आज कल हर व्यक्ति को पेट से सम्बंधित कुछ न कुछ परेशानी लगी रहती है. यह परेशानी लीवर में गड़बड़ी की वजह से अधिक होती हैं. खान पान पर विशष ध्यान नहीं दे पाते हैं, जिसकी वजह से लीवर ख़राब हो जाता है. इसमें लीवर का फैटी होना, सूजन आ जाना और लीवर में इन्फेक्शन हो जाना शामिल है. यदि हमारा खाना ठीक प्रकार सेनहीं पच रहा है या हमे पेट में किसी प्रकार की परेशानी आ रही हैं तो हमे समझ जाना चाहिए की ये लीवर की खराबी के लक्षण हैं.
लीवर हमारे शरीर का एक प्रमुख अंग है। यह हमारे शरीर में भोजन पचाने से लेकर पित्त बनाने तक का काम करता है। लीवर शरीर को संक्रमण से लड़ने, रक्त शर्करा या ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने, शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने, फैट को कम करने तथा प्रोटीन बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। अत्यधिक मात्रा में खाने, शराब पीने एवं अनुचित मात्रा में फैट युक्त भोजन करने से फैटी लीवर जैसे रोग होने की संभावना रहती है। आप घर पर ही फैटी लीवर का इलाज कर सकते हैं।
फैटी लीवर होने के कारण
आपको फैटी लीवर का इलाज करना है फैटी लीवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लीवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है।फैटी लीवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-
अत्यधिक शराब पीना
आनुवांशिकता
मोटापा
फैटी फूड और मसालेदार खाने का सेवन
रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
मधुमेह या डायबिटीज
स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन
पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
वायरल हेपाटाइटिस
फैटी लिवर के अन्य उपाय
लिवर को रोग व फैटी लिवर से बचाव करने के लिए निम्न उपाय अपना सकते है।
जैसे – अपने आहार में विटामिन ई का सेवन करना चाहिए।
शरीर के वजन को संतुलित करने के लिए योगा, व्यायाम करना चाहिए।
अत्यधिक चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए।
उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करे।
शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
फैटी लिवर की समस्या होने पर कैफीन यानि चाय व कॉफी नहीं पीना चाहिए।
अपने जीवनशैली में सुधार करने की आवश्कयता होती है।
लिवर में खराबी के लक्षण
लिवर की खराबी के कई लक्षण हो सकते हैं। कुछ आम लक्षण हैं जैसे –
मुंह से स्मैल आना।
आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ना।
पेट में हमेशा दर्द रहना।
भोजन का सही ढंग से नहीं पचना।
त्वचा पर सफ़ेद धब्बे पड़ना।
यूरीन या स्टूल का गहरा रंग।
लिवर की खराबी के कुछ अन्य भी लक्षण हो सकते हैं, जो टेस्ट के बाद ही पता चल पाते हैं।
घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
रात को सोने से पहले दूध में हल्दी मिला कर पीयें क्योंकि हल्दी इम्यूनिटी बूस्टर होती हैं और यह हेपेटाइटिस बी व सी के कारण होने वाले वायरस को बढ़ने से रोकता हैं। इसके अलावा यह डायबिटीज, फैटी लिवर, इंसुलिन और मोटापे जैसी खतरनाक बीमारियों से भी आपकी हेल्प करती है।
एक गिलास पानी में एक चम्मच एप्पल साइडर सिरका एवं शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार लें। यह बॉडी में मौजूद टॉक्सिन को निकालने में हेल्प करता हैं। जिससे आपका लिवर हेल्दी रहता है। खाना खाने से पहले सेब का सिरका पीने से फॅट कम होती है।
हल्दी एक तरह की आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग फैटी लिवर के उपचार में किया जाता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण और एंटीऑक्सीडेंट उच्च मात्रा में होता है। यदि रोजाना हल्दी का उपयोग भोजन में करते है तो फैटी लिवर का जोखिम कम होता है। इसके अलावा हेपेटाइटिस बी व सी वायरस से खतरा कम रहता है। इसलिए दूध में हल्दी मिलाकर सेवन कर सकते है। आप चाहे तो एक ग्लास गुनगुने पानी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर सेवन करना चाहिए।
