21.5.17

जानें गर्भ में लड़का होने के लक्षण




  अक्सर वे लोग जो जल्द ही माता-पिता बनने वाले होते हैं, वह बच्चे के लिंग को लेकर बहुत उत्साहित रहते हैं। इसके लिए वो लिंग परीक्षण भी करवा डालते हैं, परंतु सेक्स रेशियो में आ रहे बड़े अंतर की वजह से यूं तो सरकार द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग परीक्षण करना कानूनन अपराध घोषित किया जा चुका है
लेकिन हमारी पारंपरिक पद्धति में गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने की अन्य भी कई विधाएं बहुत चर्चित और प्रचलित हैं। भारतीय पद्धति की बात करें तो अक्सर गर्भवती स्त्री के खानपान, उसके गर्भ के आकार और उसकी चाल को देखकर अनुमान पहले ही लगा लिया जाता है कि वह लड़के को जन्म देगी या लड़की को।
जब भी एक महिला माँ बनने वाली होती हैं तो उनके घर और बाहर के सब लोग ही पूर्वानुमान करने लग जाते हैं कि वो महिला एक लड़के को जन्म देगी या फिर लड़की को. जन्म से पहले जेंडर ( Gender ) पता लगवाना गैर क़ानूनी होता हैं, जिसके लिए सख्त कानून और पकड़े जाने पर दोषियों को सजा व जुर्माने का भी प्रावधान हैं. लेकिन सभी लोग अपने तजुर्बे से होने वाले बच्चे के बारे में अनुमान लगाते हैं. बहुत सी ऐसी बातें होती हैं कि जिससे आप पता लगा सकते हैं कि होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की



इन लक्षणों से पहचाने की पेट में लड़का है

1. मतली लगना-
कई माताएं मानती हैं कि जब पेट में लड़की होती है, तो उल्‍टी होने का बिल्‍कुल भी एहसास नहीं होता। पर अगर पेट में लड़का है, तो आप बाल्‍टी भर उल्‍टी करने के लिए बिल्‍कुल तैयार हो जाइये। सुबह की शुरुआत में मतली जैसा महसूस होना आम बात होती है इसमें।

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2. पेट ज्‍यादा निकलना-
अगर पेट में लड़का है, तो गर्भावस्‍था के दौरान यह साफ पता चलता है। क्‍योंकि इसमें लड़की के मुकाबले पेट ज्‍यादा निकलता है। इसके अलावा शरीर पर कहीं भी चर्बी नहीं दिखेगी, पर पेट निकला होगा।
3. वजन नहीं बढ़ना-
जिस तरह लड़की के पेट में होने से वजन बढ़ता है, वैसे ही लड़के के पेट में होने से शरीर पर चर्बी बिल्‍कुल भी नहीं बढ़ेगी। न ही आपका चेहरा चमकेगा और न ही गाल गुलाबी लगेगें।
4. खट्टा खाने का मन-
इस दौरान तरह तरह की चीजें खाने का मन करेगा। लड़की अगर पेट में हैं तो मीठा और लड़का लगर पेट में हैं तो खट्टा खाने का मन करता है। बच्‍चे का जिस तरह के पोषक तत्‍व की जरुरत होती है, मां को वही खाने का मन करने लगता है।
*लंदन के चिकित्सा वैज्ञानिकों के अनुसंधान का निष्कर्ष है कि गर्भ में अगर बालक भ्रूण हो तो प्रसव ज्यादा जटिल होता है और महिलाओं को इस दौरान ज्यादा परेशानी होती है। इसके उलट बालिका भ्रूण होने की स्थिति में परेशानी कम होती है और खतरा भी कम होता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।



*तेल अवीव युनिवर्सिटी (टीएयू) के स्कूल ऑफ मेडिसिन में स्त्रीरोग विशेषज्ञ मारेक ग्लेजरमैन ने यारिव योगेव और निर मेलामेड के साथ मिल कर 66,000 प्रसव के मामलों का अध्ययन किया। इस दौरान इन्होंने पाया कि जब गर्भ में बालक भ्रूण पल रहा होता है तो महिलाओं में गर्भाशय के सीमित विकास का खतरा बढ़ जाता है।

*ग्लेजरमैन ने कहा है कि गर्भ में बालक भ्रूण का होना ज्यादा जटिल मामला हो जाता है। ऐसी स्थिति में अविकसित प्रसव की संभावना बढ़ जाती है। ग्लैजरमैन ने कहा कि जिन बालक भ्रूणों का गर्भाशय में अधिक विकास हो जाता है, वैसी स्थिति में प्रसव बहुत कठिन हो जाता है और अक्सर ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराना पड़ता है।
*इजरायल सोसायटी फॉर जेंडर बेस्ड मेडिसिन को प्रस्तुत किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि बालक भ्रूण के साथ खतरे ज्यादा होते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं ने कहा कि इन निष्कर्षो को समुचित आलोक में देखा जाना चाहिए
उपरोक्त जानकारी का आशय ये कतई नहीं है कि आप इसके आधार पर गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जानने की कोशिश करें। उपरोक्त जानकारी केवल शास्त्रीय पद्धतियों, मान्यताओं को आप तक पहुंचाने की कोशिश भर है।पाठक अपनी समझ और सुझबुझ से काम ले यह एक सलाह मात्र है|

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19.5.17

एडी के दर्द के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार



  आधुनिक जीवन शैली ने कई ऐसे रोगों को जन्म दिया है जो पहले नहीं होते थे। उनमें से एक है एड़ी का दर्द जो अक्सर महिलाओं को सुबह बिस्तर से उठते ही परेशान करता है। इसकी वजह है सख्त फर्श और सख्त तले के जूते|एड़ी में चोट अथवा मोच लगने पर सही समय पर उसका इलाज करना जरूरी है। अगर इसकी सही देखभाल न की जाए, तो यह समस्‍या काफी लंबे समय तक परेशान कर सकती है और कई बार विकृतियां भी बनी रहती हैं।
    एड़ी के एक या उससे अधिक स्‍नायुबंधों में खिंचाव अथवा मांस फटना, एड़ी में मोच कहलाता है। एड़ी के स्‍नायुबंध लोचदार उत्तकों का समूह होते हैं, जो एड़ी की हड्डियों को अपने स्‍थान पर बांधे रखने का काम करते हैं। छोटे जोड़ों के आकार एडि़यों में मोच आना आम बात है क्‍योंकि पैदल चलते हुए, दौड़ते हुए और कूदते समय एडि़यों पर काफी भार पड़ता है। अगर धरातल असमतल हो, तो यह खतरा और बढ़ जाता है।
चोट की गंभीरत को देखते हुए एड़ी में मोच में तीन भागों में बांटा जाता है
ग्रेड 1 - इसमें एड़ी में दर्द होता है, लेकिन स्‍नायुबंधों को कम नुकसान पहुंचा होता है।
ग्रेड 2 - इसमें स्‍नायुबंधों में मध्‍यम क्षति पहुंची होती है, और एड़ी के जोड़ को कुछ नुकसान पहुंचा होता है।
ग्रेड 3 - स्‍नायुबंध फट जाते हैं और एड़ी का जोड़ बुरी तरह ढीला और अस्थिर हो जाता है।
कैसे बचें
एड़ी में मोच के खतरे को कम करने के लिए आप ये उपाय आजमा सकते हैं-
जिस स्‍थान पर आप पैदल चल, दौड़ अथवा कूद रहे हैं, उस धरातल को अच्‍छी तरह देख लें। और उसी के अनुसार अपना संतुलन बनाकर व्‍यवहार करें।
किसी भी एथलीट एक्टिविटी से पहले स्‍ट्रेचिंग व्‍यायाम जरूर करें।
संतुलन बनाये रखने के लिए जरूरी व्‍यायाम आपकी मदद कर सकते हैं।
अच्‍छी क्‍वालिटी के जूते पहनें जो आपके खेल और पैरों के लिहाज से अनुकूल हों।
अचानक तेज गति से न मुड़ें
दौड़, साइक्लिंग और स्‍वमिंग आदि से पैरों और टांगों को मजबूती प्रदान करने वाले व्‍यायाम करें।
अगर आपको एड़ी में कई बार मोच आ चुकी है, तो आपको स्‍ट्रेंथनिंग और बैलेंस एक्‍सरसाइज करनी होंगी।
आपको एड़ी को चोट से बचाने तथा उसे जल्‍द रिकवर करने के लिए ब्रेस बांधने की जरूरत होती है।
इलाज



एड़ी के दर्द का इलाज तीन तरह से किया जा सकता है। पहला है दर्द निवारक और सूजन उतारने वाली गोलियां। दूसरा है दर्द के स्थान पर स्टेरायड का इंजेक्शन। तीसरा है जूतों में ऐसा बदलाव जिससे दर्द वाली जगह पर कम से कम दबाव पड़े और घर्षण भी न्यूनतम रहे। जूतों में हील कप, स्कूप्ड हील पैड्स, साफ्ट कुशंड स्पंजी शू सोल अंदर से लगाए जाते हैं। बाजार में सिलिकॉन के बने शू इंसर्ट भी मिलते हैं। किसी मरीज की

