23.12.21

आलू खाने के स्वास्थ्य लाभ:benefits of potatoes

 




   हर इंसान को आलू खाना पंसद होता है। इसे सभी अपने-अपने तरीके से रेसिपी बनाकर खाते है। लेकिन आप जानते है कि यह हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। इसका सेवन करने से आपको कई बीमारियों से निजात मिल जाता है। इसका इस्तेमाल करने से केवल सेहत ही नहीं बल्कि सौंदर्य के लिए भी किया जाता है। कई लोग मानते है कि आलू खाने से आप मोटे हो जाएगे। जबकि ऐसा कुछ नहीं है |   
*उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
* आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
* कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।
benefits potatoes -आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं। 

* आलुओं में मुर्गी के चूजों जितना प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है।
भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
* चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
benefits potatoes- गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं। 

*क्या आप जानते हैं आलू में बहुत अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता हैं. जो कि सेहत के लिए फायदेमंद है. ऐसे में आपको कोशिश करनी चाहिए कि जब आप आलू का इस्तेमाल करें तो उसे अच्छे से धोकर बिना छिलका उतारे ही इस्तेमाल करें. ताकि इसमें मौजूद पौटेशियम का पूरा-पूरा फायदा मिल सके|
* रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।
* कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ ।
* शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।

आलू का रस पीने के फायदे / benefit of potato juice

आलू के जूस को पीने से आप आसानी से अपने कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रण में रख सकते हैं। यह आपके समस्त स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या का हल भी है।
*आलू का जूस आपके बढ़ते हुए वजन को घटा देता है। इसके लिए सुबह अपने नाश्ते से दो घंटे पहले आलू का जूस का सेवन करें। यह भूख को नियंत्रित करता है और वजन को कम कर देता है।
*गठिया के रोग में आलू का जूस बेहद कारगर तरह से काम करता है। आलू के जूस को पीने से यूरिक एसिड शरीर से बाहर निकलता है। और गठिया की सूजन 
gout inflammation को कम करता है।
*लिवर और गॉल ब्लैडर की गंदगी को निकालने के लिए आलू का जूस काफी मददगार साबित होता है। जापानी लोग हेपेटाइटिस से निजात पाने के लिए आलू के जूस का इस्तमाल करते हैं ।
 *आपके बालों को जल्दी बड़ा करने के लिए आलू के जूस का नियमित मास्क काफी मददगार साबित होता है। एक आलू को लेकर इसका छिलका निकाल लें। इसके टुकड़ों में काटकर पीस लें। अब इससे रस निकाल लें और इसमें शहद और अंडे का उजला भाग मिला लें। अब इस पेस्ट को सर और बालों पर लगाएं। इसे दो घंटे तक रखें और उसके बाद शैम्पू से धो लें।

*अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो यह आपके लिए बेहद फायदेमंद चीज है। इसका सेवन करने से यह शरीर के खून में शर्करा के स्तर को कम करने में काफी प्रभावकारी साबित होगा।
*अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो आलू का रस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए इसके रस को रोजना आधा कप पिएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।
*ह्रदय की बिमारी और स्ट्रोक से बचने और इसे कम करने के लिए आलू सबसे अच्छा उपाय है।
यह नब्ज़ के अवरोध, कैंसर, हार्ट अटैक और ट्यूमर को बढ़ने से कम करता है।
*potato juice-किडनी की बिमारियों का इलाज करने के लिए आलू का जूस पीने की आदत डालें। यह ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है। आलू का जूस मूत्राशय में कैल्शियम का पत्थर बनने नहीं देता।

*gout inflammation-आलू का जूस जोड़ों के दर्द व सूजन को खत्म करता है। अर्थराइटिस से परेशान लोगों को दिन में दो बार आलू का जूस पीना चाहिए। यह दर्द व सूजन में राहत देता है। शरीर में खून के संचार को भी बेहतर बनाता है आलू का जूस।
*अगर आपके चेहरे में दाग, धब्बे और पिपंल है तो आलू का रस काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स के साथ पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्त जैसे खनिज पाया जाता है, जोकि हमारी स्किन के लिए फादेमंद है

क्या हम आलू का जूस स्टोर कर सकते हैं?

आलू का जूस फ्रिज में ज्यादा से ज्यादा 3 से 4 दिन तक रह सकता है। लेकिन इसे जितना हो सके ताजा सेवन करने की सलाह दी जाती है।

आलू का रस कैसे बनाएं

आलू का रस बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। नीचे जानिए आलू का जूस कैसे बनाते हैं:

सामग्री :
1-2 आलू

बनाने की विधि:

सबसे पहले बिना किसी दाग-धब्बों वाला कच्चा आलू लें।

अब इसे अच्छी तरह धो लें।
अगर इस पर कोई अंकुरित कोंपले हैं, तो उसे भी हटा दें।
अब आलू को छीलकर इसे कद्दूकस कर लें।
अब एक कटोरी में आलू के इस गूदे को निचोड़कर उसका रस निकालें और उसका सेवन करें।

रोजाना आलू का जूस पीने से क्या हो सकता है?

अगर रोजाना उचित मात्रा में आलू का जूस का सेवन किया जाए, तो यह गठिया, कब्ज, शरीर की सफाई करने और पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में मदद कर सकता है
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  • 2.12.21

    छुहारे ,खजूर,खारक खाने के फायदे : Benefits of dates




    प्राचीन काल से ही हमारे यहां लोग छुहारे का सेवन करते आ रहे हैं। जहां गर्मियों में छुहारे के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, तो वहीं सर्दियों में इसके छुहारे के फायदे बढ़ जाते हैं। क्योंकि ये शरीर को गर्माहट देने के साथ ही डायबिटीज, साइटिका, कब्ज समेत कई सारी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आयुर्वेद में छुहारे के फायदे का विस्तृत रूप से उल्लेख मिलता है। इसलिए आज हम आपको छुहारे के फायदे के बारे में बता रहें हैं। जिससे आप छुहारे का सेवन करके खुद को सेहतमंद बना सकते हैं और कई सारी गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

