1.11.21

अश्वगंधा को दूध मे घोलकर पीने के जबर्दस्त फायदा :Ashwagandha dissolved in milk





अश्वगंधा को आर्युवेद में एक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। अश्वगंधा का सेवन करने से कमजोरी, नींद की कमी, तनाव, गठिया जैसी बीमारियां तेजी से दूर हो जाती है। इसका इस्तेमाल सिर्फ आर्युवेद में नहीं बल्कि यूनानी, अफ्रीकी चिकित्सा, सिद्ध चिकित्सा आदि में भी किया जाता है। आयुर्वेद के लेख चरक संहिता में दूध और अश्वगंधा को एक साथ लेने की बात कही गई है। 'कार्य कारण सिद्धांत' नाम के इस लेख में इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जानें किस तरह दूध और अश्वगंधा का सेवन कर आप अपना वजन कम करने के साथ-साथ किन बीमारियों से बचाव हो सकता है।
आयुर्वेद के मुताबिक अश्वगंधा को दूध के साथ लेना बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में किसी भी जड़ी बूटी को किसी ‘अनुपान’ यानी साधन के साथ लिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुपान जड़ी बूटी के असर को बेहतर बनाता है। उसी प्रकार दूध को अश्वगंधा का अनुपान कहा गया है। इसी कारण से अश्वगंधा और दूध साथ लेने की बात कही जाती है।

दूध के औषधीय गुण

 आयुर्वेद के प्राचीन लेख चरक संहिता के मुताबिक दूध हमारे दिमाग और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। दूध स्वाद में मीठा, ठंडा, कोमल और प्रसन्न होता है।  दूध के गुणों को शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। दूध को शरीर के लिए सबसे बेहतर अनुपान माना जाता है। यह खून, हड्डियां, कोशिकाओं, और अन्य अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है  आयुर्वेद के मुताबिक दूध सबसे उत्तम अनुपान है। ऐसे में किसी भी जड़ी बूटी के साथ इसे लिया जाना चाहिए। दूध और औषधि का मिश्रण शरीर में ज्यादा असरदार होता है और इसका प्रभाव बहुत जल्द दिखने लगता है। आयुर्वेद के लेख चरक संहिता में दूध और अश्वगंधा को साथ लेने की बात कही गयी है।  आयुर्वेद में कहा गया है, ‘सर्वदा सर्व भावनाम सामन्यम वृद्धि कारनाम।’ इसका अर्थ है कि शरीर में यदि किसी पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है, तो उससे सम्बंधित बाहरी पदार्थों की भी मात्रा बढ़ रही है अश्वगंधा और दूध में ऐसी ही विशेषतायें हैं। अश्वगंधा और दूध दोनों ही ओजस को पोषकता पहुंचाते हैं। दोनों एक दूसरे को ऊर्जा देते हैं। जब कोई व्यक्ति इन्हें साथ लेता है, तब उसके शरीर में मौजूद कोई भी रोग दूर हो जाता है। इनका मिश्रण तीनों दोष में भी सहायक है। टीबी जैसी बिमारी में अश्वगंधा और दूध साथ लेने से आराम मिलता है। अश्वगंधा और दूध साथ लेने से शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। आयुर्वेद के साधु सुश्रुत ने कहा था कि अश्वगंधा को दूध के साथ लेने से वत्त दोष में आराम मिलता है।

अश्वगंधा और दूध के फायदे-  

 दूध को गर्म ही पीना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म दूध आसानी से पच जाता है और यह कफ और पित्त दोष को ख़त्म कर देता है।

अश्वगंधा और दूध बांझपन के लिए- 

बांझपन की समस्या में दूध के साथ अश्वगंधा का सेवन करें। दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को दिन में दो बार लें। इसी गर्म दूध और थोड़ी से मिश्री के साथ लें।

अश्वगंधा और दूध कमजोरी के लिए- 

  जैसा हमनें बताया कि अश्वगंधा और दूध साथ लेने से शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। यदि आप कमजोर हैं, तो आपको इसका नियमित सेवन करना चाहिए। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर के साथ लें। त्रिकाटू में सुखी असर्क, काली मिर्च और लम्बी मिर्च होती है, जो काफी फायदेमंद होती है। इन्हें दिन में दो बार दूध के साथ लें।

अश्वगंधा और दूध ऑस्टियोपोरोसिस में- 

  ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या काफी गंभीर होती है। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक ग्राम अर्जुन छाल पाउडर के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें। 

अश्वगंधा और दूध अस्थिसंधिशोथ में-

 इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, एक ग्राम मुलेठी को गर्म दूध के साथ लें। अश्वगंधा और दूध बच्चों के लिए बच्चों में पोषकता की कमी होने पर उन्हें यह दें। इसके लिए आप अश्वगंधा की चाय बनाएं। अश्वगंधा की चाय बनाने के लिए आधा ग्लास पानी लें और आधा ग्लास दूध एक बर्तन में लें। इसमें एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण डालें और इसे उबाल लें। इसमें चीनी मिला लें और इसका सेवन करें।

वजन कम करे

रोजाना एर गिलास दूध में एक चम्मच अश्वगंधा और मीठापन के लिए एक चम्मच शहद मिला लें। रोजाना इसका सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक ढंग से काम करेगा। जिससे आपका वजन तेजी से कम होगा।

