21.3.20

दिल की धड़कन असामान्य होने के कारण और उपाय //dil ki dhadkan




दिल की धड़कन बिगड़ने को अतालता भी कहते है। इसमें हृदय की धड़कन असामान्‍य हो जाती हैं। ऐसे में हार्ट बीट या तो रूक-रूक कर या बहुत तेज हो जाती है। बहुत तेज धड़कनों को टेककार्डिया और धीमी धड़कनों को ब्रैडीकार्डिया कहते हैं।

अक्‍सर कई बार हम सभी के दिल की धड़कन असमान हो जाती है, मसलन दौड़ने पर या कोई खुशी की खबर मिलने के मौके पर। दिल की असमान धड़कन बार-बार होना या ज्‍यादा होना हानिकारक भी हो सकती है। यदि आपकी दिल की धड़कन न्‍यूनतम 60 और अधिकत 85 प्रति मिनट है तो यह सामान्‍य होती है। यदि आपके दिल की धड़कन इससे कम या ज्‍यादा होती है तो चिंता की बात हो सकती है। इस लेख के जरिये हम बात करते हैं दिल की असमान धड़कन के लक्षण और कारणों के बारे में।
असामान्य धड़कन के लक्षण
यह जरूरी नहीं कि यदि किसी व्‍यक्ति में दिल की असमान धड़कन से संबंधित लक्षण पाये जाते हैं तो उसे ह्दय संबंधी बीमारी हो। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ रोगियों में हृदय की असमान धड़कन होने का कोई भी लक्षण न मिलें और डॉक्‍टर उनकी जांच के बाद उसके दिल की असमान धड़कन होने की पुष्टि कर दें। इसके लक्षण होने पर यह भी जरूरी नहीं कि उसे गंभीर समस्‍या हो। उसी तरह कुछ रोगियों को कोई भी लक्षण नहीं होने पर उनकी समस्‍या गंभीर हो सकती है। दिल की असमान धड़कन के कुछ लक्षण निम्‍नलिखित हैं।
सांस लेने में तकलीफ होना
कई बार कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। यदि ऐसी समस्‍या ज्‍यादा हो तो डॉक्‍टर से परामर्श लें और उचित उपचार कराना चाहिए।
चक्‍कर आना
कभी- कभी चक्‍कर आने पर नहीं बल्कि आपको या आपके मित्र को अक्‍सर चक्‍कर आने की शिकायत रहती है तो हो सकता है कि उसका रक्‍त संचार बाधित हो रहा हो। ऐसे में दिल की असमान धड़कन होने की भी आशंका होती है।
अचानक बेहोश हो जाना
अचानक किसी का बेहोश होने भी इस रोग का बड़ा लक्षण होती है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को हल्‍के में नहीं लेना चाहिए और डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए।
छाती में धड़कन होना
छाती में तेज या हल्‍की धड़कन होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। धड़कन हल्‍की हो या तेज दोनों ही खतरनाक हो सकती हैं।
अचानक कमजोरी आना
शरीर में अचानक कमजोरी महसूस करना या कमजोरी की वजन से किसी काम में मन न लगना इसका लक्षण हो सकता है।
एकाग्रता की समस्‍या होना
जिन लोगों को दिल की असमान धड़कन की शिकायत होती है उनमें अक्‍सर एकाग्रता की कमी पायी जाती है। ऐसा व्‍यक्ति कई बार लोगों को पहचानने में कनफ्यूज भी हो जाते हैं।
व्‍यायाम करने में परेशानी
दिल की असामान्‍य धड़कन वाले रोगियों को दौड़ने, पैदल चलने या फिर कोई मेहनत का काम करने में परेशानी होती है। इन्‍हें थोड़ा सा काम करने पर बहुत ज्‍यादा थकान का अनुभव होता है। ये ज्‍यादा लंबे समय तक काम नहीं कर पाते।
छोटी-छोटी सांसे आना
इस प्रकार के रोगियों में अक्‍सर छोटी सांसे आने की शिकायत भी पाई जाती है।
दिल की असामान्‍य धड़कन दिल की कमजोरी का प्रतीक होती है। इससे रक्‍त संचार बढ़ जाता है। दिल का आकार बढ़ने पर धड़कन बिगड़ने की शिकायत आम होती है। कई बार आपने अपने अड़ौस-पड़ौस में भी किसी के दिल का आकार बढ़ने के बारे में सुना होगा। दिल की असामान्‍य धड़कन के निम्‍न लिखित कारण हैं।
एनीमिया से ग्रसित होना
मोटे व्‍यक्ति को ऐसी समस्‍या हो सकती है।
अस्‍थमा की बीमारी होना
फेफड़ों में रक्‍त के थक्‍के जमे होना
थाइराइड की समस्‍या
फेफड़ों में इनफेक्‍शन
ज्‍यादा परिश्रम करना
बुखार या डिहाइड्रेशन की समस्‍या
शरीर में खून की कमी होना
दवाईयों का साइड इफेक्‍ट होना
धूम्रपान
हाई ब्‍लड प्रेशर
डायबिटीज
तनाव
वायु प्रदूषण
घरेलू आयुर्वेदिक उपाय -

अनार के पत्तों का घोल
आनार के 50 पत्ते पीसकर एक गिलास पानी मे मिलाकर दिन मे 2 बार सुबह शाम पीने से हृदय गति सामान्य होने मे मदद मिलती है |
प्याज-
एक कच्चा प्याज नित्य खाना हृदय गति को सामान्य बनाने मे सहायक है|प्याज का रस हृदय की कई बीमारियों मे लाभप्रद माना गया है|
*पैर के अंगूठे मे काला धागा बांधने से हृदय रोगों मे आशातीत फायदा होता है|औरतों मे ज्यादा प्रभावशाली उपाय है|
सूखा धनिया-
हृदय गति सामान्य करने के लिए सूखा धनिया और मिश्री समान मात्रा मे मिलाकर चूर्ण बनालें |एक चम्मच रोज पानी के साथ लें|
अंगूर
अंगूर का नियमित सेवन करना हृदय की धड़कन को सामान्य बनाने मे सहायक उपाय है|
गाजर-
हृदय कि धड़कन बढ़ने और रक्त गाढ़ा होने मे गाजर विशेष रूप से प्रभावकारी होती है|
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    11.3.20

