16.12.23

हल्दी और सरसों के तेल के फायदे,लिवर और किडनी को रखे सुरक्षित


भारतीय किचन में अधिकतर लोग हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल खाना तैयार करने में किया जाता है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण स्वास्थ्य के जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। रोजाना हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह स्किन संबंधी परेशानियों को दूर कर सकता है। साथ ही मोटापा भी कंट्रोल करने में प्रभावी है. इतना ही नहीं, हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करने से शरीर की सूजन को कम की जा सकती है। आज हम इस लेख में हल्दी और सरसों तेल के फायदों के बारे में जानेंगे।
हल्दी और सरसों के तेल का सेवन करने से सेहत को कई तरह के लाभ मिलते हैं। हल्दी और सरसों के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल और एंटीवायरल के गुण पाए जाते है, जो स्वास्थ्य के जुड़ी कई समस्याओं को दूर करते है। साथ ही नियमित रूप से हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। दर्द को कम करने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का सेवन करना फायदेमंद होता है। साथ ही ये हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। तो आइए जानते हैं हल्दी और सरसों के तेल के फायदे के बारे में

हल्दी और सरसों के तेल के फायदे

हार्ट के लिए हेल्दी

हल्दी, सरसों तेल और नमक का एक साथ इस्तेमाल करने से आप हार्ट को स्वस्थ रख सकते हैं। दरअसल, हल्दी और सरसों तेल में खून को साफ करने का गुण होता है। साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर कर सकता है, जिसकी मदद से आप हार्ट डिजीज के खतरों को कम कर सकते हैं।
हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल एक साथ मिलाकर खाने से ब्लड प्यूरीफाय होता है और क्लॉटिंग की आशंका कम होती है। जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है।

लिवर और किडनी को रखे सुरक्षित 

हल्दी और सरसों के तेल का खाने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। इससे शरीर के संक्रमण को भी दूर कर सकते हैं। साथ ही किडनी इंफेक्शन की समस्या को दूर करने में भी हल्दी और सरसों तेल काफी फायदेमंद हो सकता है। हल्दी और सरसों तेल का सेवन आप खाने में शामिल करके कर सकते हैं।

कब्ज से राहत 

कब्ज की परेशानी को दूर करने के लिए हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करें। यह आपके पाचन के लिए हेल्दी हो सकता है। इसके सेवन से आप गैस, कब्ज जैसी परेशानियों को कम कर सकते हैं

दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद

दर्द और सूजन को कम करने के लिए हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही हल्दी में करक्यूमिन गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इसलिए हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से शरीर में दर्द और सूजन की समस्या दूर रहती है।

दांतों की बढ़ाए चमक

हल्दी, नमक और सरसों तेल का एक साथ इस्तेमाल करने से आप अपने दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं। यह दांतों की चमक को बढ़ाने में प्रभावी होता है। इसका प्रयोग करने के लिए 1 चम्मच सरसों तेल लें। इसमें 1 चुटकी नमक और हल्दी मिक्स करें। अब इस मिश्रण को उंगलियों की मदद से अपने दांतों को साफ करें। इससे दांतों की चमक बढ़ेगी।

स्किन को स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद

स्किन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इनका इस्तेमाल करने से स्किन को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसलिए रोजाना स्किन और चेहरे पर हल्दी और सरसों का तेल लगाने से स्किन इंफेक्शन और स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

मुंह की बदबू से राहत


मुंह की बदबू को कम करने के लिए आप सरसों तेल, हल्दी और नमक के मिश्रण से मंजन कर सकते हैं। यह मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मददगार हो सकता है। सुबह ब्रश करने के बाद आप इस मिश्रण से कुछ मिनटों तक मंजन करें। इससे लाभ मिलेगा।


10.12.23

मोटा पेट और लटकती तोंद को काबू में लाने वाली सब्जियां






वजन कम करने के लिए लिए अपने खानपान में बदलाव करना सबसे ज्यादा जरूरी माना जाता है. अगर आप पेट की चर्बी या पेट के मोटापे से परेशान हैं और चाहते हैं कि आप भी दूसरों की तरह स्लिम और फिट दिखें तो आपको अपने खाने में कुछ चीजों को शामिल करने की जरूरत है. आप अगर प्रोपर वेट लॉस डाइट भी फॉलो नहीं करते हैं तो भी सामान्य चीजों को खाकर फैट बर्न कर सकते हैं. पेट कम कैसे करें? मोटापा घटाने के तरीके सबके लिए एक जैसा काम नहीं करते हैं, लेकिन कैलोरी का ध्यान रखना जरूरी है. ये आप भी जानते हैं कि हम जाने अनजाने में हाई कैलोरी वाली चीजें खा लेते हैं, लेकिन हम इसे आसानी से रोक सकते हैं. आपको बस अपनी डाइट में कुछ हाई फाइबर वाली सब्जियों को शामिल करना और रात के खाने में डेली इन्हें बदल-बदलकर खाना है. कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा. चलिए जानते हैं कौन सी सब्जियां वजन घटाने में मददगार साबित हो सकती हैं.

लौकी

लौकी, वेट लॉस करने वालों के लिए परफेक्ट सब्जी है। इस सब्जी में 90 प्रतिशत तक पानी होता है। इसके अलावा इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो कि मेटाबोलिज्म को तेज करता है और पाचन क्रिया में तेजी लाता है। इसके अलावा ये शरीर को डिटॉक्सीफाई करने में तेजी से काम करता है जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है।

गाजर

गाजर में प्रचुर मात्रा में घुलनशील फाइबर होता है. ये कैरोटीनॉयड और ल्यूटिन जैसे प्लांट कंपाउंड का भी एक बड़ा स्रोत है. कैरोटीनॉयड इम्यून फंक्शन को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है. साथ ही वजन घटाने में भी कारगर साबित हो सकता है.

पालक

पालक खा कर आप सच में अपना वजन घटा सकते हैं। इसका प्रोटीन वेट लॉस में तेजी से मदद करता है और मेटाबोलिक रेट बढ़ाता है। इसके अलावा इसका फाइबर बॉवेल मूवमेंट को तेज करने में भी मददगार है। तो, वेट लॉस के लिए पालक की स्मूदी पिएं या फिर इसे ऐसे ही सलाद में खाएं।

चुकंदर

चुकंदर जड़ वाली सब्जी है जो घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर प्रदान करती हैं. चुकंदर भी नाइट्रेट का एक अच्छा स्रोत है, जो आपकी ब्लड वेसल्स को चौड़ा करने और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है. साथ ही वजन घटाने में भी लाभकारी है.

खीरा

वेट लॉस में खीरा काफी कारगर तरीके से आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, खीरे में पानी की अच्छी मात्रा होती है जो कि शरीर में हाइड्रेशन लेवल को बढ़ाता है और बॉवेल मूवमेंट को तेज करता है। साथ ही ये पेट को भरा रखता है और भूख कंट्रोल करता है। इसके अलावा इसका फाइबर, मेटाबोलिज्म बढ़ता है और आंतों में चिपके फैट को बाहर निकालते हुए वेट लॉस में तेजी से मदद करता है।

फूलगोभी

फूलगोभी कम कार्ब वाली और हाई फाइबर वाली सब्जी है. अपने फाइबर सेवन को बढ़ाने के लिए चावल, स्टेक और चिकन विंग्स की जगह फूलगोभी लें. इसे रात के खाने में शामिल कर वजन घटाने में आसानी होती है.

बैंगन

बैंगन में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर होते हैं. इसके साथ ही ये एंटीऑक्सीडेंट, एंथोसायनिन का शक्तिशाली स्रोत है. यही चीज बैंगन को उनका गहरा बैंगनी रंग प्रदान करती है. ये सभी तत्व वजन लॉस में मददगार माने जाते हैं.

करेला

यह एक लो कैलोरी वाली सब्जी है जो अच्छी मात्रा में घुलनशील फाइबर देती है. अपना फैट कम करना चाहते हैं तो इस सब्जी को डाइट में शामिल करना तो बनता है. वजन घटाने के लिए करेला को कई तरीके से डाइट में शामिल किया जा सकता है.