कमजोरी से पाएं निजात

अश्वगंधा और दूध आपके शरीर को मजबूत भी बनाता है। इसके लिए रोजाना 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर के साथ 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर एक गिलास दूध में मिक्स करके पी लें। कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आ जाएगा।

ऑस्टियोपोरोसिस

अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी है तो उसमें दूध और अश्वगंधा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 1 ग्राम अर्जुन छाल पाउडर के साथ दिन में 2 बार दूध के साथ लें।

उच्च रक्त चाप के लिए दूध और अश्वगंधा-

 रक्त रक्तचाप को सामान्य करने के लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 125 ग्राम मोटी पिसती के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें। साधारण जीवन में भी कर सकते हैं अश्वगंधा और दूध का सेवन यदि आपको कोई बिमारी या समस्या नहीं है, तब भी आप अश्वगंधा को दूध के साथ ले सकते हैं। इसके लिए रोजाना दिन में दो बार गर्म दूध में अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर लें।

सामग्री: 

  4 कप दूध 10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण 1 चम्मच चीनी 4 कप दूध को 10 ग्राम अश्वगंधा में मिलाकर एक बर्तन में लें। इस मिश्रण को धीमी आंच पर रखें और इसे तब तक हिलाएं जब तक एक गाढ़ा मिश्रण बन जाए। इसके बाद इसे आंच से हटा लें। इसे अब 5 मिनट ठंडा होने दें। इसके बाद एक चम्मच चीनी मिलाएं और सेवन करें। इस अश्वगंधा और दूध की विधि को खाली पेट लेना चाहिए। खाली पेट लेने से इसका अवशोषण आसानी से हो सकेगा।
अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधि है, जो अपने शक्तिवर्धक गुणों के लिए जानी जाती है। आप चाहे तो इसकी पत्तियों को पीस कर या जड़ों को उबाल कर उपयोग में ला सकते हैं। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। इसके लिए 200 से 1200 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण को चाय के साथ मिला कर लें। चाहें तो इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग भी कर सकते हैं।
   हायपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा के साथ भी इलाज किया जाता हैं। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। साथ ही यह शरीर के अंदर का हार्मोन इंबैलेंस भी संतुलित कर देता है। यह टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन हार्मोन को भी बढाता है।
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अलसी(flax seed) के फायदे:flax seed benifits




  सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है। 
  *खाँसी होेने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें।एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी का पाउडर केा आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसका सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी को होना चाहिए।
 *समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्यके लिए नील मधु उपयोगी है।
*डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काॅफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं।  इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है। 
*कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए। कैंसर की स्थिति मेें डाॅक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए। 
*साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें।मुखवास की तरह इसका सेवन करें। इसमें सैंधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें। बेसन में 25 प्रतिशत अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर  मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें। अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

दमा में दिलाये राहतदमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये| जो लोग कैंसर के रोगी है उन्हें 3 चम्मच अलसी का तेल पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर लेना चाहिए।
 *स्वस्थ व्यक्ति रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ या फिर दाल और सब्जी के साथ ले सकते है| *स्वस्थ व्यक्ति इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम ले सकता है| अलसी को सूखी कढ़ाई में रोस्ट कीजिये और मिक्सी में पीस लीजिये| लेकिन एकदम बारीक मत कीजिये और दरदरे पीसिये| भोजन के बाद इसे सौंफ की तरह खाया जा सकता है|
 *दमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचाते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये|
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29.10.21

नमक के पानी से नहाने से होते हैं कई रोग दूर :Salt Water Bath

 

अगर आप अपने नहाने के पानी में नमक डालकर नहाएं तो आप कई बीमारियों और इंफेक्शन से बच सकते हैं। जी हां, नमक के पानी से नहाने से कई रोग दूर हो जाते हैं। जब आपको तेज बुखार हो तो ऐसे में आप गुनगुने पानी में एक से दो चम्मच नमक और कुछ बूंद नारियल का तेल डालकर नहाने से आपको जुकाम और सर्दी में राहत मिलती है।