    याददाश्त (मेमोरी पावर)बढ़ाने के आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

    स्मरण शक्ति की कमजोरी या विकृति से विद्यार्थी और दिमागी काम करने वालों को असुविधाजनक स्थिति से रुबरु होना पडता है। यह कोई रोग नहीं है और न किसी रोग का लक्षण है। इसकी मुख्य वजह एकाग्रता(कन्संट्रेशन) की कमी होना है। स्मरण शक्ति बढाने के लिये दिमाग को सक्रिय रखना आवश्यक है। शरीर और मस्तिष्क की कसरतें अत्यंत लाभदायक होती हैं। किसी बात को बार-बार रटने से भी स्मरण शक्ति में इजाफ़ा होता है और वह मस्तिष्क में द्रडता से अंकित हो जाती है। आजकल कई तरह के विडियो गेम्स प्रचलन में हैं । ये खेल भी मस्तिष्क को ताकतवर बनाने में सहायक हो सकते हैं|पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित पहेलियां हल करने से भी मस्तिष्क की शक्ति बढती है।
    मैं नीचे कुछ ऐसे सरल उपचार प्रस्तुत कर रहा हूं जो मेमोरी पावर बढाने मे अत्यंत उपकारी सिद्ध होते हैं--
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    १) बादाम ९ नग रात को पानी में गलाएं।सुबह छिलके उतारकर बारीक पीस कर पेस्ट बनालें। अब एक गिलास दूध गरम करें और उसमें बादाम का पेस्ट घोलें। इसमें ३ चम्मच शहद भी डालें। मामूली गरम हालत में पीयें। यह मिश्रण पीने के बाद दो घंटे तक कुछ न लें। यह स्मरण शक्ति वृद्दि करने का जबर्दस्त उपचार है। दो महीने तक करना ठीक रहेगा|
    २) ब्राह्मी दिमागी शक्ति बढाने की मशहूर जडी-बूटी है। इसका एक चम्मच रस नित्य पीना हितकर है। इसके ७ पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है। ब्राह्मी मे एन्टी ओक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति घटने पर रोक लगती है।



    ३) अखरोट जिसे अंग्रेजी में वालनट कहते हैं स्मरण शक्ति बढाने में सहायक है। नियमित उपयोग हितकर है। २० ग्राम वालनट और साथ में १० ग्राम किशमिस लेना चाहिये|






    ४) एक सेवफ़ल नित्य खाने से कमजोर मेमोरी में लाभ होता है। भोजन से १० मिनिट पहिले खाएं।
    ५) जिन फ़लों में फ़ास्फ़ोरस तत्व पर्यात मात्रा में पाया जाता है वे स्मरण शक्ति बढाने में विशेषतौर पर उपयोगी होते है। अंगूर ,खारक ,अंजीर एवं संतरा दिमागी ताकत बढाने के लिये नियमित उपयोग करना चाहिये।६) भोजन में कम शर्करा वाले पदार्थ उपयोगी होते हैं। पेय पदार्थों में भी कम चीनी का प्रयोग करना चाहिये।इन्सुलीन हमारे दिमाग को तेज और धारदार बनाये रखने में महती भूमिका रखता है। इसके लिये मछली बहुत अच्छा भोजन है। मछली में उपलब्ध ओमेगा ३ फ़ेट्टी एसीड स्मरण शक्ति को मजबूती प्रदान करता है।शाकाहारी लोग मछली के बजाय अलसी बीज का पावडर बनाकर तीन छोटा चम्मच भर पानी के साथ लेकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं|
    ७) दालचीनी का पावेडर बनालें। १० ग्राम पावडर शहद में मिलाकर चाटलें। कमजोर दिमाग की अच्छी दवा है।
    ८) धनिये का पावडर दो चम्मच शहद में मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति बढतीहै।
    ९) आंवला का रस एक चम्मच २ चम्मच शहद मे मिलाकर उपयोग करें। भुलक्कडपन में आशातीत लाभ होता है।
    १०) अदरक ,जीरा और मिश्री तीनों को पीसकर लेने से कम याददाश्त की स्थिति में लाभ होता है।

    ११) दूध और शहद मिलाकर पीने से भी याद दाश्त में बढोतरी होती है।विद्यार्थियों के लिये फ़ायदेमंद उपचार है।२५० मिलि गाय के दूध में २ चम्मच शहद मिलाकर उपयोग करना चाहिये।
    १२) तिल में स्मरण शक्ति वृद्दि करने के तत्व हैं। २० ग्राम तिल और थोडा सा गुड का तिलकुट्टा बनाकर नित्य सेवन करना परम हितकार उपचार है।
    १३) काली मिर्च का पावडर एक चम्मच असली घी में मिलाकर उपयोग करने से याददाश्त में इजाफ़ा होता है।

    १४) गाजर में एन्टी ओक्सीडेंट तत्व होते हैं। इससे रोग प्रतिरक्षा प्राणाली ताकतवर बनती है। दिमाग की ताकत बढाने के उपाय के तौर पर इसकी अनदेखी नहीं करना चाहिये।



