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3.10.23

सूखा अदरक (सौंठ) के आयुर्वेदिक उपयोग Sounth ke fayde

 



  क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबलस्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है । इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है


24.4.20

अपराजिता पौधा के औषधीय उपयोग




अंग्रेजी नाम - क्लितोरिया , हिन्दी नाम - कोयाला , संस्कृत नाम - कोकिला , बंगाली नाम - अपराजिता , गुजराती नाम - गरणी, मलयालम नाम - शंखपुष्पम, मराठी नाम - गोकर्णी, तमिल नाम - कक्कानम, तेलुगु नाम - शंखपुष्पम, यूनानी नाम – मेज़ेरिओन
अपराजिता पौधे की पत्तियां उज्ज्वल हरी और उज्ज्वल नीले रंग की होती है. इसके फूल का रंग सफेद होता है.ये कभी-कभी शंख रूप में उगता है. ये भारत, मिस्र, अफगानिस्तान, फारस, मेसोपोटामिया, इराक आदि के सभी भागों में पाया जाता है.
आयुर्वेद के ग्रंथों में बताई गई एक बहुत ही उपयोगी जड़ी बूटी अपराजिता पौधा है. ये कई औषधीय उपयोगों के साथ एक बहुत ही सुंदर घास से बनी होती है. अपराजिता पौधा का शरीर की संचार तंत्रिका और मनोवैज्ञानिक सिस्टम पर एक बहुत सुखदायक प्रभाव पड़ता है.

अपराजिता पौधे के स्वास्थ्य लाभ

मेध्या जड़ी बूटिया याददाश्त और लर्निंग जैसी चीजों को बेहतर बनाने में बहुत मदद करती है। इतना ही नहीं ये मस्तिष्क के विकास की समस्याओं और इम्पैरेड कॉग्निटिव फंक्शन जैसी समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है। अपारिजता का प्रयोग डिटॉक्सिफिकेशन और मस्तिष्क की आल राउंड क्लीनिंग में भी काफी मदद करती है 
 ऐसा माना जाता है कि अपराजिता शरीर के अंदर मौजूद विषाक्त पदार्थों के लिए ये एक ही बहुत प्रभावी उपचार है। इसके साथ-साथ इसका प्रयोग नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए के लिए भी किया जाता है।
 अपराजिता पौधे की जड़ का लेप बनाकर अक्सर त्वचा पर प्रयोग किया जाता है, जिससे चेहरे की चमक बढ़ती है। यह आंखों पर एक बहुत ठंडा प्रभाव डालती है साथ ही आंखों की रोशनी में सुधार करने में मदद करता है।
अपराजिता पौधा स्माल पॉक्स जैसी बीमारी में भी फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा यह स्पर्म जनरेशन,बुखार, दस्त, गेस्ट्राइटिस, मतली, उल्टी, जैसी आम स्थितियों में कारगर माना जाता है। यह हृदय और श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाने में भी मदद करता है।
उदर, कफ विकार, ज्वर, मूत्रविकार, शोथ, नेत्ररोग, उन्माद, आमवात, कुष्ठ, विष विकार में अपराजिता का भी उपयोग होता है।
 आधासीसी जैसी समस्या से जूझ रहे लोगों को अपराजिता की जड़, फली, बीज को बराबर भाग में लेना चाहिए। सभी को पीस कर थोड़ा पानी मिलाएं और इसकी कुछ बूंदे नाक में डालें। ऐसा करने से इस रोग में फायदा होता है।
अपराजिता में मौजूद दर्द निवारक, जीवाणुरोधी गुण होते है, जो दांतों के दर्द में आराम के लिए जाने जाते हैं। इसके लिए आप अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट और काली मिर्च का चूर्ण को मिलाकर मुंह में रख लें।
गले के रोग (गलगण्ड) में श्वेत अपराजिता की जड़ का पेस्‍ट बनाकर उसमें घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
 अपराजिता जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार लेने से पेशाब में होने वाली जलन दूर होती है।
 अपराजिता पौधे के सभी भागों को औषधीय उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं. अपराजिता पौधा सामान्य तौर पर आयुर्वेद के पंचकर्म उपचार में प्रयोग किया जाता है. आयुर्वेद का पंचकर्म उपचार शरीर में से टॉक्सिन्स को निकालकर शरीर के संतुलन में सहायता करता है.
शरीर के आंतरिक विषहरण के लिए ये बहुत प्रभावी उपचार हैं. नर्वस सिस्टम को ठीक करने के लिए के लिए अपराजिता पौधे का उपयोग किया जाता है.
आयुर्वेद में अपराजिता जड़ी बूटी को मेध्या श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है. मेध्या जड़ी बूटिया याददाश्त और लर्निंग सुधारने में मदद करती हैं. ये मस्तिष्क के विकास की समस्याओं और इम्पैरेड कॉग्निटिव फंक्शन की समस्याओं से पीड़ित बच्चों के लिए बहुत मददगार है.
 अपराजिता जड़ी बूटी डिटॉक्सिफिकेशन और मस्तिष्क की आल राउंड क्लीनिंग और उससे संबंधित स्ट्रक्टर्ज़ में मदद करती है.
 अपराजिता जड़ी बूटी वॉइस क़्वालिटी और गले की समस्याओं में सुधार के लिए फायदेमंद है.
अपराजिता पौधे की जड़ को अक्सर त्वचा पर लेप बनाकर प्रयोग किया जाता है और इससे चेहरे की चमक बढ़ती है. यह आंखों पर एक बहुत कूलिंग प्रभाव डालता है. यह आँखों रोशनी में सुधार करने में मदद करता है.
अपराजिता पौधा पुरुषों में स्पर्म जनरेशन की प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करता है. नपुंसकता मुद्दों के लिए ये बहुत अच्छा विकल्प है.
* अगर सांप के विष का असर चमड़ी के अन्दर तक हो गया हो तो अपराजिता की जड़ का पावडर 12 ग्राम की मात्रा में घी के साथ मिला कर खिला दीजिये। 
- सांप का ज़हर खून में घुस गया हो तो जड़ का पावडर 12 ग्राम दूध में मिला कर पिला दीजिये। 
- सांप का जहर मांस में फ़ैल गया हो तो कूठ का पावडर और अपराजिता का पावडर 12-12 ग्राम मिला कर पिला दीजिये।
 - अगर इस जहर की पहुँच हड्डियों तक हो गयी हो तो हल्दी का पावडर और अपराजिता का पावडर मिलाकर दे दीजिये। 
- दोनों एक एक तोला हों अगर चर्बी में विष फ़ैल गया है तो अपराजिता के साथ अश्वगंधा का पावडर मिला कर दीजिये और सांप के जहर ने आनुवंशिक पदार्थों तक को प्रभावित कर डाला हो तो - अपराजिता की जड़ का 12 ग्राम पावडर ईसरमूल कंद के 12 ग्राम पावडर के साथ दे दीजिये। इन सबका 2 बार प्रयोग करना काफी होगा। लेकिन सांप के विष की पहुँच कहाँ तक हो गयी है ये बात कोई बहुत जानकार व्यक्ति ही आपको बता पायेगा। - मेडिकल साइंस तो कहता है कि ज़हर की गति सांप की जाति पर निर्भर करती है लेकिन वे सांप जिन्हें जहरीला नहीं माना जाता जैसे पानी वाले सांप उनका जहर वीर्य तक पहुँचने में 5 दिन का समय ले लेता है और आने वाली संतान को प्रभावित करता है