नमक का शरीर में योगदान – 

  सोडियम और क्लोराइड का कॉम्बिनेशन यह प्राकृतिक मिनरल सीधे धरती से क्रिस्टल के रूप में हमारे पास आता है। सुमद्री नमक में यह प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। नमक एक ऐसा प्राकृतिक खजाना है, जिसमें कई पोषक तत्व छिपे होते हैं जो हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी हैं। नमक हमें सल्फर, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, सिलिकन, बोरोन, पोटैशियम, ब्राोमाइन और स्ट्रोन्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स प्रदान करता है। अपने बेहतरीन मिनरल कंटेंट के कारण नमक वजन कम करने, स्किन को खूबसूरत बनाने, अस्थमा के लक्षण कम करने, ब्लड शुगर स्तर दुरुस्त करने, शरीर के दर्द को कम करने और दिल को सेहतमंद रखने में भी मददगार है। नमक के पानी से नहाने के लिए आपका बीमार होना जरूरी नहीं है। यह क्लींजिंग और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी बहुत अच्छा होता है।
नमक के पानी में मौजूद तत्व फंगल इंफेक्शन बढ़ने से रोकते हैं। रोज इससे नहाने पर डैंड्रफ में काफी आराम मिलता है।   यह आपकी त्वचा के लिए अच्छा है यदि अपने प्राकृतिक और शुद्ध रूप से इस्तेमाल किया जाए तो नमक के   पानी में कई मिनरल्स और पोषक तत्व होते हैं जो आपकी त्वचा को जवां बनाते हैं| मैग्नीशियम, कैल्शियम, ब्रोमाइड, सोडियम जैसे मिनरल्स त्वचा के रोम छिद्रों में प्रवेश करते हैं| ये त्वचा की सतह को साफ़ कर इसे स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं|
  इतना ही नहीं मांशपेशियों का दर्द भी नमक वाले पानी से नहाने से दूर हो जाता है। इसके साथ ही यह आपके शरीर में कैल्शियम की कमी भी दूर करता है और आपके नाखून को मजबूत बनाए रखता है। नमक के पानी से नहाने से खुजली की समस्या दूर होती हैं और आपको नींद भी अच्छी आती है, व आपका दिमाग तरोजाजा रहता है। लगातार नमक के पानी से नहाने से आप खुद को पहले से ज्यादा अच्छा महसूस करते हैं।

यह त्वचा को जवां बनाये रखता है 

नियमित रूप से नमक के पानी से नहाने से दाग और झुर्रियां कम होती हैं| त्वचा नरम और मुलायम बनती है| यह त्वचा को फुलावट भरा बनाता है और स्किन मॉइस्चर का संतुलन बनाये रखता है|

यह डिटॉक्सीफिकेशन बढ़ाता है 

नमक के पानी से नहाने से त्वचा से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं| गर्म पानी त्वचा के रोम छिद्रों को खोलता है| इससे मिनरल्स त्वचा के अंदर जाकर गहराई तक सफाई करते हैं| नमक का पानी जहरीले और नुकसानकारी पदार्थों और बैक्टीरिया को त्वचा से बाहर निकालता है और इसे जवां बनाता है|
 यह कई समस्याओं का समाधान करता है| यह ऑस्टियोआर्थराइटिस और टेन्डीनिटिस के इलाज में भी कारगर है| ऑस्टियोआर्थराइटिस हड्डियों की खराबी से सम्बंधित बीमारी है और टेन्डीनिटिस नसों की सूजन से सम्बंधित बीमारी है| नमक के पानी से नहाने से खुजली और अनिद्रा का ईलाज भी होता है|

एसिडिटी के ईलाज में कारगर

एसिडिटी एक ऐसी समस्या है जिससे आजकल अधिकतर लोग ग्रसित हैं| इसके ईलाज के लिए महँगी और साइड इफ़ेक्ट करने वाली दवाइयों की बजाय आप नमक के पानी से नहाने के नुस्खे को आजमा सकते हैं| क्षारीय प्रकृति के कारण यह अम्ल की मात्रा को कम करने में मददगार है|

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है

नमक के पानी से स्नान शारीरिक के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है| इस पानी से स्नान करने के बाद आप ज्यादा शांत, खुश और आराम महसूस करेंगे| यह एक शानदार स्ट्रेस बस्टर है| यह मानसिक शांति भी बढ़ाता है|
*यह मांसपेशियों में दर्द और ऐंठनको भी ठीक करता है नमक के पानी से नियमित स्नान कर ऐंठन को भी ठीक किया जा सकता है| यह गठिया, शुगर या अन्य किसी चोट के कारण हुए मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन को भी ठीक कर देता है|

अच्छी नींद आती है

नमक के पानी से नहाने पर थकान और स्ट्रेस दूर हो जाता है। इससे दिमाग को शांति मिलती है और रात में अच्छी नींद आती है। यह पैरों की मांसपेशियों के लिए भी लाभकारी है
पैरों पर शरीर में सबसे ज्यादा दबाव पड़ता है| ये अधिकतर समय मूव करते हैं और शरीर को सपोर्ट प्रदान करते हैं| इससे यहाँ की मांसपेशियां मुलायम हो जाती है और इनमे जूते चप्पलों के कारण छाले भी हो जाते हैं| नमक के पानी से नहाने से मांसपेशियों में दर्द और जकड़न से निजात मिलती है| यह पैरों की दुर्गन्ध को भी दूर करता है |
  
इंफेक्शन

नमक के पानी में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, सोडियम जैसे मिनरल्स होते हैं। ये स्किन के पोर्स में जाकर सफाई करते हैं। इससे स्किन इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है।   यह स्किन को मॉइस्चराइज करता है
त्वचा के लिए मॉइस्चराइजिंग बहुत जरूरी है| नमक के पानी में मौजूद मैग्नीशियम त्वचा में पानी को ज्यादा देर तक रोकता है| इससे त्वचा मॉइस्चराइज होती है और त्वचा की कोशिकाओं की ग्रोथ भी ज्यादा होती है