    १५) आम रस (मेंगो जूस) मेमोरी बढाने में विशेष सहायक माना गया है। आम रस में २ चम्मच शहद मिलाकर लेना उचित है।
    १६) पौष्टिकता और कम वसा वाले भोजन से अल्जाईमर्स नामक बीमारी होने का खतरा कम रहता है और दिमाग की शक्ति में इजाफ़ा होता है इसके लिये अपने भोजन में ताजा फ़ल-सब्जियां.मछलियां ,ओलिव आईल आदि प्रचुरता से शामिल करें।
    १७) तुलसी के ९ पत्ते ,गुलाब की पंखुरी और काली मिर्च नग एक खूब चबा -चबाकर खाने से दिमाग के सेल्स को ताकत मिलती है।



    १८) गेहूं के जवारे का जूस याद दाश्त बढाने के मामले बहूत उपयोगी बताया जा रहा है| इस जूस में थोड़ी शकर और ७ नग बादाम का पेस्ट भी मिलाकर पीना अधिक गुणकारी सिद्ध होता है|


    १९) चाय में भरपूर एन्टी आक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं जो हमारी मेमोरी को धारदार बनाने में सहायक साबित होती है| इसमें पालीफीनोल तत्त्व होता है जो स्मरण शक्ति बढाता है| दो चाय रोज पीना उचित है|
    २०) अखरोट एन्टी आक्सी डेंट से भरपूर है| इसमें उच्च कोटि की प्रोटीन होती है\ | शरीर में मौजूद प्राकृतिक रसायनों को नष्ट होने से बचाने में एन्टी आक्सीडेंट तत्वों की महती भूमिका रहती है| रोजाना अखरोट के सेवन से मेमोरी बढ़ती है
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    5.3.20

    एयर कंडीशनर के होते हैं शरीर पर दुष्प्रभाव












    एयर कंडीशनर गर्म तापमान से राहत देकर आपको ठंडक और सुकून का एहसास कराता है, वह भी बगैर शोर शराबे के। यही कारण है कि अब पंखे और कूलर से ज्यादा एसी का चलन तेजी से बढ़ रहा है। दफ्तर में तो पूरे आठ घंटे आप एसी में बैठते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंबे समय तक एसी में बैठना आपके लिए बेह हानिकारक हो सकता है? अगर नहीं जानते, तो अब जरूर जान लीजिए...

    *मोटापा -

    आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन यह पूरी तरह सच है कि एसी के इस्तेमाल से आपके शरीर में मोटापा बढ़ सकता है। तापमान कम होने के कारण हमारा शरीर अधिक सक्रिय नहीं हो पाता और शरीर की ऊर्जा का सही मात्रा में उपयोग नहीं हो पाता, जिससे मोटापा बढ़ता है।

    *त्वचा की समस्याएं -

    एसी के दुष्प्रभाव आपकी त्वचा पर भी दिखाई देते हैं। यह आपकी त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर सकता है जिससे आपकी त्वचा में रूखापन महसूस होता है।

    *रक्तसंचार -

    एसी में बैठने से शारीरिक तापमान कृत्रिम तरीके से ज्यादा कम हो जाता है जिससे कोशिकाओं में संकुचन होता है और सभी अंगों में रक्त का संचार बेहतर तरीके से नहीं हो पाता, जिससे शरीर के अंगों की.क्षमता प्रभावित होती है।

    * बुखार या थकान -

    लंबे समय तक एसी में रहने से आपको लगातार हल्का बुखार और थकान बने रहने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है। अगर आप एसी से निकलकर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं तो आप लंबे समय तक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं।

    *जोड़ों में दर्द -


    लगातार एसी के कम तापमान में बैठना सिर्फ घुटनों की समस्या ही नहीं देता बल्कि आपके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द के साथ-साथ अकड़न पैदा करता है और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। आगे चलकर यह हड्ड‍ियों से जुड़ी बीमारियों को जन्म भी दे सकता है।

    *ब्लडप्रेशर व अस्थमा -


    अगर आपके ब्लडप्रेशर संबंधित समस्याएं हैं तो आपको एसी से परहेज करना चाहिए। यह लो ब्लडप्रेशर के लिए जिम्मेदार हो सकता है और सांस संबंधी समस्याएं भी पैदा कर सकता है। अस्थमा के मरीजों को भी एसी के संपर्क में आने से बचना चाहिए। .

    सावधानियाँ-

    *ऐसे कई ऑफिस होते हैं जहां पूरे दिन AC में बैठना मजबूरी होती है। ऐसी स्थिति में हर एक या दो घंटे में 5 से 7 मिनट के लिए ऑफिस के ही ऐसे स्थान पर जाएं जहां AC की कूलिंग नहीं हो (AC से सीधे धूप में ना जाएं)।

    *अगर संभव हो तो AC को हर एक या दो घंटे में कुछ समय के लिए बंद कर दें।
    *AC की हवा का एक्सपोजर सीधे सिर या आंखों पर न हो।
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    सफ़ेद मूसली के आयुर्वेदिक उपयोग

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    तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

    4.3.20

    सेमल के आयुर्वेदिक और औषधीय गुण//semal tree



     

       सेमल की रूई रेशम सी मुलायम और चमकीली होती है और गद्दों तथा तकियों में भरने के काम में आती है, क्योंकि यह काती नहीं जा सकती । । आयुर्वेद में सेमल बहुत उपकारी ओषधि मानी गई है । यह मधुर, कसैला, शीतल, हलका, स्निग्ध, पिच्छिल तथा शुक्र और कफ को बढ़ानेवाला कहा गया है । सेमल की छाल कसैली और कफनाशक; फूल शीतल, कड़वा, भारी, कसैला, वातकारक, मलरोधक, रूखा तथा कफ, पित्त और रक्तविकार को शांत करनेवाला कहा गया है । फल के गुण फूल ही के समान हैं ।

    Semal के नए पौधे की जड़ को सेमल का मूसला कहते हैं, जो बहुत पुष्टिकारक, कामोद्दीपक और नपुंसकता को दूर करनेवाला माना जाता है । Semal का गोंद मोचरस कहलाता है । यह अतिसार को दूर करनेवाला और बलकारक कहा गया है । इसके बीज स्निग्धताकारक और मदकारी होते है; और काँटों में फोड़े, फुंसी, घाव, छीप आदि दूर करने का गुण होता है ।

    सेमल का विभिन्न रोगों में उपयोग

    Semal वृक्ष के फल, फूल, पत्तियाँ और छाल आदि का विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान करने में प्रयोग किया जाता है। जैसे-

    स्तन में शिथिलता :-

     स्तन में शिथिलता हो तो इसके काँटो पर बनने वाली गांठों को घिसकर लगायें 10-15 दिन में ही स्तन की शिथिलता ख़तम हो जायेगी 

    ढूध बढाने में सहायक :- अगर माताओं को दूध कम आता हो तो इसकी जड़ की छाल का पावडर लें .

