31.7.19

डिप्रेशन या अवसाद के कारण,लक्षण ,उपचार



डिप्रेशन या अवसाद एक ऐसी मनो स्थिति जो हर इंसान ने अपने जीवन काल में किसी ना किसी रूप में कभी ना कभी अनुभव की है. और आज के इस तेज़-तर्रार युग में यह रोग सर्दी/ज़ुकाम की तरह हो रहा है. लगभग 10 % जनसंख्या में अवसाद रोग के रूप में पाया जाता है. विपरीत परिस्थितियों में मानसिक तनाव और विषाद महसूस करना तो प्राकृतिक ही है परंतु जब यह मानसिक स्थिति अनियंत्रित एवं दीर्घकालीन बन जाए और मानसिक विकृति बनकर रोज़मर्रा के जीवन को प्रभावित करने लगे तब इसका इलाज करना आवश्यक हो जाता है.
अवसाद के कारण 
हालाँकि यह रोग अब जनसंख्या में अत्यधिक व्याप्त होता जा रहा है परंतु अभी तक इसके मुख्य कारण के बारे में स्पष्टता नही मिल पाई है. वैज्ञानिक यही मानते हैं की यह रोग मनोवैज्ञानिक, आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारणों से उत्पन्न होता है.
कुछ लोगों में जन्म से ही अवसाद का रोग पाया जाता है. उनके मस्तिष्क में प्राकृतिक रसायनों का असंतुलन रहता है. इसके अलावा दीर्घ रूप से बीमार लोग, वीडियो गेम्स या इंटरनेट का अधिक प्रयोग करने वाले, वे लोग जिनके प्रिय जनो की मृत्यु अथवा उनसे वियोग हो गया है इत्यादि व्यवहारिक कारणों से भी ग्रस्त व्यक्ति में अवसाद का रोग उत्पन्न हो जाता है.
प्रकृति के करीब रहने से इस रोग के होने की संभावना कम हो जाती है.


इस भागती दौड़ती जिंदगी में ना तो किसी के पास हमारी समस्या सुनने के लिए समय है और ना ही हमारे पास इतना टाइम है कि हम उनसे मिलकर कुछ कह सकें। यही वजह है अंदर ही अंदर घुटते-घुटते हम अवसाद की ओर अपना कदम बढ़ाते जा रहे हैं। हर समय खाली बैठना, चिड़चिड़ा महसूस करना, निर्णय ना ले पाना, समाज से कटा हुआ रहना.... ये सभी अवसाद के प्रमुख लक्षण हैं।

आत्मिक जागरूकता लोग अवसादग्रस्त होते हैं क्यूँ की वे अपने जीवन की घटनाओं के बारें ज्यादा नहीं जानते और अपने जीवन को धक्का देते रहते हैं। स्थिति की मांग के अनुसार आत्म जागरूकता की कमी के कारण लोग अपने आपको अवसाद की स्थिति में डाल लेते हैं।
मदद मांगे जिंदगी में कठिन परिस्थितियों में किसी की मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है। कोई भी जिंदगी का बोझ अकेला नहीं उठा सकता है। अपने बुरे समय में अपनी पत्नी, सहकर्मी और दोस्त की सहायता लेने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा मिलेगा।
नियमित रूप से छुट्टियाँ लें द्रश्यों में बदलाव होते रहना नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मददगार है। आपके अन्दर सकारात्मकता लाने के लिए एक दिन का ट्यूर ही काफी है। आगे से यदि आप अवसादग्रस्त महसूस करें तो अपना बैग पैक करें और निकल पड़ें छुट्टी पर। नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग जीवन की एकरसता और बोरपन से जल्दी निकल जाते हैं बजाय की लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने वाले लोगों के।
संतुलित आहार लें फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।
रोजाना व्यायाम करें व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे न केवल एक अच्छी सेहत मिलती है बल्कि शरीर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार भी होता है। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हारमोंस का स्त्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और अवसाद देने वाले बुरे विचार दूर रहते हैं।
वजन कम करें यदि वजन बढ़ने से आपको अवसाद प्राप्त हो रहा है तो वजन कम करने के बाद आपका मूड सामान्य हो सकता है। इसके अतिरिक्त, शारीरिक फिटनेस न केवल स्वास्थ्य में सुधार करती है बल्कि स्वयं में सकारात्मकता को बढाती है।
बुरी स्थिति के बारे में सोचने से बचें हालाँकि ऐसा माना जाता है कि जिंदगी में बुरी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन यह एक पुराना विचार है। इससे आपका आगे बढ़ने का उत्साह कम हो जाता है और यह आपकी सफलता के रास्ते को बंद कर देता है ।
अच्छी तरह पूरी नींद सोयें एक अच्छी और पूरी रात की नींद सकारात्मक उर्जा को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है। अध्ययनों से पता चला है कि रोज 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम होते हैं।
अच्छे दोस्त बनायें अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं। इसके अतिरिक्त, जरूरत के समय एक अच्छा श्रोता साथ होना नकारात्मकता और संदेह को दूर करने में सहायक है।
ब्लॉग और जर्नल लिखें अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।
अपने आपको दुनिया से दूर करने से बचें जब आप अवसादग्रस्त हों तो अपने आपको दुनिया से दूर करना आसान होता है लेकिन ऐसा करने से आप अवसाद मुक्ति का अवसर गँवा रहें हैं। यदि पूरा समाधान भी नहीं हो रहा है तो भी लोगों के बीच रहने से निराशाजनक विचारों से अपना ध्यान हटाने में मदद मिलेगी।
नकारात्मक लोगों से दूर रहें कोई भी ऐसे लोगों के बीच में रहना पसंद नहीं करता जो कि लगातार दूसरों को नीचे गिराने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहने से मन को शांति और विवेक प्रदान करने में आपको मदद मिलेगी।



जॉब का छोड़ना यदि आपका जॉब या प्रोफेशनल लाइफ आपकी चिंता का कारण बन रहा है तो इसे छोड़ने से आपको मन की शांति मिलेगी। दिन के अंत में अपने लक्ष्यों का मूल्यांकन करें और इसकी अपनी निजी ख़ुशी और संतुष्टि से तुलना करें। यदि आपका जॉब आपकी ख़ुशी के मार्ग में बाधा है तो इसे छोड़ दें।
आयुर्वेद में उपचार
आयुर्वेद में अवसाद से उपचार तीन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। पहली, अवसादग्रस्त व्यक्ति को उसकी शक्ति व क्षमताओं का बोध कराना, दूसरी- व्यक्ति जो देख या समझ रहा है वह असलियत में भी वही है या नहीं इसका बोध कराना और उसकी स्मृति को मजबूत बनाना जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े और अवसाद दूर हटे।
कारगर हैं ये औषधियां
 आयुर्वेद में अवसाद से उपचार के लिए कुछ औषधियों और ब्रेन टॉनिक्स को अगर किसी चिकित्सक के परामर्श से लिया जाए तो कम समय में इसे दूर करना संभव है। ब्राह्मी, मंडूक पुष्पि, स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।
ब्राह्मी
किसी प्रकार का कोई मानसिक रोग हो या फिर अगर आप तनाव की चपेट में हैं तो ब्राह्मी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे स्मरण शक्ति भी तेज होती है और मनोबल भी बढ़ता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो आपको पुन: यौवन प्रदान करती है, इससे नियमित तौर पर मालिश करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
मसाज भी है लाभदायक
अवसाद से निजात के लिए आयुर्वेद में मसाज थेरेपी का भी सहारा लेते हैं। चंदनबला, लाच्छादि तेल, ब्राह्मि तेल, अश्वगंधा, बला तेल आदि से मसाज की सलाह दी जाती है जो तनाव दूर करते हैं और अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं।
बादाम का पेस्ट
अगर आप अवसाद की समस्या से घिरे हैं तो आपको गर्म दूध में बादाम का पेस्ट मिलाकर रोजाना इसका सेवन करना चाहिए। इसमें प्रोटीन, विटामिन ई और मैग्नीशियम फाइबर प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं।
अश्वगंधा
अश्वगंधा के सेवन से मन में किसी प्रकार की कोई नकारात्मक भावना नहीं आती। यह आपको तनाव से मुक्ति भी दिलाता है और साथ-साथ शारीरिक कमजोरी को भी समाप्त करता है। अगर आप प्रतिदिन शहद के साथ अश्वगंधा का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।


खानपान में करें बदलाव

आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है। डॉ. आकाश के अनुसार, 'रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन खाने चाहिए। दही और खट्टी चीजों से परहेज करना जरूरी है। इसके अलावा, मांसाहार, उड़द की दाल, चने आदि का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है।'
इलायची
इलायची की चाय पीने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। आप इलायची का काढ़ा पी सकते हैं या फिर स्नान के बाद इलायची के तेल से मालिश भी कर सकते हैं।
हल्दी
अगर आप किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक व्याधि से गुजर रहे हैं तो आपको हल्दी का सेवन अवश्य करना चाहिए। जब मौसम बदलता है तो हल्दी का सेवन जरूर करना चाहिए, पानी या दूध में हल्दी मिलाकर पीने से लाभ प्राप्त होता है।
गिलोय
यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और साथ-साथ इससे आपकी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। पांच सौ मिलीग्राम गिलोय को शहद में डालकर दिन में दो बार इसका सेवन करें।







29.7.19

बाजरा खाने के स्वास्थ्य लाभ:Health benefits of eating millet bread



बाजरा हमारे पूर्वजों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सबसे पुराने खाद्य पदार्थों में से एक है जिसे गेंहूं के आटे के साथ नियमित आहार में शामिल किया जाता था। इस खाद्य पदार्थ में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर सामग्री (fiber content) होती हैं जो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और पाचन के लिए आवश्‍यक होती है।
बाजरा के फायदे और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ बहुत अधिक होने के कारण कई स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकारों द्वारा बाजरा के उपभोग की सलाह दी जाती है। बाजरा बहुत महंगा नहीं होता है इस कारण इसे सभी लोग आसानी से इस्‍तेमाल कर सकते हैं। बाजरा के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में अस्‍थमा को रोकना, खराब कोलेस्‍ट्रोल को कम करना, शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को साफ करना, मधुमेह को कम करना, दिल से संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य और कैंसर के खतरे को कम करना आदि शामिल है। साथ ही यह एनीमिया को रोकने और शरीर के ऊतकों की मरम्‍मत करने में मदद करता है। यह ग्‍लूटेन मुक्‍त (gluten-free ) खाद्य पदार्थ का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है।
बाजरे की रोटी खाने के फायदे –
आमतौर पर हर घर में गेंहू की रोटी ही बनती है और पूरा परिवार बड़े ही चाव से इस रोटी को खाता है.लेकिन अगर आप अपने बढ़ते वजन को कम करना चाहते हैं और वो भी रोटी खाना बंद किए बगैर. तो ये मुमकिन है.लेकिन इसके लिए आपको गेंहू के बजाय बाजरे की रोटी खाने की आदत डालनी होगी. क्योंकि गेंहू की रोटी के मुकाबले बाजरे की रोटी जल्दी वजन घटाने में मददगार साबित होता है.बाजरे की रोटी वजन घटाने के साथ ही पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाता है और कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है.


