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15.6.17

बरसात मे होने वाले चर्म रोगों से बचाव और उपचार





बरसात का मौसम जहां एक तरफ लोगों को गर्मी से राहत देता है तो वहीं दूसरी तरफ कई प्रकार की बिमारियों का कारण भी बन जाता है। इस मौसम में दूषित परिवेश के कारण त्वचा से संबंधी बिमारियां बहुत तेजी से फैलती हैं। बारिश में बच्चे भीगना, खेलना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए इनमें त्वचा संबंधी रोगों का खतरा अधिक होता है। इसमें अधिकतर फोड़े-फुंसी, घमौरियां, खुजली, स्किन फंगस, कील-मुंहासे जैसी त्वचा संबंधी बिमारियां शामिल हैं।
बारिश में त्वचा संबंधी रोग के मुख्य कारण 
बारिश के मौसम में बहने वाली हवाओं में बैक्टीरिया और रोगजनित कीटाणु होते हैं। इनके संपर्क में आने से त्वचा संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। बारिश में भीगने, गंदा पानी, पसीना न सूखने और काफी देर तक गीला रहने पर, नमी के कारण फफूंद का संक्रमण हो जाता है। जिससे खुजली, चकते और फोड़े हो जाते हैं।
बारिश में त्वचा संबंधी रोगों से कैसे बचें? (Precautions for Skin Problems in Rainy Season)
बारिश के दिनों में त्वचा संबंधी रोग एक दूसरे से फैलने वाले होते हैं। यदि ये रोग परिवार के किसी एक सदस्य को हो जाएं तो उनसे अन्य सदस्यों को फैलने का खतरा बढ़ जाता है। त्वचा संबंधी रोगों से बचने के लिए जरूरी है कि हम बरसात के मौसम में कुछ बातों का ध्यान रखें।
बारिश में ज्यादा भीगने से बचना चाहिए।
बहुत देर तक गीले कपड़े या जूते पहने हुए नहीं रहना चाहिए।
इससे बचने के लिये भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचना चाहिये।
जहां गंदा पानी जमा हो वहां जाने से बचना चाहिए।
नहाने के पानी में डेटॉल, नींबू या उबले हुए नीम के पत्तों का रस मिलाकर नहाएं।



शरीर के बगलों (Under Arms) में ‘एंटी फंगल आइंटमेंट’ का प्रयोग करना चाहिए जहां फंगस का खतरा ज्यादा होता है।

ज्वेलरी और रंग छोड़ने वाले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
पैरों को फंगस से बचाने के लिए जूतों की बजाय चप्पल या सैंडल का इस्तेमाल करना चाहिए।
खान-पान का विशेष ध्यान रखें और ज्यादा तला हुआ न खाएं।
त्वचा से जुड़ी समस्याओं के लक्षण (Symptoms of Skin Problems in Rainy Season)
शरीर पर खुजली होना।
छोटे-छोटे व लाल रंग के दाने होना।
हाथ और पैरों की उंगलियों के बीच खुजली होना और त्वचा का लाल पड़ना।
घाव होना और उनसे मवाद आना।
त्वचा का लाल हो जाना
कपड़े पहनने पर चुभन महसूस होना।
अधिकतर समय धूप में बिताने वाले लोगों को चर्म रोग होने का खतरा ज्यादा होता है।
किसी एंटीबायोटिक दवा के खाने से साइड एफेट्स होने पर भी त्वचा रोग हो सकता है।
महिलाओं में मासिक चक्र अनियमितता की समस्या हो जाने पर भी उन्हे चर्म रोग होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
शरीर में ज़्यादा गैस जमा होने से खुश्की का रोग हो सकता है।
अधिक कसे हुए कपड़े पहेनने पर और नाइलोन के वस्त्र पहनने पर भी चमड़ी के विकार ग्रस्त होने का खतरा होता है।
नहाने के साबुन में अधिक मात्रा में सोडा होने से भी यह रोग हो सकता है।
खुजली का रोग ज़्यादातर शरीर में खून की खराबी के कारण उत्पन्न होता है।
गरम और तीखीं चिज़े खाने पर फुंसी और फोड़े निकल आ सकते हैं।
आहार ग्रहण करने के तुरंत बाद व्यायाम करने से भी चर्म रोग होने की संभावना रहती है।
उल्टी, छींक, डकार, वाहर (Fart), पिशाब, और टट्टी इन सब आवेगों को रोकने से चर्म रोग होने का खतरा रहता है।
शरीर पर लंबे समय तक धूल मिट्टी और पसीना जमें रहने से भी चर्म रोग हो सकता है।
और भोजन के बाद विपरीत प्रकृति का भोजन खाने से कोढ़ का रोग होता है। (उदाहरण – आम का रस और छाछ साथ पीना)
विशिष्ट परामर्श -


