29.7.25

विटामिन B12 की कमी के लक्षण और उपचार

 

B12 किस चीज में पाया जाता है?
"विटामिन B12 किस चीज में पाया जाता है?"—ये सवाल आजकल हर स्वास्थ्य सजग व्यक्ति के मन में होता है।
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सही पोषण लेना एक चुनौती बन गई है, और विटामिन B12 की कमी आम होती जा रही है।
विटामिन B12 शरीर के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना पेट्रोल एक गाड़ी के लिए। यह नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है, खून में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) का निर्माण करता है, और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता है। इस लेख में हम जानेंगे कि विटामिन B12 किस चीज़ में पाया जाता है, इसके लक्षण, फायदे, आयुर्वेदिक सुझाव और घरेलू उपाय।

 विटामिन B12 की कमी के लक्षण 

लगातार थकान और कमजोरी
याददाश्त की कमी
सांस फूलना या चक्कर आना
हाथ-पैरों में झुनझुनाहट
पीली त्वचा या पीलापन
मूड स्विंग्स और डिप्रेशन
जीभ पर सूजन या जलन
अगर आप इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो हो सकता है आपको विटामिन B12 की कमी हो। समय रहते इसे पहचानना और सही उपाय करना बेहद ज़रूरी है।

 B12 किस चीज में पाया जाता है?

 जानिए B12 के प्रमुख स्त्रोत (Non-Veg Foods)अंडा (Egg Yolk)
मछली (Fish – Salmon, Tuna)
चिकन और मटन (Chicken, Mutton)
डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर, चीज़)
लीवर और किडनी (Liver, Kidney – विशेष रूप से भेड़ या गाय की)
शाकाहारी लोगों के लिए विकल्प-
 Sources)फोर्टिफाइड अनाज (Fortified Cereals)
सोया दूध और बादाम दूध (Soy & Almond Milk with B12 fortification)
 नोट: प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी स्रोतों में B12 बहुत कम या नहीं के बराबर होता है, इसलिए सप्लीमेंट की सलाह दी जाती है।

 आयुर्वेदिक सुझाव और घरेलू नुस्खे-

 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जो पाचन और अवशोषण में मदद करेंत्रिफला चूर्ण – पाचन को दुरुस्त करके B12 के अवशोषण में मदद करता है।
अश्वगंधा – थकान दूर करता है और ऊर्जा को बढ़ाता है।
गिलोय – इम्यूनिटी को मजबूत करता है, जिससे शरीर B12 को बेहतर तरीके से ग्रहण कर पाता है।
 घरेलू उपायसुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुना नींबू पानी पीएं। इससे पाचन सुधरता है और शरीर सप्लीमेंट या आहार से B12 को बेहतर तरीके से सोख पाता है।
सप्ताह में कम से कम दो बार अंकुरित अनाज और हरी सब्जियों का सेवन करें।
अगर आप वेगन हैं, तो फोर्टिफाइड फूड्स और B12 टैबलेट्स का प्रयोग करें 
 फल और जड़ी-बूटियाँ जो B12 की कमी में सहायक हैं
अमरूद: 
विटामिन C के साथ-साथ पाचन को बेहतर बनाकर B12 के अवशोषण में मदद करता है।
आंवला:
पाचन शक्ति बढ़ाता है और आयरन के साथ B12 के लाभ को और बढ़ाता है।
एलोवेरा जूस: 
शरीर की सफाई करके पोषक तत्वों के अवशोषण को तेज करता है।
केला:
B-Complex Vitamins से भरपूर, मानसिक ऊर्जा और फोकस को बढ़ावा देता है।
 सप्लीमेंट की ज़रूरत कब और कैसे?
यदि आप पूरी तरह से शाकाहारी हैं या उपरोक्त लक्षणों से जूझ रहे हैं, तो आपको डॉक्टर की सलाह से विटामिन B12 सप्लीमेंट लेना चाहिए। ये टैबलेट, कैप्सूल, या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होते हैं।
सावधानी: बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा या इंजेक्शन ना लें।
B12 की कमी को कैसे रोका जा सकता है? 
अपने भोजन में प्रोटीन और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करें।
हर 6 महीने में एक बार हेल्थ चेकअप कराएं।
तनाव कम करें और योग/प्राणायाम को दिनचर्या में जोड़ें।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