पत्ता गोभी

पत्ता गोभी को आप वेट लॉस डाइट में कई प्रकार से शामिल कर सकते हैं। आप इसे कच्चा खा सकते हैं। आप इसका सूप पी सकते हैं। यानी कि आप पत्ता गोभी का कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं और इसका फाइबर और रफेज शरीर में जमा चर्बी को साफ करने में मदद करेगा।

ब्रोकली

ब्रोकली में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होने के साथ हाई कैलोरी भी होती है। यानी कि इसे खा कर आपका पेट लंबे समय तक के लिए भरा रह सकता है। साथ ही इसके माइक्रोन्यूट्रीएंट्स वेट लॉस में काफी मदद करते हैं और इसलिए इसे वेट लॉस डाइट का हिस्सा बनाया जाता है।

9.12.23

सेहत के गुणों से भरपूर ड्रेगन फ्रूट रखता है कई बीमारियों को दूर


 


ड्रैगन फ्रूट में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन्स की मात्रा भरपूर होती है, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हैं.ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा काफी ज्यादा होती है. इस वजह से अगर आप रोज इसका सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर को फ्री रेडिकल से होने वाले नुकसान से सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी.इससे ह्रदय रोगों के जोखिम को भी कम किया जा सकता है.
ड्रैगन फ्रूट में फाइबर की अधिकता होती है जिस वजह से यह आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और वजन को कंट्रोल करने में भी आपकी मदद करता है.
ड्रैगन फ्रूट - चमकीले छिलके वाला फल जिसका गूदा काले बीजों से युक्त होता है - फिटनेस प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है। विदेशी फल, जिसे कैक्टस फल, ड्रैगन पर्ल फल और पिटाया भी कहा जाता है, अपने अनोखे रूप और स्वाद के लिए पसंद किया जाता है। हाल ही में, शेफ कुणाल कपूर ने भी इस उष्णकटिबंधीय फल के बारे में इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा: “हालांकि लोग मुख्य रूप से इसके अनूठे रूप और स्वाद के लिए इसका आनंद लेते हैं

इम्यूनिटी-

ड्रैगन फ्रूट में मौजूद विटामिन सी और कैरोटीनॉयड आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ा देने में मदद कर सकते हैं. इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप ड्रैगन फ्रूट का सेवन कर सकते हैं.

. आयरन-

ड्रैगन फ्रूट को आयरन से भरपूर माना जाता है. अगर आपके अंदर खून की कमी है तो आप ड्रैगन फ्रूट का सेवन कर सकते हैं. रोजाना इसे खाने से एनीमिया की कमी को दूर कर सकते हैं.एनीमिया के लक्षणों को भी कम करने में मदद मिलेगी. रोजाना ड्रैगन फ्रूट खाने से हिमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है.

स्किन-

ड्रैगन फ्रूट में मौजूद विटामिन सी त्वचा में कोलेजन का उत्पादन करने, बालों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने में मदद कर सकता है.

हार्ट-

ड्रैगन फ्रूट में ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स होते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं.

डायबिटीज-

ड्रैगन फ्रूट को लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फ्रूट माना जाता है. ड्रैगन फ्रूट को डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी फल माना जाता है.

पाचन-

ड्रैगन फ्रूट में डाइटरी फाइबर की भरपूर मात्रा होती है, जो हमारे पाचन को बेहतर रखने में मदद कर सकते हैं. आंतों की सेहत को भी सुधारने के लिए आप खाली पेट इस फल को खा सकते हैं. इसमें प्रोबायोटिक होता है जो खाना पचाने में मदद करते हैं और आंतों से जुड़ी समस्याओं को कम करते हैं.

सर्दी जुखाम

ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी की मात्रा होती है जो आपके इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकती है. इसके सेवन से मौसमी बीमारियों से बचाव होगा. सर्दी जुखाम जैसी समस्याएं भी नहीं होगी.

ड्रैगन फ्रूट को कब खाना चाहिए?

ड्रैगन फ्रूट में फाइबर की अधिकता होती है जिस वजह से यह आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और वजन को कंट्रोल करने में भी आपकी मदद करता है. आंतों की सेहत को भी सुधारने के लिए आप खाली पेट इस फल को खा सकते हैं. इसमें प्रोबायोटिक होता है जो खाना पचाने में मदद करते हैं और आंतों से जुड़ी समस्याओं को कम करते हैं
बाहर से गुलाबी और काटने पर सफेद, लाल, छोटे-छोटे काले बीजों वाले इस फल के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते या खाते होंगे. पोषक तत्वों से भरपूर ड्रैगन फ्रूट की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मी में इसे खाना बेस्ट है.

क्या हम खाली पेट ड्रैगन फ्रूट खा सकते हैं?

इसे लेने का सबसे अच्छा समय कब है? जबकि फलों का सेवन करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि पाचन तंत्र फलों की चीनी को जल्दी से तोड़ देता है और उन्हें सभी पोषक तत्व प्रदान
करता है, ड्रैगन फ्रूट को मध्य भोजन के रूप में या रात में भी खाया जा सकता है

क्या मैं एक दिन में 1 ड्रैगन फ्रूट खा सकता हूं?

इस फल में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाता है और आपको स्वस्थ रहने में मदद करता है। विटामिन C ज़्यादा होने का मतलब है कि आपका शरीर घातक संक्रमणों से लड़ने में सक्षम है। आपको बस इतना करना है कि रोज़ाना 1 कप (200 ग्राम) ड्रैगन फ्रूट खाएं और स्वस्थ रहें

ड्रैगन फ्रूट कौन सी बीमारी में खाया जाता है?

चर्बी कम करना: इसमें लो-कैलोरी और हाई-फाइबर होता है, जिससे यह वजन घटाने में मदद कर सकता है. ट्वाइप 2 मधुमेह: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि ड्रेगन फ्रूट मधुमेह के प्रभाव को नियंत्रित कर सकता है. हृदय के लिए लाभकारी: इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स होते हैं जो हृदय की सेहत के लिए अच्छे होते हैं.

ड्रैगन फूड का दूसरा नाम क्या है?

ड्रैगन फ्रूट को स्ट्रॉबेरी नाशपाती और पिताया के नाम से भी जाना जाता है। सफेद, लाल और गुलाबी रंग के गूदे वाले इस फल का स्वाद हल्का खट्टा-मीठा और रसीला होता है। यह दक्षिण अमेरिका का फल है जिसे अब दुनिया भर में उगाया जा रहा है।

4.12.23

अच्छी सेहत के लिए सर्दियों में क्या ख़ास फूड्स खाएं ?





सर्दी हो या गर्मी सुबह उठने के बाद हम अकसर चाय, कॉफी और बिस्कुट खाते हैं। लेकिन सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीना सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है। सुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने की आदत काफी बुरी होती है। कई लोग फिर भी सुबह उठने के बाद चाय और कॉफी ही पीते हैं, लेकिन कई लोग सुबह हेल्दी ड्रिंक या फिर हर्बल टी पीते हैं। वहीं, आपका ब्रेकफास्ट भी हेल्दी होना चाहिए। आपको अपने सुबह के खाने को बिल्कुल भी स्किप नहीं करना चाहिए। खासकर, सर्दियों में सुबह उठने के बाद हेल्दी भोजन खाना बहुत जरूरी होता है। अभी सर्दी का मौसम शुरू हो गया है, इसलिए आप सोच रहे होंगे कि आखिर सर्दी में सुबह उठने के बाद क्या खाना चाहिए?
सर्दियों में सुबह उठने के बाद ड्राई फ्रूट्स खाना बेहद फायदेमंद होता है। ड्राई फ्रूट्स में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही ड्राई फ्रूट्स की तासीर भी बेहद गर्म होती है। ऐसे में अगर आप सर्दी में सुबह उठकर ड्राई फ्रूट्स खाएंगे, तो इससे आपका शरीर गर्म रहेगा। साथ ही आपकी इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी। आपको एनर्जी मिलेगी, आप पूरे दिन ऊर्जावान और फिट महसूस करेंगे।

