पीलिया यकृत की विकृति अर्थात यकृत के रोगग्रस्त होने के कारण होने वाला रोग है | यकृत के रोग ग्रस्त होने के बाद सबसे पहले लक्षण के रूप में पीलिया (Jaundice) ही प्रकट होता है | इसमें रोगी के त्वचा, नाखूनों, आँखों, एवं मूत्र में पीले रंग की अधिकता हो जाती है | इसका मुख्य कारण रक्त में पित रस की अधिकता (Bile Juice) होना होता है | वैसे दिखने में यह बहुत ही साधारण सा रोग प्रतीत होता है , लेकिन अगर सही समय पर उपचार एवं उचित आहार न लिए जाएँ तो पीलिया जानलेवा रोग बन जाता है |
पीलिया और अन्य लिवर विकारों से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार की मदद ली जा सकती है। पीलिया एक बहुत ही आम यकृत विकार है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बहुत अधिक बिलीरुबिन रक्त में घूल जाता है। (बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं से हीमोग्लोबिन के टूटने से उत्पन्न एक यौगिक है)। पीलिया एक शब्द है जिसका उपयोग त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों का पीला रंग, रक्त में सीरम बिलीरुबिन की अपर्याप्त समाशोधन और बढ़ी हुई मात्रा के कारण होता है।
लिवर में खराबी की पहचान
पेट के एक हिस्से में लगातार दर्द होना: वैसे तो पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते है लेकिन अगर आपके पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से या पसलियों के नीचे दाहिने भाग में लगातार दर्द हो रहा है तो इसका मतलब आपके लिवर में कुछ खराबी है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उन फूड का सेवन कम करें जिससे आपकी स्थिति बिगड़ने की आशंका हो जैसे जंक फूड, फास्ट फूड आदि।
पेट पर सूजन आना:
पेट पर सूजन आ जाना या फिर पेट बाहर की ओर निकल जाना लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी का संकेत है। इस स्थिति में आपके पेट में तरल पदार्थ जमा होने लगता है और आंतों से रक्तस्राव होने लगता है। अगर समय रहते इस स्थिति का उपचार ना किया जाए तो लिवर कैंसर की शिकायत हो सकती है।
स्किन पर रैशेज़ की समस्या:
पीलिया होना:
वजन कम होना:
मुंह से बदबू आना
अगर आपके मुंह में लगातार बदबू (Smell in Mouth) आने की समस्या रहती है तो यह लिवर में खराबी या उसके कमजोर होने का एक संकेत हो सकता है। मुंह से बदबू आना शरीर में पानी की कमी के कारण भी हो सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। ऐसा करने से आपके मुंह से बदबू नहीं आती है। दरअसल सिरोसिस (Cirrhosis) की परेशानी होने पर रक्त में मौजूद डाइमिथाइल सल्फाइड (Dimethyl sulfide) की वजह से भी ऐसा होता है।
त्वचा पर नीली रेखाएं पड़ना
अगर आपका लिवर कमजोर हो गया है या उसमें किसी प्रकार की खराबी आ गई है या फिर वह सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो आपकी त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसे नीली रेखाएं बनने लगती है। ऐसा शरीर में एस्ट्रोजन (Estrogen) की मात्रा बढ़ने की वजह से भी होता है। इसलिए त्वचा पर भी जब आपको ऐसा लगे कि नीली रंग की रेखाएं उभरने लगी हैं तो समझ लीजिए कि आपका लिवर कमजोर हो चुका है।
हथेलियों का लाल होना
अगर आपकी हथेलियां नियमित रूप से लाल रहने लगी है या फिर उनमें आपको रैशेज जैसी दिक्कत हो रही है तो या उनमें जलन व खुजली हो रही हैं तो समझ लीजिए आपका लिवर कमजोर होने लगा है और आपके लिवर में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत आ रही है।
मूली के कुछ पत्ते लें और एक छलनी की मदद से इसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर रस प्रतिदिन पीने से लगभग दस दिनों में रोगी को पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है।
