कारण :
फ्रैक्चर सामान्य अस्थियों या किसी बीमारी, जैसे-कैंसर, सिस्ट, ऑस्टियोपोरोसिस से कमजोर पड़ चुकी अस्थियों में हो सकता है। टूटी हड्डियों में कई कारणों से दर्द हो सकता है-
हड्डियों के आस-पास के नर्व एंडिग्स, इसके टूटने पर दर्द का सिग्नल मस्तिष्क को भेजते हैं।
हड्डियां टूटने से रक्तस्राव होता है, रक्तस्राव औऱ सूजन(एडेमा) से दर्द हो सकता है।
जब फ्रैक्चर होता है, टूटी हड्डियों और इसके टुकड़ों को थामने के लिए आस-पास की मांसपेशियां संकुचित होती हैं। इनके संकुचन से दर्द बढ सकता है।
लक्षण :
फ्रैक्चर का सबसे आम लक्षण है-दर्द और यह हड्डी टूटने के तुरंत बाद शुरू हो जाता है। दर्द सामान्यतः 12 से 24 घंटे में घटना शुरू हो जाता है। अगर दर्द इसके बाद भी बढता जाए, तो इसे कंपार्टमेंट सिंड्रोम समझना चाहिए। सूजन सामान्यतः फ्रैक्चर के साथ या कुछ समय बाद दिखना शुरू होता है, जो कुछ समय तक लगातार बढता रहता है। सूजन 12 से 24 घंटे में घटना शुरू हो जाएगा। बच्चों में फ्रैक्चर की स्थिति में सूजन नहीं भी हो सकता है, जिससे फ्रैक्चर को पहचानना मुश्किल हो सकता है। अगर बच्चा बहुत दर्द बता रहा हो या तीव्र दर्द या पीड़ा में हो तो बेहतर होगा कि उसे जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
इन स्थितियों में स्थायी या क्रॉनिक दर्द हो सकते हैं :
संक्रमण
गलत तरीके से प्लास्टर लगाना(जैसे-अधिक कसकर या ढीला लगाना)
पूअर अलाइन्मेंट फ्रैक्चर
कुछ लोगों में दूसरे लक्षण, जैसे-हड्डियों की कमजोरी, एक्किमोसिस, गति में असामान्यता या कमी, विकृति और क्रेपिटेशन भी मिल सकते हैं।
जांच औऱ रोग की पहचान :
फ्रैक्चर का चिकित्सकीय रूप से पता लगाया जा सकता है। स्पष्ट विकृति वाले रोगियों में इसकी पहचान आसान है, लेकिन कई बार इसे आसानी से पहचाना नहीं जा सकता।
एक्स-रेः एक्स-रे से फ्रैक्चर की जगह और प्रकार का पता लगाया जा सकता है। अगर फ्रैक्चर छोटा तो एक्स-रे सामान्य होता है, जबकि गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में यह प्रभावी होता है।
मैग्नेटिक रेजोनेंस इमैजिंग(एमआरआई) स्कैनः एमआरआई स्कैन उन रोगियों के लिए उपयोग में आता है, जिनका एक्स रे सामान्य आया है, लेकिन फिर भी हड्डी टूटने का संदेह अब भी बना हुआ है। अगर एमआरआई स्कैन संभव नहीं हो तो सीटी स्कैन किया जा सकता है।
उपचार :
फ्रैक्चर के लिए स्प्लिंटिंग, कास्ट या सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। इससे दर्द काफी घटता है।
दर्द से त्वरित आराम के लिए एसिटामिनोफेन या नॉन-स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेट्री दवाएं, जैसे-आइब्यूप्रोफेन और एस्पिरीन उपयोग में लाई जा सकती हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि ये दवाएं हड्डी ठीक करने में अवरोध पैदा करती हैं।
पहले दो दिनों तक टूटे हाथ-पैर को आराम औऱ ऊंचाई(हृदय से ऊपर) पर रखें, इससे दर्द में बहुत सुधार होता है।
घरेलू उपचार :