पंजीरी

हमारे देश के उत्तरी भागों में सर्दियों के दौरान इससे कई रेसिपी तैयार किया जाते हैं। यह सूखा और मीठा स्नैक बहुत गर्म होता है और माना जाता है कि यह शरीर को दर्द से राहत दिलाता है और मांसपेशियों और जोड़ों को भी खोलता है। साबुत गेहूं, बाजरा, सत्तू या मूंग दाल के आटे का उपयोग करके आप गुड़ से अलग-अलग चीजें बना सकते हैं। साथ ही आप इनमें घी, नट्स, ड्राई फ्रूट्स, और मसाले जैसे इलायची, सौंफ, केसर और जायफल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जो कि इम्यूनिटी बूस्टर हैं।

दालचीनी का पानी

दालचीनी की तासीर बेहद गर्म होती है। ऐसे में अगर आप सर्दी के मौसम में सुबह दालचीनी का पानी पिएंगे, तो इससे आपको गर्माहट मिलेगी। इसके साथ ही दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण भी पाए जाते हैं। रोजाना दालचीनी का पानी पीने से आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होगी और आपको सर्दी-जुकाम नहीं लगेगी। दालचीनी का पानी पीने से आपका पाचन और मेटाबॉलिज्म में भी सुधार होगा। इसके लिए आप एक गिलास पानी में दालचीनी का टुकड़ा डालें। इसे अच्छी तरह से उबाल लें और फिर पानी को छानकर पी लें।

गुड़

गुड़ एक नेचुरल स्वीटनर है। यह हमारे गले के आंतरिक अस्तर पर एक परत बनाकर गले की जलन को शांत करता है और खराश में कमी लाता है। यह ब्लड वेसल्स को भी पतला करता है और ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। सर्दियों में रोज रात को सोने से पहले इसे खाना शरीर में गर्माहट पैदा करता है।
तुलसी

सर्दियों में तुलसी खाना या इसका रेगुलर इस्तेमाल करना आपको कई बीमारियों से बचाए रख सकता है। ऐसा इसलिए कि इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण होते हैं। ये वायरल संक्रमणों से लड़ने, विशेष रूप से सर्दियों में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ शरीर को अंदर से गर्म रखने का काम करते हैं।

लहसुन

ताजा लहसुन में एलिसिन होता है, जो कि प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। ये रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। ये एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, जो सर्दियों में होने वाले हड्डियों के दर्द से आपको बचाए रख सकता है। इसे आप चटनी और सूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

बाजरा

सर्दियों के मौसम में बाजरे का सेवन करना काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि पोषक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ शरीर को गर्म रखने में भी मदद करता है। साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने के लिए भी यह काफी फायदेमंद हो सकता है।

पपीता

पपीता सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सुबह उठकर पपीता खाना सेहत के लिए लाभकारी होता है। पपीता में फाइबर, विटामिन्स और फोलेट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इससे आपको पर्याप्त एनर्जी और ऊर्जा मिलेगी। पपीता खाने से पाचन में भी सुधार होता है। इसलिए हेल्दी और फिट रहने के लिए आप सुबह उठकर पपीता खा सकते हैं।

अंडा

सर्दियों में सुबह अंडा खाना काफी लाभकारी होता है। रोजाना सुबह उठने के बाद अंडा खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलेगा। साथ ही आपका पेट भी लंबे समय तक भरा हुआ रहेगा। अंडे की तासीर भी गर्म होती है। ऐसे में सर्दियों में अंडा खाने से आपको गर्माहट मिलेगी, आपकी इम्यूनिटी बढ़ेगी। हर दिन अंडा खाने से आप सर्दियों में फिट और हेल्दी बने रह सकते हैं। अगर आपका वजन अधिक है, तो आप सिर्फ अंडे का सफेद हिस्सा खा सकते हैं।

सब्जियों का जूस

सर्दियों में सुबह उठकर सब्जियों का जूस पीना काफी फायदेमंद होता है। सब्जियों में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए आप सर्दियों में गाजर और चुकंदर का जूस पी सकते हैं।

टमाटर सूप

टमाटर सूप (Tomato Soup)यह सूप के सबसे लोकप्रिय प्रकारों में से एक है और इसे ही ज्यादातर दुनिया भर के लोगों द्वारा पसंद किया जाता है।
टमाटर के सूप में विटामिन E, A, C, K और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो हमें स्वस्थ रखता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

शहद

गर्मियों में शहद का सेवन करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। लेकिन सर्दियों के लिए यह अच्छा विकल्प है और साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने वाले कई गुण इसके अंदर मौजूद होते हैं, जो बेहद फायदा देते हैं।

हेल्दी मॉर्निंग ड्रिंक्स

जिस तरह आप गर्मी के मौसम में मॉर्निंग ड्रिंक्स पीते हैं, उसी तरह सर्दियों में भी हेल्दी ड्रिंक्स पीना बहुत जरूरी होता है। आप रोज सुबह उठकर जीरा पानी, नारियल पानी, मेथी का पानी या फिर शहद का पानी पी सकते हैं। इसके अलावा आप सर्दियों में नींबू का पानी, काली मिर्च का पानी पी सकते हैं। इससे आपका पाचन सही होगा, बॉडी डिटॉक्स होगी और आपकी इम्यूनिटी भी बढ़ेगी।
हर्बल ड्रिंक जैसे ग्रीन टी, लेमन टी, अदरक और तुलसी की चाय का सेवन करें क्योंकि ये आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करेंगे और स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छे हैं।
सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए कुछ टिप्स विटामिन C से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने की कोशिश करें, क्योंकि इस मौसम में हमारी त्वचा शुष्क हो जाती है और खट्टे पदार्थ त्वचा और बालों के लिए अच्छे होते हैं।
अपने कार्ब्स को खर्च करें, क्योंकि हम इस मौसम में बहुत कुछ खाते हैं और अपने वजन को बनाए रखने और फिट रहने के लिए आवश्यक है की, आप अपने शरीर में मौजूद वसा को घटायें इसके लिये हमेशा कुछ व्यायाम करें।
ढेर सारा पानी पियें, यह आपको हाइड्रेटेड रखेगा और इससे आपकी त्वचा स्वस्थ रहेगी।
सर्दियों में अपने आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड शामिल करें, क्योंकि यह डिप्रेशन को कम करता है, जो आमतौर पर सर्दियों में देखा जा सकता है। मछली, बीज वाले भोज्य पदार्थों और नट्स में ओमेगा 3 फैटी एसिड की प्रचुर मात्रा होती है।
धूप में बैठें, क्योंकि हमारे शरीर के लिए विटामिन D बहुत आवश्यक होता है और यह किसी भी भोजन में नहीं पाया जाता, क्योंकि हमारा शरीर इसे कोलेस्ट्रॉल से बनाता है। जब पराबैंगनी किरणें हमारे शरीर को छूती हैं, तो त्वचा कोशिकाओं में कोलेस्ट्रॉल की उपस्थिति से विटामिन D बनाती है। इसलिए हमेशा धूप में कुछ समय बिताने की कोशिश करें।

2.12.23

सर्दियों में अमरूद खाने के चौंकाने वाले फायदे !, Amrud ke fayde







सर्दि‍यों के मौसम में बाजार में अमरूद आसानी से मिल जाते हैं। वैसे तो ये गर्म और शुष्क दोनों जलवायु में पाया जाता है, मगर सर्दि‍यों में ये ज्यादा पाए जाते हैं। अमरूद सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। इसमें विटामिन-सी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन-ए और बी भी इसमें पाए जाते हैं। इसमें लोहा, चूना और फॉस्फोरस भी ज्यादा मात्रा में होते हैं।अमरूद में पाए जाने वाला मैग्नीशियम मांसपेशियों को मजबूत और राहत देने का काम करते हैं. इसको खाने से तनाव भी कम होता है. अगर आप अवसाद से पीड़ित हैं तो इसका सेवन जरूर करें.

वजन कम करने में भी अमरूद बहुत कारगर

वजन कम करने में भी अमरूद बहुत कारगर होता है. इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती हो जो वजन को बढ़ने नहीं देती है. वहीं, अमरूद खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बूस्ट होती है. इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. इसे गर्भावस्था के दौरान भी खा सकती हैं.