पपीता के पत्ते
एक चम्मच पपीते के पत्तों के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे नियमित रूप से लगभग एक या दो सप्ताह तक खाएं। यह पीलिया के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू इलाज है।
गन्ना
गन्ना उचित पाचन और उचित यकृत के कार्य में मदद करता है, जिससे रोगी को पीलिया ( Jaundice) से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। एक गिलास गन्ने का रस लें और इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए इस रस को रोजाना दो बार पियें। गन्ने से रस निकालने से पहले गन्ने को अच्छी तरह साफ करना सुनिश्चित करें।
तुलसी के पत्ते
लगभग 10-15 तुलसी के पत्ते लें और इसका पेस्ट बना लें। इसमें आधा गिलास ताजा तैयार मूली का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए लगभग दो से तीन सप्ताह तक इस जूस को रोजाना पिएं।
आंवला
आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और Jaundice (पीलिया) के लक्षणों को कम करने में बहुत उपयोगी है।
पीलिया का इलाज जौ:liver disease
जौ का पानी बनाने के लिए जो को लगभग तीन लीटर पानी में उबालें और इसे लगभग तीन घंटे तक उबालने दें। Jaundice (पीलिया) से जल्दी ठीक होने के लिए इस पानी को दिन भर में जितनी बार पी सकें पीयें।
टमाटर का रस
एक गिलास टमाटर का रस, एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पीना पीलिया के लिए बहुत प्रभावी घरेलू उपाय है।
एलो वेरा के पत्ते
भारतीय एलोवेरा की पत्तियों का गूदा लें और इसे काले नमक और अदरक के साथ मिलाएं। इसे रोज सुबह लगभग दस दिनों तक लें।
चुकंदर और नींबू का रस:liver disease
एक कप चुकंदर का रस लें और इसमें नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावी परिणाम के लिए कुछ दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करें।
चिकोरी प्लांट
जड़ी बूटी (फल, पत्ते, फूल, बीज और जड़) का एक रस बनाएं। इस रस का एक चम्मच दिन में कई बार लें। इसका प्रयोग कम से कम 15 दिन करें। जिगर की समस्याओं को ठीक करने में पौधे के सभी भाग उपयोगी होते हैं। फूल, बीज और जड़ें उपयोग किए जाने वाले अधिक सामान्य भाग हैं। शिमला मिर्च का रस तिल्ली के बढ़ने, जिगर की सुस्ती का इलाज करने में मदद करता है और यह पित्त के स्वस्थ स्राव को भी बढ़ावा देता है।
पीलिया को जड़ से ख़त्म करे छाछ:liver disease
पर्याप्त मात्रा में छाछ लें, उसमें भुनी हुई फिटकरी (roasted alum) और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाएं। इन्हें अच्छे से मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।
बादाम
बादाम की 8 , दो खजूर और पांच इलायची लें और उन्हें पानी में भिगो दें। इसे रात भर छोड़ दें। सुबह में, छिलके को हटा दें और इसका पेस्ट बनाएं। थोड़ी चीनी और मक्खन मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में कई बार लें।
एक गिलास गर्म पानी लें और इसमें एक चुटकी हल्दी मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाएं और दिन में तीन या चार बार पिएं।
लौकी के पत्ते
लगभग 7-10 पत्ते लें और इसे एक कप पानी में उबालें और इसे ठंडा होने दें। 10-15 धनिया के बीज लें और इसे आधा लीटर पानी में उबालें। इसे पहले से तैयार काढ़े के साथ मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।
पीलिया का रामबाण इलाज केला:liver disease
पके केले को मसल लें और थोड़ा शहद मिलाएं और इसे दिन में कम से कम दो बार पीलिया के प्रबंधन में बेहतर परिणाम के लिए लें।
गाजर का रस
ताजा गाजर का रस जूसर की मदद से या क्रशिंग और एक्सट्रैक्टिंग विधि से बनाएं। Jaundice (पीलिया) के प्रभावी इलाज के लिए इस रस को दिन में कई बार पिएं। इसे रोगी के आहार में भी शामिल किया जा सकता है।