 डायबिटीज और कैंसर से बचाव

बाजरे की रोटी कैंसर और डायबिटीज के खतरे को कम करता है. कई अध्ययनों में कहा गया है कि बाजरा कैंसर से बचाव में मददगार होता है. इसके साथ ही बाजरे की रोटी के नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है.कई बीमारियों का कारण मधुमेह (diabetes) होता है, पिछले कुछ वर्षो में मधुमेह आम बीमारी का रूप ले चुका है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग बाजरा को अपने आहार में शामिल करते हैं उन्‍हें डायिबिटीज होने का खतरा बहुत ही कम होता है। बाजरा में मैग्‍नीशियम बहुत ही अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है जो शरीर को इंसुलिन (insulin) का अच्‍छी तरह से उपयोग करने में मदद करता है और मधुमेह के प्रभाव को कम करता है। बाजरा का नियमित सेवन कर आप अपने शरीर में बढ़ते शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।
रक्‍तचाप को कम करने में
मैग्‍नीशियम की अच्‍छी मात्रा बाजरा मे होती है जो मांसपेशियों (muscles) को आराम देता है।
बाजरा का नियमित सेवन करने से रक्‍तचाप को कम करने में मदद मिलती है साथ ही यह अस्‍थमा की गंभीरता और माइग्रेन के आवृत्ति (frequency) को भी कम करता है।
वजन कम करने में मददगार
फाइबर की अच्‍छी मात्रा होने के कारण बाजरा को वजन कम (weight loss) करने वाले आहारों की सूची में शामिल किया जाता है। बाजरा का सेवन करने से आपको ऊर्जा मिलती है और यह लंबे समय तक आपकी भूख नियंत्रित करता है। इसके अलावा बाजरा में कोलेस्‍ट्रोल को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin sensitivity) बढ़ाने की क्षमता के कारण यह आपके वजन को कम करने में मदद करता है।अगर आप वजन घटाना चाह रहे हैं तो बाजरे की रोटी खाना आपके लिए फायदेमंद होगा.
मिलती है भरपूर एनर्जी
गेंहू की रोटी के मुकाबले बाजरा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. वजन घटाने के अलावा बाजरा खाने से शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है. बाजरे को ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है.


घावों को ठीक करने के लिए

आप अपने घावों का उपचार करने के लिए बाजरा और पानी के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। बाजरा कोलेजन की वृद्धि करने के लिए जाना जाता है जो घाव का उपचार करने में मदद करता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि कुछ दिन तक नियमित रूप से बाजरा (millet) का उपयोग करने से चूहों के घाव को जल्‍दी ठीक करने में सफलता मिली है।
 पाचन शक्ति होती है मजबूत
बाजरे की रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के साथ ही पाचन शक्ति को भी मजबूत बनाते हैं. इसके अलावा बाजरे की रोटी खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती है.
हड्डीयों को स्‍वस्‍थ्‍य रखे
दूध के मुकाबले बाजरा में कैल्शिम की मात्रा अधिक होती है जो आपके शरीर की हड्डियों के निर्माण (bone-building) में बहुत ही सहायक होता है। कैल्शियम के बिना आपकी हड्डीयां भंगुर और कमजोर (brittle and weak) हो सकती हैं। चूंकि आपका शरीर कैल्शियम नहीं बना सकता है, इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि आप इस तरह के खनिज पदार्थों की पूर्ति अपने आहार के माध्‍यम से करें। बाजरा में मैग्‍नीशियम भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो आपकी हड्डियों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि मैग्‍नीशियम फ्रैक्‍चर और ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) के खतरे को कम करने में आपकी मदद करता है।
 दिल को रखता है सेहतमंद
नियमित रुप से बाजरा खाने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. बाजरे की रोटी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसके अलावा बाजरा मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत माना जाता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है.
कोलेस्‍ट्रोल कम करे 
फाइबर कई बीमारियों के लिए एक फायदेमंद तत्‍व है जो हमारे शरीर मे कोलेस्‍ट्रोल को नियंत्रित करने और धमनियों को अवरुद्ध (clogging the arteries) होने से रोकने का सबसे अच्‍छा तरीका है। बाजरा में उपस्थित फाइबर शरीर की सफाई करने और खराब कोलेस्‍ट्रोल (LDL cholesterol) से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। यह आपके शरीर को विभिन्‍न बीमारीयों से बचाने का काम भी करता है। कोलेस्‍ट्रोल को कम करने के लिए बाजरा का सेवन फायदेमंद होता है।


रोके एनीमिया

महिलाओं के लिए एनीमिया (Anemia) रोग बहुत ही घातक होता है और यह उनकी मृत्‍यू का कारण भी बन सकता है। बाजरा का सेवन कर एनीमिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है। बाजारा मे मौजूद फौलिक एसिड (folic acid), फोलेट और आयरन लाल रक्‍तकोशिकाओं के निर्माण के महत्‍वपूर्ण घटक होते हैं और हीमोग्‍लोबिन को पर्याप्‍त स्‍तर पर बनाए रखने में मदद करते हैं। बाजरा में तांबा भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो खून में लाल रक्‍त कोशिकाओं (red blood cells) को बढ़ाने में मदद करता है।
बाजरा के गुण गैल्‍स्‍टोन रोकने में 
कुछ अध्‍ययन बताते हैं कि पित्‍ताशय की पथरी (Gallstones) के गठन को रोकने में अघुलनशील फाइबर बहुत ही उपयोगी होता है। ऐसे बहुत से मामले हैं जो यह बताते हैं कि बाजरा और अन्‍य फाइबर से युक्‍त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से गैल्‍स्‍टोन का खतरा कम होता है। फाइबर की उचित मात्रा में सेवन करने से आंतों के पारगमन समय मे कमी आती है जिसके कारण यह पित्‍त एसिड (bile acid) के स्राव को भी कम करता है जो गैल्‍स्‍टोन को बनने से रोकने में मदद करता है।
सावधानी -
कम मात्रा में बाजरा का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है
लेकिन यदि इसका ज्‍यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो यह बहुत सी परेशानियों का कारण बन सकता है। जो इस प्रकार है :
बाजरा में गोइट्रोजन (goitrogen) होता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन थायरॉयड की समस्‍या का कारण बन सकता है।
अधिक मात्रा में बाजरा का सेवन करने से आपकी त्‍वचा रूखी हो सकती है।
बाजरे का अधिक उपयोग घेंघा (Goitre), चिंता, तनाव और सोचने की क्षमता मे कमी का कारण बन सकता है।




26.7.19

पिंपल्स / मुहासे हटाने के घरेलू उपचार :Home Remedies for Pimples / Acne Removal



आजकल त्वचा पर मुंहासे यानी पिंपल निकलने की समस्या बेहद आम हो गई है। खासकर जिनकी त्वचा ऑयली (तैलीय) है, उन्हें पिंपल ज़्यादा परेशान करते हैं।आम तौर पर अधिकतर कील – मुंहासे Teenage तथा युवावस्था में अधिक होते है. अगर एक बार भी किसी के Face पर पिम्पल या एक्ने आने शुरू हो गये तो इन्हें दूर करना काफी मुश्किल लगने लगता है.
मुंहासे क्या हैं?
आमतौर पर जब हमारी त्वचा पर मौजूद तेल ग्रंथियां बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती हैं, तो मुंहासों का जन्म होता है। हथेलियों और तलवों को छोड़कर, ये तेल ग्रंथियां हमारे पूरे शरीर की त्वचा पर मौजूद होती हैं। त्वचा के रोम छिद्र अंदर से इन तेल ग्रंथियों वाली कोशिकाओं से जुड़े होते हैं। यही रोम छिद्र सीबम पैदा करते हैं, जो त्वचा की खूबसूरती और उसके भीतर तेल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। जब हमारे शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, तो हमारी त्वचा की तेल ग्रंथियों में तेल संतुलन बिगड़ जाता है। इस संतुलन के बिगड़ने की वजह से ही हमारी त्वचा पर मुंहासे नज़र आने लगते हैं।
पिंपल या मुंहासे का होना कोई जानलेवा बीमारी तो नहीं है, फिर भी समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लेना चाहिए। दरअसल, पिंपल अगर ज़्यादा हों और उनका जल्द इलाज न करवाया जाए, तो वे त्वचा पर दाग छोड़ सकते हैं।
पिंपल निकलने का कोई खास लक्षण नहीं होता है। लेकिन, कभी-कभी जहां पिंपल निकलने वाला हो, वहां आपको दर्द महसूस हो सकता है। अगर लगातार कुछ दिनों से आपको पेट से जुड़ी परेशानियां हो रही हों या आप तनाव में हों, तो भी पिंपल हो सकते हैं। सच तो ये है कि पिंपल का होना या न होना, त्वचा और शरीर की बनावट पर निर्भर करता है। इसका कोई निर्धारित लक्षण नहीं होता है।


