अमूमन लोगों से पैर या शरीर के किसी अंग में सुन्नता की शिकायत सुनने को मिलती है, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम ही पता चल पाता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये समस्या खून के थक्के होने के कारण होता है। खून के थक्के ज्यादातर पैरों में यानी पैर की नसों में पाए जाते हैं। चलने में समस्या, सुन्नता, दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। खून के थक्के की समस्या की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है। पैरों की जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो एक चेन रिएक्शन होता है जिसके अंत में खून के थक्के जमने लगते हैं, जिसके कारण रक्त का बहाव रूक जाता है और शरीर में रक्त को जमाने वाले फार्मेंटर की मात्रा बढ़ जाती है।
हालांकि खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट अपने आप बनता है और यह सामान्य प्रक्रिया में क्षतिग्रस्त नलिकाओं की मरम्मत करने का भी काम करता है। ऐसा न हो तो चोट लगने पर शरीर में खून का बहाव रोकना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा। हमारे प्लाज्मा में मौजूद प्लेटलेट्स और प्रोटीन, चोट की जगह पर रक्त के थक्के का निर्माण करके रक्त के बहाव को रोकते हैं। आमतौर पर चोट के ठीक होने पर खून का थक्का अपने आप घुल जाता है। लेकिन खून के थक्के के न घुलने और लंबे समय तक बने रहने पर सेहत के लिए खतरनाक होता है, जिसके लिये सही जांच एवं उपचार की जरूरत होती है। बिना उपचार लंबे समय तक रहने पर रक्त के थक्के धमनियों या नसों में चले जाते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से जैसे आंख, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और गुर्दे आदि में पहुंच उन अंगों के काम को बाधित कर देते हैं।
खून का गाढ़ा होने का मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी नहीं|इससे छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरागलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार, अक्सर लोग सोचते हैं कि खून का गाढ़ा होना मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी है। आपको बता दें कि खून का गाढ़ा होना कई कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। इससे आपको छोटे-छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।शरीर के सभी हिस्सों को सही से कार्य करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम खून करता है। ऐसे में खून के गाढ़ा होने से कई परेशानियां हो सकती हैं।
आजकल बहुत से लोगों में खून के गाढ़ेपन की समस्या आम सुनने को मिल रही है। इसके लिए कहीं न कहीं हमारा गलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार है।
खून में थक्के के कारण-
सारा दिन किसी एक स्थान या दफ्तर में लगातर बैठ कर काम करने से खून में थक्के की समस्या होती है। इसके अलावा इसके स्वभाविक कारणों में बुढ़ापा, मोटापा, धूम्रपान की लत, वैरिकॉज वेन्स (कुछ मामलों में), लंबे समय लेटे रहने पर (हड्डी जोड़ने के लिये प्लास्टर लगने के कारण, कोई ऑप्रेशन होने के कारण, लंबे सफर में, इत्यादि) तथा हार्मोंन असंतुलन के कारण (कुछ मामलों में) भी खून में थक्के की समस्या हो सकती है। एक नए शोध के अनुसार, जो लोग लगातार 10 घंटे तक काम करते हैं और इस दौरान कोई विराम नहीं लेते तो उनमें खून के थक्के जमने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह अध्ययन काम के बीच लिए जाने वाले विराम के महत्त्व को दिखाता है।
आपके हाथ या पैर की गहरी नसों में बनने वाले थक्के को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है। इस तरह के थक्के काफी खतरनाक होते हैं क्योंकि ये आसानी से आपके दिल या फेफड़ों तक जा सकते हैं। जिस जगह आपको थक्के बनते हैं वहां आपको सूजन, दर्द, ऐंठन, सनसनी और खुजली हो सकती है।
इसके अलावा त्वचा का रंग गहरा लाल या नीला पड़ जाए तो यह भी ब्लड क्लॉट का संकेत हो सकता है।
चक्कर आना आँखों के आगे अँधेरा छा जाना या किसी भी शरीर के किसी अंग में सुन्नपन ये सब शरीर के किसी भी भाग में (Blood) खून के थक्के होने के कारण होता है डीप वेन थ्रोमबोसिस (डीवीटी) बीमारी है शरीर की नसों में (Blood) खून जमने की. ये ब्लड क्लॉट आम तौर पर पैरों की नसों में पाए जाते हैं. हालांकि ये एक बहुत ही आम बीमारी है लेकिन अनदेखी करने पर थ्रोमबोसिस जानलेवा भी हो सकती है.जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो हमारे शरीर में एक चेन रियेक्शन होता है जिसके अंत में खून के थक्के जमने लगते हैं जिससे इंसान का खून बहना बंद हो जाता है. जिसे थ्रौमबोसिस नाम की ये बीमारी होती है उसके शरीर में खून को जमाने वाले इस किण्वक की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है.