सूखे बेल के पत्ते लें और पीसकर पाउडर बना लें। इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए इसे दिन में एक बार पियें।
नींबू
नींबू में उपलब्ध एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पीलिया (jaundice) के इलाज में मदद करता है। यह पित्त नलिकाओं को भी अनब्लॉक करता है, जिससे यह पीलिया के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपाय बन जाता है। 2 नींबू का रस निचोड़ें और इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। दिन में तीन बार इस थोड़ा-थोड़ा पीयें, क्योंकि यह जिगर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है।
दवाइयों से ज्यादा आहार की व्यवस्था इस रोग में आराम पहुंचती है | हमेशां रोगी के लिए क्या खाना है और क्या नहीं खाना की एक लिस्ट होनी चाहिए उसी के अनुसार रोगी को आहार देना चाहिए | बहुत से भोजन एसे है जो रोग को कम करने की बजाय और अधिक बढ़ा देतें है | इस रोग में निम्न आहार को अपनाना लाभदायक होता है |
इस रोग में गन्ने का रस लेना सर्वोतम सिद्ध होता है | हमेशां साफ़ एवं स्वच्छ गन्ने का रस सेवन करे , इससे जल्द ही पीलिया कम होने लगता है |
प्रात: के समय गन्ने के रस के साथ नारंगी का जूस भी सेवन करना फायदेमंद होता है |
संतरे का सेवन करे | संतरे का जूस निकाल कर भी सेवन कर सकते है |
पीलिया रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है | नित्य सुबह एवं शाम नारियल के पानी का सेवन करे |
अनार का रस लिया जा सकता है |
डाभ एवं जौ के पानी से भी पीलिया उतरने लगता है |
मूली के साफ़ सुथरे पतों को लेकर इनका जूस निकाल ले | इसका सेवन प्रात: काल के समय करना चाहिए |
दही में पानी मिलाकर इसकी छाछ बना ले एवं सेवन करे |
रात के समय एक गिलास पानी में मुन्नका को भिगों दे | सुबह मुन्नका के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पीलें |
अनार , संतरा, अंगूर आदि फलों का सेवन इस रोग में लाभकारी होता है |
पपीता का सेवन करें |
मौसमी, पपीता, चीकू, अनार, संतरा आदि फलों का या इनके रस का सेवन करना चाहिए |
हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें |
उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें , अन्यथा रोग को गंभीर होते समय नहीं लगता |
शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है |
आसानी से पचने योग्य आहार को लेना चाहिए। आमतौर पर पहले 4 से 5 दिनों के लिए तरल आहार की सलाह दी जाती है।
मसाले और वसा के बिना उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार लेने की सलाह दी जाती है।
हमेशा उबला हुआ पानी पियें। तरल पदार्थों का एक अच्छा सेवन मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को हटाने में मदद करता है। सुनिश्चित करें कि आप साफ, बिना प्रदूषित पानी पीते हैं।
सब्जियों और फलों के रस को कच्चे या स्टीम्ड रूप में लिया जाना चाहिए, क्योंकि वे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को विनियमित करने में मदद करते हैं। डिब्बाबंद जूस से बचें।
लगभग एक सप्ताह तक फलों का रस रोगी के लिए बहुत प्रभावी है।
एक बार जब बिलीरुबिन का स्तर कम होने लगता है, तो हल्के खाद्य पदार्थ जैसे फल, दही और दलिया को आहार में जोड़ा जा सकता है। इस समय गाजर और पालक जैसी सब्जियों का भी सेवन कर सकते हैं। दुबले प्रोटीन की कुछ मात्रा जल्दी ठीक होने में मदद करेगी और इसलिए आप अंडे का सेवन भी कर सकते हैं। यह सलाह दी जाती है कि अपने भोजन को छोटे भागों में विभाजित करें और दिन में उन्हें बार बार खाएं।
