1.6.22

पेट के अल्सर के आयुर्वेदिक उपचार: pet ke ulcer ke upchar

 


अल्सर घाव को कहा जाता है। जब यह घाव आमाशय में हो जाता है, तो उसे पेप्टिक अल्सर कहते हैं। पेट में अल्सर होना केवल तकलीफदेह ही नहीं होता, बल्कि बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पेप्टिक अल्सर पेट की अंदरूनी सतह पर बनने वाला छाला होता है। समय पर इलाज ना मिलने पर छाल जख्म में बदल जाता है। क्या आपको पता है कि आप पेप्टिक अल्सर का घरेलू इलाज कर सकते हैं।

यह आमतौर पर आहार नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग की भीतरी झिल्ली में होता है। यह एक गम्भीर स्थिति बीमारी है, जिसमें मरीज को बहुत दिक्कतें होने लगती हैं। इसलिए आइए जानते हैं कि पेट में अल्सर होने पर आपको कौन-सा इलाज करना बेहतर होता है।
पेट में अल्सर होना क्या है ?
पेप्टिक अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर भी कहते हैं। समय पर भोजन ना करने, तथा तीखा-मसालेदार भोजन करने से शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है, जो अनेक रोगों को जन्म देता है। यह आमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब होता है जब भोजन पचाने वाला अम्ल आमाशय या आंत की भीतरी श्लैष्मिक झिल्ली को नुकसान पहुँचाने लगता है। हमारे पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाती है। यह दोनों एसिड पाचन क्रिया के लिए जरूरी होते हैं, लेकिन यह शरीर के ऊत्तकों को नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। यह एसिड और म्यूकस झिल्ली के बीच का संतुलन बिगड़ने पर ही अल्सर होता है।
गैस्ट्रिक अल्सर के प्रकार
गैस्ट्रिक अल्सर इतने प्रकार के हो सकते हैंः-
Gastric ulcer – यह पेट के अन्दर होता है।
Oesophageal ulcer – यह आहार नली में होता है।
Duedenal ulcer – यह छोटी आंत के ऊपरी भाग में होता है जिसे Duodenum कहते हैं।

गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण
 
मरीज को अल्सर के निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैंः-
पेट में दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। खाली पेट रहने पर यह दर्द और भी तेज हो जाता है।
पेट में जलन होना। रात के समय पेट में जलन बढ़ जाती है।
अधिक गम्भीर स्थितियों में खून की उल्टी होना।
मल का रंग गहरा होना।
जी मिचलाना और खाने की बिल्कुल इच्छा न करना।
शरीर के वजन में गिरावट गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षणहोते हैं।
पेप्टिक अल्सर होने के कारण
 
अल्सर की बीमारी निम्न कारणों से हो सकती हैः-

Helicobactor Pylori नामक बैक्टेरिया का संक्रमण अल्सर होने का सबसे प्रमुख कारण है। यह दूषित भोजन एवं पानी के द्वारा पेट में जाता है।
पेट में अत्यधिक मात्रा में एसिड का स्राव होना।
तैलीय और मिर्च मसाले युक्त भोजन का अधिक सेवन करना।
अधिक मात्रा में शराब, कैफीन और तम्बाकू का सेवन।
लम्बे समय तक ज्यादा दर्द निवारक दवाओं का सेवन।
ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) में ली जाने वाली दवाओं का सेवन करना।
एस्पिरिन (Aspirin) या ज्वलनरोधक दवाओं का सेवन करना।
अत्यधिक तनाव के कारण
अनुवांशिक कारणों से
डायबिटीज
पेट के अल्सर की आयुर्वेदिक दवा हैं या कई घरेलू उपचार भी है , जो समय के साथ अल्सर के परेशानी को कम करने में मदद करते हैं-

संधिवात ,गाउट ,वातरोग की रामबाण हर्बल औषधि 

सहजन से करें इलाज

सहजन के पत्तों को पीसकर दही के साथ मिलाकर खाएँ। इसे दिन में एक बार खाएँ। पेट में अल्सर के लक्षणों से राहत पाने के लिए सहजन का प्रयोग लाभकारी होता है।