हेल्दी हो जाते हैं बाल

इसके पानी से नहाने पर ब्लड सर्कुलेशन अच्छा हो जाता है। साथ ही बालों के बैक्टीरिया भी खत्म होते हैं। इसलिए नमक के पानी से सिर धोने पर बाल हेल्दी और शाइनी हो रहते हैं। ध्यान रहे नमक की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। इतना नमक न मिलाएं कि पानी खारा हो जाए।
   नमक के पानी से नहाने पर हड्डियों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। इससे ऑस्टियोऑर्थराइटिस और टेंडीनिटिस जैसी जॉइंट पेन की समस्या में आराम मिलता है।

झुर्रियां करे दूर –

नमक वाले पानी में व्याप्त मिनरल्स इतने गुणवान हैं कि ये स्किन पर आने वाली झुर्रियों को रोकने में सहायक है। यही नहीं स्किन के दाग- धब्बे भी धीरे- धीरे कम होते जाते हैं।

फेयरनेस

   नमक का पानी स्किन की डेड सेल्स को निकालने में मदद करता है। रोज इसके पानी से नहाएंगे तो स्किन सॉफ्ट और ग्लोइंग बनेगी। रंग भी खिलेगा|

जोड़ों के दर्द में राहत

जोड़ों के दर्द की समस्या में भी नमक के पानी से नहाने के फायदे देखे गए हैं। एक रिसर्च के मुताबिक गर्म पानी में एप्सम साल्ट मिलाकर प्रयोग करने से घुटने के दर्द और गठिया रोगियों में होने वाले जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है। इसके साथ ही शोध में इस बात का भी जिक्र है कि बाथ साल्ट पुरानी सूजन को कम करने में भी प्रभावी हो सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि जोड़ों के दर्द के घरेलू उपाय के तौर पर नमक के पानी से नहाना कुछ हद तक राहत दिला सकता है।

स्किन में नमी –


नमक वाले पानी से नियमित स्नान स्किन को साफ करके नरम और कोमल भी बनाता है। नमक में निहित मैग्नीशियम स्किन में पानी को देर तक बनाए रखता है। इससे स्किन में नमी का संतुलन बना रहता है और स्किन में कसावट भी आती है।
                                
मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन के लिए फायदेमंद –

यदि आपकी मांसपेशियों में अकसर दर्द और ऐंठन रहती है तो आप आज से ही नमक के पानी से नहाना शुरू कर दें। इससे मांसपेशियां मुलायम होने के साथ ही रिलैक्स भी होती हैं। साथ ही नमक के पानी से नहाने से शरीर की बदबू भी दूर होती है। किसी सर्जरी या चोट के बाद भी नमक युक्त पानी का स्नान शरीर को तेजी से ठीक होने में मदद करता है। गुनगुने पानी में मैग्नीशियम युक्त नमक मिलाकर नहाने से मसल स्पैस्म्स और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द से भी काफी राहत मिलती है। दिन भर की थकान के बाद होने वाले शारीरिक दर्द से भी यह छुटकारा दिलाता है।
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26.10.21

खून का थक्का जमने का विकार और उपचार:Blood Clotting




 

अमूमन लोगों से पैर या शरीर के किसी अंग में सुन्‍नता की शिकायत सुनने को मिलती है, जिसके बारे में लोगों को बहुत कम ही पता चल पाता है। विशेषज्ञों की मानें तो ये समस्‍या खून के थक्‍के होने के कारण होता है। खून के थक्‍के ज्‍यादातर पैरों में यानी पैर की नसों में पाए जाते हैं। चलने में समस्‍या, सुन्‍नता, दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। खून के थक्‍के की समस्‍या की अनदेखी करना खतरनाक हो सकता है। पैरों की जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो ए‍क चेन रिएक्‍शन होता है जिसके अंत में खून के थक्‍के जमने लगते हैं, जिसके कारण रक्‍त का बहाव रूक जाता है और शरीर में रक्‍त को जमाने वाले फार्मेंटर की मात्रा बढ़ जाती है।

हालांकि खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट अपने आप बनता है और यह सामान्य प्रक्रिया में क्षतिग्रस्त नलिकाओं की मरम्मत करने का भी काम करता है। ऐसा न हो तो चोट लगने पर शरीर में खून का बहाव रोकना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा। हमारे प्लाज्मा में मौजूद प्लेटलेट्स और प्रोटीन, चोट की जगह पर रक्त के थक्के का निर्माण करके रक्त के बहाव को रोकते हैं। आमतौर पर चोट के ठीक होने पर खून का थक्का अपने आप घुल जाता है। लेकिन खून के थक्के के न घुलने और लंबे समय तक बने रहने पर सेहत के लिए खतरनाक होता है, जिसके लिये सही जांच एवं उपचार की जरूरत होती है। बिना उपचार लंबे समय तक रहने पर रक्त के थक्के धमनियों या नसों में चले जाते हैं और शरीर के किसी भी हिस्से जैसे आंख, हृदय, मस्तिष्क, फेफड़े और गुर्दे आदि में पहुंच उन अंगों के काम को बाधित कर देते हैं।
खून का गाढ़ा होने का मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी नहीं|इससे छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरागलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार, अक्सर लोग सोचते हैं कि खून का गाढ़ा होना मतलब स्वस्थ शरीर की निशानी है। आपको बता दें कि खून का गाढ़ा होना कई कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है। इससे आपको छोटे-छोटे थक्के बनना, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।शरीर के सभी हिस्सों को सही से कार्य करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम खून करता है। ऐसे में खून के गाढ़ा होने से कई परेशानियां हो सकती हैं।
आजकल बहुत से लोगों में खून के गाढ़ेपन की समस्या आम सुनने को मिल रही है। इसके लिए कहीं न कहीं हमारा गलत खानपान और बिगड़ता लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार है।

