चाय और कॉफी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां पहले लोग इन्हें सिर्फ स्वाद के लिए पीते थे, वहीं आज स्वास्थ्य के लिहाज से इनका सेवन किया जा रहा है। आज हर्बल और ग्रीन-टी के रूप में कई विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी का नाम भी इसी क्रम में जुड़ गया है। बात हो वजन घटने की या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की, तो ग्रीन कॉफी एक बेहतर विकल्प हो सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आप पढ़ेंगे ग्रीन कॉफी के फायदे किस प्रकार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साथ ही इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के उपयोग और ग्रीन कॉफी के नुकसान के विषय में भी जानेंगे। पाठक इस बात पर जरूर गौर करें कि ग्रीन कॉफी लेख में शामिल किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है।
बाकी सभी खाने की चीजों की तरह, ग्रीन कॉफी भी पिछले कुछ साल से वजन कम करने में फायदे के तौर पर सामने आई है। यह सच है कि ग्रीन कॉफी को वजन कम करने के लिए जानी जाती है और इसका सेवन करने से कुछ किलो जरुर कम हो जाते हैं। लेकिन ग्रीन कॉफी के फायदे सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं हैं। ग्रीन कॉफी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो अपने साथ कई सारे फायदे लेकर आता है। इस बात की तह तक जाने के लिए हम आपके लिए ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान के साथ- साथ ग्रीन कॉफी को बनाने की विधि की जानकारी लेकर आए हैं।
ग्रीन कॉफी भी एक ऐसा उत्पाद है जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और विशेष रूप से एंटीऑक्सीडेंट हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। कुछ लोग वजन घटाने और विशेष स्वास्थ्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसका नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं। इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान की जानकारी प्राप्त करेगें।
चाय से ज्यादा लोग कॉफी को प्राथमिकता देते है। कोई इसे सुबह पीना पसंद करता है तो कोई अपनी थकान मिटाने के लिए पीता है तो कोई इसे मीठा खाने के बाद पीना पसंद करते है। इस कॉफी को पीने के फायदे है लेकिन वो सीमित है। हाल ही में ग्रीन कॉफी के बारे में पता चला है ये वजन कम करने में काफी मदद करता है। इस कॉफी में ज्यादा कुछ खास फर्क नहीं है, बस इस कॉफी की बीन्स कच्चे रुप में होती है। आमतौर पर कॉफी बीन्स को निकाल कर भूना जाता है ताकि उनका स्वाद अच्छा हो और महक अच्छी हो जाए। कई शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि इस कॉफी की बीन्स का स्वास्थ से महत्वपूर्ण संबंध है।
समय-समय पर पेय पदार्थों के स्वरूप और उनके सेवन के तरीकों में बदलाव कर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की कवायद दुनिया भर में होती रहती है। ग्रीन कॉफी ऐसा ही एक प्रयोग है। फिलहाल इसके लाभ और नुकसान को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं।
हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।
समय-समय पर पेय पदार्थों के स्वरूप और उनके सेवन के तरीकों में बदलाव कर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की कवायद दुनिया भर में होती रहती है। ग्रीन कॉफी ऐसा ही एक प्रयोग है। फिलहाल इसके लाभ और नुकसान को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं।
हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।
* क्या है ग्रीन कॉफी?