किन्हीं विशेष परिस्थितियों में सर्जरी भी करना पड़ती है।
क्या करें-
पैरों के तले को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए जो कर सकते हैं वो करें। फर्श पर नंगे पैर चलने से बचें। घर में हमेशा नर्म स्पंजी चप्पलें पहनें। खेलकूद के वक्त हमेशा स्पोर्ट्स शूज पहनें।
एडी के दर्द का रामबाण इलाज-
एडी का दर्द अति कष्टकारी होता है, अक्सर ये दर्द महिलाओ को अधिक होता है. सारा दिन खड़ा रहना या ऊंची एड़ी की सैंडल पहनना या हड्डी का बढ़ना इसके मुख्य कारण हैं. ऐसे में ये रामबाण उपचार सौ फीसदी असरकारक हो सकता है. आइये जाने.
आवश्यक सामग्री.-
नौशादर – एक चौथाई छोटा चम्मच. (ये आपको किसी भी पंसारी से मिल जाएगी)
ग्वार पाठा (एलो वेरा ) – आधा चम्मच.
हल्दी – आधा चम्मच.
बनाने और लगाने की विधि-



नौशादर एक पीस (एक चौथाई छोटा चम्मच) , गवार पाठा – आधा चम्मच, और आधा चम्मच हल्दी। एक बर्तन में गवार पाठा धीमी आंच पर गरम करे, उस में नौशादर और हल्दी डाले, जब गवार पाठा पानी छोड़ने लगे तब उसे एक कॉटन के टुकड़े पर रख ले और थोड़ा ठंडा करे। जितना गरम सह सके, उसे एक कपडे पर रख कर एड़ी पर पट्टी की तरह बांध लीजिये, ये प्रयोग सोते समय करे क्योंकि इसे बाँध कर चलना नहीं है। ये प्रयोग कम से कम ३० दिन तक पुरे धैर्य से करे। ये प्रयोग बिलकुल सरल और सर्वश्रेष्ठ है, एड़ी के दर्द वाले व्यक्ति को इसे ज़रूर आज़माना चाहिए. जल्दी आराम के लिए आप साथ में एलो वेरा की सब्जी या घर पर बना हुआ जूस भी पी सकते हैं.

एड़ी में दर्द ऐसे करें उपाय -

कसरत करें – पैरो की उंगलियो को पॉइंट करने की एक कसरत होती है जो आपके लिए बेहद फायदे वाली हो सकती है ऐसे में आपको कुछ अधिक नहीं करना है आपको केवल अपनी टांग उठानी है और अपने पैरों को तब तक घुमाना है जब तक इनकी उँगलियाँ नीचे की और पॉइंट नहीं करने लगे फिर आप थोड़ी देर का ब्रेक लेकर एक बार फिर दूसरे पैर के साथ इसे दोहराईये इस से आपके पैर की मसल्स में खिंचाव बनता है और आपको एड़ी में दर्द से भी राहत मिलती है |
गेंद वाला व्यायाम – 
इसके अलावा पैर ने नीचे एक गेंद को घुमाकर भी आप एक साधारण सा उपाय कर सकते है यह एक मसाज की तरह आपके लिए काम करता है आप किसी हलकी या टेनिस वाली गेंद लेकर इसे अपने पैर के नीचे तीन मिनट तक घुमाएँ और फिर अपने दूसरे पैर के साथ भी ऐसा ही करें इस से आपको आपके पैर और एड़ी में दर्द में बड़ी वाली राहत मिलती है और सूकून भरा अहसास होता है आपको इस से |
शोर्ट फुलिंग करें -



आप इसके अलावा शोर्ट फुलिंग कसरत भी अपना सकते है जो एक तरह की साधारण कसरत है और आप बड़ी आसानी से इसे कर सकते है इसके लिए आपको केवल जूते खोलकर अपने पैरो की उँगलियों को नीचे की और खींचकर अपने पैर के ऑर्च को सिकोड़ना होता है इस से भी आपके पेरों की मसल्स को आराम मिलता है और आपके एड़ी में दर्द को इस से आराम मिलता है |
आराम फरमाएं -
किसी ऊँची जगह पर बैठकर आराम फरमाएं और कोई अपनी पसंद का गाना सुनते हुए अपने पैरो को लटका कर गोल गोल घुमाएँ और अपने पैरो की उंगलियो को अपनी तरफ खीचे और उसे बाद उसकी विपरीत दिशा में |
सुबह की करें अच्छी शुरुआत – 
सुबह की शुरुआत अच्छे से करें और सुबह की शुरुआत कैसे करें ये जानने के लिए आप यंहा क्लिक कर सकते है और साथ हर सुबह “काफ स्ट्रेचेज” करे जो इस तरह किया जाता है – दीवार के सामने सीधे खड़े हो जाएँ
एक्युप्रेशर की लें मदद – 
एक्युप्रेशर तकनीक का उपयोग करते हुए भी आप अपने पैरो में रक्तसंचार को सामान्य कर सकते है और एड़ी में दर्द से आराम पा सकते है और गर्म पानी से अपने पैरो को सेकने से भी आपको राहत मिल सकती है|



16.5.17

नसों में होने वाले दर्द से निजात पाने के तरीके


नर्व पेन या न्यूरॉल्जिया किसी खास नर्व में होता है। न्यूरॉल्जिया में जलन, संवेदनहीनता या एक से अधिक नर्व में दर्द फैलने की समस्या हो सकती है। न्यूरॉल्जिया से कोई भी नर्व प्रभावित हो सकती है।

नर्व के दर्द के कारण

ड्रग्स, रसायनों के कारण परेशानी, क्रॉनिक रिनल इनसफिशिएंशी, मधुमेह, संक्रमण, जैसे-शिंगल्स, सिफलिस और लाइम डिजीज, पॉरफाइरिया, नजदीकी अंगों (ट्यूमर या रक्त नलिकाएं) से नर्व पर दबाव पड़ना, नर्व में सूजन या तकलीफ, नर्व के लिए खतरे या गंभीर समस्याएं(इसमें शल्यक्रिया शामिल है), अधिकतर मामलों में कारण का पता नहीं चलता।
नर्व पेन एक जटिल और क्रॉनिक तकलीफदेह स्थिति है, जिसमें वास्तविक समस्या समाप्त हो जाने के बाद भी दर्द स्थायी रूप से बना रहता है। नर्व पेन में दर्द शुरू होने और रोग की पहचान होने में कुछ दिन से लेकर कुछ महीने लग सकते हैं। नर्व को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचने पर या पुराने चोट ठीक हो जाने पर भी दर्द शुरू हो सकता है।गर्दन, पीठ, हाथ या शरीर के किसी अन्य हिस्से की नस के दबने से होने वाला दर्द थोडा पीड़ादायक होता है | इससे आपके रोज़मर्रा के कामों में भी बाधा आ सकती है | जब चारों ओर उपस्थित ऊतक जैसे हड्डियाँ, कार्टिलेज, टेंडॉन्स या मांसपेशियां, नस को असामान्य रूप से दबाती हैं या फंस जाती हैं तब नस दबने पर दर्द होता है | 

नसों में दर्द होने वाले रोग का लक्षण:-

*नसों में दर्द होना और नसों में जलन होना|
*जिस भाग में दर्द हो रहा है उस भाग के मांसपेशियों में कमजोरी होना|
*अचानक नसों में दर्द होना|
*दबाने से या छूने से प्रभावित क्षेत्र में बहुत दर्द होना|
बार बार नसों में दर्द होना|नस दबने की या नसों में होने वाले दर्द की पहचान करें: जब कोई नस किसी प्रकार से क्षतिग्रस्त हो जाती है और अपने पूरे सिग्नल भेजने में असमर्थ हो जाती है तब नस में दर्द होता है | यह नस के दबने के कारण होता है जो हर्नियेटेड डिस्क, आर्थराइटिस या बोन स्पर (bone spur) के कारण हो सकता है | चोट लगने, गलत तरीके के पोस्चर से, बार-बार की गतिविधियों से, खेल और मोटापे जैसी स्थितियों और गतिविधियों से भी नसों में दर्द हो सकता है | पूरे शरीर में किसी भी जगह की नस दबाने से पीड़ा हो सकती है लेकिन ये आमतौर पर रीढ़ (स्पाइन), गर्दन, कलाई और कोहनियों में पाई जाती है |
इन स्थितियों के कारण सूजन आ जाती है जो आपकी नसों को संकुचित कर देती है और इससे नस दबने से दर्द होने लगता है |
*पोषक तत्वों की कमी और कमज़ोर स्वास्थ्य नस दबने के दर्द को और बढ़ा देते हैं |
केस की गंभीरता के आधार पर यह स्थिति परिवर्तनीय (रिवर्सेबल) या अपरिवर्तनीय (इर्रेवेर्सिबल) हो सकती है
लक्षणों को नोटिस करें: नस दबने से होने वाला दर्द अनिवार्य रूप से शरीर की तार प्रणाली में होने वाली शारीरिक बाधा है | नस दबने से होने वाले लक्षणों में सुन्नपन, हल्की सूजन, तेज़ दर्द, झुनझुनी, मांसपेशीय ऐंठन और मांसपेशीय दुर्बलता शामिल हैं | आमतौर पर नस के दबने का सम्बन्ध प्रभावित स्थान पर होने वाले तीव्र दर्द से होता है |
*