खून में थक्‍के के कारण-

सारा दिन किसी एक स्‍थान या दफ्तर में लगातर बैठ कर काम करने से खून में थक्के की समस्‍या होती है। इसके अलावा इसके स्वभाविक कारणों में बुढ़ापा, मोटापा, धूम्रपान की लत, वैरिकॉज वेन्स (कुछ मामलों में), लंबे समय लेटे रहने पर (हड्डी जोड़ने के लिये प्लास्टर लगने के कारण, कोई ऑप्रेशन होने के कारण, लंबे सफर में, इत्यादि) तथा हार्मोंन असंतुलन के कारण (कुछ मामलों में) भी खून में थक्‍के की समस्या हो सकती है। एक नए शोध के अनुसार, जो लोग लगातार 10 घंटे तक काम करते हैं और इस दौरान कोई विराम नहीं लेते तो उनमें खून के थक्के जमने का खतरा दोगुना हो जाता है। यह अध्‍ययन काम के बीच लिए जाने वाले विराम के महत्त्‍व को दिखाता है।
आपके हाथ या पैर की गहरी नसों में बनने वाले थक्के को डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) कहा जाता है। इस तरह के थक्के काफी खतरनाक होते हैं क्योंकि ये आसानी से आपके दिल या फेफड़ों तक जा सकते हैं। जिस जगह आपको थक्के बनते हैं वहां आपको सूजन, दर्द, ऐंठन, सनसनी और खुजली हो सकती है।
इसके अलावा त्वचा का रंग गहरा लाल या नीला पड़ जाए तो यह भी ब्लड क्लॉट का संकेत हो सकता है।
चक्कर आना आँखों के आगे अँधेरा छा जाना या किसी भी शरीर के किसी अंग में सुन्नपन ये सब शरीर के किसी भी भाग में (Blood) खून के थक्के होने के कारण होता है डीप वेन थ्रोमबोसिस (डीवीटी) बीमारी है शरीर की नसों में (Blood) खून जमने की. ये ब्लड क्लॉट आम तौर पर पैरों की नसों में पाए जाते हैं. हालांकि ये एक बहुत ही आम बीमारी है लेकिन अनदेखी करने पर थ्रोमबोसिस जानलेवा भी हो सकती है.जब कोई नस काम करना बंद कर देती है तो हमारे शरीर में एक चेन रियेक्शन होता है जिसके अंत में खून के थक्के जमने लगते हैं जिससे इंसान का  खून बहना बंद हो जाता है. जिसे थ्रौमबोसिस नाम की ये बीमारी होती है उसके शरीर में खून को जमाने वाले इस किण्वक की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है.