खून का थक्का जमने के लक्षण
खून का थक्का जमने के जो शुरुआती लक्षण होते हैं उनका पता कर पाना संभव नहीं होता है। असल में शुरुआत में जो प्रभावित हिस्सा होता है वो लाल पड़ जाता है और पैरों में हल्का दर्द होता है जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर उन लक्षणों को अनदेखा करने से ही व्यक्ति को आगे चलकर बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। खून के थक्के जमने के और भी कई लक्षण हैं जो निम्न हैं–
पसीना आना और इसके साथ ही हरदम घबराहट होना।
अचानक से कमज़ोरी महसूस करना।
चेहरे या हाथों–पैरों का अचानक से सुन्न हो जाना।
चलने में समस्या आना।
मस्तिष्क पर प्रभावी पड़ना जैसे कि सुनने समझने में दिक्कत महसूस करना।
संतुलन बनाने में दिक्कत होना।
जो प्रभावित हिस्सा होता है उसमें सूजन, दर्द और गरमाई महसूस करना।
बार–बार सिर चकराना।
गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी इसकी समस्या हो जाती है।
मोटापे की वजह से खून के थक्के जम जाते हैं।
मोनोपॉज़ यानी कि जिनकी मासिक धर्म की क्रिया समाप्त हो जाती है उन्हें भी इस समस्या से जूझना पड़ सकता है।
हल्दी
हल्दी में कुदरती औषधिय गुण होते हैं। यह ब्लड क्लॉटिग रोकने में भी बहुत कारगर है। हफ्ते में 2 या 3 बार हल्दी वाला दूध पीएं। कच्ची हल्दी का सेवन भी खून के गाढ़ेपन को ठीक करने का काम करती है।
लहसुन
लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में जमा फ्री रेडिकल को खत्म करने का काम करते हैंश जिससे ब्लड प्रैशर सामान्य रहता है और यह खून के प्रवाह को संतुलित करने के साथ खून को पतला करने में भी मददगार है।
फाइबर फूड
खून तो पतला करने के लिए आहार में फाइबर युक्त आहार को जरूर शामिल करें। ब्राउन राइस, होव वीट, मक्का, गाजर, ब्रोकली, मूली, सेब, शलजम, ओट्स आदि का सेवन करें।
फिश ऑयल
फिश ऑयल खून को पतला करने में मददगार है। चिकन,मटन को छोड़कर मछली के तेल का सेवन करें। डॉक्टर की सलाह से फिश फिश ऑयल के टैबलेट्स भी ले सकते हैं।
केयेन मिर्च
मसालेदार खाना खाने के शौकीन हैं तो केयेन मिर्च को खाने में शामिल करें। इसमें खून को पतला करने के लिए उच्च मात्रा में सेलिसिलेट होता है। जो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखकर ब्लड सर्कुलेशन नियमित करने के साथ खून को भी पतला करता है।
यह भी हैं कुछ उपाय
पसीना आना जरूरी
खून को साफ और गाढ़ा होने से बचाने के लिए शरीर से पसीना बहाना बहुत जरूरी है। एक्सरसाइज या फिर योग के लिए समय जरूर निकालें।
गहरी सांस लें
सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन सेहत के लिए बहुत अच्छी है। गहरी सांस लेने से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। जिससे रक्त संचार सही रहता है।
डेड स्किन निकालें
त्वचा पर जमा डेड स्किन रोम छिद्रों को बंद कर देती है। जिससे रक्त संचार भी प्रभावित होता है। महीने में 1-2 बार मैनी क्योर और पैडी क्योर जरूर करवाएं। इससे डैड स्किन सैल निकल जाते हैं और खून की दौरा भी बेहतर हो जाता है।
सेंधा नमक डालकर स्नान करें
अगर आप इस मौसम में बार बार नहाने का बहाना ढूंढते हैं तो यह एक फायदेमंद बहाना है। सेंधा नमक स्वस्थ ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। अगली बार जब भी आप आरामदायक स्नान के बारे में सोचे तो बबल बाथ की जगह सेंधा नमक को पानी में डालकर नहाएं।
सुबह की सैर
