पारिजात के फायदे
जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत
पारिजात के पत्तों में पाए जाने वाले पावरफुल एंटी इंफ्लेमेटरी और दर्दनिवारक तत्व गठिया, रुमेटी गठिया और ऑस्टियोआर्थराइटिक दर्द से जुड़ी सूजन, जकड़न और तेज दर्द से तुरंत राहत प्रदान करते हैं.
साइटिका के दर्द में आराम
साइटिका का दर्द, जो अक्सर असहनीय होता है और पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक जाता है, पारिजात के पत्तों के सेवन से भी राहत मिलती है.
पारिजात का फूल गठिया दर्द, साइटिका, पुरानी पीठ दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटियों में से एक है। आप पारिजात की चाय बनाकर पी सकते हैं। यह चाय स्वाद में भी बेहतर है और कई लाभ देती है। आप अपने दर्द के अनुसार दिन भर में 1-2 गिलास चाय पी सकते हैं।
पारिजात का फूल गठिया दर्द, साइटिका, पुरानी पीठ दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द के लिए सबसे अच्छी जड़ी-बूटियों में से एक है। आप पारिजात की चाय बनाकर पी सकते हैं। यह चाय स्वाद में भी बेहतर है और कई लाभ देती है। आप अपने दर्द के अनुसार दिन भर में 1-2 गिलास चाय पी सकते हैं।
इन समस्याओं को खत्म करने के लिए आप पारिजात के पत्तों की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसके लिए 3-4 पत्तियां लेकर उन्हें 1 गिलास पानी में आधा होने तक उबालें। इसके बाद छानकर पे लें।
वात से जुड़े विकार भी होंगे खत्म
यह वात विकार जैसे गठिया, साइटिका, पीठ दर्द और अन्य जोड़ों के दर्द के लिए सबसे बढ़िया उपाय है।
डेस्क जॉब वाले जरूर पिएं ये चाय
डेस्क जॉब वाले लोगों, कंप्यूटर पर काम करने वालों को अक्सर बैठने की स्थिति के कारण रुक-रुक कर पीठ दर्द होता है, वे भी पीठ दर्द को कम करने के लिए पारिजात चाय का सेवन कर सकते हैं।
पारिजात का काढ़ा कैसे बनाया जाता है?
काढ़ा बनाने के लिए आपको पारिजात की 5–7 ताजी हरी पत्तियां और 2 कप पानी की जरूरत होगी।
सबसे पहले पारिजात की पत्तियों को साफ पानी से धो लें।
अब एक पैन में 2 कप पानी लें और उसमें ये पत्तियां डाल दें।
इस पानी को धीमी आंच पर पकने दें जब तक यह एक कप न रह जाए।
अब इसे छान लें और गुनगुना रहने पर सेवन करें।
चाहें तो हल्का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा शहद मिला सकते हैं।
अब एक पैन में 2 कप पानी लें और उसमें ये पत्तियां डाल दें।
इस पानी को धीमी आंच पर पकने दें जब तक यह एक कप न रह जाए।
अब इसे छान लें और गुनगुना रहने पर सेवन करें।
चाहें तो हल्का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा शहद मिला सकते हैं।
हरसिंगार की चाय (Herbal Tea)
साइटिका के दर्द की वजह से जब खड़ा होना भी मुश्किल होने लगे, तो इस स्थिति में आप हरसिंगार की चाय बनाकर पी सकते हैं। इसकी चाय बनाने के लिए हरसिंगार की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। हरसिंगार की चाय बनाने के लिए आप जो सामान्य चाय बनाते हैं, उसमें हरसिंगार की पत्तियां डालें। उबाल आने के बाद इसे छलनी की मदद से छान लें। अब चाय की चुस्कियों का मजा लें। इससे आपके मसल्स रिलैक्स होंगे और आपको काफी अच्छा महसूस होगा। ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से इस चाय का सेवन करने से शरीर पर जलनरोधी प्रभाव पड़ सकता है।
पारिजात के पत्ते पत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखारआदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले सांप के विष के असर को कम करने वाले टॉनिक विरेचक , स्वेदजनक और मूत्रवर्धकगुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में, को प्रयोग किया जाता है।
क्या पारिजात और हरसिंगार एक ही हैं?
पारिजात और हरसिंगार एक ही पौधे के दो नाम हैं। यह एक सुगंधित फूलों वाला पौधा है, जिसे धार्मिक और औषधीय दृष्टि से बहुत महत्व दिया जाता है। इसके सफेद फूलों में केसरिया रंग की डंडी होती है और ये सुबह के समय जमीन पर झड़ते हैं। पारिजात या हरसिंगार के पत्तों, फूलों और छाल का उपयोग आयुर्वेद में बुखार, दर्द, गठिया और कई अन्य रोगों के उपचार में किया जाता है।
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