13.7.25

केला खाने के फायदे और इसके औषधीय गुण

 


घरेलु आयुर्वेद से चिकत्सा के विडियो की श्रुंखला में आज "केला खाने के फायदे और औषधीय  गुण"  बताने वाले हैं 
केला एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह ऊर्जा का एक उत्कृष्ट स्रोत है, पाचन में सुधार करता है, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, और हड्डियों को मजबूत बनाता है।

केला एक ऐसा फल है, जो बच्‍चे हों या फिर बड़े ह‍र क‍िसी को पसंद आता है. इसकी प्राकृतिक म‍िठास और इसके भीतर का पोषण, दोनों ही इसे इसे कई लोगों का फेवरेट फ्रूट बनाता है. केला एक बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है, जो आसानी से उपलब्ध होता है और हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. 

हीमोग्लोबिन में वृद्धि-

केला हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें आयरन और विटामिन बी6 होते हैं, जो हीमोग्लोबिन उत्पादन के लिए आवश्यक हैं. केले में मौजूद आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) के निर्माण में मदद करता है, जो हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
2. डाइजेशन में मदद: केला पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. यह पेट की दीवारों को सुकून देता है और आंतों की सफाई में मदद करता है. अगर आपका पाचन तंत्र सामान्य है, तो आप इसे खाली पेट खा सकते हैं.
3. हार्ट हेल्‍थ के लि‍ए अच्‍छा: केले में पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो सोड‍ियम के इफेक्‍ट को कंट्रोल रखने में मदद करता है. इससे ब्‍लड प्रेशर को कट्रोल करने में मदद म‍िलती है और इसलि‍ए ये हार्ट हेल्‍थ के लि‍ए अच्‍छा होता है. अगर इसे खाली पेट खाया जाए तो यह आपके हार्ट के ल‍िए अच्‍छा साबित होता है.
                        हार्ट अटैक से बचाता है केला 

यदि आप स्वयं को स्वस्थ एवं लंबे समय तक जवां बनाये रखना चाहते हैं तो आप आज से ही रोज़ एक केला खाना शुरू कर दीजिए। यक़ीन मानिए इससे आपको एक अलग ही level का सुखद एहसास होगा। केला आपकी आंखों व दिल को स्वस्थ रखने में बेहद अच्छी भूमिका निभाता है। इसमें पायी जाने वाली पोटैशियम की मात्रा हार्ट की बीमारी से बचाता है। साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है।

एनर्जी देता है केला

केला एक ऐसा फल है, जो ग्लूकोज से भरा हुआ होता है और ये शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करने का काम करता है। अगर आप सुबह उठने के बाद लो फील कर रहे हैं या फिर थका-थका महसूस कर रहे हैं तो आप दो केले खाली पेट खा सकते हैं, जो आपको तुरंत एनर्जी देने का काम करेंगे।

                      पाचन तंत्र के लिए केले के फायदे 
केला पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। केले में मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर पाचन को दुरुस्त करता है और आंतों में जमा पुराने मल को बाहर निकालने में मदद करता है. इसके अलावा, केले में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जिससे पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है.

शरीर में ताक़त व स्फूर्ति का अनुभव-

केले में भरपूर पोटैशियम एवं कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जिसका सेवन करने से जल्दी भूख भी नहीं लगती और पेट भी भर हुआ महसूस होता है। अगर आप भी स्कूल कॉलेज या ऑफ़िस जाते वक्त जल्दी-जल्दी में अपना नाश्ता करना या साथ लेकर जाना भूल जाते हैं तो आप अपने टिफ़िन में केले bananas को रखकर एक बढ़िया सा Break fast तैयार कर सकते हैं।

         डायबिटीज एक दिन में कितने केले खा सकता है?