 डायबिटीज से बचाता है

अमरूद डायबिटीज से बचाता है। इसमें रिच फाइबर कंटेंट और लो ग्लायसेमिक इंडेक्स पाया जाता है। लो ग्लायसेमिक इंडेक्स अचानक शुगर लेवल बढ़ने से रोकता है। वहीं, फाइबर्स के कारण शुगर अच्छे से रेगुलेट होती रहती है।

डाइजेशन –

सर्दियों में अमरूद खाने का सबसे बड़ा फायदा पाचन में सुधार से मिलता है. फाइबर से भरपूर होने के चलते अमरूद पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और इससे कब्ज से भी राहत मिलती है. अमरूद विटामिन सी का भी अच्छा सोर्स है. स्टडीज में पाया गया है कि अमरूद की पत्तियों का रस डायरिया में काफी फायदा पहुंचाता है. अपनी डाइट में अमरूद को शामिल कर इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से भी राहत पाई जा सकती है.

कब्ज में मिलता है आराम

खराब दिनचर्या, गलत खानपान के चलते आजकल कब्ज आम समस्या हो गई है। अगर आप भी कब्ज की समस्या से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो रोजाना अमरूद का सेवन कर सकते हैं। सर्दी में अमरूद खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसमें डाइटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके लिए डॉक्टर रोजाना सुबह में अमरूद खाने की सलाह देते हैं ।

वजन कंट्रोल होता है

अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और तेजी से वजन कंट्रोल करना चाहते हैं, तो अमरूद का सहारा ले सकते हैं। अमरूद के सेवन से बढ़ते वजन को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें डाइटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। साथ ही क्रेविंग की समस्या से भी निजात मिलता है।

इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

कोरोना काल में इम्यून सिस्टम मजबूत रहना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर विटामिन सी रिच फूड खाने की सलाह देते हैं। अगर आप भी इम्यून सिस्टम को मजबूत करना चाहते हैं, तो अमरूद का सेवन जरूर करें। इसके सेवन से सेहत पर अनुकूल असर पड़ता है।

 शरीर को पहुंचाता है ताकत

अच्छी तरह पके नरम और मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें। इसके बाद छानकर इसके बीज निकाल दें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह सुबह 21 दिन तक लेने से शरीर में काफी ताकत आती है।

बवासीर में असरदार

सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद का नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है। पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है। इससे बवासीर में काफी फायदा पहुंचता है। कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना सबसे अच्छा होता है


 पेट दर्द में पहुंचाता है फायदा

नमक के साथ पके हुए अमरूद को खाने से आराम मिलता है। इसके पेड़ के 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से भी आराम होता है। अमरूद के फल की फुगनी यानि कि इसके फल के नीचे वाले छोटे पत्ते में थोड़ी सी मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट का दर्द खत्म हो जाता है। 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद कुछ देर बाद खाने से कभी पेट की कोई समस्या नहीं होती है। कब्ज की शिकायत रहने वाले लोगों को खाना खाने से पहले अमरूद खाना चाहिए।अमरूद में पाए जाने वाला मैग्नीशियम मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने और होने वाले दर्द से राहत देने का काम करते हैं. इसको खाने से तनाव भी कम होता है. अगर आप अवसाद से पीड़ित हैं तो इसका सेवन जरूर करें.
अमरूद खाने से आपकी आंखों की भी सेहत अच्छी होती है. यह फल विटामिन-ए, सी व फोलेट से समृद्ध होता है. साथ ही इसमें जिंक और कॉपर जैसे तत्व भी पाए जाते हैं. जिन लोगों को कम उम्र में आंखों की समस्या होती है उनको तो इसे जरूर आहार में शामिल कर लेना चाहिए.

नुकसान 

सर्दी होने या जुखाम होने पर अमरूद का सेवन भी आपको नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है. दरअसल, खाली पेट अमरूद खाने से पेट में दर्द इसलिए होता है, क्योंकि अमरूद के बीज खाली पेट में जाकर आसानी से नहीं पचते हैं और इस वजह से पेट में दर्द हो सकता है

अमरूद फल के तौर पर खाएं: 

अपनी भूख के अनुसार 1-2 अमरूद एक दिन में खाए जा सकते हैं।

अमरूद खाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?

अमरूद को खाली पेट छोड़कर किसी भी समय खाना चाहिए। यह बात केले पर भी लागू होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यदि आपके शरीर को इन फलों के लाभों को प्राप्त करने की आवश्यकता है, तो इसे पचाने और साथ में मिश्रण करने के लिए आपके पेट में कुछ भोजन होना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इसका सेवन खाना खत्म करने के 30 मिनट बाद ही करना चाहिए।

23.11.23

शरीर सिर्फ हड्डियों का ढांचा है तो सर्दियों में कैसे वजन बढाएं?



 आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है.
सर्दियों को खाने-पीने के लिए एक अच्छा मौसम माना जाता है। इस मौसम में भूख ज्यादा लगती है, व्यक्ति सामान्य से अधिक खाना खा लेता है। इसलिए अकसर ऐसा समझा जाता है कि जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए सर्दियों का मौसम बेस्ट होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको फास्ट फूड, जंक फूड जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना होता है। सर्दियों में भी आपको सिर्फ हेल्दी फूड्स खाकर ही वजन बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर आप सर्दियों में वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मौसम का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिनकी तासीर गर्म हो। क्योंकि इससे सर्दियों में आपको गर्माहट मिलेगी, साथ ही आप ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। अकसर लोग सर्दियों में गुड़, सूप, ड्राई फ्रूट्स, दूध, रागी-बाजरा आटा आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे तो इन चीजों का सेवन किसी भी समय पर किया जा सकता है। लेकिन अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो विंटर फूड्स को सही समय पर खाना भी बहुत जरूरी होता है। तो चलिए, जानते हैं


वजन बढ़ाने के लिए विंटर डाइट प्लान-

खाली पेट

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो सुबह खाली पेट गुड़ का पानी पी सकते हैं। इसके लिए आप रात को एक गिलास पानी में गुड़ का टुकड़ा भिगोकर रख दें। सुबह उठते ही इस पानी को पी लें। इससे आपको आयरन, कैल्शियम मिलेगा। साथ ही दुबलेपन से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सुबह खाली पेट भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स, बनाना शेक, मिल्क शेक, आल्मंड शेक आदि का सेवन भी कर सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए ब्रेकफास्ट

ब्रेकफास्ट करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको भूलकर भी ब्रेकफास्ट को स्किप नहीं करना चाहिए। वजन बढ़ाने के लिए आप ब्रेकफास्ट में अंडा, चने, स्प्राउट्स, मिल्क ओट्स, मिल्क दलिया, आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सर्दियों में ब्रेकफास्ट में पीनट बटर सैंडविच, पैनकेक आदि खा सकते हैं। आपको ब्रेकफास्ट 8 से 9 बजे के बीच में कर लेना चाहिए।

वजन बढ़ाने के लिए मिड मॉर्निंग फूड्स

मिड मॉर्निंग में कुछ लाइट फूड्स का सेवन किया जा सकता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो मिड मॉर्निंग में एक कटोरी फलों का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौसमी फलों को ही शामिल करें। इसके अलावा आप प्रोटीन बार भी खा सकते हैं। मिड मॉर्निंग में आप पीनट बटर, कॉफी आदि का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।

वजन बढ़ाने के लिए लंच

अगर आप नॉनवेज खाते हैं, तो लंच में फिश या मटन शामिल कर सकते हैं। लंच में आप रोटी, चावल, दही, सब्जी, दाल और सलाद शामिल करें। लंच में आपको ब्रेकफास्ट से अधिक खाना चाहिए। लंच में बैलेंस डाइट लें। वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए फुल फैट वाली दूध फायदेमंद साबित हो सकती है।

वजन बढ़ाने के लिए स्नैक्स

सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए स्नैक्स में सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो स्नैक्स में चिकन, टमाटर, वेजिटेबल सूप पी सकते हैं। इसके अलावा स्नैक्स में आप स्प्राउट्स, पनीर आदि का भी सेवन कर सकते हैं। आप स्नैक्स में तिल-गुड़ लड्डू, अलसी के लडूड भी खा सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए डिनर