    छुहारे का नित्य उपयोग करने से हमारे फेफड़े व् चेस्ट को शक्ति मिलती है। और साँस के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होती है।
     शरीर को मजबूत बनाने के लिए 2 या 3 छुहारों का उपयोग प्रतिदिन किया जाता है।
    *प्रतिदिन छुहारो का उपयोग करने से पेट में गैस आदि नहीं बनती है ।और शरीर हष्ठ्पुष्ठ बना रहता है।
    *छुहारे की गुठली पानी के साथ सिल पर घिस कर उसे फोड़े फुंसी पर लगाने से बहुत फायदा होता है। छोटे बच्चों को छहारा खिलाने से बच्चो को सोते समय पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है। इसी कारण से छुहारा हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।और हमारे शरीर के लिये उपयोगी होता है। बच्चो के शरीर के विकार के लिए छुहारा रामबाण की तरह काम करता है।
    *छुहारे खानें के फायदे: छुहारे स्वास रोग मे बहूत ही फायदेयंद है क्योकि यह छाती और फेफड़ो को ताकत देने मे मदद करता है। अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें सांस के रोग कम से कम लगते हैं। और अगर पहले किसी को सांस के रोग है और वह छुहारे का सेवन करते हैं तो उनको इस में बहुत ही फायदा मिलता है। दूध के साथ इसका सेवन करने पर यह शरीर को मजबूत बनाता है। अगर आपका शरीर कमजोर है तो आपको छुहारे का सेवन दूध में डालकर करना चाहिए। जिसके साथ साथ आपका वजन बढ़ने लगेगा और आपका शरीर भी मजबूत होने लगेगा। दूध मे उबाल कर इसको 2 से 3 महीने लगातार खाने पर यह आपका वजन बढ़ाने मे भी मदद करता है।आपको बता दें कि छुहारा, खजूर के सूखने के बाद बनता है।

    ब्लड प्रेशर

    छुहारा लो ब्लड प्रेशर वाले लोग 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें. इसके बाद गाय के गर्म दूध के साथ छुहारे के गुदे को उबाल लें. उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं. कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर से छुटकारा मिल जाएगा.

    डाइजेशन में लाभदायक

    छुहारा खाने से पेट को अतिरिक्त बल मिलता है जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाता है. रोजाना छुहारे का सेवन करने से आपका डाइजेशन अच्छा रहेगा.

    कब्ज

    रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता.

    दिल की समस्या को दूर करे छुहारा

    बता दें कि हृदय प्रणाली पर छुआरा काफी प्रभावशाली है। चूंकि छुहारे के अंदर वसा कम मात्रा में पाया जाता है और इसके अंदर किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रोल भी नहीं पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। साथ ही इसके अंदर सोडियम की मात्रा भी कम होती है व पोटेशियम अधिक होता है जो शरीर में रक्त के दबाव को नियंत्रित करता है।

    आंख पर गुहेरी

    आंख पर गुहेरी होने पर इसका लेप इस्तेमाल करने पर आपको जल्दी फायदा मिलेगा और इसके साथ साथ आप लेप को शरीर के किसी भी घाव पर भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा जिन लोगों को रात में दिखाई नहीं देता है अगर वह लोग छुहारे का लगातार सेवन करते हैं तो उन को रात में न दिखने की प्रॉब्लम कम हो जाती है। इसमे मौजूद कैल्सियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। जो इसके साथ-साथ यह हमारी हड्डियों को स्वस्थ और ताकतवर बनाने का काम करता है। यह कई तरह की बीमारियों से भी लड़ता है।जैसे कि हमारी हड्डियों में दर्द होना। खजूर में मेगनीज, कोपर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है जो की हड्डियों की हेल्थ के लिए बहुत ही बढ़िया है।
    *रेगुलर3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा। यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा। आपने बादाम का हलवा तो खूब खाया होगा लेकिन क्या आपने छुहारा का हलवा खाया है? यह भी बादाम के हलवे की तरह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह हलवा सर्दियों के दिनों में बहुत ही लाभदायक होता है। इसे आप कई दिनों तक रख भी सकते हैं।

    खांसी और जुकाम को दूर करें खजूर और दूध

    दूध और खजूर का उपयोग काफी पुराने समय से चला आ रहा है। यह न केवल खांसी जुकाम की परेशानी को दूर करता है बल्कि अगर एक चुटकी काली मिर्च और इलाइची का पाउडर दूध में मिलाया जाए और खूजर के साथ इसका सेवन किया जाएगा तो यह सर्दी भगाने में भी बेहद उपयोगी है।

    जुएं

    छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं.

    श्वास संबंधी रोग में फायदेमंद

    छुहारे श्वास रोग मे बहुत ही कारगर साबित होता है, क्योंकि यह छाती और फेफड़ों को ताकत देने मे मदद करता है. अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें श्वास संबंधी रोग नहीं होते और अगर पहले से किसी को सांस संबंधी परेशानी है तो छुहारे का सेवन करने से बहुत ही फायदा मिलता है.

    पेशाब की समस्या करे दूर

    छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा. इसके अलावा यदि आपका बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं

    बालों को स्वस्थ बनाएं

    छुआरे के अंदर विटामिन b5 पैंटोथैनिक एसिड पाया जाता है जो बालों के लिए एक हेल्दी खुराक के रूप में काम करता है। ऐसे में इसका नियमित रूप से सेवन सेवन रूखे बालों का झड़ना, दो मुंहिये वालों की समस्या आदि को दूर कर सकता है। वहीं जो लोग बाल झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं वे नियमित रूप से छुहारे का उपयोग कर सकते हैं। छुहारा पोषक तत्व से भरा हुआ है, ऐसे में ये स्वस्थ बालों का विकास करता है और बालों को मजबूती देता है, जिससे बाल चमकदार नजर आते हैं।

    भूख न लगने की समस्या को करे खत्म

    जिन लोगों को भूख नहीं लगती है उन्हें छुहारे का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके लिए छुहारे के गूदे को दूध के साथ उबाल लें. ठंडा होने के बाद दूध को मिक्सर में डालकर पीस लें. इसके सेवन करने से भूख न लगने की समस्या खत्म हो जाती है.

    वजन बढ़ाने में मददगार

    शारीरिक रूप से कमजोर और पतले लोगों के लिए छुहारा किसी वरदान से कम नहीं है. इसके लिए छुहारे को दूध के साथ मिलाकर पिएं. लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें.

    दूध में कितने छुहारे खाने चाहिए?