केले में शुगर भले ही पाए जाते हैं, लेकिन इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। यह लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स का होता है, जिसके कारण इसे खाने से शुगर ब्लड में धीरे-धीरे रिलीज होता है। साथ ही, इसमें मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज होने पर आप प्रतिदिन एक केला खा सकते हैं
मधुमेह रोगी केले खा सकते हैं, लेकिन समझदारी भरे फैसले और मात्रा प्रबंधन के साथ। केले मधुमेह के लिए "बुरे" नहीं हैं, लेकिन उन्हें प्रभावी रूप से योजनाबद्ध भोजन के हिस्से के रूप में खाया जाना चाहिए। बहुत पके हुए केले लें, छोटे या मध्यम आकार के केले चुनें और उन्हें प्रोटीन या स्वस्थ वसा के साथ मिलाएँ।

रात मे केले खाने के फायदे

रात को  केला खाने से आपकी नींद के चक्र को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह शरीर को सेरोटोनिन बनाने में मदद करता। सेरोटोनिन एक मस्तिष्क हार्मोन है जिससे आपकी नींद बेहतर होती है। दरअसल, केले में ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) नामक अमीनो एसिड होता है जो सेरोटोनिन बनाने में मदद करता है। रात में जब आप केला खा कर सोते हैं तो ये नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करता है और नींद न आने, घबराहट और डिप्रेशन को कम करने में मद

दिन में केला कब खाएं-



दिन में केला खाने का सबसे अच्छा समय है सुबह 8 से 9 के बीच , नाश्ते के बाद। इस दौरान केला खाने से ये आपके नाश्ते और लंच के बीच पाचन तंत्र के लिए तेजी से काम करता है और शरीर को इसके सारे न्यूट्रिशन मिल जाते हैं।

                 पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाता है केला 

केले में ब्रोमेलैन नामक एक एंजाइम होता है, जो रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और कामेच्छा बढ़ाने में मदद करता है। अगर कोई मर्द सेक्स से पहले केला खाता है तो यह मूड में सुधार करता हैअगर आपका मूड खराब है, तो आप केला खाकर देखें। इससे आपका मूड अच्छा हो जाएगा और आप बेहतर महसूस करेंगे।

सावधानी -

1. खाली पेट अधिक एसिडिटी हो सकती है: केले में प्राकृतिक शर्करा यानी नेचुरल स्‍वीटनेस और पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है. जब आप इसे खाली पेट खाते हैं, तो शरीर में एसिडिटी बढ़ सकती है. 
2. ब्लड शुगर में अचानक बढ़ोतरी: केले में नेचुरल शुगर होता है, इसलि‍ए खाली पेट केला खाने से अचानक शुगर लेवल बढ़ सकता है. खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए इससे द‍िक्‍कत हो सकती है. क्योंकि इसका असर इंसुलिन के स्तर पर भी पड़ सकता है. इस कारण से, अगर आपको ब्लड शुगर की समस्या है तो इसे खाली पेट खाने से बचना चाहिए.

केला स्वास्थ्य के लिए काफी हेल्दी हो सकता है। लेकिन काफी अधिक मात्रा में इसके सेवन से बचना चाहिए। एक स्वस्थ्य व्यक्ति को 1 दिन में एक या दो केले से ज़्यादा नहीं खाना चाहिए
घरेलु आयुर्वेद में ऐसे  ही विडियो देखने के लिए हमारे चैनल के सदस्य बनें| आभार धन्यवाद  

4.6.25

बरसात की आम बीमारियों के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार


मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ के अंतर्गत आज का टॉपिक है"बरसात की आम बीमारियों के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार"