पिंपल/मुंहासे होने के कारण 

नीचे हम कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से पिंपल हो सकते हैं:
1. अनुवांशिकता
पिंपल की समस्या अनुवांशिक हो सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को बार-बार पिंपल होते हैं, तो आपको भी पिंपल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। (1) (3)
2. हार्मोनल बदलाव
बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से भी पिंपल होते हैं। खासकर महिलाओं को मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के समय शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण पिंपल हो सकते हैं। (3)
3. दवाओं के कारण
कभी-कभी तनाव, मिर्गी या मानसिक बीमारी से जुड़ी कुछ दवाओं के सेवन से भी पिंपल निकल सकते हैं। (4)
4. कॉस्मेटिक का ज़्यादा इस्तेमाल
कॉस्मेटिक यानी सौंदर्य प्रसाधनों का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करने से पिंपल निकल सकते हैं। कई बार महिलाएं पूरे दिन मेकअप में रहती हैं और रात को ठीक से मेकअप नहीं उतारती हैं। इस वजह से भी पिंपल हो सकते हैं। इसलिए, महिलाओं को हल्का मेकअप करने और नेचुरल ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। (3)
5. खानपान से जुड़ी बुरी आदतें
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और द अकादमी ऑफ़ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की ओर से प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उच्च ग्लाइसेमिक भोजन, जैसे – बेकरी के खाद्य पदार्थ और हाई शुगर वाले ड्रिंक्स का सेवन करने से भी पिंपल होते हैं। (5) इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट, ऑयली चीज़ें और जंक फ़ूड के ज़्यादा सेवन से भी पिंपल हो सकते हैं।
6. तनाव
ज़्यादा समय तक तनाव में रहने से भी पिंपल की परेशानी हो सकती है। जब आप तनाव में होते हैं तो आपके शरीर के अंदर कुछ बदलाव होते हैं जिस कारण पिंपल हो सकता है। दरअसल, तनाव से न्यूरोपैट्राइड्स नामक रसायन निकलता है जिससे तनाव और भी बढ़ सकता है। (1) (3)
7. बदलता मौसम और प्रदूषण
ज़्यादा समय तक धूल-मिट्टी और प्रदूषित वातावरण में रहने से पिंपल होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर आप एक शहर से दूसरे शहर तक ज़्यादा आना-जाना करते हैं, तो बदलते मौसम के कारण भी आपको पिंपल हो सकते हैं।
पिंपल्स हटाने के घरेलू उपचार
टूथपेस्ट
अगर आप पिंपल्स व मुंहासों से रातों रात छुटकारा पाना चाहते हैं, तो टूथपेस्ट सबसे बढ़िया घरेलू उपाय है। इसकी मदद से बहुत कम समय में आपके चेहरे से पिंपल से निजात पाई जा सकती है। अच्छी बात यह है, कि टूथपेस्ट हर तरह की पिंपल वाली स्किन पर अपना असर दिखाता है। दरअसल, टूथपेस्ट की एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज उन बैक्टीरिया को खत्म करती हैं, जो पिंपल्स का मुख्य कारण बनते हैं। केवल चेहरे के लिए ही नहीं टूथपेस्ट का उपयोग आप शरीर पर उभरने वाले पिंपल्स के लिए भी कर सकते हैं। नीचे जानते हैं इसे इस्तेमाल करने का तरीका।
सामग्री-
टूथपेस्ट
रूई
पिंपल पर टूथपेस्ट का कैसे करें उपयोग-
चेहरे पर पिंपल हटाने के लिए टूथपेस्ट का उपयोग करना बेहद आसान है। इसके लिए बस आपको रात में रूई में टूथपेस्ट लेकर चेहरे और शरीर के उस हिस्से पर लगाना है, जो पिंपल से प्रभावित है। रातभर इसे ऐसे ही लगा छोड़ दें और सुबह उठने के बाद चेहरा धो लें। बता दें कि पिंपल्स के लिए आपको किसी जेल बेस्ड नहीं बल्कि सफेद टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना है।


मुल्तानी मिट्टी

सामग्री

दो चम्मच मुल्तानी मिट्टी
एक चम्मच गुलाब जल
चार से पांच बूंद नींबू का रस
कैसे तैयार करें?
मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल और नींबू के रस को मिलाकर एक पेस्ट बना लें। आप चाहे तो इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं।
कैसे लगाएं?
हाथ से इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर या सिर्फ़ पिंपल वाली जगह पर लगाएं।
समय
इस पेस्ट को दस से पंद्रह मिनट तक लगाकर रखें फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
मुल्तानी मिट्टी ना सिर्फ़ त्वचा की गंदगी को बाहर निकालती है, बल्कि त्वचा से बेकार तेल को भी खींच लेती है। साथ ही यह मिट्टी रक्त प्रवाह को बढ़ाती है। यह मिट्टी खासतौर पर तैलीय त्वचा के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होती है।
अगर आपकी त्वचा रूखी है, तो इस नुस्खे का इस्तेमाल थोड़ा ध्यान से करें। दरअसल, पेस्ट को ज़्यादा देर तक लगाकर रखने से आपकी त्वचा का रूखापन बढ़ सकता है।
सेंधा नमक
सेंधा नमक पिंपल्स के लिए सबसे सस्ता और सरल घरेलू उपाय है। सेंधा नमक स्किन डेड सेल्स को एक्सफोलिएट करके और बैक्टीरिया को मारकर त्वचा की सफाई करता है। इतना ही नहीं यह त्वचा के पीएच लेवल को भी संतुलित रखता है। आप अपने हिप्स और पीठ पर उभरने वाले दर्दनाक मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल पिंपल व मुंहासों के लिए कैसे करना है, नीचे जानिए।
सामग्री-
1 चम्मच- एप्सम(सेंधा)नमक
1/2 कप- पानी
रूई
पिंपल्स पर सेंधा नमक का इस्तेमाल करने के लिए नमक में पानी घोलें। अब इस नमक के पानी में रूई डुबोकर पिंपल से प्रभावित हिस्सों पर लगा लें। कुछ मिनट के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। रोजाना एक से दो बार इस प्रक्रिया को करने से चेहरे पर दिखने वाले पिंपल बहुत कम हो जाएंगे।
एप्पल साइडर विनेगर
चेहरे पर मौजूद गंदगी के कारण कील मुंहासों की समस्या हो जाती है। अगर इससे निजात पाना चाहते हैं, तो एप्पल साइडर विनेगर सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। विनेगर में बहुत हल्के एसिड होते हैं, जो त्वचा पर बार-बार आने वाले तेल को कंट्रोल करते हैं। विनेगर एक रोगाणुरोधी एजेंट भी है, तो आपकी त्वचा को बैक्टीरिया फ्री बनाता है। ऐसे में आप एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग करके चेहरे पर दिखने वाले मुंहासों से छुटकारा पा सकते हैं। यह हर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है।
सामग्री-
1 चम्मच- पानी1 हिस्सा- सेब साइडर सिरका
कॉटन बॉल
पिंपल्स पर एप्पल साइडर विनगर लगाने की विधि बेहद आसान है। इसे लगाने के लिए एक चम्मच विनेगर को एक चम्मच पानी में मिलाएं। कॉटन बॉल को इस मिश्रण में डुबोएं और प्रभावित हिस्सों पर अप्लाई करें। 5-7 मिनट के लिए ऐसे ही रहने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें। सेंसिटिव स्किन के लिए पानी 3 चम्मच तो विनेगर 1 चम्मच लें। इस प्रक्रिया को हफ्ते में रोज करने से पिंपल्स गायब हो जाएंगे।
बेकिंग सोडा
आपकी किचन में मौजूद बेकिंग सोडा पिंपल को रोकने में बहुत मददगार है। बेकिंग सोडा लगाने के बाद पुराने पिंपल भी जड़ से गायब हो जाते हैं, क्योंकि यह त्वचा के पीएच लेवल को संतुलित करता है। इतना ही नहीं यह त्वचा में निखार लाने के साथ मुंहासों के कारण चेहरे पर दिखने वाली सूजन को भी कम करता है। नीचे आप इसका इस्तेमाल करने का तरीका जान सकते हैं।
सामग्री
1 चम्मच- बेकिंग सोडा
पानी
पिंपल व मुहांसों पर बेकिंग सोडा लगाने के लिए पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और उंगलियों की मदद से इस मिश्रण को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। 5 मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। 5 मिनट से ज्यादा इसे लगा न रहने दें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी त्वचा सूखी हो सकती है। अगर जरूरी लगे, तो बेकिंग सोडा लगाने के बाद आप मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
एलोवेरा 
सामग्री
एलोवेरा
कैसे तैयार करें?
इसमें कुछ खास तैयारी की ज़रूरत नहीं पड़ती है। एलोवेरा को जब आप तोड़ेंगे, तो आपको उसके अंदर एक द्रव्य दिखेगा। आपको उसी द्रव्य या जेल का इस्तेमाल करना होता है।
कैसे लगाएं
एलोवेरा से निकले जेल को सीधे पिंपल वाली जगह पर लगाएं।
समय
जेल को दस से पंद्रह मिनट तक पिंपल पर लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
चेहरे और पीठ पर मौजूद मुंहासों के इलाज के लिए एलोवेरा जेल को मुंहासे वल्गैरिस उपचार में और पूरे चेहरे और पीठ में उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ़्लैमेट्री गुण त्वचा में होनी वाली सूजन और जलन को कम करते हैं।