जैसा कि बिलीरुबिन का स्तर लगभग सामान्य स्तर पर कम हो जाता है, आप अपने आहार में चावल, मछली या दाल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए किसी तेल का उपयोग नहीं किया गया है। मछली को उबला हुआ या स्टीम्ड हो तो खा सकते हैं। मांस या मुर्गी खाने से बचें क्योंकि इस समय इसे पचाना मुश्किल हो सकता है।
एक बार पीलिया के लक्षण कम हो गए हैं और रोगी को इसके लिए डॉक्टर की मंजूरी मिल गई है, तो जैतून के तेल में पकाए गए खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से बचने की कोशिश करें और जो इस समय पचाने में मुश्किल होते हैं क्योंकि शरीर को अपने सामान्य कामकाज को फिर से हासिल करने के लिए समय की आवश्यकता होती है।
करेला और सहजन की फली (ड्रमस्टिक) पीलिया के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
कैल्शियम और अन्य खनिजों जैसे आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
सोडा और कोल्ड ड्रिंक का सेवन ना करें:
हेपेटाइटिस:
नींद की कमी होना:
सिगरेट और शराब की लत होना:
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स्किन पर रैशेज़ की समस्या:
स्किन पर शुरुआत में खुजली और फिर त्वचा पर पड़ने वाले चकत्ते लिवर में खराबी आने की ओर इशारा करते हैं। अगर आपकी स्किन रूखी होने लगी है तो समझ लीजिए कि आपका लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। त्वचा का नम बने रहना जरूरी होता है इसलिए हाइड्रेट रखने वाले फूड का सेवन करते रहें।
पीलिया होना:
अगर आपके कुछ दिनों से आंखों का रंग पीला और त्वचा का रंग सफेद हो रहा है तो यह इस बात का संकेत है कि आपके खून में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगा है। इस स्थिति में आपके शरीर से अनावश्यक पदार्थों का बाहर निकलना संभव नहीं हो पाता।
वजन कम होना:
अगर आपका वजन बिना किसी वजह के कम हो रहा है तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। लिवर में किसी प्रकार की खराबी आने पर भूख कम लगने लगती है, जिस कारण वजन कम होना शुरू हो जाता है। इस स्थिति में आपको इलाज लेने की आवश्यकता होती है।
मुंह से बदबू आना
अगर आपके मुंह में लगातार बदबू (Smell in Mouth) आने की समस्या रहती है तो यह लिवर में खराबी या उसके कमजोर होने का एक संकेत हो सकता है। मुंह से बदबू आना शरीर में पानी की कमी के कारण भी हो सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। ऐसा करने से आपके मुंह से बदबू नहीं आती है। दरअसल सिरोसिस (Cirrhosis) की परेशानी होने पर रक्त में मौजूद डाइमिथाइल सल्फाइड (Dimethyl sulfide) की वजह से भी ऐसा होता है।
त्वचा पर नीली रेखाएं पड़ना
अगर आपका लिवर कमजोर हो गया है या उसमें किसी प्रकार की खराबी आ गई है या फिर वह सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो आपकी त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसे नीली रेखाएं बनने लगती है। ऐसा शरीर में एस्ट्रोजन (Estrogen) की मात्रा बढ़ने की वजह से भी होता है। इसलिए त्वचा पर भी जब आपको ऐसा लगे कि नीली रंग की रेखाएं उभरने लगी हैं तो समझ लीजिए कि आपका लिवर कमजोर हो चुका है।
मल में परिवर्तन आना:
लिवर खराब होने की स्थिति में किसी भी व्यक्ति को कब्ज और अपच की शिकायत होने लगती है। इस स्थिति के लंबे वक्त तक बने रहने से मल में खून आने लगता है और मल का रंग काला हो जाता है।
थकान महसूस होना:
ज्यादा देर तक काम करने के बाद थकान होना स्वाभाविक है। लेकिन अगर आपने पूरे दिन कुछ काम नहीं किया फिर भी आपको थकान महसूस हो रही है, चक्कर आने जैसा महसूस हो रहा है और मांसपेशियों में कमजोरी सी लग रही है तो यह आपके लिवर खराब होने का संकेत है।|
हथेलियों का लाल होना
अगर आपकी हथेलियां नियमित रूप से लाल रहने लगी है या फिर उनमें आपको रैशेज जैसी दिक्कत हो रही है तो या उनमें जलन व खुजली हो रही हैं तो समझ लीजिए आपका लिवर कमजोर होने लगा है और आपके लिवर में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत आ रही है।
