नेत्र रोगों में कुदरती पदार्थों से ईलाज करना फ़ायदेमंद रहता है। कम उम्र में चश्मा लगना आजकल आम बात होती जा रही है| लेकिन ऐसा नहीं है कि किसी कारण से एक बार चश्मा लग गया तो वह उतर नहीं सकता | ऐनक लगने के प्रमुख कारण आँखों की भली प्रकार देख रेख नहीं करना,पोषक तत्वों की कमी, या आनुवांशिक हो सकता है| इनमें से आनुवांशिक को छोडकर अन्य कारण से लगा चश्मा सही देख भाल ,व् खान पान का ध्यान रखने के आलावा देशी उपचार के द्वारा उतारा जा सकता है|
मोतियाबिंद बढती उम्र के साथ अपना तालमेल बिठा लेता है। अधिमंथ बहुत ही खतरनाक रोग है जो बहुधा आंख को नष्ट कर देता है। आंखों की कई बीमारियों में नीचे लिखे सरल उपाय करने हितकारी सिद्ध होंगे-
१) सौंफ़ नेत्रों के लिये हितकर है। मोतियाबिंद रोकने के लिये इसका पावडर बनालें। एक बडा चम्मच भर सुबह शाम पानी के साथ लेते रहें। नजर की कमजोरी वाले भी यह उपाय करें।
२) विटामिन ए नेत्रों के लिये अत्यंत फ़ायदेमंद होता है। इसे भोजन के माध्यम से ग्रहण करना उत्तम रहता है। गाजर में भरपूर बेटा केरोटिन पाया जाता है जो विटामिन ए का अच्छा स्रोत है। गाजर कच्ची खाएं और जिनके दांत न हों वे इसका रस पीयें। २०० मिलि.रस दिन में दो बार लेना हितकर माना गया है। इससे आंखों की रोशनी भी बढेगी। मोतियाबिंद वालों को गाजर का उपयोग अनुकूल परिणाम देता है।
३) आंखों की जलन,रक्तिमा और सूजन हो जाना नेत्र की अधिक प्रचलित व्याधि है। धनिया इसमें उपयोगी पाया गया है।सूखे धनिये के बीज १० ग्राम लेकर ३०० मिलि. पानी में उबालें। उतारकर ठंडा करें। फ़िर छानकर इससे आंखें धोएं। जलन,लाली,नेत्र शौथ में तुरंत असर मेहसूस होता है।
४) आंवला नेत्र की कई बीमारियों में लाभकारी माना गया है। ताजे आंवले का रस ५ मिलि. इतने ही शहद में मिलाकर रोज सुबह लेते रहने से आंखों की ज्योति में वृद्धि होती है। मोतियाबिंद रोकने के तत्व भी इस उपचार में मौजूद हैं।
७) घरेलू चिकित्सा के जानकार विद्वानों का कहना है कि शहद आंखों में दो बार लगाने से मोतियाबिंद नियंत्रित होता है।
८) लहसुन की २-३ कुली रोज चबाकर खाना आंखों के लिये हितकर है। यह हमारे नेत्रों के लेंस को स्वच्छ करती है।
९) पालक का नियमित उपयोग करना मोतियाबिंद में लाभकारी पाया गया है। इसमें एंटीआक्सीडेंट तत्व होते हैं। पालक में पाया जाने वाला बेटा केरोटीन नेत्रों के लिये परम हितकारी सिद्ध होता है। ब्रिटीश मेडीकल रिसर्च में पालक का मोतियाबिंद नाशक गुण प्रमाणित हो चुका है।
१०) एक और सरल उपाय बताते हैं| अपनी दोनों हथेलियां आपस में रगडें कि कुछ गर्म हो जाएं| फिर आंखों पर ऐसे रखें कि ज्यादा दबाव मेहसूस न हो। हां, हल्का सा दवाब लगावे। दिन में चार-पांच बार और हर बार आधा मिनिट के लिये करें। आंखों की रोशनी बढाने का नायाब तरीका है|
११) किशमिश ,अंजीर और खारक पानी में रात को भिगो दें और सुबह खाएं । मोतियाबिंद और ज्योति बढाने की अच्छी घरेलू दवा है।
१२) भोजन के साथ सलाद ज्यादा मात्रा में शामिल करें । सलाद पर थोडा सा जेतून का तेल भी डालें। इसमें प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के गुण हैं जो नेत्रों के लिये भी हितकर है।