दर्द से त्वरित आराम के लिए एसिटामिनोफेन या नॉन-स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेट्री दवाएं, जैसे-आइब्यूप्रोफेन और एस्पिरीन उपयोग में लाई जा सकती हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि ये दवाएं हड्डी ठीक करने में अवरोध पैदा करती हैं।
पहले दो दिनों तक टूटे हाथ-पैर को आराम औऱ ऊंचाई(हृदय से ऊपर) पर रखें, इससे दर्द में बहुत सुधार होता है।
घरेलू उपचार :
अगर फ्रैक्चर का संदेह है, जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर तक पहुंचने से पहले फ्रैक्चर के लिए आराम, बर्फ, दबाव, औऱ ऊंचाई का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। इन उपायों से दर्द घटता है।
आराम करने से दर्द घटता है, आगे फिर से क्षति से बचाव होता है औऱ स्प्लिंटिंग या कास्ट लगाने के बाद आराम करने से हड्डी जल्दी ठीक होती है।
बर्फ औऱ सेंक से सूजन और दर्द घटता है।
टूटे हाथ-पैर को हृदय की ऊंचाई के स्तर से ऊपर उठाकर रखें। इससे दर्द औऱ सूजन घटता है।
साधारण दर्दनिवारक जैसे-एसिटामिनोफेन, एस्पिरीन या आइब्यूप्रोफेन से दर्द से राहत पाने में सहायता मिलती है।
वैकल्पिक चिकित्साः
मसाज थेरेपी, रिलैक्सेशन तकनीक, सम्मोहन, प्राणायाम (श्वास-प्रश्वास का व्यायाम) आदि से दर्द औऱ तकलीफ घटता है। मालिश से फ्रैक्चर के आस-पास के कोमल ऊतकों के दर्द औऱ तकलीफ घटते हैं।
कूल्हे की हड्डी टूटना
बड़ी उम्र में कूल्हे की हड्डी टूटना काफी आम होता है। हल्के से गिरने से भी कूल्हे के जोड़ की हड्डी टूट सकती है। रोगी अपना पैर नहीं हिला सकता। दर्द हो सकता है। जिस तरफ के पैर में चोट लगी होती है वो दूसरे के मुकाबले थोड़ा बाहर की तरफ मुड़ जाता है।
यह अस्थिभंग गम्भीर होता है क्योंकि बिना इलाज के यह मौत का निराश्रित कारण होता है। पहले इस अस्थिभंग का कोई इलाज नहीं था। कई एक अस्थिभंग जिनमें हडि्डयों के टुकड़े आपस में सटे रहते हैं (अन्तर्घटि्टत अस्थिभंग) अपने आप कुछ महीनों में ठीक हो जाते थे और कुछ नहीं भी होते थे। क्योंकि अस्थिभंग के ठीक होने में इतना अधिक समय लगता था और इतने लम्बे समय लगातार लेटे रहने से पड़ने वाले दबाव के कारण कुल्ले पर और पीठ पर अल्सर हो जाते थे। इसके अलावा कभी-कभी कुपोषण और निमोनिया के कारण कुछ महीनों में मौत भी हो जाती थी।
अब आप्रेशन की आधुनिक तकनीक से बहुत फर्क आया है। कील और प्लेट से हड्डी को जोड़ देने और कूल्हे की हड्डी के खराब हुए सिर जैसे भाग की जगह (जो कि गेंद के आकार का होता है) धातु की गेंद डाल देने से कुछ ही हफ्तों में रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है। अगले हफ्ते से रोगी सहारे से चलना भी शुरू कर सकता है।
बाँह में आगे के भाग में दो हडि्डयाँ होती हैं इसलिए अगर इनमें से केवल एक हड्डी टूटे तो दूसरी सहारा और स्थिरता देने के लिए काफी होती है। ऐसे में हड्डी टूटने का इलाज आसानी से स्थानीय रूप से ही किया जा सकता है। जुड़ी हुई हडि्डयाँ, जोड़ने वाली हडि्डयों जैसे काम करती हैं। हडि्डयों के टुकड़ों को सीध में लार बाँधकर स्थिर कर देना हड्डी जोड़ने के लिए काफी होता है। पैर की एक हड्डी के टूटने का भी इसी तरह से इलाज किया जा सकता है। लेकिन टूटी हड्डी एक है या दो, यह निश्चित करना ज़रूरी है।