नस में अवरोध या दबाव होने के कारण नस शरीर से प्रभावी रूप से सिग्नल नहीं भेज पाती इसीलिए ये लक्षण उत्पन्न होते हैं

*पर्याप्त नींद लें: अपने शरीर के नुकसान की मरम्मत के लिए कुछ घंटे अतिरिक्त रूप से सोना एक प्राकृतिक तरीका है | अगर ज़रूरत हो तो दर्द के कम होने या बेहतर अनुभव होने तक हर रात कुछ अतिरिक्त घंटे सोयें | कुछ घंटे अतिरिक्त रूप से आराम करने से आपके शरीर और चोटिल हिस्से को लक्षणों को कम करने में मदद मिलेगी |
*प्रभावित हिस्से का अत्यधिक उपयोग न करने से यह सीधा प्रभाव दिखाता है | अगर आप ज्यादा सोते हैं तो कम हिलते-डुलते हैं | इससे न सिर्फ आप प्रभावित हिस्से का उपयोग कम कर पाएंगे बल्कि सोने से आपके शरीर को खुद को ठीक करने के लिए अधिक समय भी मिल जायेगा |

प्रभावित स्थान का अत्यधिक उपयोग न करें: 

जब आपकी नस में होने वाले दर्द की डायग्नोसिस हो जाए तो आपको अपनी देखभाल करना शुरू कर देना चाहिए | आपको प्रभावित हिस्से से कोई काम नहीं लेना चाहिए | मांसपेशियों, जोड़ों और टेंडॉन्स के बार-बार उपयोग से नस में होने वाले दर्द की स्थिति और खराब हो जाएगी क्योंकि प्रभावित हिस्से लगातार सूजे रहते हैं और नस को दबाते रहते हैं | किसिस भी दबी हुई नस के दर्द में तुरंत थोडा आराम पाने का सबसे आसान तरीका यह है कि प्रभावित नस और उसके चारों और के हिस्सों को सूजन और दबाव पूरी तरह से शांत होने तक आराम दिया जाये |
*नस में पीड़ा वाले स्थान को मोड़ना या हिलाना नहीं चाहिए अन्यथा नस में और अधिक दर्द हो सकता है | विशेष प्रकार की गतियों से आपके लक्षण तुरंत और अधिक ख़राब हो सकते हैं इसलिए यथासंभव प्रभावित स्थान को हिलाने या मोड़ने से बचना चाहिए |
*अगर किसी विशेष गति या स्थिति के कारण लक्षण और दर्द और अधिक बढ़ जाए तो चोटिल स्थान को अलग रखें और उसे हिलाने से बचें |
*कार्पल टनल (carpal tunnel) के केस में, जो कि एक आम चोट होती है जो नस के दबने के कारण होती है, सोते समय अपनी कलाई सीधी रखें और जोड़ों को मोड़ें नहीं, इससे हर प्रकार के संकुचन में बहुत आराम मिलेगा
एक ब्रेस (brace) या स्पलिंट (splint) का उपयोग करें: कई बार आप चाह कर भी अपने काम, स्कूल या अन्य जिम्मेदारियों के कारण प्रभावित नस को पर्याप्त आराम नहीं दे पाते | अगर आपके साथ भी यही स्थिति हो तो आप प्रभावित हिस्से को स्थिर रखने के लिए ब्रेस या स्पलिंट पहन सकते हैं | इससे आप अपने बुनियादी कामों को आसानी से कर सकेंगे |
उदाहरण के लिए, अगर आपकी गर्दन की नस के पीड़ा हो तो एक नैक-ब्रेस (neck-brace) के उपयोग से पूरे दिन मांसपेशियों को स्थिर रखने में मदद मिलेगी |
*अगर आपकी नस में दर्द कार्पल टनल सिंड्रोम के कारण है तो कलाई या कोहनी के ब्रेस का उपयोग करें जिन्हें वोलर कार्पल स्पलिंट भी कहा जाता है जिससे आप अनावश्यक हिलने से बचते हैं |[६]
ब्रेसेस कई थोक दवाओं की दुकानों पर मिल जाते हैं | ब्रेस के साथ दिए गये निर्देशों का पालन करें | अगर आपको इस विषय में कोई शंका या सवाल हो तो सहयता के लिए डॉक्टर से सलाह लें
दवाएं लें: आमतौर पर पाई जाने वाली कई दर्द निवारक दवाएं नस के दबे होने से होने वाले दर्दको ठीक करने के लिए उपयुक्त होती हैं | सूजन और दर्द को कम करने के लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) जैसे इबुप्रोफेन (ibuprofen) और एस्पिरिन (aspirin) लें |

आइस और हीट का उपयोग करें: 

नस दबने से अक्सर सूजन आ जाती है और सूजन नस को और दबाती है | सूजन कम करने के लिए और प्रवाह को बढाने के लिए प्रभावित हिस्से पर आइस और हीट का उपयोग बारी-बारी से करें, इस विधि को हाइड्रोथेरेपी कहते हैं | दिन में 3-4 बार 15 मिनट के लिए आइस लगाने से सूजन को कम करने में मद मिलती है | इसके बाद, प्रभावित हिस्से पर सप्ताह में 4-5 रातों तक 1 घंटे हीट पैड लगाने पर लक्षणों में सुधार आता है |
प्रभावित हिस्से पर या तो स्टोर से ख़रीदे हुए आइस पैक को रखें या घर पर बनाये आइस पैक का उपयोग हल्के दबाव के साथ करें | हल्का दबाव प्रभावित हिस्से को ठंडक देने में मदद करेगा | अपनी स्किन और आइस पैक के बीच एक नर्म कपडा रखें जिससे ठण्ड से स्किन को नुकसान नहीं पहुंचेगा | इसे 15 मिनट से ज्यादा देर उपयोग न करें अन्यथा रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है जिससे दर्द देर से ठीक होता है |
आइस पैक के उपयोग के बाद रक्त प्रवाह को बढाने के लिए हॉट वाटर बोतल या एक हीट पैड का उपयोग करें जिससे नसों को जल्दी ठीक करने में मदद मिल सकती है | एक घंटे से अधिक हीट का उपयोग न करें अन्यथा सूजन और बढ़ सकती है |
*आप गर्म पानी से स्नान कर सकते हैं या फिर प्रभावित हिस्से को गर्म पानी में डुबाकर रख सकते हैं जिससे प्रभावित हिस्से की मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्त प्रवाह बढ़ जाता है|
*मालिश करें: नस के होने वाले दर्द पर दबाव डालने से तनाव को मुक्त करने और दर्द कम करने में मदद मिल सकती है | पूरे शरीर की मालिश कराने से सभी मांसपेशियों को शिथिलता को बढाने में और साथ ही प्रभावित हिस्से को आराम देने में मदद मिलती हैं | आप प्रभावित नस के नजदीकी हिस्से को टारगेट करके भी हल्की मालिश कर सकते हैं | इससे विशेषरूप से अधिक लाभ मिलेगा और नस को ठीक करने में भी मदद मिलेगी |
थोडा आराम पाने के लिए आप प्रभावित हिस्से की मालिश खुद भी कर सकते हैं | रक्त प्रवाह को बढाने और नस में दबाव या संकुचन उत्पन्न करने वाली मांसपेशियों को ढीला करने के लिए अपनी अँगुलियों से प्रभावित हिस्से को धीरे-धीरे दबाएँ |
*तीव्र डीप-टिश्यू मसाज या अधिक दबाव डालने से बचें क्योंकि इससे अनावश्यक दबाव पड़ेगा और नसों का दर्द और बढ़ जायेगा

कम प्रभाव डालने वाली एक्सरसाइज करें: 

आप पानी दबी हुई नस को आराम दे सकते हैं और रक्त के प्रवाह को सुचारू बनाये रख सकते हैं | अच्छे रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह और मांसपेशियों के टोन होने से सच में दबी हुई नस से होने वाले दर्द को ठीक करने में मदद मिल सकती है | आपको दैनिक गतिविधियाँ सावधानीपूर्वक करना चाहिए और केवल तभी करना चाहिए जब ये गतिविधियाँ आपके लिए आरामदायक हों | तैरने या थोडा टहलने की कोशिश करें | इससे आपको मांसपेशियों को स्वाभाविक रूप से हिलाने में मदद मिलेगी जबकि प्रभावित नस के आस-पास के जोड़ों और टेंडन पर बहुत कम मात्रा में दबाव डाला जाता है |
असक्रियता, मांसपेशियों की शक्ति को कम कर देती है और प्रभावित नस के ठीक होने की प्रक्रिया के समय को और बढ़ा देती है 
*एक्सरसाइज या आराम करते समय सही पोस्चर बनाये रखें | इससे प्रभावित नस की वास्तविक स्थिति पर तनाव को कम करने में मदद मिलेगी |
*एक स्वस्थ वज़न बनाये रखने से नस दबने से होने वाली पीड़ा से बचा जा सकता है
*कैल्शियम अंतर्ग्रहण को बढायें: नस दबने से होने वाली परेशानी का एक मुख्य कारण कैल्शियम की कमी होता है | आपको कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, दही और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल खाना शुरू कर देना चाहिए | इससे न सिर्फ आपकी नस के दर्द में लाभ मिलेगा बल्कि आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार आएगा |



