गोखरू एक बहुत ही गुणकारी एवं दिव्य जड़ी बूटी है | आयुर्वेद में गोखरू के पंचमूल का उपयोग करके बहुत सी प्रभावी औषधियां बनायी जाती हैं | मूत्र विकार, किडनी के रोग, शारीरिक क्षमता एवं पौरुष कामशक्ति बढाने के लिए गोखरू का उपयोग किया जाता है | गोखरू से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियां :-
गोक्षुरादी चूर्ण
गोखरू पाक
गोक्षुरादी क्वाथ
त्रिकंटादि क्वाथ
गोक्षुरुदि गुग्गूलू
गोक्षुरादी चूर्ण
गोखरू पाक
गोक्षुरादी क्वाथ
त्रिकंटादि क्वाथ
गोक्षुरुदि गुग्गूलू
गोखरू पाक बनाने की विधि, फायदे एवं उपयोग
यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है | प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए | आइये जानते हैं गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में :-
गोखरू (चूर्ण किया हुवा) – 64 तोला
दूध – 256 तोला
लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च
कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था
सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी
आंवला, पीपल, नागकेशर
जायफल, जावित्री, अजवायन, खस
सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)
गो घृत – 32 तोला
चाशनी
गोखरू पाक बनाने के लिए इन सभी जड़ी बूटियों की आवश्यकता होती है |
गोक्षुर एक ताक़तवर जड़ी बूटी है एवं यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है | सर्दियों में गोखरू के लड्डू या गोखरू पाक का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है | शरीर में आई कमजोरी को दूर करने के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि है |
गोखरू का महीन चूर्ण बना लें |
इस चूर्ण को दूध में अच्छे से पका कर खोवा बना लें |
अब इस खोवे को गो घृत में भुन लें |
ध्यान रखें इसे धीमी आंच पर भुने |
अब अन्य सभी द्रव्यों का चूर्ण बना उन्हें मिला लें |
इस चूर्ण को चाशनी तैयार कर उसमें मिला देवें |
अब खोवा और चाशनी के मिश्रण को मिला लें |
इस तरह से उत्तम श्रेणी का गोखरू पाक तैयार हो जाता है |
अनुपान कैसे करें :-
गोखरू पाक को रोजाना 2- 3 चम्मच दूध या ठन्डे पानी के साथ सेवन करें या रोगानुसार अनुपान करें |
आइये जानते हैं गोखरू पाक के फायदे एवं उपयोग के बारे में |
अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है | यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है | मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
अर्श रोग नाशक है |
क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है |
मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है |
बलवर्धक एवं पौष्टिक है |
प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है |
वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें |
गर्भाशय को सशक्त बनाता है |
गोखरू पाक शुक्र जनित दुर्बलता को दूर करता है |
यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है | प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए | आइये जानते हैं गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में :-
गोखरू (चूर्ण किया हुवा) – 64 तोला
दूध – 256 तोला
लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च
कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था
सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी
आंवला, पीपल, नागकेशर
जायफल, जावित्री, अजवायन, खस
सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)
गो घृत – 32 तोला
चाशनी
गोखरू पाक बनाने के लिए इन सभी जड़ी बूटियों की आवश्यकता होती है |
गोक्षुर एक ताक़तवर जड़ी बूटी है एवं यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है | सर्दियों में गोखरू के लड्डू या गोखरू पाक का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है | शरीर में आई कमजोरी को दूर करने के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि है |
गोखरू का महीन चूर्ण बना लें |
इस चूर्ण को दूध में अच्छे से पका कर खोवा बना लें |
अब इस खोवे को गो घृत में भुन लें |
ध्यान रखें इसे धीमी आंच पर भुने |
अब अन्य सभी द्रव्यों का चूर्ण बना उन्हें मिला लें |
इस चूर्ण को चाशनी तैयार कर उसमें मिला देवें |
अब खोवा और चाशनी के मिश्रण को मिला लें |
इस तरह से उत्तम श्रेणी का गोखरू पाक तैयार हो जाता है |
अनुपान कैसे करें :-
गोखरू पाक को रोजाना 2- 3 चम्मच दूध या ठन्डे पानी के साथ सेवन करें या रोगानुसार अनुपान करें |
आइये जानते हैं गोखरू पाक के फायदे एवं उपयोग के बारे में |
अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है | यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है | मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
अर्श रोग नाशक है |
क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है |
मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है |
बलवर्धक एवं पौष्टिक है |
प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है |
वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें |
गर्भाशय को सशक्त बनाता है |
गोखरू पाक शुक्र जनित दुर्बलता को दूर करता है |
विशिष्ट परामर्श
किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि लक्षणों में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार जीवन-रक्षक सिद्ध होती है|डायलिसिस पर आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|