खून का थक्का जमने के लक्षण

खून का थक्का जमने के जो शुरुआती लक्षण होते हैं उनका पता कर पाना संभव नहीं होता है। असल में शुरुआत में जो प्रभावित हिस्सा होता है वो लाल पड़ जाता है और पैरों में हल्का दर्द होता है जिसे लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर उन लक्षणों को अनदेखा करने से ही व्यक्ति को आगे चलकर बहुत बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। खून के थक्के जमने के और भी कई लक्षण हैं जो निम्न हैं–
पसीना आना और इसके साथ ही हरदम घबराहट होना।
अचानक से कमज़ोरी महसूस करना।
चेहरे या हाथों–पैरों का अचानक से सुन्न हो जाना।
चलने में समस्या आना।
मस्तिष्क पर प्रभावी पड़ना जैसे कि सुनने समझने में दिक्कत महसूस करना।
संतुलन बनाने में दिक्कत होना।
जो प्रभावित हिस्सा होता है उसमें सूजन, दर्द और गरमाई महसूस करना।
बार–बार सिर चकराना।
गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से भी इसकी समस्या हो जाती है।
मोटापे की वजह से खून के थक्के जम जाते हैं।
मोनोपॉज़ यानी कि जिनकी मासिक धर्म की क्रिया समाप्त हो जाती है उन्हें भी इस समस्या से जूझना पड़ सकता है।
हल्दी
हल्दी में कुदरती औषधिय गुण होते हैं। यह ब्लड क्लॉटिग रोकने में भी बहुत कारगर है। हफ्ते में 2 या 3 बार हल्दी वाला दूध पीएं। कच्ची हल्दी का सेवन भी खून के गाढ़ेपन को ठीक करने का काम करती है।
लहसुन
लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में जमा फ्री रेडिकल को खत्म करने का काम करते हैंश जिससे ब्लड प्रैशर सामान्य रहता है और यह खून के प्रवाह को संतुलित करने के साथ खून को पतला करने में भी मददगार है।
फाइबर फूड
खून तो पतला करने के लिए आहार में फाइबर युक्त आहार को जरूर शामिल करें। ब्राउन राइस, होव वीट, मक्का, गाजर, ब्रोकली, मूली, सेब, शलजम, ओट्स आदि का सेवन करें।
फिश ऑयल
फिश ऑयल खून को पतला करने में मददगार है। चिकन,मटन को छोड़कर मछली के तेल का सेवन करें। डॉक्टर की सलाह से फिश फिश ऑयल के टैबलेट्स भी ले सकते हैं।
केयेन मिर्च
मसालेदार खाना खाने के शौकीन हैं तो केयेन मिर्च को खाने में शामिल करें। इसमें खून को पतला करने के लिए उच्च मात्रा में सेलिसिलेट होता है। जो ब्लड प्रेशर को सामान्य रखकर ब्लड सर्कुलेशन नियमित करने के साथ खून को भी पतला करता है।
यह भी हैं कुछ उपाय
पसीना आना जरूरी
खून को साफ और गाढ़ा होने से बचाने के लिए शरीर से पसीना बहाना बहुत जरूरी है। एक्सरसाइज या फिर योग के लिए समय जरूर निकालें।
गहरी सांस लें
सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन सेहत के लिए बहुत अच्छी है। गहरी सांस लेने से फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है। जिससे रक्त संचार सही रहता है।
डेड स्किन निकालें
त्वचा पर जमा डेड स्किन रोम छिद्रों को बंद कर देती है। जिससे रक्त संचार भी प्रभावित होता है। महीने में 1-2 बार मैनी क्योर और पैडी क्योर जरूर करवाएं। इससे डैड स्किन सैल निकल जाते हैं और खून की दौरा भी बेहतर हो जाता है।
सेंधा नमक डालकर स्नान करें
अगर आप इस मौसम में बार बार नहाने का बहाना ढूंढते हैं तो यह एक फायदेमंद बहाना है। सेंधा नमक स्वस्थ ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। अगली बार जब भी आप आरामदायक स्नान के बारे में सोचे तो बबल बाथ की जगह सेंधा नमक को पानी में डालकर नहाएं।
सुबह की सैर
हेल्दी रहना है तो जब सूरज उगता है उस समय वॉक पर जाएं। सुबह के समय शुद्ध ऑक्सीजन का स्तर थोड़ा ज्यादा होता है, ये सेहत के लिए बहुत अच्छी मानी गई है। गहरी सांसें लें, इससे आपके फेफड़ों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती हे, जिससे आपकी बॉडी का ब्लड फ्लो सही बना रहता है। सुबह सवेरे वॉक करने से आप तरोतजा महसूस करते हैं।
*काली चाय यानी ब्लैक टी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि काली चाय खून को गाढ़ा बनने से रोकती है जिस वजह से धमनियों में खून का थक्का जमने से रूकता है। यह नसों में खून के प्रभाव को सरल बनाती है जिस वजह से ब्लडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो भी आपको खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
वजन को नियंत्रित करें।
फल, सब्जियों और अनाज का सेवन अधिक और नमक और फैट का सेवन कम करें।
धूम्रपान छोड़े और कम मात्रा में शराब का सेवन करें।
ब्‍लड प्रेशर की नियमित जांच करवायें।
अगर आप रोजाना एक सेब या संतरा खाते हैं तो आपको ब्लड क्लॉट यानी (Blood) खून के थक्के जमने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
हावर्ड मेडिकल स्कूल की एक टीम ने पाया है कि सेब, संतरा और प्याज में ‘रूटिन’ नामक रसायन धमनियों और शिराओं में (Blood) खून के थक्के जमने से रोक सकता है। उनका मानना है कि ‘रूटिन’ ब्लैक और ग्रीन टी में भी हो सकता है। इसका इस्तेमाल भविष्य में दिल का दौरा पडऩे से बचाने के लिए इलाज के तौर पर हो सकता है।
शरीर के इन 5 अंगों में खून का थक्का बनने पर जा सकती है जान
फेफड़े
शरीर के अलग-अलग अंगों में थक्का बनने पर आपको अलग-अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। फेफड़े में खून का थक्का (blood clot) बनने से आपकी धड़कन तेज हो सकती है, सीने में दर्द हो सकता है, खांसी में खून आ सकता और सांस की तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत अस्पताल पहुंचें।
दिल
दिल में खून का थक्का बनने पर आपको फेफड़ों में थक्के के समान लक्षण महसूस हो सकते हैं। लेकिन अगर आपको दिल का दौरा पड़ा है, तो आपको सीने में दर्द के साथ मतली और उल्टी भी महसूस हो सकती है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचे।
मस्तिष्क
जब रक्त सामान्य रूप से प्रवाहित नहीं हो पाता है तो मस्तिष्क पर दबाव बनना शुरू हो जाता है। खून का थक्का बनने से मस्तिष्क में गंभीर रुकावट पैदा हो सकती है, और कभी-कभी स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है। रक्त से ऑक्सीजन के बिना आपके मस्तिष्क की कोशिकाएं मिनटों में मरना शुरू हो जाती हैं। आपके मस्तिष्क में मौजूद थक्का सिर के एक हिस्से में दर्द, भ्रम, दौरे, बोलने में परेशानी और कमजोरी का कारण बन सकता है।
पेट
अक्सर इसके कोई खास लक्षण सामने नहीं आते हैं। पेट और भोजन नली की नसों में थक्का बनने से कट लग सकता है, जिससे ब्लड निकल सकता है। ये आपको बहुत ज्यादा परेशान कर सकता है। आपको खून की उल्टी हो सकती है या फिर आपको मलत्याग में कालापन और बहुत ज्यादा बदबू आ सकती है।
किडनी
खून के थक्के किडनी में आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं और ये समस्या ज्यादातर व्यस्कों में देखने को मिलती है। इसके लक्षणों का पता आपको तब तक नहीं लगता है जब तक इसका एक टुकड़ा टूटकर आपके फेफड़ों में नहीं फंस जाता है। दुर्लभ मामलों में ये बच्चों में होते हैं और इसके कारण बच्चों तो मतली, बुखार और उल्टी हो सकती है। आपको पेशाब में भी खून दिखाई दे सकता है।
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23.10.21