  बारिश को बीमारियों का मौसम भी माना जाता है। पानी और गंदगी के कारण कई तरह के जीवाणु इस मौसम में पैदा होते हैं। इनके कारण कई तरह की बीमारियां होती हैं। इन बीमारियों के इलाज के लिए भार भरकम रकम चुकानी होती है। कुछ सावधानियों और घरेलू नुस्खों को अपना कर इन बीमारियों और उनके इलाज में होने वाले खर्च से बचा जा सकता है।यह नुस्खे पुराने समय से हमारे देश में अपनाए जाते रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में जीवन के तौर तरीकों में आए बदलाव ने लोगों को इनसे दूर कर दिया है विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में।

मानसून की बीमारियों के लिए घरेलू उपचार


बरसात के मौसम में बढ़ी हुई नमी और तापमान में बदलाव इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इन लक्षणों से निपटने के लिए, यहाँ बारिश के मौसम के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपचार दिए गए हैं जो इन लक्षणों को दूर करने और रिकवरी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

भाप लेना




भाप लेना बरसात के मौसम में सर्दी-जुकाम के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय है। यह नेसल कंजेशन को साफ करने, इर्रिटेटेड एयरवेज को शांत करने और साइनस के दबाव को कम करने में मदद करता है। भाप लेने के लिए, एक बर्तन में पानी उबालें, इसे हीट पर से हटा दें और भाप को फंसाने के लिए अपने सिर को तोलिये से ढककर बर्तन पर झुकें। 10-15 मिनट तक गहरी सांस लें।

आप अतिरिक्त लाभ के लिए पानी में नीलगिरी या पेपरमिंट तेल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं।

नीम की चाय




  नीम की चाय मानसून की बीमारियों के लिए एक और शक्तिशाली घरेलू उपाय है। नीम के पत्तों में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, जो उन्हें संक्रमण से लड़ने के लिए आदर्श बनाते हैं।

नीम की चाय बनाने के लिए, लगभग 10 मिनट के लिए पानी में मुट्ठी भर नीम के पत्तों को उबालें, फिर छान लें और चाय पी लें। नीम की चाय का नियमित सेवन शरीर को डिटॉक्स करने, इम्यून सिस्टम का समर्थन करने और आम मानसून की बीमारियों को रोकने में मदद करता है।

जावित्री और जायफल

रसोई के मसालों में मौजूद जायफल और जावित्री औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। छाती में जमा कफ और जुकाम से निपटने के लिए जायफल और जायपत्री को बराबर मात्रा में पीसकर पीसकर शहद के साथ चाटने से आराम मिलता है।


अजवाइन और लहसुन का तेल




अजवाइन और लहसुन की तासीर गर्म होने से उन्हें सरसों के तेल में कुछ देर पकाकर चेस्ट और पैरों पर लगाने से बेहद फायदा मिलता है। आधा कप सरसों के तेल को अच्छी तरह से पकाकर उसमें पिसा हुआ लहसुन और 1 चम्मच अजवाइन का मिलाएं और पकने दें। इससे ठण्ड, खांसी और जुकाम की समस्या अपने आप हल हो जाती है। रात को सोते वक्त इसे लगाकर कुछ देर के लिए पंखा बंद कर दें।

हल्दी वाला दूध




हल्दी वाला दूध, जिसे 'गोल्डन मिल्क' के नाम से भी जाना जाता है, मानसून की बीमारियों के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। हल्दी अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जानी जाती है। एक कप गर्म हल्दी वाला दूध पीने से गले की खराश को शांत करने, सूजन को कम करने और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
यह पारंपरिक उपाय न केवल आराम प्रदान करता है बल्कि सर्दी-खांसी से भी जल्दी ठीक होने में मदद करता है।

अदरक की चाय





अदरक की चाय को मानसून में होने वाली कई बीमारियों, खास तौर पर सर्दी-जुकाम और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। अदरक में प्राकृतिक रूप से एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो सर्दी-जुकाम के लक्षणों को कम करने और पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं।
अदरक की चाय बनाने के लिए, ताजी अदरक के कुछ टुकड़ों को पानी में 5-10 मिनट तक उबालें, फिर छान लें और स्वाद के लिए शहद या नींबू मिलाएं। दिन में दो से तीन बार इस चाय को पीने से गले की खराश, कंजेशन को कम करने और बरसात के मौसम में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

