29.10.23

औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा



पारिजात सफेद फूलों वाला पेड़ है, जिसे हरसिंगार भी कहा जाता है। इसके पत्ते व फूलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है। आजकल लोग घर पर भी इस पेड़ को उगाने लगे हैं क्योंकि इसके पत्तों का इस्तेमाल कई घरेलू उपचारों में भी किया जाता है। आजकल मार्केट में भी हरसिंगार के बीज, ताजे पत्ते व इनसे बने कई प्रोडक्ट मिल जाते हैं।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
पारिजात दिव्य गुणों से युक्त पेड़ है। इसे संस्कृत में शेफालिका कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल जिसमें शिलीमुख अर्थात भंवरा आराम से सोता है। इसे हरिश्रृंगार या हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स है। पारिजात, आयुर्वेद का एक बहुत ही अच्छी तरह से जाना जाने वाला औषधीय पौधा है। यह भारतवर्ष का मूल निवासी है। यह उप-हिमालयी क्षेत्रों से दक्षिण के गोदावरी तक मिलता है। पारिजात के पुष्पों, पत्तों, आदि का औषधीय कार्यों के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में इस्तेमाल बहुत पुराने समय से उपयोग किया जाता रहा है।
पारिजात के पुष्पों को भगवान् श्री कृष्ण की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसकी बहुत ही अनुपम गंध होती है। पारिजात के पुष्प रात में खिलते है और सुबह स्वतः ही गिर जाते है।
कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष सागर मंथन से उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष को इन्द्र ने अपने उद्यान नंदन कानन में लगा दिया। देवराज इंद्र के निमंत्रण पर जब श्री कृष्ण स्वर्ग लोग में अपनी पत्नी देवी रुकमणी के साथ पहुंचे तो देवराज ने स्वागत में यह पुष्प उन्हें भेंट किये। इन पुष्पों को देवी रुकमणी ने अपने बालों में धारण कर लिया। जब श्री कृष्ण और रुकमणी, द्वारका वापस लौटे तो उन पुष्पों को देख श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा उस पुष्प के पेड़, पारिजात को लाने की जिद की। श्री कृष्ण ने इंद्र से आग्रह किया की वे उन्हें पारिजात दे दें। लेकिन इंद्र ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। तब श्री कृष्ण ने इन्द्र से घनघोर युद्ध कर इस वृक्ष को जीत कर धरती पर लाये और इसे द्वारका में प्रतिष्ठित किया।
पारिजात का पेड़ झाड़ी जैसा होता है। इसकी जड़ के पास से कई तने निकल आते हैं । इसके पत्ते हरे खुरदरे और रोएँ युक्त होते हैं। ऊपर से ये हरे और नीचे से हलके रंग के होते है। पारिजात के पुष्प पेड की टहनी पर गुच्छे में लगते है। पारिजात पुष्प की ६-७ पंखुड़ियाँ सफ़ेद रंग की होती और नारंगी रंग की डंठल से जुडी होती है। पुष्प खिलने के बाद हरे गोल रंग के चपटे फल लगते है।
पारिजात फूलों से पीला रंग भी निकाला जाता है। यह रंग कपड़ों को रंगने और पुलाव को पीला रंग देने के लिए होता है।
पारिजात के पत्ते Leavesपत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण sciatica, chronic fever, rheumatism, internal worm infections आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखार आदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह fever, high blood pressure and diabetes के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले  सांप के विष के असर को कम करने वाले टॉनिक tonic, विरेचक laxative, स्वेदजनक  और मूत्रवर्धक  गुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में को प्रयोग किया जाता है।

पारिजात के फूल  

पारिजात के पुष्पों को पित्त दोष कम करने, कफ, वात कम करने, टॉनिक, बवासीर और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
पुष्पों के पीले हिस्से का प्रयोग सिल्क और सूती कपड़ों को रंगने में भी होता है।