    रोजाना दूध और 3 छुहारे का सेवन शरीर को मजबूत बनाता है और कमजोरी को दूर भगाता है। अत्यधिक दुबले-पतले व्यक्ति अगर रोजाना 250 ग्राम दूध में छुहारे उबालकर इसका सेवन करते हैं तो इससे उन्हें मोटापा बढ़ाने में मदद मिलती है।

    सर्दी-जुकाम को भगाए दूर

    सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो एक गिलास दूध में पांच छुहारे, पांच दाने काली मिर्च और एक इलायची डालकर अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डालें. फिर रात में सोने से पहले पी लें. सर्दी-जुकाम तुरंत आराम मिल जाएगा. इसके अलावा छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी, छींक, और बलगम में भी राहत मिलती है.

    घाव व चोट भरने में लाभदायक

    छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर में घिस लें. इस पेस्ट को घाव और चोट पर लगाने से यह जल्दी भर जाता है.

    दांतों को बनाए मजबूत

    छुहारे को गर्म दूध के साथ पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना आदि में भी लाभ मिलता है.

    कब्ज की समस्या

     रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता. छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा

    खजूर खाने का सही समय क्या है?

    एक्सपर्ट की मानें तो खजूर सुबह के वक्त खाना ज्यादा बेहतर होता है. अगर आपका हीमोग्लोबिन लेवल कम है तो इसे लंच में खाने के बाद खाएं. बच्चों को दिन में खाने के बीच खजूर देना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है
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  • 28.11.21

    गाय के घी के कमाल के फायदे:Benefits of Cow Ghee

     




     अध्यात्म और शारीरिक दोनों ही रूप से गाय के घी का बहुत ही महत्व है। शास्त्रों में और आयुर्वेद में इसको अमृत सामान माना गया है। इसको देवी देवता को खुश करने के लिए शुद्ध घृत की ज्योति एवं हवन में उपयोग किया जाता है। इसके सेवन से कमजोर व्यक्ति के कई रोग दूर होकर शरीर बलवान और शक्तिशाली बनता है। इससे त्वचा,सिर,पेट के रोगो में लाभ होता है। इसकी कुछ बुँदे नाक में डालने से, एनिमा लेने से पित्त और वात रोग का इलाज किया जाता है। घृत के सेवन के अनगिनत फायदे है।

    स्त्री यौन रोग (श्वेत प्रदर) में

    घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर (बूरा) तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें। प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है।

    गाय के घी के सेवन कमजोरी का इलाज

    यह स्मरण रहे कि घृत के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

    आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए

    एक चम्मच शुद्ध घृत में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

    यादाशत बढाएं

    गाय के घी को नाक में डालने से यादाशत अच्छी होती है और बच्चों के लिए यह बहुत फायदेमंद है।

    बलगम से छुटकारा

    घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

    फफोले का उपचार

    फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

    अच्छी नींद

    रात को नींद नहीं आती तो रात को नाक में घी डालकर सोएं,नींद अच्छी आएगी और सारा दिन फ्रैश रहेगें।

    पुराने जुखाम से राहत

    लंबे समय से जुखाम से परेशान हैं और दवाइयों से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा तो रात को रोजाना गाय का घी डालकर सोएं। इसके लगातार इस्तेमाल से जुखाम से राहत पाई जा सकती है।

    उच्च कोलेस्ट्रॉल

    उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है। आप घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करें।

    खर्राटे गायब

    रात को सोने से पहले हल्का गुनगुना करके एक-एक बूंद नाक में डाल कर सोमे से खर्राटों की परेशानी दूर हो जाएगी।

    तनाव दूर

    किसी भी तरह के मानसिक तनाव से दूर हैं तो गाय का शुद्ध घी रात को रोजाना नाक में डालकर सोएं। इससे तनाव दूर हो जाएगा और कोई नुकसान भी नहीं होगा।

    गाय के घृत से सांप काटने पर उपचार

    सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

    चर्म रोग का इलाज

    चर्म रोग का घरेलू इलाज – गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर इसको पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है।

    अन्य लाभ 

    गाय के घी के नियमित सेवन से आपको कब्ज और एसिडिटी की समस्या नहीं होगी|
    अगर आपके हाथ पैर में जलन हो रही है तो गाय के घी से तलवों की मालिश करें| ऐसा करने से हाथ पैरों की जलन समाप्त हो जाएगी|
    शरीर में थकान या कमजोरी महसूस हो रही है तो आप दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री को मिलाकर पीएं, कमजोरी दूर हो जाएगी|
    अगर आप माइग्रेन के दर्द से पीड़ित है तो गाय के घी की 2 बूंदे सुबह व शाम नाक में डालें| आपको आराम मिलेगा|
    गाय के घी के इस्तेमाल से शरीर का मोटापा नहीं बढ़ता क्यूंकि इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता|
    गाय के घी के प्रयोग से व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक ताकत बढ़ती है|
    गाय के घी को नाम में डालने से एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है|
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  • 26.11.21

    अलसी के तेल के फायदे: Flax seed oil benefits


     

     अलसी को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि अलसी का तेल भी स्वास्थ्य गुणों से भरपूर है. अलसी का तेल फ्लैक्ससीड ऑयल के नाम से जाना जाता है. अलसी के तेल में औषधीय गुण पाए जाते हैं. अलसी में लिगनेंस एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम के रिस्क को कम करने में मदद करते हैं. इतना ही नहीं अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन बी जैसे गुण पाए जाते हैं. जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं. एनीमिया के शिकार लोगों के लिए अलसी काफी फायदेमंदबीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं।

      अलसी के बीज से बनने वाला तेल में औधषीय गुणों से भरपूर होता हैं। सेहतमंद रहने के साथ-साथ यह कई गंभीर बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। कई लोग याददाश्त बढ़ाने के लिए अलसी के बीज का सेवन करते हैं। बता दें कि अलसी में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन बी जैसे गुण पाए जाते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। वहीं अलसी के तेल में मछली से 50 प्रतिशत ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है।
     वजन घटाने के लिए अलसी के तेल काफी फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं अलसी के तेल कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है। आइए जानते हैं कि किन-किन बीमारियों में अलसी के तेल का इस्तेमाल करना फायदेमंद हैं।