एक गिलास पानी में एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर को डालकर 12 घंटे के लिए रख दें। 12 घंटे बाद अश्वगंधा वाले पानी को अच्छे से उबालें। लहसुन एक बेहतरीन जड़ीबूटी है जो फैट को कम करने में फायदेमंद होता है। लिवर में फैट बढ़ने पर लहसुन का सेवन करना चाहिए। लहसुन में ऐसा यौगिक होता है जो नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर रोग से सुरक्षा प्रदान करता है। शरीर के अतिरिक्त चर्बी को कम करने में लहसुन उपयोगी होता है। लहसुन का उपयोग सुप व सलाद के रूप में कर सकते है। इसके अलावा सुबह खाली पेट लहसुन की कालिया का सेवन कर सकते हैं।
गाजर में मौजूद विटमिन ए लिवर की बीमारी को रोकता है। इसका जूस लीवर की गर्मी और सूजन को भी कम करता है। लीवर सिरोसिस में पालक व गाजर का मिश्रित रस फायदेमंद साबित होता है। गाजर में इनप्लांट
फ्लेवोनॉयड्स और बीटा-कैरोटीन नामक तत्व भी पाए जाते हैं जो लीवर के सुचारू संचालन में सहयोग करते हैं।
फैटी लिवर का उपचार ग्रीन टी –
ग्रीन टी आयुर्वेदिक उपचार में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। कुछ अध्ययन के अनुसार ग्रीन टी में कैटेचीन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह लिवर में सूजन की समस्या को ठीक करता है। शरीर में वसा को कम करने के लिए ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए। यदि लिवर को रोगो से बचाना है तो चाय की जगह ग्रीन टी लेना शुरू कर दे।
फैटी लिवर का इलाज प्याज – प्याज एक सब्जी है जिसमे कई तरह के पोषक तत्व होता है जो स्वास्थ्य समस्या को कम करता है। आयुर्वेदिक उपचार मे प्याज के उपयोग से फैटी लिवर का उपचार किया जाता है। प्याज में एलियम और एलिल डाइसल्फाइड यौगिक होता है यह संक्रमण दूर करने में मदद करता है। कच्ची प्याज का सेवन कर फैटी लिवर को कम किया जा सकता है।
फैटी लिवर का इलाज प्याज – प्याज एक सब्जी है जिसमे कई तरह के पोषक तत्व होता है जो स्वास्थ्य समस्या को कम करता है। आयुर्वेदिक उपचार मे प्याज के उपयोग से फैटी लिवर का उपचार किया जाता है। प्याज में एलियम और एलिल डाइसल्फाइड यौगिक होता है यह संक्रमण दूर करने में मदद करता है। कच्ची प्याज का सेवन कर फैटी लिवर को कम किया जा सकता है।
नींबू व संतरे करे फैटी लिवर का औषधी –
नींबू और संतरे में उच्च मात्रा में विटामिन सी होता है जो शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है। आयुर्वेदिक उपचार में नींबू व संतरे का उपयोग फैटी लिवर की समस्या ठीक करने में किया जाता है। लिवर को मजबूत करने के लिए खाली पेट नींबू के रस का सेवन कर सकते है। इसके अलावा संतरे का सेवन कर सकते है। यह शरीर से हानिकारक पदार्थ को बाहर निकालता है और फैटी लिवर की समस्या को कम करता है।
लहसुन
लहसुन लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों या टॉक्सिंस को हटाने में मदद करता है। वह उन एंजाइम को सक्रिय करता है जो टॉक्सिंस को हटाते हैं। इसके अलावा इसमें एलिसिन का उच्च स्तर होता है जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबायोटिक और एंटिफंगल गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें सेलेनियम भी होता है जो एंटीऑक्सिडेंट की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाता है। ये लिवर को साफ करने में सहायता करते हैं।
एवोकाडो करे फैटी लिवर का औषधी –
प्याज से फैटी लिवर का इलाज
आयुर्वेद में फैटी लिवर का उपचार प्याज से करने को कहा जाता है. आयुर्वेद मानता है कि फैटी लिवर के रोगी को प्याज का सेवन करना चाहिए. फैटी लिवर डिजीज के मरीज को दिन में 2 बार प्याज खाना चाहिए. कच्चे प्याज का सेवन फैटी लिवर में फायदेमंद होता है.
