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1.12.23

खाली पेट हींग का सेवन करना पेट के विकारों में रामबाण की तरह असरदार ,Heeng ke fayde




 हींग (Asafoetida) सौंफ (Fennel) की प्रजाति का ईरान मूल का एक पौधा है। किचन में वैसे कई मसाले हैं जिनका प्रयोग स्वाद और रंग लाने के लिए किया जाता है, लेकिन हींग का इ्स्तेमाल इसकी खुशबू लाने के लिए होता है। हींग काफी लंबे वक्त से हमारी पारंपरिक रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। दाल और सब्जियों में तड़का लगाने से लेकर बिरयानी में भी हींग का प्रयोग किया जाता है। हींग की खुशबू हमारे जायके को और भी लजीज बना देती है और साथ ही इसके कई स्वस्थ्य लाभ भी हैं। हींग में कई बीमारियों को दूर करने के गुण पाए जाते हैं।
हींग सदियों से पारंपरिक चिकित्सा का हिस्सा भी रही है। बताया जाता है कि हींग में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होते हैं। यही एक कारण है कि हींग को देवताओं का भोजन भी कहा जाता है। हालांकि, हींग का हमें बाहर से आयात करना पड़ता है जिसका उत्पादन हमारे देश में नहीं बल्कि ईरान, अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान में होता है।
वे सभी लोग जो पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, उनके लिए हींग एक अच्छे उपचारों में से एक है। इसका उपयोग पेट से संबंधित सामान्य समस्याओं जैसे कि सूजन, गैस, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम के इलाज के लिए किया जाता है। आमतौर पर हींग का प्रयोग पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए जाना जाता है, लेकिन यह अन्य समस्याओं से भी राहत दिलाने में मददगार है।

पीरियड में उठने वाले दर्द

हींग मासिक धर्म यानी पीरियड में उठने वाले दर्द (menstrual pain) के लिए एक सही विकल्प है। यह प्रोजेस्टेरोन स्राव को बढ़ाने में मदद करती है जो रक्त प्रवाह को और आसान बनाता है और दर्द और ऐंठन से राहत देता है।
अपने एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, हींग खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है। यह छाती की जकड़न को दूर करती है।

सिरदर्द में फायदेमंद

सिरदर्द की समस्या में हींग का खाली पेट सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। हींग में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सिरदर्द की समस्या कम करने और सूजन से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप डॉक्टर की सलाह लेकर हींग का सेवन कर सकते हैं।
गर्म दूध में हींग के कुछ टुकड़े मिलाकर इसका सेवन करने से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को लाभ मिलते हैं। इसका रोजाना एक या दो बार सेवन किया जा सकता है। यह एसिडिटी और गैस को कम करने में मदद करती है।

ब्लड प्रेशर रेगुलेट करने में फायदेमंद

ब्लड प्रेशर की समस्या में हींग का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसका सेवन सिर्फ डॉक्टर की सलाह के आधार पर ही करना चाहिए। हींग में मौजूद गुण शरीर में ब्लड क्लॉट होने से रोकते हैं और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में फायदेमंद होते हैं। रोजाना सुबह के समय हींग का पानी पीने से ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने में फायदा मिलता है।
हींग एक प्राकृतिक ब्लड थिनर के रूप में भी जानी जाती है, जो रक्तचाप के स्तर (blood pressure level) को कम करने में मदद करती है। साथ ही, हींग में एक यौगिक होता है जो रक्त के थक्कों यानी ब्लड क्लॉटिंग को बनने से रोकता है।

वजन घटाने के लिए

बटरमिल्क यानी छाछ आपके पाचन स्वास्थ्य और वजन घटाने के लिए बेहद फायदेमंद है। एक गिलास छाछ में एक चुटकी हींग मिलाकर पीने से आपकी सेहत को और अधिक लाभ मिल सकते हैं। गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए, आप दिन में एक या दो बार खाना खाने के ठीक बाद हींग वाला एक गिलास छाछ पी सकते हैं। महिलाएं अपने पीरियड्स के दौरान भी इसका सेवन कर सकती हैं जिससे दर्द और ऐंठन को कम करने में भी मदद मिल सकती है।

मेटाबॉलिज्म ठीक करने में फायदेमंद

मेटाबॉलिज्म ठीक करने के लिए हींग का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। हींग में मौजूद गुण चयापचय को बेहतर बनाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ हींग का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में बहुत फायदेमंद होता है।

पाचन के लिए फायदेमंद

हींग का सेवन पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हींग में मौजूद गुण अपच की समस्या में बहुत फायदेमंद होते हैं। खाली पेट एक चुटकी हींग खाने से आपको पेट से जुड़ी परेशानियों में फायदा मिलेगा। अपच या पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर हींग का सेवन कर सकते हैं।

