करंज का वृक्ष जंगलोँ मेँ होता है। इसकी छाया घनी और ठंडी होती है। करंज की फली लंबी होती है और इसमेँ लंबे व मोटे बीज होते हैँ।
करंज के विभिन्न नाम:
संस्कृत- करंज
हिन्दी- कंजा या कटजरंजा
लैटिन- पोनगेमियालेवा
अंग्रेजी- स्मघलिव्ड पोनगेमिया
गुजराती- कणझी
मराठी- करंज
बंगाली- डहरकरंज<>इस पर कांटे बहुत होते हैं. इनके बीजों का आवरण कौड़ी के समान सख्त होते हैं. कंटीले होने के कारण लोग इन्हें बाग़ और खेतों की मुंडेरों पर लगाते हैं.
करंज के औषधीय उपयोग:
treatment using karanj
करंज के फायदे और नुकसान ( karanj ke fayde aur nuksan ) : करंज औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा हैं, जो समस्त भारत में 1200 मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। करंज पौधे का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में सहायक होता है।
करंज (Millettia Pinnata) विशाल ,अनेक शाखाओं से युक्त छाया दार पेड़ है. इसकी ऊँचाई और चौडाई दोनों ही खूब होती हैं. इसके कारण ये घनी छाया देते हैं. ये अक्सर नदी, तालाबों के किनारे देखने को मिलते है. ये मुख्यरूप से आद्र भूमी पर पाए जाते हैं.
करंज का वृक्ष जंगलोँ मेँ होता है। इसकी छाया घनी और ठंडी होती है। करंज की फली लंबी होती है और इसमेँ लंबे व मोटे बीज होते हैँ।
करंज (Millettia Pinnata) विशाल ,अनेक शाखाओं से युक्त छाया दार पेड़ है. इसकी ऊँचाई और चौडाई दोनों ही खूब होती हैं. इसके कारण ये घनी छाया देते हैं. ये अक्सर नदी, तालाबों के किनारे देखने को मिलते है. ये मुख्यरूप से आद्र भूमी पर पाए जाते हैं.
करंज का वृक्ष जंगलोँ मेँ होता है। इसकी छाया घनी और ठंडी होती है। करंज की फली लंबी होती है और इसमेँ लंबे व मोटे बीज होते हैँ।
करंज के औषधीय गुणों के कारण, आयुर्वेद में करंज का इस्तेमाल कई बीमारियों के उपचार के लिए औषधि रूप में किया जाता है। इसके अलावा करंज बीजों से प्राप्त तेल का प्रयोग चर्म रोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
करंज के विभिन्न नाम:
संस्कृत- करंज
हिन्दी- कंजा या कटजरंजा
लैटिन- पोनगेमियालेवा
अंग्रेजी- स्मघलिव्ड पोनगेमिया
गुजराती- कणझी
मराठी- करंज
बंगाली- डहरकरंजइस पर कांटे बहुत होते हैं. इनके बीजों का आवरण कौड़ी के समान सख्त होते हैं. कंटीले होने के कारण लोग इन्हें बाग़ और खेतों की मुंडेरों पर लगाते हैं.
इसके बीजों से तेल निकला जाता है. इसी का मुख्य प्रयोग होता है. इस का फल वात, पित्त, कफ, प्रमेह, दिमांगी रोग, को खतम करता है. इसका तेल योनीदोष, गुल्म, उदावर्त, खुजली, नेत्र रोग, घाव आदि में उपयोग होता है.करंज के विभिन्न नाम:
संस्कृत- करंज
हिन्दी- कंजा या कटजरंजा
लैटिन- पोनगेमियालेवा
अंग्रेजी- स्मघलिव्ड पोनगेमिया
गुजराती- कणझी
मराठी- करंज
बंगाली- डहरकरंजइस पर कांटे बहुत होते हैं. इनके बीजों का आवरण कौड़ी के समान सख्त होते हैं. कंटीले होने के कारण लोग इन्हें बाग़ और खेतों की मुंडेरों पर लगाते हैं.
करंज के औषधीय उपयोग:
treatment using karanj
*करंज में पाए जाने वाले औषधीय गुण, दांतों के दर्द को ठीक करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज पंचांग को जलाकर भस्म बना लें और इसमें नमक मिलाकर दांतों और मसूड़ों पर रगड़े, यह दांत दर्द में आराम दिलाता है।
*कुक्कुर खांसी की समस्या को दूर करने के लिए 1-3 ग्राम करंज बीज के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटें। इसके अलावा उल्टी होने पर करंज के पत्तों से बने काढ़े का सेवन करें, यह उल्टी को रोकने में सहायक होता है। लेकिन बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
*करंज बीज के तेल से जोड़ों पर मालिश करने से गठिया में लाभ मिलता है। इसके अलावा आंखों के स्वास्थ्य के लिए करंज बीज के पेस्ट को दूध में पकाकर ठंडा कर लें। इसे छानकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
*सोरायसिस के लक्षणों को कम करने के लिए भी करंज का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके लिए आप करंज के क्षार में अरंडी तेल मिलाकर लेप बनाए और इस लेप को सोरायसिस से प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। इसके अलावा आप करंज तेल से मालिश भी कर सकते हैं, यह खुजली, सोरायसिस आदि त्वचा विकारों के लक्षणों को कम करता है।
*करंज के बीजों से बने तेल में पाए जाने वाले औषधीय गुण, गंजेपन की समस्या को दूर करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज तेल से सिर की नियमित रूप से मालिश करें, यह गंजेपन की समस्या को दूर करने में सहायक होता है।
*करंज की लकड़ी का सेवन करने से भोजन के प्रति अरुचि खत्म होती है और भूख बढ़ती है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आने की समस्या को दूर करने के लिए आप करंज के फूलों से बने काढ़े का 10-15 मिली की मात्रा में सेवन करें। यह बार-बार पेशाब आने की समस्या को दूर करता है।
*बवासीर रोगियों के लिए भी करंज का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके लिए बवासीर रोगी करंज के कोमल पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों में लगाएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
*पाचन स्वास्थ्य के लिए करंज का पानी पीना लाभकारी होता है। दरअसल करंज में पाए जाने वाले औषधीय गुण, पाचन में सुधार कर, पाचन तंत्र को स्वस्थ एवं मजबूत बनाए रखने के साथ पेट के रोगों को भी दूर करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज के बीजों को फोड़कर रात को एक गिलास पानी में भिगो दें फिर सुबह खाली पेट पी लें। ऐसा नियमित करने से पेट के रोग में फायदा मिलता है।
करंज के नुकसान -
*करंज का अधिक मात्रा में सेवन मतली, उल्टी और पेट में दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता हैं।
*गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को करंज का सेवन करने से पहले डॉक्टर से राय लेनी चाहिए क्योंकि करंज का अधिक मात्रा में सेवन, गर्भपात का कारण बन सकता है।
*अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करता हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें।
*कुछ लोगों को करंज के सेवन से एलर्जी की समस्या हो सकती हैं इसलिए किसी भी व्यक्ति को करंज के सेवन से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से बचें।
*गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को करंज का सेवन करने से पहले डॉक्टर से राय लेनी चाहिए क्योंकि करंज का अधिक मात्रा में सेवन, गर्भपात का कारण बन सकता है।
*अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करता हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें।
*कुछ लोगों को करंज के सेवन से एलर्जी की समस्या हो सकती हैं इसलिए किसी भी व्यक्ति को करंज के सेवन से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से बचें।
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