    गठिया मरीजों के लिए-

    बढ़ती उम्र में ज्यादातर लोगों को गठिया की परेशानी शुरू हो जाती है। इस बीमारी में हड्डियों में असहनीय दर्द शुरू हो जाता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। नियमित इसके सेवन से गठिया की परेशानी से राहत पा सकते हैं। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड की वजह से यह आर्थराइटिस पीड़ितों के लिए लाभदायक होता है।अलसी के तेल में ओमेगा -3 फैटी एसिड हड्डियों और शरीर के अन्य हिस्सों की कठोरता को कम करने में मदद कर सकता है। (घुटने के रोगी)ऑस्टियोआर्थ्रिटिक रोगी इन आवश्यक फैटी एसिड का जवाब भी दे सकते हैं। यह साबित हो गया है कि ये फैटी एसिड जोड़ों में कठोरता को कम करने में मदद करते हैं। यह उस गति को भी तेज करता है जिस पर पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के रोगी चल सकते हैं।

    कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग से बचाव में अलसी के तेल के लाभ-


    कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है। बढ़ते कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। इसमें ओमेगा 3 फैटी पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकता हैं। इसके लिए नियमित तौर पर अलसी के तेल का इस्तेमाल करें।
    अलसी का तेल हृदय से जुड़ी समस्याओं से बचाव में कारगर हो सकता है। वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि अलसी के तेल का सेवन करने से कार्डियोवैस्कुलर (हृदय) स्वास्थ्य में सुधार हो जा सकता है। अलसी का तेल रक्तचाप को नियंत्रित करके हृदय पर पड़ने वाले अनावश्यक भार को कम कर सकता है। साथ ही इसमें मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के कारण भी यह हृदय के लिए फायदेमंद साबित को सकता है । इसके अलावा, अलसी में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा जीरो होती है, जिस कारण कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों के लिए अलसी का तेल सुरक्षित हो सकता है|अलसी के तेल जैसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड में समृद्ध भोजन हृदय रोगों को रोकने और उनका इलाज करने में मदद कर सकता है। ए ल ए कार्डियोप्रोटेक्टिव के रूप में भी कार्य करता है अर्थात्, वे विभिन्न हृदय रोगों को रोकते हैं और एक स्वस्थ हृदय प्रणाली के कामकाज को बढ़ाते हैं। अलसी के तेल के नियमित सेवन से दिल के दौरे की संभावना कम हो जाती है। यह रक्तचाप को कम करता है, शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखता है, रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है।

    बालों को दें पोषण-

     सेहत के साथ-साथ बालों को पोषण देने के लिए भी अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। अलसी के तेल विटामिन और मिनरल्स जैसे तत्व पाए जाते हैं जो हेल्दी बालों के लिए जरूरी होते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड बालों को पोषण देते हैं। बालों को स्वस्थ रखने के लिए 2 चम्मच अलसी के तेल को हल्का गर्म करें और स्कैल्प पर अच्छी तरीके से मसाज करें। कुछ देर बाद अपने बालों को धो लें।

    कब्ज में मदद करता है-

    अलसी के तेल के लिए मुख्य उपयोग कब्ज के दर्द से राहत के लिए है। बृहदान्त्र के लिए एक स्नेहक के रूप में कार्य करके, अलसी के तेल आसान और प्राकृतिक आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है। उनके उच्च फाइबर सामग्री के साथ, तेल स्वस्थ पाचन को बढ़ावा देता है और कब्ज के कारण होने वाली बेचैनी से राहत देता है। अलसी का तेल बृहदान्त्र स्वास्थ्य और कठोर मल की कमी में सहायक है। यह ओमेगा -3 फैटी एसिड, फोलेट, मैंगनीज, तांबा, फॉस्फोरस और विटामिन बी 6 से समृद्ध है।

    वजन कम करने के लिए फायदेमंद- 

    वजन कम करने के लिए भी अलसी के तेल का सेवन फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड फैट बर्न करने में मदद करते हैं। अगर आप शरीर से चर्बी कम करना चाहते हैं तो नियमित रूप से अलसी के तेल का सेवन करें, इससे काफी फायदा होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक अलसी के तेल का सेवन करने से पाचन तंत्र दुरुस्त होते हैं।

    दृष्टि दोष में अलसी के तेल का उपयोग-

    आंखों के लिए भी अलसी कुदरत का वरदान है। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त होने की वजह से इसे आंखों के लिए फायदेमंद माना जा सकता है। आंखों में सूखापन जैसी समस्याओं में अलसी के तेल के फायदे देखे गए हैं। आंखों में सूखापन एक प्रकार का विकार है, जिसमें आंखें सूखी, लाल और सूजी हुई होती हैं। अलसी में मौजूद एसेंशियल फैटी एसिड (EFA) एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव के कारण आंखों की इस समस्या से राहत दे सकता है। इसलिए, नेत्र विशेषज्ञ अलसी के तेल को सप्लीमेंट के रूप में आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं

    कैंसर के खतरे होते हैं कम- 

    रिसर्च के मुताबिक अलसी का तेल कैंसर के खतरे को कम कर सकता है। स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए महिलाएं अलसी के तेल का सेवन कर सकती हैं। इसके सेवन से महिलाओं के साथ पुरुषों को भी काफी फायदा मिलता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर का खतरा कम होता है।कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसके इलाज के लिए व्यापक चिकित्सा प्रक्रिया की जरूरत होती है। वहीं, खान-पान और अच्छी दिनचर्या के जरिए इस खतरनाक बीमारी से बचना आसान है। ऐसे में अलसी के तेल का सेवन कैंसर के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकता है। खासतौर पर स्तन कैंसर के खतरे को कम करने में अलसी और इसके यौगिकों को फायदेमंद पाया गया है।अलसी के तेल लाभों में स्तन ट्यूमर, प्रोस्टेट कैंसर और पेट के कैंसर के विकास को रोकने में मदद करना शामिल है। अलसी का तेल कैंसर कोशिका गुणन को कम करता है और एपोप्टोसिस को बढ़ाता है, अर्थात कैंसर कोशिकाओं की कोशिका मृत्यु। फ्लैक्ससीड्स में लिग्नन्स होते हैं, जो कि हार्मोन के प्रति संवेदनशील कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। लिग्नन्स एंजाइमों को अवरुद्ध करते हैं जो हार्मोन चयापचय में कार्य करते हैं और ट्यूमर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।

