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30.10.23

पीले कनेर के फुल और पत्तियों से बीमारियों का इलाज




  आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी बूटियां मौजूद है जो शरीर से कई समस्या को दूर करने में उपयोगी हैं। वहीं पीला कनेर भी आयुर्वेद में कई समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। आमतौर पर कनेर के फूल के कई कलर होते हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं पीले कनेर की। घाव भरना हो या त्वचा की समस्या को दूर करना हो, पीला कनेर आपकी सभी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।

कब्ज की समस्या हो दूर

आज के समय में लोग कब्ज की परेशानी से बेहद परेशान हैं। इस परेशानी को दूर करने में पीला कनेर आपके काम आ सकता है। ऐसे में पीले कनेर के पत्तों और छाल का काढ़ा बनाएं और उसका सेवन करें। ऐसा करने से कब्ज की समस्या दूर होगी।

मलेरिया की समस्या


जिन लोगों को मलेरिया हो गया है वे पीले कनेर के उपयोग से अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा मिर्गी से परेशान लोग भी पीले कनेर से अपनी समस्या में राहत पहुंचा सकते हैं। लेकिन हर शरीर की तासीर अलग होती है ऐसे में ये लोग इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।

त्वचा संबंधी समस्या को करें दूर

त्वचा संबंधित कई समस्या को दूर करने में पीला कनेर बेहद उपयोगी है। बता दें कि जो लोग मस्से या दाग धब्बों से परेशान हैं वे पीले कनेर की छाल से बना पेस्ट अपनी त्वचा का पर लगा सकते हैं। बता दें कि यह पेस्ट दाद की समस्या से भी छुटकारा दिला सकता है।

बुखार की समस्या होगी दूर

 कुछ लोगों को रुक रुक कर बुखार आता है। वे इस समस्या को कम करने के लिए पीले कनेर का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे लोग पीले कनेर के पत्तों और छाल से बनाए काढ़े का सेवन करें। ऐसा करने से रुक रुक आने वाला बुखार हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
जोड़ों के दर्द में पीला कनेर से लाभ कनेर के पत्तों को पीसकर तेल में मिला लें। इस लेप करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर

कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल 
में मिलाकर लगाएं। इससे पीठ का दर्द, बदन दर्द दूर होता है।

लिंग की कमजोरी में

लिंग की कमजोरी में -10 ग्राम सफेद कनेर की जड़ को पीस लें। इसे 20 ग्राम घी में पकाएं। ठंडा करके लिंग (कामेन्द्रिय) पर मालिश करें। इससे लिंग के कम तनाव (कामेन्द्रिय की शिथिलता) की समस्या दूर होती है।कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कामेन्द्रिय पर उभरी नसों की समस्या दूर होती है। लिंग की कमजोरी दूर करने के लिए 2-3 बार नियमित मालिश करें।

मासिक धर्म की परेशानी से दिलाए छुटकारा

मासिक धर्म की परेशानी को दूर करने में भी पीले कनेर का उपयोग किया जा सकता है। बता दें कि मासिक धर्म के दौरान उठने वाले दर्द और बेचैनी से राहत दिलाने के लिए आप पीले कनेर के फूलों का इस्तेमाल काढ़े के रूप में कर सकते हैं।

दाद और चर्म रोग में 

दाद में पीला कनेर से लाभ सफेद कनेर की जड़ की छाल को तेल में पकाकर, छान लें। इसे लगाने से दाद और अन्य त्वचा विकारों में लाभ होता है।

कनेर के पत्तों से पकाए हुए तेल को लगाने से खुजली मिटती है।
पीले कनेर के पत्ते या फूलों को जैतून के तेल में मिलाकर मलहम बना लें। इसे लगाने से हर प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
पीला कनेर के उपयोग से कुष्ठ रोग का इलाज सफेद कनेर की जड़, कुटज-फल, करंज-फल, दारुहल्दी की छाल और चमेली की नयी पत्तियों को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग का इलाज होता है।
कनेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने योग्य जल में मिला लें। नियमित रूप से कुछ दिन तक स्नान करने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है।
सफेद कनेर की छाल को पीसकर लेप करने से चर्म रोग (कुष्ठ रोग) में लाभ होता है।
पीले कनेर (पीत करवीर) की जड़ से पकाए हुए तेल को लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
कनेर के 50 ग्राम ताजे फूलों को 100 मिली मीठे तेल में पीस लें। इसे एक हफ्ते तक रख दें। फिर 200 मिली जैतून के तेल में मिलाकर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग, सफेद दाग दूर होता है।
पीला कनेर के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज कनेर के फूल तथा आँवले को कांजी में पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।
सफेद कनेर के पीले पत्तों को सुखाकर महीन पीस लें। सिर के जिस तरफ दर्द हो रहा हो उस तरफ से नाक में एक दो बार सूंघें। इस छींक आएगी और सिर दर्द ठीक हो जाएगा।

पीले कनेर के नुकसान

पीले कनेर का सेवन करने से पहले इसकी सही खुराक का पता होना जरूरी है। अगर इसकी अधिकता ज्यादा हो जाए तो व्यक्ति को उल्टी, डायरिया, सिर में दर्द, पेट में दर्द, जी मचलाने की समस्या, गंभीर दिल की समस्या, कमजोरी आदि समस्या हो सकती है। ऐसे में सही मात्रा का ज्ञान होना जरूरी है।
पीली कनेर का उपयोग फूल के अलावा छाल और जड़ के रूप में भी किया जाता है। ऐसे में आप फूल के अलावा छाल और जड़ों को पीसकर भी इसका उपयोग त्वचा, घाव आदि पर लगा सकते हैं। इसके लावा इसका उपयोग काढ़े के रूप में किया जाता है।