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14.10.19

इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता/Electropathy recognised




इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता विधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज /
 इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता विधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज

Kishangarh News - भास्कर न्यूज| मदनगंज-किशनगढ़ आयुर्वेदिक ऐलोपैथिक चिकित्सा की तरह अब इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े...

Bhaskar News Network

Apr 02, 2018, 05:05 AM IST
इलेक्ट्रोपैथी को सरकार ने दी मान्यता िवधेयक पारित, डाॅक्टर कर सकेंगे इलाज

भास्कर न्यूज| मदनगंज-किशनगढ़
आयुर्वेदिक ऐलोपैथिक चिकित्सा की तरह अब इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति से जुड़े चिकित्सक इलाज कर सकेंगे। सालों से चली आ रही इस चिकित्सा पद्धति को अब तक मान्यता नहीं थी। हाल ही में इस चिकित्सा पद्धति को राजस्थान सरकार ने आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्याेपैथी, यूनानी के समकक्ष मानते हुए मान्यता दी है। विधानसभा में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति विधेयक 2018 पारित किया है। इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा परिषद के डॉ. देवराज पुरोहित, डॉ. योगेंद्र पुरोहित ने बताया कि इसके लिए राजस्थान इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति बोर्ड का गठन किया जाएगा। जो चिकित्सा पद्धति के विकास, शिक्षा, चिकित्सा व रिसर्च की दिशा में कार्य करेगा। राजस्थान पहला ऐसा प्रदेश है जहां इस चिकित्सा पद्धति को मान्यता मिली है।
25 से ज्यादा इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक: इस पद्धति से इलाज करने वाले चिकित्सक उपखंड में 25 से ज्यादा और प्रदेश में दो से ढ़ाई हजार है। ये चिकित्सक 16 साल से मान्यता के लिए प्रयास कर रहे हैं।
क्या है चिकित्सा पद्धति: डॉ. देवराज पुरोहित के अनुसार इलेक्ट्रोपैथी में दवाओं का निर्माण नॉन पॉइजन वनस्पति से किया जाता है, करीब 114 पौधों से इसकी दवा बनती है। इलेक्ट्रो का अर्थ शरीर में पाए जाने वाली धनात्मक व ऋणात्मक शक्ति है, होम्यो का अर्थ समानता एव पैथी का अर्थ चिकित्सा व सिद्धांत से है। अत: इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से मनुष्य में असामान्य शक्ति को पेड़-पौधों से प्राप्त रस में उपस्थित धनात्मक व ऋणात्मक शक्तियों के द्वारा समान किया जाता है।
सरकार ने बनाई कमेटी: इस चिकित्सा पद्धति की मान्यता के लिए सरकार के द्वारा वैज्ञानिक एवं विधिक विश्लेषण कमेटी का गठन किया था। विशेषज्ञों ने इसका इतिहास, पद्धति का परिचय, सिद्धांत गुण, अवगुण, इलेक्ट्रोपैथी साहित्य पर जांच के बाद कमेटी ने मत रखा कि यह चिकित्सा पद्धति सरल, सुलभ है जिसका साइड इफेक्ट नहीं है।
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