मेथी गैस्ट्रिक अल्सर में फायदेमंद

एक चम्मच मेथी को दो कप पानी में उबालें। इसे छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएँ। पेट में अल्सर होने पर उसके लक्षणों से आराम दिलाता है।

नींबू से उपचार

आधा कप ठण्डे दूध में आधा नीम्बू निचोड़ लें। इसे पीने से पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है।

पेट के अल्सर में सौंफ

चूड़ा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएँ। इस 20 ग्राम चूर्ण को दो लीटर पानी में सुबह घोलकर रख दें। शाम को इस मिश्रण को पी लें। नियमित रूप से पीने से पेप्टिक अल्सर में आराम मिलता है।

पत्ता गोभी और गाजर से उपचार-

पत्तागोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर जूस निकाल लें। इस जूस को सुबह-शाम एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर के लक्षणों में आराम मिलता है।
बादाम से गैस्ट्रिक अल्सर का इलाज-
5-7 बादाम पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें, और ठण्डा करके पिएँ। पेट में अल्सर की परेशानी से यह आराम दिलाता है।

पेप्टिक अल्सर में मुनक्का -

4-5 मुनक्के को रात में पानी में भिगा दें। इसमें दो छोटी हरड़ मिलाकर पीस लें। सुबह इसका सेवन करें। इससे अल्सर में होने वाले जलन और उल्टी जैसे लक्षणों से राहत मिलती है।

पेट के अल्सर में आंवला

आँवले का मुरब्बा पेट के अल्सर में फायदेमन्द है। इसका सेवन करें। पेट के अल्सर की बीमारी में यह आपको मदद पहुंचाता है।

पेट के अल्सर में घी और हींग-

घी में एक चौथाई चम्मच हींग को भून लें। इसमें एक चम्मच जीरा और एक चुटकी सेंधा नमक डालकर सेवन करें। यह लाभदायक उपाय है।

पेट में अल्सर होने पर केला

कच्चे केले की सब्जी बनाकर एक चुटकी हींग मिलाकर खाएँ। यह एक असरदार उपाय है, जो पेट के अल्सर रोग में फायदेमंद है।

पेट में अल्सर मेँ अन्य घरेलू उपचार

एक गिलास ठण्डे दूध में उतना ही पानी मिलाकर पिएँ।
छाछ की कढ़ी बनाकर प्रतिदिन मक्के की रोटी के साथ खाएँ।
हींग को पानी में मिलाकर नियमित रूप से पिएँ।
नियमित रूप से सुबह अनार का रस पिएँ।
भोजन में गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।

पेट में अल्सर के दौरान खान-पान

अल्सर रोग के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
रोज एक सेब खाने से पेट के अल्सर का प्रभाव कम होता है। सेब में flavanoids होता है, जो H.pylori नामक बैक्टेरिया को पनपने से रोकता है।
दही पेट के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें Probiotics, Lactobocillus और Acidophilus पाया जाता है। यह पेट के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है।
रोज लहसुन की 2-3 कलियाँ खाएँ। यह बैक्टेरिया H.pylori को मारने में मदद करता है।
नियमित सुबह ग्रीन टी पीने से इसमें मौजूद Antioxidants पेट के अल्सर से बचाव करता है।
फूलगोभी में Sulforaphane होता है, जो पेट में अल्सर उत्पन्न करने वाले बैक्टेरिया H.pylori को नष्ट करता है। सात दिन तक दिन में दो बार फूल गोभी खाने से पेट के अल्सर के बैक्टेरिया का प्रभाव कम हो जाता है।
मूली में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर करता है। यह जिंक एवं खनिज को अवशोषित करता है। नियमित सफेद मूली खाने से पेट की सूजन कम होती है। कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही अल्सर रोग में भी यह प्रभावी है।
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए, तथा मिर्च-मसाले युक्त भोजन कभी नहीं करना चाहिए।

सावधानी -

अधिक देर तक या बार-बार भूखे नहीं रहना चाहिए।
नियमित समय पर भोजन करें।
दर्द निवारक एवं एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कम से कम करें।

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