सांस से जुड़ी परेशानियों में फायदेमंद

सांस से जुड़ी परेशानियों में हींग का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। हींग में एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की समस्या में बहुत फायदेमंद होते हैं। सांस लेने में परेशानी और जकड़न की समस्या में खाली पेट हींग का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अपने एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण, हींग खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करता है। यह छाती की जकड़न को दूर करता है।
हींग का पानी पेट की समस्याओं में रामबाण की तरह काम करता है. औषधीय गुणों से भरपूर यह पानी कई बीमारियों से शरीर को सुरक्षित रखता है. गैस, बदहजमी, कब्ज जैसी समस्याओं को हींग का पानी (Hing Water Benefits) झट से दूर कर सकता है. वजन कम करना हो, हार्ट की बीमारी से बचना हो तो हींग पानी फायदेमंद होता है. एक हेल्थ वेबसाइट के मुताबिक, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों को भी हींग का पानी लाभ पहुंचा सकता है.
 ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने डेली रूटीन में हींग का सेवन कर सकते हैं। हींग का पानी रोजाना पीना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच हींग डालकर मिलाएं। इसे खाली पेट पीने से पाचन संबंधी समस्याओं (पाचन संबंधी समस्याओं के उपचार के उपाय) से राहत मिलती है। सिरदर्द होने पर भी हींग को ड्रिंक का सेवन किया जा सकता है।खाली पेट हींग के सेवन से आपकी पाचन क्रिया बेहतर होगी और आप अपच, कब्ज जैसी समस्याओं से दूर रहेंगे। रोजाना 1 चुटकी हींग खाली पेट खाने से पेट से जुड़ी दिक्कतें दूर हो सकती हैं। इसके सेवन से आपका पाचन तंत्र बेहतर काम करेगा।
पेट में ब्लोटिंग या गैस की समस्या से अगर आप परेशान रहते हैं तो हींग का सेवन जरूर करें। खाली पेट हींग के सेवन से ब्लोटिंग और गैस की समस्या से आराम मिलता है।
हींग के सेवन से ब्लड प्रेशर की समस्या में भी फायदा मिलता है। खाली पेट हींग का पानी पीने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रह सकता है। लेकिन ब्लड प्रेशर के मरीज इसका सेवन डॉक्टर के परामर्श पर करें।
एंटी-इंफ्लेमेटरी गणों से भरपूर हींग के सेवन से सिरदर्द में आराम मिलता है। इसके साथ ही सूजन की समस्या में भी हींग फायदा करती है।
खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस की समस्या में भी हींग का सेवन फायदेमंद साबित होता है। हींग में एंटी-वायरल और एंटी-

हींग और काला नमक खाने से क्या होता है?

हींग और काले नमक में मौजूद गुण मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का काम करते हैं. पानी के साथ हींग और काला नमक मिलाकर पीने से मेटाबॉलिज्म की दर बढ़ जाती है, इससे पाचन से जुड़ी कई दिक्कतें दूर हो जाती हैं. काला नमक और हींग का पानी बॉडी को डिटॉक्स करने का काम करता है. इस पानी को पीने से वजन कम करने में मदद मिलती है.
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7.8.20

अंकुरित आहार से रखें सेहत का खयाल :Ankurit aahar ke fayde


शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अंकुरित अनाज यानी स्प्राउट्स बेहद महत्त्व पूर्ण है| अगर आप रोजाना अंकुरित सलाद को अलग-अलग तरीके से लें, तो इससे आपकी सेहत बनी रहती है। अनाज, दाल या बीज को अंकुरित कर के खाने से उसकी पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए आहार विशेषज्ञ नाश्ते में स्प्राउट्स खाने की सलाह भी देते हैं।






विटामिन्स का भंडार-

विटामिन ए, सी, बी-6 और ‘के’ के साथ-साथ इसमें कई तरह के मिनरल्स जैसे मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैंगनीज और पोटैशियम भी होते हैं।

एंटी-ऑक्सीडेंट्स-

अंकुरित अनाजों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी होते हैं।
इसलिए इसके सेवन से ना सिर्फ झुर्रियां दूर रहती हैं, बल्कि त्वचा पर नेचुरल ग्लो भी आता है। इसके अलावा स्प्राउट्स में डाइटरी फाइबर, प्रोटीन आयरन,,ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पौष्टिक तत्‍व भी होते हैं। इस कारण यह शाकाहारी लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प भी है.