    ताकत के लिए :- 

    अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयेंखांसी में लाभदायक :- अगर खांसी हो तो सेमल की जड़ का पावडर काली मिर्च और सौंठ बराबर मात्रा में मिलाकर लें .

    आँखों के निचे काले घेरों के लिए :-

    सेमल के तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर मतलब लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें. सुबह और रात में इस नुस्खे को एक महीने तक लगातार दोहराएँ तो काफी लाभ मिलेगा

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फूलों की सब्जी देशी घी में भूनकर सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।

    गिल्टी या ट्यूमर –

     सेमल के पत्तों को पीसकर लगाने या बाँधने से गाँठों की सूजन कम हो जाती है।

    रक्तप्रदर –

     इस वृक्ष की गोंद एक से तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से रक्तप्रदर में बहुत अधिक लाभ मिलता है।

    लकड़ी का उपयोग :- 

    इसकी लकड़ी पानी में खूब ठहरती है और नाव बनाने के काम में आती है

    फोड़े फुंसी होने पर :-


     चेहरे पर फोड़े फुंसी हों तो इसकी छाल या काँटों को घिसकर लगा लो

    आंव (colitis) :-


     इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है

    प्रदर रोग – 


    सेमल के फलों को घी और सेंधा नमक के साथ साग के रूप में बनाकर खाने से स्त्रियों का प्रदर रोग ठीक हो जाता है।

    जख्म – 

    इस वृक्ष की छाल को पीस कर लेप करने से जख्म जल्दी भर जाता है।

    रक्तपित्त –

     सेमल के एक से दो ग्राम फूलों का चूर्ण शहद के साथ दिन में दो बार रोगी को देने से रक्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।

    आग से जलने पर –

     इस वृक्ष की रूई को जला कर उसकी राख को शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से आराम मिलता है।

    नपुंसकता –

     दस ग्राम सेमल के फल का चूर्ण, दस ग्राम चीनी और 100 मिलीलीटर पानी के साथ घोट कर सुबह-शाम लेने से बाजीकरण होता है और नपुंसकता भी दूर हो जाती है।

    पेचिश – 

    यदि पेचिश आदि की शिकायत हो तो सेमल के फूल का ऊपरी बक्कल रात में पानी में भिगों दें। सुबह उस पानी में मिश्री मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।

    *अतिसार - 

    सेमल वृक्ष के पत्तों के डंठल का ठंडा काढ़ा दिन में तीन बार 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोगी को देने से अतिसार (दस्त) बंद हो जाते हैं।

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    स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ





    श्वेत प्रदर नाशक उपचार 
    • 1. उपचार  : प्रात: काल बताशे में 5-7 बुँदे बरगद का दूध भरकर खा जाए ,ऊपर से गुनगुना गाय का दूध पी ले, दो सप्ताह में श्वेत प्रदर अवश्य ठीक हो जाता है। सेकड़ो बार आजमाया हुआ है।
    • 2. उपचार  : पठानी लोंग ( फूलदार लोंग हो) बीस ग्राम बारीक पीसकर इसकी तीन पुड़ियाँ बना ले। प्रति दिन एक पुड़ियाँ ठन्डे पानी के साथ फांक ले। ऊपर से एक पका केला खा ले।




    योनि में खुजली और जलन नाशक प्रयोग :

    • 1. उपचार  : फिटकरी के छ : ग्राम चूरन को एक लिटर गरम पानी में मिलाये, जब पानी ठंडा हो जाए तब इससे योनि को अच्छी तरह धोये।
    • 2. उपचार  : स्त्री योनि में जलन निवारण हेतु ताज़ा आंवलों का रस निकालकर शक्कर मिश्री मिलाकर पीये, ऐसा लगातार तीन दिन पीये, तीन दिनों में ही सारी जलन निकल जायेगी।

    रक्त प्रदर निवारक उपचार  :

    • 1. उपाय : हरी घास का रस दस ग्राम प्रात : सायं मिश्री मिलाकर पिलाने से केसा भी भयंकर रक्तप्रदर हो , शांत हो जाता है, लाभ होने तक इस प्रयोग को करे।

    रजोधर्म का रुक जाना बीमारी निवारक उपचार  :

    • 1. उपचार  : पचास ग्राम प्याज को छीलकर कुछ टुकड़ों में किलो भर पानी में डालकर पकाए। जब यह पानी घट कर 200 ग्राम की मात्रा में पानी अवशेष रहे तो उसमे तीस ग्राम गुड मिलाकर गरम - गरम ही पिला दे। इस प्रकार चंद दिवस पिलाने से चिरकाल का रुका हुआ मासिक धर्म जारी हो जाता है।
    2. उपचार  : प्याज को छिलकर व कूटकर पचास ग्राम रस ताज़ा निकले और उसको समोष्ण करके रात्रि को सोते समय पिला दिया करे। इससे भी रजोधरम जारी हो जाता है।

