सेमल की रूई रेशम सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दों तथा तकियों में भरने के काम में आती है, क्योंकि यह काती नहीं जा सकती । । आयुर्वेद में सेमल बहुत उपकारी ओषधि मानी गई है । यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ानेवाला कहा गया है । सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करनेवाला कहा गया है । फल के गुण फूल ही के समान हैं ।
Semal के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है । Semal का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है ।
सेमल का विभिन्न रोगों में उपयोग
Semal वृक्ष के फल, फूल, पत्तियाँ और छाल आदि का विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान करने में प्रयोग किया जाता है। जैसे-
स्तन में शिथिलता :-
स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें 10-15 दिन में ही स्तन की शिथिलता ख़तम हो जायेगी
ढूध बढाने में सहायक :- अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें .
ताकत के लिए :-
अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयेंखांसी में लाभदायक :- अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में मिलाकर लें .
आँखों के निचे काले घेरों के लिए :-
हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला
दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद
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सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे
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स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय
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ताकत के लिए :-
अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयेंखांसी में लाभदायक :- अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में मिलाकर लें .
आँखों के निचे काले घेरों के लिए :-
सेमल के तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर मतलब लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें. सुबह और रात में इस नुस्खे को एक महीने तक लगातार दोहराएँ तो काफी लाभ मिलेगा
प्रदर रोग –
प्रदर रोग –
सेमल के फूलों की सब्जी देशी घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
गिल्टी या ट्यूमर –
गिल्टी या ट्यूमर –
सेमल के पत्तों को पीसकर लगाने या बाँधने से गाँठों की सूजन कम हो जाती है।
रक्तप्रदर –
रक्तप्रदर –
इस वृक्ष की गोंद एक से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
लकड़ी का उपयोग :-
लकड़ी का उपयोग :-
इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है और नाव बनाने के काम में आती है
फोड़े फुंसी होने पर :-
फोड़े फुंसी होने पर :-
चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो
आंव (colitis) :-
आंव (colitis) :-
इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है
प्रदर रोग –
इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।
रक्तपित्त –
आग से जलने पर –
*अतिसार -
प्रदर रोग –
सेमल के फलों को घी और सेंधा नमक के साथ साग के रूप में बनाकर खाने से स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
जख्म –
जख्म –
इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।
रक्तपित्त –
सेमल के एक से दो ग्राम फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में दो बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।
आग से जलने पर –
इस वृक्ष की रूई को जला कर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।
नपुंसकता –
नपुंसकता –
दस ग्राम सेमल के फल का चूर्ण, दस ग्राम चीनी और 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।
पेचिश –
पेचिश –
यदि पेचिश आदि की शिकायत हो तो सेमल के फूल का ऊपरी बक्कल रात में पानी में भिगों दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।
*अतिसार -
सेमल वृक्ष के पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को देने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं।
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