हाजमा ठीक रखता है-

यह हाजमे के लिए जरूरी एन्जाइम का अच्छा स्रोत भी है।  कैलोरी की मात्रा कम होने के कारण यह वजन कम करने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है।





अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमय आहार कहा गया है।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं।
अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये
अंकुरित आहार को अमृत आहार कहा गया है |अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी
में आता है। यह पोषक तत्वों का श्रोत माना गया है । अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत
रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त
भी करता है । अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल
आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान
करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम,
फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है अर्थात् यह
मनुष्य को पुनर्युवा, सुन्दर स्वस्थ और रोगमुक्त बनाता है। यह महँगे फलों और
सब्जियों की अपेक्षा सस्ता है, इसे बनाना खाना बनाने की तुलना में आसान है
इसलिये यह कम समय में कम श्रम से तैयार हो जाता है। बीजों के अंकुरित होने के
पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता
है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों
में भी वृद्धि हो जाती है।
खड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें उपस्थित अनेक पोषक तत्वों की मात्रा
दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा
लगभग नहीं के बराबर होती है लेकिन अंकुरित होने पर लगभग दोगुना विटामिन
सी इनसे पाया जा सकता है।
अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन
बी१, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी२ व नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
इसके अतिरिक्त 'केरोटीन' नामक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो शरीर में
विटामिन ए का निर्माण करता है। अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए
जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अंकुरित करने
की प्रक्रिया में अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट
जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता
है और वे बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।
अंकुरित करने के लिये चना, मूँग, गेंहू, मोठ, सोयाबीन, मूँगफली, मक्का,
तिल, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीजों आदि का प्रयोग होता है। अंकुरित भोजन
को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है।
एक दलीय अंकुरित (गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि) के साथ मीठी खाद्य (खजूर, किशमिश, मुनक्का तथा शहद आदि) एवं फल लिए जा सकते हैं।
द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ
टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि)
और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है। इसे कच्चा
खाने बेहतर है क्यों कि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ
जाती है। अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये। एक बार में
दो या तीन प्रकार के दानों को आपस में मिला लेना अच्छा रहता है। यदि ये अंकुरित दाने
कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते तो इन्हें हल्का सा पकाया भी जा सकता है। फिर इसमें कटे
हुए प्याज, कटे छोटे टमाटर के टुकड़े, बारीक कटी हुई मिर्च, बारीक कटा हुई धनिया
एकसाथ मिलाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अच्छा स्वाद मिलता है।

अंकुरण की विधि -

अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में
भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले
दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में
बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें ।
गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे।
गर्मियों में सामान्यतः २४ घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ
अधिक समय लग सकता है । अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें
तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला
सकते हैं द्य यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।

जरूरी निर्देश -

अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें।
प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें । प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर
धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएँ।
अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएँ।
नियमित रूप से इसका प्रयोग करें।
वृद्धजन, जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर
खा सकते हैं। ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएँ ताकि इसमें लार
अच्छी तरह से मिल जाय।
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16.8.19

चिया के बीज के कमाल के स्वास्थ्य लाभ



आपने शायद चिया बीज के बारे में नहीं सुना होगा लेकिन इसके बहुत सारे स्वास्थ्य के लिए फायदे है। इस बीज में कई ऐसे पौष्टिक तत्व होते है जो हेल्थ के लिए बहुत जरुरी है। चिया बीज को आप भोजन के साथ इस्तेमाल कर सकते है। यह शरीर के लिए एक बहुत ही गुणकारी ओषधि है।
चिया बीज सबसे ज्यादा मेक्सिको देश में पाया जाता है। यह बीज ना सिर्फ हमारे शरीर की शक्ति को बढाता है बल्कि इसके कई ऐसे फायदे है जो आपको हैरान कर देंगे। स्वास्थ्य जगत में चिया बीज पोषक तत्वों के शानदार स्रोत के रूप में उभर रहा है। कुछ लोग इसे पोष्टिक आहार के रूप में अपना रहे है ।

इसमें कोई शक नहीं की यह एक अच्छा आहार साबित हो सकता है। इसमें ताकतवर एंटीऑक्सीडेंट्स , खनिज तथा कई विटामिन आदि पाए गए है। यह मिंट फैमिली की एक फूल वाली प्रजाति है जिसकी उत्पत्ति मेक्सिको और ग्वाटेमाला से हुई है। विदेशों में इसका उपयोग लंबे समय से होता आ रहा है।
चिया सीड्स में प्रोटीन , फाइबर , कैल्शियम ,फास्फोरस , मैग्नेशियम प्रचुर मात्रा में होते है। इसके अलावा इसमें मैगनीज , ज़िंक , पोटेशियम , विटामिन B 1 , विटामिन B 2 , विटामिन B 3 भी पर्याप्त मात्रा में होते है। यह पचने में हल्का होता है तथा किसी भी प्रकार की डिश में इसका उपयोग किया जा सकता है।