    विशिष्ट परामर्श -




    वैध्य श्री दामोदर 9826795656 द्वारा विनिर्मित " दामोदर नारी कल्याण " हर्बल औषधि स्त्रियों के सभी रोगों खासकर गर्भाशय संबन्धित रोगों मे परम उपकारी साबित हुई है | ल्यूकोरिया,पीरियड्स संबन्धित अनियमितताएँ,बांझपन ,रक्ताल्पता आदि लक्षणों मे व्यवहार करने योग्य रामबाण औषधि है|नारी के लिए  ऊर्जावान यौवन  प्राप्ति मे सहायक |








  • सरसों का तेल और हल्दी के मिश्रण के कमाल के फायदे//Mustard Oil and Turmeric



     सरसों का  तेल और हल्दी जो हमारे घरों में बड़ी आसानी उपलब्ध हो जाती है ,इनका मिश्रण  इतना फायदेमंद होता है कि ये डॉक्टर की दवाइयां से भी ज्यादा फायदेमंद  होता है | खतरनाक से खतरनाक बिमारियों में जैसे कैंसर, हार्ट अटैक या फैलियर, कब्ज, पेट की बीमारियाँ इत्यादि. इसके ऐसे नायाब फायदे हैं किजानकार आप वास्तव में इसका प्रयोग किये बैगर नहीं रहेंगे|इस फार्मूले को बनाना बहुत आसान है| .


    सरसों के तेल और हल्दी के मिश्रण को बनाने की विधि:

    सामग्री – १ चम्मच हल्दी, २ चम्मच सरसों का तेल
    १ चम्मच हल्दी में २ चम्मच सरसों का तेल अच्छी तरह मिक्स कर लें और फिर गुनगुना होने तक गर्म करें. अब ये सेवन के लायक हो गया है इसका तुरंत सेवन करें ठंडा होने से पहले|

    सेवन विधि: 

    खाना खाने के बाद इस मिश्रण को बनाकर इसका सेवन करना चाहिए और इसके १ घंटा बाद तक पानी नहीं पीना है|
    इस मिश्रण के सेवन के फायदे: 

    कब्ज और पेट की समस्या में
    *अक्सर लोग कब्ज और गैस से परेशान रहते हैं। और हम सब जानते है की सभी बीमारियाँ पेट से ही शरू होती है. यानी अगर आपका पेट ठीक है और कब्ज आदि से दूर है तो ९० % स्वस्थ तो आप हो गए समझो. इसीलिए इसके लिए यदि आप तेल और हल्दी से बने मिश्रण का सेवन करते हो तो आपको कब्ज और पेट की कई तरह की बीमारियों से राहत मिल सकती है।

     *
    चेहरे की खूबसूरती बढाकर उसकी चमक और रौनक बढ़ाये – 

    इसके प्रयोग से स्किन इन्फेक्शन से बचा जा सकता है और शारीर में जो नुकसान दायक तत्व होता है जिनके कारण शरीर में फुंसी या दाग धब्बे होते है वो भी नहीं होंगे इसे सेवन से, और अगर फुंसी या दाग धब्बे हो गए है तो बहुत लाभ मिलेगा और आपका चहेरा खुबसूरत और प्यारा हो जायेगा जिससे उसकी चमक और रौनक बढ़ेगी|

    * कैंसर जैसे खतरनाक बिमारी का मुंह तोड़ जवाब – 

    इसके अन्दर एंटीओक्सिडेंट इतना ज्यादा पाया जाता है की ये कैंसर की रोकथाम में १००% मदद करता है. इसीलिए कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी में भी इसका बहुत फायदा है|

     अस्थमा की बीमारी में

    *वे लोग जो अस्थमा की समस्या से ग्रसित हैं उन्हें तेल और हल्दी के मिश्रण का सेवन करना चाहिए। इससे अस्थमा की बीमारी में बहुत फायदा मिलता है।

    *हार्ट अटैक में रामबाण 

     हार्ट अटैक का मुख्य कारण होता है नसों में कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, और हम सबको पता ही है की ये इतनी गंभीर बिमारी है जो सोचने समझने का समय भी नहीं देती और एक दम से ख़तम कर देती है जिन्दगी को. लेकिन अगर इसका नियमित रूप से सेवन किया जाए तो इसका खतरा आसानी से टाला जा सकता है.

    * बदन दर्द और सूजन से होने वाली समस्या

    यदि आप शरीर के दर्द से परेशान हैं या बदन दर्द से परेशान हैं तो हल्दी और तेल से बने मिश्रण का सेवन करें। एैसा करने से शरीर का दर्द कम होता है। इसके अलावा यह मिश्रण सूजन और दर्द को खत्म कर देता है।
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    1.3.20

    विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण और उपाय



    विटामिन बी 12 एक आवश्यक पोषक तत्व है जो शरीर को ठीक से काम करने में मदद करता है। विटामिन बी 12 ब्लड के लिए आवश्यक है। विटामिन बी 12 की कमी के लक्षणों में थकान, मूड में बदलाव, सोचने की परेशानी और तंत्रिका संबंधी समस्याएं शामिल हैं।
    हमाराशरीर विटामिन बी-12 नहीं बनाता है, इसलिए लोगों को अपने खाने से यह पोषक तत्व प्राप्त करना चाहिए। यह डीएनए और लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, और यह तंत्रिका तंत्र का समर्थन करने में मदद करता है।
    विटामिन बी 12 रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन बी 12 की कमी से कई तरह के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
    शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होने से कई लक्षण उत्पन्न होते हैं क्योंकि इससे स्वस्थ रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है। शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुचाने और अंगों को स्वस्थ्य रखने के लिए शरीर को इन कोशिकाओं की बहुत आवश्यकता होती है।
    कई बार विटामिन बी 12 की कमी से शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में, हम विटामिन बी 12 की कमी के 11 लक्षणों के बारे में बात करेगें और बतायेंगें कि विटामिन बी 12 की कमी क्यों होती है।
    विटामिन बी 12 की कमी 1.5 से 15.0 प्रतिशत लोगों को प्रभावित कर सकती है।
    यह कमी एक व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला का कारण बन सकती है।
    नियमित रूप से विटामिन बी 12 वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना महत्वपूर्ण है। वयस्कों को प्रत्येक दिन विटामिन बी-12 के लगभग 2.4 माइक्रोग्राम (एमसीजी) की आवश्यकता होती है।
    विटामिन बी 12 एक पानी में घुलनशील विटामिन है जो पशु-आधारित खाद्य पदार्थों में मौजूद है, जैसे:
    लाल मांस
    मुर्गी
    अंडे
    डेरी प्रोडक्ट्स
    मछली