डिनर लाइट होना चाहिए और सोने से 2-3 घंटे पहले कर लेना चाहिए, यह नियम सभी के लिए लागू होता है। अगर आप वजन भी बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको डिनर लाइट ही करना चाहिए। साथ ही डिनर समय पर कर लेना चाहिए। आप अपने डिनर में नॉनवेज शामिल कर सकते हैं। साथ ही इसके अलावा आप 1-2 रोटी, सब्जी और सलाद भी अपने डिनर में शामिल करें।

वजन बढ़ाने के लिए बेड टाइम ड्रिंक

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो रात को सोते समय हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने वाले लोग रात को दूध में खजूर, अंजीर, बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि मिलाकर भी पी सकते हैं। रात को दूध में होममेड प्रोटीन पाउडर मिलाकर पीने से भी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
खाने का सही विकल्प आपके वजन बढ़ाने पर बड़ा प्रभाव डाल सकते है. जी हां आज हम बात कर रहे हैं वजन को बढ़ाने के लिए खाने वाली चीजों के बारे में. जहां आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है. ऐसे में हमें मेवे, बीज और नट बटर कैलोरी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए जो प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं और मांसपेशियों के विकास में भी बढ़ावा देते हैं और शरीर को एनर्जी भी देते हैं. इसके अलावा पीनट बटर और केलों का सेवन भी वजन बढ़ाने में मदद करता है
लीन मीट, फिश और बींस जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें ये टिश्यू को रिपेयर करने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा चावल, सूखे मेवे और केला भी कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं जो हेल्दी तरीके से वजन को बढ़ाने में मदद करता है.

चावल

वजन बढ़ाने के लिए चावल सबसे स्वास्थ्यवर्धक और संतुष्टिदायक फूड ऑप्शन्स में से एक है. इसमें मौजूद खनिज और कार्बोहाइड्रेट वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. चावल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है और साथ ही इसमें अच्छी मात्रा में पौष्टिक कैलोरी भी होती है.

ड्राई फ्रू्ट्स

ड्राई फ्रू्ट्स पोषक तत्वों का सर्वोत्तम स्रोत हैं! काजू, मूंगफली, किशमिश और बादाम जैसे सूखे मेवें वजन बढ़ाने वाले शानदार खाद्य पदार्थ हैं. इसके साथ ही भूख लगने पर इनका सेवन आपे पेट को भरा रखने में भी मदद कर सकता है. इनका सेवन शरीर को पोषण और हेल्दी फैट प्रदान करता है.

पीनट बटर

कई लोगों को लगता है कि पीनट बटर खाने से उन्हें वजन बढ़ाने में मदद मिलती है. खैर, यह सच है, और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीनट बटर में स्वस्थ कैलोरी होती है. क्योंकि यह एक बहुत ही पौष्टिक नाश्ता है, एथलीट, जिम लवर और बॉडीबिल्डर इसका सेवन करते हैं. हालाँकि, इसका सबसे अच्छा पहलू यह है कि यह अलग-अलग तरह के फ्लेवर्स में आता है और प्रोटीन से भरपूर होता है.

केला

वजन बढ़ाने के लिए केले सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से हैं क्योंकि इनमें कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट और खनिज उच्च मात्रा में होते हैं. स्वस्थ और तेजी से वजन बढ़ाने के लिए आप प्रतिदिन लगभग 4-5 पके केले खा सकते हैं. शरीर को एनर्जी देने के अलावा इसका स्वाद भी अच्छा होता है. इसके अतिरिक्त ये पाचन में सहायता करते हैं और शरीर के चयापचय को भी बेहतर करते हैं.

अंडा

वजन बढ़ाने के लिए अंडा सबसे अच्छा ऑप्शन है. ये स्वादिष्ट, पौष्टिक, स्वास्थ्यप्रद हैं और वजन बढ़ाने के लिए भी अच्छे हैं. अंडा एक ऐसा भोजन है जिसे आप कई तरीकों से खा सकते हैं. इसमें महत्वपूर्ण विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
कमजोर शरीर के कारण अक्सर व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना उठाना पड़ता है. वहीं कमजोर शरीर जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाता है. ऐसे में यदि आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रात को सोने से पहले कुछ चीजों का सेवन करें. इन चीजों के सेवन से आसानी से वजन बढ़ सकता है. 

दूध

व्यक्ति रात को सोने से पहले दूध का सेवन कर सकता है. बता दें कि दूध वजन को बढ़ाने में उपयोगी है. हालांकि दूध का सेवन सोने से 1 घंटे पहले करें. दूध के सेवन के साथ यदि मखाना, अंजीर, खजूर आदि का सेवन किया जाए तो जल्दी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

किशमिश 

 किशमिश के सेवन से भी वजन को बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में आप नियमित रूप से किशमिश का सेवन करें. आप चाहें तो दूध में भिगोकर किशमिश का सेवन कर सकते हैं.

बीन्स 

बीन्स के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे में यदि आप सोने से दो-तीन घंटे पहले बीन्स का सेवन करते हैं तो इससे वजन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

दलिया

 वजन बढ़ाने के लिए दलिया का सेवन करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. ऐसे में आप दलिये का सेवन रात को सोने से पहले कर सकते हैं. आपको बता दें कि दलिये का सेवा नाश्ते के वक्त करना भी सेहत के लिए अच्छा हो सकता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है साथ ही वजन को बढ़ाने में भी उपयोगी है. इससे हेल्दी वेट गेन हो सकता है.

ज्यादा कैलोरी-

स्टाइलसेटलाइफ वेबसाइट पर 10 दिनों में वजन बढ़ाने के टिप्स बताए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि आप 10 दिनों में वजन बढ़ाना चाहते हैं तो जितनी कैलोरी आप रोजाना पहले लेते थे, उससे 1000 कैलोरी अब ज्यादा लेनी होगी. इसके लिए डाइट में अतिरिक्त चीजों को शामिल करना होगा.

5-6 बार भोजन-

 एक्स्ट्रा डाइट के लिए रोजाना 5 से 6 बार भोजन करना जरूरी है. इसके लिए डाइट चार्ट यह है कि 3 हैवी मील और 2 ब्रेकफास्ट लें. सुबह नाश्ता हैवी लें. इसके बाद दोपहर मील और रात में डिनर हैवी लें. रात में 8 बजे तक डिनर कर लें. इसके अलावा शाम में और दोपहर के बाद हल्का ब्रेकफास्ट जरूर करें. वैसे जब भूख लगे, उसी समय खाने का नियम बना लें.

सुबह खाली पेट जूस-

सुबह में खाली पेट गाजर का जूस पीएं. इससे पहले आप स्प्रॉउट लेंगे तो यह ज्यादा अच्छा रहेगा. स्प्रॉउट में मूंग, चना और कुछ साबुत अनाज ले सकते हैं. स्प्रॉउट प्रोटीन से भरा होता है. इससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलेगी.

पोष्टिक भोजन करें-

भोजन का मतलब यह नहीं है कि जंक फूड या फास्ट फूड खा लें. भोजन हेल्दी होना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का होना जरूरी है. इसके लिए आप डाइट चार्ट को फॉलो करें.

खाने से पहले पानी नहीं -

पानी पर्याप्त मात्रा में पीना जरूरी है लेकिन खाने से पहले पानी या अन्य तरल पदार्थ लेंगे तो सही से भोजन नहीं कर पाएंगे. इससे पेट भरा हुआ महसूस होगा और आप सही से खाना नहीं खा पाएंगे.

 एक्सरसाइज-

वजन बढ़ाने के मतलब यह नहीं कि आप खाना सिर्फ खाएं और एक्सरसाइज न करें. यदि आप चाहते हैं कि आप हेल्दी रहें तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज नहीं करेंगे तो मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा और मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा तो आप जो खा रहे हैं उसका अवशोषण नहीं होगा. यानी वह एनर्जी में नहीं बदलेगा.