*आप कैल्शियम को सप्लीमेंट के रूप में भी ले सकते हैं | इन्हें आप की हेल्थ फ़ूड स्टोर्स, जनरल स्टोर्स या फार्मेसी से खरीद सकते हैं | अगर आपको कैल्शियम के डोज़ के बारे में शंका हो तो पैकेज पर लिखे निर्देशों का पालन करें या डॉक्टर से सलाह लें | सिफारिश किये गये डोज़ से अधिक मात्रा न लें |

पैकेज्ड फूड्स के लेवल चेक करें कि वे कैल्शियम फोर्टीफाइड हैं या नहीं | कई ब्रांड्स अपने सामान्य प्रोडक्ट्स के साथ ही कैल्शियम से भरपूर प्रोडक्ट्स भी प्रदान करते हैं |

पोटैशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं: 

पोटैशियम सेल मेटाबोलिज्म में प्रमुख भूमिका निभाते हैं | चूँकि इसकी कमी से नसों के बीच के बंधन कमज़ोर हो जाते हैं इसलिए कभी-कभी पोटैशियम की कमी नस दबने से होने वाले लक्षणों में योगदान दे सकती है | डाइट में पोटैशियम की मात्रा बढाने से नसों को सही संतुलन के साथ काम करने और लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है |
अखरोट, केला और नट्स पोटैशियम से भरपूर होते हैं | स्किम मिल्क और ऑरेंज जूस जैसे पेय पदार्थ पीने से पोटैशियम के अवशोषण को बढाने में मदद मिल सकती है |
एक स्वस्थ डाइट के साथ ही कैल्शियम के समान पोटैशियम सप्लीमेंट भी नियमित रूप से लिए जा सकते हैं | अगर आप कोई अन्य दवा लेते हों या आपको कोई मेडिकल प्रॉब्लम हो (विशेषरूप से किडनी से सम्बंधित) तो पोटैशियम सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें | इन सप्लीमेंट को लेने की सिफारिश करने से पहले आपके डॉक्टर आपके रक्त में पोटैशियम के लेवल को चेक कर सकते हैं |
पोटैशियम की कमी डॉक्टर द्वारा डायग्नोज़ की जाती है | पोटैशियम की कमी को दूर करने के लिए डॉक्टर इसकी कमी के कारण का मूल्यांकन करके पोटैशियम बढाने वाली डाइट लेने की सिफारिश कर सकते हैं | अगर आपको इससे कोई परेशानी होने लगे तो डॉक्टर से सलाह लें

नसों के दर्द के देसी घरेलू उपचार 



पुदीने के तेल से नसों के दर्द का इलाज
:- 

यदि आपके नसों में बहुत दर्द होता है तो आपको अपने दर्द से प्रभावित क्षेत्र में पुदीने के तेल से मालिश करे| इससे आपको नसों के दर्द में बहुत लाभ होगा|

*सरसो के तेल से नसों के दर्द का इलाज:-

सरसों के तेल से नसों के दर्द से छुटकरा पा सकते है| सरसों के तेल को गरम करके इससे मालिश करे| ऐसा करने से आपको निश्चित ही अभ होगा|
*लेवेंडर के फुल तथा सुइया को नहाने के पानी में मिला कर नहने से बहुत ही लाभ होता है|
*यदि आपकी नसों में बहुत दर्द होता है तो आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए जिससे नसों को बहुत लाभ होता है और इसमें पड़ी हुई गांठ भी धीरे -2 ठीक हो जाती है|
*भ्रस्तिका प्राणायाम करने से भी नसों के रोगी को बहुत लाभ होता है|
*अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से भी नसों में होने वाली दिक्कत को एक दम से दूर किया जा सकता है और बहुत दिनों तक करेंगे तो ये बीमारी जड़ से ख़त्म हो जाएगी|
*यदि आप बाबा रामदेव के बताये गये व्यायाम को रोज करेंगे तो आपको निश्चित ही फायदा होगा| इसी लिए आपको बाबा रामदेव के बताये हुए नसों से रिलेटेड व्यायाम को रोज करना चाहिए| पुदीने के तेल को नसों में ज़रूर लगाना चाहिए क्युकी पुदीना इसका रामबाण इलाज है|







8.5.17

पेट के रोगों की अनमोल औषधि






   उदरामृत योग एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका प्रयोग उदर विकार, यकृत विकार, प्लीहा विकार और गर्भाशय विकार आदि के उपचार के लिए किया जाता है। यह यकृत से पित्त का स्राव करता है और पाचन क्रिया सुधारता है। यह पुराणी कब्ज में भी लाभदायक है। यह आंत्र की क्रिया को ठीक कर मल आगे सरकाने में मदद करता है। यह उदर शूल (पेट दर्द), गैस, मंदाग्नि, आदि के इलाज के लिए भी सहायक होता है।घटक द्रव्य एवं
उदरामृत योग में निम्नलिखित घटक द्रव्य (Ingredients) है:-

चित्रकमूल 12 ग्राम
पीपलामूल 12 ग्राम
भुनी हींग 12 ग्राम
सोंठ 12 ग्राम
मिर्च 12 ग्राम
पिप्पली 12 ग्राम
भुना जीरा 12 ग्राम
अजवायन 12 ग्राम
लौह भस्म 12 ग्राम
गुड़ 180 ग्राम
घीकुंवार का रस 240 ग्राम
मूली का रस 240 ग्राम
नीम्बू का रस 240 ग्राम
अदरक का रस 60 ग्राम
सोहागे का फूला 24 ग्राम
नौसादर 24 ग्राम
पंचलवण 24 ग्राम


निर्माण विधि
उदरामृत योग के निर्माण के लिए सर्वप्रथम घीकुंवार का रस, मूली का रस, नीम्बू का रस लें, फिर इसमें अदरक का रस और सोहागे का फूला, नौसादर, पंचलवण मिलाएं, और इसके अतिरिक्त चित्रकमूल, पीपलामूल, भुनी हींग, सोंठ, मिर्च, पीपल, भुना जीरा, अजवायन, लौहभस्म मिलाएँ। इन सबको मिलाने के बाद इसमें गुड़ मिलाकर मर्तबान में भर दें और 15 दिन तक धुप में रखें। 15 दिन बाद इसे छानकर बोतल में भर लें।

औषधीय कर्म (Medicinal Actions)

कब्जहर
यकृत पितसारक
यकृत वृद्धिहर
प्लीहावृद्धिहर
कामलाहर
गर्भाशय दोषहर
उदर शूलहर
क्षुधावर्धक – भूख बढ़ाने वाला
पाचक – पाचन शक्ति बढाने वाली
अनुलोमन
रेचक

चिकित्सकीय संकेत (Indication

उदरामृत योग निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:
उदर शूल (पेट दर्द)
गर्भाशय दोष
पाण्डु रोग
कामला रोग
प्लीहा वृद्धि
यकृत वृद्धि (जिगर की वृद्धि)
मन्दाग्नि
अपचन
कब्ज

मात्रा एवं सेवन विधि (Dosage)

मात्रा: इस औषधि को 6 ग्राम से लेकर 12 ग्राम तक 24 ग्राम जल में मिलाकर भोजन के बाद दिन मंे 2 बार दें।
उदरामृत योग की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है:

औषधीय मात्रा (Dosage)

बच्चे 1 से 6 ग्राम
वयस्क 6 से 12 ग्राम
सेवन विधि
दवा लेने का उचित समय (कब लें?) खाना खाने के बाद लें
दिन में कितनी बार लें? 2 बार – सुबह और शाम
अनुपान (किस के साथ लें?)
गुनगुने पानी में मिलाकर लें 

विशिष्ट परामर्श-


 

उदर के  लिवर,तिल्ली,आंत्र संबन्धित विविध रोगों  मे आशुफलदायी जड़ी बूटियों से निर्मित औषधी  के लिए वैध्य श्री दामोदर 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|यह औषधि पित्ताशय की पथरी ,लिवर की सूजन ,पीलिया,तिल्ली बढ़ना ,कब्ज ,पेट मे गैस ,मोटापा,सायटिका  आदि रोगों मे  अत्युत्तम  परिणामकारी है|जिन रोगियों को बड़े अस्पतालों ने लाइलाज कहकर घर ले जाकर सेवा करने की सलाह दी वे भी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं। 

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  • 6.5.17

    भूने चने के साथ गुड़ खाने से होंगे ये बेमिसाल फायदे


       गुड़ में पर्याप्त मात्रा में आयरन और शुगर होता है। गुड़ में मौजूद आयरन शरीर में हेमोग्लोबिन बढ़ाता है और गुड़ का सेवन रोज करने से खून भी सफा रहता है। इसमें सोडियम, विटामिन, पोटैशियम, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जोकि आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह आपके रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा भी करता है और यह खून से जुड़ी समस्याओं से हमारी रक्षा करता है।
    चना का सेवन करने यह आपके शरीर में मौजूद गंदगी को अच्छी तरह से साफ करता है। यह डाइबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर करने में बेहद सहायक है। चना को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स का अच्छा स्त्रोत माना जाता है।