    यदि कोई व्यक्ति पशु उत्पादों को नहीं खाता है, तो उन्हें अपने आहार में विटामिन बी-12 के शाकाहारी स्रोतों को जोड़ने की आवश्यकता होगी। इनमें साबुत अनाज, पौधे के बीज का दूध, रोटी, और पोषण खमीर शामिल हैं।
    जैसा कि विटामिन बी 12 की कमी अन्य पोषण संबंधी कमियों और स्वास्थ्य स्थितियों के साथ कई लक्षण साझा करती है, यह संभव है कि लोग न तो इसे नोटिस कर सकें और न ही इसका निदान पा सकें।
    सभी संकेतों से अवगत होने से लोगों को विटामिन बी 12 की कमी की पहचान करने और उपचार की तलाश में मदद मिल सकती है।
    विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण क्या हैं?
    हाथ या पैर में झुनझुनी
    विटामिन बी12 की कमी के कारण हाथ या पैर में “झुनझुनी” हो सकती है। यह लक्षण इसलिए होता है क्योंकि विटामिन तंत्रिका तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसकी अनुपस्थिति से लोगों को तंत्रिका चालन की समस्याएं या तंत्रिका क्षति विकसित हो सकती है।
    तंत्रिका तंत्र में, विटामिन बी-12 माइलिन नामक पदार्थ का उत्पादन करने में मदद करता है। मायलिन एक सुरक्षात्मक कोटिंग है जो तंत्रिकाओं को ढालती है और संवेदनाओं को संचारित करने में मदद करती है।
    जो लोग विटामिन बी 12 की कमी वाले हैं वे अपनी नसों को कोट करने के लिए पर्याप्त माइलिन का उत्पादन नहीं कर पाते हैं। इस लेप के बिना नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
    हाथ और पैरों की नसों में समस्याएं अधिक होती हैं, जिन्हें परिधीय तंत्रिका तंत्र कहा जाता है। परिधीय तंत्रिका की क्षति से शरीर के इन हिस्सों में झुनझुनी हो सकती है।
    चलने में परेशानी
    समय के साथ, विटामिन बी12 की कमी के कारण परिधीय तंत्रिका क्षति होने पर चलने की समस्याओं को जन्म दे सकती है।
    पैरों और अंगों में सुन्नता व्यक्ति को बिना किसी सहारे के चलना मुश्किल बना सकती है। वे मांसपेशियों की कमजोरी और कम रिफ्लेक्सिस का भी अनुभव कर सकते हैं।

    थकान
    विटामिन बी 12 की कमी के कारण मेगालोब्लास्टिक एनीमिया व्यक्ति को थकावट महसूस करा सकता है।
    अपने शरीर के चारों ओर ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं के बिना, एक व्यक्ति बेहद थका हुआ महसूस कर सकता है।
    तेज हृदय गति
    एक तेज़ हृदय गति विटामिन बी 12 की कमी का लक्षण हो सकता है।
    शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या होने पर दिल तेजी से धड़कना शुरू कर सकता है।
    पीली त्वचा
    पीलिया या पीली त्वचा, जिसे पीलिया कहा जाता है , विटामिन बी 12 की कमी का लक्षण हो सकता है।
    पीलिया तब विकसित होता है जब किसी व्यक्ति का शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है। त्वचा के नीचे पायी जाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं इसे अपना सामान्य रंग प्रदान करती हैं। इन कोशिकाओं के बिना, त्वचा रूखी (ड्राई) हो सकती है।


    बी-12 लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन बी 12 की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं की कमी, या मेगालोब्लास्टिक एनीमिया भी हो सकता है, जिसका पीलिया के साथ संबंध है।
    इस प्रकार का एनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं को भी कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर फिर जल्दी टूट जाता है। जब यकृत लाल रक्त कोशिकाओं को तोड़ता है, तो यह बिलीरुबिन जारी करता है। बिलीरुबिन एक भूरे रंग का पदार्थ है जो त्वचा को पीली रंग देता है जो पीलिया की विशेषता है।

    एनीमिया हृदय पर शरीर के चारों ओर अधिक मात्रा में रक्त को धकेलने और अधिक तेज़ी से काम करने के लिए दबाव डालता है। यह प्रतिक्रिया शरीर का यह सुनिश्चित करने का प्रयास करने का तरीका है कि पर्याप्त ऑक्सीजन शरीर के सभी प्रणालियों से होकर गुजरती है और सभी अंगों तक पहुँचती है।