13.11.23

ग्रीन काफी के फायदे और नुकसान




  चाय और कॉफी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां पहले लोग इन्हें सिर्फ स्वाद के लिए पीते थे, वहीं आज स्वास्थ्य के लिहाज से इनका सेवन किया जा रहा है। आज हर्बल और ग्रीन-टी के रूप में कई विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी का नाम भी इसी क्रम में जुड़ गया है। बात हो वजन घटने की या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की, तो ग्रीन कॉफी एक बेहतर विकल्प हो सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आप पढ़ेंगे ग्रीन कॉफी के फायदे किस प्रकार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साथ ही इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के उपयोग और ग्रीन कॉफी के नुकसान के विषय में भी जानेंगे। पाठक इस बात पर जरूर गौर करें कि ग्रीन कॉफी लेख में शामिल किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है।
बाकी सभी खाने की चीजों की तरह, ग्रीन कॉफी भी पिछले कुछ साल से वजन कम करने में फायदे के तौर पर सामने आई है। यह सच है कि ग्रीन कॉफी को वजन कम करने के लिए जानी जाती है और इसका सेवन करने से कुछ किलो जरुर कम हो जाते हैं। लेकिन ग्रीन कॉफी के फायदे सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं हैं। ग्रीन कॉफी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो अपने साथ कई सारे फायदे लेकर आता है। इस बात की तह तक जाने के लिए हम आपके लिए ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान के साथ- साथ ग्रीन कॉफी को बनाने की विधि की जानकारी लेकर आए हैं।
 ग्रीन कॉफी भी एक ऐसा उत्‍पाद है जो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्‍व और विशेष रूप से एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी होते हैं। कुछ लोग वजन घटाने और विशेष स्‍वास्‍थ्‍य उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए इसका नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं। इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान की जानकारी प्राप्‍त करेगें।
  चाय से ज्यादा लोग कॉफी को प्राथमिकता देते है। कोई इसे सुबह पीना पसंद करता है तो कोई अपनी थकान मिटाने के लिए पीता है तो कोई इसे मीठा खाने के बाद पीना पसंद करते है। इस कॉफी को पीने के फायदे है लेकिन वो सीमित है। हाल ही में ग्रीन कॉफी के बारे में पता चला है ये वजन कम करने में काफी मदद करता है। इस कॉफी में ज्यादा कुछ खास फर्क नहीं है, बस इस कॉफी की बीन्स कच्चे रुप में होती है। आमतौर पर कॉफी बीन्स को निकाल कर भूना जाता है ताकि उनका स्वाद अच्छा हो और महक अच्छी हो जाए। कई शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि इस कॉफी की बीन्स का स्वास्थ से महत्वपूर्ण संबंध है।
समय-समय पर पेय पदार्थों के स्वरूप और उनके सेवन के तरीकों में बदलाव कर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की कवायद दुनिया भर में होती रहती है। ग्रीन कॉफी ऐसा ही एक प्रयोग है। फिलहाल इसके लाभ और नुकसान को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं।
हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।

* क्या है ग्रीन कॉफी?

ग्रीन टी के चलन के साथ ही ग्रीन कॉफी को लेकर भी बहुत चर्चाएं की जाने लगीं। यह असल में कच्चे, बिना सिके हुए कॉफी के बीज होते हैं। इन्हें इसी स्वरूप में पीसकर काम में लाया जाता है। चूंकि ये प्राकृतिक और कच्चे रूप में काम में लिए जाते हैं, इसलिए इसे ग्रीन कॉफी कहा जाता है।

*शोधों में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ग्रीन काफी कुछ ग्रीन टी के समान है। लेकिन ग्रीन कॉफी इसलिए भी अधिक फायदेमंद है क्योंकि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप में जो तत्व मौजूद होते हैं उनसे पाचन क्षमता ठीक रहती है और ठीक इसके विपरीत इन्हीं तत्वों से वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है।
*रिसर्च के दौरान यह भी बात सामने आई है कि यदि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप को भूना जाएगा तो इससे असरकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि जो लोग सामान्य कॉफी पीने के शौकीन हैं उनका वजन कम नहीं होता क्योंकि इसे असरकारक तत्व भूनने के दौरान खत्म हो चुके होते हैं।
*दुनिया भर में कॉफी के इन बीजों का प्रयोग वजन घटाने के लिए विकल्प के तौर पर किया जा रहा है। लोग तेजी से इस ट्रैंड को अपना रहे हैं। असल में जानकारों का कहना है कि रोस्ट होने, यानी सिकने की प्रक्रिया में कॉफी के बीजों में मौजूद कुछ हेल्दी, प्राकृतिक रसायन नष्ट हो जाते हैं। पिछले कुछ समय में हुए कुछ शोध इस परिणाम को दर्शाने में सफल रहे हैं कि ग्रीन कॉफी का प्रयोग वजन घटाने में मदद कर सकता है।

 रक्तचाप में ग्रीन कॉफी पीने के फायदे – 

कई समस्याओं को दूर करने के साथ ही ग्रीन कॉफी रक्तचाप की समस्या को कम करने में भी फायदेमंद हो सकती है। एनसी

बीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले उच्च पॉलीफोनिक पदार्थो में क्लोरोजेनिक एसिड का महत्वपूर्ण स्थान है। यह माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर क्लोरोजेनिक एसिड रक्तचाप की समस्या को कुछ हद तक कम करने में कारगर हो सकता है।

हड्डियों की मजबूती के लिए ग्रीन कॉफी 

 सेहत के साथ ही ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, 100 ग्राम ग्रीन कॉफी में 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। वहीं, हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए कैल्शियम जरूरी पोषक तत्व है। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि कैल्शियम की कमी के कारण होने वाली हड्डियों के नुकसान को रोकने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, सीधे तौर पर ग्रीन टी हड्डियों के लिए किस प्रकार फायदेमंद हो सकती है, यह शोध का विषय है।

एकाग्रता और मूड में सुधार –

याददाश्त और मानसिक सुधार में भी ग्रीन काॅफी फायदेमंद हो सकती है। एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन्स में कुछ मात्रा कैफीन की होती है। शोध में पाया गया कि कैफीन, सामान्य तौर पर मूड, ध्यान, स्मृति और सतर्कता को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया कि अल्जाइमर के रोगियों पर ग्रीन कॉफी बीन्स का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। शोध के अनुसार, इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो अल्जाइमर की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं।

. एंटीऑक्सीडेंट –

ग्रीन कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखने में मददगार हो सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को जन्म देने वाले रोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसंस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा विकार) और अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

. भूख पर नियंत्रण –

लगातार भूख लगने की समस्या को ग्रीन कॉफी के जरिए ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण भूख को कम करता है, यह अभी शोध का विषय है.

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 

ग्रीन काफी मे ओआरएसी ज्यादा मात्रा में होता है-

*ओआरएसी यानि ऑक्सीजन रेडिकल एबजॉरबेंस केपेसिटी ये एक तरीका होता है जिससे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा की जांच की जाती है। जब ग्रीन कॉफी की बीन्स की जांच की गई तो पाया गया कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में है। हाल ही के अध्यन में पता चला है कि ये कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी रोकने में कारगर है। दरअसल ये कैंसर के सेल को बनने से रोकती है।

*स्ट्रोक से बचाने में -

कॉफी के सेवन का लाभ ना केवल स्ट्रोक से बचाने में देखा गया है। बल्कि कई अध्ययन तो यह तक बताते हैं कि कॉफी के सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या कम होती है और डायबिटीज एंव हृदय रोग से भी बचा जा सकता है। इस स्थिति में अगर आपके परिवार में डायबिटीज के या उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए। वरना यह रोग आपको भी कभी भी हो सकता है।

*ऊर्जा बढ़ाती है- 

ये भी पाया गया कि ग्रीन कॉफी मेटाबॉलिजम रेट को बढ़ाती है जो कि आपकी दिनचर्या को पूरा करने में ऊर्जा देता है।

*वजन कम करता है- 

कॉफी पीने के फायदे वजन घटाने में भी देखे जाते हैं। आपको बता दें कि कॉफी के सेवन से हमारा मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इसके जरिए शरीर खाए गए भोजन के जरिए अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा कॉफी के जरिए शरीर में गर्मी पैदा होती है जो फैट को जलाने का काम करती है। कॉफी के इन्हीं गुणों की वजह से वजन घटाने में कारगर माना जाता है।