नारियल तेल

हार्मोनल परिवर्तन के कारण युवाओं के चेहरे पर मुंहासों की समस्या पैदा हो जाती है। इसके लिए नारियल तेल सबसे अच्छा घरेलू उपचार है, क्योंकि यह त्वचा को कोमल बनाए रखने के लिए इसे हाइड्रेट करता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के कारण, इसे आजकल मॉइस्चराइजर और लोशन में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। वहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन सेल्स के पुर्नजन्म में मदद करते हैं। नीचे आप पिंपल्स पर नारियल तेल का उपयोग करने की विधि जान सकते हैं।
सामग्री-
6-7 बूंद नारियल तेल
पिंपल पर नारियल तेल का उपयोग करने के लिए पहले एक कटोरी में तेल लेकर इसे गर्म करें। अब फिंगर टिप्स की मदद से पिंपल वाली जगह पर नारियल तेल लगाएं और सकुर्लर मोशन में मसाज करें। कुछ घंटों के लिए इसे ऐसे ही रहने दें। हर रोज दिन में दो बार पिंपल पर नारियल तेल लगाने से आपके चेहरे के पिंपल पूरी तरह से गायब हो जाएंगे।
लहसुन 
सामग्री
दो से तीन लहसुन की कलियां
पानी
कैसे तैयार करें?
लहसुन की कलियों का पेस्ट बनाकर उसमें थोड़ा-सा पानी मिला लें।
कैसे लगाएं?
इस पेस्ट को सीधे पिंपल के ऊपर लगाएं। इस्तेमाल से पहले लहसुन का रस पानी में पूरी तरह से घुलने दें। इसके बाद ही तैयार हुए पेस्ट को पिंपल पर लगाएं।
समय
पेस्ट को पांच से दस मिनट तक लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
लहसुन में एलिसिन के एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुंहासों के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं।
हल्दी 
सामग्री
हल्दी पाउडर
पानी
कैसे तैयार करें?
हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें।
कैसे लगाएं?
पेस्ट को उंगली से पिंपल पर अच्छी तरह लगाएं।
समय
पेस्ट को सूखने के लिए 10 से 15 मिनट का समय दें और फिर उसे पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
हल्दी एक एंटीसेप्टिक औषधि है। आमतौर पर त्वचा में संक्रमण होने पर हल्दी के लेप का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि हल्दी त्वचा पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मारती है और त्वचा की कोशिकाओं को जल्द ठीक करती है। इसलिए यह पिंपल के उपचार में भी कारगर साबित हो सकती है।
गुलाबजल
गुलाबजल में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को मार गिराते हैं। गुलाबजल मुंहासों के निशान को ठीक करने और त्वचा को साफ करने में भी मदद करता है। इसके अलावा गुलाबजल में कूलिंग प्रॉपर्टी होती हैं, जो छिद्रों को बंद करने और तेल उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं । गुलाबजल आमतौर पर टोनर के रूप में भी काम करता है। नीचे इसके इस्तेमाल करने का तरीका आप जान सकते हैं।
सामग्री-
2 चम्मच- ग़ुलाब जल
2 चम्मच- चंदन पाउडर
पिंपल वाली त्वचा पर गुलाबजल लगाने के लिए पहले गुलाबजल और चंदन पाउडर को मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें। अब इस पेस्ट को उंगली की मदद से पिंपल वाली जगह पर लगाएं। इसके सूखने का इंतजार करें और फिर पानी से धो लें। इस विधि को आप रोज अपने पिंपल पर ट्राई करें। बहुत जल्द पिंपल हल्के पड़ जाएंगे।




24.7.19

नीम के पत्ते ,छाल,दातुन के स्वास्थ्य लाभ //benefits of neem



जब ब्रश और मंजन नहीं होते थे तो मुंह की देखभाल के लिए नीम के पत्‍तों, टहनियों का ही उपयोग किया जाता था। आज भी गांवों में तमाम लोग नीम के ही दातून करते हैं। आयुर्वेद की मानें तो नीम से मुंह के समस्‍त रोगों का उपचार किया जा सकता है। यही नहीं नीम कई गंभीर रोगों के उपचार के लिए भी मददगार है। सुबह-सुबह नीम के 4 पत्‍ते चबाकर भी मुंह की देखभाल की जा सकती है। 
  नीम के अंदर जीवाणुरोधी एंटीसेप्टिक एनाल्जेसिक ज्वरनाशक रक्त को शुद्ध करने के बहुत सारे गुण मौजूद हैं।नीम के अंदर 160 से ज्यादा योगिक गुण उपलब्ध है। जिस कारण नीम का उपयोग बहुत ही अलग अलग तरीकों से अलग अलग बीमारियों में उपयोग में लाया जाता है। नीम का उपयोग अलग अलग बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ है। तो यह आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। जहां तक आप सभी जानते हैं नीम का पेड़ पर्यावरण के लिए भी अतिआवश्यक है। नीम का पेड़ पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए बहुत ही जरूरी है। नीम के पेड़ का प्रत्येक हिस्सा जैसे नीम की जड़ नीम की छाल नीम का गोंद नीम के पत्ते नीम के फल नीम के पत्ते नीम का फल नीम का बीज नीम की गुठली और नीम के बीज से बने हुए नीम का तेल यह सभी हमारे जीवन में होने वाले विकार को दूर करने के लिए पर्याप्त है।
   

नीम एक पेड़ है। औषधि बनाने के लिए नीम के छाल, पत्ते और बीजों का उपयोग किया जाता है। कई बार, जड़, फूल और फल का भी उपयोग किया जाता है। नीम के पत्‍तों का उपयोग कुष्ठ रोग, नेत्र विकार, नकसीर, आंतों के कीड़े, पेट की ख़राबी, भूख न लगना, त्वचा के अल्सर, हृदय और रक्त वाहिकाओं के रोगों (हृदय रोग), बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी (मसूड़े की सूजन) और जिगर के लिए किया जाता है।

इसके अलावा, छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार के लिए किया जाता है। नीम में ऐसे रसायन होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने, बैक्टीरिया को मारने और मुंह में प्लाक के निर्माण को रोकने में मदद कर सकते हैं।
नीम के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ और प्रयोग
कीटरोधक
प्रारंभिक शोध बताते हैं कि नीम की जड़ या पत्ते का अर्क त्वचा पर लगाने से काली मक्खियों को हटाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, त्वचा पर नीम के तेल की क्रीम लगाने से कुछ प्रकार के मच्छरों से बचाव होता है।
सोरायसिस (Psoriasis)
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि 12 सप्ताह तक नीम का अर्क सेवन करने के साथ-साथ रोजाना सूर्य के संपर्क और कोल टार और सैलिसिलिक एसिड क्रीम लगाने से लोगों में सोरायसिस के लक्षणों की गंभीरता कम हो सकती है। हालांकि, इसके प्रयोग से पहले चिकित्‍सक की सलाह जरूर लें।
अल्सर
कुछ शोध बताते हैं कि नीम की छाल का 30-60 मिलीग्राम अर्क 10 सप्ताह तक दिन में दो बार लेने से पेट और आंतों के अल्सर को ठीक करने में मदद मिलती है। हालांकि इसका प्रयोग करने से पहले आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्‍सक की सलाह जरूर लें। 
बालों में रूसी
आप 10 से 15 नीम की पत्तियां ले। एक गिलास पानी में उबालें। इसे तब तक उबलने दे जब तक कि पानी का रंग हरा ना हो जाए। जब भी आप बालों को शैंपू से धोते हैं। बालों को शैंपू से धोने के बाद इस पानी से अपने बालों को साफ करें। यह काम आप हर 1 सप्ताह में एक बार कर सकते हैं। 3 से 4 बार सप्ताह में लगाने से आपके बालों में रूसी आना बंद हो जाएगा। और आपके बाल पहले की तरह फिर से स्वस्थ हो जाएंगे।
दांत की मैल
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि नीम के पत्तों का अर्क दांतों और मसूड़ों पर 6 सप्ताह तक रोजाना लगाने से प्लाक बनना कम हो सकता है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को भी कम कर सकता है जो दांतों की मैलयानी डेंटल प्‍लाक का कारण बनता है। यदि अर्क नहीं मिलता है तो आप नीम के पत्‍तों को ही अच्‍छी तरह से धोकर सुबह-सुबह चबा सकते हैं। हालांकि, 2 सप्ताह तक नीम के अर्क से कुल्ला करने पर प्‍लाक या मसूड़े की सूजन को कम करने के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं।
 दाँत टूटना-
*आपके दांत समय से पहले ही टूटने लगते हैं। नीम के उपयोग से आप इन सभी तरह के दुष्प्रभावों से छुटकारा पा सकते हैं। आपको नीम के पत्तियों का रस निकाल के अपने दांतो पर लगाना है। यह काम आप 1 दिन में दो से तीन बार कर सकते हैं। लगातार एक से दो हफ्ते करने के बाद आप इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। आप कोशिश करें अगर आपको पारिया जैसी बीमारियों का लक्षण आपके मुंह में है। आप नीम के दातुन से करें। यह उपाय आपके मुंह के बीमारियों के लिए वरदान साबित हो सकता है
नीम का सेवन कैसे करें 
नीम या उसके उत्‍पाद की उचित खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि उपयोगकर्ता की आयु, स्वास्थ्य, और कई अन्य स्थितियां। इस समय नीम के लिए खुराक की उचित सीमा निर्धारित करने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी नहीं है। ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं और खुराक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। अगर आप मार्केट से नीम के उत्पाद खरीद रहे हैं तो लेबल पर प्रासंगिक निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें और उपयोग करने से पहले अपने फार्मासिस्ट या चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करें।


सावधानी-
आज तक आपने यही सुना होगा कि नीम के अनगिनत स्वास्थ्यवर्द्धक फायदे होते हैं। अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं या आप डेटोक्स डायट पर हैं, तो आपके दिमाग में सबसे पहले यही आता है कि रोजाना सुबह एक गिलास नीम का रस पीना चाहिए। इसमें कोई शक नहीं है कि नीम का रस पीने से आप कई बीमारियों से दूर रहते हैं। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि नीम के साइड इफेक्ट्स भी होते हैं। नीम के पत्तों का जूस पुरुष प्रजनन क्षमता पर यानि मेल फर्टिलिटी पर प्रभाव डाल सकता है।
रोजाना 3 मिलीग्राम या इससे ज्यादा नीम के पत्तों का रस पीने से शुक्राणु नष्ट हो सकते हैं। अध्ययन के अनुसार, नीम का रस ना केवल स्पर्म को गतिहीन कर सकता है बल्कि 20 सेकंड के अंदर ही 100 फ़ीसदी मानव शुक्राणु को भी खत्म कर सकता है। हालांकि अध्ययन में ये भी पता चला है कि नीम के पत्तों के रस का स्पर्म की मॉर्फलोजी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
कितना रस काफी होता है
अध्ययनों के अनुसार, रोजाना दो मिलीग्राम से भी कम नीम के पत्तों का रस पीना चाहिए। अगर आप इसका रस पीने की सोच रहे हैं, तो पहले आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अलावा रोजाना इसका जूस पीने से बचें। वर्ना इससे यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप वजन घटा रहे हैं या डेटोक्स डायट ले रहे हैं, तो इसे पीने से पहले अपने डायटीशियन से सलाह लें। नीम के पत्तों का रस बनाने से पहले उन्हें पानी में भिगोकर जरूर रखें।