मूली के पत्ते
मूली के कुछ पत्ते लें और एक छलनी की मदद से इसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर रस प्रतिदिन पीने से लगभग दस दिनों में रोगी को पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है।
पपीता के पत्ते
एक चम्मच पपीते के पत्तों के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे नियमित रूप से लगभग एक या दो सप्ताह तक खाएं। यह पीलिया के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू इलाज है।
गन्ना
गन्ना उचित पाचन और उचित यकृत के कार्य में मदद करता है, जिससे रोगी को पीलिया ( Jaundice) से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। एक गिलास गन्ने का रस लें और इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए इस रस को रोजाना दो बार पियें। गन्ने से रस निकालने से पहले गन्ने को अच्छी तरह साफ करना सुनिश्चित करें।
तुलसी के पत्ते
लगभग 10-15 तुलसी के पत्ते लें और इसका पेस्ट बना लें। इसमें आधा गिलास ताजा तैयार मूली का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए लगभग दो से तीन सप्ताह तक इस जूस को रोजाना पिएं।
आंवला
आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और Jaundice (पीलिया) के लक्षणों को कम करने में बहुत उपयोगी है।
पीलिया का इलाज जौ:liver disease
जौ का पानी बनाने के लिए जो को लगभग तीन लीटर पानी में उबालें और इसे लगभग तीन घंटे तक उबालने दें। Jaundice (पीलिया) से जल्दी ठीक होने के लिए इस पानी को दिन भर में जितनी बार पी सकें पीयें।
टमाटर का रस
एक गिलास टमाटर का रस, एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पीना पीलिया के लिए बहुत प्रभावी घरेलू उपाय है।
एलो वेरा के पत्ते
भारतीय एलोवेरा की पत्तियों का गूदा लें और इसे काले नमक और अदरक के साथ मिलाएं। इसे रोज सुबह लगभग दस दिनों तक लें।
चुकंदर और नींबू का रस:liver disease
एक कप चुकंदर का रस लें और इसमें नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावी परिणाम के लिए कुछ दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करें।
चिकोरी प्लांट
जड़ी बूटी (फल, पत्ते, फूल, बीज और जड़) का एक रस बनाएं। इस रस का एक चम्मच दिन में कई बार लें। इसका प्रयोग कम से कम 15 दिन करें। जिगर की समस्याओं को ठीक करने में पौधे के सभी भाग उपयोगी होते हैं। फूल, बीज और जड़ें उपयोग किए जाने वाले अधिक सामान्य भाग हैं। शिमला मिर्च का रस तिल्ली के बढ़ने, जिगर की सुस्ती का इलाज करने में मदद करता है और यह पित्त के स्वस्थ स्राव को भी बढ़ावा देता है।
पीलिया को जड़ से ख़त्म करे छाछ:liver disease
पर्याप्त मात्रा में छाछ लें, उसमें भुनी हुई फिटकरी (roasted alum) और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाएं। इन्हें अच्छे से मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।
बादाम
बादाम की 8 , दो खजूर और पांच इलायची लें और उन्हें पानी में भिगो दें। इसे रात भर छोड़ दें। सुबह में, छिलके को हटा दें और इसका पेस्ट बनाएं। थोड़ी चीनी और मक्खन मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में कई बार लें।
हल्दी:liver disease
एक गिलास गर्म पानी लें और इसमें एक चुटकी हल्दी मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाएं और दिन में तीन या चार बार पिएं।
लौकी के पत्ते
लगभग 7-10 पत्ते लें और इसे एक कप पानी में उबालें और इसे ठंडा होने दें। 10-15 धनिया के बीज लें और इसे आधा लीटर पानी में उबालें। इसे पहले से तैयार काढ़े के साथ मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।