डिप्रेशन की समस्या 

आज के समय में ज्यादातर लोग डिप्रेशन की समस्या से परेशान हैं। इन सभी लोगों के लिए कॉफी बहेत गुणकारी हो सकती है। आपको बता दें कि हाल ही में कुछ अध्ययन हुए हैं। यह अध्ययन बताते हैं कि कॉफी के सेवन से अल्फा एमिलेज नामक एंजाइम को बढ़ावा देता है। ज्ञात हो कि यह गुण ही तनाव, डिप्रेशन से राहत दिलाने का काम करता है। ऐसे में अगर आपको डिप्रेशन या तनाव रहता है तो कॉफी का सेवन कर सकते हैं। साथ ही अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो इससे आप डिप्रेशन से भी बचे रहते हैं।

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 


यूं सामान्य तौर पर किसी भी चीज का सेवन हद से ज्यादा करना तकलीफदेह हो सकता है। ग्रीन कॉफी के मामले में भी यह बात लागू होती है। इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
*पेट की खराबी
 
* सिरदर्द
*एंग्जायटी आदि।
वहीं इसमें मौजूद कैफीन की मात्रा के कारण ग्रीन कॉफी का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषकर कुछ खास शारीरिक स्थितियों वाले लोगों के लिए, जिनमें शामिल हैं:
* ऑस्टियोपोरोसिस
* ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि से ग्रसित लोग।
* ग्लूकोमा
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
*ग्रीन कॉफी या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने के लिए भी कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इससे तकलीफ हो सकती है। इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
*इसके साथ ही कुछ विशेष औषधियों का सेवन करने वालों के लिए भी ग्रीन कॉफी के सेवन को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ग्रीन कॉफी में मौजूद कुछ तत्व इन औषध्ाियों के रसायनों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसी औषधियाँ हृदय रोगों के लिए, कमजोर हड्डियों के लिए, लंग डिसीज, मेनोपॉज, डिप्रेशन, स्कित्जोफ्रेनिया जैसी तकलीफों के लिए ली जाने वाली औषधियाँ शामिल हैं।
शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।
*ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।

यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी काफी  का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।

दिमाग को तेज करता है- 

इस ग्रीन कॉफी को पीने से आपका मूड तो अच्छा हो ही जाता है लेकिन ये आपके दिमाग को भी तेज करता है। ये आपके दिमाग की गतिविधियों, प्रतिक्रिया, याददाश्त, सतर्कता को तेज करता है।

एंटी एजिंग- 

आजकल ऐसा कौन है जो जवां दिखना नहीं चाहता है, हर कोई अपनी बढ़ती उम्र को रोकना चाहता है। ग्रीन कॉफी इस मामले में काफी मददगार है, जी हां ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।

कैफीन की मात्रा कम होती है- 

जैसा की आपको हमने पहले बताया है कि इस कॉफी के बीन्स को भूना नहीं जाता है, इसका कच्चे रुप में ही सेवन किया जाता है। इसलिए इसमें सामान्य कॉफी की तुलना में कैफीन की मात्रा कम होती है। हालांकि कैफीन वजन कम करने में मदद करता है और आपके एकाग्रता में सुधार लाता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करना आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।


1.11.23

कान में हवा बहने ,गर्जना,सिटी बजने जैसी आवाज (Tinitus) होने लगे तो क्या करें ?



Tinnitus एक प्रकार की बीमारी होती है जिसमें मरीज़ को कई प्रकार की ध्वनि का एहसास होता रहता है, जैसे घंटी बजना, भिनभिनाहट या फुफकारने की ध्वनि, आदि । ऐसी ध्वनि एक या दोनों कान में सुनाई दे सकती है, हालाँकि मरीज़ को कई बार भ्रम होता है की यह ध्वनि उसके सिर से आ रही है ।
 कान से आने वाली आवाज को दूर करने में कुछ घरेलू उपाय बेहद काम आ सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति के कानों से बार-बार आवाज आ रही है या उसे सीटी जैसा महसूस हो रहा है तो वह धनिया की चाय से इस समस्याओं को दूर कर सकता है। बता दें कि धनिया की चाय से कान से आवाज को कंट्रोल किया जा सकता है। ध्यान दें कि चाय में आपको साबूत धनिया का इस्तेमाल करना हाेता है। जब भी किसी व्यक्ति को बार-बार सीटी जैसी आवाज आए तो वह अपने बैकग्राउंड में म्यूजिक को चला सकता है। इससे उसका ध्यान कानों से आने वाली आवाज से हट जाएगा और बैकग्राउंड पर चल रहे म्यूजिक पर चला जाएगा। ऐसा करने से भी कानों से आने वाली आवाज बंद हो सकती है। हालांकि व्यक्ति को ज्यादा तेज म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं करना है।
नियमित रूप से एक्ससाइज करने से न केवल दिमाग की कार्य क्षमता मजबूत होती है बल्कि आपकी रक्त वाहिकाएं भी तंदुरुस्त बनती है। तुलसी का उपयोग कान से आने वाली आवाज को दूर करने में उपयोगी है। ऐसे में व्यक्ति तुलसी की चाय के सेवन से कान की समस्या को दूर कर सकता है।
इसके अलावा तुलसी और शहद के सेवन से भी कान की समस्या दूर होती है। चाहें तो नियमित रूप से तुलसी की कुछ पत्तियों को अच्छे से धोकर सुबह के समय चबा सकता है। अदरक के अंदर कई एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण पाए जाते हैं, जो न केवल शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में उपयोगी हैं, बल्कि कान की कई समस्याओं को दूर करने में भी सहायक हैं। ऐसे में व्यक्ति अदरक की चाय का सेवन करने से कान से आने वाली आवाज को दूर कर सकता है। इसके अलावा व्यक्ति शहद और अदरक के रस का सेवन करने से भी सीटी की समस्या से निजात पा सकता है। सेव के सिरके के इस्तेमाल से भी कान में शोर टिनिटस की समस्या को दूर किया जा सकता है। बता दें कि सेव के सिरके के अंदर भरपूर मात्रा में दर्द निवारक और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो न केवल कान की समस्या को दूर करने में उपयोगी है, बल्कि कान से आने वाली आवाज से भी राहत पहुंचा सकते हैं।
Tinnitus की ध्वनि अलग-अलग प्रकार की होती है, जिसमें उसका स्वर ऊँचा या नीचा या बदलता हुआ हो सकता है, कभी यह ध्वनि लगातार हो सकती है या कभी रुक-रुक कर और इस ध्वनि की तीव्रता कभी तेज़, कभी धीमी या बदलती हुई हो सकती है ।
सामान्यतया जनता में Tinnitus की मौजूदगी बहुत आम होती है । यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है परन्तु उम्र के साथ-साथ बढ़ता जाता है । यह दोनों लिंग के लोगों में हो सकता है, परन्तु पुरुषों में सामन्यतया ज्यादा देखा गया है । Tinnitus के साथ श्रवण शक्ति भी जा सकती है, हालाँकि ऐसा हमेशा होना जरुरी नहीं होता ।
*सैलिसिलिकम एसिडम यह दवा टिनिटस के कारण बहुत तेज गर्जना या बजने वाली आवाज़ सुनाई देने पर दी जाती है, जो बहरेपन या चक्कर के साथ हो सकता है। ऐसे रोगियों में समस्या फ्लू से शुरू हो सकती है, या मेनियार्स रोग वाले व्यक्ति में हो सकती है। अगर टिनिटस बहुत अधिक एस्पिरिन के कारण होता है तो सैलिसिलिकम एसिडम भी मददगार हो सकता है

कान बजने की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

टिनिटस के लिए दवाएं

कुछ लोगों के लिए, चिंता-विरोधी दवाओं की कम खुराक जैसे वैलियम या एलाविल जैसे एंटीडिप्रेसेंट के साथ उपचार टिनिटस को कम करने में मदद करता है। अल्प्राजोलम नामक चिंता-विरोधी दवा के साथ मध्य कान में डाले गए स्टेरॉयड का उपयोग कुछ लोगों के लिए प्रभावी दिखाया गया है।