    महिला स्वास्थ्य के लिए अलसी का तेल

    अलसी के तेल का सेवन महिला स्वास्थ्य के लिहाज से भी उत्तम हो सकता है। विशेष तौर पर अलसी के तेल से बने सप्लीमेंट्स के सकारात्मक प्रभाव रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के दौरान देखे गए हैं। इसका कारण अलसी में पाए जाने वाले एस्ट्रोजेनिक प्रभाव को माना जा सकता है। वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के निदान में एस्ट्रोजन थेरेपी के साथ-साथ अलसी के सप्लीमेंट इलाज की गुणवत्ता को बढ़ा 

    सकते हैं।  
    मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी) का खतरा बढ़ जाता है, जिससे बचाव में अलसी के पोषक तत्व काम आ सकते हैं ।

    सूजन कम करने के लिए- 

    शरीर में किसी तरह के सूजन को कम करने के लिए अलसी के तेल का इस्तेमाल करें। दरअसल अलसी में म्यूसिलेज पाया जाता है जो शरीर के डिटॉक्स करने में मदद करता है। यह शरीर के अंदर और बाहर किसी भी तरह के सूजन से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।अलसी के तेल के फायदे में सूजन को कम करना शामिल है। इस तेल में अल्फा लिनोलेनिक एसिड (ALA) पाया जाता है जो ओमेगा-3 फैटी एसिड में से एक है। अल्फा लिनोलेनिक एसिड(ALA) एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव दिखा सकता है, जो शरीर में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक शोधों में अलसी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों का प्रभाव अर्थराइटिस (जोड़ों में दर्द की समस्या) और जोड़ों की सूजन (joint oedema) पर देखा गया है। अलसी में एंटीअर्थराइटिस गुण पाया जाता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सूजन से बचने के लिए अलसी एक उत्तम विकल्प साबित हो सकती है

    अलसी के तेल का सेवन कैसे करें :

    अलसी के तेल को सलाद की ड्रेसिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है।

    इसे मफिन या केक बनाते समय इस्तेमाल किया जा सकता है।
    अलसी के तेल का प्रयोग स्मूदी या शेक बनाने में किया जा सकता है।
    डॉक्टर के सुझाव पर इसे कैप्सूल के रूप में भी लिया जा सकता है।

    परामर्श-

    अलसी के तेल का उपयोग खाना पकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अधिक गरम करने पर ये अपनी पौष्टिकता खो सकता है|

    असली का सेवन करने का सही तरीका

    हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो साबुत अलसी के बीज (Whole Flaxseed) खाने की बजाए अलसी के बीज को पीसकर (Ground Flaxseed) खाना ज्यादा फायदेमंद होता है. दरअसल, साबुत अलसी के बीज में ऊपर भूरे रंग का एक कवर जैसा होता है, जिसे पचाना आंत के लिए काफी मुश्किल होता है और इस वजह से अलसी के पोषक तत्वों को शरीर अवशोषित नहीं कर पाता. यही वजह है कि असली को पीसकर खाने की सलाह दी जाती है.
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    24.11.21

    किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure



      हर व्यक्ति के शरीर में दो गुर्दे होते हैं, जो मुख्य रूप से यूरिया, क्रिएटिनिन
    urea, creatinine, एसिड, आदि जैसे नाइट्रोजनयुक्त अपशिष्ट पदार्थों को रक्त में से छानने के लिए जिम्मेदार होते हैं। (जो सभी शरीर में चयापचय के उत्पाद हैं) और इस तरह मूत्र का उत्पादन करते हैं।
      लाखों लोग विभिन्न प्रकार के गुर्दे की बीमारियों के साथ रह रहे हैं और उनमें से अधिकांश को इसके बारे भनक तक नहीं है। यही कारण है कि गुर्दे की बीमारी को अक्सर एक ‘साइलेंट किलर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि अधिकांश लोगों को बीमारी का पता तब तक नहीं चलता जब तक यह उग्र रूप धारण नहीं कर लेता। जबकि लोग अपने रक्तचाप, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित रूप से जांच करवाते रहते हैं, वे अपने गुर्दे की किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए अपने रक्त में एक सरल क्रिएटिनिन परीक्षण भी नहीं करवाते। 2015 के ग्लोबल बर्डन डिजीज (GBD) के अध्ययन के अनुसार, क्रोनिक किडनी रोग (CKD) को भारत में मृत्यु दर के आठवें प्रमुख कारणों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।किडनी विकार के चेतावनी के कई संकेत होते हैं, हालांकि, अधिकांश समय इन्हें अनदेखा किया जाता है या किसी और तरह की समस्या समझकर लोग भ्रमित हो जाया करते हैं। इसलिए, हर व्यक्ति को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए और किडनी विकार का कोई भी लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द पुष्टिकरण परीक्षण (रक्त, मूत्र और इमेजिंग सहित) करवाना चाहिए। ऐसे किसी व्यक्ति को किसी नेफ्रोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए और अपने संदेह को स्पष्ट करना चाहिए। लेकिन अगर आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, और / या किडनी फेल Kidney Failure होने का पारिवारिक इतिहास है या आप 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो आज के युग में आपको नियमित रूप से गुर्दे की जांच करवाते रहना चाहिए।
     जबकि गुर्दे की बीमारी के निदान का एकमात्र निश्चित तरीका पुष्टि संबंधी परीक्षण करना है, यहाँ किडनी रोग के कुछ शुरुआती चेतावनी के संकेत दिए गए हैं:
     शुरुआती संकेतों में से एक है टखनों, पैरों या एड़ी के पास सूजन का दिखना है: ऐसी जगहों पर एडिमा दिखाई देने लगेगी, जो दबाव देने पर पिट करते हैं, और इन्हें पिटिंग एडिमा कहा जाता है। जैसे-जैसे गुर्दे अपने काम करने में गड़बड़ी करने लगते हैं, शरीर में नमक जमा होने लगता है, जिससे आपकी पिंडली और टखनों में सूजन आने लगती है। संक्षेप में, अगर किसी भी व्यक्ति में इस तरह के लक्षण दिखें तो उसे नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलकर अपने गुर्दे की कार्यप्रणाली का तत्काल मूल्यांकन करवाना चाहिए।