१३) पाठकों , अब मैं वो उपचार बता रहा हूँ जिससे कई लोगों के चश्मे उतर गए हैं| नेत्र ज्योति वर्धक इस उपचार की जितनी भी प्रशंसा की जाय थोड़ी है| इसमें तीन पदार्थ जरूरी हैं| बड़ी सौंफ,मिश्री और बादाम | तीनों बराबर मात्रा में १००-१०० ग्राम लेकर महीन पीस लें | कांच के बर्तन में भर कर रखें| रात को सोते वक्त दस ग्राम चूर्ण एक गिलास गरम दूध के साथ लें| यह प्रयोग ४०-५० दिन तक निरंतर करना है|
१४) सूरज मुखी के बीजों का सेवन करना आंखों के लिए सेहतमंद रहता है| इसमें विटामिन सी,विटामिन ई,बीता केरोटीन और एंटीआक्सीडेंटस होते है जो आंखों की कमजोरी दूर करते हैं|
१५) दूध व् अन्य डेयरी उत्पाद का पर्याप्त मात्रा में उपयोग करना नेत्र विकारों में फायदेमंद रहता है| इन चीजों से आखों को उचित पोषण मिलता है|
१६) केवल बादाम का सेवन भी आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है| रोजाना चलते फिरते ८-१० बादाम खाने से जरूरी मात्रा में विटामिन ई प्राप्त होने से आँखें स्वस्थ रहती हैं| बादाम में रेशा,वसा,विटामिन और मिनरल पर्याप्त मात्रा में होते हैं| आयुर्वेद में उल्लेख है कि बादाम को भिगोकर खाने के बजाय अंकुरित करके खाना ज्यादा लाभप्रद होता है| अंकुरित करने के लिये बादाम १२ घंटे पानी में भिगोएँ | छानकर बादाम सुखालें| कांच के जार में रखें और अंकुरित होने के लिये ३- ४ दिन फ्रीज में रखें|रात को नो बादाम भिगोएँ ,सुबह पीसकर पानी में घोलकर पी जाएँ| इससे आँखे स्वस्थ रहती हैं| और निरंतर उपयोग से आँखों का चश्मा भी उतर जाएगा|
१७) आँखों को स्वस्थ रखने के लिए सोया मिल्क ,दही,मूंगफली,खुबानी का उचित मात्रा में सेवन करना लाभ दायक है|
१८) एक शौध के अनुसार हरे पतेदार सब्जियों में केरोटिन नामक पिगमेंट की ऐसी मात्रा मौजूद रहती है जिसमें आँखों की रोशनी तेज करने की क्षमता होती है| विशेषज्ञों के अनुसार यह कुदरती केरोटीनाईड आँख की पुतली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और आँखों की रोशनी सुरक्षित रखने के अलावा अनेक नेत्र रोगों से भी बचाव करता है|
१९) एक चने के दाने बराबर फिटकरी को सेककर इसे १०० ग्राम गुलाब जल में डालें और रोजाना सोते वक्त २-बूँदें आँख में डालने से चश्मे का नंबर कम हो जाता है|
२०) बिल्व पत्र का ३० मिली रस पीने और २-४ बूँद रस आँखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग में लाभ होता है| अंगूर का रस भी आँखों के लिए वरदान तुल्य माना गया है|
२१) इलायची आँखों के लिये बहुत लाभदायक होती है\ रात को सोने से पहले २ इलायची पीसकर दूध में डालें| अच्छी तरह उबालकर फिर मामूली गरम हालत में पी जायें| इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है|
२२) अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते रहने से नेत्र ज्योति बढ़ती है|
२३) हल्दी की गांठ को तुवर की दाल में उबालकर फिर छाया में सुखाकर रखलें| इसे पानी में घिसकर सूर्यास्त से पूर्व आँखों में काजल की तरह लगाएं | आँखे स्वस्थ रहती हैं और आँखों की लालिमा भी दूर होती है|
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2 टिप्पणियां:
लेख बेहद उपयोगी और प्रभावशाली है।साधारण नुस्खे प्रयोग कर मोतियाबिंद को आपरेशन की स्थिति तक नहीं पहुंचने देने मे ही भलाई है। उत्तम लेखन हेतु बधाई!
मोतिया बिंद बुजुर्गों की खास बीमारी है। इन देशी उआयों से आंखों की रोशनी बरकरार रखने में मदद मिलेगी ऐसा विश्वास है। धन्यवाद!
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