बाहों और हाथों की हडि्डयाँ टूटना
सड़क दुर्घटनाएँ और बाहर खेलने वाले खेल इन अस्थिभंगों के आम कारण हैं। इन अस्थिभंगों में हाथ का हिलना-डुलना बन्द हो जाता है। सूजन व टेढ़ापन साफ दिखाई देती है। दर्द और दबाने से दर्द से अस्थिभंग का पता चलता है।
कॉलर की हड्डी का टूटना
अगर कोई व्यक्ति ऐसे गिर जाए जबकि उसके हाथ फैली हुई अवस्था में हों, या फिर ठोकर खाकर गिर जाए, या सायकिल से गिर जाए या ऊँचाई से गिर जाए तो अचानक लगने वाले आघात के कारण उसकी कॉलर की हड्डी टूट सकती है। कॉलर की हड्डी के टूटने की पहचान करना आसान होता है क्योंकि इसमें कॉलर के पास की जगह में दर्द और टेढ़ापन हो जाता है। कॉलर की हड्डी टूटने की एक और निशानी है हाथ को कंधे से ऊपर न उठा पाना। आप इस अस्थिभंग को महसूस भी कर सकते हैं। इसके इलाज के लिए अंग्रेज़ी अंक 8 के आकार की कंधे के दोनों ओर से पीठ पर कसी हुई पट्टी बाँधी जाती है। इलास्टिक पट्टी ज्यादा अच्छी रहती है। पट्टी को रोज़ कसना पड़ता है क्योंकि यह ढीली होती जाती है। इसके इलाज में कुछ भी और नहीं करना होता। और इतना स्वास्थ्य कार्यकर्ता आसानी से कर सकते हैं। इलाज की अवधि करीब छ: हफ्ते होती है।
पहचानिए लक्षण :
हड्डी टूटने के साथ ही बहुत तीव्र दर्द होता है। टूटने वाले अंग को चलाना असंभव हो जाता है। टूटे हुए स्थान पर तत्काल सूजन आने लगती है।
बाहें टूटने पर क्या करें :
1 सबसे पहले आप बच्चे को शांत बैठा दें।
2 बाँह और सीने के बीच एक पैड बना दें।
3 उन्हें दूसरे हाथ से टूटे हुए हाथ को सपोर्ट देने के लिए कहें।
4 टूटी बाँह को कपड़े से बाँधकर.गर्दन से ऐसे लटकाएँ ताकि भुजा और हथेली के बीच 90 डिग्री का कोण बन जाए।
टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने वाली रामबाण औषिधि हड़जोड़
*हड़जोड़*
वानस्पतिक नाम : Cissus quadrangularis
यइसको अस्थि श्रृंखला के नाम से जाना जाता है। यह छह इंच के खंडाकार चतुष्कोणीय तनेवाली लता होती है। हर खंड से एक अलग पौधा पनप सकता है। चतुष्कोणीय तने में हृदय के आकार वाली पत्तियां होती है। छोटे फूल लगते हैं। पत्तियां छोटी-छोटी होती है और लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं। यह बरसात में फूलती है और जाड़े में फल आते हैं।
दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसके तने को साग के रूप में प्रयोग करते हैं।
-हड़जोड़ में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है। हड़जोड़ में कैल्शियम कार्बोनेट और फास्फेट होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। आयुर्वेद में टूटी हड्डी जोड़ने में इसे रामबाण माना गया है।
-इसके तने को तेल में भुनकर हड्डी पर बांधने से जल्दी ठीक होती है |
-इसके अलावा कफ, वातनाशक होने के कारण बवासीर, वातरक्त, कृमिरोग, नाक से खून और कान बहने पर इसके स्वरस का प्रयोग होता है।