    गुड़ और चना दोनों ही सेहत के लिए बहुत लाभदायक हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों को साथ मिलाकर खाने से कई बड़ी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। गुड और चना के बहुत से लाभ होते है।


    *हार्ट के लिए

    जिन लोगों को दिल से जुड़ी कोई समस्या होती है। उनके लिए गुड़ और चने का सेवन काफी फायदेमंद है। इसमें पोटाशियम होता है जो हार्ट अटैक होने से बचाता है।

    * हड्डियां मज़बूत करने के लिए

    गुड़ और चने में कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। इसके रोजाना सेवन से गठिया के रोगी को काफी फायदा होता है।

    * मसल्स बनाने के लिए

    गुड़ और चने में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है। मर्दों को हर रोज इसका सेवन करना चाहिए।

    * चेहरा निखारने के लिए

    इसमें जिंक होता है जो त्वचा को निखारने में मदद करता है। मर्दों को रोजाना इसका सेवन करना चाहिए जिससे उनके चेहरे की चमक बढ़ेगी और वे पहले से ज्यादा स्मार्ट भी लगेेंगे।

    खून की कमी में फायदेमंद

    कई बार कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए लोग गुड़ और चने खाना पसंद करते हैं। लेकिन इसके अलावा गुड़ और चना एनीमिया रोग दूर करने में काफी मददगार साबित होता है।

    * दिमाग तेज़ करने के लिए

    गुड़ और चने को मिलाकर खाने से दिमाग तेज होता है। इसमें विटामिन-बी6 होता है जो याददाश्त बढ़ाता है।

    * दांत मज़बूत करने के लिए

    इसमें फॉस्फोरस होता है जो दांतो के लिए काफी फायदेमंद है। इसके सेवन से दांत मजबूत होते हैं और जल्दी नहीं टूटते।

    महिलाओं के लिए

    (आईएएनएस)| इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा कि युवा महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड़ खाना चाहिए। अग्रवाल ने कहा कि गुड़ आयरन का समृद्ध स्रोत है और चने में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। ये दोनों मिलकर महिलाओं की माहवारी के दौरान होने वाले रक्त के नुकसान को पूरा करते हैं।

    * मोटापा कम करने के लिए
    गुड़ और चने को एक साथ खाने से शरीर का मैटाबॉलिज्म बढ़ता है जो मोटापा कम करने में मदद करता है। कई मर्द वजन कम करने के लिए जिम जाकर एक्सरसाइज करते हैं उन्हें गुड़ और चने का सेवन जरूर करना चाहिए।

    * कब्ज दूर करने के लिए

    शरीर का डाइजेशन सिस्टम खराब होने की वजह से कब्ज और एसिडिटी की समस्या हो जाती है। ऐसे में गुड़ और चने खाएं, इसमें फाइबर होता है जो पाचन शक्ति को ठीक रखता है।

    बॉडी को मिलती है एनर्जी

    गुड़ और चना न केवल आपको एनीमिया से बचाने का काम करते हैं, बल्कि आपके शरीर में उर्जा की पूर्ति भी करते हैं। शरीर में आयरन अवशोषि‍त होने पर ऊर्जा का संचार होता है, जिससे थकान और कमजोरी महसूस नहीं होती।

    वैवाहिक जीवन की मायूसी दूर  करें इन जबर्दस्त  नुस्खों से


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    5.5.17

    जल्दी नींद में ले जाने वाली ब्रीथिंग ट्रिक


    नींद आने का आसान उपाय :
    आपके बारे में तो मैं नही जानता लेकिन सोना (sleeping) मेरी सबसे प्रिय हॉबी है क्योंकि मैं खुद को दसियों तरह की एक्टीविटीज़ में बहुत थका डालता हूं. इससे कभी तो थकान में चूर हो जाने के कारण मुझे बिस्तर पर गिरते ही नींद आ जाती है या कभी किसी एक्साइंटमेंट या उधेड़बुन में लगे रहने के कारण नींद ही नहीं आती.
    आजकल बदलती हुई लाइफ़स्टाइल के कारण लोगों को नींद से संबंधित समस्याएं (sleeping problems) हो रही हैं और दिन भर की थकान के बाद भी बहुत से लोग नींद की तलाश में करवटें बदलते रहते हैं.


    शुक्राणुओ में वृद्धि करने के रामबाण उपाय

    डॉ. एंड्रयू वील की ब्रीथिंग ट्रिक Andrew Weil Breathing Trick to sleep:
    अक्सर ही जब मैं सोने की तैयारी करता हूं तो मेरा दिमाग इस काम में मेरा साथ देने के लिए तैयार नहीं होता. बहुत लंबे समय तक अनिद्रा (Insomnia) का शिकार रहने पर मुझे इंटरनेट पर तुरंत नींद में ले जानेवाली ऐसी शानदार ट्रिक का पता चला जिसे “4-7-8” ब्रीथिंग ट्रिक (breathing trick) कहते हैं.
    4-7-8 ब्रीथिंग ट्रिक को एक वैलनेस प्रेक्टिशनर (wellness practitioner) डॉ. एंड्रयू वील ने विकसित किया. ये ट्रिक सीखने और करने में बेहद आसान है. इसके लिए आपको सिर्फ इतना ही करना है कि बिस्तर पर लेटकर चार सेकंड तक अपनी नाक से सांस लेना है, फिर सांस को सात सेकंड तक रोककर रखना है, और मुंह के रास्ते आठ सेकंड तक सांस छोड़ना-लेना है. ऐसा करने से हार्ट रेट कम हो जाती है और ब्रेन को रिलेक्स करनेवाले हार्मोन निकलते हैं.

    पथरी की अचूक हर्बल औषधि से डाक्टर की बोलती बंद!

    जब मैंने इसके बारे में पढ़ा तो पहले-पहल तो मुझे इसपर यकीन नहीं हुआ. सांस लेने जैसी सिंपल चीज अनिद्रा (insomnia) को भला कैसे ठीक कर सकती है? लेकिन ना-नुकुर करते हुए मैंने इसे करके देखा और रिज़ल्ट वाकई अनएक्सपेक्टेड था…एक मिनट में ही मुझे नींद आ गई. यह ब्रीथींग मेथड (breathing method) शरीर द्वारा प्राकृतिक रूप से एड्रीनलीन बनाने के सिस्टम को मिमिक करती है और हार्ट रेट अपने आप ही कम हो जाती है.
    इस लाजवाब ट्रिक को आजमाकर देखिए, इसे करके देखने में कोई नुकसान नहीं है. सेकंड्स को गिनने के लिए मन-ही-मन गिनती कर सकते हैं. एक-दो बार अभ्यास करने के बाद आप भी इस Breathing trick से नींद न आने सम्बन्धी समस्याओं (Trouble sleeping) से मुक्ति पा सकते हैं.