चिया सीड और तुलसी के बीज 

चिया बीज के बारे में अक्सर एक बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी लोगों को हो जाती है। कुछ लोग सब्जा या तकमरिया Takmariya को ही Chia Seeds समझ लेते हैं जबकि ऐसा नहीं है। सब्जा या तकमरिया तुलसी प्रजाति के पौधे से मिलने वाले बीज हैं । इन्हे तुकमलंगा  के नाम से भी जाना जाता है।
सब्जा बीज शरबत , फालूदा शेक , मिल्क शेक आदि में मिलाकर खाये जाते हैं। इनका अपना कोई स्वाद नहीं होता लेकिन शेक आदि को टेक्सचर देते है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते है।
तुकमलंगा बीज और चिया बीज दोनों एकदम अलग चीजें है। इनके गुण भी अलग है। दरअसल ये दोनों दिखने में कुछ कुछ एक समान होते है इसीलिए संशय पैदा हो जाता है।
सब्जा तुलसी के बीज या तकमरिया ये है :–
चिया सीड के फायदे 
ओमेगा -3 फैटी एसिड
ओमेगा -3 फैटी एसिड ह्रदय रोग के लिए , अर्थराइटिस तथा कोलेस्ट्रॉल के लिए बहुत लाभदायक होता है। Chia Seeds में प्रचुर मात्रा में ओमेगा -3 फैटी एसिड होते है अतः चिया सीड ह्रदय रोग से बचाव के लिए उपयोगी हो सकते है ।

हड्डियाँ और दाँत

चिया सीड में भरपूर कैल्शियम होता है। हड्डियों तथा दाँतो की मजबूती कैल्शियम पर ही टिकी होती है। इसके अतिरिक्त Chia Seeds में बोरोन नामक तत्व भी होता है जो हड्डियों के लिए आवश्यक होता है।
बोरोन के कारण ही कैल्शियम , मैग्नेशियम , फास्फोरस आदि खनिज अवशोषित होकर मांसपेशियों तथा हड्डियों के उपयोग में आते है। इस प्रकार चिया सीड से हड्डियों , दाँत और मांसपेशियों को ताकत मिलती है।

वजन हो कम –

वजन कम करने में भी चिया बीज काफी लाभदायक सिद्ध होता है. इसका सेवन करने से बढ़ते वजन को रोका जा सकात है. दरअसल इसके अंदर फाइबर मौजूद होता है और फाइबर युक्त खाना खाने से भूख अधिक नहीं लगती है और पेट हमेशा भरा-भरा सा लगता है। जिसके चलते जो लोग अधिक खाना खाते हैं उनके ऑवरइंटंग से बज जाते हैं और उनका वजन नहीं बढ़ता है. कई सारे अध्ययनों में चिया बीज से जुड़ी ये बाद सही भी सिद्ध हो चुकी है. चिया बीज पर किए गए अध्ययन के अनुसार जो लोग सुबह के समय चिया बीज खाया करते हैं उनको अधिक भूख नहीं लगती है. साथ में इसे खाने से शरीर में मौजूद फैट की मात्रा भी कम होने लगती है.

दिल के लिए है वरदान है चिया बीज

आजकल के बदलते समय और खराब जीवनशैली तथा खान-पान की वजह से कई लोग दिल की बीमारियों का शिकार हो रहे है। ऐसे में चिया बीज खून में कोलेस्ट्रोल को दूर करता है और साथ में ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है जिससे हार्ट स्टोक का खतरा कम हो जाता है।
इस बीज में लिनोलिक एसिड की मात्रा बहुत अधिक होती है जो की एक फैटी एसिड है। यह फैटी एसिड विटामीन, फाइट घुलनशील, विटामीन A, D, E और K को सोक लेता है। इस बीज में अच्छे फैट की इतनी अच्छी मात्रा होती है की यह दिल की बीमारियों में बहुत लाभकारी होता है।

त्वचा के लिए

कई शोध में पाया गया है की चिया बीज में भरपूर मात्रा में एंटी-ओक्सिडेंट होते है और आप भी अच्छे से जानते है की एंटी-ओक्सिडेंट हमारी त्वचा के लिए कितना फायदेमंद है। चिया बीज के सेवन से चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियां खत्म होती है और त्वचा के दुसरे विकार खत्म होते है।