22.7.19

सोते समय अंडरवियर पहनना चाहिए या नहीं?फायदे और नुकसान



क्या सोते समय अंडरवियर पहनना चाहिए या नहीं? यह सवाल हर महिला और पुरुष के मन में होता है। क्योकि बहुत से लोग अंडरवियर उतार कर सोने में हिचकिचाते है पर क्या ऐसा करना सही है। क्या सोते समय अंडरगारमेंट्स पहनना चाहिए? हमारे शरीर के नाजुक अंगो को भी सांस लेने की जरुरत होती है और यदि हम रात में टाइट कपड़े या अंडरवियर पहन कर सोते है तो हमारे यह अंग खुलकर सांस नहीं ले पाते है आईये आज इस लेख में जानते है की रात को सोते समय अंडरवियर पहनना सही है या नहीं और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते है।
कई डॉक्टरों का मानना है की किसी भी महिला या पुरुष को रात में सोते समय अंडरवियर पहनना है या नहीं यह उस व्यक्ति को अपनी सुविधा और सहजता के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए। हर महिला और पुरुष अलग अलग कारणों की वजह से अंडरवियर पहनने या ना पहनने का चुनाव करते है, लेकिन क्या ऐसा करना सही होता है क्योकि अगर हम रात में भी अपने निजी अंगों को आराम नहीं देंगे तो उस वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। दिनभर एक ही अंडरवियर पहने रहने से उसमें बदबू गीलापन और बैक्टीरिया पनप सकते है, जिसकी वजह से कई तरह के संक्रमण हो सकते है और महिलाओं और पुरुषों को योनी और पेनिस में दर्द, जलन और खुजली महसूस हो सकती है।
कई विशेषज्ञों का मानना है की रात को बिना अंडरवियर पहनकर कर सोने के फायदे होते है परन्तु कुछ का मानना है की रात को बिना अंडरवियर के सोने के नुकसान भी होते है। आईये आज जानते है बिना अंडरवियर पहने सोने के क्या फायदे और नुकसान हो सकते है।
कई डॉक्टरों का मानना है की रात को बिना अंडरवियर पहने सोने के बहुत सारे फायदे होते है-


बचाए इन्फेक्शन से

जब हम रात को बिना अंडरवियर पहने सोते है तो हमारे निजी अंगो को आराम मिलता है और महिलाओं की वेजाइना ड्राई हो जाती है जिससे बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा नहीं होता है। हम सभी लोग दिनभर टाइट अंडरवियर पहने रहते है जिसकी वजह से हमारे अंगो को खुल कर सांस लेने का मौका नहीं मिलता है जिससे हमारे निजी अंगो से निकलने वाला डिस्चार्ज दिनभर हमारे अंडरवियर द्वारा ही सोख लिया जाता है जिससे रात होते तक हमें जलन या खुजली महसूस होने लगती है, इसलिए ऐसा माना जाता है की रात को सोते समय अपने अंगो को आराम देना चाहिए।
परन्तु अगर आपको इसकी आदत नहीं है और आपको असहज महसूस होता है तो आप अंडरवियर उतारकर ना सोये परन्तु उसकी जगह आप ढीला ढाला पजामा और शॉर्ट्स पहने जिससे आपके अंगो को आराम मिल सके और वह खुलकर सांस भी लें सके। ऐसा करने से आपके वेजाइना और पेनिस में नमी ख़त्म होगी और बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन और बाकि दूसरे संक्रमणों से भी बचा जा सकता है।
स्लीपिंग क्वालिटी बढ़ती है
कुछ अध्ययनों में पाया गया है की रात को अंडरवियर या अन्य टाइट कपड़े पहनकर सोने से हम रातभर बेचैन होते रहते हैं। ऐसा शायद इसलिए क्योकि जब हम सो रहे होते है तब शायद हमारे कपड़े हमारे शरीर के तापमान के परिवर्तन के साथ समायोजित नहीं कर पाते हैं। इसलिए अंडरवियर के बिना सोने से हमारे सोने का समय अधिक बढ़ जाता है और अच्छा हो जाता है।
युरेटर में संक्रमण नहीं होता है
महिलाओं के युरेटर यानि की मूत्रवाहिनी में सबसे ज्यादा संक्रमण जननांग अंग में बैक्टीरिया पनपने के कारण होता है। यह संक्रमण महिलाओं के युरेटर में प्रवेश करके गर्भाशय को पीड़ित कर देता है जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती है, परन्तु अगर रात में बिना अंडरवियर पहने सोया जाये तो हवा का बहाव तेज होता है जिससे युरेटर ड्राई हो जाता है और संक्रमण का खतरा नहीं रहता है।


पुरुषों में बढ़ाये स्पर्म काउंट

ऐसा माना जाता है पुरुष अगर रात को अंडरवियर पहनकर सोते है तो उनके टेस्टिकल (testicles) को आराम नहीं मिल पता है और उसमें से हीट बाहर नहीं निकल पाती है जिसकी वजह से पुरुषों के स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है। इसलिए पुरुषों को सलाह दी जाती है की वो रात को बिना अंडरवियर पहने सोये ऐसा करने से उनके टेस्टिकल से हीट आराम से बाहर निकल पाती है जिससे उनके स्पर्म काउंट में वृद्धि होती है।
हालांकि पहले यह माना जाता था कि एक तंग अंडरवियर एक आदमी की प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है लेकिन हाल के शोध से पता चला है कि आदमी को अंडरवियर के साथ बिस्तर पर जाने पर भी इसका कोई अधिक नुकसान नहीं होता है। इसलिए, पुरुष यह चुन सकते हैं कि वे क्या पसंद करते हैं लेकिन यदि वह रत को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनते हैं तो उन्हें इससे जरूर फायदा होगा।
निजी अंगो में खुजली और जलन नहीं होती है
अंडरवियर पहनकर सोने से वेजाइना और पेनिस में हमेशा गीलापन सा रहता है जिसकी वजह से हमें खुजली और जलन महसूस होती है और हमे उसे खुजाकर खरोंच देते है जिससे घाव होने का डर रहता है और संक्रमण का भी खतरा रहता है इसलिए जब भी रात में सोने जाये, अपनी अंडरवियर उतार कर सोये जिससे आपके निजी अंगों को सूखने का मौका मिलेगा और किसी प्रकार का संक्रमण नहीं होगा।
बिना अंडरवियर के सोने के नुकसान
कई डॉक्टरों ने शोध द्वारा यह बताया है की जो लोग रात को अंडरवियर पहन कर नहीं सोते है उनको इन्फेक्शन होने का और बाकि कपड़ों से निजी अंगो के घिसने का और चोटिल होने का डर बना रहता है। विशेषज्ञों का यह कहना है की अगर आपको ऐसा लगता है की आप अंडरवियर के बिना असहज महसूस करेंगे तो आप बिलकुल निश्चिंत होकर अंडरवियर पहनकर सो सकते है क्योकि अंडरवियर ना पहने से ही बैक्टीरिया और यीस्ट इन्फेक्शन होने का डर बना रहता है क्योकि महिलाओं की वुल्वा बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है जिसपर किसी तरह का घाव या चोट लगने से इसमें संक्रमण का खतरा हो सकता है और उसी तरह पुरुषों के पेनिस में भी संक्रमण हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने शोध में यह भी पाया की जो महिलाएं या पुरुष अंडरवियर पहनकर सोते है उनके मुकाबले बिना अंडरवियर पहन कर सोने वाले लोगों को अन्य वस्तुओं से निजी अंगो के रगड़ने और चोटिल हो जाने के मामलें ज्यादा देखे गए है। क्योकि अगर व्यक्ति अंडरवियर नहीं पहनता है तो उसे असहज महसूस होने के साथ साथ गंभीर संक्रमण और घाव की संभावना ज्यादा रहती है।