गर्म भोजन का सेवन करें

मानसून के मौसम में गर्म भोजन का सेवन विशेष रूप से आरामदायक और फायदेमंद हो सकता है। सूप, शोरबा और हर्बल चाय शरीर को गर्म और हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं और साथ ही आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान कर सकते हैं।
इन गर्म खाद्य पदार्थों में काली मिर्च, जीरा और दालचीनी जैसे मसाले मिलाए जाने से उनके चिकित्सीय प्रभाव बढ़ सकते हैं। इन मसालों में प्राकृतिक रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने और इम्यूनिटी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। अपने आहार में गर्म खाद्य पदार्थों को शामिल करना स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मानसून के घरेलू उपचारों का उपयोग करने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है।

मुलेठी

मुलेठी, जिसे लिकोरिस रूट के नाम से भी जाना जाता है, बरसात के मौसम में सर्दी के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। इसमें मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यून-बूस्टिंग गुण होते हैं। मुलेठी गले की खराश और खांसी के इलाज में विशेष रूप से प्रभावी है।
मुलेठी का उपयोग करने के लिए, आप जड़ का एक छोटा टुकड़ा चबा सकते हैं या इसे पानी में उबालकर चाय बना सकते हैं। मुलेठी का नियमित सेवन गले को आराम देने, खांसी को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

तुलसी के पत्ते

तुलसी या पवित्र तुलसी अपने औषधीय गुणों के लिए पूजनीय है और बरसात के मौसम के लिए घरेलू उपचारों में इसका प्रमुख स्थान है। तुलसी के पत्तों में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं और ये श्वसन संक्रमण के इलाज और इम्यूनिटी को बढ़ाने में प्रभावी होते हैं। आप तुलसी के ताजे पत्ते चबा सकते हैं, तुलसी की चाय बना सकते हैं या अपने खाने में तुलसी के पत्ते मिला सकते हैं।
तुलसी की चाय बनाने के लिए तुलसी के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर उसमें स्वादानुसार शहद या नींबू मिलाएं। तुलसी का नियमित सेवन मानसून में होने वाली आम बीमारियों से बचाता है और श्वसन संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

खुजली से बचाए गंधक और नारियल तेल

बारिश में खुजली की भी शिकायत होती है। पहली बारिश के बाद तो कई लोगों को फोड़े फुंसी तक निकलते हैं। यदि हर दिन पानी में गंधक मिलाकर नहाया जाए तो इससे बचा जा सकता है। इसके साथ ही यदि फोड़े फुंसी हो जाए तो उसपर गंधक को नारियल का तेल मिलाकर लगाना चाहिए।

लहसुन

लहसुन एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो मानसून की विभिन्न बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने में मदद कर सकता है। इसके एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण इसे मानसून की बीमारियों के घरेलू उपचार में एक आवश्यक घटक बनाते हैं। लहसुन के लाभ पाने के लिए, आप लहसुन की कलियों को कच्चा खा सकते हैं या उन्हें अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं।
लहसुन की कलियों को पानी में उबालकर और स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाकर लहसुन की चाय बनाना भी स्वादिष्ट विकल्प हैं।

तुलसी और काली मिर्च रखे जुकाम पर नियंत्रण




बारिश में भींगने के कारण जुकाम होना बहुत आम बात है। खासकर बच्चों को जिन्हें बारिश में खेलने से रोकना मुश्किल होता है। डॉक्टर चौधरी ने बताया कि भींगने से होने वाले जुकाम से बचने के लिए काली मिर्च, तुलसी के पले और इलायची का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। यह जुकाम तो रोकता ही है साथ अन्य बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