ग्रीन टी के चलन के साथ ही ग्रीन कॉफी को लेकर भी बहुत चर्चाएं की जाने लगीं। यह असल में कच्चे, बिना सिके हुए कॉफी के बीज होते हैं। इन्हें इसी स्वरूप में पीसकर काम में लाया जाता है। चूंकि ये प्राकृतिक और कच्चे रूप में काम में लिए जाते हैं, इसलिए इसे ग्रीन कॉफी कहा जाता है।
*रिसर्च के दौरान यह भी बात सामने आई है कि यदि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप को भूना जाएगा तो इससे असरकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि जो लोग सामान्य कॉफी पीने के शौकीन हैं उनका वजन कम नहीं होता क्योंकि इसे असरकारक तत्व भूनने के दौरान खत्म हो चुके होते हैं।
*दुनिया भर में कॉफी के इन बीजों का प्रयोग वजन घटाने के लिए विकल्प के तौर पर किया जा रहा है। लोग तेजी से इस ट्रैंड को अपना रहे हैं। असल में जानकारों का कहना है कि रोस्ट होने, यानी सिकने की प्रक्रिया में कॉफी के बीजों में मौजूद कुछ हेल्दी, प्राकृतिक रसायन नष्ट हो जाते हैं। पिछले कुछ समय में हुए कुछ शोध इस परिणाम को दर्शाने में सफल रहे हैं कि ग्रीन कॉफी का प्रयोग वजन घटाने में मदद कर सकता है।
रक्तचाप में ग्रीन कॉफी पीने के फायदे –
कई समस्याओं को दूर करने के साथ ही ग्रीन कॉफी रक्तचाप की समस्या को कम करने में भी फायदेमंद हो सकती है। एनसी
बीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले उच्च पॉलीफोनिक पदार्थो में क्लोरोजेनिक एसिड का महत्वपूर्ण स्थान है। यह माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर क्लोरोजेनिक एसिड रक्तचाप की समस्या को कुछ हद तक कम करने में कारगर हो सकता है।
हड्डियों की मजबूती के लिए ग्रीन कॉफी
हड्डियों की मजबूती के लिए ग्रीन कॉफी
सेहत के साथ ही ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, 100 ग्राम ग्रीन कॉफी में 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। वहीं, हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए कैल्शियम जरूरी पोषक तत्व है। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि कैल्शियम की कमी के कारण होने वाली हड्डियों के नुकसान को रोकने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, सीधे तौर पर ग्रीन टी हड्डियों के लिए किस प्रकार फायदेमंद हो सकती है, यह शोध का विषय है।
एकाग्रता और मूड में सुधार –
याददाश्त और मानसिक सुधार में भी ग्रीन काॅफी फायदेमंद हो सकती है। एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन्स में कुछ मात्रा कैफीन की होती है। शोध में पाया गया कि कैफीन, सामान्य तौर पर मूड, ध्यान, स्मृति और सतर्कता को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया कि अल्जाइमर के रोगियों पर ग्रीन कॉफी बीन्स का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। शोध के अनुसार, इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो अल्जाइमर की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं।
. एंटीऑक्सीडेंट –
ग्रीन कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखने में मददगार हो सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को जन्म देने वाले रोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसंस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा विकार) और अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
. भूख पर नियंत्रण –
लगातार भूख लगने की समस्या को ग्रीन कॉफी के जरिए ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण भूख को कम करता है, यह अभी शोध का विषय है.
याददाश्त और मानसिक सुधार में भी ग्रीन काॅफी फायदेमंद हो सकती है। एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन्स में कुछ मात्रा कैफीन की होती है। शोध में पाया गया कि कैफीन, सामान्य तौर पर मूड, ध्यान, स्मृति और सतर्कता को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया कि अल्जाइमर के रोगियों पर ग्रीन कॉफी बीन्स का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। शोध के अनुसार, इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो अल्जाइमर की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं।
. एंटीऑक्सीडेंट –
ग्रीन कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखने में मददगार हो सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को जन्म देने वाले रोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसंस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा विकार) और अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।
. भूख पर नियंत्रण –
लगातार भूख लगने की समस्या को ग्रीन कॉफी के जरिए ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण भूख को कम करता है, यह अभी शोध का विषय है.
पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद
ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।
अल्जाइमर और डिमेंशिया में
आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं।
ग्रीन काफी मे ओआरएसी ज्यादा मात्रा में होता है-
*ओआरएसी यानि ऑक्सीजन रेडिकल एबजॉरबेंस केपेसिटी ये एक तरीका होता है जिससे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा की जांच की जाती है। जब ग्रीन कॉफी की बीन्स की जांच की गई तो पाया गया कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में है। हाल ही के अध्यन में पता चला है कि ये कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी रोकने में कारगर है। दरअसल ये कैंसर के सेल को बनने से रोकती है।
*स्ट्रोक से बचाने में -
*ऊर्जा बढ़ाती है-
ये भी पाया गया कि ग्रीन कॉफी मेटाबॉलिजम रेट को बढ़ाती है जो कि आपकी दिनचर्या को पूरा करने में ऊर्जा देता है।
*वजन कम करता है-
कॉफी पीने के फायदे वजन घटाने में भी देखे जाते हैं। आपको बता दें कि कॉफी के सेवन से हमारा मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इसके जरिए शरीर खाए गए भोजन के जरिए अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा कॉफी के जरिए शरीर में गर्मी पैदा होती है जो फैट को जलाने का काम करती है। कॉफी के इन्हीं गुणों की वजह से वजन घटाने में कारगर माना जाता है।
डिप्रेशन की समस्या
पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद
ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।
ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।
अल्जाइमर और डिमेंशिया में
आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं।
यूं सामान्य तौर पर किसी भी चीज का सेवन हद से ज्यादा करना तकलीफदेह हो सकता है। ग्रीन कॉफी के मामले में भी यह बात लागू होती है। इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
*पेट की खराबी
* सिरदर्द
*एंग्जायटी आदि।
वहीं इसमें मौजूद कैफीन की मात्रा के कारण ग्रीन कॉफी का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषकर कुछ खास शारीरिक स्थितियों वाले लोगों के लिए, जिनमें शामिल हैं:
* ऑस्टियोपोरोसिस
* ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि से ग्रसित लोग।
* ग्लूकोमा
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
*ग्रीन कॉफी या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने के लिए भी कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इससे तकलीफ हो सकती है। इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
*इसके साथ ही कुछ विशेष औषधियों का सेवन करने वालों के लिए भी ग्रीन कॉफी के सेवन को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ग्रीन कॉफी में मौजूद कुछ तत्व इन औषध्ाियों के रसायनों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसी औषधियाँ हृदय रोगों के लिए, कमजोर हड्डियों के लिए, लंग डिसीज, मेनोपॉज, डिप्रेशन, स्कित्जोफ्रेनिया जैसी तकलीफों के लिए ली जाने वाली औषधियाँ शामिल हैं।
शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।
*ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।
यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी काफी का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।
*एंग्जायटी आदि।
वहीं इसमें मौजूद कैफीन की मात्रा के कारण ग्रीन कॉफी का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषकर कुछ खास शारीरिक स्थितियों वाले लोगों के लिए, जिनमें शामिल हैं:
* ऑस्टियोपोरोसिस
* ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि से ग्रसित लोग।
* ग्लूकोमा
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
*ग्रीन कॉफी या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने के लिए भी कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इससे तकलीफ हो सकती है। इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
*इसके साथ ही कुछ विशेष औषधियों का सेवन करने वालों के लिए भी ग्रीन कॉफी के सेवन को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ग्रीन कॉफी में मौजूद कुछ तत्व इन औषध्ाियों के रसायनों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसी औषधियाँ हृदय रोगों के लिए, कमजोर हड्डियों के लिए, लंग डिसीज, मेनोपॉज, डिप्रेशन, स्कित्जोफ्रेनिया जैसी तकलीफों के लिए ली जाने वाली औषधियाँ शामिल हैं।
शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।
*ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।
यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी काफी का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।
दिमाग को तेज करता है-
इस ग्रीन कॉफी को पीने से आपका मूड तो अच्छा हो ही जाता है लेकिन ये आपके दिमाग को भी तेज करता है। ये आपके दिमाग की गतिविधियों, प्रतिक्रिया, याददाश्त, सतर्कता को तेज करता है।
एंटी एजिंग-
आजकल ऐसा कौन है जो जवां दिखना नहीं चाहता है, हर कोई अपनी बढ़ती उम्र को रोकना चाहता है। ग्रीन कॉफी इस मामले में काफी मददगार है, जी हां ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।
कैफीन की मात्रा कम होती है-
जैसा की आपको हमने पहले बताया है कि इस कॉफी के बीन्स को भूना नहीं जाता है, इसका कच्चे रुप में ही सेवन किया जाता है। इसलिए इसमें सामान्य कॉफी की तुलना में कैफीन की मात्रा कम होती है। हालांकि कैफीन वजन कम करने में मदद करता है और आपके एकाग्रता में सुधार लाता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करना आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।
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