यदि आप पैन्टी-लेस नहीं सोना चाहतीं है? तो आप यह कर सकती हैं

यदि आप बिना अंडरवियर के बिस्तर पर जाने के विचार की तरफ नहीं हैं, तो आप यह कोशिश कर सकती हैं। पैंटी को छोड़ें और कुछ बड़े आकार के बॉक्सर पहनें जो आपके गुप्त भागों को हवा के प्रवाह की अनुमति देता है। आप कॉटन पैंटी भी पहन सकती हैं जो 100 प्रतिशत कपास से बनी होती हैं और आपकी योनी के हिस्से को ताजी हवा देती हैं।
अपनी अंडरवियर को साफ पानी से धोएं और अगर आपके किसी दोस्त या रिश्तेदार को किसी तरह का संक्रमण या बीमारी हो तो उनके कपड़ों के साथ अपनी अंडरवियर को ना रखे। और अपनी अंडरवियर को धोने के लिए हमेशा हाइपोएलर्जेनिक (hypoallergenic) सोप का ही इस्तेमाल करें। और कोशिश करें की साल में एक बार अपनी अंडरवियर को बदल कर नई अंडरवियर लायें।
अपनी अंडरवियर रोज बदलें
वैसे तो बहुत से डॉक्टरों का मानना है की अगर आपको ज्यादा पसीना या किसी तरह का डिस्चार्ज नहीं होता है तो आप दो दिन में एक बार अंडरवियर चेंज कर सकते है इससे आपको कोई परेशानी नहीं होगी पर अगर आपको बहुत अधिक पसीना आता है या डिस्चार्ज निकलता है तो आपको संक्रमण से बचने के लिए रोज अपनी अंडरवियर बदलना चाहिए।
हमेशा कॉटन अंडरवियर का ही इस्तेमाल करें
अगर आप रात को अंडरवियर पहनकर सोना चाहते है तो कोशिश करें की आप हमेशा कॉटन की अंडरवियर ही पहने यह गीलेपन को आसानी से सोख लेता है जिससे खुजली या जलन की समस्या नहीं होती है।रात को अगर चैन की नींद लेते हुए शरीर के सभी अंगों की सुरक्षा का भी ध्यान रख लिया जाए तो नींद का उद्देश्य पूरा हो जाए। ऐसे में अगर आप भी कभी इस सवाल से दो चार हुए हैं कि क्या सोते समय अंडरगारमेंट्स पहनना चाहिए?
यह सवाल अजीब लग सकता है, लेकिन यह आपके स्वास्थ्य से जुड़ा है। इसका जवाब जानना ज़रूरी है। आप यह समझ लीजिए कि सोते हुए अंडरगारमेंट्स पहनना अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना है।
आखिर क्यों अक्सर ही इस बात की सलाह दी जाती है कि सोते हुए अंडरगारमेंट्स क्यों न पहने जाएं? जानिए ऐसे स्वास्थ्य से जुड़े कारण जो अंडरगारमेंट्स न पहनने की वकालत करते हैं।
चाहे आप आलस्य में या आदत के चलते, अंडरवियर पहनकर ही सो जाते हैं तो आप खुद को एक खतरे में डाल रहे हैं। हममें से अधिकतर लोग इस आदत से बंधे हुए हैं, परंतु विशेषज्ञों की मानें तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह आदत महिलाओं और पुरुषों दोनों को हानि पहुंचा सकती है। जिसके चलते खुजली, त्वचा इंफेक्शन और कभी कभी बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। 
 नमी से इंफेक्शन का खतरा
आपने भी इस बात पर ध्यान दिया होगा कि आपके जेनिटल्स (प्रजनन हिस्से) पूरे समय बंद रहते हैं। दिन और रात ये कपड़ों से ढंके रहते हैं। सिर्फ नहाने के वक्त आप इनकी सफाई करते हैं। ऐसे में कई बार जरूरी क्रियाओं को करते वक्त पानी लगने से यहां नमी रह जाती है। आपके हमेशा कपड़े पहने रहने के कारण इन हिस्सों को सूखने का मौका नहीं मिलता, जिसके कारण इंफेक्शन होने की संभावन बहुत अधिक हो जाती है। रात को अगर आप अंडरगारमेंट्स न पहनें तो आपके इस हिस्से को सूखा और साफ रहने का मौका मिल जाता है।
पसीने से बैक्टेरिया पनपने का खतरा
अक्सर ही मौसम गर्म रहने पर आपके शरीर से हर जगह पसीना निकलता है। शरीर के अन्य हिस्सों को जहां प्राकृतिकतौर पर सूखने का मौका खुले रहने के कारण मिलता है, आपके शरीर का यह खास हिस्सा बैक्टेरिया का घर बना रहता है। ऐसे में बैक्टेरिया से होने वाले इंफेक्शन का भी खतरा बना ही रहता है। रात में अंडरगारमेंट्स न पहनने पर इस समस्या से बचा जा सकता है।
पुरूषों को होने वाला खतरा
इंस्टीट्यूट फॉर मेंस हेल्थ (जर्सी यूरोलॉजी ग्रुप) यूएस की एक रिपोर्ट के अनुसार पुरूषों का रात में अंडरगारमेंट्स में सोना उनके प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है। उनके प्रजनन अंग रात के समय अधिक गर्म होकर स्पर्म क्षय और स्पर्म की गुणवत्ता में गिरावट का शिकार हो सकते हैं।








21.7.19

दालचीनी की छाल है गुणों का खजाना



दालचीनी ऐसा मसाला है, जो लगभग हर भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाएगा। दालचीनी सिर्फ़ एक मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है, जिसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण कई बीमारियों जैसे – आर्थराइटिस, डायबिटीज़, यहां तक की कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से आपको सुरक्षित रखता है। आज इस लेख में हम दालचीनी के फायदे आपको बता रहे हैं। आप भी जानिए कि दालचीनी आपकी सेहत और शरीर के लिए कैसे लाभकारी है।
दालचीनी के स्वास्थ्य लाभ-
वज़न कम करने के लिए
आजकल बढ़ता वज़न या मोटापा लगभग हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति के लिए चिंता का विषय बन गया है। खान-पान पर ध्यान न देना और सही तरीक़े से शारीरिक श्रम यानी व्यायाम व योग ना करने से वज़न बढ़ने की समस्या होते रहती है। ऐसे में अगर खाने में दालचीनी का सेवन किया जाए, तो कुछ हद एक यह समस्या कम हो सकती है। दालचीनी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स (polyphenols), एक प्रकार का एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो इंसुलिन की संवेदनशीलता को बेहतर करता है। इंसुलिन खून में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है, लेकिन जब आपका शरीर सही मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरुप मोटापा, डायबिटीज़ और अन्य कई बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। एक शोध के मुताबिक़, जिन महिलाओं में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग (polycystic ovarian disease) हैं, उनके लिए दालचीनी इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance) को कम कर वज़न को नियंत्रित करती है । इसके अलावा दालचीन का एंटी-ओबेसिटी प्रभाव और इसमें मौजूद कई अन्य तत्व मोटापे को कम करते हैं
एक कप पानी
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
एक चम्मच शहद
एक चम्मच नींबू का रस
बनाने की विधि
पहले पानी को उबाल लें।
अब एक कप में दालचीनी पाउडर, शहद और नींबू के रस को मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लें और इस मिश्रण में उबले हुए पानी को डालकर अच्छे से मिला लें।
इसके बाद पानी का सेवन करें।


डायबिटीज़ में दालचीनी

खराब जीवनशैली और खान-पान की वजह से कई लोग मधुमेह का शिकार हो रहे हैं। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो आगे चलकर भारी नुकसान हो सकता है। वक़्त के साथ-साथ डायबिटीज़ अन्य कई बीमारियों को जन्म देने लगती है। ऐसे में मधुमेह के मरीज़ अगर दालचीनी को अपने आहार में शामिल करते हैं, तो मधुमेह पर काफ़ी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट डायबिटीज़ होने के एक महत्वपूर्ण करक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है ।
इस मसाले में फेनोलिक यौगिक और फ्लैवोनॉइड मौजूद हैं, जो एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीडाइबेटिक, एंटीकैंसर और कार्डियोप्रोटेक्टीव गुण प्रदान करते हैं । इसके अलावा, एक शोध में बताया गया है कि दालचीनी, ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल्स शरीर में इंसुलिन को बेहतर करता है, जिससे डायबिटीज़ का ख़तरा को कम होता है
छोटा अदरक का टुकड़ा
दो चम्मच नींबू का ताज़ा रस
एक टूकड़ा दालचीनी का (Ceylon cinnamon)
एक चम्मच कच्ची ऑर्गेनिक शहद या सामान्य शहद
आधा या एक कप फ़िल्टर या छना हुआ पानी
बनाने की विधि
पानी को मध्यम से थोड़े ज़्यादा आंच पर गर्म करें।
अदरक के छोटे या बारीक़ टुकड़े करें।
जैसे ही पानी उबलने लगे, उसमें अदरक डाल दें।
फिर गैस को थोड़ा कम कर दें और इसमें दालचीनी डालें।
पांच मिनट तक दालचीनी को पानी में भीगने दें, फिर पानी को छानकर एक कप में डाल दें।
अब इसमें नींबू का रस और शहद मिलाकर पिएं।
आप इसे पूरे दिन में किसी भी समय पी सकते हैं।
रक्त परिसंचरण के लिए दालचीनी
दालचीनी रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। दालचीनी में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जो खून को पतला कर रक्त परिसंचरण को बढ़ाते हैं।दालचीनी में मौजूद यह गुण धमनियों से जुड़े बीमारी और दिल के दौरे से भी बचाता है। बेहतर रक्त परिसंचरण का मतलब कम दर्द और अधिक ऑक्सीजन है।
 कोलेस्ट्रॉल और दिल के लिए दालचीनी
दालचीनी आपके हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम कर, अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को स्थिर करती है। इससे दिल के दौरे का ख़तरा भी कम होता है। यह ख़ासकर टाइप-2 मधुमेह वाले मरीजों में ज़्यादा कारगर साबित हुआ है ।
आप दालचीनी की चाय पी सकते हैं।
सब्ज़ियों में दालचीनी का उपयोग कर सकते हैं। इससे न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी सही है।
सर्दी और खांसी में दालचीनी
दालचीनी में एंटी-माइक्रोबायल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद हैं। ये गुण सर्दी-खांसी से बचाव करते हैं।
इसलिए, में दालचीनी का प्रयोग बेहतर उपाय है।
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
दो लौंग के टुकड़े
एक गिलास गर्म पानी
बनाने की विधि
आप दालचीनी पाउडर और लौंग को पानी में डालकर पांच से दस मिनट तक उबालें।
फिर इसे छान लें और इसे चम्मच से पिएं।
आप इसे सिरप की तरह एक या दो चम्मच दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं।


दिमाग़ के लिए दालचीनी

दालचीनी मस्तिष्क के लिए भी काफ़ी फायदेमंद होती है। दालचीनी की सुगंध मस्तिष्क की गतिविधि को बढ़ाती है। यह मस्तिष्क के लिए अच्छा टॉनिक है। इससे न सिर्फ़ मस्तिष्क तेज़ी से काम करता है, बल्कि इससे तनाव व चिंता जैसी परेशानियों से भी आराम मिलता है। जिन लोगों ने दालचीनी की तेल को सूंघा है, उनकी स्मरण शक्ति बढ़ने लगती है (8)। इसके अलावा दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण मनुष्य को अल्ज़ाइमर और पार्किसन जैसे मस्तिष्क विकार से भी बचाता है । जहां अल्ज़ाइमर में याददाश्त कमज़ोर हो जाती है, वहीं पार्किसन में शरीर के अंगों में कंपन शुरू हो जाता है।
आधा या एक कप पानी
दालचीनी की छोटी-सी छड़ी
एक चम्मच शहद
बनाने की विधि
पानी को उबाल लें।
अब बर्तन में दालचीनी डालकर उसमें गर्म पानी डालें।
पानी में करीब दस मिनट तक दालचीनी को भीगने दें, ताकि इसके सारे गुण पानी में आ जाएं।
फिर पानी को छानकर, उसमें शहद मिलाकर पिएं।
आर्थराइटिस में दालचीनी
बढ़ती उम्र के साथ-साथ हमारी हड्डियां भी कमज़ोर होने लगती है और कई लोगों को गठिया (आर्थराइटिस) जैसी बीमारी घेर लेती है। ऐसे में दालचीनी एक औषधि के रूप में मदद करती है। दालचीनी में आयरन, कैल्शियम व मैंगनीज़ जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो गठिया की बीमारी में राहत देता हैं । एक शोध के मुताबिक़, रहूमटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) में होने वाले दर्द और सूजन को हद तक कम करने में दालचीनी असरदार साबित होती है
दालचीनी के तेल की तीन से चार बूंदे, नारियल या सरसों तेल में मिलाकर गुनगुना गर्म कर लें। अब इस तेल से हड्डियों की मालिश करें। ऐसा करने से दर्द से काफ़ी हद तक राहत मिलेगी।
ब्लड प्रेशर की समस्या में दालचीनी
आजकल हाई और लो ब्लड प्रेशर यानी उच्च और निम्न रक्तचाप की समस्या कई लोगों को होती है। ऐसे में दालचीनी के सेवन से यह समस्या से काफ़ी हद तक दूर हो सकती है। खासकर टाइप-2 डायबिटीज़ वाले मरीज़ों के लिए यह ज़्यादा फायदेमंद है । हालांकि, जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि दालचीनी, परिधीय वाहिका प्रसरण (peripheral vasodilatation) के जरिए, रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करती है।


