अक्सर वे लोग जो जल्द ही माता-पिता बनने वाले होते हैं, वह बच्चे के लिंग को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं। इसके लिए वो लिंग परीक्षण भी करवा डालते हैं, परंतु सेक्स रेशियो में आ रहे बड़े अंतर की वजह से यूं तो सरकार द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करना कानूनन अपराध घोषित किया जा चुका है
लेकिन हमारी पारंपरिक पद्धति में गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने की अन्य भी कई विधाएं बहुत चर्चित और प्रचलित हैं। भारतीय पद्धति की बात करें तो अक्सर गर्भवती स्त्री के खानपान, उसके गर्भ के आकार और उसकी चाल को देखकर अनुमान पहले ही लगा लिया जाता है कि वह लड़के को जन्म देगी या लड़की को।
जब भी एक महिला माँ बनने वाली होती हैं तो उनके घर और बाहर के सब लोग ही पूर्वानुमान करने लग जाते हैं कि वो महिला एक लड़के को जन्म देगी या फिर लड़की को. जन्म से पहले जेंडर ( Gender ) पता लगवाना गैर क़ानूनी होता हैं, जिसके लिए सख्त कानून और पकड़े जाने पर दोषियों को सजा व जुर्माने का भी प्रावधान हैं. लेकिन सभी लोग अपने तजुर्बे से होने वाले बच्चे के बारे में अनुमान लगाते हैं. बहुत सी ऐसी बातें होती हैं कि जिससे आप पता लगा सकते हैं कि होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की
इन लक्षणों से पहचाने की पेट में लड़का है
1. मतली लगना-
कई माताएं मानती हैं कि जब पेट में लड़की होती है, तो उल्टी होने का बिल्कुल भी एहसास नहीं होता। पर अगर पेट में लड़का है, तो आप बाल्टी भर उल्टी करने के लिए बिल्कुल तैयार हो जाइये। सुबह की शुरुआत में मतली जैसा महसूस होना आम बात होती है इसमें।
2. पेट ज्यादा निकलना-
अगर पेट में लड़का है, तो गर्भावस्था के दौरान यह साफ पता चलता है। क्योंकि इसमें लड़की के मुकाबले पेट ज्यादा निकलता है। इसके अलावा शरीर पर कहीं भी चर्बी नहीं दिखेगी, पर पेट निकला होगा।
3. वजन नहीं बढ़ना-
जिस तरह लड़की के पेट में होने से वजन बढ़ता है, वैसे ही लड़के के पेट में होने से शरीर पर चर्बी बिल्कुल भी नहीं बढ़ेगी। न ही आपका चेहरा चमकेगा और न ही गाल गुलाबी लगेगें।
4. खट्टा खाने का मन-
*लंदन के चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसंधान का निष्कर्ष है कि गर्भ में अगर बालक भ्रूण हो तो प्रसव ज्यादा जटिल होता है और महिलाओं को इस दौरान ज्यादा परेशानी होती है। इसके उलट बालिका भ्रूण होने की स्थिति में परेशानी कम होती है और खतरा भी कम होता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
*तेल अवीव युनिवर्सिटी (टीएयू) के स्कूल ऑफ मेडिसिन में स्त्रीरोग विशेषज्ञ मारेक ग्लेजरमैन ने यारिव योगेव और निर मेलामेड के साथ मिल कर 66,000 प्रसव के मामलों का अध्ययन किया। इस दौरान इन्होंने पाया कि जब गर्भ में बालक भ्रूण पल रहा होता है तो महिलाओं में गर्भाशय के सीमित विकास का खतरा बढ़ जाता है।
*ग्लेजरमैन ने कहा है कि गर्भ में बालक भ्रूण का होना ज्यादा जटिल मामला हो जाता है। ऐसी स्थिति में अविकसित प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। ग्लैजरमैन ने कहा कि जिन बालक भ्रूणों का गर्भाशय में अधिक विकास हो जाता है, वैसी स्थिति में प्रसव बहुत कठिन हो जाता है और अक्सर ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराना पड़ता है।
*इजरायल सोसायटी फॉर जेंडर बेस्ड मेडिसिन को प्रस्तुत किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि बालक भ्रूण के साथ खतरे ज्यादा होते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि इन निष्कर्षो को समुचित आलोक में देखा जाना चाहिए
उपरोक्त जानकारी का आशय ये कतई नहीं है कि आप इसके आधार पर गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने की कोशिश करें। उपरोक्त जानकारी केवल शास्त्रीय पद्धतियों, मान्यताओं को आप तक पहुंचाने की कोशिश भर है।पाठक अपनी समझ और सुझबुझ से काम ले यह एक सलाह मात्र है|
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