मरुआ पौधे के औषधीय गुण और फायदे:Marua ke fayde




  मरुआ का पौधा सम्पूर्ण भारत में सभी जगह आसानी से उगाया जा सकता है इसका पौधा तुलसी के जैसा ही होता है इसका पौधा अत्यंत ही सुगन्धित होता हे इसके फूल सफ़ेद और बैंगनी कलर का होता है जो तुलसी के पौधे के सम्मान ही होता हे
 बारीश के मौसम और सर्दी के मौसम में मच्छर और कीड़े मकोड़ों का प्रभाव बहुत ही बढ़ जाता हे जिसके कारण लोग बीमारियों का शिकार होने लगते हे जब मरुआ का पौधा आप घर के अंदर लगाते हे तब घर के अंदर मच्छर और कीड़े का प्रभाव कम होने लगता हे
 मरुआ के पौधे का घरेलु दवाओं में आसानी से जड़ , पत्तो ,फूलो , फलो ,जड़ का चूर्ण ,टहनियों , पत्तियों , पौधे का चूर्ण का उपयोग घेरलू दवाओं में किया जाता हे
 मरुआ के पौधे का उपयोग रोग में – गठिया रोग में , मासिक धर्म , पैट दर्द में , सरदर्द में दस्त में , पेचिस में , चोट-मोच में , दर्द में , कब्ज में , सूजन में ,घर में कीड़े मकोड़े और मछर में मरुआ के पौधे का उपयोग , जोड़ो के दर्द में घेरलू और ओषधिय चिकित्सा में प्रयोग किया जाता हे
घर में कीड़े मकोड़े और मछर में मरुआ के पौधे का उपयोग
 बारिश के मौसम में बहुत से कीड़े मकोड़े और मछर की संख्या बहुत जयादा हो जाती हे बारिश के मौसम में घर में एक मरुआ का पौधा लगाने से घर में कीड़े मकोड़े – मछर का प्रभाव कम हो जाता हे और घर में सोंधी महक फैलाता रहेगा
 मरुआ के पौधे को घर के बिच या गमले में लगा कर घर के किसी भी कोने में रख सकते हे इसकी साइज भी तुलसी के जितनी ही होती हे जिस घर में मरुआ का पौधा होता हे वहा डेंगू और मलेरिया का खतरा बहुत कम होता हे और वातावरण शुद्ध होता हे

सूजन में मरुआ 


मरुआ के पौधे की पत्तियों और टहनियों को पानी उबाल कर सूजन वाली जगह बफारा देने से और गर्म पानी से मालिस करने से भी शरीर में सूजन कम होगा और सूजन के दर्द में भी फायदा होता हे

पेचिस में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों को मलकर पेट पर मालिस करने के बाद हलकी सिकाई करने से तीव्र पेचिस में भी फायदा होता हे

दर्द में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों और टहनियों को पानी उबाल कर सूजन की जगह गर्म पानी से मालिस करने से दर्द में भी फायदा होता हे

खुनी दस्त में मरुआ 

मरुआ के पौधे की पत्तियों का काढ़ा बना कर सुबह-शाम-दोपहर रोजाना पिलाने से खुनी दस्त में भी फायदा होता हे

सिर दर्द में मरुआ 

मरुआ की ताजा पत्तियों का शीत निर्यास बनाकर सेवन करने से सिर दर्द में बहुत ही फायदा होगा

TB [ टी.बी ] रोग में

टी.बी रोग में मरुआ की ताजा जड़ का 5 ग्राम रस को सुबह – शाम सेवन करने से रोग में बहुत ही जल्दी फायदा होगा

पेट दर्द में मरुआ 

पेट दर्द में मरुआ की पत्तियों और बीजो का चूर्ण बना कर 5 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिला कर सुबह – शाम उपयोग करने से पेट दर्द में फायदा होता हे

मासिक धर्म में 

मासिक धर्म में मरुआ का 20 ग्राम का फाट बना कर नियमित रूप से सेवन करने से रज विकारो में फायदा होता हे

चोट- मोच में

मरुआ के तेल की मालिस सुबह -शाम चोट वाली जगह पर लगाने से चोट – मोच में आश्चर्य जनक फायदा होगा

कब्ज में मरुआ के फायदे

कब्ज में मरुआ का 20 ग्राम के लगभग का फाट बना कर पीने से कब्ज में जबरदस्त फायदा होगा