पपीते के  पत्ता का जूस 



पपीते के पत्ते का अर्क ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने और डेंगू बुखार के इलाज के लिए एक प्रसिद्ध उपाय है। पपीते के पत्तों में मौजूद एंजाइम, जैसे कि पपैन और काइमोपैपेन, इन्फ्लेमेशन को कम करने और इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
पपीते के पत्तों का जूस बनाने के लिए, कुछ ताजे पपीते के पत्तों को क्रश करके उनका जूस निकालें। इस जूस को दिन में दो बार पीने से डेंगू के लक्षणों को नियंत्रित करने और मानसून के दौरान समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

नमक के पानी से गरारे करें





नमक के पानी से गरारे करना बरसात के मौसम में सर्दी-जुकाम के लिए एक सरल लेकिन प्रभावी घरेलू उपाय है। नमक का पानी गले की सूजन को कम करने, बलगम को ढीला करने और जलन और रोगजनकों को बाहर निकालने में मदद करता है।
इस उपाय को तैयार करने के लिए, एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच नमक घोलें और इसे थूकने से पहले 30 सेकंड तक गरारे करें। सर्वोत्तम परिणामों के लिए इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं। यह उपाय गले की खराश से तुरंत राहत प्रदान कर सकता है और संक्रमण को बिगड़ने से रोक सकता है।
सावधानी  ये बरतनी है कि कोई भी उपाय करने से पहिले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लेवें 
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9.5.25

"हर रोज हरी प्याज खाने के अद्भुत फायदे: शुक्राणु वर्धक और हड्डियों की मजबूती"

   
                                             


   प्याज का इस्तेमाल लगभग हर भारतीय घर में होता है. इसका इस्तेमाल सलाद से लेकर से ग्रेवी बनाने तक में किया जाता है. यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. क्या आपको पता है कि प्याज में पर्याप्त मात्रा में सोडियम, पोटेशियम, फोलेट्स, विटामिन सी, ई और ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फॉस्फोरस भी पाया जाता है. इसमें पाए जाने वाले ये सभी तत्व सेहत के लिए काफी लाभदायी होते हैं. क्या आपको पता है कि हर रोज एक प्याज का सेवन सेहत के लिए बेहद लाभदायी हो सकता है

मर्दाना ताकत बढ़ाने में सहायक

प्याज खाने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे उनकी यौन क्षमता बेहतर हो सकती है। टेस्टोस्टेरोन एक ऐसा प्रजनन हार्मोन है जो पुरुषों में यौन इच्छा, शक्ति और यहां तक कि ऊर्जा के स्तर को भी प्रभावित करता है।

क्या प्याज पेनिस के लिए अच्छा है?

प्याज नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन को भी बढ़ाता है । नाइट्रिक ऑक्साइड न केवल टेस्टोस्टेरोन बनाने में भूमिका निभाता है, बल्कि यह रक्त वाहिकाओं को फैलाकर स्तंभन कार्य को सुविधाजनक बनाने में भी मदद करता है, जिससे रक्त प्रवाह को बढ़ावा मिलता है।

क्या प्याज खाने से शुक्राणु बढ़ते हैं?

ऐसी ही चीजों में शामिल है प्याज, लहसुन और शहद। इसे रोज लेने से स्पर्म काउंट बढ़ता है। यह चीजें स्टेमिना इम्प्रूव करने में मदद करती हैं।

इस आलेख को विडिओ रूप मे देखें- 




पुरुषों के लिए प्याज का क्या महत्व है?

पुरुषों को शादी के बाद फर्टिलिटी और स्टेमिना बढ़ाने के लिए घर में पाई जाने वाली नेचुरल चीजों का यूज करने से फायदा होता है। ऐसी ही चीजों में शामिल है प्याज, लहसुन और शहद। इसे रोज लेने से स्पर्म काउंट बढ़ता है। यह चीजें स्टेमिना इम्प्रूव करने में मदद करती हैं।