    किडनी फेल (गुर्दे खराब) की अमृत औषधि 

    प्रोस्टेट ग्रंथि बढ्ने से मूत्र बाधा की हर्बल औषधि

    सिर्फ आपरेशन नहीं ,पथरी की 100% सफल हर्बल औषधि

    आर्थराइटिस(संधिवात)के घरेलू ,आयुर्वेदिक उपचार




    3.5.17

    आंखों के रोग लक्षण और उपचार



    आंखों की बनावट

    आंखों के बिना किसी कार्य को करने में हम असमर्थ हैं। मनुष्य के शरीर में आंखें वह अंग हैं जिसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। आंखें वह इन्द्रियां होती हैं जिसके कारण ही हम वस्तुओं को देख सकते हैं। हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेन्द्रियों में आंखें सबसे प्रमुख ज्ञानेन्द्रियां हैं।
    वैसे तो प्रकृति ने हमारी आंखों की रक्षा का प्रबंध बहुत ही अच्छे ढंग से कर रखा है। आंखों की बनावट इस प्रकार की है कि हडि्डयों से बने हुए कटोरे इनकी रक्षा करते हैं। आंखो के आगे जो दो पलकें होती हैं वे आंखों में धूल तथा मिट्टी तथा अन्य चीजों से रक्षा करती है। आंखो की अन्दरुनी बनावट भी इस प्रकार की है कि पूरी उम्र भर आंखे स्वस्थ रह सकती हैं। सिर्फ आंखों की अन्दरूनी रक्षा के लिए उचित आहार की जरुरत होती है जिसके फलस्वरूप आंखें स्वस्थ रह सकती हैं। सभी व्यक्तियों की आंखें विभिन्न प्रकार की होती हैं तथा उनके रंग भी अलग-अलग हो सकते हैं।
    हमारी आंखें इस प्रकार की होती हैं कि वे सभी वस्तुओं को आसानी से देख सकें। आज के समय में हम सभी व्यक्तियों को मजबूरी में चीजों को पास से देखना पड़ता है क्योंकि आज के समय में गंदगी, धूल तथा धुंआ इतना बढ़ गया है कि हमारी आंखें स्वस्थ नहीं रह पाती हैं। प्रकृति ने आंखों की सुरक्षा के लिए आंखों को चौकोर आकार में बनाया है और आंखो की सुरक्षा के लिए पलकें भी होती हैं जो आंखों को हवा, धूल तथा मिट्टी से बचाती हैं। अश्रु-ग्रन्थियां आंसुओं को आंख से बाहर निकालकर आंखों की धूल मिट्टी साफ कर देती हैं। आंसुओं में लाइसोजाइम नामक एन्जाइम होता है, जो आंखो के रक्षक का काम करता है और आंखों में संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है।
    अांखें आना :
    आंख का दुखना या आंखें आना, आंखों का एक छूत का रोग है। यह एक प्रकार के बैक्टीरिया, फफूंद या वायरस (विषाणु) के कारण होता है। इसमें आंख का सफेद भाग (दृष्टिपटल) और पलकों की भीतरी सतह को ढकने वाली पतली पारदर्शी झिल्ली लाल हो जाती है। यह रोग प्रायः खतरनाक नहीं होता, किन्तु ठीक प्रकार से इलाज करवाने में देरी करने से नेत्र-ज्योति पर असर पड़ सकता है।
    लक्षण
    यह रोग एक आंख या दोनों आंखों में खुजलाहट के साथ शुरू होता है। आंखें लाल हो जाती हैं और पलकें सूज जाती हैं, शुरू में आंखों से पानी या पतली कीच-सी निकलती है। इसके बाद आंखों की कोरों में गाढ़ी-सी सफेद या पीलापन लिये सफेद कीच-सी इकट्टी हो जाती है, आंख खोलना मुश्किल हो जाता है और रोगी प्रकाश सहन नहीं कर सकता। यदि इलाज न करवाया जाए, तो आंखों की पुतली में फोड़ा हो जाता है और आंख की पुतली पर सफेदा, माड़ा या फूला बन जाता है। इससे सदा के लिए नेत्रज्योति नष्ट भी हो सकती है।
    रोग कैसे फैलता है : यह रोग दूषित हाथ या उंगलियां आंखों पर लगाने से, दूषित तौलिया, रूमाल आदि से आंखें पॉछने से और रोगी की अन्य दूषित चीजों के प्रयोग से भी फैलता है। मक्खियां भी इस रोग को एक रोगी से दूसरे रोगी तक पहुँचा देती हैं। यह रोग धूल, धुआं, गंदे पानी में नहाने या रोगी की सुरमा डालने की सलाई का इस्तेमाल करने से या एक ही उंगली द्वारा एक से अधिक बच्चों को काजल लगाने से भी हो जाता है।
    रोकथाम
    इस रोग की रोकथाम का सबसे उत्तम उपाय साफ रहना, सफाई के प्रति सावधानी बरतना और पास-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना है। रोगी के प्रतिदिन काम आने वाले के लिए रूमाल और वस्त्रों को जब तक अच्छी तरह साफ न कर लें, दूसरों के कपड़ों के साथ न मिलाएं, भीड़-भाड़ से बचकर रहें। घर में सभी के लिए एक सुरमा-सलाई का उपयोग न करें। आंखों में काजल न डालें, आंखें नित्य ठण्डे और साफ पानी से धोएं।
    रोहे : आंखों का दुखना (कंजक्टीवाइटिस) से मिलती-जुलती एक और आंखों की बीमारी होती है। इस बीमारी में पलकों की भीतरी सतह पर दाने निकल आते हैं और आंखें दुखने लगती हैं। यह भी एक छूत की बीमारी होती है और अधिकतर शिशुओं एवं छोटे बच्चों को यह बीमारी जल्दी लगती है। इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव भी उसी तरह सम्भव है, जिस प्रकार आंखों का दुखना (कंजक्टीवाइटिस) में उपाय बताए गए हैं।
    आँखों की रोशनी -
    दृष्टि कमजोर होना आज की जीवन शैली की एक आम समस्या है।
    - यहाँ तक कि निविदा आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है।
    - गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है।
    - एक शक्तिशाली प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं।
    आँखों की रोशनी -
    दृष्टि कमजोर होना आज की जीवन शैली की एक आम समस्या है।
    - यहाँ तक कि निविदा आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है।
    - गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है।
    - एक शक्तिशाली प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं।
    - शराब के सेवन से भी आँखों पर प्रभाव पड़ता है ।
    - कमजोर दृष्टि विशेष रूप से बच्चों और युवा लोगों में से कई मामलों में चुंबक चिकित्सा के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
    - शुद्ध शहद को आंख में बूंद के रूप में आहार के भाग के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
    कमजोर दृष्टि के लक्षण
    वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते वक़्त आंख की मांसपेशियों में तनाव
    आंखों पर अत्यधिक तनाव मांसपेशियों को कमजोर करते हैं 

    कमजोर आंख की मांसपेशिया दृष्टि में समस्याओं का कारण बनती है
    आंखों से धुंधला दिखना
    लघु दृष्टि और लंबे दृष्टि
    . लंबी दूरी की वस्तुओं को देखने में सक्षम न होना
    . पास की वस्तुओं को देखने में सक्षम न होना
    लंबी दूरी की वस्तुओं को देखने में परेशानी
    आंखों में जलन
    आंखों में पानी आना
    अध्ययन के दौरान सिर में भारीपन
    लगातार आम सर्दी होना
    कारण -
    आंख पर जोर का सबसे सामान्य कारण आंख पर बढ़ता काम का तनाव है। दुनिया में अधिकतर लोगो की आँखे लगातार किताबें पढ़ने से, स्मार्टफोन या कंप्यूटर स्क्रीन पर तीव्र और लंबे समय तक एकाग्रता से देखने से आसानी से थक जाती है।बहुत लंबे समय के लिए कंप्यूटर स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना भी आंख में तनाव पैदा कर सकता है। यह सच है कि टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन को लगातार घूरना आंखों के लिए अच्छा नहीं है।स्क्रीन को लगातार न देखना पड़े ऐसी कोशिश करो और हर 20 मिनट बाद २० सेकंड के लिए २० फ़ीट दूर किसी वस्तु को देखो। इसके अलावा आप चमक को कम करने के लिए अपने स्क्रीन सेटिंग्स समायोजित कर सकते हैं। लगातार अध्ययन करना पड़े तो बीच में समय निकालकर एक बार टहलने के लिए उठे और आसपास की किसी वस्तु पर या अपनी आँखें किसी अलग कार्य पर केंद्रित करे,इससे आँखों को आराम रहेगा ।अत्यधिक समय टीवी देखने में खर्च करना

    कंप्यूटर स्क्रीन पर पास से लगातार काम करना
    अत्यधिक पढ़ते रहने से
    हवा में हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से


    नेत्र समस्याओं के लिए घरेलू उपचार -
    1. सौंफ पाउडर और धनिया बीज पाउडर लेकर बराबर अनुपात का एक मिश्रण तैयार करें।फिर बराबर मात्रा में चीनी मिला ले। 12 ग्राम हर सुबह और शाम की खुराक में ले लो। यह मोतियाबिंद के साथ साथ कमजोर आँखों के लिए भी फायदेमंद है।
    2. कमजोर दृष्टि के लोगों को हर रोज गाजर के जूस का सेवन करना चाहिए ,यह महान लाभ प्रदान करेगा।
    3. धनिया के तीन भागों के साथ चीनी के एक भाग का मिश्रण तैयार करे। उन्हें पीस लें और उबलते पानी में इस संयोजन को डालें और एक घंटे के लिए इसे ढककर रखें। फिर एक साफ कपड़े से इसे छानकर प्रयोग करे । यह नेत्रश्लेष्मलाशोथ के लिए एक अमोघ इलाज है।
    4. दूध में बादाम को भिगोकर उन्हें रात भर रखा रहने दे । सुबह इसमें चंदन भी मिलाये। इसे पलकों पर लगाये । यह नुस्खा आंखों की लालिमा को बिलकुल कम कर देता है।
    6. इलायची के दो छोटे टुकड़े ले लो। उन्हें पीसकर दूध में डाले और दूध को उबाल कर रात में इसे पिये। यह आंखों को स्वस्थ बनाता है।
    7 .आँखों की देखभाल के लिए आहार में विटामिन ए का शामिल होना अनिवार्य है। विटामिन 'ए' गाजर, संतरे और कद्दू , आम, पपीता और संतरे, नारंगी और पीले रंग की सब्जियों में निहित है। पालक, धनिया आलु और हरी पत्तेदार सब्जियों, डेयरी उत्पादों तथा मांसाहारी खाद्य पदार्थ, मछली, जिगर,अंडे में विटामिन ए की एक उचित मात्रा विद्यमान होती है।