पीलिया का रामबाण इलाज केला:liver disease
पके केले को मसल लें और थोड़ा शहद मिलाएं और इसे दिन में कम से कम दो बार पीलिया के प्रबंधन में बेहतर परिणाम के लिए लें।
गाजर का रस
ताजा गाजर का रस जूसर की मदद से या क्रशिंग और एक्सट्रैक्टिंग विधि से बनाएं। Jaundice (पीलिया) के प्रभावी इलाज के लिए इस रस को दिन में कई बार पिएं। इसे रोगी के आहार में भी शामिल किया जा सकता है।
बेल के पत्ते
सूखे बेल के पत्ते लें और पीसकर पाउडर बना लें। इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए इसे दिन में एक बार पियें।
नींबू
नींबू में उपलब्ध एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पीलिया (jaundice) के इलाज में मदद करता है। यह पित्त नलिकाओं को भी अनब्लॉक करता है, जिससे यह पीलिया के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपाय बन जाता है। 2 नींबू का रस निचोड़ें और इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। दिन में तीन बार इस थोड़ा-थोड़ा पीयें, क्योंकि यह जिगर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है।
मटर के पत्ते
मटर के पत्तों के रस को कुचलकर रस निकाल लें और पीलिया के इलाज के लिए इस रस का कम से कम 60 मिली प्रतिदिन सेवन करें। इनमें से फलियां भी बहुत पौष्टिक होती हैं और इन्हें आहार में जोड़ा जा सकता है।
पीलिया रोगी का आहार;liver disease
दवाइयों से ज्यादा आहार की व्यवस्था इस रोग में आराम पहुंचती है | हमेशां रोगी के लिए क्या खाना है और क्या नहीं खाना की एक लिस्ट होनी चाहिए उसी के अनुसार रोगी को आहार देना चाहिए | बहुत से भोजन एसे है जो रोग को कम करने की बजाय और अधिक बढ़ा देतें है | इस रोग में निम्न आहार को अपनाना लाभदायक होता है |
इस रोग में गन्ने का रस लेना सर्वोतम सिद्ध होता है | हमेशां साफ़ एवं स्वच्छ गन्ने का रस सेवन करे , इससे जल्द ही पीलिया कम होने लगता है |
प्रात: के समय गन्ने के रस के साथ नारंगी का जूस भी सेवन करना फायदेमंद होता है |
संतरे का सेवन करे | संतरे का जूस निकाल कर भी सेवन कर सकते है |
पीलिया रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है | नित्य सुबह एवं शाम नारियल के पानी का सेवन करे |
अनार का रस लिया जा सकता है |
डाभ एवं जौ के पानी से भी पीलिया उतरने लगता है |
मूली के साफ़ सुथरे पतों को लेकर इनका जूस निकाल ले | इसका सेवन प्रात: काल के समय करना चाहिए |
दही में पानी मिलाकर इसकी छाछ बना ले एवं सेवन करे |
रात के समय एक गिलास पानी में मुन्नका को भिगों दे | सुबह मुन्नका के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पीलें |
अनार , संतरा, अंगूर आदि फलों का सेवन इस रोग में लाभकारी होता है |
पपीता का सेवन करें |
मौसमी, पपीता, चीकू, अनार, संतरा आदि फलों का या इनके रस का सेवन करना चाहिए |
हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें |
उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें , अन्यथा रोग को गंभीर होते समय नहीं लगता |
शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है |
आसानी से पचने योग्य आहार को लेना चाहिए। आमतौर पर पहले 4 से 5 दिनों के लिए तरल आहार की सलाह दी जाती है।
मसाले और वसा के बिना उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार लेने की सलाह दी जाती है।
हमेशा उबला हुआ पानी पियें। तरल पदार्थों का एक अच्छा सेवन मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को हटाने में मदद करता है। सुनिश्चित करें कि आप साफ, बिना प्रदूषित पानी पीते हैं।
सब्जियों और फलों के रस को कच्चे या स्टीम्ड रूप में लिया जाना चाहिए, क्योंकि वे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को विनियमित करने में मदद करते हैं। डिब्बाबंद जूस से बचें।