हरी पत्तेदार प्याज 

हरी पत्तेदार प्याज (स्प्रिंग अनियन) खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि पाचन में सुधार, हड्डियों को मजबूत करना, और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाना. यह एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट स्रोत भी है, जो शरीर को नुकसान से बचाता है.स्प्रिंग अनियन और चाईनीज़ अनियन के नाम से मशहूर हरा प्याज रेसिपीज़(को नया लुक देने और उन्हें लज़्जीज़ ज़ायका परोसने में खास रोल अदा करता हैं। पोषक तत्वों सें भरपूर हरी प्याजविटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर है, जो कई रोगों से हमारी रक्षाकरता है। इसकी खास बात ये है कि इसका इस्तेमाल, सूप, अचार से लेकर मांसाहारी(Nonveg) और शाकाहारी व्यंजनों में किया जाता है, जिसे हर उम्र के लोग बड़े चाव से खाते हैं।

कच्चा प्याज खाने से कौन सी बीमारी ठीक होती है?

कच्चे प्याज में सल्फर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूती देने में मदद करता है. इसके साथ ही इसका सेवन ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने में भी मदद कर सकता है.

इम्यूनिटीः

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप अपनी डाइट में हरी प्याज को शामिल कर सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले विटामिन इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार हो सकते हैं.

गुड़ और प्याज से हाइट कैसे बढ़ाएं?

प्याज और गुड़ को एक साथ खाने से हाइट बढ़ने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हालांकि, गुड़ में आयरन, कैल्शियम, और मिनरल्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, और प्याज में भी विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं

आंखोंः

आंखों को सेहतमंद रखने के लिए हेल्दी डाइट और विटामिन्स का सेवन जरूरी है. आपको बता दें कि हरी प्याज आंखों की सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसमें कैरोटीनॉयड नामक तत्व पाया जाता है जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

वजन घटानेः

बढ़े हुए वजन से परेशान हैं और वजन कम करना चाहते हैं, तो हरी प्याज को डाइट में शामिल करें. हरी प्याज में कैलोरी की मात्रा काफी कम पाई जाती है, जो वजन को घटाने में मदद कर सकती है.

दिल की सेहत का रखे ख्याल

क्वेरसेटिन, फ्लेवोनोइड्स और विटामिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हरा प्याज़ कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ब्लड प्रेशर को नियमित करने में मददगार है। विटामिन सी से भरपूर भी है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। इसमें पाया जाने वाला एंटीथ्रॉम्बोटिक तत्व शरीर में ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है। इसके चलते हार्ट अटैक का खतरा खुद ब खुद घटता चला जाता है।

हाई ब्लड प्रेशरः

हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आपके हरी प्याज का सेवन फायदेमंद हो सकता है. हरी प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी को कम करने में मदद कर सकता है.


डायबिटीजः

डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है हरी प्याज. हरी प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड्स के कारण, शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता बढ़ती है. यह काफी हद तक डायबिटीज को रोकने में मदद कर सकता है.


हड्डियों के लिए ज़रूरी

हड्डियों में दर्द और चोट एक आम समस्या है। ऐसे में हरे प्याज से मिलने वाले विटामिन डी से हड्डियों को मज़बूत किया जा सकता है। साथ ही गठिया के रोग से भी राहत मिल जाती है। हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए ऐसा फूड खाएं, जिसे विटामिन डी के साथ साथ कैल्शियम और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाए। इसके अलावा ओस्टियोपोरोसिस और आर्थराईटिस के रोगी इसका सेवन अवश्य करें।

1 दिन में कितना कच्चा प्याज खाना चाहिए?

आप रोजाना दिन भर के खाने में 100 ग्राम प्याज का सेवन सलाद के साथ, सब्जी के रूप में या फिर सैंडविच के साथ करें तो आपकी बॉडी का गर्मी से बचाव होगा

रात में प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए?

अगर आप रात के समय कच्ची प्याज का सेवन करते हैं, तो पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल कच्ची प्याज में 'फ्रुक्टेन' नाम का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो पाचन-तंत्र के लिए अच्छा नहीं होता है। इसके ज्यादा सेवन से व्यक्ति को पेट में कब्ज, एसिडिटी, गैस और अपच जैसी समस्या हो सकती है।
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