     इसमें आंखों के आसपास सूजन दिखने लगता है जो कोशिकाओं या ऊतकों में तरल पदार्थ के संचय के कारण होता है। यह गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में से एक है। यह उन व्यक्तियों में विशेष रूप से होता है जिनमें गुर्दे के माध्यम से काफी मात्रा में प्रोटीन का रिसाव होता है। शरीर से प्रोटीन का नाश इंट्रावस्कुलर ऑन्कोटिक दबाव को कम करता है और आंखों के आसपास के विभिन्न जगहों पर तरल पदार्थ का अतिरिक्त संचय होने लगता है।

    कमजोरी: 

    गुर्दे की बीमारी का एक सामान्य लक्षण है शुरुआत में थकावट का होना। जैसे-जैसे गुर्दे की खराबी बढती जाती है यह लक्षण और अधिक स्पष्ट होता जाता है। सामान्य दिनों की तुलना में वह व्यक्ति अधिक थका हुआ महसूस कर सकता है और ज्यादा गतिविधियों को करने में असमर्थ होता है, तथा उसे बार-बार आराम की आवश्यकता होती है। ऐसा काफी हद तक रक्त में विषाक्त पदार्थों और अशुद्धियों के संचय के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे खराब Kidney Failure होते जाते हैं। गैर-विशिष्ट लक्षण होने के नाते इसे अक्सर अधिकांश लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है और इसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जाती है।

    भूख में कमी: 

     यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने से व्यक्ति की भूख कम होने लगती है। इसके अलावा, जैसे-जैसे गुर्दे की बीमारी बढती जाती है, रोगी के स्वाद में बदलाव होता जाता है, जिसे अक्सर रोगियों द्वारा धातु के रूप में बताया जाता है। यदि किसी को दिन में बिना कुछ खाए भी पेट भरे का अहसास होता हो, तो दिमाग में खतरे की घंटी बजनी चाहिए और उसके गुर्दे की जांच करवानी चाहिए।

    गुर्दे के खराब Kidney Failure होने के शुरुआती लक्षणों में से एक और लक्षण है सुबह-सुबह मिचली और उल्टी का होना, और इसका पता तब चलता है जब रोगी सुबह बाथरूम में अपने दांतों को ब्रश करता है। इससे व्यक्ति की भूख भी कम होती जाती है। गुर्दे फेल होने के अंतिम चरण में, मरीज को बार-बार उल्टी आती है और भूख कम लगती है।

    एनीमिया:

     हीमोग्लोबिन का स्तर गिरना शुरू हो जाता है, और व्यक्ति पीला दिखने लग सकता है, बिना शरीर से खून का बाहर हुए। यह गुर्दे की बीमारी की सामान्य जटिलताओं में से एक है। इससे कमजोरी और थकान भी हो सकती है। कई कारणों से यह एनीमिया होता है जिसमें एरिथ्रोपोइटिन का स्तर कम होना(गुर्दे में एरीथ्रोपोइटिन संश्लेषित किया जा रहा है), लोहे का स्तर कम होना, विष संचय के कारण अस्थि मज्जा का दमन होना इत्यादि होता है।

    पेशाब करने की आवृत्ति में परिवर्तन: 

    किसी को अपने मूत्र उत्पादन पर बहुत सावधानी से ध्यान रखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, रोगी के मूत्र उत्पादन में कमी हो सकती है या उसे अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता महसूस हो सकती है, विशेष रूप से रात में (जिसे रात्रिचर कहा जाता है)। यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है और यह संकेत दे सकता है कि गुर्दे की फ़िल्टरिंग इकाइयाँ क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं या क्षतिग्रस्त होने की प्रक्रिया में हैं। कभी-कभी यह पुरुषों में कुछ मूत्र पथ के संक्रमण या बढ़े हुए प्रोस्टेट का संकेत भी हो सकता है। इस प्रकार, मूत्र उत्पादन में एक परिवर्तन (वृद्धि या कमी) को अपने नेफ्रोलॉजिस्ट को तुरंत सूचित करना चाहिए।
     

    पेशाब में अत्यधिक झाग मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति को इंगित करता है (जो सामान्य परिस्थितियों में नगण्य होना चाहिए)। जब गुर्दे का फ़िल्टरिंग तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है या क्षतिग्रस्त हो रहा होता है, तो प्रोटीन, रक्त कोशिकाएं मूत्र से रिसने लगती हैं। गुर्दे की बीमारी Kidney Failure का संकेत देने के अलावा, मूत्र में रक्त ट्यूमर, गुर्दे की पथरी या किसी भी तरह के संक्रमण का संकेत दे सकता है। साथ ही, बुखार या ठंड लगने के साथ पेशाब से निकलने वाला मवाद गंभीर हो सकता है और फिर से गंभीर मूत्र पथ के संक्रमण का संकेत हो सकता है। इस प्रकार मूत्र के रंग, स्थिरता या प्रकृति में परिवर्तन को गुर्दे के विशेषज्ञ को जल्द से जल्द सूचित किया जाना चाहिए।

     सूखी और खुजली वाली त्वचा: 

    सूखी और खुजली वाली त्वचा गुर्दे की बीमारी के उन्नत होने का संकेत हो सकती है। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्य क्षमता कम होते जाती है, शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव होता जाता है, जिससे त्वचा में खुजली, सूखापन और दुर्गंध होती है।

    पीठ, बाजू या पसलियों के नीचे दर्द गुर्दे की गड़बड़ी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं जैसे कि गुर्दे की पथरी या पाइलोनफ्राइटिस। इसी तरह, पेट के निचले हिस्से में दर्द मूत्राशय के संक्रमण या एक मूत्रवाहिनी (गुर्दे और मूत्राशय को जोड़ने वाली ट्यूब) में पत्थर होने से जुड़ा हो सकता है। इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और एक्स-रे केयूबी या अल्ट्रासाउंड एब्डोमेन जैसे नियमित इमेजिंग अध्ययन द्वारा आगे की जांच की जानी चाहिए।