    विटामिन बी 12 की कमी से सोचने में समस्या हो सकती है, जिसे डॉक्टर संज्ञानात्मक हानि कहते हैं। इन मुद्दों में सोचने में कठिनाई या तर्क और स्मृति हानि शामिल हैं।
    एक अध्ययन ने अल्जाइमर रोग, संवहनी मनोभ्रंश और पार्किंसंस रोग के जोखिम में विटामिन बी -12 के कम स्तर को भी जोड़ा।
    मस्तिष्क तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की कम मात्रा सोच और तर्क की समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
    सांस की तकलीफ
    विटामिन बी 12 की कमी से होने वाले एनीमिया के कारण व्यक्ति को सांस की थोड़ी कमी महसूस हो सकती है। इसे लाल रक्त कोशिकाओं की कमी और तेजी से दिल की धड़कन से जोड़ना संभव है।
    जो कोई भी सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहा है, उसे सीधे डॉक्टर से मिलना चाहिए।
    मुंह का दर्द
    विटामिन बी-12 मौखिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। नतीजतन, विटामिन बी 12 की कमी होने से मुंह की निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
    ग्लोसिटिस, जो एक सूजन, चिकनी, लाल जीभ का कारण बनता है
    मुंह के छाले
    मुंह में जलन
    ये लक्षण इसलिए होते हैं क्योंकि विटामिन बी 12 की कमी से लाल रक्त कोशिका के उत्पादन में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप जीभ तक कम ऑक्सीजन पहुंचता है।
    सोचने या तर्क करने में समस्या
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    21.2.20

    अच्छी नींद के लिए होम्योपथिक उपचार




    होम्योपैथी एक वैकल्पिक उपचार है जो नींद की परेशानी को हल करने के लिए बहुत अच्छा है। यह आधार पर काम करता है, c जैसे इलाज करता है ’, दूसरे शब्दों में, एक स्वस्थ व्यक्ति में रोग उत्पन्न करने वाले पदार्थ का उपयोग एक समान रोग के साथ उपस्थित व्यक्ति में उपचार की प्रतिक्रिया को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। व्यक्तिगत उपाय के लक्षणों के आधार पर होम्योपैथी में चुना जाता है। यहाँ लक्षणों के अनुसार कुछ शीर्ष उपचार दिए गए हैं:

    आर्सेनिकम एल्बम (Ars)

    जिन लोगों को आर्सेनिकम की आवश्यकता होती है वे लगभग हमेशा चिंतित और बेचैन रहते हैं। चिंता, या भय, या चिंता, उन्हें नींद से बचाता है। यह शारीरिक परिश्रम के साथ-साथ नींद के लिए भी काम करता है। लक्षणों में टॉसिंग और मोड़, बेचैनी के कारण नींद न आना, और वे जो केवल सिर उठाए हुए सो सकते हैं और जागने के बाद वापस जाना मुश्किल होता है।

    कॉफ़िया क्रुडा (कॉफ़)

    स्लीपलेसनेस पैदा करने के लिए कॉफी बदनाम है, लेकिन क्योंकि होम्योपैथी be लेट लाइक बीसेर बी ’के सिद्धांत पर काम करती है, जब होम्योपैथिक रूप में दिया जाता है तो यह अनिद्रा से राहत देगा। लक्षणों के प्रकार जो इसे राहत देते हैं वे कॉफी द्वारा निर्मित हैं। वे हैं: तेजी से विचारों से एक सक्रिय मन या नींद हराम; शारीरिक बेचैनी; विचारों का निरंतर प्रवाह; उत्साह; और तंत्रिका ऊर्जा। यह एक कैफीनयुक्त उत्पाद के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे बिस्तर-समय के बहुत करीब ले जाया गया है। सहायक लक्षणों में एक आश्चर्य, या अच्छी या बुरी खबर की उत्तेजना से सोने में असमर्थता और तालमेल के साथ नींद न आना शामिल हैं।



    सेपरविरेंस (जैल)

    लक्षणों में प्रत्याशा चिंता से नींद नहीं आना, अभी तक नींद में कठिनाई और सुस्त दिमाग, थकावट से अनिद्रा, गहरी नींद लेने के लिए कठिन, आदि अन्य लक्षण शामिल हैं; चेहरे, सिर, गर्दन और कंधों पर तेज या खुजली के साथ नींद आना। अल्कोहल से वापसी के कारण होने वाली नींद की कमी को भी पूरा करता है।

    इग्नाटिया अमारा (इग्नोर)

    यदि हाल ही में निराशा या दु: ख के बाद नींद हराम हो जाए। लक्षणों में नींद से जागना शामिल है, एक अंग के खींचने के कारण जागना, क्रोध या दु: ख के बाद कंजेस्टिव सिरदर्द; धूम्रपान या महक तंबाकू से खराब हो जाती है। हर समय पेट की छोटी स्थिति और पेट में एक कमजोर भावना, ये सभी संकेत हैं जिन्हें आपको इग्नेशिया की आवश्यकता हो सकती है।

    नक्स वोमिका (नक्स-वी)

    प्रमुख लक्षण लगातार जम्हाई, नींद की हानि से चिड़चिड़ापन और सामान्य सोते समय से पहले सो जाने के बाद लगभग 3 से 4 बजे जागना है। थका हुआ महसूस करना, कमजोर, और उठना नहीं चाहता। आपको यह भी पता है कि आपको इसकी आवश्यकता तब होती है जब आपको शराब, कॉफी या ड्रग्स (मनोरंजन या चिकित्सीय) के अत्यधिक सेवन से नींद आती है। हथियारों को सिर के नीचे रखने और पीठ के बल लेटने के लिए झुकाव। अत्यधिक अध्ययन या मानसिक तनाव या तनाव के कारण नींद की कमी। शाम को भोजन के बाद और भोजन के बाद। सुबह उठने के बाद नींद आना।
    सभी ने कहा और किया, आपको इन गोलियों को आजमाने से पहले अपने स्थानीय होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। एक चीज जिसे आप हमेशा के लिए जा सकते हैं और विश्वास के साथ खरीद सकते हैंऑफिस में दिन की जल्दी शुरुआत, रात भर ईमेल चेक करना हो या सोशल मीडिया के अपडेट देखना, देर रात तक टीवी शो देखना हो या पसंदीदा फिल्म, यह सब करके फिर सुबह हम वापस थक कर काम पर आते हैं। हम अपने रोजमर्रा के कामों में इतने व्यस्त हैं कि नींद हमें एक लग्जरी लगती है - आजकल एक अच्छी नींद के लिए हम वीकेंड तक का इंतजार करते है। हम कोशिश करते हैं की हमारा शरीर इस तरह काम करे की अगले वीकेंड तक हम नींद को धक्का दे सकें। लेकिन दुर्भाग्य से नींद इस तरह काम नहीं करती।
    अनिद्रा (नींद की अक्षमता) जिसे अंग्रेज़ी में इनसोमनिया कहते है, एक प्रकार का नींद का विकार है जिसमें एक व्यक्ति को नींद या सोने में परेशानी होती है। हमारी जीवनशैली के दबावों के कारण आज के युवाओं के बीच आमतौर पर अनिद्रा विकार पाया जा रहा है। नींद की कमी हमें विभिन्न रोग जैसे अवसाद, चिंता, उच्च रक्तचाप आदि की ओर अग्रसर करती है।
    हम अक्सर डॉक्टरों से एंटी डिप्रेसेंट या सेडेटिव की मांग करते हैं, जिससे हमें शांति मिले।