गठिया रोग में मरुआ

गठिया के रोगी को मरुआ के पंचांग [ पत्ती , टहनिया , फूल , जड़ ,बीज ] का काढ़ा 20-30 मिली के लगभग बनाकर रोगी को दिन में 2 से 3 बार पिलाने से गठिया के रोग में फायदा होता
मरुआ की चटनी बहुत ही आसानी से आप बना सकते हे इसके लिए आप को इन चीजों की आवश्यकता होगी
एक कप मरुआ की पत्तिया
एक निम्बू
एक नमक की चमच
1 से 2 हरी मिर्च
इन सभी की मात्रा आप अपनी आवश्यकता के अनुसार बड़ा सकते हे
चटनी बनाने की विधि
सभी पत्तियों और निम्बू , मिर्च को सबसे पहले धो ले
अब आप इन सभी सामान को मिक्सी में दाल दे
इसमें आप 1 कप पानी मिला सकते हे
अब आप इनको मिक्सी में अच्छी तरह पीस ले
अब पूरी तरह चटनी तैयार हे
आप चटनी को पत्थर पर भी पीस सकते हे
मरुआ का पौधा घर में रहता हे तो घर में सांप कीड़े – मकोड़े मछर नहीं आते हे जिससे घर का वातावरण सुगन्धित रहता हे और घर महकता रहता हे मरुआ के पौधे के चमत्कारी और आयुर्वेदिक गुण बहुत से हे|
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    22.10.21

    ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने के घरेलू उपाय,increase blood platelets





    डेंगू का संक्रमण होने पर रोगी के प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य रूप से ब्लड में एक लाख पचास हजार से 4 लाख पचास हजार प्लेटलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होते हैं। जब इनकी संख्या एक लाख पचास हजार से कम होती है तो ऐसा माना जाता है कि संबंधित व्यक्ति में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो गई है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स की संख्या बड़ी तेजी से घटती है। ऐसे में अगर इनके कम होने को नियंत्रित न किया जाए तो स्थित गंभीर हो सकती है। प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में कुछ आहार आपकी मदद कर सकते हैं। ये प्राकृतिक रूप से प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मददगार होते हैं।

    बुखार आने पर क्या करें


    इसका उपाय एक ही है, ऐसी स्थिति में बुखार के समय मरीजों को उनका प्लेटलेट काउंट समय-समय पर चैक करवाते रहना चाहिए। जिससे आप अपने प्लेटलेट्स को कम होने से रोक सकें। इसके साथ-साथ आपको अपने आहार में प्लेटलेट्स बढ़ाने वाले पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए।

    क्‍या हैं प्लेटलेट्स

    प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो खासतौर पर बोनमैरो में पाई जाती हैं। हमारे शरीर में प्लेटलेट्स की कमी इस बात को दिखाती है कि खून में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हो रही है। प्लेटलेट्स कम होने की इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है।

    एक स्वस्थ व्यक्ति में प्लेटलेट्स की संख्या कितनी होनी चाहिए?

    एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब ये काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है, तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है।

    प्लेटलेट्स कम होने का कारण


    दवाओं के सेवन से
    आनुवंशिक रोगों
    कुछ प्रकार के कैंसर
    कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट
    बुखार जैसे डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया

    चुकंदर –

    चुकंदर प्राकृतिक एंटीऑक्‍सीडेंट और हेमोस्टैटिक गुणों से भरपूर होता है। अगर दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिया जाये तो ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से बढ़ते हैं। साथ ही साथ इसमें मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाते हैं।

    पपीता – 

    पपीते के फल और पत्तियां दोनों ही प्‍लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार हैं। डेंगू बुखार में गिरने वाले प्‍लेटलेट्स को पपीता के पत्ते के रस के सेवन से तेजी से बढ़ाया जा सकता है। आप चाहें तो पपीते की पत्तियों को चाय की तरह भी पानी में उबालकर पी सकते हैं।

    आंवला

    ये एक आयुर्वेदिक उपचार है। आंवले में मौजूद विटामिन-सी शरीर में प्लेटलेट्स का उत्पादन बढ़ाता है, इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है। इसका नियमित सेवन करना बेहद जरूरी है। इसके लिए हर दिन सुबह खाली पेट 3 से 4 आंवला खाएं। आप इसका सेवन चुकंदर के जूस में डालकर भी कर सकती हैं।

    पालक –

    दो कप पानी में 4 से 5 ताजा पालक के पत्तों को डालकर कुछ मिनट के लिए उबाल लें। इसे ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इसमें आधा गिलास टमाटर मिला दें। इसे मिश्रण को दिन में तीन बार पिएं।

    गिलोय –

     गिलोय का जूस प्‍लेटलेट्स को बढ़ाने का सर्वोत्तम उपाय है। इससे आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। दो चुटकी गिलोय के सत्व को एक चम्मच शहद के साथ दिन में दो बार लें या फिर गिलोय की डंडी को रात भर पानी में भिगो कर सुबह उसका छना हुआ पानी पी लें। ब्‍लड में प्‍लेटलेट्स बढ़ने लगेंगे।
    इसके अलावा आप पालक का सेवन सूप, सलाद, स्‍मूदी या सब्‍जी के रूप में भी कर सकते हैं।

    नारियल पानी – 

    नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके अलावा यह मिनिरल्स का भी अच्छा स्रोत है जो शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं।
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