    किडनी की बीमारी का एक लक्षण उच्च रक्तचाप हो सकता है। उच्च रक्तचाप का निदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप के वृक्क एटियलजि का पता लगाने के लिए गुर्दे की कार्यप्रणाली और गुर्दे की इमेजिंग का विस्तृत विवरण होना चाहिए। जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता बिगड़ती जाती है, शरीर में सोडियम और पानी जमने लगते हैं जिससे उच्च रक्तचाप होता है। उच्च रक्तचाप के लक्षणों में सिरदर्द, पेट में दर्द, अँधेरा छाना और शायद गुर्दे की बीमारी के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं।
     चेतावनी के संकेतों की पहचान की जागरूकता होने पर और समय पर इलाज करने पर गुर्दे की गड़बड़ी या गुर्दे की विफलता Kidney Failure से बचा जा सकता है अन्यथा रोगी को डायलिसिस, या गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना पड़ता है और ज्यादा लापरवाही करने पर उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

    गुर्दों को स्वस्थ रखने के टिप्स:

    गुर्दे की बीमारी को रोकने ले लिए कई तरीके हैं। तो, जब तक आपकी किडनी रोगग्रस्त नहीं होती, तब तक आप प्रतीक्षा क्यों करें? अपने गुर्दे के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए निम्नलिखित कुछ उपाय हैं:

    खूब पानी पिएं: 

    यह आपके किडनी को स्वस्थ रखने का सबसे आम और सरल तरीका है। भरपूर पानी, विशेष रूप से गर्म पानी का सेवन करने से गुर्दे को शरीर से सोडियम, यूरिया और विषाक्त पदार्थों को साफ करने में मदद करता है।

    कम सोडियम / नमक वाले आहार: 

    अपने खाने में सोडियम या नमक का सेवन नियंत्रण में रखें। इसका मतलब है कि आपको पैकेज्ड / रेस्टोरेंट के खाद्य पदार्थों से भी परहेज करना होगा। इसके अलावा, अपने खाने में अतिरिक्त नमक न डालें। कम नमक का आहार गुर्दे पर भार को कम करता है और उच्च रक्तचाप, उच्च रक्तचाप से संबंधित विकारों के विकास को रोकता है और गुर्दे की बीमारी की प्रगति को भी रोकता है।

    शरीर का वजन उचित बनाए रखें: 

    स्वस्थ भोजन करें और अपना वजन नियंत्रित रखें। अपने गुर्दे की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के जमाव को रोकने के लिए अपने शरीर के कोलेस्ट्रॉल के स्तर की नियमित जाँच करवाएँ। इसके अलावा, आहार से संतृप्त वसा / वसायुक्त तले हुए खाद्य पदार्थों को दूर रखें और रोजाना ढेर सारे फल और सब्जियां खाने पर जोर दें। किसी व्यक्ति का वजन बढ़ने से गुर्दे पर भार बढ़ता है। विशेष रूप से भारतीय परिदृश्य में 24 या उससे कम के बीएमआई के लिए लक्ष्य बनाने का प्रयास करें।

    नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर की जाँच करें और उन्हें इष्टतम स्तरों के तहत रखें: 

    मधुमेह के रोगियों में गुर्दे की खराबी बहुत आम बात है और अगर जल्दी पता चल जाए तो इसे रोका जा सकता है। इसलिए, अपने रक्त शर्करा के स्तर पर नियमित जांच रखने, मीठे खाद्य उत्पादों से बचने और एक चिकित्सक से आपको मिलने की सलाह दी जाती है यदि रक्त शर्करा (उपवास या पोस्टप्रैंडियल) स्तर या एचबीए 1सी से ज्यादा हो। एचबीए 1सी का स्तर 6.0 से कम रखें।

    नियमित रूप से रक्तचाप पर नजर रखें और इसे नियंत्रण में रखें: 

    यदि आपको उच्च रक्तचाप है, तो अपने चिकित्सक द्वारा सलाह के अनुसार एंटीहाइपरटेन्सिव लें, और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें तथा आहार में आवश्यक परिवर्तन करें। सामान्य रक्तचाप का स्तर <120/80 होता है। हाई ब्लड प्रेशर से गुर्दे में गड़बड़ी के अलावा स्ट्रोक या दिल का दौरा भी पड़ सकता है।
     किडनी फंक्शन टेस्ट करवाएं जिसमें आपके वार्षिक चेकअप के एक भाग के रूप में नियमित रूप से मूत्र विश्लेषण किया जाता है: जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया है कि आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा है या यदि आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, तो किडनी फंक्शन टेस्ट, रीनल इमेजिंग, और मूत्र विश्लेषण नियमित रूप से किया जाना चाहिए। मूत्र में भी मामूली प्रोटीन का पता लगने पर, अपने नेफ्रोलॉजिस्ट से मिलें। मधुमेह के रोगियों को इसपर विशेष रूप से नजर रखनी चाहिए।

    धूम्रपान छोड़ें: 

    धूम्रपान गुर्दे के रोग की प्रगति में बहुत ही जोखिम कारकों में से एक है। यहां तक कि 1 सिगरेट पीने से पहले से कमजोर किडनी को और नुकसान पहुंच सकता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और सीएडी के लिए भी धूम्रपान एक जोखिम कारक है। इसलिए किसी को भी धूम्रपान तुरंत बंद कर देना चाहिए, जो न केवल गुर्दे के लिए बल्कि शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
     रोजाना नहीं तो हफ्ते के 7 दिनों में से कम से कम 5 दिन जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग, रैकेट गेम्स जैसे खेल खेलें जो रोजाना लगभग 45 मिनट तक का हो और इस तरह हल्की-फुल्की कसरत करके एक स्वस्थ स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें। अपनी गतिहीन जीवन शैली को बदलें, कार्यालय में घूमें या दोपहर के भोजन के बाद टहलें या सुबह-शाम व्यायाम करें।
     एक दिन में कम से कम रात की 8 घंटे की आरामदायक नींद लेकर अपनी जीवनशैली को ठीक से संतुलित करें। स्वस्थ रहने के लिए रात को अच्छी नींद लेना आवश्यक है।किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। किडनी रक्त में मौजूद पानी और व्यर्थ पदार्थो को अलग करने का काम करता है। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में भी सहायता प्रदान करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। लगातार दूषित पदार्थ ,दूषित जल पीने और नेफ़्रोंस के टूटने से किडनी के रोग उत्पन्न होते|इसके कारण किडनी शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। बदलती   लाइफस्टाइल व काम के बढ़ते दबाव के कारण लोगों में जंकफूड व फास्ट फूड का सेवन ज्यादा करने लगे हैं। इसी वजह से लोगों की खाने की प्लेट से स्वस्थ व पौष्टिक आहार गायब होते जा रहें हैं। किडनी के रोगों को दूर करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपायों की मदद लेना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसे ही कुछ खास उपाय लेकर आए हैं हम आपके लिए।