* श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) :

 श्वेत कुष्ठ पर अपराजिता की जड़ 20 ग्राम, चक्रमर्द की जड़ 1 ग्राम, पानी के साथ पीसकर, लेप करने से लाभ होता है। इसके साथ ही इसके बीजों को घी में भूनकर सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़ से 2 महीने में ही श्वेत कुष्ठ में लाभ हो जाता है।

*चेहरे की झाँइयां :

मुंह की झांईयों पर अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिसकर लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।

*आधाशीशी यानी आधे सिर का दर्द (माइग्रेन) :

 अपराजिता के बीजों के 4-4 बूंद रस को नाक में टपकाने से आधाशीशी का दर्द भी मिट जाता है। Note : यहाँ जिन भी औषधियों के नाम आए है ये आपको पंसारी या कंठालिया की दुकान जो जड़ी-बूटी रखते है, उनके वहाँ मिलेगी। इस लेख के माध्यम से लिखा गया यह उपचार हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं । फिर भी आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के बाद ही इनको प्रयोग करने की हम आपको सलाह देते हैं । ध्यान रखिये कि आपका चिकित्सक आपके शरीर और रोग के बारे में सबसे बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्प नही होता है ।

* सिर दर्द : 

अपराजिता की फली के 8-10 बूंदों के रस को अथवा जड़ के रस को सुबह खाली पेट एवं सूर्योदय से पूर्व नाक में टपकाने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है।

*त्चचा के रोग :

अपराजिता के पत्तों का फांट (घोल) सुबह और शाम पिलाने से त्वचा सम्बंधी सारे रोग ठीक हो जाते हैं।

*अंग्रेजी नाम - क्लितोरिया , हिन्दी नाम - कोयाला , संस्कृत नाम - कोकिला , बंगाली नाम - अपराजिता , गुजराती नाम - गरणी, मलयालम नाम - शंखपुष्पम, मराठी नाम - गोकर्णी, तमिल नाम - कक्कानम, तेलुगु नाम - शंखपुष्पम, यूनानी नाम – मेज़ेरिओन
अपराजिता पौधे की पत्तियां उज्ज्वल हरी और उज्ज्वल नीले रंग की होती है. इसके फूल का रंग सफेद होता है.ये कभी-कभी शंख रूप में उगता है. ये भारत, मिस्र, अफगानिस्तान, फारस, मेसोपोटामिया, इराक आदि के सभी भागों में पाया जाता है. : 

पीलिया, जलोदर और बालकों के डिब्बा रोग में अपराजिता के भूने हुए बीजों के आधा ग्राम के लगभग महीन चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन कराने से पीलिया ठीक हो जाती है।
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