    8. मोतियाबिंद का खतरा आहार में विटामिन सी लेने से कम हो जाता है। इसलिए अमरूद, संतरे, नींबू और टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी, आदि के रूप में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
    9 ब्लूबेरी दृष्टि बढ़ाने के लिए और नेत्र हीन के लिए एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह रात के समय की दृष्टि में सुधार करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि यह रेटिना के दृश्य बैंगनी घटक के उत्थान को उत्तेजित करता है। साथ ही, यह धब्बेदार अध: पतन, मोतियाबिंद और मोतियाबिंद के खिलाफ सुरक्षा करता है। पका हुआ फल ब्लूबेरी हर रोज आधा कप खाओ।
    10. बादाम भी ओमेगा - 3 फैटी एसिड, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट सामग्री की वजह से दृष्टि में सुधार के लिएबहुत लाभदायक हैं। यह स्मृति और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है। रात भर पानी में 5 से 10 बादाम भिगो दे। अगली सुबह छिलका उतारकर बादाम पीस ले। एक गिलास गर्म दूध के साथ इस पेस्ट को खाए। कम से कम कुछ महीनों के लिए इसे प्रयोग करो।
    11. 1 कप गर्म दूध मे आधा चम्मच मुलेठी पाउडर, ¼ छोटा चम्मच मक्खन और 1 चम्मच शहद अच्छी तरह मिक्सकरके सोते समय इसे पिये। आँखों की रोशनी बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है।
    आंखों के व्यायाम
    आंखों के व्यायाम अपनी आंख की मांसपेशियों को अधिक लचीला बनाने, आंखों के लिए ऊर्जा और रक्त प्रवाह में लानेऔर इष्टतम दृष्टि बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है ।


    यहाँ कुछ व्यायाम बताये जा रहे है ताकि आपकी दृष्टि में सुधार हो सके :

    1 एक हाथ की दूरी पर एक पेंसिल पकड़ कर उस पर ध्यान केंद्रित करे। धीरे-धीरे इसे अपनी नाक के करीब लाए और फिर इसे अपनी दृष्टि से आगे ले जाने के लिए नाक से दूर ले जाये।इस दौरान आप अपनी दृष्टि पेंसिल की नोक पर ही केंद्रित रखे।इसे एक दिन में 10 बार दोहराएँ।
    2 कुछ सेकंड के लिए घड़ी की दिशा में अपनी आँखें गोल घुमाए , और फिर कुछ सेकंड के लिए विपरीत दिशा में घुमाए और इसे चार या पांच बार दोहराएँ।
    3 अपनी आंखों के 20 से 30 गुना तेजी से बार-बार पलक झपकाये, अपनी आँखें फैलाएं और पलक बार बार झपकाते रहे । अंत में, अपनी आँखें बंद करो और उन्हें आराम दो।
    4 थोड़ी देर के लिए एक दूर की वस्तु पर अपनी दृष्टि ध्यान लगाओ। अपनी आंखों के दबाव के बिना यह करने के लिएसबसे अच्छा तरीका है कि आप चाँद को देखो और हर रोज तीन से पांच मिनट के लिए उस पर ध्यान केंद्रित करे ।
    इन आंखों के व्यायाम से अधिक उत्साहजनक परिणाम पाने के लिए कम से कम कुछ महीनों के लिए नियमित अभ्यास करें।

    आवश्यक सुझाव -
    हर रोज 2-3 बार पानी के साथ अपनी आँखें धोएं।
    अपनी हथेलियों को तब तक आपस में रगड़े जब तक वे गर्म न हो जाये और फिर अपने हथेलियों के साथ अपनी आंखों को ढके। यह आंख की मांसपेशियों को आराम में मदद करता है।
    आपके कंप्यूटर की स्क्रीन की चकाचौंध रौशनी को कम करकर रखे ताकि आँखों पर बुरा प्रभाव न पड़े।
    आँखों को धूल, मिटटी और सूरज की तेज किरणों से बचाना चाहिए ।
    लगातार काम करते समय बीच में आँखों को कुछ विश्राम देते रहे।
    विभिन्न दृष्टि समस्याओं के लक्षण क्या हैं?
    प्रत्येक आंख समस्या के साथ जुड़े आम लक्षण इस प्रकार है-
    निकट दृष्टि दोष : इस दोष में निकट की वस्तुएँ तो साफ़ दिखाई देती है किन्तु दूर की वस्तुए धुंधली दिखाई देती है। दूर की वस्तुएँ देख पाने में व्यक्ति खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है।
    दूर दृष्टि दोष :
    इस दोष में दूर की वस्तुएँ तो साफ़ दिखाई देती है किन्तु पास की वस्तुऍ धुंधली दिखाई देती है। निकट के काम करने में परेशानी होने लगती है,सब धुंधला सा दिखने लगता है।
    दृष्टिवैषम्य: इस दोष में किसी भी दूरी की वस्तु साफ़ दिखाई नही देती। धुंधलापन महसूस होने लगता है।
    रेटिना टुकड़ी: जब अचानक से चमकती रोशनी आँखों पर पड़ती है तो उसके बाद दृष्टि में काले धब्बों का संयोजन होने लगता है। कुछ देर तक आँखों के सामने काले धब्बे दिखाई देते रहते है इसे रेटिना टुकड़ी दोष कहा जाता हैरंग अंधापन: रंग दृष्टि दोष में आमतौर पर रोगी रंगो में भेद करने में खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है। रंगो के प्रति उनकी आँखे असंवेदनशील हो जाती है।
    रतौंधी:
    मंद प्रकाश में वस्तुओ को देख पाने में कठिनाई रतौंधी का एक संकेत है। यह अक्सर विटामिन डी की कमी से होता है।
    मोतियाबिंद:
    मोतियाबिंद विकास आम तौर पर एक क्रमिक प्रक्रिया है, आपका पहला लक्षण धुंधला दिखाई देने से सम्बंधित होता है। एक नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान इसकी पहचान की जा सकती है।
    लक्षणों में शामिल हैं:- चमकदार रोशनी में आँखों से धुंधला दिखाई देना। - रात में कमजोर दृष्टि और कुछ भी देख पानेमें कठिनाई
    - ऑटोमोबाइल हेडलाइट्स या उज्ज्वल सूरज की रोशनी से चकाचौंध या असहज चमक- पढ़ने के लिए उज्जवल प्रकाश की जरूरत होना - रंग फीका या धुंधला दिखना - एक आंख में डबल या ट्रिपल दृष्टि (ओवरलैपिंग चित्र) - सामान्य रूप से अंधेरे पुतली के लिए एक दूधिया सफेद या अपारदर्शी उपस्थिति
    - दर्दनाक सूजन और आंख के भीतर दबाव
    तिर्यकदृष्टि:
    इस दोष में आंखें एक समन्वित पैटर्न में एक साथ स्थिर नही रहती। इस तरह की दृष्टि समस्याओं में व्यक्ति की एक या दोनों आँखे अक्सर रगड़ कर सकती हैं और भेंगापन हो सकता है।
    निम्नलिखित दृष्टि समस्याओं के बारे में तुरंत डॉक्टर को दिखाओ :
    आपकी दृष्टि में प्रकाश की चमक के रूप में रेटिना टुकड़ी के लक्षण अनुभव होने पर आपको आंखों की दृष्टि की रक्षा करने के लिए तत्काल इलाज की जरूरत है।

    यदि आपको लग रहा है कि एक पर्दा अपनी दृष्टि का हिस्सा में उतारा जा रहा है ।एक आँख से या दोनों आँखों से धुंधला दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की जरूरत है।
    यदि आप असामान्य रूप से उज्ज्वल प्रकाश के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं तो आपकी आंख (यूवाइटिस)के अंदर सूजन हो सकती है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
    आँखों से लगातार पानी आने पर आंख में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
    यदि लगातार लेंस पहनने से आप असहज हो जाते हैं या लेंस हटाने पर भी आपको दर्द है तो कार्निया सूजन (स्वच्छपटलशोथ), या एक कार्निया अल्सर हो सकता है। इसलिए तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करे।
    आंख की कोई चोट भी आपकी दृष्टि को प्रभावित करती है ,आपको आंतरिक रक्तस्राव या अपनी आंख के आसपास की हड्डी के फ्रैक्चर हो सकता है। यह एक आपातकालीन चिकित्सा है।
    आँखों में किसी भी प्रकार की लालिमा, जलन या दर्द की स्तिथि में अपने नेत्र चिकित्सक से संपर्क करे।
    तरह मिक्सकरके सोते समय इसे पिये। आँखों की रोशनी बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है।
    सुबह के समय में जल्दी उठना चाहिए तथा हरी घास पर नंगे पैर कुछ दूर तक चलना चाहिए। रोजाना ऐसा करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

    आंखों को प्रतिदिन दो बार पानी से धोना चाहिए। आंखों को धोने के लिए सबसे पहले एक मोटा तौलिया लेना चाहिए। इसके बाद चेहरे को दो मिनट के लिए आंखें बंद करके रगड़ना चाहिए। फिर आंखों पर पानी मारकर आंखों को धोना चाहिए। इसके बाद साफ तौलिए से आंखों को पोंछना चाहिए। एक दिन में कम से कम 6 से 7 घण्टे की नींद लेनी चाहिए। इससे आंखों की देखने की शक्ति पर कम दबाव पड़ता है। इसके फलस्वरूप आंखों में किसी प्रकार के रोग नहीं होते हैं और यदि आंखों में किसी प्रकार के रोग होते भी हैं तो वे ठीक हो जाते हैं।
    आंखों के दृष्टिदोष को दूर करने के लिए रोगी व्यक्ति को कम से कम पांच बादाम रात को पानी में भिगोने के लिए रखने चाहिए। सुबह उठने के बाद बादामों को उसी पानी में पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को खाना खाने के बाद अपनी आंखों पर कुछ समय के लिए लगाएं। इसके बाद आंखों को ठंडे पानी से धोएं और साफ तौलिए से पोंछे। इसके साथ-साथ रोगी व्यक्ति को गाजर, नारियल, केले, तथा हरी सब्जियों का भोजन में अधिक उपयोग करना चाहिए। कुछ महीनों तक ऐसा करने से आंखों में दृष्टिदोष से सम्बन्धित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।