एंटीऑक्सीडेंट

चिया सीड में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट होते है जो हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाते है। फ्री रेडिकल्स के कारण कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना होती है तथा इनका त्वचा पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। Chia Seeds के उपयोग से इन परेशानियों से बचाव हो सकता है।


मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है।

हाइड्रेशन

कुछ लोगों के शरीर में गर्मी के कारण या किसी और कारण से पानी की कमी जल्दी हो जाती है। इस वजह से कब्ज आदि हो जाती है। खिलाडियों को तथा बच्चों को यह ज्यादा होता है। Chia Seeds से इस समस्या का समाधान हो सकता है।
चिया सीड के पानी सोखने की अद्भुत शक्ति के कारण हाइड्रेशन बनाये रखने में इसका उपयोग किया जा सकता है। चिया सीड को अच्छे से पानी भिगोकर खाने से हाइड्रेशन बना रहता है।

कब्ज

चिया सीड को भिगोने से जेल बनता है। यह आँतों को साफ करने में तथा विषैले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में मददगार होता है। आँतो के साफ रहने से कई प्रकार की परेशानियो से निजात मिल सकती है। कब्ज मिटने से बवासीर में आराम मिलता है। भूख खुलकर लगती है। भारीपन नहीं लगता।

प्रेगनेंसी में बहुत फयदेमन्द है चिया बीज

प्रेगनेंसी का दौर महिलाओं के लिए एक चुनोती भरा दौर होता है और ऐसे समय में उन्हें पौष्टिक आहार की बहुत जरूरत होती है। चिया बीज में प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व होते है जो की शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते है। अगर गर्भवती महिलाएं चिया बीज का सेवन करें तो उसके शिशु का विकास भी अच्छे से होगा। इसमें कई मल्टीविटामीन होते है जो की शरीर को बहुत पोषण देता है।

डायबिटीज़

चिया सीड से रक्त में इन्सुलिन की मात्रा नियमित होती है। यह कार्बोहाइड्रेट को शक्कर में बदलने की गति कम कर देता है। इससे रक्त में अत्यधिक इन्सुलिन की मात्रा को कम कर देता है। इस प्रकार डायबिटीज में यह लाभदायक होता है।


शारीरिक ऊर्जा को बढाता है

चिया बीज शरीर के मेटाबालिज्म में सुधार लाता है और बेकार की चर्बी को कम करता है। जिसके कारण आपको एक स्वस्थ और सुंदर शरीर मिलता है और आपके काम करने की स्पीड भी बढती है। यह मोटापे को कम करके आपकी शारीरिक ऊर्जा को बढाता है।

मांसपेशियों को मजबूती देता है

चिया बीज में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है और प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूती देता है। इसलिए टी जिम से आने वाले लोग प्रोटीन शेक लेते है ताकि उनकी मांसपेशियां मजबूत रहें। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करता है जिससे शुगर के मरीजों को भी लाभ मिलता है।
इसमें कई तरह के एंटी-ओक्सिडेंट गुण होते है जिसकी वजह से यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें पानी की भी अच्छी मात्रा होती है जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। इसमें लेप्टिन पाया जाता है जो शरीर को ऊर्जा देता है और भूख कम करने वाले हार्मोन को बढ़ा देता है। 

ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है

चिया बीज में ALA नाम का एक ओमेगा एसिड होता है जो की ब्रेस्ट और सवाईकल कैंसर को रोकने में मदद करता है, क्योंकि यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोक देता है। एक शोध में यह बात भी सामने आई है की यह स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।

सोक कर खाएं :- 

अगर आप चिया बीज को भिगोकर खायेंगे तो आपको यह ज्यादा अच्छा लगेगा और ज्यादा पोषण शरीर को मिलेगा। चिया बीज को आप 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक भिगोकर रखें। याद रखें की बीज पूरी तरह से पानी-पानी ना हो और उसे दबाने पर जेल के जैसा दिखना चाहिए। चिया बीज की एक ख़ास बात यह है की यह अपने से 12 गुना ज्यादा पानी सोंक कर रख सकता है जिससे शरीर में निर्जलीकरण की समस्या नहीं होती।

सावधानी

चिया सीड में प्रचुर मात्रा में फाइबर होने के कारण अधिक मात्रा में इसके उपयोग से कुछ लोगों को परेशानी महसूस हो सकती है। विशेष कर उन लोगों को जिन्हें निगलने की समस्या होती हो या आँतों में सूजन आदि हो।
अस्थमा तथा एलर्जी आदि से ग्रस्त लोगों को भी इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। कुछ परेशानी हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
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