TINNITUS के कुछ मुख्य कारण हैं

-तेज़ ध्वनि सुनना
बढती उम्र की वजह से श्रवण शक्ति का हास अर्थात Presbyacusis
कान मने मेल का जमना
चोट- सिर में गहरी चोट, गर्दन की चोट
कान का संक्रमण – Otitis media, secretory otitis, labyrynthis.
दवाईयाँ – Tinnitus कुछ दवाईयों की वजह से भी हो सकता है – जैसे एसपिरिन, मलेरिया रोधी दवाईयाँ जैसे – quinine, chloro quinine, mycin group की एंटी बायोटिक दवाईयाँ जैसे Gentamycin, Streptomycin, कीमोथेरेपी की दवाईयाँ, कुछ diuretics.
Hypertension, anaemia, thyroid disorders, diabetes आदि चिकित्सकीय स्थितियाँ
Meniere’s disease.
Cerebellopontine angle के ट्यूमर जैसे acoustic neuroma.
अत्यधिक कैफीन का सेवन
शराब का सेवन
माइग्रेन
Tinnitus की शिकायत करने वाले मरीजों क०ओ audiological एवं गहन चिकित्सकीय जाँच करवानी चाहिए ताकि अन्तर्निहित कारणों का पता लगाया जा सके ।

TINNITUS का सामना करने की युक्तियाँ

आस-पास का शोर बढ़ा देना : धीमे स्वर में संगीत सुनने से मरीज़ का ध्यान tinnitus से भटकाया जा सकता है ।
ख़ामोशी से बचाव : Tinnitus की ध्वनि अक्सर भोर अथवा रात के सन्नाटे में ज्यादा परेशान करती है ।
मरीज़ के अत्यधिक नीरव अथवा चुप्पी वाले हालात से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसे में tinnitus की ध्वनि अधिक तेज़ सुनाई देती है तथा परेशान करती है ।

धूम्रपान से बचें :

 धूम्रपान करने से श्रवण तंत्रिका को रक्त पहुँचाने वाली धमनियों का संकुचन हो जाता है, जिससे संवेदनशील श्रवण कोशिकाओं का रक्त प्रवाह रुक जाता है और उससे tinnitus ज्यादा बढ़ जाता है ।
शराब का पूर्णतः प्रतिबन्ध

तेज़ ध्वनि से बचाव : 

अगर आप ऐसे वातावरण में कार्य करते हैं जहाँ आस-पास अत्यधिक तीव्रता की आवाजें होती हों तो आप को अपनी नाजुक श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान से बचाने के लिए कान के संरक्षण उपकरण जरुर पहनने चाहिए ।

TINNITUS से जुडी भ्रांतियां

यह लाइलाज बिमारी है ।
इससे श्रवण शक्ति का ह्वास होता है ।
श्रवण सहायक तंत्र से कोई मदद नहीं मिलती है ।
एक किसी मष्तिष्क रोग का संकेतक है ।
यह जानलेवा होती है ।
अगर उचित मूल्यांकन एवं जाँच की जाये तथा सही समय पर निदान किया जाये, तो tinnitus को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है ।

30.10.23

पीले कनेर के फुल और पत्तियों से बीमारियों का इलाज




  आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी बूटियां मौजूद है जो शरीर से कई समस्या को दूर करने में उपयोगी हैं। वहीं पीला कनेर भी आयुर्वेद में कई समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। आमतौर पर कनेर के फूल के कई कलर होते हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं पीले कनेर की। घाव भरना हो या त्वचा की समस्या को दूर करना हो, पीला कनेर आपकी सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

कब्ज की समस्या हो दूर

आज के समय में लोग कब्ज की परेशानी से बेहद परेशान हैं। इस परेशानी को दूर करने में पीला कनेर आपके काम आ सकता है। ऐसे में पीले कनेर के पत्तों और छाल का काढ़ा बनाएं और उसका सेवन करें। ऐसा करने से कब्ज की समस्या दूर होगी।

मलेरिया की समस्या


जिन लोगों को मलेरिया हो गया है वे पीले कनेर के उपयोग से अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा मिर्गी से परेशान लोग भी पीले कनेर से अपनी समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं। लेकिन हर शरीर की तासीर अलग होती है ऐसे में ये लोग इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

त्वचा संबंधी समस्या को करें दूर

त्वचा संबंधित कई समस्या को दूर करने में पीला कनेर बेहद उपयोगी है। बता दें कि जो लोग मस्से या दाग धब्बों से परेशान हैं वे पीले कनेर की छाल से बना पेस्ट अपनी त्वचा का पर लगा सकते हैं। बता दें कि यह पेस्ट दाद की समस्या से भी छुटकारा दिला सकता है।

बुखार की समस्या होगी दूर

 कुछ लोगों को रुक रुक कर बुखार आता है। वे इस समस्या को कम करने के लिए पीले कनेर का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे लोग पीले कनेर के पत्तों और छाल से बनाए काढ़े का सेवन करें। ऐसा करने से रुक रुक आने वाला बुखार हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
जोड़ों के दर्द में पीला कनेर से लाभ कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिला लें। इस लेप करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर

कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल 
में मिलाकर लगाएं। इससे पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर होता है।

लिंग की कमजोरी में

लिंग की कमजोरी में -10 ग्राम सफेद कनेर की जड़ को पीस लें। इसे 20 ग्राम घी में पकाएं। ठंडा करके लिंग (कामेन्द्रिय) पर मालिश करें। इससे लिंग के कम तनाव (कामेन्द्रिय की शिथिलता) की समस्या दूर होती है।कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कामेन्द्रिय पर उभरी नसों की समस्या दूर होती है। लिंग की कमजोरी दूर करने के लिए 2-3 बार नियमित मालिश करें।

मासिक धर्म की परेशानी से दिलाए छुटकारा

मासिक धर्म की परेशानी को दूर करने में भी पीले कनेर का उपयोग किया जा सकता है। बता दें कि मासिक धर्म के दौरान उठने वाले दर्द और बेचैनी से राहत दिलाने के लिए आप पीले कनेर के फूलों का इस्तेमाल काढ़े के रूप में कर सकते हैं।

दाद और चर्म रोग में 

दाद में पीला कनेर से लाभ सफेद कनेर की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छान लें। इसे लगाने से दाद और अन्य त्वचा विकारों में लाभ होता है।

कनेर के पत्तों से पकाए हुए तेल को लगाने से खुजली मिटती है।
पीले कनेर के पत्ते या फूलों को जैतून के तेल में मिलाकर मलहम बना लें। इसे लगाने से हर प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
पीला कनेर के उपयोग से कुष्ठ रोग का इलाज सफेद कनेर की जड़, कुटज-फल, करंज-फल, दारुहल्दी की छाल और चमेली की नयी पत्तियों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग का इलाज होता है।
कनेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने योग्य जल में मिला लें। नियमित रूप से कुछ दिन तक स्नान करने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है।
सफेद कनेर की छाल को पीसकर लेप करने से चर्म रोग (कुष्ठ रोग) में लाभ होता है।
पीले कनेर (पीत करवीर) की जड़ से पकाए हुए तेल को लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग, सफेद दाग दूर होता है।
पीला कनेर के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज कनेर के फूल तथा आँवले को कांजी में पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।
सफेद कनेर के पीले पत्तों को सुखाकर महीन पीस लें। सिर के जिस तरफ दर्द हो रहा हो उस तरफ से नाक में एक दो बार सूंघें। इस छींक आएगी और सिर दर्द ठीक हो जाएगा।

पीले कनेर के नुकसान

पीले कनेर का सेवन करने से पहले इसकी सही खुराक का पता होना जरूरी है। अगर इसकी अधिकता ज्यादा हो जाए तो व्यक्ति को उल्टी, डायरिया, सिर में दर्द, पेट में दर्द, जी मचलाने की समस्या, गंभीर दिल की समस्या, कमजोरी आदि समस्या हो सकती है। ऐसे में सही मात्रा का ज्ञान होना जरूरी है।
पीली कनेर का उपयोग फूल के अलावा छाल और जड़ के रूप में भी किया जाता है। ऐसे में आप फूल के अलावा छाल और जड़ों को पीसकर भी इसका उपयोग त्वचा, घाव आदि पर लगा सकते हैं। इसके लावा इसका उपयोग काढ़े के रूप में किया जाता है।