लगभग एक सप्ताह तक फलों का रस रोगी के लिए बहुत प्रभावी है।
एक बार जब बिलीरुबिन का स्तर कम होने लगता है, तो हल्के खाद्य पदार्थ जैसे फल, दही और दलिया को आहार में जोड़ा जा सकता है। इस समय गाजर और पालक जैसी सब्जियों का भी सेवन कर सकते हैं। दुबले प्रोटीन की कुछ मात्रा जल्दी ठीक होने में मदद करेगी और इसलिए आप अंडे का सेवन भी कर सकते हैं। यह सलाह दी जाती है कि अपने भोजन को छोटे भागों में विभाजित करें और दिन में उन्हें बार बार खाएं।
जैसा कि बिलीरुबिन का स्तर लगभग सामान्य स्तर पर कम हो जाता है, आप अपने आहार में चावल, मछली या दाल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए किसी तेल का उपयोग नहीं किया गया है। मछली को उबला हुआ या स्टीम्ड हो तो खा सकते हैं। मांस या मुर्गी खाने से बचें क्योंकि इस समय इसे पचाना मुश्किल हो सकता है।
एक बार पीलिया के लक्षण कम हो गए हैं और रोगी को इसके लिए डॉक्टर की मंजूरी मिल गई है, तो जैतून के तेल में पकाए गए खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से बचने की कोशिश करें और जो इस समय पचाने में मुश्किल होते हैं क्योंकि शरीर को अपने सामान्य कामकाज को फिर से हासिल करने के लिए समय की आवश्यकता होती है।
करेला और सहजन की फली (ड्रमस्टिक) पीलिया के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
कैल्शियम और अन्य खनिजों जैसे आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
सोडा और कोल्ड ड्रिंक का सेवन ना करें:
कोल्ड ड्रिंक और सोडा में बहुत ज्यादा शुगर की मात्रा होती है। इससे आपका वजन बढ़ता है साथ ही ये लिवर के लिए भी खतरनाक हैं। लंबे समय तक सोडा और कोल्ड ड्रिंक के सेवन से लिवर डैमेज होने का खतरा होता है। इसका खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जो पहले से ही मोटे हैं।
अत्याधिक शराब का सेवन -
शराब का ज्यादा सेवन करना भी आपके लिवर को खराब कर देता है।
मोटापा खतरनाक है:
मोटापा शरीर के लिए खतरनाक है। जरूरत से ज्यादा खाने से शरीर में एक्सट्रा फैट हो जाता है, जो स्टोरिंग सेल से बाहर आकर लिवर में जमा होने लगता है। इससे लिवर डैमेज होने लगता है। लिवर फैटी होने से हार्ट और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है इसलिए अपने आहार और एक्सरसाइज पर ध्यान दें।
हेपेटाइटिस:
हेपेटाइटिस के कारण लिवर प्रभावित होता है और इसमे सूजन आ जाती है। अगर सही समय पर हेपेटाइटिस का इलाज ना किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले लेती है जिसे फाइब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर तक हो सकता है। एल्कोहल, गंदे पानी और ऑटोइम्यून डिजीज के कारण हेपेटाइटिस का खतरा होता है।
नींद की कमी होना:
नींद की कमी के कुछ ऐसे प्रभाव हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। जिस वजह से हम लिवर को नुकसान पहुँचा देते है। नींद की कमी से लीवर पर अधिक दबाव पड़ता है। लीवर के साथ साथ अपने शरीर के अन्य अंगों को ठीक रखने के लिए भी हमें 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है।
सिगरेट और शराब की लत होना:
सिगरेट की आदत एक जानवेला आदत है जो आपके शरीर को किसी भी तरह से नुकसान पहुँचा सकती है। सिगरेट के धुए में पाए जाने वाले जहरीले केमिकल्स अंत में आपके लीवर तक पहुँचते हैं और लिवर सेल्स को नुकसान पहुँचाते हैं। इसके अलावा शराब लिवर के लिए जहर की तरह काम करता है। लंबे वक्त तक अधिक मात्रा में शराब पीने वाले लोगों का लिवर फेल हो सकता है।
- लिपि 12308
- शब्द 2643
- वाक्य 1
- पैराग्राफ 0
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