मासिक धर्म के समय दालचीनी

अमूमन हर महिला के लिए मासिक धर्म का समय कई परेशानियों, जैसे-पेट दर्द, मितली इत्यादि से भरा होता है। इस स्थिति में कई महिलाएं दवाइयों का सेवन करती हैं, लेकिन हर बार दवाइयों का सेवन ख़तरनाक हो सकता है। इसलिए, मासिक धर्म के समय दालचीनी के घरेलू उपाय काफ़ी मददगार साबित हो सकते हैं। दालचीनी के सेवन से मासिक धर्म के समय ज़्यादा रक्त स्त्राव की परेशानी, दर्द व मितली जैसी समस्याएं कुछ कम होती हैं। यह डिसमेनोरिया (dysmenorrhea) यानी मासिक धर्म के समय या पहले होने वाले ऐंठन की समस्या को भी कम करता है . यहां तक की दालनीची पाउडर के सेवन से महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) से भी राहत मिलती है.
एक से दो गिलास पानी
एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर
थोड़ा शहद
बनाने की विधि
एक से दो गिलास पानी में दालचीनी पाउडर डालकर उबाल लें।
फिर इसमें शहद मिलाकर पानी को पिएं।
ऐसा करने से मासिक धर्म की ऐंठन काफ़ी हद तक कम होगी।
सांस की दुर्गन्ध
दालचीनी ना सिर्फ दांत दर्द में आराम पहुंचाती है, बल्कि कुछ शोध के अनुसार, यह मौखिक संक्रमण और सांस की बदबू को भी दूर करती है
आप चाहे तो दालचीनी की छड़ी को चबा सकते हैं या दालचीनी के पानी से (पानी में दालचीनी की छड़ी भिगोकर) कुल्ला या गरारे कर सकते हैं।
 पाचन क्रिया के लिए दालचीनी
दालचीनी पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटी-माइक्रोबायल गुण होता है, जो पाचन तंत्र में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है और कैंडीडा नामक बीमारी से बचाव करता है
गर्भावस्था में दालचीनी
गर्भावस्था के दौरान महिला को अपने खान-पान का ख़ास ख्याल रखना चाहिए। अगर गर्भवती महिला खाने में दालचीनी का सेवन करती है, तो यह उनके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होगा। दालचीनी में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण किसी भी प्रकार के संक्रमण से महिला का बचाव करते हैं। साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि अगर किसी गर्भवती को गर्भावधि मधुमेह है या डायबिटीज़ की दवा ले रही है, तो दालचीनी का सेवन डॉक्टर से पूछकर करें। ज़रूरत से ज़्यादा दालचीनी का सेवन खून को पतला कर सकता है, जिसका असर गर्भावस्था के बाद होने वाले रक्तस्त्राव पर पड़ सकता है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान ज़्यादा दालचीनी का सेवन समय से पहले प्रसव का कारण बन सकता है।
गर्भवती महिलाएं सिर्फ खाने में दालचीनी का प्रयोग करें और सीमित मात्रा में इसका सेवन करें।


दालचीनी कब्ज़ और गैस के लिए

आजकल के उल्टे-सीधे खान-पान के कारण हमारे पेट की हालत बहुत खराब हो जाती है। कभी कब्ज़ तो कभी गैस की शिकायत आए दिन लगी रहती है। कई लोगों को कब्ज़ और गैस की दवा लेने की आदत हो जाती है। इन दवा को बार-बार लेना,स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। ऐसे में दालचीनी जैसे घरेलू औषधि को अपने आहार में शामिल करेंगे, तो पेट की समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है।
आप रात को सोने से पहले दूध में दालचीनी का पाउडर मिलाकर पी सकते हैं। इससे आपको गैस, कब्ज़ और पेट से सम्बंधित अन्य परेशानियों से राहत मिल सकती है। अगर, दूध के साथ पीना पसंद ना हो तो खाने में ज़रूर इसका सेवन करें। आप इस बात को भी ना भूलें कि दालचीनी का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन, पाचन क्रिया पर बुरा असर डाल सकता है, इसलिए इसे सीमित मात्रा में लें।
 दर्द से राहत
हम अक्सर किसी भी तरह का दर्द होने पर दर्द निवारक दवा लेते हैं, जो हानिक़ारक साबित हो सकता है। वहीं, दालचीनी शरीर में होने वाले कई तरह के दर्द, जैसे-दांत दर्द, हड्डियों का दर्द व पेट दर्द में राहत देती है।
दांत दर्द हो तो दालचीनी को चबाकर खाएं या दालचीनी के पानी से कुल्ला करें। इसके अलावा, दालचीनी के पत्ते का तेल भी रूई में लगाकर दांतों के बीच दबा सकते हैं।
पेट दर्द हो तो दालचीनी की चाय या दूध के साथ दालचीनी का सेवन कर सकते हैं।
जोड़ों के दर्द में दालचीनी का तेल आप नारियल या सरसों के तेल के साथ गर्म करके लगा सकते हैं। इसके अलावा आप दालचीनी के पाउडर को गुनगुने पानी में पेस्ट बनाकर दर्द वाले हिस्से पर मालिश करें। इससे दर्द कम होने की संभावना होती है।
लंबी उम्र के लिए दालचीनी
आपको जानकर हैरानी होगी कि दालचीनी से आपकी आयु पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लगातार दालचीनी पाउडर का सेवन करने से आपके बुढ़ापे में होने वाली स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां काफ़ी हद तक कम हो जाती हैं। इससे शरीर में फुर्ती रहती है और उम्र के साथ होने वाली हड्डियों की दर्द की समस्या भी दूर होती है।
दो कप पानी
एक चम्मच दालचीनी पाउडर
दो से तीन चम्मच शहद
बनाने की विधि
आप दालचीनी पाउडर को पानी में उबालें और फिर हल्का ठंडा होने के बाद इसमें शहद मिलाकर पिएं।
आप इसे दिनभर में एक से दो बार पी सकते हैं।
त्वचा संक्रमण या घाव में दालचीनी का उपयोग
दालचीनी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं। साथ ही ये किसी भी घाव को आसानी से भर सकते हैं
आप त्वचा संक्रमण होने पर दालचीनी पाउडर व शहद को मिलाकर लगा सकते हैं, लेकिन पहले थोड़ी-सी मात्रा लगाएं।
सावधानी-
दालचीनी के कुछ नुकसान भी हैं, जिसके बारे में जानना ज़रूरी है, ताकि इसका सेवन करते समय थोड़ा ध्यान रखें।
लिवर की समस्या हो सकती है।
खून पतला कर सकता है।
त्वचा की समस्या।
गर्भवती महिला को समय से पहले प्रसव हो सकता है।
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20.7.19

लीवर को स्वस्थ और मजबूत बनाने वाले आहार


लिवर को हम अपनी भाषा में जिगर कहते है। यह शरीर का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथि होता है। यह हमारे शरीर के कई कार्यों को कण्ट्रोल करता है। इसमें खराबी होने पर शरीर की काम करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। यह पेट के दाएं नीचे की तरफ होता है।

लिवर डैमेज का सही समय पर इलाज करना भी ज़रूरी होता है, नही तो यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। लिवर का ख़राब होने के बड़े कारण धूम्रपान, शराब का सेवन, अधिक खट्टा, ज्यादा नमक का सेवन प्रमुख हैं। आज हम आपको लिवर को स्वस्थ और खराब होने से बचाने के आसान उपाय और देसी आयुर्वेदिक नुस्खे बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से लिवर को स्वस्थ और स्ट्रांग बनाया जा सकता है।
 जिगर कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने, ग्‍लूकोज बनाने और शरीर को डिटॉक्‍स करने में सहायक होता है। लीवर को मजबूत करने के उपाय आपके लीवर को पोषक तत्‍वों को संग्रहीत करने में सहायता करते हैं। लीवर को मजबूत बनाने के तरीके में आप घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। लीवर के कमजोर होने से यकृत रोग और कई गंभीर समस्‍याएं हो सकती हैं। हालांकि डॉक्‍टर से संपर्क कर लीवर को मजबूत करने की दवा भी ली जा सकती है। लेकिन लीवर को मजबूत करने के घरेलू उपाय भी होते हैं। स्‍वस्‍थ लीवर की खुराक के रूप में खाद्य पदार्थ और जड़ी बूटीयों का सेवन किया जा सकता है।


लिवर खराब होने के प्रमुख कारण

सबसे पहले लिवर खराब होने के फॅक्ट्स को जानना ज़रूरी है। जिससे समय रहते आपको पता रहे और इलाज सही टाइम पर हो सके। इंडिया में 10 खतरनाक रोगों में से एक है लिवर की बीमारी। हर साल तकरीब 2 लाख लोग लिवर की समस्या से मरते हैं।
दूषित माँस खाना, गंदा पानी पीना, मिर्च मसालेदार और चटपटे खाने का अधिक सेवन करना।
पीने वाले पानी में क्लोरीन की मात्रा का अधिक होना।
शरीर में विटामिन बी की कमी होना।
घर की सफाई पर उचित ध्यान न देना।
मलेरिया, डेंगू या टाइफाइड से पीड़ित होना।
रंग लगी हुई मिठाइयों और ड्रिंक का इस्तेमाल करना।
चाय, कॉफी, जंक फूड का सेवन अधिक करना।