पारिजात का तना 

परंपरागत रूप से स्टेम छाल के पाउडर का प्रयोग गठिया, जोड़ों के दर्द rheumatic joint pain, मलेरिया, और कफ को ढीला करने के लिए होता है। ओड़िसा मलेरिया के उपचार के लिए, छाल के पाउडर, अदरक, और पिप्पली का काढ़ा बनाकर दो दिन तक लिया जाता है।
पारिजात के बीज Seedsबीजों को कृमि नाशक anthelmintics और खालित्य/गंज alopecia में इस्तेमाल किया जाता है।
यह पित्त को कम करता है और कफ को ढीला कर बाहर निकालने expectorant में मदद करता है। यह पित्त की अधिकता से होने वाले बुखार में भी उपयोगी है।
बीजों का पाउडर का प्रयोग सिर में रुसी, पपड़ी, सूखी त्वचा का इलाज करने लिए प्रयोग लिया जाता है। इसके अतिरित इसे बवासीर और त्वचा रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।

साइटिका, ग्रिध्सी Sciatica

1. पारिजात, ३-६ पत्तों को कूट कर पानी में उबाल, सुबह और शाम रोज़ पीने से लाभ होता है।
2. पारिजात के सूखे पत्तों का पाउडर, 1 चम्मच पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।

आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द Arthritis, joint pain

पारिजात के पत्ते, पुष्प, छाल, टहनी को ५ ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढा बनाकर रोज़ पियें।

जोड़ों की सूजन

पारिजात के फूलों का पेस्ट लगायें।

हड्डी टूटना Fracture

पत्ते और छाल का पेस्ट लगाकर एक कपड़े से कसकर लपेट दें।

शरीर में दर्द, सूजन


३-६ पत्तों को कूट कर दो गिलास पानी में उबाल कर दिन में दो बार पिए।

पुराना बुखार

बुखार के लिए, पारिजात की पत्तियों का रस ४-६ ग्राम, शहद में मिलाकर, गर्म पानी के साथ, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लेने से पीने से लाभ होता है।

पारिजात है त्वचा रोगों का इलाज करने में मददगार

त्वचा रोगों का इलाज करने में भी पारिजात काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कई प्रकार के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाली सूजन, लालिमा, जलन व अन्य क्षति को रोकने में मदद करते हैं।
हालांकि, पारिजात से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ प्रमुख रूप से कुछ अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग असर हो सकता है।

मलेरिया Malaria, विषम ज्वर

मलेरिया में, पारिजात की पांच ताजा पत्तियों का पेस्ट, मौखिक रूप से दिन में तीन बार, 7-10 दिनों तक दिया जाता है।

बुखार Fever

पारिजात की २-३ पत्तियां, ३ ग्राम छाल, और तुलसी के कुछ पत्तों को ले कर पानी में उबाल कर सुबह-शाम पिए।
पेट में कीड़े, आंत के कीड़े पत्तों का रस ४-६ ग्राम की मात्रा में, १ चम्मच शहद और चुटकी भर नमक के साथ लें।
दो चम्मच पारिजात पुष्पों के रस को एक चुटकी नमक के साथ दो दिनों लें।
पारिजात के पत्तों का रस २ चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट लें।

बालों में रुसी

बालों में पारिजात के बीजों को पीस कर लगायें।

कफ, छाती में कफ के कारण जकड़न

पत्तों का रस शहद के साथ लें।
सर्दी खांसी Cough/coldतीन पत्तियों और काली मिर्च का पेस्ट मौखिक रूप से पानी के साथ लें।
चाय बनाते समय पारिजात के १-२ पत्ते डाल कर पीने से लाभ होता है।

मधुमेह Diabetes

40 दिन लगातार, मौखिक रूप से पत्तियों का काढा लें।

घाव Wound

बाहरी रूप से पत्ती पीस कर लगाएँ।

पारिजात की औषधीय मात्रा

पारिजात की छाल की औषधीय मात्रा ३ रत्ती (1 ratti=125 mg) है।

पारिजात के पत्तों की औषधीय मात्रा 3-6 ताज़ा पत्ते है।


पारिजात के नुकसान

पारिजात कोई सामान्य जड़ी-बूटी नहीं है और इसका सेवन करने से कुछ लोगों को शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। पारिजात का सेवन करने से कुछ लोगों को निम्न समस्याएं हो सकती हैं -पेट में दर्द या पेट फूलना
सीने में जलन और खट्टी डकार
मतली और उल्टी
सिरदर्द या सिर घूमना
दस्त

पारिजात का उपयोग कैसे करें

पारिजात का उपयोग निम्न तरीके से किया जा सकता है -पत्तों या फूलों को पानी मे उबालकर उसे पीएं
पत्तों को चाय में डालकर सेवन करें
रस को पानी में मिलाकर
काढ़ा बनाकर


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