    विटामिन-

    कुछ खास तरह के विटामिन के सेवन से किडनी को स्वस्थ व मजबूत बनाया जा सकता है। यूं तो विटामिन पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं लेकिन कुछ खास तरह के विटामिन का सेवन किडनी को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है। विटामिन डी के सेवन से किडनी के रोगों के लक्षणों को कम किया जा सकता है। अगर आप हर रोज विटामिन बी6 का सेवन करें तो किडनी स्टोन की समस्या से बच सकते हैं या आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो बिना किसी डर इस विटामिन का सेवन कर सकते हैं। कुछ ही दिनों स्टोन की समस्या अपने आप खत्म हो जाएगी। इसके अलावा विटामिन सी के सेवन से किडनी को क्षतिग्रस्त Kidney Failure होने से बचाया जा सकता है।

    बेकिंग सोडा 

    ब्रिटिश शोधर्कर्ताओं के मुताबिक किडनी के रोगों से बचने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट का सेवन फायदेमंद होता है। इसके सेवन से किडनी के रोगों की गति को कम किया जा सकता है। बेकिंग सोडा की मदद से रक्त में होने वाली एसिडिटी की समस्या खत्म हो जाती है जो कि किडनी की समस्याओं के मुख्य कारणों में से एक है।

    एप्पल साइडर विनेगर 

    इसका प्रयोग कई शारीरिक जरूरतों के लिए किया जाता है। इसके अलावा किडनी संबंधी समस्याओं के बारे में भी काफी कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल तत्व शरीर को बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाते हैं जिसमें किडनी भी शामिल है। एप्पल साइडर विनेगर प्रयोग से किडनी में मौजूद स्टोन धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाता है। इसमें मूत्रवर्धक तत्व होते हैं जो किडनी से व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालते हैं और किडनी को स्वस्थ रखते हैं।

    सब्जियों का रस

     किडनी की समस्या होने पर गाजर, खीरा, पत्तागोभी तथा लौकी के रस पीना चाहिए। इससे किडनी के रोगों से उबरने में मदद मिलती है और किडनी स्वस्थ रहती है। इसके अलावा तरबूज तथा आलू का रस भी गुर्दे के रोग को ठीक करने के लिए सही होता है इसलिए पीड़ित रोगी को इसके रस का सेवन सुबह शाम करना चाहिए।

    मुनक्का का पानी

    व्यक्ति को रात के समय में सोते वक्त कुछ मुनक्का को पानी में भिगोने के लिए रखना चाहिए तथा सुबह के समय में मुनक्का पानी से निकाल कर, इस पानी को पीना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करने से गुर्दे का रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

    पानी ज्यादा पीएं 

    गुर्दे के रोगों से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में पानी पीते रहें। इससे किडनी में मौजूद व्यर्थ पदार्थ यूरीन के जरिए बाहर निकल जाएगें और आप किडनी के रोगों से बचे रहेंगे। चाहें तों पानी में नींबू के रस को निचोड़ कर भी पी सकते हैं इससे शरीर को विटामिन सी व पानी दोनों साथ मिलेगा।

     नमक की मात्रा कम लें किडनी की समस्या से ग्रस्त लोगों को अपने आहार पर खास ध्यान देना चाहिए। खाने में नमक व प्रोटीन की मात्रा कम रखनी चाहिए जिससे किडनी पर कम दबाव पड़ता है। इसके अलावा फासफोरस और पौटेशियम युक्त आहार से भी दूर ही रहना चाहिए।
    • लिपि 
      13529
    •  
    • शब्द 
      2674
    •  
    • वाक्य 
      3
    •  
    • पैराग्राफ 
      0
    •  
    • रिक्त स्थान 
      2656

    विशिष्ट परामर्श-



    किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|




    इस औषधि के चमत्कारिक प्रभाव की एक  केस रिपोर्ट प्रस्तुत है-
    रोगी का नाम -     राजेन्द्र द्विवेदी  
    पता-मुन्नालाल मिल्स स्टोर ,नगर निगम के सामने वेंकेट रोड रीवा मध्यप्रदेश 
    इलाज से पूर्व की जांच रिपोर्ट -
    जांच रिपोर्ट  दिनांक- 2/9/2017 
    ब्लड यूरिया-   181.9/ mg/dl
    S.Creatinine -  10.9mg/dl
    हर्बल औषधि प्रारंभ करने के 12 दिन बाद 
    जांच रिपोर्ट  दिनांक - 14/9/2017 
    ब्लड यूरिया -     31mg/dl
    S.Creatinine  1.6mg/dl
    जांच रिपोर्ट -
     दिनांक -22/9/2017
     हेमोग्लोबिन-  12.4 ग्राम 
    blood urea - 30 mg/dl 
    सीरम क्रिएटिनिन- 1.0 mg/dl
    Conclusion- All  investigations normal 
     केस रिपोर्ट 2-
    रोगी का नाम - Awdhesh 
    निवासी - कानपुर 
    ईलाज से पूर्व की रिपोर्ट
    दिनांक - 26/4/2016
    Urea- 55.14   mg/dl
    creatinine-13.5   mg/dl 
    यह हर्बल औषधि प्रयोग करने के 23 दिन बाद 17/5/2016 की सोनोग्राफी  रिपोर्ट  यूरिया और क्रेयटिनिन  नार्मल -


    creatinine 1.34 mg/dl
    urea 22  mg/dl





















    लेटेस्ट  केस रिपोर्ट -26/10/2020

    नाम किडनी फेल रोगी : अमरसिंग 50 वर्ष 
    स्थान : ताटका तहसील -सीतामऊ,जिला मंदसौर,मध्य प्रदेश 
    इलाज से पहिले की टेस्ट रिपोर्ट 26/10/2020 के अनुसार 

    serum Creatinine :7.18mg/dl

    Urea                    :129mg/dl 




     यह औषधि पीने के 20 दिन बाद की स्थिति-

    दिनांक-  15 /11/2020 की रिपोर्ट 

    Serum creatinine :     2.18 mg/dl

    urea:                          68  mg/dl  

    तेजी से सुधार होते हुए स्थिति नॉर्मल होती जा रही है|
    अभी इलाज जारी है| 
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