    आंखों में किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित रोगी को फलों में सेब, संतरे, बेर, चेरी, अनन्नास, पपीता, अंगूर आदि फलों का सेवन अधिक करना चाहिए। इन फलों में अधिक मात्रा में विटामिन `ए´, `सी´ तथा कैल्शियम होता है जो आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
    आंखों के किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित रोगी को हरी सब्जियों में पत्तागोभी, पालक, मेथी तथा अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे शाक, मूली का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए। क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में विटामिन `ए´ पाया जाता है और विटामिन `ए´ आंखों के लिए लाभदायक होता है।
    आंखों के रोगों को दूर करने के लिए कंद मूल जैसे- आलू, गाजर, चुकंदर तथा प्याज का अधिक सेवन करना चाहिए। ये कंद मूल आंखों के लिए लाभदायक होते हैं। 

    अखरोट, खजूर, किशमिश तथा अंजीर का प्रतिदिन सेवन करने से आंखों के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
    प्रतिदिन बिना क्रीम का दूध तथा मक्खन खाने से आंखों में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं और यदि हैं भी तो वे जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
    पके हुए भोजन में प्रतिदिन चपाती में घी लगाकर खाने से आंखों को बहुत लाभ मिलता है।
    आंखों को कई प्रकार के रोगों से बचाने के लिए व्यक्ति को डिब्बाबंद भोजन, केचप, जैम, ज्यादा गर्म भोजन, सूखे भोजन, तली हुई सब्जियां, आचार, ठंडे पेय पदार्थ, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री तथा घी और चीनी से बनी चीजें, मैदा तथा बेसन की मिठाइयों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
    रात को किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में पानी भरकर एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण भिगोने के लिए रख दें और सुबह के समय में इसे किसी चीज से छानकर पानी से बाहर निकाल लें। फिर इस पानी से आंखों को धोएं। इस प्रकार से यदि प्रतिदिन उपचार किया जाए तो आंखों के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
    आंखों के अनेकों रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन नेत्र स्नान करना चाहिए। नेत्र स्नान करने के लिए सबसे पहले एक चौड़े मुंह का बर्तन ले लीजिए तथा इसके बाद उसमें ठंडा पानी भर दीजिए। फिर इस पानी में अपने चेहरे को डुबाकर अपनी आंखों को पानी में दो से चार बार खोलिए और इसके बाद साफ कपड़े से चेहरे तथा आंखों को पोंछिए। 

    प्रतिदिन सुबह के समय घास पर पड़ी हुई ओस को पलकों पर तथा आंखों के अन्दर लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है तथा आंखों के अनेकों रोग ठीक हो जाते हैं।
    प्रतिदिन ठंडे पानी की धार सिर पर लेने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है तथा आंखों के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
    सुबह के समय में उठते ही कुल्ला करके मुंह में ठंडा पानी भर लेना चाहिए तथा पानी को कम से कम एक मिनट तक मुंह के अन्दर रखना चाहिए। इसके साथ-साथ आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारते हुए धीरे-धीरे पलकों को मसलना चाहिए। फिर इसके बाद पानी को मुंह से बाहर उगल दें। इस क्रिया को दो से चार बार प्रतिदिन दोहराएं। इस प्रकार से प्रतिदिन करने से आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों के देखने की शक्ति में वृद्धि होती है।
    प्रतिदिन 5-6 पत्ती तुलसी, एक काली मिर्च तथा थोड़ी सी मिश्री को एक साथ चबाकर खाने से आंखों के रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।

    प्रतिदिन गाजर तथा चुकंदर का रस पीने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
    प्रतिदिन 5 भिगोए हुए बादाम चबा-चबाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
    प्रतिदिन एक आंवले का मुरब्बा खाएं क्योंकि आंवले में विटामिन `सी´ की मात्रा अधिक होती है जिसके फलस्वरूप आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
    प्रतिदिन सुबह तथा शाम को चीनी में सौंफ मिलाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
    हरे धनिये को धोकर फिर उसको पीसकर रस बना लें। इस रस को छानकर दो-दो बूंद आंखों में डालने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
    कच्चे आलू को पीसकर सप्ताह में कम से कम दो बार आंखों के ऊपर 10 मिनट के लिए लगाने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है।
    प्रतिदिन भोजन करने के बाद हाथों को धो लीजिए तथा इसके बाद अपनी गीली हथेलियों को आंखों पर रगड़ने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

    आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में जल्दी सो जाना चाहिए तथा गहरी नींद में सोना चाहिए। सोते समय आंखों को हथेलियों से ढक लें और किसी नीली वस्तु का ध्यान करते-करते सो जाएं। सुबह के समय में उठते ही 5 मिनट तक इसी प्रकार से दुबारा ध्यान करे और आंखों को खोलें। इस प्रकार की क्रिया करने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
    प्रतिदिन शुद्ध सरसों के तेल से सिर पर मालिश करने तथा दो बूंद तेल कानों में डालने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
    प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में कम से कम 20 मिनट तक उदरस्नान करने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है।
    प्रतिदिन मेहनस्नान करने से आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
    आंखों के बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन आंखों और गर्दन के पीछे के भाग पर भीगी पट्टी का प्रयोग करने से आंखों में जलन, दर्द तथा लाली रोग ठीक हो जाते हैं।



    आंख आने में कपड़े की गीली पट्टी को 10 से 15 मिनट तक आंखों पर रखना चाहिए तथा कुछ समय के बाद इस पट्टी को बदलते रहना चाहिए। इसके साथ ही कम से कम तीन घण्टे के बाद आंखों की 20 मिनट तक गर्म पानी से भीगे कपड़े से सिंकाई करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप आंखों का यह रोग ठीक हो जाता है।
    आंख आने पर मांड के कारण पलकें आपस में चिपक जाती हैं। इस समय आंखों को खोलने में कभी भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। आंखों को खोलने के लिए आंखों पर पानी के छींटे मारने चाहिए तथा जब तक आंखों की पलकें न खुल जाएं तब तक आंखों पर पानी मारने चाहिए। इसके बाद नीले रंग का चश्मा आंखों पर लगाना चाहिए तथा नीली बोतल के सूर्यतप्त जल से सनी मिट्टी की पट्टी पेड़ू पर दिन में 2 बार लगानी चाहिए। ऐसा करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

    आंखों के विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए साफ पिण्डोल मिट्टी की पट्टी का लेप बनाकर आंखों के आस-पास चारों तरफ लगाना चाहिए। यह पट्टी एक बार में कम से कम 15 मिनट तक लगानी चाहिए। इस क्रिया को दिन में कम से कम 2-3 बार दोहराएं। इसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है।
    आंखों की अनेकों बीमारियों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को दिन में उदरस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद मेहनस्नान करना चाहिए। इसके बाद रीढ़ की ठंडी पट्टी का प्रयोग करना चाहिए। इससे रोगी को बहुत लाभ मिलता है।
    आंखों के रोगों को ठीक करने के लिए उषापान करना चाहिए। उषपान केवल आंखों के रोगों को ही ठीक नहीं करता है बल्कि शरीर के और भी कई प्रकार के रोगों को भी ठीक करता है। उषापान करने के लिए रोगी व्यक्ति को रात के समय में तांबे के बर्तन में पानी को भरकर रखना चाहिए तथा सुबह के समय में उठते ही इस पानी को पीना चाहिए। इससे शरीर के अनेकों प्रकार के रोग तथा आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। उषापान करने से मस्तिष्क का विकास होता है तथा पेट भी साफ हो जाता है।
    आंखों तथा शरीर के विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन जलनेति क्रिया करनी चाहिए।
    शुद्धकमल को जलाकर उसका काजल बनाकर प्रतिदिन रात को सोते समय आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी तेज होती है तथा आंखों के विभिन्न प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
    चांदनी रात में चन्द्रमा की तरफ कुछ समय के लिए प्रतिदिन देखने से आंखों की दृष्टि ठीक हो जाती है।
    यदि किसी रोगी व्यक्ति की देखने की शक्ति कमजोर हो गई है तो उसे प्रतिदिन दिन में 2 बार कम से कम 6 मिनट तक आंखों को मूंदकर बैठना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत लाभ मिल
    आंखों के रोगों से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में उठकर अपनी आंखों को बंद करके सूर्य के सामने मुंह करके कम से कम दस मिनट तक बैठ जाना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
    आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे आंखों से देखने के लिए जोर लगाना पड़े जैसे- अधिक छोटे अक्षर को पढ़ना, अधिक देर तक टी.वी. देखना आदि।
    आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को पानी पीकर सप्ताह में एक दिन उपवास रखना चाहिए। यदि कब्ज की शिकायत हो तो उसे दूर करने के लिए एनिमा क्रिया कीजिए। इससे रोगी व्यक्ति की आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।




    आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात की तुरंत असर हर्बल औषधि