जाना चाहिए क्योंकि इसमें दिल से स्वस्थ फ्लेवोनोइड्स हैं। इसलिए दोषी महसूस न करें और अपने मीठे दांत को लिप्त करें।

नमक पर काटें - स्वस्थ हृदय युक्तियाँ

उच्च नमक का सेवन उच्च रक्तचाप की ओर जाता है जिससे आगे हृदय रोग होता है। तो एक स्वस्थ दिल के लिए, यह आवश्यक है कि आप पूरे दिन में लवण को काटें

आपको रेडीमेड खाद्य पदार्थों से बचने की आवश्यकता होगी क्योंकि वे उच्च स्तर के नमक के साथ पैक किए जाते हैं।

 जोर से हंसो 

हँसी सबसे अच्छी दवा है। यह कहावत हृदय स्वास्थ्य में सुधार के पक्ष में भी काम करती है। न केवल लंबे समय तक जीना महत्वपूर्ण है, बल्कि खुश रहना भी है। ज़ोर से हंसते हुए (न केवल सिर्फ पाठ संदेशों में बल्कि वास्तविक जीवन में) मुख्य रूप से हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। हँसी तनाव को कम करती है और हृदय रोग के जोखिम को कम करती है।

 खाद्य लेबल पढ़ें

हम सभी उनके एमआरपी के लिए खाद्य पैकेट की जाँच करने में अभ्यस्त हैं। अब फूड लेबल पढ़ना शुरू करने का समय आ गया है क्योंकि आप जो खाते हैं उसे जानना और निगरानी करना, आपके आहार का प्रबंधन करने में मदद करेगा। एक स्वस्थ और संतुलित आहार होने से दिल की देखभाल में सुधार करने में मदद मिलेगी।

गहराई से साँस लें,

संगीत सुनें, अधिक पढ़ें और जीवन जीएं

रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में छोटी चीजों का आनंद लेने से आपको स्वस्थ अंगों के साथ एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी। हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए, आपको अधिक बार मुस्कुराना चाहिए, आराम से संगीत सुनना चाहिए, किताबें पढ़ना चाहिए, और अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन में गहराई से सांस लेना चाहिए। चूंकि यह सब तनाव और दबाव को कम करने में मदद करता है, इसलिए यह हृदय की बीमारी को खाड़ी में रखेगा।

 स्वस्थ हृदय युक्तियाँ

एक ही बार में उपरोक्त सभी चरणों को व्यवहार में करना मुश्किल हो सकता है। हम आपको धीरे -धीरे शुरू करने की सलाह देते हैं और अपनी जीवनशैली को मामूली रूप से बदलते हैं। हार्ट केयर टिप्स का पालन करें, एक सिगरेट को काटकर, एक गिलास अल्कोहल को कम करना, एक दिन में फलों और सब्जियों का एक हिस्सा खाना, दो दिनों में एक एरोबिक सत्र, और इसी तरह। एक बार जब आप इन परिवर्तनों के अनुकूल हो जाते हैं, तो प्रेरणा और समर्पण के साथ, आप अपनी दिनचर्या में बड़े बदलाव करने की ओर बढ़ेंगे।

27.10.23

सौंठ के फायदे और नुकसान

 


क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबल स्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है (1)। इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है