लिवर खराब होने के लक्षण 
लिवर वाली जगह पर दबाने से दर्द होना।
छाती में जलन और भारीपन होना.
भूख न लगने की समस्या, पेट में गैस का बनना।
शरीर में आलसपन और कमजोरी का होना।
लिवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आने लगती है, जिसको आप अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते है।
मुंह का स्वाद खराब होना।

लीवर को मजबूत करने के लिए क्‍या खाएं

आज के व्‍यस्‍त जीवन में लोगों को स्‍वस्‍थ आहार करने का समय नहीं मिलता है। जो लीवर सहित कई गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। अधिकांश लोगों का प्रश्‍न होता है कि लीवर को मजबूत कैसे बनाएं या लीवर को मजबूत करने का नुस्‍खा क्‍या है। जबकि इस प्रश्‍न का हल उनके नियमित आहार में छिपा है। यकृत या लीवर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आप स्‍वस्‍थ आहार और औषधीय जड़ी बूटीयों का सेवन कर सकते हैं। आइए जाने जिगर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आप किन खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
खाएं पपीता
जिगर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में पपीता बहुत ही प्रभावी होता है। लीवर को मजबूत करने के लिए आप पपीता को अपने नियमित आहार में शामिल कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। पपीता का सेवन विशेष रूप से यकृत सिरोसिस (liver cirrhosis) के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है। आप लीवर मजबूत बनाने के घरेलू उपाय के रूप में पपीता के पत्‍ते के रस का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। आप नियमित रूप सेू पपीता के पत्‍ते के 2 चम्‍मच रस में 1 चम्‍मच नींबू का रस मिलाएं और दिन में 2 बार सेवन करें। ऐसा करने से आपके लीवर में मौजूद संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है।


हल्‍दी

लीवर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए हल्‍दी बहुत ही प्रभावी होती है। हल्‍दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं साथ ही इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा भी होती है। नियमित रूप से हल्‍दी का सेवन करने से हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के प्रभाव और प्रसार को रोका जा सकता है। लीवर को मजबूत करने के तरीके में आप हल्‍दी को अपने आहार में शामिल करने के साथ दूध में मिलाकर भी उपभोग कर सकते हैं। इसके लिए आप प्रतिदिन सुबह और रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में 1 चुटकी हल्‍दी पाउडर मिलाकर पिएं।
आंवला
लीवर हमारे शरीर का सबसे महत्‍वपूर्ण अंग है जिसे स्‍वस्‍थ रखना बहुत ही आवश्‍यक है। लीवर को मजबूत करने के घरेलू नुस्‍खे में आप आंवला का उपयोग कर सकते हैं। आंवला में लीवर-सुरक्षात्‍मक गुण होते हैं साथ ही इसमें विटामिन सी भी अच्‍छी मात्रा में होता है। लीवर मजबूत करने के उपाय में आप प्रतिदनि 2-4 कच्‍चे आंवले का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा विकल्‍प के रूप में आप आंवले के मुरब्‍बे का भी सेवन कर सकते हैं। यह लीवर मजबूत करने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है।
सेब का सिरका
सेब का सिरका लिवर को डिटॉक्‍स करने में मदद करता है। यदि आप भी अपने लीवर को साफ रखना चाहते हैं तो भोजन करने से पहले थोड़े से सेब के सिराका का सेवन करें। ऐसा करने से सेब का सिरका शरीर में मौजूद वसा को चयापचय करता है। आप अपने लीवर को मजबूत बनाने के लिए सेब के सिरका का कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं। जैसे कि – 1 गिलास पानी में 1 चम्‍मच सेब का सिरका मिलाएं और सेवन करें। विकल्‍प के रूप में आप 1 चम्‍मच सेब के सिरका और 1 चम्‍मच शहद को 1 गिलास पानी में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं। दिन में 2 से तीन बार इस मिश्रण का सेवन लीवर को साफ करने का सबसे अच्‍छा तरीका है।
मुलैठी की चाय
अस्‍वस्‍थ लीवर को स्‍वस्थ्‍य बनाने के लिए मुलैठी (Licorice) एक प्रभावी जड़ी बूटी है। लीवर की क्षतिग्रस्‍त स्थिति को ठीक करने के लिए कई औषधीय और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में मुलैठी का प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है। मुलैठी की चाय बनाने के लिए आप मुलैठी की जड़ को पीस लें और उबलते पानी में डालें। कुछ देर के बाद आप इस मिश्रण को छान लें और ठंडा होने दें। लीवर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए इस पेय का नियमित रूप से दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए।
घरेलू उपाय अलसी
लीवर खराब होने पर या लीवर की खराबी होने पर अलसी के बीजों का सेवन किया जाना चाहिए। अलसी के बीज में फाइटोकोन्स्टिट्यूएंटस (phytoconstituents) की मौजूदगी होती है। जिसके कारण यह रक्‍त में हार्मोन के फैलने से रोकता है और यकृत पर तनाव को कम करता है। यदि आपके लीवर में किसी प्रकार का इंफेक्‍शन है तो तुरंत ही डॉक्‍टर की सलाह लें। साथ ही उपचार प्रक्रिया को तेज करने के लिए आप अपने आहार में अलसी के बीजों को शामिल करें।
अंगूर
एक अध्‍ययन के अनुसार अंगूर का फल, अंगूर का जूस और अंगूर के बीज लीवर के लिए फायदेमंद होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि अंगूर और अंगूर के बीजों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा होती है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर की सूजन को कम करने और जिगर की क्षति को रोकने में सहायक होते हैं। इसके अलावा अंगूर में मौजूद अन्‍य पोषक तत्‍वों और यौगिकों को आहार में शामिल करने के लिए आप अन्‍य खाद्य पदार्थो के साथ भी अंगूर का भी उपयोग कर सकते हैं।


अंडा

अंडा सामान्‍य स्‍वास्‍थ्‍य और ऊर्जा में वृद्धि के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकारों के अनुसार लीवर को स्‍वस्‍थ रखने में अंडा अहम भूमिका निभाता है। इसमें मौजूद प्रोटीन और विटामिन लीवर की क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं को पुन:जीवित करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा अंडे में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से भी बचाते हैं। यदि आप भी अपने लीवर को स्‍वस्‍थ और निरोगी रखना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में अंडो को शामिल करें। लीवर को मजबूत बनाने का घरेलू नुस्‍खा के रूप में अंडा बहुत ही लोकप्रिय खाद्य पदार्थ माना जाता है।
जैतून का तेल
बहुत अधिक वसा और फैटी भोजन करना लीवर के लिए हानिकारक होता है। लेकिन कुछ विशेष प्रकार के स्‍वस्‍थ वसा का सेवन लीवर के लिए लाभकारी भी होते हैं। आप अपने लीवर को साफ करने के उपाय में जैतून के तेल का सेवन कर सकते हैं। एक अध्‍ययन के अनुसार दैनिक आहार में जैतून के तेल को शामिल करने से ऑक्‍सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा जैतून तेल के एंटीऑक्‍सीडेंट लीवर में मौजूद विषाक्‍तता को प्रभावी रूप से दूर करने में सहायक होते हैं। जैतून के तेल में असंतृप्‍त फैटी एसिड की उच्‍च मात्रा होती है जो लीवर को साफ करने और स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होते हैं। आप भी लीवर को मजबूत करने के लिए ऑलिव आइल का प्रयोग कर सकते हैं।
गाजर का जूस
गाजर में पौधे आधारित फलेवोनोइड्स (Flavonoids) और बीटा-कैरोटीन (beta carotene) की उच्‍च मात्रा होती है जो लीवर के समग्र स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में सहायक होते हें। आप अपने लिवर के लिए जूस के रूप में गाजर का उपयोग कर सकते हैं। गाजर में विटामिन ए की उच्‍च मात्रा होती है जो यकृत की बीमारियों को रोकने में आपकी मदद कर सकता है।


खाएं लहसुन

किसी भी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के इलाज की बजाय बचाव के तरीके बेहतर होते हैं। यदि आप स्‍वस्‍थ्‍य जीवनशैली और स्‍वस्‍थ आहार का नियमित उपभोग करते हैं तो आपके बीमार होने की संभावना कम होती है। लेकिन यदि आप लीवर की समस्‍या से परेशान हैं तो आपको विशेष इलाज की आवश्‍यकता है। लीवर खराब होने पर अन्‍य पौष्टिक आहार के साथ आप लहसुन का नियमित सेवन करें यह लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को उत्‍तेजित करने में सहायक है। एक अध्‍ययन के अनुसार लहसुन का नियमित सेवन एनएएफएलडी (NAFLD) वाले लोगों में शरीर के वजन और वसा की मात्रा को कम करता है। इस तरह से आप अपने लीवर को स्‍वस्‍थ्‍य रखने और उचित वजन प्राप्‍त करने के लिए नियमित आधार पर लहसुन का सेवन कर सकते हैं।
कैसे करें लिवर (Liver) का बचाव
लिवर का बचाव करने के लिए आपको बस इन आसान कामों को करना है और पूरे नियम से करना है। क्यूंकि लिवर शरीर का महत्वपूर्ण पार्ट है, इसलिए आपको अपने लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा। ताकि आप लिवर की बीमारी से बच सकें।
जब भी आप सुबह उठे तो 3 से 4 गिलास पानी का सेवन जरूर करें। उसके बाद आप पार्क में टहलें।
दिन में हो सके तो 2 से 3 बार निम्बू पानी का सेवन करें। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक काम भी करते रहे।
कभी भी भोजन करते समय पानी का सेवन न करे और खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पियें।
चाय, कॉफ़ी से दूर रहे। किसी भी तरह के नशीली चीजों का सेवन न करें। तले हुए खाने से दूर ही रहे। साथ ही जंक फ़ूड का सेवन न करें।
अनुलोम विलोम प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम को सवेरे जरूर करें। इन सभी बातों को ध्यान में यदि आप रखेंगे तो आप लिवर की बीमारी से बचे रहेंगे।



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