हेल्दी रहना है तो जब सूरज उगता है उस समय वॉक पर जाएं। सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन का स्तर थोड़ा ज्यादा होता है, ये सेहत के लिए बहुत अच्छी मानी गई है। गहरी सांसें लें, इससे आपके फेफड़ों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती हे, जिससे आपकी बॉडी का ब्लड फ्लो सही बना रहता है। सुबह सवेरे वॉक करने से आप तरोतजा महसूस करते हैं।
*काली चाय यानी ब्लैक टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि काली चाय खून को गाढ़ा बनने से रोकती है जिस वजह से धमनियों में खून का थक्का जमने से रूकता है। यह नसों में खून के प्रभाव को सरल बनाती है जिस वजह से ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो भी आपको खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
वजन को नियंत्रित करें।
फल, सब्जियों और अनाज का सेवन अधिक और नमक और फैट का सेवन कम करें।
धूम्रपान छोड़े और कम मात्रा में शराब का सेवन करें।
ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवायें।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो आपको ब्लड क्लॉट यानी (Blood) खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक टीम ने पाया है कि सेब, संतरा और प्याज में ‘रूटिन’ नामक रसायन धमनियों और शिराओं में (Blood) खून के थक्के जमने से रोक सकता है। उनका मानना है कि ‘रूटिन’ ब्लैक और ग्रीन टी में भी हो सकता है। इसका इस्तेमाल भविष्य में दिल का दौरा पडऩे से बचाने के लिए इलाज के तौर पर हो सकता है।
शरीर के इन 5 अंगों में खून का थक्का बनने पर जा सकती है जान
फेफड़े
शरीर के अलग-अलग अंगों में थक्का बनने पर आपको अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। फेफड़े में खून का थक्का (blood clot) बनने से आपकी धड़कन तेज हो सकती है, सीने में दर्द हो सकता है, खांसी में खून आ सकता और सांस की तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल पहुंचें।
दिल
दिल में खून का थक्का बनने पर आपको फेफड़ों में थक्के के समान लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन अगर आपको दिल का दौरा पड़ा है, तो आपको सीने में दर्द के साथ मतली और उल्टी भी महसूस हो सकती है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे।
मस्तिष्क
जब रक्त सामान्य रूप से प्रवाहित नहीं हो पाता है तो मस्तिष्क पर दबाव बनना शुरू हो जाता है। खून का थक्का बनने से मस्तिष्क में गंभीर रुकावट पैदा हो सकती है, और कभी-कभी स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है। रक्त से ऑक्सीजन के बिना आपके मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरना शुरू हो जाती हैं। आपके मस्तिष्क में मौजूद थक्का सिर के एक हिस्से में दर्द, भ्रम, दौरे, बोलने में परेशानी और कमजोरी का कारण बन सकता है।
पेट
अक्सर इसके कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं। पेट और भोजन नली की नसों में थक्का बनने से कट लग सकता है, जिससे ब्लड निकल सकता है। ये आपको बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है। आपको खून की उल्टी हो सकती है या फिर आपको मलत्याग में कालापन और बहुत ज्यादा बदबू आ सकती है।
किडनी
खून के थक्के किडनी में आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं और ये समस्या ज्यादातर व्यस्कों में देखने को मिलती है। इसके लक्षणों का पता आपको तब तक नहीं लगता है जब तक इसका एक टुकड़ा टूटकर आपके फेफड़ों में नहीं फंस जाता है। दुर्लभ मामलों में ये बच्चों में होते हैं और इसके कारण बच्चों तो मतली, बुखार और उल्टी हो सकती है। आपको पेशाब में भी खून दिखाई दे सकता है।
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