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7.7.21

आंतों में सूजन और पेट मे संक्रमण के हर्बल उपचार :bowel infection



  आंतों में सूजन एक गंभीर समस्‍या है जिसका इलाज करना जरूरी है। दवाओं के साथ-साथ घरेलू तरीकों की मदद से भी आप इस स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या को कम या नियंत्रित कर सकते हैं।

आंतों में सूजन को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। ये इंफ्लामेट्री बाउल डिजीज का सबसे सामान्‍य प्रकार है। आंतों में सूजन की समस्‍या का घरेलू नुस्‍खों से इलाज तो नहीं किया जा सकता, लेकिन लक्षणों से राहत पाने और इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। अगर किसी व्‍यक्‍ति की आंतों में सूजन आ गई है तो वह कुछ घरेलू नुस्‍खों की मदद से इस समस्‍या को कम या बढ़ने से रोक सकता है।

​आंतों में सूजन के लक्षण

मल में खून आना, बुखार, भूख में कमी, एनीमिया, दिल की धड़कन तेज होना और पाचन संबंधी समस्‍याएं आंतों में सूजन के लक्षणों में शामिल हैं। अगर समय पर इस समस्‍या का इलाज न किया गया तो व्‍यक्‍ति को फैट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी हो सकती है। 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक अल्‍सरेटिव कोलाइटिस होने पर आम लोगों की तुलना में आंत के कैंसर का खतरा 200 गुना बढ़ जाता है।
तो चलिए जानते हैं कि आंतों में सूजन आने पर किन घरेलू तरीकों से इसे कम या कंट्रोल किया जा सकता है।

​कार्बोहाइड्रेट कम लें

अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रित करने के लिए आपको सबसे पहले अपने आहार से रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट को हटाना है। इसकी वजह से आंतों में सूजन के कारण होने वाली दिक्‍कतें बढ़ जाती हैं।

एलर्जी वाले खद्य पदार्थों से दूर रहें

कुछ मामलों में किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी के कारण अल्‍सरेटिव कोलाइटिस हो सकता है। अगर आपको किसी फूड की वजह से आंतों में सूजन हुई है तो आंतों में सूजन के इलाज के तौर पर आपको इन चीजों को अपने आहार से हटा देना चाहिए। इसमें मक्‍का, गेहूं और दूध से बने उत्‍पाद आ सकते हैं।

आंतों में सूजन का घरेलू उपचार है अलसी का तेल

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार के तौर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्‍त तेलों का सेवन बढ़ा दें। मछली के तेल और अलसी के तेल में ओमेगा-3 ज्‍यादा पाया जाता है। ये तेल इंफ्लामेट्री प्रक्रिया को कम करने में मदद करते हैं। रोज एक से दो चम्‍मच अलसी का तेल लेना बेहतर रहता है।

​आंतों में सूजन का इलाज हैं प्रोबायोटिक्‍स

माना जाता है कि प्रोबायोटिक्‍स अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रिम करने में लाभकारी हैं। प्रोबायोटिक्‍स सूजन को कम करने के दौरान हानिकारक बैक्‍टीरिया को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और पेट की म्‍यूकस लाइनिंग को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

​आंत में सूजन का देसी इलाज है एलोवेरा जैल

शुद्ध एलोवेरा जैल को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में सूजन-रोधी प्रभाव देने वाला पाया गया है। हालांकि, एलोवेरा रेचक प्रभाव भी रखता है इसलिए दस्‍त की स्थिति में एलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

​आंतों में सूजन का घरेलू इलाज हर्बल टी

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार में हर्बल-टी भी बहुत फायदेमंद होती हैं। आपको चाय और कॉफी के सेवन की बजाय अदरक की चाय और ग्रीन टी पीना शुरू कर देना चाहिए। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेट्री और एंटी-माइक्रोबियल गुण इर्रिटेबल बाउल डिजीज जैसे आंतों से संंबंधित रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें।
उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड में हेल्‍दी फैट होते हैं जो कि सैल्‍मन और मैकरेल मछली में पाए जाते हैं। ये सूजन को दूर कर अल्‍सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को कम करती है। अपने आहार में फैटी फिश को शामिल करें।
मसालेदार खाना, शराब और कैफीन न लें। इसकी वजह से लक्षण और गंभीर रूप ले सकते हैं।
दिन में दो या तीन बार ज्‍यादा खाने की बजाय पांच या छह बार कम मात्रा में खाना खाएं। इससे खाना आसानी से पच जाता है।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान-

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें। उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
छोटी आंत में मौजूद छोटे तंतु भोजन में से पोषक तत्वों को सोखने में मदद करते हैं। अगर ये तंतु नष्ट हो जाते हैं तो पोषक तत्व सोखने की क्षमता खत्म हो जाती है और पीड़ित कुपोषण का शिकार हो जाता है, जिससे उसका वजन गिरने लगता है, थकावट रहने लगती है और खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है।
  लासा-मुक्त (gluten free)भोजन उन मरीजों को भी लेने की सलाह दी जाती है, जिन्हें गेहूं से एलर्जी, प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी, त्वचाशोथ या सूजन, छाल, मल्टीपल सलेरॉसिस, ऑस्टिन स्पैक्टरम डिसऑर्डर, अटैंशन-डैफिसिट हाईपरएक्टिविटी डिसऑडर और चिड़चिड़ापन आदि की समस्याएं होती हैं। गेहूं के आटे की बजाय बेसन का प्रयोग सबसे बेहतर विकल्प है।
  लासा gluten)गेहूं, जौ और राई जैसे अनाजों तथा गेहूं के अन्य उत्पाद दलिया, सूजी, सिवइयां, नूडल, पास्ता और मैकरॉनी भी शामिल हैं, में पाया जाता है। इसके साथ ही लासा का प्रयोग स्वादवर्धक और गाढ़ा करने वाले पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है।
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