-मुख्य रूप से इसके तने का ही प्रयोग किया जाता है। 10 से 20 मिलीलीटर स्वरस की मात्रा निर्धारित है।
-२ ग्राम हडजोड. का चूर्ण दिन में ३ बार लेने से और उसके रस को हड्डी पर लेप करने से हड्डियां जल्दी जुड़ जाती है |
-इस चूर्ण में बराबर मात्र में सौंठ चूर्ण मिलाकर रखे , ३-४ ग्राम के मात्रा में पानी से लेने पर पाचन शक्ति बढती है |
-रक्त प्रदर और मसिकस्राव अधिक होने पर इसके १० से २० मिली. रस में गोपीचंदन २ ग्राम ,घी एक चमच और शहद ४ चमच के साथ लेने से ठीक हो जाता है |ह लता हड्डियों को जोड़ती है।पायरिया के घरेलू इलाज चेहरे के तिल और मस्से इलाज लाल मिर्च के औषधीय गुण लाल प्याज से थायराईड का इलाज जमालगोटा के औषधीय प्रयोग एसिडिटी के घरेलू उपचार नींबू व जीरा से वजन घटाएँ सांस फूलने के उपचार कत्था के चिकित्सा लाभ गांठ गलाने के उपचार चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ इसबगोल के औषधीय उपयोग अश्वगंधा के फायदे लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ कान बहने की समस्या के उपचार पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे चिकनगुनिया के घरेलू उपचार चिरायता के चिकित्सा -लाभ ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप! वजन कम करने के उपचार केले के स्वास्थ्य लाभ
*हड़जोड़*
वानस्पतिक नाम : Cissus quadrangularis
यइसको अस्थि श्रृंखला के नाम से जाना जाता है। यह छह इंच के खंडाकार चतुष्कोणीय तनेवाली लता होती है। हर खंड से एक अलग पौधा पनप सकता है। चतुष्कोणीय तने में हृदय के आकार वाली पत्तियां होती है। छोटे फूल लगते हैं। पत्तियां छोटी-छोटी होती है और लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल लगते हैं। यह बरसात में फूलती है और जाड़े में फल आते हैं।
दक्षिण भारत और श्रीलंका में इसके तने को साग के रूप में प्रयोग करते हैं।
-हड़जोड़ में सोडियम, पोटैशियम और कैल्शियम कार्बोनेट भरपूर पाया जाता है। हड़जोड़ में कैल्शियम कार्बोनेट और फास्फेट होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। आयुर्वेद में टूटी हड्डी जोड़ने में इसे रामबाण माना गया है।
-इसके तने को तेल में भुनकर हड्डी पर बांधने से जल्दी ठीक होती है |
-इसके अलावा कफ, वातनाशक होने के कारण बवासीर, वातरक्त, कृमिरोग, नाक से खून और कान बहने पर इसके स्वरस का प्रयोग होता है।
-मुख्य रूप से इसके तने का ही प्रयोग किया जाता है। 10 से 20 मिलीलीटर स्वरस की मात्रा निर्धारित है।
-२ ग्राम हडजोड. का चूर्ण दिन में ३ बार लेने से और उसके रस को हड्डी पर लेप करने से हड्डियां जल्दी जुड़ जाती है |
-इस चूर्ण में बराबर मात्र में सौंठ चूर्ण मिलाकर रखे , ३-४ ग्राम के मात्रा में पानी से लेने पर पाचन शक्ति बढती है |
-रक्त प्रदर और मसिकस्राव अधिक होने पर इसके १० से २० मिली. रस में गोपीचंदन २ ग्राम ,घी एक चमच और शहद ४ चमच के साथ लेने से ठीक हो जाता है |ह लता हड्डियों को जोड़ती है।
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