    यह सेडेटिव हमें अपना आदी बना देते हैं और बदले में हमारे स्वास्थ्य पर बुरे और प्रतिकूल प्रभावों जैसे कि वजन बढ़ना, स्लीप एपनिया, कमजोर याददाश्त, बदलते व्यवहार, थकान, कम से कम कामेच्छा आदि का असर शुरू हो जाता है। सिर्फ दवाएं हमारी इन परेशानियों का निदान नहीं है। हमें अपने जीवन को इन तनाव और परेशानियों से दूर करने और गतिशील जीवन शैली पाने के लिए कुछ प्राकृतिक तरीके तलाशने पड़ते हैं।
    जैसा की हम सब जानते हैं हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नींद के शक्तिशाली प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन सही उपचार हम लोगों को मन की शांति देने में मदद कर सकते हैं - जो कि रात की शांतिपूर्ण नींद के साथ संभव है। ऐसा ही एक उपचार हैसलेब होम्योपैथी ने कठिन परिश्रम के बाद निकाल लिया है। जी हां, लोग अक्सर नींद की बीमारी से पीड़ित रहते हैं, यह यात्रा गतिहीन जीवन शैली के कारण नींद की कमी से शुरू होती है। कई उपचार, दवाइयों और निराशा के बाद भी अनिद्रा का निदान नहीं हो पाता है। लेकिन होम्योपैथी में हैसलेब नर्वो कॉम ड्रॉप्स NERVOCALM DROPS नाम की दवा ने शांतिपूर्ण रात की नींद के साथ मन की शांति और बिल्कुल सामान्य और स्वस्थ जीवन का आनंद प्रदान किया है।
    यह दवा उन लोगों के लिए वरदान साबित हुई है जिन्होंने अपने जीवन में किसी नशे की लत के बिना एक स्वस्थ और सामान्य जीवन जीने का संकल्प लिया है।
    नर्वो कॉम ड्रॉप्स के बारे में अधिक जानकारी नीचे दी गयी है:
    नर्वो कॉम ड्रॉप्स (स्लीप स्टिमुलेटर) NERVOCALM DROPS (SLEEP STIMULATOR)
    कम्पोजीशन : Avena Sat 1x, Coffea 3x, Ignatia 3x, Zincum Met 3x, Valeriana 3x.
    लक्षण: तनाव, अवसाद, अनिद्रा और नींद की कमीं, सुबह में उनींदापन, दिन के दौरान थकावट और शाम को उत्तेजना, बेचैनी और तंत्रिका तंत्र में अधिक उत्तेजना। Neurasthenia, लंबी अवधि का मानसिक संघर्ष, नर्वस ब्रेकडाउन
    खुराक: दो बार प्रति दिन 10 से 20 बूंदें या चिकित्सक द्वारा निर्धारित

    अन्य उपाय -



    भरपूर नींद लें -
     तनावग्रस्त होने पर अपनी नींद का पूरा ध्यान रखें। कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें। नींद पूरी होगी तो दिमाग को आराम मिलेगा और वह बगैर तनाव के बेहतर तरीके से कार्य करेगा। छोटे-मोटे तनाव के लिए नींद एक बेहतरीन इलाज है।
     धूप लें - 
    सुबह के समय या फिर जब भी आप सहज हों हल्की धूप जरूर लें। इससे आपका मन और मस्तिष्क को आराम मिलता है और तनाव भी दूर होता है। प्राकृतिक स्थानों पर जाएं या फिर घर के आंगन, बरामदे या बालकनी में

    शांत मन से बैठें-

    परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताएं -अत्यधि‍क तनाव के समय किसी से मिलने जुलने या बातें करने का बिल्कुल मन नहीं करता। लेकिन यकीन मानिए यह तरीका आपको डिप्रेशन में जाने से बचा सकता है। जब भी आपको लगे कि‍ आप मानसिक तनाव या डिप्रेशन के शि‍कार हैं, अपने परिवार के लोगों या खास दोस्तों के साथ समय बिताएं और बातें करें

    सामाजिक सक्रियता -

    सामाजिक रूप से सक्रिय रहना आपको व्यस्त भी बनाए रखेगा और तनाव के कारण की ओर से आपका ध्यान भी बंटेगा। इससे आप नकारात्मकता के शि‍कार न होकर अपनी ऊर्जा का सही उपयोग कर पाएंगे। कुछ समय में आप सकारात्मकता का अनुभव करेंगें                                                                                                                                                                                                                                                                           
    नकारात्मकता से दूर रहें -
    खुद को सकारात्मक बनाएं और प्रोत्साहित करें। अपनी खूबियों और अब तक की उपलब्धि‍यों की लिस्ट बनाएं या फिर कुछ अच्छा और उपयोग कार्य करने के लिए योजना बनाएं। खुद से प्रेम करें और हर चीज को सकारात्मक नजरिए से देखें।