छाछ से फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार
संतुलित भोजन के साथ छाछ का सेवन फैटी लिवर की बीमारी में फायदेमंद होता है. भारतीय खान-पान में छाछ का विशेष स्थान है. फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज में छाछ के सेवन की सलाह दी जाती है.
यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "दामोदर उदर रोग हर्बल " अपने चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे अत्यंत प्रभावशाली है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी निराश रोगी इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क करें|
लहसुन लिवर में मौजूद विषैले पदार्थों या टॉक्सिंस को हटाने में मदद करता है। वह उन एंजाइम को सक्रिय करता है जो टॉक्सिंस को हटाते हैं। इसके अलावा इसमें एलिसिन का उच्च स्तर होता है जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबायोटिक और एंटिफंगल गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें सेलेनियम भी होता है जो एंटीऑक्सिडेंट की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाता है। ये लिवर को साफ करने में सहायता करते हैं।
एवोकाडो करे फैटी लिवर का औषधी –
आयुर्वेद के अनुसार एवोकाडो को रोजाना अपने फलो में शामिल करना चाहिए। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और खनिज होता है जो स्वास्थ्य की अनगिनत समस्या को दूर करता है। यह लिवर के सूजन को कम करता है साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य करता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। एवोकाडो को नाश्ते में शामिल करे व फैटी लिवर को कम करें।
*आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत हैं यह liver को कार्यशील बनाने में हेल्प करता हैं। हेल्दी लिवर के लिए दिन में 4-5 आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए।
*आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा स्रोत हैं यह liver को कार्यशील बनाने में हेल्प करता हैं। हेल्दी लिवर के लिए दिन में 4-5 आंवले का सेवन जरूर करना चाहिए।
पपीता
पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
पपीता में मौजूद बीटा कैरोटीन, कोलीन, फाइबर, फोलेट, पोटैशियम, विटामिन-ए, विटामिन-बी और विटामिन-सी शरीर के लिए एक नहीं बल्कि कई दृष्टिकोण से लाभकारी होते हैं। वहीं कच्चे पपीते में लेटेक्स (latex) और पपाइन (papain) की मौजूदगी इसे पौष्टिक बनाता है। इसलिए लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज पपीते से किया जाता है।
*सेब और हरी पत्तेदार सब्जियां डाइजेस्टिव में उपस्थित टॉक्सिन को बाहर निकलने में और लिवर को हेल्दी रखने में हेल्प करता हैं।
प्याज से फैटी लिवर का इलाज
आयुर्वेद में फैटी लिवर का उपचार प्याज से करने को कहा जाता है. आयुर्वेद मानता है कि फैटी लिवर के रोगी को प्याज का सेवन करना चाहिए. फैटी लिवर डिजीज के मरीज को दिन में 2 बार प्याज खाना चाहिए. कच्चे प्याज का सेवन फैटी लिवर में फायदेमंद होता है.
*आंवले के बारे में तो आपने सुना ही हैं लेकिन क्या भुई – आंवला के बारे में जानती हैं, शायद नहीं लेकिन यह एक ऐसी औषधि हैं जो हमारे लिवर को संपूर्ण सुरक्षा देती हैं। इसका प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।
छाछ से फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार
संतुलित भोजन के साथ छाछ का सेवन फैटी लिवर की बीमारी में फायदेमंद होता है. भारतीय खान-पान में छाछ का विशेष स्थान है. फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज में छाछ के सेवन की सलाह दी जाती है.
यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "दामोदर उदर रोग हर्बल " अपने चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे अत्यंत प्रभावशाली है|
*****************