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28.9.23

शतावर जडी बूटी के फायदे मर्दों और औरतों के लिए

 


 



 शतावरी एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग सेहत के लिए फ़ायदेमंद होता है। इसे शतावर नाम से भी जानते हैं। खासकर महिलाओं के लिए यह बहुत ही अच्छा होता है। शतावरी कई तरह के होते हैं, जिनमें हरी, सफ़ेद, बैगनी तीन रंगों की शतावरी बहुत ही लोकप्रिय है। इसकी लताएं और झाड़ियां होती हैं, जो लगातार बढ़ती जाती हैं और फैलती जाती हैं। शतावरी का जड़ या फिर पाउडर के रूप में सबसे ज्यादा उपयोग होता है। इसके जड़ और पत्तियां सबसे ज्यादा उपयोग में आते हैं। इसे शतमूली और सतमूली भी कहा जाता है।
   शतावरी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, डायटरी फाइबर, थियामिन, फोलेट, नियासिन, विटामिन के, विटामिन ई, विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज, जिंक, सेलेनियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई बीमारियों से दूर रखने में मददगार हो सकते हैं. शतावरी के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है. बहुत से लोगों का मानना है कि ये सिर्फ महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है तो ऐसा नहीं है ये सभी के लिए गुणकारी मानी जाती है. शतावरी में पाए जाने वाले पोषक तत्व पाचन को बेहतर रखने में मददगार हो सकते हैं.

प्रेगनेंसी में मददगार

गर्भावस्था के दौरान भी शतावरी का प्रयोग किया जा सकता है। यह फोलेट से समृद्ध होती है, जो गर्भवती महिलाओं के शरीर में फोलेट की पूर्ति का काम कर सकती है। फोलेट एक जरूरी पोषक तत्व है, जो गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, कि इसके प्रतिदिन सेवन की मात्रा 5 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए

नींद  के लिए -

यदि आपको रात में नींद सही तरीके से नहीं आती तो शतावरी की जड़ का सेवन करें। इसके लिए आप इसके जड़ को किसी भी भोजन में मिलाकर पकाएं या खीर की तरह पका लें। इसमें गाय का घी भी मिला दें। इससे सारी चिंता और तनाव दूर होगी और आपको रात में गहरी नींद आएगी।

पीरियड्स के दिनों में-

पीरियड्स के दिनों में अक्सर महिलाएं दर्द, ऐंठन से परेशान रहती हैं। इसके सेवन से दर्द से छुटकारा मिलेगा। यदि आपका वजन बढ़ रहा है, तो भी यह फायदेमंद है।

मधुमेह में उपयोगी

शतावरी के स्वास्थ्य संबंधी फायदे मधुमेह में भी देखने को मिल सकते हैं। एक एंटीडायबीटिक के रूप में शतावरी का प्रयोग लंबे समय से किया जा रहा है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, यह देखा गया कि शतावरी एंटी हाइपर ग्लाइसेमिक (खून में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने की क्रिया) क्रिया को बढ़ाने का काम कर सकता है, जिससे मधुमेह के खतरे को रोकने में मदद मिल सकती है . शतावरी डायबिटीज के मरीजों के लिए भी हेल्दी होती है। शतावरी की जड़ों के चूर्ण को दूध में डालें। इसमें थोड़ा सा चीनी मिलाएं और पी जाएं। डायबिटीज कंट्रोल में रहेगा।

स्तन में दूध की कमी- 

जिन महिलाओं को स्तन में दूध की कमी होती है, उन्हें भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है ।इसलिए डिलीवरी के तुरंत बाद महिलाओं को शतावरी पिलाई जाती है या खिलाई जाती है, इससे उनके स्तन में दूध बनता है।डिलीवरी के बाद बच्चे को स्तनपान कराते समय दूध सही ढंग से नहीं आ रहा है, तो भी शतावरी का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसकी जड़ों को धूप में सुखाकर चूर्ण बना लें या फिर बाजार से खरीद लें। इस चूर्ण को दिन में तीन-चार बार लेती रहें। दूध आने की मात्रा बढ़ जाएगी।

शतावरी की तासीर ठंडी होती है। यह जलन, पेट के अल्सर और बुखार को भी कम करने में सहायक है।

पेशाब करते समय खून आए

पेशाब करते समय खून आए, तो शतावरी का सेवन करें। पेशाब में खून आना बंद हो जाएगा। वैसे, इस समस्या को नजरअंदाज करना ठीक नहीं। यदि समस्या इसके बाद भी बनी रहती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

आंखों से जुड़ी समस्या -

शतावरी के जड़ को, अगर दूध में मिलाकर पिया जाए,तो इससे आंखों से जुड़ी परेशानियों से निजात मिलता है। इसके सेवन से रतौंधी में भी काफी आराम मिलता है।

पेट से संबंधित समस्या

अगर आपको पेट से संबंधित समस्या है, तो शहद के साथ शतावरी का सेवन सुबह सुबह खाली पेट करना चाहिए। इससे दस्त जैसी समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

एंटी एजिंग

शतावरी में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं, इसलिए इसे एंटी एजिंग में भी कारगार साबित माना जाता है।

सर्दी-ज़ुकाम में 

सर्दी-ज़ुकाम में शतावरी का सेवन लाभकारी होता है। शतावरी की जड़ होता है, वह कफ को काटता है। सूखी खांसी होने पर या फिर गला बैठ जाने पर भी इसके काढ़े का सेवन करना चाहिए।