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लक्षण होने पर घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

बारिश के दिनों में त्वचा से जुड़े रोगों, जैसे खुजली, फोड़े -फुंसी, फंगस न सिर्फ व्यक्ति को तकलीफ देते हैं, बल्कि शरीर के कई अंगों पर गंदे और भद्दे दाग छोड़ जाते हैं। जिसके कारण हमारी त्वचा बहुत ही बदसूरत दिखने लगती है। यदि आपके शरीर के किसी भी हिस्से में खुजली है या लाल रैशेस हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बारिश के दिनों में संक्रमण जनित रोग स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकते हैं। इनसे बचने के लिए जरूरी है कि संक्रमण से एहतियात बरता जाए और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत जांच एवं इलाज करवाया जाए। साथ ही, गैर-संक्रमणजनित रोगों, जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, कैंसर जैसी जानलेवा बिमारियों की समय रहते पहचान बहुत जरूरी है।
*त्वचा रोग होने पर बीड़ी, सिगरेट, शराब, बीयर, खैनी, चाय, कॉफी, भांग, गांजा या अन्य किसी भी दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें।
*बाजरे और ज्वार की रोटी बिलकुल ना खाएं। शरीर की शुद्धता का खास खयाल रक्खे।
*त्वचा रोग हो जाने पर, समय पर सोना, समय पर उठना, रोज़ नहाना, और धूप की सीधी किरणों के संपर्क से दूर रहेना अत्यंत आवश्यक है।
*भोजन में अचार, नींबू, नमक, मिर्च, टमाटर तैली वस्तुएं, आदि चीज़ों का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए। (चर्म रोग में कोई भी खट्टी चीज़ खाने से रोग तेज़ी से पूरे शरीर में फ़ेल जाता है।)।
अगर खाना पचने में परेशानी रहती हों, या पेट में गैस जमा होती हों तो उसका उपचार तुरंत करना चाहिए। और जब यह परेशानी ठीक हो जाए तब कुछ दिनों तक हल्का भोजन खाना चाहिए।
*खराब पाचनतत्र वाले व्यक्ति को चर्म रोग होने के अधिक chances होते हैं।
*त्वचा की किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को हररोज़ रात को सोने से पूर्व एक गिलास हल्के *गुनगुने गरम दूध में, एक चम्मच हल्दी मिला कर दूध पीना चाहिए।
*नहाते समय नीम के पत्तों को पानी के साथ गरम कर के, फिर उस पानी को नहाने के पानी के साथ मिला कर नहाने से चर्म रोग से मुक्ति मिलती है।
*नीम की कोपलों (नए हरे पत्ते) को सुबह खाली पेट खाने से भी त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
*त्वचा के घाव ठीक करने के लिए नीम के पत्तों का रस निकाल कर घाव पर लगा कर उस पर पट्टी बांध लेने से घाव मिट जाते हैं। (पट्टी समय समय पर बदलते रहना चाहिए)।
*मूली के पत्तों का रस त्वचा पर लगाने से किसी भी प्रकार के त्वचा रोग में राहत हो जाती है।
*प्रति दिन तिल और मूली खाने से त्वचा के भीतर जमा हुआ पानी सूख जाता है, और सूजन खत्म खत्म हो जाती है।
*मूली का गंधकीय तत्व त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता है।
*मूली में क्लोरीन और सोडियम तत्व होते है, यह दोनों तत्व पेट में मल जमने नहीं देते हैं और इस कारण गैस या अपचा नहीं होता है।
*मूली में मेग्नेशियम की मात्रा भी मौजूद होती है, यह तत्व पाचन क्रिया नियमन में सहायक होता है। जब पेट साफ होगा तो चमड़ी के रोग होने की नौबत ही नहीं होगी।

परामर्श-


दामोदर चर्म रोग हर्बल औषधि
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